वहाँ पहुँच कर जब फुलवारी की तरफ नजर गई, तब दिन में भी फुलवारी बहुत ही डरावनी लग रही थी। वह इतनी ज्यादा घनी थी कि सूरज का प्रकाश भी अंदर जाने में सक्षम नहीं था ।
समोसे की ठेली पर जाते ही आदित्य ने बताया, “जानते हो, जो कल रात बिना खोपड़ी वाला शैतान मिला था, कौन था वो?"
मैंने कहा, “नहीं तो लेकिन तुझे कैसे पता कि कौन था वो?"
आदित्य बोला, “यह बात लगभग 150 वर्ष पहले की है, तब राजा
देवेन्द्र प्रताप का बोलबाला था। वह बहुत ही बड़े और प्रतापी राजा थे।
इस गाँव को मिलाकर पूरे 125 गाँव उनके आधीन थे। ""
"जिस फुलवारी में हम लोग कल गए थे, एक जमाने में वह बहुत बड़ी और घनी हुई करती थी। उसकी रक्षा राजा का एक खास सेवक करता था, जिसका नाम 'जंग बहादुर सिंह था, जो कि बहुत ही बलशाली और पराक्रमी हुआ करता था। दूर-दूर तक उसकी ख्याति फैली हुई थी। उसने पूरी जिंदगी इस फुलवारी की रक्षा करने का प्रण लिया था। वह राजा के सभी कामों को अपना दायित्व मानकर करता था।"
“परंतु एक रात उनकी किसी ने धोखे से पीछे से आकर उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया। जंग बहादुर सिंह अचानक हुए उस हमले के लिए तैयार नहीं था। कहते हैं कि सिर तो वहीं धरती पर गिर गया लेकिन सिर धड़ से अलग होने के बावजूद, उसने उस व्यक्ति को मार गिराया था, जिसने जंग बहादुर पर पीछे से हमला किया था। लड़ते- लड़ते वह इसी फुलवारी के उसी कुएँ में गिर पड़ा था। कहते हैं, वह आज भी इस फुलवारी की रक्षा करना अपना दायित्व मानता है।"
“इसलिए रात के दूसरे प्रहर में वह इस गाँव के काफी लोगों को दिखा है। उसके बारे में यहाँ गाँव में लगभग हर किसी को पता है, बल्कि गाँव में तो साफ-साफ हिदायत दी हुई है कि रात के 8 बजे के बाद उस तरफ जाना सख्त मना है। यहाँ तक कि वहाँ के चौकीदार शिवमंगल लाल' भी वहाँ रात के 8 बजे के बाद नहीं रुकता। वहाँ कई अप्रिय घटनाएं हो चुकी हैं। कहते हैं कि वह फुलवारी आज भी शापित है।”
मैं बोला, “वह सब तो ठीक है, लेकिन वह औरत कौन थी, जो कल हमें रामलीला देखने जाने से रोक रही थी। इन सब घटनाओं के होने के
बाद तो ऐसा लग रहा है, जैसे वास्तव में उसे होने वाले घटनाओं का पूर्वानुमान था।
आदित्य बोला, “बिल्कुल सही कहा तुमने। वह औरत सच में हमारा भला करना चाहती थी। वह इस गाँव की कुलदेवी है, जो हमारे गाँव के लोगों की वर्षों से रक्षा करती आ रही है। बहुत से लोग उसे वनदेवी के नाम से भी बुलाते हैं।”
हर्षित बोला, "लेकिन तुम्हें तो कल तक कुछ भी पता नहीं था, आज अचानक कहाँ से सब याद आ गया?"
आदित्य बोला, “मैंने कल रात वाली घटना, मेरे यहाँ काम करने वाले माली रामू काका को बतायी, तब उन्होंने मुझे सारी बात विस्तार से समझायी। इतना ही नहीं, वह चौकीदार शिवमंगल माली काका का ही बेटा है। माली काका ने मेरी मुलाकात उस चौकीदार शिवमंगल से करवाई और उन्होंने ही यह बताया कि रात 8 बजे के बाद वहाँ अनहोनी घटनाएं होती रहती हैं। तरह-तरह की आवाजें आती रहती हैं इसलिए कोई भी 8 बजे के बाद न तो फुलवारी में जाता है, न ही कोई उसकी देखभाल के लिए रुकता है।"