Mr. Nobody
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Aap ki stories mai xossip k time se padh raha hu.. Thank you for wonderful stories... Stay safe and be happy... I hope you upload your another stories of ftk
Xforum ki rahasmayi kahaniyon mein se yeh meri pasandida kahani rahi ha .. mere paas jyada lafaz nhi kehne likhne ko ..Mein aapka shukriya krta hu esi shandaar kahani k liye ..Rahi baat safr ki toh hum chahenge aap apni kalam ka Jadoo isi tarah barkarar rakhein....aapko bhulne ka matlb nhi hota....hum dil se aapki dhamakedar entry ki wait krenge...मित्रों, साथियो, ये कहानी आज समाप्त हो गई है. जब इसे लिखना शुरू किया था तो सोचा नहीं था कि आप सब का इतना साथ मिलेगा, दिल मे बहु ज़ज्बात है कहने को समझ नहीं आ रहा कि क्या कहूँ जब xossip पर लिखना शुरू किया फिर यहां इस फोरम पर आप लोग हमेशा साथ रहे
इतने साल कैसे बीत गए मालूम ही नहीं हुआ पर हर सृजन का एक अंत होता है मेरे लिए शायद वो आज है. बेशक मैं फोरम नहीं छोड़ूंगा एक पाठक के रूप मे कहानिया पढ़ता रहूँगा
उम्मीद है कि आप सब याद रखेंगे एक साथी और भी था![]()
मित्रों, साथियो, ये कहानी आज समाप्त हो गई है. जब इसे लिखना शुरू किया था तो सोचा नहीं था कि आप सब का इतना साथ मिलेगा, दिल मे बहु ज़ज्बात है कहने को समझ नहीं आ रहा कि क्या कहूँ जब xossip पर लिखना शुरू किया फिर यहां इस फोरम पर आप लोग हमेशा साथ रहे
इतने साल कैसे बीत गए मालूम ही नहीं हुआ पर हर सृजन का एक अंत होता है मेरे लिए शायद वो आज है. बेशक मैं फोरम नहीं छोड़ूंगा एक पाठक के रूप मे कहानिया पढ़ता रहूँगा
उम्मीद है कि आप सब याद रखेंगे एक साथी और भी था![]()
Fauji bhai kuch nhi mere pass apko kehne ke liye bs aitna hi kahuna ek dm jhakass mast update kash me pahunch pata aapki soch or lekhni ki taraf but bhagwaan aisa moka sbko nhi deta.. ...#75
“कैसा सौदा ” पूछा मैंने
अर्जुन- बलबीर को अमृत कुण्ड देखना था .
“अमृत कुण्ड ” इस बार हम तीनो ही एक साथ बोल पड़े.
बाबा ने गहरी नजरो से हमें देखा और फिर बोले- अमृत कुण्ड एक किवंदिती है सच है या झूठ कोई नहीं जानता, मैंने बलबीर से कहा की मुझे भला कैसे मालूम होगा इसके बारे में पर उसे लगता था की मेरे शब्द खोखले थे .
संध्या-शिवाले की रहस्यमई दुनिया
अर्जुन-मेरे पास मेले तक का समय था . पर मन में परेशानी बहुत थी जब्बर अक्सर मुझसे पूछता मैं बस टाल देता. समय को जैसे पंख लग गए थे जब जब मैं तुम्हारा चेहरा देखता मेरे अन्दर का भाई रो पड़ता. मुझे बस ये डर रहता की फूल सी हमारी बहन का दिल जब टूटेगा तो उसके आंसुओ में कही हम बह न जाये. फिर मैंने वो फैसला लिया जो शायद मेरे जीवन की सबसे बड़ी भूल थी मैंने बलबीर के प्रस्ताव को मान लिया.
मीता- पर कैसे, कहानिया भला कैसे सच हो सकती है .
अर्जुन- ठीक वैसे ही जैसे की तुम सच हो खैर,मैंने बलबीर से कहा की जैसे ही वो मंदा से सगाई करता है मैं उसकी इच्छा पूरी करूँगा पर उस धूर्त को मेरी जुबान पर भरोसा नहीं था .जब मैंने मेले में बलि की परम्परा को समाप्त किया तो बलबीर को मुझसे जलन और बढ़ गयी . मुझे ये बिलकुल नहीं मालूम था की उसके कुटिल मन में क्या है . उस रात उस क़यामत की रात , बहुत सी घटनाये एक साथ हुई. जिसने हम सब की जिंदगियो के रुख मोड़ दिए. मुझे बलबीर पर शंका थी , जब मैं उस रात जब्बर के घर गया तो मालूम हुआ की मंदा मेले से लौटी नहीं तो मैं रुद्रपुर की तरफ चल दिया मुझे एक काम और था वहां . जब मैं शिवाले से थोड़ी दूर पहुंचा तो देखा की अँधेरे में एक स्त्री की करुण कराहे गूँज रही थी . मेरा माथा ठनका और जब मैंने देखा तो मेरी आँखों में ऐसा क्रोध समाया की वो हुआ जो होकर ही रहता.
मैं- क्या हुआ था बाबा उस रात
बाबा ने एक नजर मंदा को देखा जिसकी आखो में पानी था और फिर बोले- बलबीर ने मंदा को अपने चेले-चापटो को परोस दिया था नशे में चूर उन लोगो ने वो किया जो किसी के साथ भी नहीं होना चाहिए था . ग्यारह लाशो के बाद मैंने मंदा को देखा जो नशे में बेसुध अपना सब कुछ गँवा बैठी थी मैं परेशां, किसी से कुछ कह नहीं सकता . किसको बताऊ ये दुःख . जब्बर को नहीं नहीं वो कुछ कर बैठेगा. मेरा कलेजा कमजोर हो गया .
“मंदा, मेरी बहन होश कर ” मैंने बेसुध मंदा को जगाने की कोशिश की .
“होश कर मंदा मैं हूँ अर्जुन ” मैंने उसे कहा
“अर्जुन भैया ,तुम हो ” मंदा बस इतना ही कह पाई और बेहोश हो गयी .
मेरे दिल पर एक ऐसा बोझ आ गया था जो उतारे न उतारे, कहाँ लेकर जाऊ कहाँ जाकर छिपाऊ अपनी बहन की रुसवाई. जब कुछ न सूझा तो मैं मंदा को हमारी बावड़ी में ले गया और इसे वहां पर छुपा दिया. दो- तीन दिन गुजर गए . गाँव में खबर उड़ने लगी की मंदा गायब है . जब्बर की परेशानी देखि नहीं गयी मुझसे पर मैं उसे बता भी नहीं सकता था . अन्दर ही अन्दर घुटने लगा मैं. तो हार कर मैंने तुम्हारी माँ को सारी बात बताई वो मंदा को देखने आई. तब मालूम हुआ की बलबीर ने मंदा को शापित करवा दिया था . वो जानता था की मंदा के लिए मैं अमृत कुण्ड को जरुर खोलूँगा. दम्भी बलबीर ये नहीं जानता था की सृष्टी के अपने नियम है . मंदा की हालत मुझसे देखि नहीं जा रही थी . हम दोनों पति पत्नी उसकी तीमारदारी कर रहे थे . पर तभी न जाने कैसे मंदा के बारे में बड़े चौधरी को मालूम हो गया . जब मैं तांत्रिक जिसने मंदा को शापित किया था उसकी तलाश में गया हुआ था तो पीछे से बड़े चौधरी बावड़ी वाली जमीन पर आ पहुंचे . और उस दिन मंदा , उस दिन तुम्हे मुझसे नफरत हो गयी क्योंकि नशे में बड़े चौधरी ने जो घर्नित कार्य तुमसे किया तुम्हे लगा की मैंने तुम्हारा बलात्कार किया. तुम्हारे अवचेतन मन में ये बात बैठ गयी की जिस अर्जुन को तुमने भाई से बढ़ कर माना उसने तुम्हारी आबरू लूट ली पर वो दरिंदा बड़े चौधरी थे. तुम्हारे अन्दर जो नफरत उस पल हुई उसने तुम्हे पोषित कर दिया. जब मैं तांत्रिक को लेकर पहुंचा तो मुझे सब मालूम हुआ तुम्हारी कसम मंदा मैंने अपने बाप को भी वही सजा दी जो मैंने बलबीर और उसके चेलो को दी थी .
शिवाले में गहरी शांति पसर गयी थी . बरसात का तेज शोर इस घिनोने सच के आगे कम पड़ गया था . तांत्रिक के कहने पर मैं तुम्हे शिवाले में ले गया पर उस दिन एक कहानी और लिखी जा रही थी . वहां पर कुछ लोग और थे जिनमे से दो मेरे अजीज दोस्त और एक ददा ठाकुर था . मेरे दोस्त वहां पर देवता का श्रृंगार चुराने आये थे . ददा ठाकुर वहां पर बलबीर की मौत का राज तलाश कर रहा था और मैं तुम्हे बचाने की कोशिश कर रहा था . न जाने कैसे गाँव वालो को ये खबर हो गयी की शिवाले में चोर है तो पूरा गाँव टूट पड़ा. अफरा तफरी में ददा ठाकुर सुनार से टकरा गया सुनार ने गहनों की एक पोटली ददा पर फेक दी . जबबर भागते हुए उस तरफ आ निकला जहाँ मैं मंदा के साथ था . अँधेरे में उसने मुझे और मंदा को देख लिया उसके मन में ये बात घर कर गयी की मंदा को मैंने ख़राब किया है . गाँव वालो ने जब्बर, सुनार , और ददा को चोर समझ लिया .मैं नहीं चाहता था की गाँव वालो को मंदा के बारे में मालूम हो तो मैं उन्हें शांत करवाने जा रहा था की मैंने देखा की रस्ते में गहने पड़े है मैंने उन्हें वापिस शिवाले में रखने के लिए उठा लिया तब तक गाँव वाले आ गए और चोरो की लिस्ट में एक नाम और जुड़ गया . उस रात जो भी हुआ मुझे परवाह नहीं थी मुझे मंदा की फ़िक्र थी पर तांत्रिक नाकाम हो गया . उसने मुझे वो सच बताया जिसने मेरे लिए और बड़ी परेशानी कर दी. मंदा गर्भवती थी .शायद ये ही वो बात रही होगी जो बताने के लिए वो उस रात बलबीर के पास गयी थी . तब मेरी मदद संध्या ने की . अपने तंत्र की मदद से उसने ऐसी व्यवस्था की ताकि मंदा के पेट में पल रही निशानी तो सुरक्षित रहे कम से कम
पर समस्या एक और थी मंदा के गर्भ में दो भ्रूण थे .
Bahut hi zabardast update hai#60
“आँखे खोल मनीष, मैं तुझे कुछ नहीं होने दूंगी . जब तक मैं हूँ ये साथ नहीं छुटेगा ” मीता ने मुझे थपथपाते हुए कहा.
मैंने उसके हाथ को थाम लिया. तलवार आर पार थी , खून लबालब बह रहा था . हलकी सी आंखे खोल कर मैंने मीता को इशारा दिया की थोड़ी जान बाकी है . आहिस्ता आहिस्ता मीता ने वो तलवार मेरे सीने से खींची और अपनी चुनरिया को इस तरह से बाँध दिया की वो खून को रोक सके.
आंसुओ से भरा चेहरे लिए मुझे अपनी गोद में लिए बैठी मीता सुबक रही थी . सहला रही थी मेरे तन को . सब कुछ शांत था सिवाय उसकी सुबकियो और मेरी सांसो के .
“क्या कहते है तेरे सितारे , पूछ कर बता जरा ” मैंने खांसते हुए कहा
मीता- सितारे जो भी कहे , आज मैं उनकी एक नहीं सुनने वाली.
मैं- सहारा दे जरा मुझे .
मीता ने मुझे अपने कंधे का सहारा देकर खड़ा किया. शिवाला अब भी रोशन था. जिसका मतलब था की अभी ये रात अभी और रोशन थी , कहानी अभी और बाकी थी .
“थोडा पानी पिला दे ” मैंने कहा
मीता तुरंत ही एक घड़ा उठा लाइ . ठन्डे पानी ने बदन को जैसे आराम दिया.
मीता- हमें डाक्टर के पास जाना चाहिए.
मैं- ये डॉक्टर के बस का रोग नहीं है मीता
मीता- तो क्या ऐसे ही तडपता रहेगा तू
इस से पहले की मैं मीता को जवाब दे पाता , शिवाले के सरे दिए एक झटके में बुझ गए . काले मनहूस अँधेरे ने सब कुछ अपने कब्ज़े में ले लिया. आसमान कडकने लगा. एकाएक ही घटा चढ़ आई मौसम में .
“मनीष उधर देख जरा ” मीता ने उस तरफ इशारा किया जहाँ देवता का कमरा था . बस वही पर ही उजाला था , मीता का सहारा लिए मैं वहां पर पहुंचा . अन्दर का सारा नजारा बदल गया था , इतना बदला की मीता और मैं दोनों ही हैरत में रह गए. अन्दर की दीवारे चांदी के तेज से जगमगा रही थी . देवता की मिटटी की मूर्ति काले सफ्तिक में बदल गयी थी जिस पर चन्दन का त्रिपुंड बना था . ये को शक्ति थी जो हमें वहां पर अपने होने का अहसास करवा रही थी .
मैंने अपने हाथो से सफ्टीक को छुआ, और माथे से लगाया , मीता ने भी वैसा ही किया जैसे ही हम दोनों का खून उस मूर्ति को अर्पण हुआ वहां पर आग लग गयी . शायद देवता क्रोधित हो गया था . दीवारों की चांदी पिघल कर बहने लगी. मेरे घाव में तपिश बढ़ने लगी थी . मीता की खाल जलने लगी . और फिर सब शांत हो गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो. पर ये सब हुआ था इसका सबूत थी दिवार पर पिघली चांदी से बनी वो आकृति .
वो आकृति जिसका वहां होना हमारे लिए कोई पहेली थी या फिर कोई सन्देश था .
“कौन होगी ये ” मीता ने पूछा
मैं- अभी तो नहीं मालूम पर पता कर लेंगे हम
मैंने अपने हाथ से उस आक्रति को छुआ ही था की एक बार फिर से हमारे कदम लडखडा गए. ऐसे लगा की भूकंप ने दस्तक दी हो .
मैं- इस से मेरा कोई तो रिश्ता है मीता , ये पहचान रही है मुझे
मैंने फिर से अपनी हथेली आक्रति पर रखी. आकृति से पानी रिसने लगा.
“पानी ” मैंने कहा
मीता- नहीं पानी नहीं आंसू .
मीता ने इशारा किया , मैंने देखा उस छाया की आँखों से आंसू बह रहे थे . पर बस दो पल के लिए फिर वो आकृति राख बन कर मिट गयी . मैंने उस राख को मुट्ठी में भर लिया. जैसे ही राख में मेरे बदन को महूसस किया मुझे अलग ही ताजगी, स्फूर्ति लगने लगी. थोड़ी देर पहले मैं दर्द में था पर अब ठीक लग रहा था . बस मेरा जख्म भरा नहीं था . जितनी भी वो राख थी मैंने अपने बदन पर लगा ली. शक्ति का संचार तो हुआ पर जख्म ताज्जा ही रहा ये अजीब बात थी .
मैं और मीता वापिस आये तब तक रीना का वहां कोई नामो निशान नहीं था . ख़ामोशी से चलते हुए मैं और मीता कुवे पर पहुंचे . मीता कमरे में गई और पट्टियों वाली थैली ले आई ,
मीता- पट्टी से काम नहीं चलेगा. डॉक्टर से तो दिखाना ही पड़ेगा
मैं- ठीक है बाबा . अब ये हुलिया बदल ले कोई देखेगा तो भूतनी समझ के खौफ से मर जाएगा.
जब मीता अपना हुलिया ठीक कर रही थी तो मैंने देखा उसको भी बहुत चोट लगी थी . कुछ देर बाद वो और मैं बिस्तर पर लेटे थे.
मैं- तो किस बात पर आपस में तकरार कर बैठी तुम लोग
मीता- तेरी जानेमन मौत का आह्वान कर रही थी मैं उसे रोक रही थी .
मैं- और वो तुझसे उलझ पड़ी
मीता- मुझसे चाहे लाख बार उलझ पड़े कोई दिक्कत नहीं है . दिक्कत बस ये है की वो जो कर रही है उसका मकसद क्या है , नाहरविरो से लड़ना चाहती है पर किसलिए ,
मैं- शायद नाहर वीर को साधना चाहती है रीना
मीता- मनीष, मैं घुमा फिरा कर नहीं कहूँगी पर मुझे लगता है की उस जमीन में कुछ है , नाहर वीर को बेहतरीन सुरक्षा करने वाले माना जाता है तो इतना तो तय है की किसी बेहद कीमती चीज की रक्षा कर रहे है वो .
मीता की बात से मुझे वो द्रश्य याद आया जब संध्या चाची ने अपना मांस जमीन पर फेंक कर कुछ किया था तो जमीन से सोना चांदी निकले थे .
मैं- उस जमीन में खजाना है
मीता- मुझे संदेह था , पर रीना क्या करेगी सोने-चांदी का
मैं- यही तो मेरे भी समझ में नहीं आ रहा , बात इतनी सरल नहीं है . संध्या चाची को भी सोने से जयादा किसी और चीज में दिलचस्पी थी . उसने कहा था मुझे नहीं चाहिए ये सब .
मीता- और हम इस काबिल नहीं है की संध्या का मुह खुलवा सके. इन सबका अतीत हमारे आज पर भारी पड़ रहा है , संध्या के अतीत को तलाश कर ही हम कुछ सुराग तलाश कर पाएंगे.
मैं- हम जरुर कामयाब होंगे.
मैंने मीता के कंधे पर सर रखा और सोने की कोशिश करने लगा. शिवाले की उस राख ने मुझे काफी राहत दे दी थी पर फिर भी अगले दिन मैं डॉक्टर के पास चला गया . उसने जैसे तैसे करके टाँके लगाये और कुछ दवाइयां भी दी. मैं वहां से ताई के पास चला गया जो घर पर ही थी .
ताई- आजकल कहाँ गायब है तू
मैं- बस ऐसे ही कुछ कामो में उलझा था .
ताई- सब ठीक है न
मैं- हाँ सब बढ़िया है .
ताई- सुन खाना खा लेना अभी बना कर ही रखा है , तेरा ताऊ आज आने वाला है तो घर पर ही रहना मैं रीना के घर पर जा रही हूँ , कुछ मेहमान आने वाले है आज कोई काम हो तो बुला लेना मुझे
मैं- कौन मेहमान आने वाले है ताई
ताई- तुझे नहीं मालूम क्या , रीना के लिए रिश्ता आया है .....
#73
जिस बाज़ी को मैंने अपने हिस्से में पलटते हुए देखा था रीना पर हुए इस हमले ने पल भर में ही हम सबको अहसास करवा दिया की ये बिसात इतनी जल्दी ख़तम नहीं होने वाली. वो काला साया जिसने उस दिन जब्बर की पत्नी को मारा था , जिसने मेरी छाती पर हाथ रख कर मेरी नसों से लहू निचोड़ने की कोशिश की थी अचानक से उसने शिवाले में आकर रीना को दूर पटक दिया था .
आसमान में घुमड़ती काली घटाओ ने रोना शुरू कर दिया था ,आकाश जैसे फटने लगा था . बारिश शुरू हो गयी थी . वो काला साया लहराते हुए मेरी तरफ बढ़ा. मेरे दिमाग ने जैसे काम करना बंद कर दिया था . मैंने उन गहरी काली आँखों के अँधेरे को अपने दिल में उतरते हुए महसूस किया. इस से पहले की वो कुछ अनिष्ट कर देती चाची अचानक से हमारे बीच आ गयी .
“दूर हट मेरे बेटे से ” चाची ने उस साए को जैसे धक्का सा दिया . वो साया फुफकार उठा.
“बीच में मत आ संध्या ” साए ने पहली बार कुछ कहा और हम समझ गए की ये कोई औरत ही थी .
चाची- तो फिर चली जा वापिस
साया- जाने के लिए नहीं लौटी मैं . इस लड़के का लहू चख लिया मैंने अद्भुद है , इसका स्वाद , इसका स्वाद जाना पहचाना है .भा गया है ये इसे लेकर जाउंगी मैं
“मनीष की आन बन कर मैं खड़ी हूँ , देखती हूँ तुझे भी और तेरे जोर को भी ” रीना ने मेरे पास आकार कहा.
रीना ने अपनी आँखों से मुझे आश्वस्त किया .
साया- तू दो कौड़ी की छोकरी तू , तेरी ये हिमाकत की तू मेरे सामने खड़ी हो . पहले मैं तेरे रक्त से ही अपनी तृष्णा शांत करुँगी
बरसती घटाओ के बीच उस टूटे शिवाले में ये जो भी हो रहा था शुक्र है की उसे देखने के लिए कोई कमजोर दिल का प्राणी वहां नहीं था . उस साए ने अपनी जगह खड़े खड़े ही रीना की बाहं मरोड़ी . पर रीना ने भी प्रतिकार किया और उस साए को सामने पत्थरों के फर्श पर पटक दिया. साया जोर से चिंघाड़ करने लगा. उसकी आवाज जैसे धडकनों को खोखला कर रही थी .
पर वो साया बलशाली था , रीना के पीछे सरकते कदम ये बता रहे थे की वो उस से पार नहीं पा पायेगी की तभी मीता ने रीना के हाथ को थाम लिया और आँखों से इशारा किया . दोनों में न जाने क्या बात हुई उन्होंने क्या समझा पर दोनों के होंठ कुछ बुदबुदाने लगे और फिर एक तेज रौशनी का धमाका हुआ और वो साया शिवाले की दिवार से जा टकराया . उसकी चीख फिर से गूंजी.
पर फुर्ती से सँभालते हुए उसने मलबे में पड़ी कड़ी के टुकड़े को उठा कर मीता पर दे मारा . नुकीला टुकड़ा मीता की जांघ को चीर गया वो एक तरफ गिर पड़ी. चाची मीता को सँभालने के उसकी तरफ दौड़ी और उसी पल वो साया रीना के पास पहुंचा गया . उसने रीना के गले को ऐसे पकड़ा की जैसे उसका गला घोंट रही हो . पर फिर मैंने देखा की उसने रीना के गले से वो हीरे वाला धागा निकाल लिया.
“हा हा हा , तभी मैं सोचु की ताकत क्यों मुझे जानी पहचानी लग रही है , मुर्ख लड़की तो ये था तेरी शक्ति का राज ” उस साए ने हँसते हुए वो लाकेट अपने गले में पहन लिया . कुछ देर के लिए सब कुछ थम सा गया . ऐसी ख़ामोशी छा गयी की जरा सी आवाज भी दिल का दौरा ला दे. और फिर वो चीख पड़ी ..
“अर्जुन, अर्जुन,,,,,,,,,,, ” इतनी जोर डर चीख थी वो की मैंने अपने कान से खून बहते हुए महसूस किया. वो जैसे पागल ही हो गई थी . कभी इधर भागे कभी उधर भागे उसकी आँखे और अँधेरी होने लगी . इतनी अँधेरी की जैसे वो सब कुछ निगल जायेगी. उसने रीना के गले को पकड लिया और उसे मारने लगी. रीना की चीखो ने मुझे पागल ही कर दिया था . मैं गुस्से से उसकी तरफ बढ़ा पर बीच में मीता आ गयी उसने एक सुनहरी डोर निकाली और उस साये को बाँधने की कोशिश करने लगी. वैसा ही चाची ने किया.
साए ने फुफकारते हुए कहा- खेल खेलना चाहती हो तुम . चलो ये खेल ही सही .
वो अकेली थी तीन त्रिदेवियो के सामने , तभी मेरी नजर पृथ्वी पर पड़ी जिसे होश आ गया था और वो दद्दा ठाकुर की बन्दूक उठा कर रीना पर निशाना लगा ही रहा था की मैंने एक बड़ा सा पत्थर उठा कर उसके हाथो पर दे मारा. बन्दूक उसके हाथो से गिर गयी और मैंने उसे धर लिया. पृथ्वी से गुथ्तम गुत्था होते हुए मैंने देखा की . शिवाले में वैसा ही धुआ उठा जैसा की तब था जब रीना ने अश्वमानव मारे थे .
पृथ्वी- आज या तो तू नहीं या मैं नहीं .
मैं- मुर्ख, तुझे अंदाजा भी नहीं है की यहाँ पर क्या हो रहा है
पृथ्वी- तेरी वजह से मेरे दादा मारे गए . तुझे नहीं छोडूंगा.
पृथ्वी ने मुझे लात मारी .मेरा ध्यान पृथ्वी से ज्यादा रीना , मीता की तरफ था इसी का फायदा उठाते हुए पृथ्वी ने मुझे दिवार से लगा दिया जिस पर गडी कील मेरे सीने में धंस गयी . मैं दर्द से दोहरा हो गया . वो लगातार मुझे दिवार की तरफ धकेल रहा था ताकि कील और अन्दर घुस जाए. प्रतिकार करते हुए मैंने अपना पैर पीछे किया और उसके पंजे पर मारा जैसे ही वो लडखडाया मैंने उसे धर लिया.
“बहुत फडफडा लिया तू हरामजादे, तेरे पापो को मैंने बहुत कोशिश की माफ़ करने की ये जानते हुए भी की तूने मेरी जान पर हाथ डाला मैं तुझे मारना नहीं चाहता था पर तेरी तक़दीर में ये ही लिखा था ” कहते हुए मैंने पृथ्वी की गर्दन मरोड़ दी. वो चीख भी नहीं पाया. टूटी सहतीर सा लहरा कर गिरा वो .
तभी रौशनी का एक धमाका हुआ और तीन साए शिवाले में इधर उधर जाकर गिरे, रीना मीता और चाची खून से लथपथ धरती पर पड़े अपनी सांसो की डोर को थामने की कोशिश कर रही थी . वो साया मेरी तरफ बढ़ा और मुझे घसीट लिया.
उसने अपने चेहरे को मेरे सीने की तरफ झुकाया और मैंने पहली बार उस को देखा. वो खूबसूरत चेहरा . इस से पहले की वो अपने होंठ मेरे बदन पर लगा कर मेरा खून पी पाती. .उस आवाज ने जैसे मेरे बदन में शक्ति का संचार कर दिया .
“बस मंदा बस बहुत हुआ ”
उस साए ने पलट कर देखा उसके सामने अर्जुन सिंह खड़ा था .............