SANJU ( V. R. )
Divine
शिवाले में होने वाली घटनाएं और रीना की चमत्कारिक शक्तियों को देखकर हमें लग ही रहा था कि कहीं न कहीं इस कहानी के साथ सुपरनेचुरल शब्द भी जुड़ा हुआ है।
एक्चुअली यह कहानी थी मंदा की। उसके साथ हुए छल और फरेब की। उसके साथ जबरदस्ती से की गई रेप की। उसकी बदले की और उसके गलतफहमियों की।
कहानी के प्रमुख विलेन रहे दद्दा ठाकुर , उनके कुपुत्र बलबीर और नायक मनीष के पुजनीय दादा जी। इसके अलावा भी कुछ खलनायक की भुमिका में थे लेकिन वे सहयोगी के रोल में नजर आए।
मंदा के साथ गलत ही नहीं बल्कि बहुत बहुत ज्यादा गलत हुआ था। उसके साथ कई लोगों ने रेप किया। प्रेम में धोखा खाई। और दो कन्याओं का भ्रूण अपने गर्भ में लिए हुए परलोक को सिधार गई।
यहां पर हम अर्जुन सिंह की भुमिका पर गर्व महसूस कर सकते हैं। अपनी मुंहबोली बहन की जान बचाने के लिए उतना किया जितना तो आज के जमाने में कोई सगा भी नहीं करता है।
मंदा की जान तो न बचा सके लेकिन उसके दोनों बेटियों को तंत्र मंत्र की मदद से जरूर बचा लिया।
लेकिन सवाल अभी भी वहीं पर खड़ा है कि वो सोलह सालों तक अपने परिवार और घर से दूर क्यों रहे?
संध्या चाची ने मीता को अपने कोख से जनम दिया पर रीना को किसने पैदा किया, पता नहीं चला।
खैर अंत भला तो सब भला। मनीष को दोनों मनपसंद कन्याएं हासिल होने के साथ साथ उसकी चाहत भी मुक्कमल हो गई।
मंदा के सारे गुनाहगार नरक में अपने अपने कर्मों का लेखा जोखा लेकर पहुंच गए तो मंदा की रूह मोक्ष प्राप्त कर गई।
कहानी के लास्ट पैराग्राफ में अर्जुन सिंह को एक औरत के साथ दिखाया गया था लेकिन वो औरत थी कौन, इस पर पर्दा डाल दिया आपने।
मुझे लगता है वो संध्या ही होगी। अर्जुन सिंह की पत्नी बहुत पहले ही मर चुकी थी और जिस तरह का बोंडिग एवं अंडरस्टैंडिंग इन दोनों में दिखाई दिया, उससे मुझे शक संध्या चाची पर ही जाता है। शायद संध्या की रांझा वो ही हों। चाचा श्री के कारनामों से तो लगता नहीं कि संध्या उन्हें घांस भी डालती होगी।
बहुत बेहतरीन कहानी थी फौजी भाई। लेकिन थोड़ी जल्दबाजी कर दी कहानी को समाप्त करने में। बहुत कुछ लिखा जा सकता था अभी भी... शायद सौ अपडेट्स तो पक्का ही।
अगर मन स्थिर न हो तो कुछ दिनों तक पुर्ण रूप से रेस्ट करना ही बेहतर विकल्प होता है लेकिन कुछ दिनों तक ही। ज्यादा दिनों तक नहीं। क्योंकि जीवन चलने का ही नाम है....रूक जाने का नहीं।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट अपडेट फौजी भाई।
एक्चुअली यह कहानी थी मंदा की। उसके साथ हुए छल और फरेब की। उसके साथ जबरदस्ती से की गई रेप की। उसकी बदले की और उसके गलतफहमियों की।
कहानी के प्रमुख विलेन रहे दद्दा ठाकुर , उनके कुपुत्र बलबीर और नायक मनीष के पुजनीय दादा जी। इसके अलावा भी कुछ खलनायक की भुमिका में थे लेकिन वे सहयोगी के रोल में नजर आए।
मंदा के साथ गलत ही नहीं बल्कि बहुत बहुत ज्यादा गलत हुआ था। उसके साथ कई लोगों ने रेप किया। प्रेम में धोखा खाई। और दो कन्याओं का भ्रूण अपने गर्भ में लिए हुए परलोक को सिधार गई।
यहां पर हम अर्जुन सिंह की भुमिका पर गर्व महसूस कर सकते हैं। अपनी मुंहबोली बहन की जान बचाने के लिए उतना किया जितना तो आज के जमाने में कोई सगा भी नहीं करता है।
मंदा की जान तो न बचा सके लेकिन उसके दोनों बेटियों को तंत्र मंत्र की मदद से जरूर बचा लिया।
लेकिन सवाल अभी भी वहीं पर खड़ा है कि वो सोलह सालों तक अपने परिवार और घर से दूर क्यों रहे?
संध्या चाची ने मीता को अपने कोख से जनम दिया पर रीना को किसने पैदा किया, पता नहीं चला।
खैर अंत भला तो सब भला। मनीष को दोनों मनपसंद कन्याएं हासिल होने के साथ साथ उसकी चाहत भी मुक्कमल हो गई।
मंदा के सारे गुनाहगार नरक में अपने अपने कर्मों का लेखा जोखा लेकर पहुंच गए तो मंदा की रूह मोक्ष प्राप्त कर गई।
कहानी के लास्ट पैराग्राफ में अर्जुन सिंह को एक औरत के साथ दिखाया गया था लेकिन वो औरत थी कौन, इस पर पर्दा डाल दिया आपने।
मुझे लगता है वो संध्या ही होगी। अर्जुन सिंह की पत्नी बहुत पहले ही मर चुकी थी और जिस तरह का बोंडिग एवं अंडरस्टैंडिंग इन दोनों में दिखाई दिया, उससे मुझे शक संध्या चाची पर ही जाता है। शायद संध्या की रांझा वो ही हों। चाचा श्री के कारनामों से तो लगता नहीं कि संध्या उन्हें घांस भी डालती होगी।
बहुत बेहतरीन कहानी थी फौजी भाई। लेकिन थोड़ी जल्दबाजी कर दी कहानी को समाप्त करने में। बहुत कुछ लिखा जा सकता था अभी भी... शायद सौ अपडेट्स तो पक्का ही।
अगर मन स्थिर न हो तो कुछ दिनों तक पुर्ण रूप से रेस्ट करना ही बेहतर विकल्प होता है लेकिन कुछ दिनों तक ही। ज्यादा दिनों तक नहीं। क्योंकि जीवन चलने का ही नाम है....रूक जाने का नहीं।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट अपडेट फौजी भाई।