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Adultery गुजारिश

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#44

बाबा ने इतना कहा और आंखे मूंद ली. हमेशा की तरह उनका ये इशारा था. मैं वहां से उठा और बाहर की तरफ आया ही था कि मेरे सामने एक गाड़ी आकर रुकी. गाड़ी मे शकुंतला थी. उसने शीशा नीचे किया

मैं - देख कर चलाया करो, अभी चढ़ा देती मुझ पर

"मुझे मालूम था तुम यही पर मिलोगे, " उसने कहा

मैं - मुझसे क्या काम आन प़डा

शकुंतला- गाड़ी मे बैठो, बताती हूं

मैं गाड़ी मे बैठ गया शकुंतला ने गाड़ी आगे बढ़ा दी. कुछ ही देर मे हम गांव से बाहर उस जगह पर थे जहां वो विक्रम से मिलती थी

"बताओ क्या हुआ " मैंने पूछा

शकुंतला - मैंने बहुत सोचा, मुझे तुम्हारा प्रस्ताव मंजूर है, मैं तुम्हारे साथ सोने को तैयार हूं.

शकुंतला की बात का मुझे यकीन सा नहीं हुआ,
उसका अहंकार अचानक से कैसे कम हो गया. ऐसे कैसे वो मुझ पर फिदा हो गई. दिमाग मे बहुत से विचार छा गए

मैं - ठीक है, बदले मे क्या चाहती हो

शकुंतला - यही बात मुझे बड़ी पसंद है तुम्हारी, सीधा मुद्दे पर आते हो. मैं तुम्हारे साथ सोने को तैयार हूं, जब जहां जब जब तुम बुलावोगे, मैं आ जाऊँगी. बदले मे तुम उस सर्प से कहकर मेरे पति का जहर उतरवाने को कहोगे

ये बड़ी अजीब बात थी और मेरी औकात से बाहर भी

"भला मैं कैसे कर सकता हूं ये, वो सर्प कभी मुझे मिलता ही नहीं और अगर मिला भी तो मैं कैसे समझा पाउंगा उसे. " मैंने शकुंतला से झूठ कहा

शकुंतला - मेरा पति तिल तिल मर रहा है छोटे चौधरी. मैं बड़ी आस लेकर आयी हूं. मुझे ना मत कहो.

मैं - तुम्हारी परेशानी समझता हूं सेठानी, और मेरे से ज्यादा तो तुम जानती हो सांप के बारे मे, यहां तक कि मुझे भी तुमने ही बताया था.

शकुंतला - मैं जानती हूं कि लालाजी और तुम्हारे सम्बंध कभी ठीक नहीं रहे पर मैं तुमसे उनकी जान की भीख मांगती हूं, उन्हें बचा लो

शकुंतला की आँखों मे आंसू भर आए. और मैं चाह कर भी उसे दिलासा नहीं पा रहा था. एक पत्नी जब पति को बचाने के लिए अपनी इज़्ज़त किसी दूसरे को सौंपने का निर्णय करती है तो ये बताता है कि वो उसे कितना चाहती है. दूसरी बात ये थी कि बेशक मैं उसकी लेना चाहता था पर पिछले कुछ दिनों से मेरी खुद की जिंदगी अजीब तरीके से झूल रही थी.

मैं गाड़ी से उतरा और पैदल ही खेत की तरफ चल प़डा. कल रात की घटना ऐसी थी कि मैं किसी को बताऊ तो कोई पागल ही समझे. मेरी सबसे बड़ी उत्सुकता थी कि रूपा उस सर्प को कैसे जानती थी और दोनों मे इतनी गहरी नफरत किसलिए थी.

सुल्तान बाबा उन दोनों को जानते थे. सोचते सोचते मेरे सर मे दर्द होने लगा. बेशक मुझे भूख लगी थी, फिर भी घर जाने की बजाय मैंने रज़ाई ओढ़ ली और सोने की कोशिश करने लगा.

पर ज्यादा देर सो नहीं पाया. कोई आ गया था. झोपड़ी मे. ये ताऊ की लड़की रितु थी.

"तुम यहाँ कैसे " मैंने पूछा

रितु - भाई आज मेरी शादी है मैं तुमको बुलाने आयी हूं.

मैं - तुम्हें आने की जरूरत नहीं थी, मैं बस आ ही रहा था

रितु - मुझे आना ही था भाई, क्योंकि तुम नहीं आते, और नहीं आने की वज़ह भी है तुम्हारे पास. पर आज का दिन मेरे लिए खास है, मैं अपने जीवन की नयी शुरुआत कर रही हूं और मैं चाहती हूं कि मेरा भाई मुझे अपने हाथों से विदा करे. घर वालो ने कभी वो हक नहीं दिया जिसके तुम हकदार थे. पर मैं हाथ जोड़कर विनती करती हूं कि मेरे लिए घर चलो. ये बहन अपने भाई से कुछ घंटे मांगती है.

रितु की आँखों से आंसू फूटने लगे., जो मेरे दिल को चीर गए. मैंने बस उसे अपने सीने से लगा लिया.

"बहने कभी विनती नहीं करती, बहनो का हक होता है " मैंने कहा.

मैं रितु के साथ घर आया. जल्दी से नहा धोकर. मैं शादी के कामों मे लग गया. दिल को इस बात की खुशी थी कि किसी ने तो अपना समझा. शाम होते होते अलग ही महफिल सज गई थी. मेरी नजर बार बार सरोज पर जा रही थी जो खुद किसी दुल्हन से कम नहीं लग रही थी. सुर्ख लाल साड़ी मे क्या गजब लग रही थी वो. हाथों मे दर्जन भर चूडिय़ां. कुछ ज्यादा ही कसा हुआ ब्लाउज जो उसके उभारो को ठीक से साँस लेने की इजाजत भी नहीं दे रहा था


मैं सरोज के पास से गुजरा और उसके नितंबों को सहलाता गया. उसने बड़ी प्यासी अदा से देखा मुझे. फिर वो मेरे पास आयी

सरोज - क्या इरादा है

मैं - तुम्हें पाने का

सरोज - मौके होते है तब तो भागते फिरते हो. आज जब चारो तरफ लोग है जब मस्ती सूझ रही है

मैं - पटाखा लग रही हो

सरोज - सुलगा दो फिर

मैं - करो कुछ फिर

सरोज - अभी तो मुश्किल है, फेरों के बाद देखती हूँ

मैं भी जानता था कि अभी थोड़ा मुश्किल है. सो दिल को तसल्ली दी और शादी एंजॉय करने लगा. रात बड़ी तेजी से भाग रही थी. बारात के खाने से लेकर, रितु के फेरे, ताऊ ने मुझे गठबंधन करने को कहा. ये एक ऐसी घड़ी थी ना चाहते हुए भी मेरा दिल भर आया तारो की छांव मे रितु को विदाई होने तक. मैं बुरी तरह से थक गया था.

मैंने सोचा कि थोड़ा आराम कर लू. दरअसल मेरी इच्छा तो थी कि सरोज को पेल दु. मैंने उसे कहा तो उसने कहा तुम चलो मैं थोड़ी देर मे आती हूं. मैं ताऊ के घर से निकल कर अपने घर की तरफ चल दिया.

हवा मे खामोशी थी, जनरेटर की आवाज दूर तक सुनाई दे रही थी. मैं गली के मोड़ तक पहुंचा ही था कि मेरे कदम जैसे धरती से चिपक गए. मेरे सामने... मेरे सामने....
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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मैं - पटाखा लग रही हो

सरोज - सुलगा दो फिर ........... :laugh: :laugh:
bahut badiya dialogue lijhte ho yaar

superb story yaar lekin update baht hi chota tha aisa kyon ?
Due to lack of resources, heavy rain and extreme weather conditions cut the electricity.
 

Hellohoney

Well-Known Member
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Nice bhai last me ek or saspens daldiya gajab
 
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