• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery गुजारिश

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,545
88,141
259
#51

ये ही खून हवेली में बिखरा हुआ था . और ये ही रूपा के घर में . रूपा मुझसे झूठ बोल रही थी , मुझसे झूठ . इस बात से मेरे दिल को बहुत ठेस पहुंची थी . मेरी जान , मेरी होने वाली पत्नी . मेरी सरकार मुझसे झूठ बोल रही थी . बेशक जिंदगी से कोई खास ख़ुशी मिली नहीं थी पर फिर भी रूपा एक ऐसी लहर बनकर आई थी जो मुझे सकून देती थी . पर उसका ये झूठ , ये बाते छिपाने की कला अब मुझसे सही नहीं जाती थी .

मैं घर से बाहर आया और उसकी दहलीज पर दिवार का सहारा लेकर बैठ गया . कुछ लम्हों के लिए मैंने अपनी आँखे मूँद ली .

“अरे, यहाँ क्यों बैठा है तुझे ठण्ड लग जानी है , पानी बस गर्म हुआ ही .ले तब तक चाय पी ले. ” रूपा मेरे पास चाय का कप लिए खड़ी थी .

“इच्छा नहीं है मेरी ” मैंने कहा

रूपा- ये तो पहली बार हुआ मेरे सरकार चाय के लिए मना कर रहे है , क्या बात है .

मैं- तू मुझसे कितना प्यार करती है , कितना चाहती है मुझे.

रूपा- ये कैसा सवाल है देव

मैं- बता मुझे कितना चाहती है तू

रूपा मेरे पास बैठी और बोली- तू बता तुझे कैसे लगेगा की मैं तुझे कितना चाहती हूँ . तू पैमाना ला जो तुझे तसल्ली दे की मैं तुझे कितना चाहती हूँ .

रूपा ने मेरा हाथ कसकर पकड लिया.

रूपा- मेरी मोहब्बत के बारे में मुझसे ना पूछ सनम, तेरे दिल से पूछ . वो बता देगा .

मैं- मैं परेशां हूँ रूपा

रूपा- समझती हूँ ,

मैं- क्या वो नागिन तेरे पास आई थी .

रूपा- मेरे पास क्यों आएगी, तुझे तो मालूम है उस दिन मजार में हमारा झगड़ा हुआ था .

मैं- जानता हु पर तू चिकित्सक भी है यदि वो यहाँ इलाज करवाने आई हो .

रूपा- ऐसा मुमकिन नहीं .

मैं- क्यों

रूपा- वो श्रेष्ट है , उसे मेरी जरुरत नहीं

मैं- तो फिर ये खून किसका है इन्सान का तो नहीं है . इस रक्त को मैंने पहले भी देखा है .

रूपा- अच्छा तो इसलिए परेशां है तू, तू भी न देव, ये तो नीलगाय का रक्त है , इसमें कुछ दुर्लभ गुण होते है . कुछ कामो में इसका रक्त उपयोग किया जाता है . ये जो मेरी पीठ पर जख्म है उसमे इस रक्त और कुछ जड़ी बूटियों को मिलाकर एक लेप बनाते है जो मुझे आराम देता है और जल्दी ही त्वचा पहले सी हो जाएगी.

रूपा ने मेरे गाल पर हल्का सा किस किया और बोली- मैं जानती हूँ तेरे लिए ये सब अजीब है , पर तुझे आदत हो जाएगी. ये दुनिया अपने आप में रंगीली है , इसमें सब कुछ है .फ़िलहाल तो बीच में है तो परेशां है . मैं- क्या तू भी तेरी माँ जैसी जादूगरनी है .

रूपा मेरी बात सुनकर जोर जोर से हंसने लगी .

“तू भी न , अगर मैं जादूगरनी होती तो क्या मेरा ये हाल होता ” उसने मुझसे पूछा.

मैं- ठीक है मैं चलता हूँ रात बहुत हुई.

रूपा- चाहे तो रुक जा मेरे संग

मैं- फिर कभी .

मैं उठा और वहां से चल दिया. कुछ कदम ही चला था की रूपा ने मुझे आवाज दी.

“देव रुक जरा. ”

मैं रुक गया . वो मेरे पास आई .

“तू चाहे मुझ पर लाख शक करना पर मेरी मोहब्बत पर कभी शक न करना. सारी दुनिया के ताने सुन सकती हु, पर तेरी टेढ़ी नजर नहीं सह पाऊँगी. ये नूर मुझ पर तूने चढ़ाया है इसे उतरने न देना . ” बस इतना कह कर वो वापिस हो गयी. मेरे जवाब का इंतज़ार नहीं किया उसने.



और मैं उसे जवाब भी देता तो क्या मैं खुद एक चुतियापे में जी रहा था . रूपा के यहाँ से तो चल पड़ा था पर मैं घर नहीं गया मैं मजार पर गया . मैं बस उस पेड़ से लिपट कर रोता रहा . ऐसा लगा जैसे मेरी माँ ने मुझे अपने आंचल तले छुपा लिया हो.

“कभी कभी ऐसे रो भी लेना चाहिए, मन हल्का हो जाता है ” बाबा ने मुझे आवाज देते हुए कहा.

मैं बाबा के पास गया.

मैं- बाबा, मेरे पिता ने जो मंदिर तोडा था मैं उसे दुबारा बनवाना चाहता हूँ .

बाबा ने मुझे बैठने का इशारा किआ.

बाबा- बेशक तुम बनवा दोगे . पर उसका मान कहाँ से लाओगे . वहां जो पाप हुआ था उसके बदले का पुन्य कहाँ से लाओगे . बड़ी मुश्किल से उस मासूम ने खुद को संभाला है तुम मंदिर तो बनवा दोगे पर वो जब जब उसे देखेगी उसका मन रोयेगा. विचार करो .

मैं- तो क्या करू मैं.

बाबा- उसे उसके हाल पर छोड़ दो . फिलहाल मेरी प्राथमिकता तुम्हारी सुरक्षा है . एक तो तुम कहना नहीं मानते हो . दिन रात बस भटकते रहते हो . ये राते ठीक नहीं है , एक बार तुम बड़ी मुश्किल से बचे हो हर बार किस्मत साथ नहीं देगी. कुछ दिनों के लिए तुम तुम्हारी माँ की हवेली में क्यों नहीं चले जाते, तुम्हारी हर जरुरत की व्यवस्था मैं कर दूंगा.



“पर ऐसा क्या हुआ बाबा, जो आप इतने चिंतित है ” मैंने कहा

बाबा- समय बदल रहा है मुसाफिर. ये राते अब खामोश नहीं है . चरवाहों के तिबारे पर हमला हुआ है , उसे तहस नहस कर दिया गया है .

मैं- किसने किया और क्यों .

बाबा- पड़ताल जारी है .

मैं- मेरा क्या लेना देना बाबा तिबारे से

बाबा- सब तुझसे ही है मेरे बच्चे, सब तुझसे ही है .

मैं- क्या बाबा

बाबा- मुझे लगता था की तू जादूगर बनेगा. पर अभी तक लक्षण दिखे नहीं . इसी बात ने मुझे हैरान किया हुआ है.

मैं- क्या ये जरुरी है बाबा

बाबा- नहीं जरुरी नहीं , पर बस मुझे लगा था . खैर, कल तू हवेली चलेगा मेरे साथ

मैं- एक शर्त पर

बाबा- क्या

मैं- आप दूसरी मंजिल को खोल देंगे.

बाबा ने एक गहरी सांस ली और बोले- वहां कुछ नहीं है

मैं- कुछ नहीं है तो फिर कैसा ताला,

बाबा - कल शाम हम वहां चलेंगे .

मैंने हाँ में सर हिला दिया.

मैं वापिस मुड लिया था . अपने आप में खोया हुआ मैं खेत में बनी झोपडी की तरफ जा रहा था की रौशनी ने मेरा ध्यान खींच लिया. झोपडी में हुई रौशनी दूर से ही मुझे दिख रही थी . यहाँ कौन हो सकता है , शायद करतार होगा. मैंने सोचा .और झोपडी की तरफ बढ़ लिया. मैंने हलके से परदे को खोला और जो देखा............... देखता ही रह गया.
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
43,337
112,951
304
#51

ये ही खून हवेली में बिखरा हुआ था . और ये ही रूपा के घर में . रूपा मुझसे झूठ बोल रही थी , मुझसे झूठ . इस बात से मेरे दिल को बहुत ठेस पहुंची थी . मेरी जान , मेरी होने वाली पत्नी . मेरी सरकार मुझसे झूठ बोल रही थी . बेशक जिंदगी से कोई खास ख़ुशी मिली नहीं थी पर फिर भी रूपा एक ऐसी लहर बनकर आई थी जो मुझे सकून देती थी . पर उसका ये झूठ , ये बाते छिपाने की कला अब मुझसे सही नहीं जाती थी .

मैं घर से बाहर आया और उसकी दहलीज पर दिवार का सहारा लेकर बैठ गया . कुछ लम्हों के लिए मैंने अपनी आँखे मूँद ली .

“अरे, यहाँ क्यों बैठा है तुझे ठण्ड लग जानी है , पानी बस गर्म हुआ ही .ले तब तक चाय पी ले. ” रूपा मेरे पास चाय का कप लिए खड़ी थी .

“इच्छा नहीं है मेरी ” मैंने कहा

रूपा- ये तो पहली बार हुआ मेरे सरकार चाय के लिए मना कर रहे है , क्या बात है .

मैं- तू मुझसे कितना प्यार करती है , कितना चाहती है मुझे.

रूपा- ये कैसा सवाल है देव

मैं- बता मुझे कितना चाहती है तू

रूपा मेरे पास बैठी और बोली- तू बता तुझे कैसे लगेगा की मैं तुझे कितना चाहती हूँ . तू पैमाना ला जो तुझे तसल्ली दे की मैं तुझे कितना चाहती हूँ .

रूपा ने मेरा हाथ कसकर पकड लिया.

रूपा- मेरी मोहब्बत के बारे में मुझसे ना पूछ सनम, तेरे दिल से पूछ . वो बता देगा .

मैं- मैं परेशां हूँ रूपा

रूपा- समझती हूँ ,

मैं- क्या वो नागिन तेरे पास आई थी .

रूपा- मेरे पास क्यों आएगी, तुझे तो मालूम है उस दिन मजार में हमारा झगड़ा हुआ था .

मैं- जानता हु पर तू चिकित्सक भी है यदि वो यहाँ इलाज करवाने आई हो .

रूपा- ऐसा मुमकिन नहीं .

मैं- क्यों

रूपा- वो श्रेष्ट है , उसे मेरी जरुरत नहीं

मैं- तो फिर ये खून किसका है इन्सान का तो नहीं है . इस रक्त को मैंने पहले भी देखा है .

रूपा- अच्छा तो इसलिए परेशां है तू, तू भी न देव, ये तो नीलगाय का रक्त है , इसमें कुछ दुर्लभ गुण होते है . कुछ कामो में इसका रक्त उपयोग किया जाता है . ये जो मेरी पीठ पर जख्म है उसमे इस रक्त और कुछ जड़ी बूटियों को मिलाकर एक लेप बनाते है जो मुझे आराम देता है और जल्दी ही त्वचा पहले सी हो जाएगी.

रूपा ने मेरे गाल पर हल्का सा किस किया और बोली- मैं जानती हूँ तेरे लिए ये सब अजीब है , पर तुझे आदत हो जाएगी. ये दुनिया अपने आप में रंगीली है , इसमें सब कुछ है .फ़िलहाल तो बीच में है तो परेशां है . मैं- क्या तू भी तेरी माँ जैसी जादूगरनी है .

रूपा मेरी बात सुनकर जोर जोर से हंसने लगी .

“तू भी न , अगर मैं जादूगरनी होती तो क्या मेरा ये हाल होता ” उसने मुझसे पूछा.

मैं- ठीक है मैं चलता हूँ रात बहुत हुई.

रूपा- चाहे तो रुक जा मेरे संग

मैं- फिर कभी .

मैं उठा और वहां से चल दिया. कुछ कदम ही चला था की रूपा ने मुझे आवाज दी.

“देव रुक जरा. ”

मैं रुक गया . वो मेरे पास आई .

“तू चाहे मुझ पर लाख शक करना पर मेरी मोहब्बत पर कभी शक न करना. सारी दुनिया के ताने सुन सकती हु, पर तेरी टेढ़ी नजर नहीं सह पाऊँगी. ये नूर मुझ पर तूने चढ़ाया है इसे उतरने न देना . ” बस इतना कह कर वो वापिस हो गयी. मेरे जवाब का इंतज़ार नहीं किया उसने.



और मैं उसे जवाब भी देता तो क्या मैं खुद एक चुतियापे में जी रहा था . रूपा के यहाँ से तो चल पड़ा था पर मैं घर नहीं गया मैं मजार पर गया . मैं बस उस पेड़ से लिपट कर रोता रहा . ऐसा लगा जैसे मेरी माँ ने मुझे अपने आंचल तले छुपा लिया हो.

“कभी कभी ऐसे रो भी लेना चाहिए, मन हल्का हो जाता है ” बाबा ने मुझे आवाज देते हुए कहा.

मैं बाबा के पास गया.

मैं- बाबा, मेरे पिता ने जो मंदिर तोडा था मैं उसे दुबारा बनवाना चाहता हूँ .

बाबा ने मुझे बैठने का इशारा किआ.

बाबा- बेशक तुम बनवा दोगे . पर उसका मान कहाँ से लाओगे . वहां जो पाप हुआ था उसके बदले का पुन्य कहाँ से लाओगे . बड़ी मुश्किल से उस मासूम ने खुद को संभाला है तुम मंदिर तो बनवा दोगे पर वो जब जब उसे देखेगी उसका मन रोयेगा. विचार करो .

मैं- तो क्या करू मैं.

बाबा- उसे उसके हाल पर छोड़ दो . फिलहाल मेरी प्राथमिकता तुम्हारी सुरक्षा है . एक तो तुम कहना नहीं मानते हो . दिन रात बस भटकते रहते हो . ये राते ठीक नहीं है , एक बार तुम बड़ी मुश्किल से बचे हो हर बार किस्मत साथ नहीं देगी. कुछ दिनों के लिए तुम तुम्हारी माँ की हवेली में क्यों नहीं चले जाते, तुम्हारी हर जरुरत की व्यवस्था मैं कर दूंगा.



“पर ऐसा क्या हुआ बाबा, जो आप इतने चिंतित है ” मैंने कहा

बाबा- समय बदल रहा है मुसाफिर. ये राते अब खामोश नहीं है . चरवाहों के तिबारे पर हमला हुआ है , उसे तहस नहस कर दिया गया है .

मैं- किसने किया और क्यों .

बाबा- पड़ताल जारी है .

मैं- मेरा क्या लेना देना बाबा तिबारे से

बाबा- सब तुझसे ही है मेरे बच्चे, सब तुझसे ही है .

मैं- क्या बाबा

बाबा- मुझे लगता था की तू जादूगर बनेगा. पर अभी तक लक्षण दिखे नहीं . इसी बात ने मुझे हैरान किया हुआ है.

मैं- क्या ये जरुरी है बाबा

बाबा- नहीं जरुरी नहीं , पर बस मुझे लगा था . खैर, कल तू हवेली चलेगा मेरे साथ

मैं- एक शर्त पर

बाबा- क्या

मैं- आप दूसरी मंजिल को खोल देंगे.

बाबा ने एक गहरी सांस ली और बोले- वहां कुछ नहीं है

मैं- कुछ नहीं है तो फिर कैसा ताला,

बाबा - कल शाम हम वहां चलेंगे .

मैंने हाँ में सर हिला दिया.


मैं वापिस मुड लिया था . अपने आप में खोया हुआ मैं खेत में बनी झोपडी की तरफ जा रहा था की रौशनी ने मेरा ध्यान खींच लिया. झोपडी में हुई रौशनी दूर से ही मुझे दिख रही थी . यहाँ कौन हो सकता है , शायद करतार होगा. मैंने सोचा .और झोपडी की तरफ बढ़ लिया. मैंने हलके से परदे को खोला और जो देखा............... देखता ही रह गया.
:reading:
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
43,337
112,951
304
#51

ये ही खून हवेली में बिखरा हुआ था . और ये ही रूपा के घर में . रूपा मुझसे झूठ बोल रही थी , मुझसे झूठ . इस बात से मेरे दिल को बहुत ठेस पहुंची थी . मेरी जान , मेरी होने वाली पत्नी . मेरी सरकार मुझसे झूठ बोल रही थी . बेशक जिंदगी से कोई खास ख़ुशी मिली नहीं थी पर फिर भी रूपा एक ऐसी लहर बनकर आई थी जो मुझे सकून देती थी . पर उसका ये झूठ , ये बाते छिपाने की कला अब मुझसे सही नहीं जाती थी .

मैं घर से बाहर आया और उसकी दहलीज पर दिवार का सहारा लेकर बैठ गया . कुछ लम्हों के लिए मैंने अपनी आँखे मूँद ली .

“अरे, यहाँ क्यों बैठा है तुझे ठण्ड लग जानी है , पानी बस गर्म हुआ ही .ले तब तक चाय पी ले. ” रूपा मेरे पास चाय का कप लिए खड़ी थी .

“इच्छा नहीं है मेरी ” मैंने कहा

रूपा- ये तो पहली बार हुआ मेरे सरकार चाय के लिए मना कर रहे है , क्या बात है .

मैं- तू मुझसे कितना प्यार करती है , कितना चाहती है मुझे.

रूपा- ये कैसा सवाल है देव

मैं- बता मुझे कितना चाहती है तू

रूपा मेरे पास बैठी और बोली- तू बता तुझे कैसे लगेगा की मैं तुझे कितना चाहती हूँ . तू पैमाना ला जो तुझे तसल्ली दे की मैं तुझे कितना चाहती हूँ .

रूपा ने मेरा हाथ कसकर पकड लिया.

रूपा- मेरी मोहब्बत के बारे में मुझसे ना पूछ सनम, तेरे दिल से पूछ . वो बता देगा .

मैं- मैं परेशां हूँ रूपा

रूपा- समझती हूँ ,

मैं- क्या वो नागिन तेरे पास आई थी .

रूपा- मेरे पास क्यों आएगी, तुझे तो मालूम है उस दिन मजार में हमारा झगड़ा हुआ था .

मैं- जानता हु पर तू चिकित्सक भी है यदि वो यहाँ इलाज करवाने आई हो .

रूपा- ऐसा मुमकिन नहीं .

मैं- क्यों

रूपा- वो श्रेष्ट है , उसे मेरी जरुरत नहीं

मैं- तो फिर ये खून किसका है इन्सान का तो नहीं है . इस रक्त को मैंने पहले भी देखा है .

रूपा- अच्छा तो इसलिए परेशां है तू, तू भी न देव, ये तो नीलगाय का रक्त है , इसमें कुछ दुर्लभ गुण होते है . कुछ कामो में इसका रक्त उपयोग किया जाता है . ये जो मेरी पीठ पर जख्म है उसमे इस रक्त और कुछ जड़ी बूटियों को मिलाकर एक लेप बनाते है जो मुझे आराम देता है और जल्दी ही त्वचा पहले सी हो जाएगी.

रूपा ने मेरे गाल पर हल्का सा किस किया और बोली- मैं जानती हूँ तेरे लिए ये सब अजीब है , पर तुझे आदत हो जाएगी. ये दुनिया अपने आप में रंगीली है , इसमें सब कुछ है .फ़िलहाल तो बीच में है तो परेशां है . मैं- क्या तू भी तेरी माँ जैसी जादूगरनी है .

रूपा मेरी बात सुनकर जोर जोर से हंसने लगी .

“तू भी न , अगर मैं जादूगरनी होती तो क्या मेरा ये हाल होता ” उसने मुझसे पूछा.

मैं- ठीक है मैं चलता हूँ रात बहुत हुई.

रूपा- चाहे तो रुक जा मेरे संग

मैं- फिर कभी .

मैं उठा और वहां से चल दिया. कुछ कदम ही चला था की रूपा ने मुझे आवाज दी.

“देव रुक जरा. ”

मैं रुक गया . वो मेरे पास आई .

“तू चाहे मुझ पर लाख शक करना पर मेरी मोहब्बत पर कभी शक न करना. सारी दुनिया के ताने सुन सकती हु, पर तेरी टेढ़ी नजर नहीं सह पाऊँगी. ये नूर मुझ पर तूने चढ़ाया है इसे उतरने न देना . ” बस इतना कह कर वो वापिस हो गयी. मेरे जवाब का इंतज़ार नहीं किया उसने.



और मैं उसे जवाब भी देता तो क्या मैं खुद एक चुतियापे में जी रहा था . रूपा के यहाँ से तो चल पड़ा था पर मैं घर नहीं गया मैं मजार पर गया . मैं बस उस पेड़ से लिपट कर रोता रहा . ऐसा लगा जैसे मेरी माँ ने मुझे अपने आंचल तले छुपा लिया हो.

“कभी कभी ऐसे रो भी लेना चाहिए, मन हल्का हो जाता है ” बाबा ने मुझे आवाज देते हुए कहा.

मैं बाबा के पास गया.

मैं- बाबा, मेरे पिता ने जो मंदिर तोडा था मैं उसे दुबारा बनवाना चाहता हूँ .

बाबा ने मुझे बैठने का इशारा किआ.

बाबा- बेशक तुम बनवा दोगे . पर उसका मान कहाँ से लाओगे . वहां जो पाप हुआ था उसके बदले का पुन्य कहाँ से लाओगे . बड़ी मुश्किल से उस मासूम ने खुद को संभाला है तुम मंदिर तो बनवा दोगे पर वो जब जब उसे देखेगी उसका मन रोयेगा. विचार करो .

मैं- तो क्या करू मैं.

बाबा- उसे उसके हाल पर छोड़ दो . फिलहाल मेरी प्राथमिकता तुम्हारी सुरक्षा है . एक तो तुम कहना नहीं मानते हो . दिन रात बस भटकते रहते हो . ये राते ठीक नहीं है , एक बार तुम बड़ी मुश्किल से बचे हो हर बार किस्मत साथ नहीं देगी. कुछ दिनों के लिए तुम तुम्हारी माँ की हवेली में क्यों नहीं चले जाते, तुम्हारी हर जरुरत की व्यवस्था मैं कर दूंगा.



“पर ऐसा क्या हुआ बाबा, जो आप इतने चिंतित है ” मैंने कहा

बाबा- समय बदल रहा है मुसाफिर. ये राते अब खामोश नहीं है . चरवाहों के तिबारे पर हमला हुआ है , उसे तहस नहस कर दिया गया है .

मैं- किसने किया और क्यों .

बाबा- पड़ताल जारी है .

मैं- मेरा क्या लेना देना बाबा तिबारे से

बाबा- सब तुझसे ही है मेरे बच्चे, सब तुझसे ही है .

मैं- क्या बाबा

बाबा- मुझे लगता था की तू जादूगर बनेगा. पर अभी तक लक्षण दिखे नहीं . इसी बात ने मुझे हैरान किया हुआ है.

मैं- क्या ये जरुरी है बाबा

बाबा- नहीं जरुरी नहीं , पर बस मुझे लगा था . खैर, कल तू हवेली चलेगा मेरे साथ

मैं- एक शर्त पर

बाबा- क्या

मैं- आप दूसरी मंजिल को खोल देंगे.

बाबा ने एक गहरी सांस ली और बोले- वहां कुछ नहीं है

मैं- कुछ नहीं है तो फिर कैसा ताला,

बाबा - कल शाम हम वहां चलेंगे .

मैंने हाँ में सर हिला दिया.


मैं वापिस मुड लिया था . अपने आप में खोया हुआ मैं खेत में बनी झोपडी की तरफ जा रहा था की रौशनी ने मेरा ध्यान खींच लिया. झोपडी में हुई रौशनी दूर से ही मुझे दिख रही थी . यहाँ कौन हो सकता है , शायद करतार होगा. मैंने सोचा .और झोपडी की तरफ बढ़ लिया. मैंने हलके से परदे को खोला और जो देखा............... देखता ही रह गया.
Awesome update .
Roopa ki baatein se lag raha hai ki wo jhut bol rahi hai . Ab dekhte hai baba ke sath haweli jane par kya hota hai aur dev jadugar banega uski maa bhi thi to phir uska dushman kon tha jisne use mara wahi hoga dev ke pichhe jiske dar se dev ko haweli jane ki salah de raha hai baba . Ab jhodi me kon aa gayi saroj , mona ya koi aur ?
 
15,608
32,143
259
nice update ...neel gaay ka khoon phir haweli me kya kar raha tha ??...aur baba ne aisa kyu kaha ki dev jaadugar banega ?..aur charwaha ke tibare par hamla karke kya milega kisiko ?..waha to koi rehta nahi hai shayad ..

agar naagin bacha rahi hai dev ko to baba usko haweli me kyu le jaa rahe hai ,kya koi jaadui taaqat dev ko maarna chahti hai ...
 
15,608
32,143
259
shayad dusri manjil par naagin yaa phir dev ki maa rehti ho ,isliye baba use mana kar raha tha ...
aur ye jhoodi me kya ho raha hai jisko dekhke dev shock ho gaya ...shayad ander chudai chal rahi hogi ??..

rupa bhi waise poora sach dev ko nahi batati hai aur naa hi baba ...par naagin to baat bhi nahi karti dev se ...
 

Niroj

Member
333
1,258
123
पूछते थे ना कितना प्यार है हमें तुम से,
लो अब गिन लो… ये बूँदें बारिश की…...!!!

Fantastic Update Sir.
 

Janu002

Well-Known Member
7,584
17,344
188
Nice update nd :congrats: for 200
 
Last edited:
Top