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Adultery गुजारिश

brego4

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lol super super exciting story, sab kirdaar apne rang girgit ke trah badal lete hain aur dev ban raha hai no 1 ka chutiya usey itna kuch pata lagne ke baad bhi shayad abhi kuch nahi pata

congrats for completing 300k vies dear writer
 
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Congratulations for 300k.View & 2000+ Comments Fauji bhai.

Mona ka kya hua bhai ?
Rupa Jadugarni ki beti hai....Dev ko kaise pata chala ?

Charwaha ka Tibara..... Ek baar phir se central point bante ja raha hai .
 

Studxyz

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देव के इर्द गिर्द कोई बहुत बड़ी साजिश रची गयी है और कहानी तो सस्पेंस व रोमांच से भरपूर है ही

करतार और उसका बाप भी कोई काण्ड ज़रूर करेंगे कहानी के सारे पात्र शक के दायरे में है

अब रात के समय गाँव की ज़मीन पर तो कोई चुदाई की शौकीन महिला ही आई होगी :D
 

Nevil singh

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#49

पर मेरे नसीब में वो सुख नहीं था जिसकी मुझे तलब थी , इस से पहले की एक बार और मैं और सरोज एक हो जाते दरवाजा जोरो से पीटा जाने लगा. हमने जल्दी से कपडे पहने और निचे आये तो देखा की शकुन्तला दरवाजे पर थी . मुझे देखते ही उसके अन्दर का गुबार फूट पड़ा.

“मैंने तुमसे कहा था की उसे समझा लो पर तुमने मेरी नहीं मानी ” वो जोर जोर से चिलाने लगी.

मैं- ये क्या तमाशा कर रही हो अपने घर जाओ .

“चली जाउंगी, मैं बस तुम्हे ये बताने आई हूँ की दुश्मनी की आग में तुम भी झुल्सोगे, आज मैं रो रही हूँ, कल तुम्हारी बारी है तुम्हारी आँखों के सामने मैं उसे मार दूंगी. आग जो मेरे कलेजे में लगी है उसमे तुम्हे न जला दूंगी तब तक चैन नहीं आएगा मुझे ” शकुन्तला ने कहा

सरोज- सेठानी, औकात से ज्यादा बोल रही हो , ये मत भूलो की देव अकेला नहीं है .

शकुन्तला- तू तो चुप रह सरोज, तुझे नहीं मालूम तेरे इस देव ने क्या किया है . मेरी मांग का सिंदूर इसकी वजह से मिटा है इसके उस सांप ने मारा है मेरे पति को . मैं कसम खाती हूँ उस सांप को इसकी आँखों के सामने मारूंगी

सरोज- मार दे , चाहे जो कर हमें क्या लेना देना बस मेरे बच्चे को इसमें मत घसीट वैसे भी तेरा पति दूध का धुला नहीं था , तू भी जानती है , मेरे बच्चे को अगर खरोंच भी आई तो मैं खाल उतार लुंगी तेरी .

शकुन्तला- अपने पर आई तो कैसे बिलबिला गयी तू, इस से कह की उस सान्प को मेरे सामने ले आये. मैं बात खत्म कर दूंगी.

मैं- सेठानी मैं तेरे दुःख को समझता हूँ पर तेरे इस पागलपन को नहीं, तू जा यहाँ से , कोई फायदा नहीं है दुनिया को तमाशा दिखाने का .

शकुन्तला- जा रही हूँ पर दिन गिनने शुरू कर दे. और तूने जो उसे बचाने की कोशिश की तो पहला वार तुझ पर ही होगा.

मैं- तेरी यही इच्छा है तो ठीक है तू कर अपनी कोशिश , पर इतना याद रखना दुश्मनी की आग में तुझे ही झुलसना है . रही बात उस सांप की तो तू कोशिश करके देख ले . तेरा अंजाम तेरे सामने होगा.

शकुन्तला- तू ये मत समझना मैं अकेली हूँ मेरे साथ और भी लोग है .

मैं- जिसके लंड पर उछालना है उछल ले . पर मेरी बात याद रखना मेरे इस घर के किसी भी सदस्य को जरा भी खरोंच आई तो मैं क्या करूँगा सोच भी नहीं सकती तू.

शकुन्तला- भुगतेगा तू जल्दी ही .

वो तो चली गयी थी पर हमारे घर में कलेश कर गयी थी .सरोज काकी चढ़ गयी थी मुझ पर .

सरोज- ये क्या कांड कर दिया है तुमने ऐसा क्या किया है जो मुझसे छुपाया है , तुम्हे सब बताना होगा मुझे.

“तेरे सर की कसम काकी, लाला की मौत से मेरा कोई लेना देना नहीं है ” मैंने कहा .

सरोज- तू घर पर ही रहेगा कहीं नहीं जाएगा आगे से तू इस रांड का कोई भरोसा नहीं

मैं- तू घबरा न काकी. मैं देख लूँगा सेठानी को .

सरोज कुछ कहना चाहती थी पर उसने खुद को रोक लिया. शाम को सीधा मजार पर पहुंचा. बाबा धूनी सुलगा रहा था मुझे देख कर वो खुश हो गया .

मैं- लाला की घरवाली को लगता है की मैंने नागिन को कहकर लाला को मरवाया है . मुझ पर आरोप लगाया उसने .

बाबा- पर लाला को नागिन ने नहीं मारा .

मैं- मैं जानता हु इस बात को पर दुनिया नहीं मानती .

बाबा- दुनिया की दुनिया जाने.

मैं- शकुन्तला ने कसम खायी है नागिन को मारने की.

बाबा- कसम खायी है तो कर लेगी पूरी , उसकी वो जाने

मैं- नागिन से मिलना है मुझे

बाबा- मिल जाएगी

मैं- कब

बाबा- जब उसका मन होगा .

मैं-समझते क्यों नहीं बाबा.

बाबा- तुम नहीं समझते मुसाफिर , तुम नहीं समझते. ये नयी दुनिया जिसमे तुम आये हो ये कुछ नहीं है महज एक छलावे के . इसके रहस्य इतने गूढ़ है की तुम कभी नहीं समझ पाओगे. नागिन ने लाला के काफिलो पर हमला किया था वो लाला को मार ही देना चाहती थी पर वो बच गया . लाला से अपना बदला लेना चाहती थी वो .

“कैसा बदला बाबा ” मैंने कहा .

बाबा- बरसो पहले शिवाले में एक जोड़ा रहता था . मंदिर की साफ सफाई करते, भजन करते पूजा करते. मंदिर में बड़ी बरकत थी और धन भी था . मंदिर में शिवजी को सोने का छत्र था . लाला और उसके दोस्तों ने मंदिर में चोरी की . और इल्जाम उन भले मानसों पर लगा दिया. उनकी किसी ने नहीं सुनी . ये जो अपना पीपल है न यही पर होता था वो मंदिर . इसी पीपल पर फांसी लगा दी गयी उन दोनों भक्तो को .

मैं- ये तो अनर्थ हुआ बाबा. किसी ने विरोध नहीं किया . क्या सब मर गए थे , पंचायत भी खामोश रही .

बाबा- कुछ ऐसा ही समझ लो. उस समय तुम्हारे पिता कही बाहर थे जब वो लौटे और इस काण्ड का उन्हें मालूम हुआ तो गाँव का माहौल बहुत बिगड़ गया . युद्धवीर ने लाला और उसके दोस्तों के खिलाफ तलवार उठा ली. तब तुम्हारे दादा बीच में आये. चूँकि लाला और उसके दोस्तों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था तो पंचायत भी कुछ न कर सकी. युधवीर बहुत मानता था भोले को . उसे इस बात का क्रोध था की खुद भोले के दरबार के ये अनर्थ हुआ तो और कहाँ न्याय मिलेगा. युद्ध की नजर जब उस जोड़े की बच्ची पर पड़ी. तो उसका मन बहुत व्याकुल हो गया . हमेशा सबका भला करने वाले, सबसे मिलकर चलने वाले युधवीर ने मंदिर तोड़ दिया. तुम्हारे दादा और युद्ध के बीच वैसे ही किसी बाट को लेकर अनबन थी उन दिनों बस उन्होंने युद्ध को घर से निकल जाने को कहा . और फरमान भी सुना दिया की परिवार का कोई भी सदस्य उस से रिश्ता न रखे.

बाबा की बाते सुनकर मेरे दिल में एक तीस उठ गयी .

मैं- तो वो बच्ची ही ये नागिन है

बाबा- हाँ ,

मैं- मैं उसे कुछ नहीं होने दूंगा. उसकी रक्षा करूँगा. बाबा मुझे मिलवा दो उस से

बाबा- हर पूर्णमासी की रात को वो पीपल के पास आती है .

बाबा ने कहा और चिलम सुलगाने लगे.


मैं अपनी माँ के पेड़ के पास आकार बैठ गया और सोचने लगा. मुझे ध्यान आया की चांदरात को ही तो मैंने उसे पहली बार देखा था . कुछ देर बाद मैं अपनी झोपडी की तरफ चल दिया. आधे रस्ते में पहुंचा ही था की मेरे सामने चार पांच गाड़िया आकर रुक गयी . गाड़ी में से जो सख्स सबसे पहले उतरा उसे देख कर मेरे मुह से निकला “तू यहाँ .”
Atisunder shabdo se likhi gai ek aur nayi update Musafir bhai ki.
 

Nevil singh

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#50

मेरी आँखों के सामने सतनाम का छोटा लड़का खड़ा था .

“मुझे तो आना ही था . तूने क्या सोचा था की तू मेरी बहन के मजे लेगा और मैं चुप रहूँगा. तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन की तरफ देखने की , ” उसने मुझे गुस्से से घूरते हुए कहा .

“मोना का नाम भी तू मत ले अपनी जुबान से, और किस रिश्ते की बाट करता है तू , कभी याद भी किया तूने उसको . उसके नाम की आड़ मत ले , वैसे भी मेरी हिम्मत का जिक्र करने लायक नहीं तू , शेर के शिकार के लिए कुत्तो के झुण्ड की जरुरत नहीं पड़ती . मैं वैसे ही मोना को लेकर बहुत परेशान हूँ , जा किसी और दिन मुह लगना ” मैंने उस से कहा और आगे बढ़ने लगा.



पर उसकी मंशा कुछ और थी . उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला- ऐसे कैसे चला जायेगा. मेरे बाप को हमारे घर आकर धमकी दी तूने.

मैं- तो अब तू क्या चाहता है मैं तेरी गांड तोड़ दू.

मेरी बात सुनकर सतनाम का लड़का हसने लगा.

“पहली बार ऐसा इन्सान देखा जिसे मौत का खौफ नहीं है ” उसने कहा

मैं- मेरी मौत तेरे हाथो नहीं लिखी , जा लौट जा मैं बात को आई गयी कर दूंगा.

“पर तू आज अभी मरेगा. ” उसने कहा और मेरे पेट में लात मारी. मैं थोडा पीछे को हुआ. और मैंने उसके कान पर थप्पड़ दिया. उसके साथ के और लोग भी जुट गए. मार पिट शुरू हो गयी . मेरे हाथ एक लकड़ी लग गयी जिससे मैंने उनको पेलना शुरू किया पर वो लोग काफी ज्यादा थे तो एक समय के बाद वो भारी पड़ने लगे.

“मैंने कहा था न , अब दिखा तेरा जोश बड़ा शेर बन रहा था , अच्छे अच्छे हमारे सामने घुटने टेक गए. तेरी तो औकात ही क्या . इसे गाड़ी के पीछे बांधो . घसीट कर ले चलेंगे इसे , दुनिया को मालूम होना चाहिए की मुद्कियो से पंगा लेने का क्या अंजाम होता है . इसे मरना तो है ही पर इसकी मौत शानदार होनी चाहिए . ”

वो लोग मुझे मार ही रहे थे की अचानक से वातावरण के गर्मी बढ़ गयी. एक तेज फुफकार ने मुझे जैसे ज़माने भर की राहत दी हो. मैंने अँधेरे में उन दो पीली आँखों को चमकते देखा. अगले ही पल दो लड़के हवा में उछले और गाड़ी के बोनट पर आ गिरे.

“कौन है ” छोटा मुडकी चिल्लाया पर उसकी चीख जैसे गले में दब गयी . जैसे को बड़ा पत्थर टकराया हो एक गाडी चकनाचूर हो गयी. मैंने मौके का फायदा उठाया और बाजी अपने हाथ में ले ली. पर मुझे कुछ करने की ज्यादा जरुरत नहीं पड़ी . जल्दी ही सब कुछ ऐसे शांत हो गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं.

रह गया मैं अकेला और ये ख़ामोशी जो किसी बम से कम नहीं थी. वे लोग जिन्दा थे या मर गए थे मुझे घंटा फ़िक्र नहीं थी . मुझे फ़िक्र थी उस नागिन की जिस से मैं मिलना चाहता था . पर तभी उस चूतिये मुडकी ने बन्दूक चला दी.

“नहीं मैं चीखा ” और नागिन की तरफ भागा . मुझे लगा की उसे गोली न लग जाए. मैंने बस एक झलक उसकी दूर जाते देखी. और मैं सुध बुध भूल कर उसकी तरफ भागा.

“रुको, रुक जाओ मुझे बात करनी है तुमसे ” मैं चीख रहा था पर भला मेरी कौन सुनता . वो बड़ी तेजी से रेंग रही थी , कभी कभी मुझे उसकी झलक दिखती तो कभी लगता की वो गायब हो गयी है . पर मैंने भी ठान ली थी की आज मुझे इस मौके को नहीं छोड़ना है . भागते भागते मैं उसी पीपल के पेड़ के पास आ गया . पर यहाँ कुछ नहीं था .

“मैं जानता हूँ तुम यही कही हो. तुम चाहे लाख कोशिश कर लो पर आज तुम्हे मुझसे मिलना होगा तुम ऐसे मुझे छोड़ कर नहीं जा सकती . मुझसे बात करनी ही होगी तुम्हे. . ”मैं चिल्ला रहा था पर कोई सुनने वाला नहीं था . पर आज मुझे कुछ भी करके नागिन से मिलना ही था . पीपल पर एक दिया जल रहा था मैंने उसे उठाया और उसकी रौशनी में नागिन के खोज तलाशने लगा. और मुझे कामयाबी भी मिली. पीपल के पास से एक संकरी पगडण्डी जाती थी . मैं उसी पर चल दिया. करीब आधा किलोमीटर जाने के बाद जैसे एक और हैरानी मेरा इंतजार कर रही थी .

मैं रूपा के घर की पिछली तरफ खड़ा था . घर यहाँ से महज कुछ कदम की दुरी पर था . अब मेरा दिमाग हद से ज्यादा बेकाबू हो गया था . मैं घर की तरफ बढ़ा. रौशनी थी मतलब रूपा जागी हुई थी . मैंने देखा दरवाजा खुला था मैं अन्दर पहुंचा और मैंने देखा रूपा की पीठ मेरी तरफ थी वो कुछ कर रही थी .

“रूपा ” मैंने उसे पुकारा .वो झटके से मेरी तरफ पलटी

“तुम, डरा ही दिया था मुझे , ये कोई वक्त है आने का ” उसने कहा .

मैंने उस पर नजर डाली. उसके कपडे से कुछ टपक रहा था मैंने देखा वो खून था , सुर्ख खून .

“ये खून कैसा रूपा. ” मैंने कहा

रूपा- अरे कुछ नहीं . मामूली सा जख्म है इसकी ही सिलाई कर रह थी की तुम आ गए. बैठो बस दो मिनट. फिर बाते करते है .

रूपा अपने जख्म को साफ़ करके उसे सिलने लगी.

“कैसे लगा ये जख्म ” मैंने पूछा

रूपा- कहा न कुछ नहीं . बस ऐसे ही

मैं- मैंने पूछा कैसे लगा ये जख्म तुझे .

रूपा ने गौर से देखा मुझे और बोली- क्या बात है , क्यों संजीदा हो रहा है इस छोटे से जख्म के पीछे. वो खेतो पर तार बंदी हुई है मुझे मालूम नहीं था तो बस उसी धोखे में लग गया. यकीं न हो तो तार दिखा आऊं

और तू अपनी बता ये क्या हालत बनाई हुई है . किसी से झगडा हुआ क्या तेरा.

मैंने उसे मुडकी के लड़के वाली बात बताई.

रूपा- दूर रहा कर इन सब पचड़ो से नहा ले . मैं पानी गर्म कर देती हूँ.


मैंने हाँ में सर हिलाया .पर वो खून मुझे पागल कर रहा था क्योंकि वो खून अजीब सा था , मैंने उसे हाथ में लिया और मैं जान गया की वो खून इतना अजीब क्यों था .
Khubsurat palo ko samete Musafir bhai ki ek aur parshanshniye update.
 

Nevil singh

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#51

ये ही खून हवेली में बिखरा हुआ था . और ये ही रूपा के घर में . रूपा मुझसे झूठ बोल रही थी , मुझसे झूठ . इस बात से मेरे दिल को बहुत ठेस पहुंची थी . मेरी जान , मेरी होने वाली पत्नी . मेरी सरकार मुझसे झूठ बोल रही थी . बेशक जिंदगी से कोई खास ख़ुशी मिली नहीं थी पर फिर भी रूपा एक ऐसी लहर बनकर आई थी जो मुझे सकून देती थी . पर उसका ये झूठ , ये बाते छिपाने की कला अब मुझसे सही नहीं जाती थी .

मैं घर से बाहर आया और उसकी दहलीज पर दिवार का सहारा लेकर बैठ गया . कुछ लम्हों के लिए मैंने अपनी आँखे मूँद ली .

“अरे, यहाँ क्यों बैठा है तुझे ठण्ड लग जानी है , पानी बस गर्म हुआ ही .ले तब तक चाय पी ले. ” रूपा मेरे पास चाय का कप लिए खड़ी थी .

“इच्छा नहीं है मेरी ” मैंने कहा

रूपा- ये तो पहली बार हुआ मेरे सरकार चाय के लिए मना कर रहे है , क्या बात है .

मैं- तू मुझसे कितना प्यार करती है , कितना चाहती है मुझे.

रूपा- ये कैसा सवाल है देव

मैं- बता मुझे कितना चाहती है तू

रूपा मेरे पास बैठी और बोली- तू बता तुझे कैसे लगेगा की मैं तुझे कितना चाहती हूँ . तू पैमाना ला जो तुझे तसल्ली दे की मैं तुझे कितना चाहती हूँ .

रूपा ने मेरा हाथ कसकर पकड लिया.

रूपा- मेरी मोहब्बत के बारे में मुझसे ना पूछ सनम, तेरे दिल से पूछ . वो बता देगा .

मैं- मैं परेशां हूँ रूपा

रूपा- समझती हूँ ,

मैं- क्या वो नागिन तेरे पास आई थी .

रूपा- मेरे पास क्यों आएगी, तुझे तो मालूम है उस दिन मजार में हमारा झगड़ा हुआ था .

मैं- जानता हु पर तू चिकित्सक भी है यदि वो यहाँ इलाज करवाने आई हो .

रूपा- ऐसा मुमकिन नहीं .

मैं- क्यों

रूपा- वो श्रेष्ट है , उसे मेरी जरुरत नहीं

मैं- तो फिर ये खून किसका है इन्सान का तो नहीं है . इस रक्त को मैंने पहले भी देखा है .

रूपा- अच्छा तो इसलिए परेशां है तू, तू भी न देव, ये तो नीलगाय का रक्त है , इसमें कुछ दुर्लभ गुण होते है . कुछ कामो में इसका रक्त उपयोग किया जाता है . ये जो मेरी पीठ पर जख्म है उसमे इस रक्त और कुछ जड़ी बूटियों को मिलाकर एक लेप बनाते है जो मुझे आराम देता है और जल्दी ही त्वचा पहले सी हो जाएगी.

रूपा ने मेरे गाल पर हल्का सा किस किया और बोली- मैं जानती हूँ तेरे लिए ये सब अजीब है , पर तुझे आदत हो जाएगी. ये दुनिया अपने आप में रंगीली है , इसमें सब कुछ है .फ़िलहाल तो बीच में है तो परेशां है . मैं- क्या तू भी तेरी माँ जैसी जादूगरनी है .

रूपा मेरी बात सुनकर जोर जोर से हंसने लगी .

“तू भी न , अगर मैं जादूगरनी होती तो क्या मेरा ये हाल होता ” उसने मुझसे पूछा.

मैं- ठीक है मैं चलता हूँ रात बहुत हुई.

रूपा- चाहे तो रुक जा मेरे संग

मैं- फिर कभी .

मैं उठा और वहां से चल दिया. कुछ कदम ही चला था की रूपा ने मुझे आवाज दी.

“देव रुक जरा. ”

मैं रुक गया . वो मेरे पास आई .

“तू चाहे मुझ पर लाख शक करना पर मेरी मोहब्बत पर कभी शक न करना. सारी दुनिया के ताने सुन सकती हु, पर तेरी टेढ़ी नजर नहीं सह पाऊँगी. ये नूर मुझ पर तूने चढ़ाया है इसे उतरने न देना . ” बस इतना कह कर वो वापिस हो गयी. मेरे जवाब का इंतज़ार नहीं किया उसने.



और मैं उसे जवाब भी देता तो क्या मैं खुद एक चुतियापे में जी रहा था . रूपा के यहाँ से तो चल पड़ा था पर मैं घर नहीं गया मैं मजार पर गया . मैं बस उस पेड़ से लिपट कर रोता रहा . ऐसा लगा जैसे मेरी माँ ने मुझे अपने आंचल तले छुपा लिया हो.

“कभी कभी ऐसे रो भी लेना चाहिए, मन हल्का हो जाता है ” बाबा ने मुझे आवाज देते हुए कहा.

मैं बाबा के पास गया.

मैं- बाबा, मेरे पिता ने जो मंदिर तोडा था मैं उसे दुबारा बनवाना चाहता हूँ .

बाबा ने मुझे बैठने का इशारा किआ.

बाबा- बेशक तुम बनवा दोगे . पर उसका मान कहाँ से लाओगे . वहां जो पाप हुआ था उसके बदले का पुन्य कहाँ से लाओगे . बड़ी मुश्किल से उस मासूम ने खुद को संभाला है तुम मंदिर तो बनवा दोगे पर वो जब जब उसे देखेगी उसका मन रोयेगा. विचार करो .

मैं- तो क्या करू मैं.

बाबा- उसे उसके हाल पर छोड़ दो . फिलहाल मेरी प्राथमिकता तुम्हारी सुरक्षा है . एक तो तुम कहना नहीं मानते हो . दिन रात बस भटकते रहते हो . ये राते ठीक नहीं है , एक बार तुम बड़ी मुश्किल से बचे हो हर बार किस्मत साथ नहीं देगी. कुछ दिनों के लिए तुम तुम्हारी माँ की हवेली में क्यों नहीं चले जाते, तुम्हारी हर जरुरत की व्यवस्था मैं कर दूंगा.



“पर ऐसा क्या हुआ बाबा, जो आप इतने चिंतित है ” मैंने कहा

बाबा- समय बदल रहा है मुसाफिर. ये राते अब खामोश नहीं है . चरवाहों के तिबारे पर हमला हुआ है , उसे तहस नहस कर दिया गया है .

मैं- किसने किया और क्यों .

बाबा- पड़ताल जारी है .

मैं- मेरा क्या लेना देना बाबा तिबारे से

बाबा- सब तुझसे ही है मेरे बच्चे, सब तुझसे ही है .

मैं- क्या बाबा

बाबा- मुझे लगता था की तू जादूगर बनेगा. पर अभी तक लक्षण दिखे नहीं . इसी बात ने मुझे हैरान किया हुआ है.

मैं- क्या ये जरुरी है बाबा

बाबा- नहीं जरुरी नहीं , पर बस मुझे लगा था . खैर, कल तू हवेली चलेगा मेरे साथ

मैं- एक शर्त पर

बाबा- क्या

मैं- आप दूसरी मंजिल को खोल देंगे.

बाबा ने एक गहरी सांस ली और बोले- वहां कुछ नहीं है

मैं- कुछ नहीं है तो फिर कैसा ताला,

बाबा - कल शाम हम वहां चलेंगे .

मैंने हाँ में सर हिला दिया.


मैं वापिस मुड लिया था . अपने आप में खोया हुआ मैं खेत में बनी झोपडी की तरफ जा रहा था की रौशनी ने मेरा ध्यान खींच लिया. झोपडी में हुई रौशनी दूर से ही मुझे दिख रही थी . यहाँ कौन हो सकता है , शायद करतार होगा. मैंने सोचा .और झोपडी की तरफ बढ़ लिया. मैंने हलके से परदे को खोला और जो देखा............... देखता ही रह गया.
Ab naam mohabat pe iljaam jo aayaa hai tum jo bhi saja de do sar hum ne jhukaya hai.
Jabardast update hai mitr.
 

Nevil singh

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200 prishth ish jaadui rachna ke pure hone ki khushi me Musafir bhai v pathakgano ko bahut-bahut badhai.
 
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