#52
मेरे बिस्तर पर चुदाई चल रही थी शकुन्तला पर विक्रम चाचा चढ़े हुए थे . सारे जहाँ को भूल कर दोनों एक दुसरे में खोये हुए थे . एक औरत जिसका पति बस कुछ दिन पहले ही मरा था , वो दुसरे मर्द की बाँहों में थी . पर मुझे परवाह नहीं थी . मुझे हैरानी थी की मेरी झोपडी में ये दोनों कर क्या रहे है क्योंकि चाचा चाहता तो उसे बाग़ पर भी ले जा सकता था . खैर, मुझे चुदाई में कोई इंटरेस्ट नहीं था. मैं बस उनकी बाते सुनना चाहता था . इसलिए घूम कर मैं झोपडी की पिछली तरफ चला गया. जल्दी ही दोनों की बाते शुरू हो गयी तो मैं समझ गया की चुदाई खत्म हुई.
विक्रम- तुमने देव से झगडा करके मामला बिगाड़ दिया है ,
सेठानी- अब जो हुआ वो हुआ, वैसे भी वो बहुत ही बदतमीज है , कुछ ही मुलाकातों में उसने बता दिया था की मेरी लेना चाहता है वो.
विक्रम- इस बारे में अपनी बात हो तो गई थी , और एक दो बार चढ़ लेता तो क्या घिस जाता तुम्हारा.
सेठानी- मैं गयी थी उसके पास. मैं तैयार थी बदले में मैं लाला की जान की हिफाजत ही तो चाहती थी .
विक्रम- हम्म
सेठानी- पर जो हुआ वो हुआ.
विक्रम- पर मामला बिगड़ गया है .
सेठानी- उडती उडती खबर है की वो किसी लड़की के साथ घूमता है
विक्रम- सतनाम की लड़की है वो. न जाने कहा से ये टकरा गया उस से . मुझे लगता है की देव प्यार में है उस से, सतनाम को उसके घर जाके धमकी दे आया.
सेठानी- सच में, खैर, डरने वालो में से तो नहीं है वो . बिलकुल अपने बाप पर गया है.
विक्रम- पर युद्ध नहीं है वो.
सेठानी- तो क्या सोचा तुमने , कैसे करना है ये सब
विक्रम- सतनाम देख लेगा.
सेठानी- वो सांप पागल हुए घूम रहा है , हमारे आदमियों को मार रहा है .कुछ करते क्यों नहीं उसका.
विक्रम- मैंने सोचा है उसके बारे में इस पूनम को एक तांत्रिक सपेरा बुलाया है मैंने उमीद तो है काम कर देगा वो .
सेठानी- पर उसे मारूंगी मैं .
विक्रम- क्यों हाथ गंदे करती हो .
सेठानी- तुम तो चुप ही रहो . खुद जैसे दूध के धुले हो. इस कहानी के तीसरे सूत्रधार तुम ही तो हो.
विक्रम- श्ह्ह्हह्ह, ऐसी बाते नहीं करते , आजकल हवाओ में उडती है बाते
शकुन्तला- पर मुझे आजतक ये समझ नहीं आया की तुमने देव को क्यों रखा अपने घर जब की उसके अपनों ने ठुकरा दिया उसे.
विक्रम- ऐसा करना जरुरी था , उस घटना के बाद गाँव में छवि बिगड़ गयी थी तो उसे सुधारने का इस से अच्छा क्या मौका था . दूसरा नागेश का हुक्म था . तीसरा, बेशक ठाकुर साहब ने देव को कभी मन से अपना पोता नहीं माना था पर युद्ध की मौत के बाद उन्होंने मुझे बहुत सी जमीन दी. पैसे दिए इसे पालने को . और आज देखो मैं कहा हूँ .
सेठानी- और वो सोना-चांदी कहाँ गया .
विक्रम- मुझे नहीं मालूम
सेठानी- झूठ मत बोलो, कम से कम मुझे तो बता दो.
विक्रम- सतनाम ने छुपाये है कहीं पर वो . पर मुझे लगता है की उसने बेच खाए होंगे.
सेठानी- कभी पूछा नहीं तुमने
विक्रम- पूछा था , पर हर बार वही जवाब .
सेठानी- तो देव का क्या होगा. खबर है की नागेश लौट आया है.
विक्रम- अभी पक्की नहीं हुई है खबर. पर सुलतान जिस हिसाब से भागदौड़ कर रहा है कुछ तो बात लगती है .
सेठानी- देव की मौत का दुःख होगा तुम्हे .
विक्रम- दुःख तो मुझ को युद्ध की मौत का भी नहीं हुआ था .
ये ऐसी बाते थी जो मर दिल तोड़ गयी थी . साला इस दुनिया में हर कोई मतलब परस्त ही था . सब एक दुसरे को इस्तेमाल कर रहे थे ,कितने काले मन के थे ये लोग . दिल किया की अभी इस वक्त इनकी गांड तोड़ दू, पर फिर खुद को रोक लिया . अभी और सुननी थी इनकी बाते. देखना था कितना जहर था दुनिया में.
विक्रम- वैसे हालात अभी और बिगड़ेंगे, देव सतनाम को धमका आया , मोना कुछ दिनों से गायब है नौकरी भी छोड़ दी उसने, देव को लगता है की मोना के गायब होने में सतनाम का हाथ है .
सेठानी- तुमने सतनाम से बात की .
विक्रम- वो चाहता तो मोना को कभी का मरवा देता ,वो कभी ऐसा नहीं करेगा. छोड़ इन बातो को , मैं तुझे बताना तो भूल ही गया . सतनाम अपने छोटे बेटे की शादी कर रहा है इसी महीने .
सेठानी- बताया नहीं उसने मुझे .
विक्रम- अचानक से ही हुआ सब .
सेठानी- मोना तो जाएगी नहीं, आरती कौन करेगा
विक्रम- सोचने वाली बात है . मुझे लगता है पाली आएगी
सेठानी- मुश्किल है , मुझे नहीं लगता वो आएगी.
विक्रम- छोड़ न तू भी क्या लेके बैठ गयी , ये रात बड़ी मुश्किल से मिली है जब तुम मेरी बाँहों में हो सोचा था दो तीन बार लूँगा पर तुम टाइम पास कर रही हो .
शकुन्तला- अच्छा जी , ये बात है तो आओ मैदान में .
वो दोनों फिर से शुरू हो गए. मेरा दिल किया की अभी फूंक दू इस झोपडी को . पर मैं अपने गुस्से को पीते हुए वहां से चल दिया. ये रात साली बड़ी लम्बी हो गयी थी ख़त्म ही नहीं हो रही थी . पर मैंने अपना फैसला ले लिया था की सुबह मैं अपना रास्ता चुन लूँगा, वो रास्ता जिस पर मुझे अब अकेले चलना था .
फिलहाल मेरी प्राथमिकता थी तांत्रिक से नागिन को बचाना. पूनम की रात ठीक दो दिन बाद थी इस रात के, मुझे जो करना था इसी समय में करना था . मैं समझ गया था की मंदिर के तीन चोर कौन कौन थे, सतनाम, लाला और विक्रम . विक्रम जिसे मैं अपने बाप सा समझता था वो मुझे सिर्फ मेरी दौलत के लिए पाल रहा था . वो दौलत जिसके बारे में मैंने कभी सोचा भी नहीं था .
दिल साला बुझ सा गया था . जी चाहता था की मैं खूब रोऊ पर नहीं . इन आंसुओ को पीना था मुझे. मोना, नागिन, नागेश, रूपा . और ये तीन दुश्मन इनके बारे में सोचते सोचते मेरा जी घबराने लगा था . मुझे चक्कर आने लगा था .पर इस से पहले की मैं बिखर कर गिर जाता किसी की बाँहों ने थाम लिया मुझे.............................