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Adultery गुजारिश

Yamraaj

Put your Attitude on my Dick......
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#६०

मैंने पाया ये एक संदूक था , कुछ कपडे भरे थे उसमे , एक तस्वीर थी जिसमे तीन लोग थे. और एक बीन थी . हैरानी इस बात थी की नाग अपने सामान में बीन क्यों रखेंगे. क्या खिचड़ी बिखरी पड़ी थी यहाँ पर. मैंने वो तस्वीर अपनी जेब में रख ली.

मैं सोचने लगा की बाबा ऐसे अचानक से क्यों भागा, क्या देखा था उसने .खैर, रात थी बीत गयी अगला दिन भी मेरा मंदिर में ही लगा रहा . मुझे उम्मीद थी की बाबा आएगा पर वो नहीं आया. आज बड़ी सावधानी से काम करवाया पर कुछ खास नहीं मिला. शाम को मैं रूपा से मिलने गया पर वो वहां नहीं थी . ऐसे ही कुछ दिन बीत गए. एक तरफ मेरे घर का काम चल रहा था दूसरी तरफ मंदिर का निर्माण भी हो रहा था . मैं दोनों जगह ही उलझा था . उस रात मैं थोडा बेचैन सा था तो मैं मजार पर चला गया .

“बड़े सही समय पर आया है तू मुसाफिर , मैं सोच ही रहा था मुलाकात को ” बाबा ने कहा .

मैं- आप तो आते नहीं सो मैं ही आ गया .

बाबा- मैं तो फक्कड हूँ जाने किस ओर निकल जाऊ. बात ये है की न्योता आया है जूनागढ़ से तो चलेंगे जीमने .

मैं- सतनाम के लड़के की शादी है मालूम है मुझे आप ही जाना वैसे भी वो लोग मुझे क्यों बुलाने लगे.

बाबा- ऐसी बात नहीं है तेरा भी न्योता है

मैं- फिर भी मेरा मन नहीं करता

बाबा- चल तो सही मुसाफिर. कभी कभी ब्याह शादियों में भी चक्कर लगा लेना चाहिए

मैं- बाबा, आप तो जानते है की मोना जबसे लापता हुई है मेरा मन कही नहीं लगता ,

बाबा- मन का क्या है मन तो बावरा है , अब तू ही देख दो नावो की सवारी कर रहा है ब्याह तू रूपा संग करना चाहता है मन में तेरे मोना है .

मैं- दारू पियोगे बाबा

बाबा- नहीं रे, अपन तो अपनी चिलम के साथ ही ठीक है . वैसे भी दारू मुझे झिलती नहीं नशे में काबू रहता नहीं मेरा

मैं- क्या बाबा तुम भी नशा और तुम्हे , किसी और को बनाना

बाबा- रहने दे मुसाफिर, नशे में मेरे पुराने जख्म हरे हो जाते है , बीता हुआ कल सबसे ज्यादा दुःख देता है.

मैं- लोग कहते है बाँटने से कम हो जाते है दुःख

बाबा- काश ऐसा होता. खैर, हम चलेंगे ब्याह में .

मैं- ठीक है पर रूपा के बाप से कब बात करने जाओगे.

बाबा- जूनागढ़ से आने के बाद.

मैं- क्या नागेश सच में लौट आया है

बाबा- संकेत है बस , हो सकता है की उसका कोई अनुयायी उसके नाम से दहशत फैला रहा हो .

मैं- पर वो ऐसा क्यों करेगा

बाबा -ये दुनिया मादरचोद है ,लोग कुछ भी करते रहते है

मैं- पर वो तिबारा नागेश ने नहीं तोडा था .

बाबा- जानता हूँ वो किसी और की करतूत थी

मैं- तो अपने बात की उस से

बाबा- अब क्या कहना क्या सुनना,हमारा किस पर जोर है

मैं- आपने इश्क किया कभी बाबा

बाबा- तुझे क्या लगता है

मैं- दीवाने लगते हो

बाबा- नहीं मुसाफिर नहीं . देर हो रही है मैं चलता हूँ भूख लगे तो आ जाना आज खास चीज़ होगी खाने में

मैं- आ जाऊंगा घंटे भर में

बाबा- ठीक है तो फिर चलेंगे जूनागढ़

मैं-जैसी आपकी मर्जी.



बाबा के जाने के बाद मैं बस बैठा ही था की शकुन्तला को आते देखा .

मैं- तू इस वक्त

सेठानी- तुझे क्या दिक्कत है

मैं - मुझे क्या दिक्कत है जहाँ चाहे वहां गांड मरवा

सेठानी- तमीज से बात कर देव

मैं- तमीज की तो तू बात ही न कर , सब जानता हूँ कितने यार है तेरे विक्रम, जब्बर, सतनाम

सेठानी- तुझे जो समझना है समझ मुझे झांट का फर्क भी नहीं पड़ता

मैं- पर मुझे पड़ता है , तांत्रिक को बुलाकर जो तूने तेरी औकात दिखाई है न

सेठानी- उस सर्प को तो मैं मार कर रहूंगी, मैंने कसम खाई है .

मैं- कोशिश कर के देख ले जबतक मैं हूँ तू कुछ नहीं कर सकती



सेठानी- गुमान तो रावन का भी नहीं चला था तेरा क्या रहेगा देव, आज नहीं तो कल मैं उसे मार दूंगी उसके टुकड़े भेजूंगी तुझे. और तू क्या ये मंदिर के गड़े मुर्दे खोद रहा है कुछ नहीं मिलेगा तुझे.

मैं- सकूं मिलेगा मुझे, जो पाप तेरे पति और तेरे यारो ने किया था उसका फल इसी जन्म में मिलेगा तुम सबको पति तो गया, तेरे यार भी जायेंगे, उनसे जाके कह मंदिर की अमानत लौटा दे वापिस .

सेठानी- तू मेरा पति वापिस लौटा सकता है क्या

मैं- उसने गलती की थी सजा मिली उसे , मंदिर में रहने वाले दो गरीबो को मारा था उसने .

सेठानी- चल एक सौदा करते है तू मुझे उस सांप की लाश लाकर दे मैं तुझे मंदिर का लुटा हुआ सामान लाकर दूंगी.

मैं- चुतिया की बच्ची ये खेल किसी और के संग खेलना , मैं जानता हु की तुझे और विक्रम दोनों को ही नहीं मालूम की वो लूट का सामान कहा है .

मेरी बात सुनकर शकुन्तला के चेहरे पर हवाई उड़ने लगी.

मैं- जब्बर की मौत का तो तुझे मालूम ही होगा. रही बात तेरे यहाँ आने की तो यहाँ भी तू कुछ तलाशने ही आई होगी, जा कर ले जो तू कर सकती है . बस इतना याद रखना दुश्मनी की आग में सबको झुलसना ही पड़ता है तू नागिन से माफ़ी मांग ले और बढ़िया जीवन जी सब कुछ है तेरे पास , विचार कर .

सेठानी- मैंने अपना रास्ता चुन लिया है आग सीने में लगी है दुनिया में लगा दूंगी , मैं झुलस रही हु तो तुम भी महसूस करोगे इस आग को .

मैं- वो तेरी मर्जी है

मैं वहां से उठा और मजार की तरफ चल दिया. बाबा ने मुर्गा पकाया था छक कर खाना खाया और वही सो गया. अगले दिन हमें जूनागढ़ जाना था . एक बेहतर कल की उम्मीद लिए मैं आँखे बंद किये हुए था पर मैं कहाँ जानता था की आने वाला कल क्या लाने वाला था अपने साथ.

दोपहर होते होते मैं बाबा के साथ जूनागढ़ के लिए निकल गया . सतनाम ने बड़ी बढ़िया दावत दी थी . मैं नानी से मिला उन्होंने पूछा मोना के बारे में और मेरे पास देने को कोई जवाब नहीं था. भोज के बाद हमें निकलना ही था पर नानी ने हमें रोक लिया ये कहकर की प्रोग्राम में ठहरो . बाबा न जाने कहा रमता राम हो गया था . शाम हो रही थी पर दिल में बेचैनी सी थी . मोना की याद आ रही थी .

मैं बस वहां से खिसक ही जाना चाहता था , की नानी मुझे अपने साथ अन्दर ले गयी और अन्दर जाते ही मैंने जो देखा मेरी आँखों ने उसे मानने से इनकार कर दिया. दिल ने बस इतना कहा ये नहीं हो सकता.
Bhai aapka update pata nhi kyu bahut chhota lagta h thoda bada update dikya kare aap. ....
By the way kahani bhut achhi h bhai..mughe update ka bahut hi besabri se intazaar rahta h...
 

RAAZ

Well-Known Member
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Zabardast update bhai maza aa Gaya kia khoob story pe painch per painch aaye jaa rahey hai. Shakuntala ko Sochna chahiye ki apne pati aur ek yaar aur kitney aadmi kho chuki hain magar abhi tak uski akad me kami nahi hui aur mishal deti hai ravan ki magar khud ka character nahi. Dekha surpnakha wala.
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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DARK WOLFKING

Supreme
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aaj dev ne jaise shakuntala se baat ki maja aa gaya ..

baba har baae bhagte hai dev se to usko shadi me kyu leke gaya ??
aur dev ko aisa kya dikhaya naani ne ki dev chaunk gaya 🤔🤔..

rupa to nahi hai waha ,,mona ya koi aur ho sakti hai ..

shakuntala apne dushmani ke chakkar me khud maari jayegi aisa lagta hai ,,,jabbar ki haalat to dekh hi chuke hai sab 😁😁😁..

vikram aur shakuntala ki baari kab aati hai yahi dekhna hai 🤣🤣..
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#61

सीढियों से रूपा उतर रही थी , हाथो में थाली लिए. एक पल को उसे देख कर मैं भूल गया सब कुछ दिल में बस इतना याद रहा की जिस दिन मेरी शादी होगी उस से ठीक ऐसी ही लगेगी वो पर अगले ही पल ख्यालो को हकीकत ने धरातल पर ला पटका. रूपा यहाँ क्या कर रही थी .

“पाली दीदी ” मेरे पास से गुजरती एक लड़की ने आवाज दी उसे. और रूपा ने मेरी तरफ देखा.

देखा क्या देखती ही रह गयी . हमारी नजरे मिली.उसने थाली लड़की को दी और बोली- मुसाफिर

मैं- तुम यहाँ कैसे

रूपा- तक़दीर मुसाफिर

मैं- बातो में न उलझा मुझे बस इतना बता तू यहाँ कैसे , तेरे हाथ में आरती की थाली , आरती की थाली तो .

“आरती की थाली तो बस दुल्हे की बहन के हाथ में हो सकती है ” रूपा ने कहा

बस उसे आगे कुछ कहने की जरुरत नहीं थी, उसका सच आज सामने आ गया था . या यु कहूँ की आज पर्दा उठ गया था .

“मैं रुपाली , इस घर की सबसे छोटी बेटी ” रूपा ने कहा.

मैं- बस कुछ कहने की जरुरत नहीं तुझे, बहुत बढ़िया किया

मैं बस इतना ही कह पाया एक दम से दुनिया बदल गयी थी ,सब उल्त्पुल्ट हो गया था मेरे लिए. रूपा ने इतना बड़ा राज़ मुझसे छुपाया था .

“किसी ने सच ही कहा है ये दुनिया बड़ी जालिम है , तू भी औरो सी ही निकली ” मैंने कहा

रूपा- मेरी बात सुन हम बात करते है

मैं- अब बचा ही क्या बात करने को .

रूपा- मेरी बात सुन तो सही मुसाफिर

मैं बस मुस्कुरा दिया. और करता भी तो क्या दिल साला एक बार और टुटा था और इस बार तोड़ने वाली कोई और नहीं बल्कि वो थी जिसने इसे धडकना सिखाया था . मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था रूपा की हकीकत ने सब बदल दिया था . हर एक बात अब बदल गयी थी . मैंने पास की मेज पर रखी बोतल उठाई और एक साँस में आधी गटक गया . कलेजा जल गया

रूपा- ये क्या कर रहा है तू , देख सब देख रहे है ,स अबके सामने मुझे रुसवा न कर.

मैं- मुझे किसी से कोई फर्क नहीं पड़ता , पर तुझसे पड़ता है

रूपा- मेरे साथ आ मैं तुझे सब बताती हूँ

मैं- नहीं रूपा नहीं , अब कुछ नहीं कहना मुझे कुछ नहीं सुनना, तेरी महफ़िल तुझे मुबारक हमारा क्या है मुसाफिर था मुसाफिर हूँ बस मैं भूल गया था की मुसाफिरों के नसीब में मंजिले नहीं होती. जा रहा हूँ मैं , तुझे रुसवाई दू ये तो मेरी मोहब्बत की नाकामी होगी .



मैंने रूपा की तरफ पीठ मोदी और जाने के लिए चल दिया , कुछ कदम ही चला था की वो दौड़ कर मेरे पास आई और लिपट गयी मुझसे.

“तमाशा न कर यहाँ , सब तेरे ही है मेरा क्या होना सबकी नजरे तुझसे सवाल करेंगी ” मैंने कहा

रूपा- आग लगे दुनिया को मुझे बस तू चाहिए

मैं- मेरी होती तो ये सच न छिपाती मुझसे.

रूपा- काश तू मेरी मज़बूरी समझे

मैं- मज़बूरी का नाम देकर तू उस सच को नहीं बदल सकती

रूपा- मुझे एक मौका दे मैं तुझे सब बताती हूँ मेरे क्या हालत थे , मेरा क्या अतीत था मैं तुझे सब बताती हूँ .

मैं- सच तेरे रूप में मेरे सामने खड़ा है

मैंने रूपा को खुद से दूर किया

रूपा- मैं भी तेरे साथ चलूंगी, मुझे अगर मालूम होता की यहाँ ये सब होगा तो मैं अपनी कसम तोड़ कर कभी नहीं आती यहाँ

मैं-तूने तो दिल तोड़ दिया

न चाहते हुए भी मैं रो पड़ा. आंसू उसकी आँखों में भी थे अब साला यहाँ रुकना मुश्किल था . जिंदगी तो ले ही रही थी उस से ज्यादा मोहब्बत ने ली थी . टूटे दिल के बिखरे टुकडो को संभाले मैं वहां से चल तो दिया था पर कुछ समझ नहीं आ रहा था की जाऊ कहा, कहाँ थी ऐसी जगह जो यहाँ से दूर थी.

आखिर गाड़ी रोकी मैंने, दिल में बड़ा गुस्सा भरा था . जब और कुछ नहीं सुझा तो बोतल खोल ली मैंने. आधी बोतल पि थी की मुझे अहसास हुआ की मेरे आसपास कोई और है और जल्दी ही मैं समझ गया ये कौन थी .

“क्यों छिपी खड़ी है तू भी आजा , तू भी तमाशा देख मेरा ” मैंने कहा

हवा में फिर सरसराहट हुई और नागिन को मैंने अपने पास आते देखा .

“इसे पीने से मन हल्का नहीं होगा तुम्हारा, ”उसने कहा

मैं- मेरे मन की तू तो सोच ही मत

नागिन- फिर कौन सोचेगा

मैं- देख, मैं परेशां हूँ दिल टूटा है मेरा मैं कुछ उल्टा सीधा बोल दूंगा तू जा

नागिन- कैसे तेरा टूटा दिल तोड़ दू मैं

मैं- दिल चाहे सबके दिल तोड़ दू मैं

नागिन- खुद से नफरत से क्या मिलेगा

मैं- सकून

नागिन- सब नसीबो की बात होती है

मैं- तू जा यहाँ से तू भी इस दुनिया जैसी है

नागिन- बेशक चली जाउंगी सबको जाना है

मैं- तू क्या समझे क्या बीत रही है मेरे दिल पर काश तू समझ सकती

नागिन- मैं तो सब समझती हूँ बस तक़दीर है जो कुछ नहीं समझती .

मैं- सही कहा तक़दीर , तक़दीर ही तो है जो ये खेल खिलाती है .

नागिन- फिर तक़दीर को दोष दे खुद को क्यों दोष देता है

मैं- तक़दीर भी तो मेरी ही है

नागिन- तेरी है तो तुझे मिलेगी फिर क्यों करता है ये सब

मैं- काश तू समझ सकती मैंने क्या खोया है

नागिन - समझती हूँ

मैं- नहीं तू नहीं समझती

नागिन- समझती हूँ क्योंकि मैंने भी सब कुछ खोया है .

नागिन का गला भर आया उसकी पीली आँखों से पानी गिरते देखा मैंने.

“दर्द तेरे सीने में भी है , दर्द मेरे सीने में भी है तो क्या करे इस दर्द का ” मैंने कहा

नागिन- तेरी हालत ठीक नहीं है तू चल मेरे साथ

मैं- नहीं रे, अब किसी का साथ नहीं करना ये दुनिया बड़ी जालिम है सब साथ छोड़ जाते है

नागिन- मैं नहीं छोडूंगी तेरा साथ

मैं- तू ही तो गयी थी छोड़कर ,
 

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सीढियों से रूपा उतर रही थी , हाथो में थाली लिए. एक पल को उसे देख कर मैं भूल गया सब कुछ दिल में बस इतना याद रहा की जिस दिन मेरी शादी होगी उस से ठीक ऐसी ही लगेगी वो पर अगले ही पल ख्यालो को हकीकत ने धरातल पर ला पटका. रूपा यहाँ क्या कर रही थी .

“पाली दीदी ” मेरे पास से गुजरती एक लड़की ने आवाज दी उसे. और रूपा ने मेरी तरफ देखा.

देखा क्या देखती ही रह गयी . हमारी नजरे मिली.उसने थाली लड़की को दी और बोली- मुसाफिर

मैं- तुम यहाँ कैसे

रूपा- तक़दीर मुसाफिर

मैं- बातो में न उलझा मुझे बस इतना बता तू यहाँ कैसे , तेरे हाथ में आरती की थाली , आरती की थाली तो .

“आरती की थाली तो बस दुल्हे की बहन के हाथ में हो सकती है ” रूपा ने कहा

बस उसे आगे कुछ कहने की जरुरत नहीं थी, उसका सच आज सामने आ गया था . या यु कहूँ की आज पर्दा उठ गया था .

“मैं रुपाली , इस घर की सबसे छोटी बेटी ” रूपा ने कहा.

मैं- बस कुछ कहने की जरुरत नहीं तुझे, बहुत बढ़िया किया

मैं बस इतना ही कह पाया एक दम से दुनिया बदल गयी थी ,सब उल्त्पुल्ट हो गया था मेरे लिए. रूपा ने इतना बड़ा राज़ मुझसे छुपाया था .

“किसी ने सच ही कहा है ये दुनिया बड़ी जालिम है , तू भी औरो सी ही निकली ” मैंने कहा

रूपा- मेरी बात सुन हम बात करते है

मैं- अब बचा ही क्या बात करने को .

रूपा- मेरी बात सुन तो सही मुसाफिर

मैं बस मुस्कुरा दिया. और करता भी तो क्या दिल साला एक बार और टुटा था और इस बार तोड़ने वाली कोई और नहीं बल्कि वो थी जिसने इसे धडकना सिखाया था . मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था रूपा की हकीकत ने सब बदल दिया था . हर एक बात अब बदल गयी थी . मैंने पास की मेज पर रखी बोतल उठाई और एक साँस में आधी गटक गया . कलेजा जल गया

रूपा- ये क्या कर रहा है तू , देख सब देख रहे है ,स अबके सामने मुझे रुसवा न कर.

मैं- मुझे किसी से कोई फर्क नहीं पड़ता , पर तुझसे पड़ता है

रूपा- मेरे साथ आ मैं तुझे सब बताती हूँ

मैं- नहीं रूपा नहीं , अब कुछ नहीं कहना मुझे कुछ नहीं सुनना, तेरी महफ़िल तुझे मुबारक हमारा क्या है मुसाफिर था मुसाफिर हूँ बस मैं भूल गया था की मुसाफिरों के नसीब में मंजिले नहीं होती. जा रहा हूँ मैं , तुझे रुसवाई दू ये तो मेरी मोहब्बत की नाकामी होगी .



मैंने रूपा की तरफ पीठ मोदी और जाने के लिए चल दिया , कुछ कदम ही चला था की वो दौड़ कर मेरे पास आई और लिपट गयी मुझसे.

“तमाशा न कर यहाँ , सब तेरे ही है मेरा क्या होना सबकी नजरे तुझसे सवाल करेंगी ” मैंने कहा

रूपा- आग लगे दुनिया को मुझे बस तू चाहिए

मैं- मेरी होती तो ये सच न छिपाती मुझसे.

रूपा- काश तू मेरी मज़बूरी समझे

मैं- मज़बूरी का नाम देकर तू उस सच को नहीं बदल सकती

रूपा- मुझे एक मौका दे मैं तुझे सब बताती हूँ मेरे क्या हालत थे , मेरा क्या अतीत था मैं तुझे सब बताती हूँ .

मैं- सच तेरे रूप में मेरे सामने खड़ा है

मैंने रूपा को खुद से दूर किया

रूपा- मैं भी तेरे साथ चलूंगी, मुझे अगर मालूम होता की यहाँ ये सब होगा तो मैं अपनी कसम तोड़ कर कभी नहीं आती यहाँ

मैं-तूने तो दिल तोड़ दिया

न चाहते हुए भी मैं रो पड़ा. आंसू उसकी आँखों में भी थे अब साला यहाँ रुकना मुश्किल था . जिंदगी तो ले ही रही थी उस से ज्यादा मोहब्बत ने ली थी . टूटे दिल के बिखरे टुकडो को संभाले मैं वहां से चल तो दिया था पर कुछ समझ नहीं आ रहा था की जाऊ कहा, कहाँ थी ऐसी जगह जो यहाँ से दूर थी.

आखिर गाड़ी रोकी मैंने, दिल में बड़ा गुस्सा भरा था . जब और कुछ नहीं सुझा तो बोतल खोल ली मैंने. आधी बोतल पि थी की मुझे अहसास हुआ की मेरे आसपास कोई और है और जल्दी ही मैं समझ गया ये कौन थी .

“क्यों छिपी खड़ी है तू भी आजा , तू भी तमाशा देख मेरा ” मैंने कहा

हवा में फिर सरसराहट हुई और नागिन को मैंने अपने पास आते देखा .

“इसे पीने से मन हल्का नहीं होगा तुम्हारा, ”उसने कहा

मैं- मेरे मन की तू तो सोच ही मत

नागिन- फिर कौन सोचेगा

मैं- देख, मैं परेशां हूँ दिल टूटा है मेरा मैं कुछ उल्टा सीधा बोल दूंगा तू जा

नागिन- कैसे तेरा टूटा दिल तोड़ दू मैं

मैं- दिल चाहे सबके दिल तोड़ दू मैं

नागिन- खुद से नफरत से क्या मिलेगा

मैं- सकून

नागिन- सब नसीबो की बात होती है

मैं- तू जा यहाँ से तू भी इस दुनिया जैसी है

नागिन- बेशक चली जाउंगी सबको जाना है

मैं- तू क्या समझे क्या बीत रही है मेरे दिल पर काश तू समझ सकती

नागिन- मैं तो सब समझती हूँ बस तक़दीर है जो कुछ नहीं समझती .

मैं- सही कहा तक़दीर , तक़दीर ही तो है जो ये खेल खिलाती है .

नागिन- फिर तक़दीर को दोष दे खुद को क्यों दोष देता है

मैं- तक़दीर भी तो मेरी ही है

नागिन- तेरी है तो तुझे मिलेगी फिर क्यों करता है ये सब

मैं- काश तू समझ सकती मैंने क्या खोया है

नागिन - समझती हूँ

मैं- नहीं तू नहीं समझती

नागिन- समझती हूँ क्योंकि मैंने भी सब कुछ खोया है .

नागिन का गला भर आया उसकी पीली आँखों से पानी गिरते देखा मैंने.

“दर्द तेरे सीने में भी है , दर्द मेरे सीने में भी है तो क्या करे इस दर्द का ” मैंने कहा

नागिन- तेरी हालत ठीक नहीं है तू चल मेरे साथ

मैं- नहीं रे, अब किसी का साथ नहीं करना ये दुनिया बड़ी जालिम है सब साथ छोड़ जाते है

नागिन- मैं नहीं छोडूंगी तेरा साथ


मैं- तू ही तो गयी थी छोड़कर ,
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