Mr. Nobody
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Behad hi shandar or jabardast update#61
सीढियों से रूपा उतर रही थी , हाथो में थाली लिए. एक पल को उसे देख कर मैं भूल गया सब कुछ दिल में बस इतना याद रहा की जिस दिन मेरी शादी होगी उस से ठीक ऐसी ही लगेगी वो पर अगले ही पल ख्यालो को हकीकत ने धरातल पर ला पटका. रूपा यहाँ क्या कर रही थी .
“पाली दीदी ” मेरे पास से गुजरती एक लड़की ने आवाज दी उसे. और रूपा ने मेरी तरफ देखा.
देखा क्या देखती ही रह गयी . हमारी नजरे मिली.उसने थाली लड़की को दी और बोली- मुसाफिर
मैं- तुम यहाँ कैसे
रूपा- तक़दीर मुसाफिर
मैं- बातो में न उलझा मुझे बस इतना बता तू यहाँ कैसे , तेरे हाथ में आरती की थाली , आरती की थाली तो .
“आरती की थाली तो बस दुल्हे की बहन के हाथ में हो सकती है ” रूपा ने कहा
बस उसे आगे कुछ कहने की जरुरत नहीं थी, उसका सच आज सामने आ गया था . या यु कहूँ की आज पर्दा उठ गया था .
“मैं रुपाली , इस घर की सबसे छोटी बेटी ” रूपा ने कहा.
मैं- बस कुछ कहने की जरुरत नहीं तुझे, बहुत बढ़िया किया
मैं बस इतना ही कह पाया एक दम से दुनिया बदल गयी थी ,सब उल्त्पुल्ट हो गया था मेरे लिए. रूपा ने इतना बड़ा राज़ मुझसे छुपाया था .
“किसी ने सच ही कहा है ये दुनिया बड़ी जालिम है , तू भी औरो सी ही निकली ” मैंने कहा
रूपा- मेरी बात सुन हम बात करते है
मैं- अब बचा ही क्या बात करने को .
रूपा- मेरी बात सुन तो सही मुसाफिर
मैं बस मुस्कुरा दिया. और करता भी तो क्या दिल साला एक बार और टुटा था और इस बार तोड़ने वाली कोई और नहीं बल्कि वो थी जिसने इसे धडकना सिखाया था . मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था रूपा की हकीकत ने सब बदल दिया था . हर एक बात अब बदल गयी थी . मैंने पास की मेज पर रखी बोतल उठाई और एक साँस में आधी गटक गया . कलेजा जल गया
रूपा- ये क्या कर रहा है तू , देख सब देख रहे है ,स अबके सामने मुझे रुसवा न कर.
मैं- मुझे किसी से कोई फर्क नहीं पड़ता , पर तुझसे पड़ता है
रूपा- मेरे साथ आ मैं तुझे सब बताती हूँ
मैं- नहीं रूपा नहीं , अब कुछ नहीं कहना मुझे कुछ नहीं सुनना, तेरी महफ़िल तुझे मुबारक हमारा क्या है मुसाफिर था मुसाफिर हूँ बस मैं भूल गया था की मुसाफिरों के नसीब में मंजिले नहीं होती. जा रहा हूँ मैं , तुझे रुसवाई दू ये तो मेरी मोहब्बत की नाकामी होगी .
मैंने रूपा की तरफ पीठ मोदी और जाने के लिए चल दिया , कुछ कदम ही चला था की वो दौड़ कर मेरे पास आई और लिपट गयी मुझसे.
“तमाशा न कर यहाँ , सब तेरे ही है मेरा क्या होना सबकी नजरे तुझसे सवाल करेंगी ” मैंने कहा
रूपा- आग लगे दुनिया को मुझे बस तू चाहिए
मैं- मेरी होती तो ये सच न छिपाती मुझसे.
रूपा- काश तू मेरी मज़बूरी समझे
मैं- मज़बूरी का नाम देकर तू उस सच को नहीं बदल सकती
रूपा- मुझे एक मौका दे मैं तुझे सब बताती हूँ मेरे क्या हालत थे , मेरा क्या अतीत था मैं तुझे सब बताती हूँ .
मैं- सच तेरे रूप में मेरे सामने खड़ा है
मैंने रूपा को खुद से दूर किया
रूपा- मैं भी तेरे साथ चलूंगी, मुझे अगर मालूम होता की यहाँ ये सब होगा तो मैं अपनी कसम तोड़ कर कभी नहीं आती यहाँ
मैं-तूने तो दिल तोड़ दिया
न चाहते हुए भी मैं रो पड़ा. आंसू उसकी आँखों में भी थे अब साला यहाँ रुकना मुश्किल था . जिंदगी तो ले ही रही थी उस से ज्यादा मोहब्बत ने ली थी . टूटे दिल के बिखरे टुकडो को संभाले मैं वहां से चल तो दिया था पर कुछ समझ नहीं आ रहा था की जाऊ कहा, कहाँ थी ऐसी जगह जो यहाँ से दूर थी.
आखिर गाड़ी रोकी मैंने, दिल में बड़ा गुस्सा भरा था . जब और कुछ नहीं सुझा तो बोतल खोल ली मैंने. आधी बोतल पि थी की मुझे अहसास हुआ की मेरे आसपास कोई और है और जल्दी ही मैं समझ गया ये कौन थी .
“क्यों छिपी खड़ी है तू भी आजा , तू भी तमाशा देख मेरा ” मैंने कहा
हवा में फिर सरसराहट हुई और नागिन को मैंने अपने पास आते देखा .
“इसे पीने से मन हल्का नहीं होगा तुम्हारा, ”उसने कहा
मैं- मेरे मन की तू तो सोच ही मत
नागिन- फिर कौन सोचेगा
मैं- देख, मैं परेशां हूँ दिल टूटा है मेरा मैं कुछ उल्टा सीधा बोल दूंगा तू जा
नागिन- कैसे तेरा टूटा दिल तोड़ दू मैं
मैं- दिल चाहे सबके दिल तोड़ दू मैं
नागिन- खुद से नफरत से क्या मिलेगा
मैं- सकून
नागिन- सब नसीबो की बात होती है
मैं- तू जा यहाँ से तू भी इस दुनिया जैसी है
नागिन- बेशक चली जाउंगी सबको जाना है
मैं- तू क्या समझे क्या बीत रही है मेरे दिल पर काश तू समझ सकती
नागिन- मैं तो सब समझती हूँ बस तक़दीर है जो कुछ नहीं समझती .
मैं- सही कहा तक़दीर , तक़दीर ही तो है जो ये खेल खिलाती है .
नागिन- फिर तक़दीर को दोष दे खुद को क्यों दोष देता है
मैं- तक़दीर भी तो मेरी ही है
नागिन- तेरी है तो तुझे मिलेगी फिर क्यों करता है ये सब
मैं- काश तू समझ सकती मैंने क्या खोया है
नागिन - समझती हूँ
मैं- नहीं तू नहीं समझती
नागिन- समझती हूँ क्योंकि मैंने भी सब कुछ खोया है .
नागिन का गला भर आया उसकी पीली आँखों से पानी गिरते देखा मैंने.
“दर्द तेरे सीने में भी है , दर्द मेरे सीने में भी है तो क्या करे इस दर्द का ” मैंने कहा
नागिन- तेरी हालत ठीक नहीं है तू चल मेरे साथ
मैं- नहीं रे, अब किसी का साथ नहीं करना ये दुनिया बड़ी जालिम है सब साथ छोड़ जाते है
नागिन- मैं नहीं छोडूंगी तेरा साथ
मैं- तू ही तो गयी थी छोड़कर ,
Wah foji bhai. Aapne toh aag hi lagadi yaar . Musafir ka tuta hi hamara dil bhi toot geya uske sath hi . Superb update bhai. Aaj fir purane jakham hare ho gaye mere....#61
सीढियों से रूपा उतर रही थी , हाथो में थाली लिए. एक पल को उसे देख कर मैं भूल गया सब कुछ दिल में बस इतना याद रहा की जिस दिन मेरी शादी होगी उस से ठीक ऐसी ही लगेगी वो पर अगले ही पल ख्यालो को हकीकत ने धरातल पर ला पटका. रूपा यहाँ क्या कर रही थी .
“पाली दीदी ” मेरे पास से गुजरती एक लड़की ने आवाज दी उसे. और रूपा ने मेरी तरफ देखा.
देखा क्या देखती ही रह गयी . हमारी नजरे मिली.उसने थाली लड़की को दी और बोली- मुसाफिर
मैं- तुम यहाँ कैसे
रूपा- तक़दीर मुसाफिर
मैं- बातो में न उलझा मुझे बस इतना बता तू यहाँ कैसे , तेरे हाथ में आरती की थाली , आरती की थाली तो .
“आरती की थाली तो बस दुल्हे की बहन के हाथ में हो सकती है ” रूपा ने कहा
बस उसे आगे कुछ कहने की जरुरत नहीं थी, उसका सच आज सामने आ गया था . या यु कहूँ की आज पर्दा उठ गया था .
“मैं रुपाली , इस घर की सबसे छोटी बेटी ” रूपा ने कहा.
मैं- बस कुछ कहने की जरुरत नहीं तुझे, बहुत बढ़िया किया
मैं बस इतना ही कह पाया एक दम से दुनिया बदल गयी थी ,सब उल्त्पुल्ट हो गया था मेरे लिए. रूपा ने इतना बड़ा राज़ मुझसे छुपाया था .
“किसी ने सच ही कहा है ये दुनिया बड़ी जालिम है , तू भी औरो सी ही निकली ” मैंने कहा
रूपा- मेरी बात सुन हम बात करते है
मैं- अब बचा ही क्या बात करने को .
रूपा- मेरी बात सुन तो सही मुसाफिर
मैं बस मुस्कुरा दिया. और करता भी तो क्या दिल साला एक बार और टुटा था और इस बार तोड़ने वाली कोई और नहीं बल्कि वो थी जिसने इसे धडकना सिखाया था . मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था रूपा की हकीकत ने सब बदल दिया था . हर एक बात अब बदल गयी थी . मैंने पास की मेज पर रखी बोतल उठाई और एक साँस में आधी गटक गया . कलेजा जल गया
रूपा- ये क्या कर रहा है तू , देख सब देख रहे है ,स अबके सामने मुझे रुसवा न कर.
मैं- मुझे किसी से कोई फर्क नहीं पड़ता , पर तुझसे पड़ता है
रूपा- मेरे साथ आ मैं तुझे सब बताती हूँ
मैं- नहीं रूपा नहीं , अब कुछ नहीं कहना मुझे कुछ नहीं सुनना, तेरी महफ़िल तुझे मुबारक हमारा क्या है मुसाफिर था मुसाफिर हूँ बस मैं भूल गया था की मुसाफिरों के नसीब में मंजिले नहीं होती. जा रहा हूँ मैं , तुझे रुसवाई दू ये तो मेरी मोहब्बत की नाकामी होगी .
मैंने रूपा की तरफ पीठ मोदी और जाने के लिए चल दिया , कुछ कदम ही चला था की वो दौड़ कर मेरे पास आई और लिपट गयी मुझसे.
“तमाशा न कर यहाँ , सब तेरे ही है मेरा क्या होना सबकी नजरे तुझसे सवाल करेंगी ” मैंने कहा
रूपा- आग लगे दुनिया को मुझे बस तू चाहिए
मैं- मेरी होती तो ये सच न छिपाती मुझसे.
रूपा- काश तू मेरी मज़बूरी समझे
मैं- मज़बूरी का नाम देकर तू उस सच को नहीं बदल सकती
रूपा- मुझे एक मौका दे मैं तुझे सब बताती हूँ मेरे क्या हालत थे , मेरा क्या अतीत था मैं तुझे सब बताती हूँ .
मैं- सच तेरे रूप में मेरे सामने खड़ा है
मैंने रूपा को खुद से दूर किया
रूपा- मैं भी तेरे साथ चलूंगी, मुझे अगर मालूम होता की यहाँ ये सब होगा तो मैं अपनी कसम तोड़ कर कभी नहीं आती यहाँ
मैं-तूने तो दिल तोड़ दिया
न चाहते हुए भी मैं रो पड़ा. आंसू उसकी आँखों में भी थे अब साला यहाँ रुकना मुश्किल था . जिंदगी तो ले ही रही थी उस से ज्यादा मोहब्बत ने ली थी . टूटे दिल के बिखरे टुकडो को संभाले मैं वहां से चल तो दिया था पर कुछ समझ नहीं आ रहा था की जाऊ कहा, कहाँ थी ऐसी जगह जो यहाँ से दूर थी.
आखिर गाड़ी रोकी मैंने, दिल में बड़ा गुस्सा भरा था . जब और कुछ नहीं सुझा तो बोतल खोल ली मैंने. आधी बोतल पि थी की मुझे अहसास हुआ की मेरे आसपास कोई और है और जल्दी ही मैं समझ गया ये कौन थी .
“क्यों छिपी खड़ी है तू भी आजा , तू भी तमाशा देख मेरा ” मैंने कहा
हवा में फिर सरसराहट हुई और नागिन को मैंने अपने पास आते देखा .
“इसे पीने से मन हल्का नहीं होगा तुम्हारा, ”उसने कहा
मैं- मेरे मन की तू तो सोच ही मत
नागिन- फिर कौन सोचेगा
मैं- देख, मैं परेशां हूँ दिल टूटा है मेरा मैं कुछ उल्टा सीधा बोल दूंगा तू जा
नागिन- कैसे तेरा टूटा दिल तोड़ दू मैं
मैं- दिल चाहे सबके दिल तोड़ दू मैं
नागिन- खुद से नफरत से क्या मिलेगा
मैं- सकून
नागिन- सब नसीबो की बात होती है
मैं- तू जा यहाँ से तू भी इस दुनिया जैसी है
नागिन- बेशक चली जाउंगी सबको जाना है
मैं- तू क्या समझे क्या बीत रही है मेरे दिल पर काश तू समझ सकती
नागिन- मैं तो सब समझती हूँ बस तक़दीर है जो कुछ नहीं समझती .
मैं- सही कहा तक़दीर , तक़दीर ही तो है जो ये खेल खिलाती है .
नागिन- फिर तक़दीर को दोष दे खुद को क्यों दोष देता है
मैं- तक़दीर भी तो मेरी ही है
नागिन- तेरी है तो तुझे मिलेगी फिर क्यों करता है ये सब
मैं- काश तू समझ सकती मैंने क्या खोया है
नागिन - समझती हूँ
मैं- नहीं तू नहीं समझती
नागिन- समझती हूँ क्योंकि मैंने भी सब कुछ खोया है .
नागिन का गला भर आया उसकी पीली आँखों से पानी गिरते देखा मैंने.
“दर्द तेरे सीने में भी है , दर्द मेरे सीने में भी है तो क्या करे इस दर्द का ” मैंने कहा
नागिन- तेरी हालत ठीक नहीं है तू चल मेरे साथ
मैं- नहीं रे, अब किसी का साथ नहीं करना ये दुनिया बड़ी जालिम है सब साथ छोड़ जाते है
नागिन- मैं नहीं छोडूंगी तेरा साथ
मैं- तू ही तो गयी थी छोड़कर ,