kamdev99008
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mona nahi suhasini........... dev ki maaMONA jinda lash ki tarah
lekin..........ye suhasini nahi sirf dikhti hai
ye hai paali
mona nahi suhasini........... dev ki maaMONA jinda lash ki tarah
Maybemona nahi suhasini........... dev ki maa
lekin..........ye suhasini nahi sirf dikhti hai
ye hai paali
lo phir se chalna hai ise usi aurr jaha se kahani ki suruwat huyi thi.. jumagarh...#६०
मैंने पाया ये एक संदूक था , कुछ कपडे भरे थे उसमे , एक तस्वीर थी जिसमे तीन लोग थे. और एक बीन थी . हैरानी इस बात थी की नाग अपने सामान में बीन क्यों रखेंगे. क्या खिचड़ी बिखरी पड़ी थी यहाँ पर. मैंने वो तस्वीर अपनी जेब में रख ली.
मैं सोचने लगा की बाबा ऐसे अचानक से क्यों भागा, क्या देखा था उसने .खैर, रात थी बीत गयी अगला दिन भी मेरा मंदिर में ही लगा रहा . मुझे उम्मीद थी की बाबा आएगा पर वो नहीं आया. आज बड़ी सावधानी से काम करवाया पर कुछ खास नहीं मिला. शाम को मैं रूपा से मिलने गया पर वो वहां नहीं थी . ऐसे ही कुछ दिन बीत गए. एक तरफ मेरे घर का काम चल रहा था दूसरी तरफ मंदिर का निर्माण भी हो रहा था . मैं दोनों जगह ही उलझा था . उस रात मैं थोडा बेचैन सा था तो मैं मजार पर चला गया .
“बड़े सही समय पर आया है तू मुसाफिर , मैं सोच ही रहा था मुलाकात को ” बाबा ने कहा .
मैं- आप तो आते नहीं सो मैं ही आ गया .
बाबा- मैं तो फक्कड हूँ जाने किस ओर निकल जाऊ. बात ये है की न्योता आया है जूनागढ़ से तो चलेंगे जीमने .
मैं- सतनाम के लड़के की शादी है मालूम है मुझे आप ही जाना वैसे भी वो लोग मुझे क्यों बुलाने लगे.
बाबा- ऐसी बात नहीं है तेरा भी न्योता है
मैं- फिर भी मेरा मन नहीं करता
बाबा- चल तो सही मुसाफिर. कभी कभी ब्याह शादियों में भी चक्कर लगा लेना चाहिए
मैं- बाबा, आप तो जानते है की मोना जबसे लापता हुई है मेरा मन कही नहीं लगता ,
बाबा- मन का क्या है मन तो बावरा है , अब तू ही देख दो नावो की सवारी कर रहा है ब्याह तू रूपा संग करना चाहता है मन में तेरे मोना है .
मैं- दारू पियोगे बाबा
बाबा- नहीं रे, अपन तो अपनी चिलम के साथ ही ठीक है . वैसे भी दारू मुझे झिलती नहीं नशे में काबू रहता नहीं मेरा
मैं- क्या बाबा तुम भी नशा और तुम्हे , किसी और को बनाना
बाबा- रहने दे मुसाफिर, नशे में मेरे पुराने जख्म हरे हो जाते है , बीता हुआ कल सबसे ज्यादा दुःख देता है.
मैं- लोग कहते है बाँटने से कम हो जाते है दुःख
बाबा- काश ऐसा होता. खैर, हम चलेंगे ब्याह में .
मैं- ठीक है पर रूपा के बाप से कब बात करने जाओगे.
बाबा- जूनागढ़ से आने के बाद.
मैं- क्या नागेश सच में लौट आया है
बाबा- संकेत है बस , हो सकता है की उसका कोई अनुयायी उसके नाम से दहशत फैला रहा हो .
मैं- पर वो ऐसा क्यों करेगा
बाबा -ये दुनिया मादरचोद है ,लोग कुछ भी करते रहते है
मैं- पर वो तिबारा नागेश ने नहीं तोडा था .
बाबा- जानता हूँ वो किसी और की करतूत थी
मैं- तो अपने बात की उस से
बाबा- अब क्या कहना क्या सुनना,हमारा किस पर जोर है
मैं- आपने इश्क किया कभी बाबा
बाबा- तुझे क्या लगता है
मैं- दीवाने लगते हो
बाबा- नहीं मुसाफिर नहीं . देर हो रही है मैं चलता हूँ भूख लगे तो आ जाना आज खास चीज़ होगी खाने में
मैं- आ जाऊंगा घंटे भर में
बाबा- ठीक है तो फिर चलेंगे जूनागढ़
मैं-जैसी आपकी मर्जी.
बाबा के जाने के बाद मैं बस बैठा ही था की शकुन्तला को आते देखा .
मैं- तू इस वक्त
सेठानी- तुझे क्या दिक्कत है
मैं - मुझे क्या दिक्कत है जहाँ चाहे वहां गांड मरवा
सेठानी- तमीज से बात कर देव
मैं- तमीज की तो तू बात ही न कर , सब जानता हूँ कितने यार है तेरे विक्रम, जब्बर, सतनाम
सेठानी- तुझे जो समझना है समझ मुझे झांट का फर्क भी नहीं पड़ता
मैं- पर मुझे पड़ता है , तांत्रिक को बुलाकर जो तूने तेरी औकात दिखाई है न
सेठानी- उस सर्प को तो मैं मार कर रहूंगी, मैंने कसम खाई है .
मैं- कोशिश कर के देख ले जबतक मैं हूँ तू कुछ नहीं कर सकती
सेठानी- गुमान तो रावन का भी नहीं चला था तेरा क्या रहेगा देव, आज नहीं तो कल मैं उसे मार दूंगी उसके टुकड़े भेजूंगी तुझे. और तू क्या ये मंदिर के गड़े मुर्दे खोद रहा है कुछ नहीं मिलेगा तुझे.
मैं- सकूं मिलेगा मुझे, जो पाप तेरे पति और तेरे यारो ने किया था उसका फल इसी जन्म में मिलेगा तुम सबको पति तो गया, तेरे यार भी जायेंगे, उनसे जाके कह मंदिर की अमानत लौटा दे वापिस .
सेठानी- तू मेरा पति वापिस लौटा सकता है क्या
मैं- उसने गलती की थी सजा मिली उसे , मंदिर में रहने वाले दो गरीबो को मारा था उसने .
सेठानी- चल एक सौदा करते है तू मुझे उस सांप की लाश लाकर दे मैं तुझे मंदिर का लुटा हुआ सामान लाकर दूंगी.
मैं- चुतिया की बच्ची ये खेल किसी और के संग खेलना , मैं जानता हु की तुझे और विक्रम दोनों को ही नहीं मालूम की वो लूट का सामान कहा है .
मेरी बात सुनकर शकुन्तला के चेहरे पर हवाई उड़ने लगी.
मैं- जब्बर की मौत का तो तुझे मालूम ही होगा. रही बात तेरे यहाँ आने की तो यहाँ भी तू कुछ तलाशने ही आई होगी, जा कर ले जो तू कर सकती है . बस इतना याद रखना दुश्मनी की आग में सबको झुलसना ही पड़ता है तू नागिन से माफ़ी मांग ले और बढ़िया जीवन जी सब कुछ है तेरे पास , विचार कर .
सेठानी- मैंने अपना रास्ता चुन लिया है आग सीने में लगी है दुनिया में लगा दूंगी , मैं झुलस रही हु तो तुम भी महसूस करोगे इस आग को .
मैं- वो तेरी मर्जी है
मैं वहां से उठा और मजार की तरफ चल दिया. बाबा ने मुर्गा पकाया था छक कर खाना खाया और वही सो गया. अगले दिन हमें जूनागढ़ जाना था . एक बेहतर कल की उम्मीद लिए मैं आँखे बंद किये हुए था पर मैं कहाँ जानता था की आने वाला कल क्या लाने वाला था अपने साथ.
दोपहर होते होते मैं बाबा के साथ जूनागढ़ के लिए निकल गया . सतनाम ने बड़ी बढ़िया दावत दी थी . मैं नानी से मिला उन्होंने पूछा मोना के बारे में और मेरे पास देने को कोई जवाब नहीं था. भोज के बाद हमें निकलना ही था पर नानी ने हमें रोक लिया ये कहकर की प्रोग्राम में ठहरो . बाबा न जाने कहा रमता राम हो गया था . शाम हो रही थी पर दिल में बेचैनी सी थी . मोना की याद आ रही थी .
मैं बस वहां से खिसक ही जाना चाहता था , की नानी मुझे अपने साथ अन्दर ले गयी और अन्दर जाते ही मैंने जो देखा मेरी आँखों ने उसे मानने से इनकार कर दिया. दिल ने बस इतना कहा ये नहीं हो सकता.
मैं- चुतिया की बच्ची ये खेल किसी और के संग खेलना , मैं जानता हु की तुझे और विक्रम दोनों को ही नहीं मालूम की वो लूट का सामान कहा है .
Behad hi shandar or jabardast update
Stnam ke ghar ab kya dekh liya dev ne jo kaha ki nahi ho sakta . Shakuntala ko to badle me khood kar hi jal khak hona padega . Baba ki harkte kuchh pallle na pad rahi hai ab dekhte hai roopa kaha gayab hai aajkal . Kahi roopa se to shadi na ho rahi ??
कहीं रूपा ही तो दुल्हन नहीं?...........रूपा अंदर बैठी थी
Lagta hai sanatan aur roopa ki shaadi ho gayi hogi shayad... hain na kammo sahebकहीं रूपा ही तो दुल्हन नहीं?...........
कुछ पता नहीं फौजी भाई का.......... पता नहीं किस-किस का दिल तोड़के अपना बदला लेते हैं...........