जाम तो यू ही बदनाम है यारों कभी इश्क करके देखो
या तो पीना भूल जाओगे या फिर पी-पी के जीना भूल जाओगे.......
अब के सावन में सबका हिसाब कर दूं
जिसका जो वाकी है वो भी हिसाब कर दूं
और मुझे इस गिलास में ही कैद रख वरना
पूरे शहर का पानी शराब कर दूं.
कोई लफ्ज़ नहीं फिर भी कलम उठाई है,
बस तुमको यही जताना था कि याद तुम्हारी आयी है।
Yadon ke jharokhen ki ye mithi angrai hai
Lobon pe muskaan aur aakhon me aashu aayi hai