- 2,977
- 2,865
- 159
वो तेरे होटों की शबनम ही काफी है..
उसमे बह जाने को,
वो मेरी ख़ामोशी ही काफी थी..
तेरे दिल को आवाज़ लगाने को.
क़तरे शबनम को झोपड़ी तरस जाती है,
जब घटा आती है महलों पे बरस जाती है.
Last edited:
वो तेरे होटों की शबनम ही काफी है..
उसमे बह जाने को,
वो मेरी ख़ामोशी ही काफी थी..
तेरे दिल को आवाज़ लगाने को.
Goodहमारी "गुफ़्तुगू" महदूद रहती है इशारों तक,
मुझे इंगलिश नहीं आती, उसे उर्दू नहीं आती।
coolजिन्दों की फुर्सत किसे, मुर्दे भी बिकते हैं यहां,
मुझे तो ये शहर इक शमशान सा लगता है।
zindo'n ki fursat kise, murde bhi hain bikte yahaan,
mujhe to yeh sehar ek shamshaan sablagta hai.
बुरा तो हूँ ही, चलो बदनाम कर दो अब,
नशा इश्क़ का उतरेगा, इक जा़म औऱ भर दो अब।
जल चूका हूँ तपिश-ऐ-गम में;
बची है बस ख्वाइश आखिरी इतनी,
किसी तीर्थ घाट की पावन धारा में,
ये झुलसती राख बहे न बहे;
तेरे सुलगते दिल की, दहकती भस्माग्नि में,
बुझी यादों के चिराग जलते रहे