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Erotic updateकामया का पूरा शरीर सिहर उठा कामेश के बारे में उसकी धारणा एकदम से बदल गई थी वो भी तो एक जंगली की तरह ही था या सिर्फ़ दिखाने को ऐसा तो उसने कभी नहीं किया वो अवाक सी कामेश की ओर देखती ही रह गई कामेश हँसते हुए गाड़ी का इग्निशन ओन करके बड़ी ही सफाई से पार्किंग से निकला और कोई फिल्मी गाना गुनगुनाते हुए गाड़ी ड्राइव करने लगा
कामेश- क्यों कैसा लगा
कामया- धात कोई देख लेता तो
कामेश- कहो तो मैं रोड में ही गाड़ी रुक कर फिर से किस करू
कामया- नहीं कोई जरूरत नहीं है
कामेश ने अचानक ही फिर से गाड़ी रोक ली और बिना किसी ओपचारिकता के फिर से कामया को अपनी ओर खींचकर एक लंबा सा चुंबन फिर से जड़ दिया और हँसते हुए गाड़ी चलाने लगा
कामया के होंठों पर भी एक हँसी फूट पड़ी और कामेश के किस करने से जो थूक उसके होंठों पर लगी थी उसे चाट कर अपने मुख में ले लिया
कामया---आज तो बहुत रोमँटिक हो गये हो
कामेश- आज में बहुत खुश हूँ आज से तुम मेरी बिज़नेस पार्ट्नर भी हो लाइफ पार्ट्नर भी हो और क्या चाहिए एक इंसान को अब में बाहर का काम देखूँगा और तुम यहां का
कामया- बाहर का मतलब
कामेश- अरे यार अभी कुछ नहीं बस घर चले फिर तुम्हें बहुत प्यार करूँगा और फिर कहूँगा ठीक है
कामया थोड़ा सा शर्मा गई थी हाँ … उसे बहुत जरूरत थी कामेश के प्यार की वो बहुत गरम हो चुकी थी किसने तो जैसे आग में घी का काम कर दिया था पीने से तो वो बहुत उत्तेजित थी ही पर फिर किस उउउफफफ्फ़ जल्दी से घर आ जा ए
घर पहुँचते ही कामया भी अपनी ओर से जल्दी से निकली और कामेश भी पर जैसे ही डाइनिंग रूम को पार करने वाले थे कि पापाजी को टेबल पर बैठे देखा तो दोनों की हवा निकल ग ई
पापाजी- आ गये क्यों बहू कैसी लगी गाड़ी हाँ …
कामया- जी पापाजी बहुत अच्छी
पापाजी- अच्छी हमारे घर की पहली मर्सिडीज है भाई वो भी हमारे बहू के लिए
कामया- जी पापाजी
पापाजी- अरे कामेश ध्यान चाँद जी का फोन आया था और दुकान में भी आए थे कुछ बातें करनी थी तुमसे फोन करने को कहा है वो तो तभी लगाने वाले थे मैंने मना कर दिया
कामेश- जी पापा करलूंगा
पापाजी- आओ बहू बैठो खाना खा लिया क्या
कामया- जी पापाजी
पापाजी- हाँ … बहुत अच्छा किया सेलेब्रेट किया करो ऐसे घर में बैठी बैठी तो तुम भी मम्मीजी जैसे ही हो जाओगी
कामया- जी और पापाजी से थोड़ी दूरी बनाकर वो पापाजी के खाने का खतम होने का इंतजार करने लगी पर पापाजी तो पता नहीं कहाँ की बातें बताने लगे थे पर कामया क्या करती वही बैठी हुई हाँ ना और जी में जबाब देती रही
पापाजी के खाना खतम होने के बाद कामया लगभग दौड़ती हुई अपने कमरे में पहुँची तो देखकर सन्न रह गई कामेश तो बिस्तर पर लेट चुका था हिल भी रहा था मतलब सोया नहीं था उसका इंतजार कर रहा था वो जल्दी से अपने कपड़े लेके बाथरूम में घुसी और अपने को कामेश के लिए तैयार करने लगी आज उसने कामेश का लाया बेबीडोल वाली गाउन पहनी थी जो कि अंदर तो सिर्फ़ एक शमीज जितनी लंबी थी और बहुत ही महीन थी जाँघो के बहुत ऊपर ही खतम हो जाती थी
दो धागे समान स्टीप से बस उसे लटकाए हुए थे कामया के कंधे पर कामया ने अपनी ब्रा भी उतार दी और अपना मेकप भी थोड़ा सा ठीक किया और ऊपर गाउनका दूसरा हिस्सा जो कि पैरों तक जाता था पर था वो भी वैसा ही महीन पर ढकने को अच्छा था पहनकर अपने कमरे में वापस आ गई पर यह क्या कमरे में कामेश के हल्के खर्राटे सुनाई दे रहे थे सो चुका था वो बेड के पास जाके कामेश को एक दो बार धक्के भी मारे पर वो तो जैसे कुम्भकरण की नींद में था
उसे कोई चिंता ही नहीं थी जो भी बातें उसने गाड़ी में की थी या फिर आने तक की थी वो सब खतम वा फिर वो सब फालतू था कामया का दिमाग खराब होने को था वो वही बेड पर बैठ गई थी और कामेश की ओर देखती रही उसने गुस्से में आके अपनी गाउन भी उतार दी और कामेश को एक बार-बार फिर अपने हाथों से थोड़ा सा धकेला पर कहाँ कामेश तो अपनी निद्रा में मस्त था अपनी इस दुनियां को छोड़ कर कही और ही पहुँच गया था पर कामया क्या करे वो तो कुछ और ही मूड में थी आज उसने पहली बार शराब भी पी थी और जो भी कामेश रास्ते भर उसके साथ करता हुआ आया था
उससे उसके शरीर में एक भयानक आग लग गई थी वो उसे शांत करना चाहती थी पर कामेश को उसकी कोई चिंता नहीं थी वो तो सो चुका था कामया को इसी तरह मजधार में छोड़ कर कामाया बेड के कोने में बैठकर अपने आपको कोष रही थी और कामेश की ओर देखते हुए अपने भाग्य पर जो इतना इतरा रही थी वो सब यहां आने के बाद फुस्स हो जाता था वो गुस्से में अपनी चादर खींचकर अपने तकिये में मुँह छुपाकर लेट गई और सोने की कोशिश करने लगी
लाइट भी बंद करदी और सुबह से लेकर शाम तक की घटना को परत दर परत खोलने की कोशिश करने लगी सुबह से कितना अच्छा दिन निकला था हर किसी ने उसे कितना इज़्ज़त दी थी हर कोई उसके आगे पीछे घूमता हुआ नजर आया था हर कोई उसकी एक झलक पाने को उतावला था चाहे वो कॉंप्लेक्स में हो या फिर शोरुम में ही क्यों ना हो पर रात होते होते कामेश ने सब कचरा कर दिया उसकी नजर में उसकी क्या इज़्ज़त थी वो जान गई थी उसकी नजर में कामया क्या थी वो जान गई थी
उसे कोई फिकर नहीं थी कामया की उसे तो सिर्फ़ पैसा खर्च करना आता है या फिर पैसा कमाना आता है और कुछ नहीं पत्नी को खुश रखने के लिए वो पैसा खर्च जरूर कर सकता था पर टाइम नहीं उसके पास कामया के लिए टाइम नहीं था उसे कामया की कोई जरूरत नहीं थी थी तो बस अपनी फर्म को एस्टॅब्लिश करने के लिए एक इंसान की या फिर एक नौकर की नौकर जो कि उसके बातों में उठे और फिर उसके आनुरूप चले बस और कुछ नहीं
अचानक ही कामया के दिमाग में नौकर भीमा चाचा की याद ताजा हो आई वो कैसे इस बात को भूल गई आज तो वो दिन में भी घर में नहीं थी दोपहर को भी भीमा चाचा के साथ उसका मिलन नहीं हुआ था और नहीं ही लाखा काका के साथ वो ड्राइविंग ही सीखने गई थी
हन सच ही तो है वो भी कैसे इन दोनों को भूल गई वो तो हमेश ही तैयार मिलेंगे भीमा तो घर का ही आदमी है जैसे ही कामया के जेहन में यह बात आई तो उसके शरीर में एक उत्तेजना की लहर फिर से दौड़ गई जो लहर वो अब तक दब चुकी थी कामेश से गुस्सा होकर पर जैसे ही भीमा चाचा के बारे में सोचने लगी वो फिर से कामुक हो उठी वो अपने ही हाथों से अपनी चुचियों को चद्दर के नीचे दबाने लगी थी अपनी जाँघो को सिकोड कर अपने को शांत करने की कोशिश करने लगी थी अपनी सांसों को एक बार फिर से नियंत्रण में लाने की कोशिश करने लगी थी पर कहाँ जो उसने आज दिन भर नहीं किया था वो अब उसे बस लेटे ही लेटे शांत नहीं कर सकती थी उसे भीमा चाचा के पास फिर से जाना ही होगा उसे आज किसी भी हालत में अपने तन को शांत करने जाना होगा नहीं तो वो शायद पागल हो जाए उसकी जाँघो के बीच में एक अजीब सी गुदगुदी से होने लगी थी वो सोच नहीं पा रही थी कि क्या करे पर कहते है ना जब इंसान इस तरह की स्थिति में हो तो उसके पास दो ही विकल्प होते है एक कठिन और एक आसान
उसने भी आसान तरीका ही चुना और धीरे से अपने बेड से उठी और एक नजर कामेश के सोते हुए जिश्म की ओर डाली और पैरों में अपनी सॅंडल डालकर धीरे-धीरे कमरे के बाहर की ओर चल दी वो अपने को अब नहीं रोकना चाहती थी या कहिए रुक नहीं सकती थी वो अपने आप में नहीं थी उसे एक मर्द की जरूरत थी रोज उसके शरीर को मसलने के लिए उसे मर्द चाहिए ही था वो अब ऐसी ही हो गई थी चाहे वो कामेश हो या फिर भीमा चाचा हो या फिर लाखा काका ही क्यूँ ना हो उसे तो बस एक मर्द की चाहत थी जो उसके इस नाजुक और काम अग्नि से जल रहे तन की भूख को मिटा सके
वो एक बार पलटकर कामेश की ओर देखा और बाहर निकल गई और हाँ … आज उसने एक काम और किया बाहर जाते हुए उसने डोर बाहर से लॉक कर दिया था बाहर का एक बार उसने ठीक से जायजा भी लिया अपने कदमो को वो भीमा चाचा के कमरे की ओर ले जाने से नहीं रोक पा रही थी वो कुछ बलखाती हुई सी चल रही थी या फिर नशा शराब का था या उसके शरीर में उठने वाली सेक्स की आग का था पर उसकी चाल में एक मदहोशी थी उसके आँखें नम थी उनमें एक उम्मीद थी और एक सेक्स की भूख शायद अंधेरा ना होता तो और भी अच्छा से देखा जा सकता था वो बिल्कुल नशे की हालत में चलते हुए भीमा चाचा के कमरे के बाहर पहुँच गई थी अंदर आज अंधेरा था शायद चाचा सो गये हो या फिर जाग रहे हो
चाहे जो भी हो वो कामेश की तरह नहीं है वा जरूर उसकी जरूरत पूरी करेंगे नहीं तो उसकी छुट्टी कल से काम बंद सोचते हुए उसने बंद दरवाजे को हल्के से धकेला जो कि धीरे से खुल गया चाचा नीचे बिस्तर पर सोए हुए थे दरवाजे की आहट से भी वो नहीं उठे पर हाँ … उनके शरीर में एक हरकत जरूर हुई वो बेधड़क अंदर घुस गई और धीरे से भीमा चाचा के पास बिस्तर के पास जाके घड़ी हो गई भीमा चाचा अब तक दूसरी तरफ चेहरा किए सो रहे थे वो खड़ी-खड़ी सोच रही थी कि आगे क्या करे कैसे उठाए इस जानवर को हाँ जानवर ही था बस अपने मन की ही करता था और जैसे चाहे वैसे उसे कामया की कोई सुध लेने की जैसे जरूरत ही नहीं होती थी पर हाँ … उनका स्टाइल उसे पसंद था जो भी करे उसे अच्छा लगता था और बहुत अच्छा उसके तन और मन को शांति मिलती थी
वो थोड़ी देर खड़ी रही फिर अपने पैरों से धीरे से भीमा चाचा के कंधे पर हल्के से से थपकी दी
कामया- चाचा एये ए
चाचा एकदम से पलटे उनका चहरा उसे नहीं दिखा हाँ … पर उसके यहां होने की संभावना उन्हें नहीं थी वो झट से उठकर बैठ गये कल की तरह आज भी वो ऊपर से नंगे थे और चद्दर से अपनी कमर तक ढँका हुआ था वो जैसे ही उठे उनका हाथ कामया की टांगों से लेकर जाँघो तक फिरने लगा
Shabashiपापाजी के साथ कामया अपने नये काम को देखती हुई कॉंप्लेक्स में आज कुछ और अंदर तक घुसी वहां के लोगों से मिली और कुछ देर बाद वहां से निकलकर अपने शोरुम में भी पहुँची और फिर कल की तरह ही पूरी शाम तक वो अपने पति और पापाजी के साथ ही रही उसके मन में एक बार भी कही कोई त्रुटि नहीं आई या फिर कहिए सेक्स के बारे में कोई भी सोच नहीं आई वो इसी तरह से अपने शाम तक का टाइम निकाल कर जब अपने पति के साथ घर पहुँची तो बहुत थक गई थी घर पहुँचकर भी उसने ना तो भीमा चाचा से नजर ही मिलाई और नहीं लाखा काका के सामने कोई उत्तेजना ही
इसी तरह रात को भी कामया अपने कमरे में ही रही रात को कामेश के साथ सेक्स का मजा भी लिया और बहुत ही प्यार भरी बातें भी की कामेश उसे बहुत छेड़ रहा था उसे बार-बार अपने काम के बारे में पूछकर उसे एमडी एमडी कहकर , छेड़ता जा रहा था उसे भी अपने पति की छेड़ छाड़ अच्छी लग रही थी वो अगर इतना ध्यान उसे दे तो क्या जरूरत है उसे किसी के पास जाने की अगर वो उसे समय दे तो क्या जरूरत है उसे किसी से समय माँगने की वो बहुत खुश थी और अपने बिस्तर पर पड़े हुए वो एक चरम सुख का आनद ले रही थी उसे आज साफ्ट सेक्स में मजा आ रहा था कितना प्यार करते है कामेश उसे कितने हल्के हाथों से और कितने जतन से कही उसे चोट ना लग जाए या फिर निशान ना पड़ जाए कितने प्यार से उन्होंने उसकी चुचियों को छुआ था और कितने प्यार से उन्हें मुख में डालकर चूसा भी था वो एक परम आनंद के सागर में गोते लगा रही थी जब कामेश ने उसकी योनि के अंदर प्रवेश किया तो आआआआआह्ह एक सिसकारी उसके मुख से आनयास ही निकल गई थी और वो कामेश के होंठों को अपने होंठों में लेकर चुबलने लगी थी कितना आनंद और सुख है कामेश के साथ कोई चिंता नहीं कैसे भी और किसी भी वक़्त वो अपने पति के साथ आनंद ले सकती थी कामेश की स्पीड धीरे-धीरे बढ़ने लगी थी और वो अब पूरी गति से कामया पर छाया हुआ था और कामया भी अपने पति का पूरा साथ दे रही थी और आज तो कुछ ज्यादा ही
वो हर धक्के पर उच्छल जाती और अपनी बाहों के घेरे को और भी कामेश के चारो ओर कस्ति जा रही थी हर धक्के को वो भी कामेश के धक्के के साथ मिलाना चाहती थी और हर धक्के के साथ ही वो कामेश को किस भी करती जा रही थी और उसके होंठों के बाद अब तो वो उसकी जीब को भी अपने होंठों में दबा कर अपने मुख के अंदर तक ले जाने लगी थी कामया की सेक्स करने की कला से कामेश भी हैरान था और वो जानता था , कि कामया बहुत ही गरम है और वो अब ज्यादा देर तक ठहर नहीं पाएगा जिस तरह से कामया अपनी कमर को उछाल कर उसका साथ दे रही थी उसे अंदाजा हो गया था कि कामया भी कभी भी उसका साथ छोड़ सकती है कामया के होंठों से निकलने वाली हर आवाज अब उसे साफ-साफ सुनाई दे रही थी जो कि उसके कान के बिल्कुल करीब थी और भी उसे उसके करीब खींचने की कोशिश कर रही थी
कामेश ने भी अपने पूरे जोर लगाकर कामया को अपनी बाहों के घेरे में कस रखा था और लगातार अपनी स्पीड को बढ़ा रहा था हर धक्के में वो कामया के जेहन तक उतर जाना चाहता था और उसे रास्ता भी मिल रहा था आज कामया उसे पागल कर दे रही थी वो जिस तरह से अपनी दोनों जाँघो को उसकी कमर के चारो ओर घेर रखा था उससे वो बहुत ज्यादा ऊपर भी नहीं हो पा रहा था उसकी जकड़ इतनी मजबूत थी कि वो छुड़ाने की कोशिस भी नहीं कर पा रहा था
कामया- जोर से कामेश और जोर से
कामेश- हूँ हूँ आअह्ह हाँ …
कामया- और कस कर पकडो प्लीज और कस कर मारो प्लीज
कामेश अपनी पूरी ताकत लगाके कामया को जकड़े हुए था पर कामया उसे और भी पास और भी नजदीक लाने की कोशिस कर रही थी वो उत्तेजना में जाने क्या-क्या कह रही थी वो अपने पूरे जोर से कामया के अंदर-बाहर हो रहा था पर कामया के मुख से निकल रहे शब्दों को सुनक र , सच में पागल हुए जा रहा था वो अपनी पूरी शक्ति लगाकर कामया को भोगने में लगा था पर कामया को उपने शिखर में पहुँचने में अभी थोड़ी देर थी वो कामेश को जितना हो सके उसने जोर से कस कर भिच रखा था और लगातार अपनी कमर को हिलाकर कामेश के लिंग को जितना हो सके अंदर तक ले जाने की कोशिश करती जा रही थी वो एक साधारण औरत जैसा बिहेव नहीं कर रही थी वो एक सेक्स मेनिक जैसी हो गई थी और अपने ऊपर अपने पति को ही निचोड़ने में लगी हुई थी वो अपनी योनि को भी सिकोर्ड कर उसके रस को अपने अंदर तक समा लेने चाहती थी
और उधर कामेश जितना रुक सकता था रुका और धम्म से कामया के ऊपर ढेर हो गया वो अपनी पूरी शक्ति लगा चुका था और कामया को भोगने में कोई कसर नहीं छोड़ा था पर पता नहीं कामया को क्या हो गया था कि आज वो उसका साथ नहीं दे पाया वो अब भी नीचे से धक्के लगा रही थी और कामेश के सिकुडे हुए लिंग को अपने से बाहर निकलने नहीं दे रही थी अचानक ही कामया जैसे पागल हो गई थी एक झटके से अपनी जाँघो को खोलकर वापस आपास में जोड़ लिया और कामेश को नीचे की ओर पलट दिया और खुद उसके ऊपर आके उसके ऊपर सवार हो गई अब कामया कामेश को भोग रही थी ना कि कामया को कामेश शिथिल होता जा रहा था उसके शरीर में इतनी भी ताकत नहीं थी कि वो कामया को सहारा दे और उसे थामे पर कामया को जैसे किसी तरह की मदद की जरूरत ही ना हो वो कामेश के ऊपर सवार होकर अपनी कमर को तेजी चलाकर अपनी हवस को शांत करती जा रही थी पर शायद कामेश के सिकुड़ जाने के बाद उसे इतना मजा नहीं आया था वो एकदम से कामेश के सीने में गिर गई और उसे चूमते हु ए
कामया- प्लीज कामेश थोड़ी देर और प्लीज करो ना आआआआआआअ
कमाया की कमर अब भी अपने अंदर कामेश के लिंग को निचोड़ जा रही थी पर कामेश में अब ताकत नहीं बची थी सो वो अपने हाथों को उसकी कमर के चारो और लेजाकर कस के उसे पकड़ लिया और नीचे से धीरे-धीरे धक्के मारने लगा था ताकि कामया को शांत कर सके पर कामया ने तो जैसे आशा ही छोड़ दी थी वो कामेश के सीने से चिपकी हुई अपने कमर को आगे पीछे करती जा रही थी और कामेश के सीने पर किस करते-करते अपनी उंगलियों से उसके बालों को खींचने लगी थी
कामेश- आहह क्या करती हो
कामया- धात थोड़ी देर और नहीं कर सके
कामेश- अरे आज क्या हुआ है तुम्हें पहले तो ऐसा नहीं देखा
कामया- एक तो इतने दिन बाद हाथ लगाते हो और फिर अधूरा ही छोड़ देते हो
और कामेश के ऊपर से अपनी साइड में उतरगई कामेश को भी दुख हुआ और कामया को अपनी बाहों में भर कर उसके गालों को चूमते हुए कहा
कामेश- अरे यार पता नहीं क्या हुआ आज पर पहले तो ऐसा नहीं हु आ
कामया- बुड्ढे हो गये हो और क्या सिर्फ़ दुकान औ र , पैसा ने तुम्हें बूढ़ा बना दिया है और कुछ नहीं
और गुस्से में पलटकर सोने की कोशिश करने लगी पर नींद कहाँ वो अपनी अधूरी छोड़ी हुई वासना को कैसे पूरी करे सोचने लगी थी
वो अचानक ही कामेश की ओर मूडी और फिर से कामेश को अपनी बाहों में भर कर उसे किस करने लगी
कामेश को भी लगा कि शायद गुस्से के कारण उसने जो कहा उसके लिए शर्मिंदा है सो उसने भी कामया को अपनी बाहों में भर लिया और वो भी कामया को किस्स करने लगा था पर कामया के दिमाग में कुछ और ही था वो कामेश को किस करते हुए अपना एक हाथ नीचे उसके लिंग तक पहुँचा चुकी थी कामेश एक दम भौचक्का रह गया वो आखें खोलकर कामया की ओर ध्यान से देखने लगा कामया के चहरे पर एक कातिल सी मुश्कान थी जैसे वो कह रही हो कहाँ जाओगे बचकर वो कामेश के लिंग को अपने हाथों में लेकर उसे अपने लिए तैयार करने चेष्टा में थी उसकी आखों में एक अजीब सी चमक थी जो कि कामेश ने आज से पहले कभी नहीं देखी थी वो एक अलग सी कामया को देख रहा था पर हाँ … उसे अपनी पत्नी का यह अंदाज अलग और अच्छा लगा वो भी फिर से अपनी में आने लगा था कामया की हथेलियो में उसके लिंग को एक नई उर्जा मिल रही थी और उसके किस में भी एक अलग ही बात थी जो कि आज तक उसने कभी महसूस नहीं किया था
कामया कामेश के लिंग को धीरे-धीरे अपने हाथों से सहलाती हुई कामेश के होंठों को किस करती जा रही थी और एकटक कामेश की ओर देखती जा रही थी फिर धीरे से कामेश के होंठों को छोड़ कर वो कामेश के सीने के बालों में अपने होंठों को एक दो बार घुमाकर उसके पेट और नाभि तक पहुँच गई थी उसका एक हाथ अब भी उसके लिंग पर ही था जो कि अपने अस्तित्व में आने लगा था और थोड़ा बहुत झटके लेकर अपने आपको जगा हुआ परवर्तित करवाने की चेष्टा में था कामेश के होंठों से कामेश के शरीर में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी थी और वो झुक कर अपनी पत्नी को उसे इस तरह से प्यार करते हुए नीचे की ओर जाते हुए देख रहा था वो कामया के सिर को सहलाते हुए अपने तकिये में चुपचाप लेटा हुआ था कामया के होंठों ने जब उसकी नाभि और पेट को छोड़ कर अचानक ही उसके लिंग को किस किया तो वो लगभग चौक गया और नीचे की और देखते हुए अपनी पत्नी के सिर पर अपने हाथों के दबाब को बढ़ते हुए पाया था शायद हर मर्द की चाहत ही होती है कि कोई औरत उसके लिंग को चूसे बिस्तर पर एक वेश्या जैसे वर्ताव करे पर जब यह सब होने लगता है तो एक बार आश्चर्य होना वाजीब है और कामेश को भी हो रहा था पर कामया जिस तरह से उसके लिंग को अपने मुख के अंदर लेकर खेल रही थी या फिर उसके लिंग को अपने लिए तैयार कर रही थी वो अपना आपा खो चुका था अपने लिंग को कामया के मुख में डालने की शायद वो चाहत कामेश के अंदर भी थी पर शायद कह नही पाया था पर आज तो जैसे वो कामया को अपने लिंग का स्वाद लेने के लिए दबाब भी बनाने लगता जैसे ही कामया की जीब ने उसके लिंग को छुआ वो अपने शरीर में झटके को नहीं रोक पाया
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