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Adultery घर की बहू

Coquine_Guy

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ये कहानी मुझे अच्छी लगी .. इसीलिए इसको यहां पोस्ट कर रहा हूँ ताकि आप लोग भी पढ़े और मज़ा उठाएं
 
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Tiger 786

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कामया का पूरा शरीर सिहर उठा कामेश के बारे में उसकी धारणा एकदम से बदल गई थी वो भी तो एक जंगली की तरह ही था या सिर्फ़ दिखाने को ऐसा तो उसने कभी नहीं किया वो अवाक सी कामेश की ओर देखती ही रह गई कामेश हँसते हुए गाड़ी का इग्निशन ओन करके बड़ी ही सफाई से पार्किंग से निकला और कोई फिल्मी गाना गुनगुनाते हुए गाड़ी ड्राइव करने लगा
कामेश- क्यों कैसा लगा
कामया- धात कोई देख लेता तो
कामेश- कहो तो मैं रोड में ही गाड़ी रुक कर फिर से किस करू
कामया- नहीं कोई जरूरत नहीं है
कामेश ने अचानक ही फिर से गाड़ी रोक ली और बिना किसी ओपचारिकता के फिर से कामया को अपनी ओर खींचकर एक लंबा सा चुंबन फिर से जड़ दिया और हँसते हुए गाड़ी चलाने लगा
कामया के होंठों पर भी एक हँसी फूट पड़ी और कामेश के किस करने से जो थूक उसके होंठों पर लगी थी उसे चाट कर अपने मुख में ले लिया
कामया---आज तो बहुत रोमँटिक हो गये हो
कामेश- आज में बहुत खुश हूँ आज से तुम मेरी बिज़नेस पार्ट्नर भी हो लाइफ पार्ट्नर भी हो और क्या चाहिए एक इंसान को अब में बाहर का काम देखूँगा और तुम यहां का
कामया- बाहर का मतलब
कामेश- अरे यार अभी कुछ नहीं बस घर चले फिर तुम्हें बहुत प्यार करूँगा और फिर कहूँगा ठीक है
कामया थोड़ा सा शर्मा गई थी हाँ … उसे बहुत जरूरत थी कामेश के प्यार की वो बहुत गरम हो चुकी थी किसने तो जैसे आग में घी का काम कर दिया था पीने से तो वो बहुत उत्तेजित थी ही पर फिर किस उउउफफफ्फ़ जल्दी से घर आ जा ए
घर पहुँचते ही कामया भी अपनी ओर से जल्दी से निकली और कामेश भी पर जैसे ही डाइनिंग रूम को पार करने वाले थे कि पापाजी को टेबल पर बैठे देखा तो दोनों की हवा निकल ग ई
पापाजी- आ गये क्यों बहू कैसी लगी गाड़ी हाँ …
कामया- जी पापाजी बहुत अच्छी
पापाजी- अच्छी हमारे घर की पहली मर्सिडीज है भाई वो भी हमारे बहू के लिए
कामया- जी पापाजी
पापाजी- अरे कामेश ध्यान चाँद जी का फोन आया था और दुकान में भी आए थे कुछ बातें करनी थी तुमसे फोन करने को कहा है वो तो तभी लगाने वाले थे मैंने मना कर दिया
कामेश- जी पापा करलूंगा
पापाजी- आओ बहू बैठो खाना खा लिया क्या
कामया- जी पापाजी
पापाजी- हाँ … बहुत अच्छा किया सेलेब्रेट किया करो ऐसे घर में बैठी बैठी तो तुम भी मम्मीजी जैसे ही हो जाओगी
कामया- जी और पापाजी से थोड़ी दूरी बनाकर वो पापाजी के खाने का खतम होने का इंतजार करने लगी पर पापाजी तो पता नहीं कहाँ की बातें बताने लगे थे पर कामया क्या करती वही बैठी हुई हाँ ना और जी में जबाब देती रही

पापाजी के खाना खतम होने के बाद कामया लगभग दौड़ती हुई अपने कमरे में पहुँची तो देखकर सन्न रह गई कामेश तो बिस्तर पर लेट चुका था हिल भी रहा था मतलब सोया नहीं था उसका इंतजार कर रहा था वो जल्दी से अपने कपड़े लेके बाथरूम में घुसी और अपने को कामेश के लिए तैयार करने लगी आज उसने कामेश का लाया बेबीडोल वाली गाउन पहनी थी जो कि अंदर तो सिर्फ़ एक शमीज जितनी लंबी थी और बहुत ही महीन थी जाँघो के बहुत ऊपर ही खतम हो जाती थी
दो धागे समान स्टीप से बस उसे लटकाए हुए थे कामया के कंधे पर कामया ने अपनी ब्रा भी उतार दी और अपना मेकप भी थोड़ा सा ठीक किया और ऊपर गाउनका दूसरा हिस्सा जो कि पैरों तक जाता था पर था वो भी वैसा ही महीन पर ढकने को अच्छा था पहनकर अपने कमरे में वापस आ गई पर यह क्या कमरे में कामेश के हल्के खर्राटे सुनाई दे रहे थे सो चुका था वो बेड के पास जाके कामेश को एक दो बार धक्के भी मारे पर वो तो जैसे कुम्भकरण की नींद में था

उसे कोई चिंता ही नहीं थी जो भी बातें उसने गाड़ी में की थी या फिर आने तक की थी वो सब खतम वा फिर वो सब फालतू था कामया का दिमाग खराब होने को था वो वही बेड पर बैठ गई थी और कामेश की ओर देखती रही उसने गुस्से में आके अपनी गाउन भी उतार दी और कामेश को एक बार-बार फिर अपने हाथों से थोड़ा सा धकेला पर कहाँ कामेश तो अपनी निद्रा में मस्त था अपनी इस दुनियां को छोड़ कर कही और ही पहुँच गया था पर कामया क्या करे वो तो कुछ और ही मूड में थी आज उसने पहली बार शराब भी पी थी और जो भी कामेश रास्ते भर उसके साथ करता हुआ आया था

उससे उसके शरीर में एक भयानक आग लग गई थी वो उसे शांत करना चाहती थी पर कामेश को उसकी कोई चिंता नहीं थी वो तो सो चुका था कामया को इसी तरह मजधार में छोड़ कर कामाया बेड के कोने में बैठकर अपने आपको कोष रही थी और कामेश की ओर देखते हुए अपने भाग्य पर जो इतना इतरा रही थी वो सब यहां आने के बाद फुस्स हो जाता था वो गुस्से में अपनी चादर खींचकर अपने तकिये में मुँह छुपाकर लेट गई और सोने की कोशिश करने लगी
लाइट भी बंद करदी और सुबह से लेकर शाम तक की घटना को परत दर परत खोलने की कोशिश करने लगी सुबह से कितना अच्छा दिन निकला था हर किसी ने उसे कितना इज़्ज़त दी थी हर कोई उसके आगे पीछे घूमता हुआ नजर आया था हर कोई उसकी एक झलक पाने को उतावला था चाहे वो कॉंप्लेक्स में हो या फिर शोरुम में ही क्यों ना हो पर रात होते होते कामेश ने सब कचरा कर दिया उसकी नजर में उसकी क्या इज़्ज़त थी वो जान गई थी उसकी नजर में कामया क्या थी वो जान गई थी

उसे कोई फिकर नहीं थी कामया की उसे तो सिर्फ़ पैसा खर्च करना आता है या फिर पैसा कमाना आता है और कुछ नहीं पत्नी को खुश रखने के लिए वो पैसा खर्च जरूर कर सकता था पर टाइम नहीं उसके पास कामया के लिए टाइम नहीं था उसे कामया की कोई जरूरत नहीं थी थी तो बस अपनी फर्म को एस्टॅब्लिश करने के लिए एक इंसान की या फिर एक नौकर की नौकर जो कि उसके बातों में उठे और फिर उसके आनुरूप चले बस और कुछ नहीं
अचानक ही कामया के दिमाग में नौकर भीमा चाचा की याद ताजा हो आई वो कैसे इस बात को भूल गई आज तो वो दिन में भी घर में नहीं थी दोपहर को भी भीमा चाचा के साथ उसका मिलन नहीं हुआ था और नहीं ही लाखा काका के साथ वो ड्राइविंग ही सीखने गई थी

हन सच ही तो है वो भी कैसे इन दोनों को भूल गई वो तो हमेश ही तैयार मिलेंगे भीमा तो घर का ही आदमी है जैसे ही कामया के जेहन में यह बात आई तो उसके शरीर में एक उत्तेजना की लहर फिर से दौड़ गई जो लहर वो अब तक दब चुकी थी कामेश से गुस्सा होकर पर जैसे ही भीमा चाचा के बारे में सोचने लगी वो फिर से कामुक हो उठी वो अपने ही हाथों से अपनी चुचियों को चद्दर के नीचे दबाने लगी थी अपनी जाँघो को सिकोड कर अपने को शांत करने की कोशिश करने लगी थी अपनी सांसों को एक बार फिर से नियंत्रण में लाने की कोशिश करने लगी थी पर कहाँ जो उसने आज दिन भर नहीं किया था वो अब उसे बस लेटे ही लेटे शांत नहीं कर सकती थी उसे भीमा चाचा के पास फिर से जाना ही होगा उसे आज किसी भी हालत में अपने तन को शांत करने जाना होगा नहीं तो वो शायद पागल हो जाए उसकी जाँघो के बीच में एक अजीब सी गुदगुदी से होने लगी थी वो सोच नहीं पा रही थी कि क्या करे पर कहते है ना जब इंसान इस तरह की स्थिति में हो तो उसके पास दो ही विकल्प होते है एक कठिन और एक आसान

उसने भी आसान तरीका ही चुना और धीरे से अपने बेड से उठी और एक नजर कामेश के सोते हुए जिश्म की ओर डाली और पैरों में अपनी सॅंडल डालकर धीरे-धीरे कमरे के बाहर की ओर चल दी वो अपने को अब नहीं रोकना चाहती थी या कहिए रुक नहीं सकती थी वो अपने आप में नहीं थी उसे एक मर्द की जरूरत थी रोज उसके शरीर को मसलने के लिए उसे मर्द चाहिए ही था वो अब ऐसी ही हो गई थी चाहे वो कामेश हो या फिर भीमा चाचा हो या फिर लाखा काका ही क्यूँ ना हो उसे तो बस एक मर्द की चाहत थी जो उसके इस नाजुक और काम अग्नि से जल रहे तन की भूख को मिटा सके

वो एक बार पलटकर कामेश की ओर देखा और बाहर निकल गई और हाँ … आज उसने एक काम और किया बाहर जाते हुए उसने डोर बाहर से लॉक कर दिया था बाहर का एक बार उसने ठीक से जायजा भी लिया अपने कदमो को वो भीमा चाचा के कमरे की ओर ले जाने से नहीं रोक पा रही थी वो कुछ बलखाती हुई सी चल रही थी या फिर नशा शराब का था या उसके शरीर में उठने वाली सेक्स की आग का था पर उसकी चाल में एक मदहोशी थी उसके आँखें नम थी उनमें एक उम्मीद थी और एक सेक्स की भूख शायद अंधेरा ना होता तो और भी अच्छा से देखा जा सकता था वो बिल्कुल नशे की हालत में चलते हुए भीमा चाचा के कमरे के बाहर पहुँच गई थी अंदर आज अंधेरा था शायद चाचा सो गये हो या फिर जाग रहे हो

चाहे जो भी हो वो कामेश की तरह नहीं है वा जरूर उसकी जरूरत पूरी करेंगे नहीं तो उसकी छुट्टी कल से काम बंद सोचते हुए उसने बंद दरवाजे को हल्के से धकेला जो कि धीरे से खुल गया चाचा नीचे बिस्तर पर सोए हुए थे दरवाजे की आहट से भी वो नहीं उठे पर हाँ … उनके शरीर में एक हरकत जरूर हुई वो बेधड़क अंदर घुस गई और धीरे से भीमा चाचा के पास बिस्तर के पास जाके घड़ी हो गई भीमा चाचा अब तक दूसरी तरफ चेहरा किए सो रहे थे वो खड़ी-खड़ी सोच रही थी कि आगे क्या करे कैसे उठाए इस जानवर को हाँ जानवर ही था बस अपने मन की ही करता था और जैसे चाहे वैसे उसे कामया की कोई सुध लेने की जैसे जरूरत ही नहीं होती थी पर हाँ … उनका स्टाइल उसे पसंद था जो भी करे उसे अच्छा लगता था और बहुत अच्छा उसके तन और मन को शांति मिलती थी
वो थोड़ी देर खड़ी रही फिर अपने पैरों से धीरे से भीमा चाचा के कंधे पर हल्के से से थपकी दी
कामया- चाचा एये ए
चाचा एकदम से पलटे उनका चहरा उसे नहीं दिखा हाँ … पर उसके यहां होने की संभावना उन्हें नहीं थी वो झट से उठकर बैठ गये कल की तरह आज भी वो ऊपर से नंगे थे और चद्दर से अपनी कमर तक ढँका हुआ था वो जैसे ही उठे उनका हाथ कामया की टांगों से लेकर जाँघो तक फिरने लगा
Erotic update
 

Coquine_Guy

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पापाजी के साथ कामया अपने नये काम को देखती हुई कॉंप्लेक्स में आज कुछ और अंदर तक घुसी वहां के लोगों से मिली और कुछ देर बाद वहां से निकलकर अपने शोरुम में भी पहुँची और फिर कल की तरह ही पूरी शाम तक वो अपने पति और पापाजी के साथ ही रही उसके मन में एक बार भी कही कोई त्रुटि नहीं आई या फिर कहिए सेक्स के बारे में कोई भी सोच नहीं आई वो इसी तरह से अपने शाम तक का टाइम निकाल कर जब अपने पति के साथ घर पहुँची तो बहुत थक गई थी घर पहुँचकर भी उसने ना तो भीमा चाचा से नजर ही मिलाई और नहीं लाखा काका के सामने कोई उत्तेजना ही

इसी तरह रात को भी कामया अपने कमरे में ही रही रात को कामेश के साथ सेक्स का मजा भी लिया और बहुत ही प्यार भरी बातें भी की कामेश उसे बहुत छेड़ रहा था उसे बार-बार अपने काम के बारे में पूछकर उसे एमडी एमडी कहकर , छेड़ता जा रहा था उसे भी अपने पति की छेड़ छाड़ अच्छी लग रही थी वो अगर इतना ध्यान उसे दे तो क्या जरूरत है उसे किसी के पास जाने की अगर वो उसे समय दे तो क्या जरूरत है उसे किसी से समय माँगने की वो बहुत खुश थी और अपने बिस्तर पर पड़े हुए वो एक चरम सुख का आनद ले रही थी उसे आज साफ्ट सेक्स में मजा आ रहा था कितना प्यार करते है कामेश उसे कितने हल्के हाथों से और कितने जतन से कही उसे चोट ना लग जाए या फिर निशान ना पड़ जाए कितने प्यार से उन्होंने उसकी चुचियों को छुआ था और कितने प्यार से उन्हें मुख में डालकर चूसा भी था वो एक परम आनंद के सागर में गोते लगा रही थी जब कामेश ने उसकी योनि के अंदर प्रवेश किया तो आआआआआह्ह एक सिसकारी उसके मुख से आनयास ही निकल गई थी और वो कामेश के होंठों को अपने होंठों में लेकर चुबलने लगी थी कितना आनंद और सुख है कामेश के साथ कोई चिंता नहीं कैसे भी और किसी भी वक़्त वो अपने पति के साथ आनंद ले सकती थी कामेश की स्पीड धीरे-धीरे बढ़ने लगी थी और वो अब पूरी गति से कामया पर छाया हुआ था और कामया भी अपने पति का पूरा साथ दे रही थी और आज तो कुछ ज्यादा ही

वो हर धक्के पर उच्छल जाती और अपनी बाहों के घेरे को और भी कामेश के चारो ओर कस्ति जा रही थी हर धक्के को वो भी कामेश के धक्के के साथ मिलाना चाहती थी और हर धक्के के साथ ही वो कामेश को किस भी करती जा रही थी और उसके होंठों के बाद अब तो वो उसकी जीब को भी अपने होंठों में दबा कर अपने मुख के अंदर तक ले जाने लगी थी कामया की सेक्स करने की कला से कामेश भी हैरान था और वो जानता था , कि कामया बहुत ही गरम है और वो अब ज्यादा देर तक ठहर नहीं पाएगा जिस तरह से कामया अपनी कमर को उछाल कर उसका साथ दे रही थी उसे अंदाजा हो गया था कि कामया भी कभी भी उसका साथ छोड़ सकती है कामया के होंठों से निकलने वाली हर आवाज अब उसे साफ-साफ सुनाई दे रही थी जो कि उसके कान के बिल्कुल करीब थी और भी उसे उसके करीब खींचने की कोशिश कर रही थी

कामेश ने भी अपने पूरे जोर लगाकर कामया को अपनी बाहों के घेरे में कस रखा था और लगातार अपनी स्पीड को बढ़ा रहा था हर धक्के में वो कामया के जेहन तक उतर जाना चाहता था और उसे रास्ता भी मिल रहा था आज कामया उसे पागल कर दे रही थी वो जिस तरह से अपनी दोनों जाँघो को उसकी कमर के चारो ओर घेर रखा था उससे वो बहुत ज्यादा ऊपर भी नहीं हो पा रहा था उसकी जकड़ इतनी मजबूत थी कि वो छुड़ाने की कोशिस भी नहीं कर पा रहा था
कामया- जोर से कामेश और जोर से
कामेश- हूँ हूँ आअह्ह हाँ …
कामया- और कस कर पकडो प्लीज और कस कर मारो प्लीज


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कामेश अपनी पूरी ताकत लगाके कामया को जकड़े हुए था पर कामया उसे और भी पास और भी नजदीक लाने की कोशिस कर रही थी वो उत्तेजना में जाने क्या-क्या कह रही थी वो अपने पूरे जोर से कामया के अंदर-बाहर हो रहा था पर कामया के मुख से निकल रहे शब्दों को सुनक र , सच में पागल हुए जा रहा था वो अपनी पूरी शक्ति लगाकर कामया को भोगने में लगा था पर कामया को उपने शिखर में पहुँचने में अभी थोड़ी देर थी वो कामेश को जितना हो सके उसने जोर से कस कर भिच रखा था और लगातार अपनी कमर को हिलाकर कामेश के लिंग को जितना हो सके अंदर तक ले जाने की कोशिश करती जा रही थी वो एक साधारण औरत जैसा बिहेव नहीं कर रही थी वो एक सेक्स मेनिक जैसी हो गई थी और अपने ऊपर अपने पति को ही निचोड़ने में लगी हुई थी वो अपनी योनि को भी सिकोर्ड कर उसके रस को अपने अंदर तक समा लेने चाहती थी

और उधर कामेश जितना रुक सकता था रुका और धम्म से कामया के ऊपर ढेर हो गया वो अपनी पूरी शक्ति लगा चुका था और कामया को भोगने में कोई कसर नहीं छोड़ा था पर पता नहीं कामया को क्या हो गया था कि आज वो उसका साथ नहीं दे पाया वो अब भी नीचे से धक्के लगा रही थी और कामेश के सिकुडे हुए लिंग को अपने से बाहर निकलने नहीं दे रही थी अचानक ही कामया जैसे पागल हो गई थी एक झटके से अपनी जाँघो को खोलकर वापस आपास में जोड़ लिया और कामेश को नीचे की ओर पलट दिया और खुद उसके ऊपर आके उसके ऊपर सवार हो गई अब कामया कामेश को भोग रही थी ना कि कामया को कामेश शिथिल होता जा रहा था उसके शरीर में इतनी भी ताकत नहीं थी कि वो कामया को सहारा दे और उसे थामे पर कामया को जैसे किसी तरह की मदद की जरूरत ही ना हो वो कामेश के ऊपर सवार होकर अपनी कमर को तेजी चलाकर अपनी हवस को शांत करती जा रही थी पर शायद कामेश के सिकुड़ जाने के बाद उसे इतना मजा नहीं आया था वो एकदम से कामेश के सीने में गिर गई और उसे चूमते हु ए
कामया- प्लीज कामेश थोड़ी देर और प्लीज करो ना आआआआआआअ

कमाया की कमर अब भी अपने अंदर कामेश के लिंग को निचोड़ जा रही थी पर कामेश में अब ताकत नहीं बची थी सो वो अपने हाथों को उसकी कमर के चारो और लेजाकर कस के उसे पकड़ लिया और नीचे से धीरे-धीरे धक्के मारने लगा था ताकि कामया को शांत कर सके पर कामया ने तो जैसे आशा ही छोड़ दी थी वो कामेश के सीने से चिपकी हुई अपने कमर को आगे पीछे करती जा रही थी और कामेश के सीने पर किस करते-करते अपनी उंगलियों से उसके बालों को खींचने लगी थी
कामेश- आहह क्या करती हो
कामया- धात थोड़ी देर और नहीं कर सके
कामेश- अरे आज क्या हुआ है तुम्हें पहले तो ऐसा नहीं देखा
कामया- एक तो इतने दिन बाद हाथ लगाते हो और फिर अधूरा ही छोड़ देते हो
और कामेश के ऊपर से अपनी साइड में उतरगई कामेश को भी दुख हुआ और कामया को अपनी बाहों में भर कर उसके गालों को चूमते हुए कहा
कामेश- अरे यार पता नहीं क्या हुआ आज पर पहले तो ऐसा नहीं हु आ
कामया- बुड्ढे हो गये हो और क्या सिर्फ़ दुकान औ र , पैसा ने तुम्हें बूढ़ा बना दिया है और कुछ नहीं
और गुस्से में पलटकर सोने की कोशिश करने लगी पर नींद कहाँ वो अपनी अधूरी छोड़ी हुई वासना को कैसे पूरी करे सोचने लगी थी
वो अचानक ही कामेश की ओर मूडी और फिर से कामेश को अपनी बाहों में भर कर उसे किस करने लगी

कामेश को भी लगा कि शायद गुस्से के कारण उसने जो कहा उसके लिए शर्मिंदा है सो उसने भी कामया को अपनी बाहों में भर लिया और वो भी कामया को किस्स करने लगा था पर कामया के दिमाग में कुछ और ही था वो कामेश को किस करते हुए अपना एक हाथ नीचे उसके लिंग तक पहुँचा चुकी थी कामेश एक दम भौचक्का रह गया वो आखें खोलकर कामया की ओर ध्यान से देखने लगा कामया के चहरे पर एक कातिल सी मुश्कान थी जैसे वो कह रही हो कहाँ जाओगे बचकर वो कामेश के लिंग को अपने हाथों में लेकर उसे अपने लिए तैयार करने चेष्टा में थी उसकी आखों में एक अजीब सी चमक थी जो कि कामेश ने आज से पहले कभी नहीं देखी थी वो एक अलग सी कामया को देख रहा था पर हाँ … उसे अपनी पत्नी का यह अंदाज अलग और अच्छा लगा वो भी फिर से अपनी में आने लगा था कामया की हथेलियो में उसके लिंग को एक नई उर्जा मिल रही थी और उसके किस में भी एक अलग ही बात थी जो कि आज तक उसने कभी महसूस नहीं किया था

कामया कामेश के लिंग को धीरे-धीरे अपने हाथों से सहलाती हुई कामेश के होंठों को किस करती जा रही थी और एकटक कामेश की ओर देखती जा रही थी फिर धीरे से कामेश के होंठों को छोड़ कर वो कामेश के सीने के बालों में अपने होंठों को एक दो बार घुमाकर उसके पेट और नाभि तक पहुँच गई थी उसका एक हाथ अब भी उसके लिंग पर ही था जो कि अपने अस्तित्व में आने लगा था और थोड़ा बहुत झटके लेकर अपने आपको जगा हुआ परवर्तित करवाने की चेष्टा में था कामेश के होंठों से कामेश के शरीर में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी थी और वो झुक कर अपनी पत्नी को उसे इस तरह से प्यार करते हुए नीचे की ओर जाते हुए देख रहा था वो कामया के सिर को सहलाते हुए अपने तकिये में चुपचाप लेटा हुआ था कामया के होंठों ने जब उसकी नाभि और पेट को छोड़ कर अचानक ही उसके लिंग को किस किया तो वो लगभग चौक गया और नीचे की और देखते हुए अपनी पत्नी के सिर पर अपने हाथों के दबाब को बढ़ते हुए पाया था शायद हर मर्द की चाहत ही होती है कि कोई औरत उसके लिंग को चूसे बिस्तर पर एक वेश्या जैसे वर्ताव करे पर जब यह सब होने लगता है तो एक बार आश्चर्य होना वाजीब है और कामेश को भी हो रहा था पर कामया जिस तरह से उसके लिंग को अपने मुख के अंदर लेकर खेल रही थी या फिर उसके लिंग को अपने लिए तैयार कर रही थी वो अपना आपा खो चुका था अपने लिंग को कामया के मुख में डालने की शायद वो चाहत कामेश के अंदर भी थी पर शायद कह नही पाया था पर आज तो जैसे वो कामया को अपने लिंग का स्वाद लेने के लिए दबाब भी बनाने लगता जैसे ही कामया की जीब ने उसके लिंग को छुआ वो अपने शरीर में झटके को नहीं रोक पाया



016-1000
 
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Aag ab bhadak chuki hai
किसकी
 
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पापाजी के साथ कामया अपने नये काम को देखती हुई कॉंप्लेक्स में आज कुछ और अंदर तक घुसी वहां के लोगों से मिली और कुछ देर बाद वहां से निकलकर अपने शोरुम में भी पहुँची और फिर कल की तरह ही पूरी शाम तक वो अपने पति और पापाजी के साथ ही रही उसके मन में एक बार भी कही कोई त्रुटि नहीं आई या फिर कहिए सेक्स के बारे में कोई भी सोच नहीं आई वो इसी तरह से अपने शाम तक का टाइम निकाल कर जब अपने पति के साथ घर पहुँची तो बहुत थक गई थी घर पहुँचकर भी उसने ना तो भीमा चाचा से नजर ही मिलाई और नहीं लाखा काका के सामने कोई उत्तेजना ही

इसी तरह रात को भी कामया अपने कमरे में ही रही रात को कामेश के साथ सेक्स का मजा भी लिया और बहुत ही प्यार भरी बातें भी की कामेश उसे बहुत छेड़ रहा था उसे बार-बार अपने काम के बारे में पूछकर उसे एमडी एमडी कहकर , छेड़ता जा रहा था उसे भी अपने पति की छेड़ छाड़ अच्छी लग रही थी वो अगर इतना ध्यान उसे दे तो क्या जरूरत है उसे किसी के पास जाने की अगर वो उसे समय दे तो क्या जरूरत है उसे किसी से समय माँगने की वो बहुत खुश थी और अपने बिस्तर पर पड़े हुए वो एक चरम सुख का आनद ले रही थी उसे आज साफ्ट सेक्स में मजा आ रहा था कितना प्यार करते है कामेश उसे कितने हल्के हाथों से और कितने जतन से कही उसे चोट ना लग जाए या फिर निशान ना पड़ जाए कितने प्यार से उन्होंने उसकी चुचियों को छुआ था और कितने प्यार से उन्हें मुख में डालकर चूसा भी था वो एक परम आनंद के सागर में गोते लगा रही थी जब कामेश ने उसकी योनि के अंदर प्रवेश किया तो आआआआआह्ह एक सिसकारी उसके मुख से आनयास ही निकल गई थी और वो कामेश के होंठों को अपने होंठों में लेकर चुबलने लगी थी कितना आनंद और सुख है कामेश के साथ कोई चिंता नहीं कैसे भी और किसी भी वक़्त वो अपने पति के साथ आनंद ले सकती थी कामेश की स्पीड धीरे-धीरे बढ़ने लगी थी और वो अब पूरी गति से कामया पर छाया हुआ था और कामया भी अपने पति का पूरा साथ दे रही थी और आज तो कुछ ज्यादा ही

वो हर धक्के पर उच्छल जाती और अपनी बाहों के घेरे को और भी कामेश के चारो ओर कस्ति जा रही थी हर धक्के को वो भी कामेश के धक्के के साथ मिलाना चाहती थी और हर धक्के के साथ ही वो कामेश को किस भी करती जा रही थी और उसके होंठों के बाद अब तो वो उसकी जीब को भी अपने होंठों में दबा कर अपने मुख के अंदर तक ले जाने लगी थी कामया की सेक्स करने की कला से कामेश भी हैरान था और वो जानता था , कि कामया बहुत ही गरम है और वो अब ज्यादा देर तक ठहर नहीं पाएगा जिस तरह से कामया अपनी कमर को उछाल कर उसका साथ दे रही थी उसे अंदाजा हो गया था कि कामया भी कभी भी उसका साथ छोड़ सकती है कामया के होंठों से निकलने वाली हर आवाज अब उसे साफ-साफ सुनाई दे रही थी जो कि उसके कान के बिल्कुल करीब थी और भी उसे उसके करीब खींचने की कोशिश कर रही थी

कामेश ने भी अपने पूरे जोर लगाकर कामया को अपनी बाहों के घेरे में कस रखा था और लगातार अपनी स्पीड को बढ़ा रहा था हर धक्के में वो कामया के जेहन तक उतर जाना चाहता था और उसे रास्ता भी मिल रहा था आज कामया उसे पागल कर दे रही थी वो जिस तरह से अपनी दोनों जाँघो को उसकी कमर के चारो ओर घेर रखा था उससे वो बहुत ज्यादा ऊपर भी नहीं हो पा रहा था उसकी जकड़ इतनी मजबूत थी कि वो छुड़ाने की कोशिस भी नहीं कर पा रहा था
कामया- जोर से कामेश और जोर से
कामेश- हूँ हूँ आअह्ह हाँ …
कामया- और कस कर पकडो प्लीज और कस कर मारो प्लीज


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कामेश अपनी पूरी ताकत लगाके कामया को जकड़े हुए था पर कामया उसे और भी पास और भी नजदीक लाने की कोशिस कर रही थी वो उत्तेजना में जाने क्या-क्या कह रही थी वो अपने पूरे जोर से कामया के अंदर-बाहर हो रहा था पर कामया के मुख से निकल रहे शब्दों को सुनक र , सच में पागल हुए जा रहा था वो अपनी पूरी शक्ति लगाकर कामया को भोगने में लगा था पर कामया को उपने शिखर में पहुँचने में अभी थोड़ी देर थी वो कामेश को जितना हो सके उसने जोर से कस कर भिच रखा था और लगातार अपनी कमर को हिलाकर कामेश के लिंग को जितना हो सके अंदर तक ले जाने की कोशिश करती जा रही थी वो एक साधारण औरत जैसा बिहेव नहीं कर रही थी वो एक सेक्स मेनिक जैसी हो गई थी और अपने ऊपर अपने पति को ही निचोड़ने में लगी हुई थी वो अपनी योनि को भी सिकोर्ड कर उसके रस को अपने अंदर तक समा लेने चाहती थी

और उधर कामेश जितना रुक सकता था रुका और धम्म से कामया के ऊपर ढेर हो गया वो अपनी पूरी शक्ति लगा चुका था और कामया को भोगने में कोई कसर नहीं छोड़ा था पर पता नहीं कामया को क्या हो गया था कि आज वो उसका साथ नहीं दे पाया वो अब भी नीचे से धक्के लगा रही थी और कामेश के सिकुडे हुए लिंग को अपने से बाहर निकलने नहीं दे रही थी अचानक ही कामया जैसे पागल हो गई थी एक झटके से अपनी जाँघो को खोलकर वापस आपास में जोड़ लिया और कामेश को नीचे की ओर पलट दिया और खुद उसके ऊपर आके उसके ऊपर सवार हो गई अब कामया कामेश को भोग रही थी ना कि कामया को कामेश शिथिल होता जा रहा था उसके शरीर में इतनी भी ताकत नहीं थी कि वो कामया को सहारा दे और उसे थामे पर कामया को जैसे किसी तरह की मदद की जरूरत ही ना हो वो कामेश के ऊपर सवार होकर अपनी कमर को तेजी चलाकर अपनी हवस को शांत करती जा रही थी पर शायद कामेश के सिकुड़ जाने के बाद उसे इतना मजा नहीं आया था वो एकदम से कामेश के सीने में गिर गई और उसे चूमते हु ए
कामया- प्लीज कामेश थोड़ी देर और प्लीज करो ना आआआआआआअ

कमाया की कमर अब भी अपने अंदर कामेश के लिंग को निचोड़ जा रही थी पर कामेश में अब ताकत नहीं बची थी सो वो अपने हाथों को उसकी कमर के चारो और लेजाकर कस के उसे पकड़ लिया और नीचे से धीरे-धीरे धक्के मारने लगा था ताकि कामया को शांत कर सके पर कामया ने तो जैसे आशा ही छोड़ दी थी वो कामेश के सीने से चिपकी हुई अपने कमर को आगे पीछे करती जा रही थी और कामेश के सीने पर किस करते-करते अपनी उंगलियों से उसके बालों को खींचने लगी थी
कामेश- आहह क्या करती हो
कामया- धात थोड़ी देर और नहीं कर सके
कामेश- अरे आज क्या हुआ है तुम्हें पहले तो ऐसा नहीं देखा
कामया- एक तो इतने दिन बाद हाथ लगाते हो और फिर अधूरा ही छोड़ देते हो
और कामेश के ऊपर से अपनी साइड में उतरगई कामेश को भी दुख हुआ और कामया को अपनी बाहों में भर कर उसके गालों को चूमते हुए कहा
कामेश- अरे यार पता नहीं क्या हुआ आज पर पहले तो ऐसा नहीं हु आ
कामया- बुड्ढे हो गये हो और क्या सिर्फ़ दुकान औ र , पैसा ने तुम्हें बूढ़ा बना दिया है और कुछ नहीं
और गुस्से में पलटकर सोने की कोशिश करने लगी पर नींद कहाँ वो अपनी अधूरी छोड़ी हुई वासना को कैसे पूरी करे सोचने लगी थी
वो अचानक ही कामेश की ओर मूडी और फिर से कामेश को अपनी बाहों में भर कर उसे किस करने लगी

कामेश को भी लगा कि शायद गुस्से के कारण उसने जो कहा उसके लिए शर्मिंदा है सो उसने भी कामया को अपनी बाहों में भर लिया और वो भी कामया को किस्स करने लगा था पर कामया के दिमाग में कुछ और ही था वो कामेश को किस करते हुए अपना एक हाथ नीचे उसके लिंग तक पहुँचा चुकी थी कामेश एक दम भौचक्का रह गया वो आखें खोलकर कामया की ओर ध्यान से देखने लगा कामया के चहरे पर एक कातिल सी मुश्कान थी जैसे वो कह रही हो कहाँ जाओगे बचकर वो कामेश के लिंग को अपने हाथों में लेकर उसे अपने लिए तैयार करने चेष्टा में थी उसकी आखों में एक अजीब सी चमक थी जो कि कामेश ने आज से पहले कभी नहीं देखी थी वो एक अलग सी कामया को देख रहा था पर हाँ … उसे अपनी पत्नी का यह अंदाज अलग और अच्छा लगा वो भी फिर से अपनी में आने लगा था कामया की हथेलियो में उसके लिंग को एक नई उर्जा मिल रही थी और उसके किस में भी एक अलग ही बात थी जो कि आज तक उसने कभी महसूस नहीं किया था

कामया कामेश के लिंग को धीरे-धीरे अपने हाथों से सहलाती हुई कामेश के होंठों को किस करती जा रही थी और एकटक कामेश की ओर देखती जा रही थी फिर धीरे से कामेश के होंठों को छोड़ कर वो कामेश के सीने के बालों में अपने होंठों को एक दो बार घुमाकर उसके पेट और नाभि तक पहुँच गई थी उसका एक हाथ अब भी उसके लिंग पर ही था जो कि अपने अस्तित्व में आने लगा था और थोड़ा बहुत झटके लेकर अपने आपको जगा हुआ परवर्तित करवाने की चेष्टा में था कामेश के होंठों से कामेश के शरीर में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी थी और वो झुक कर अपनी पत्नी को उसे इस तरह से प्यार करते हुए नीचे की ओर जाते हुए देख रहा था वो कामया के सिर को सहलाते हुए अपने तकिये में चुपचाप लेटा हुआ था कामया के होंठों ने जब उसकी नाभि और पेट को छोड़ कर अचानक ही उसके लिंग को किस किया तो वो लगभग चौक गया और नीचे की और देखते हुए अपनी पत्नी के सिर पर अपने हाथों के दबाब को बढ़ते हुए पाया था शायद हर मर्द की चाहत ही होती है कि कोई औरत उसके लिंग को चूसे बिस्तर पर एक वेश्या जैसे वर्ताव करे पर जब यह सब होने लगता है तो एक बार आश्चर्य होना वाजीब है और कामेश को भी हो रहा था पर कामया जिस तरह से उसके लिंग को अपने मुख के अंदर लेकर खेल रही थी या फिर उसके लिंग को अपने लिए तैयार कर रही थी वो अपना आपा खो चुका था अपने लिंग को कामया के मुख में डालने की शायद वो चाहत कामेश के अंदर भी थी पर शायद कह नही पाया था पर आज तो जैसे वो कामया को अपने लिंग का स्वाद लेने के लिए दबाब भी बनाने लगता जैसे ही कामया की जीब ने उसके लिंग को छुआ वो अपने शरीर में झटके को नहीं रोक पाया



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कामेश-----------आआआआह्ह कामयाआआआआआ अ
कामया- हाँ … क्या
कामेश- प्लीज एक बार चूस लो प्लीज बहुत इच्छा थी प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज् ज
कामया- हाँ … एक बार क्यो

और चप से उसके लिंग को अपने मुख के अंदर ले गई और प्यार क्या होता है यह अब समझ में आया कामेश को जैसे ही कमाया ने अपने होंठों के बीच में उसके लिंग को दबा के आगे पीछे अपने होंठों को किया वो तो जैसे पागल ही हो गया अपनी कमर को उठाकर कामया के मुख में अपने लिंग को घुसाने की कोशिश करने लगा था और कामया जो कि कामेश की स्थिति से भली भाँति वाकिफ थी अपने हाथों को जोड़ कर और अपने होंठों को जोड़ कर उसने अपने खेल को अंजाम देना शुरू कर दिया जीब का साथ भी लेती जा रही थी कामेश अब पूरी तरह से तैयार हो चुका था और अब वो फिर से कामया को भोगने को तैयार था वो अपने हाथों को बढ़ा कर कामया के शरीर को छूने का मजा ले रहा था कामेश अब धीरे-धीरे उठकर बैठ गया था और कामया उसके सामने घुटनों के बल बैठी हुई प्रणाम करने की मुद्रा में बैठी हुई कामेश के लिंग को चूसती जा रही थी कामेश अपनी पत्नी को अपने हाथों से सहलाते हुए अपनी कमर को भी एक बार-बार झटके दे चुका था कामया को अपने मुँह में कामेश के लिंग का सख्त होना अच्छा लग रहा था वो भूल चुकी थी कि वो अपने पति के साथ है और किसी के साथ नहीं पर वो मजबूर थी जो आग उसके शरीर में लगी थी अगर वो उसे नहीं बुझाएगी तो वो पागल हो जाएगी या फिर से उसके कदम बहक जाएँगे इसलिए वो अपने पूरे जोर से कामेश को अपने लिए तैयार करने में जुटी थी उधर कामेश भी पूरी तरह से तैयार था उसके मुख से अचानक ही एक आवाज कामया के कानों में टकरा ई
कामेश- कामया निकल जाएगा
कामया ने झट से कामेश के लिंग को छोड़ दिया और एकदम से घुटनों के बल खड़ी हो कर कामेश के होंठों को चूमते हु ए
कामया- नहीं अभी मत निकालना प्लीज अंदर करो
और खुद ही कामेश के दोनों ओर अपनी जाँघो को खोलकर बैठ गई और अपने ही हाथों के सहारे से कामेश के लिंग को अपनी उत्तेजित योनि के अंदर डालने की कोशिश करने लगी कामेश भी कहाँ पीछे रहने वाला था एक ही झटके में कामया के अंदर तक समा गया
कामया जो कि अब तक बस किसी तरह से अपने को रोके हुए थी पर जैसे ही कामेश उसके अंदर तक पहुँचा वो तो जैसे पागल ही हो गई अपने हाथों से जैसे इस बार उसे नहीं जाने देना चाहती थी वो खुद ही अपने अंदर तक उसके लिंग को समाने की कोशिश में लगी थी वो अपने को उपर नीचे करते हुए कामेश को अपनी दोनों बाहों के घेरे में लिए उसकी गोद में उछल कर अपने को शांत करने की कोशिश करने लगी थी
कामेश जो कि अब पूरी तरह से तैयार था और कामया के उतावलेपन से थोड़ा सा परेशान जरूर था पर एक बात तो थी कामया के इस तरह से उसका साथ देने से वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित था हर एक धक्के में वो कामया के जेहन तक समा जाता था और फिर अपने को थोड़ा सा सिकोड़ कर फिर से वो कामया के अंदर तक चला जाता था कामया जो कि उसके ऊपर बैठी हुई थी अपनी दोनों जाँघो से कामेश की कमर को कस कर जकड़े हुई थी हर धक्के पर कामया के मुख से
कामया- ऊऊऊऊओह् ह … कामेश प्लीज थोड़ा जोर से उउउम्म्म्मममम

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और कामेश के होंठों को अपने होंठों में दबाकर चूसती और अपनी बाहों के घेरे को और भी उसके गले के चारो और और कसते जाती जाँघो का कसाव भी बढ़ता जात ा
कामया- और जोर से और जोर से कामेश भी क्या करता कामया को झट से नीचे गिरा कर उसके ऊपर सवार हो गया और जोर से अपनी बाहों में भरकर जोर-जोर से धक्के लगाने लगा पर कामया तो जैसे भूखी शेरनी थी कामेश के बालों को पकड़कर उसने अपने होंठों से जोड़ रखा था और लगातार उससे रिक्वेस्ट करती जा रही थी
और जोर से और जोर से कामेश का दूसरी बार था पर वो अपने जोर में कोई कमी नहीं ला रहा था उसकी हथेली कामया के बालों का कस कर जकड़कर अपने होंठों से लगाए हुए था और बाहों के घेरे को कसकर कामया के सीने के चारो ओर कस रखा था अपने शरीर के जोर से उसे बेड पर निचोड़ रहा था और कमर के जोर से उसे भेदता जा रहा था और टांगों के ज़ोर से अपनी गिरफ़्त को बेड पर और मजबूती से पकड़े हुए था पर कामया लगातार उसे और जोर से कहती हुई उससे किसी बेल-की भाँति लिपटी हुई थी और लगातार हर चोट पर कामेश की चोट का साथ देती जा रही थी कामेश अपने आखिरी पड़ाव की ओर आग्रसर था पर कमाया का कही कोई पता नहीं था वो लगातार अपनी कमर को उछाल कर अपनी उत्तेजना को दिखा रही थी पर कामेश और कहाँ तक साथ देता वो झर झर करता हुआ झड़ने लगा था दो चार धक्कों के बाद ही वो अपने शिखर की ओर चल दिया कामया ने जैसे ही देखा कि कामेश उसका साथ छोड़ने को है वो एकदम से भयानक सी हो गई और कामेश को पलटकर झट से उसके ऊपर सावर हो गई ताकि बचाकुचा जो भी है उससे ही अपना काम बना ले वो नहीं चाहती थी कि वो अपने आपको तड़पता हुआ सा पूरी रात जागे या फिर अपनी आग को बुझाने को नौकरों के पास जाए

वो जैसे ही कामेश पर सवार हुई कामेश तो ठंडा हो गया पर कामया उसके ऊपर सवार होकर जैसे तैसे अपने को शांत कर सकी नहाई नहीं थी ना तो सुख के सागार में गोता ही लगाया था पर हाँ … नदी के किनारे खड़े होने से थोड़े बहुत पानी से भीग जरूर गई थी जैसे नहाई हुई हो और कामेश के ऊपर गिर कर उसे और जोर से किस किया और अपनी जगह पर पलट ग ई
कामेश- क्या हो गया है तुम्हें
कामया- क्या कुछ नहीं बस ऐसे ही
कामेश- पर आज तो कमाल कर दिया
कामया- अच्छा नहीं लगा तो कल से नहीं करूँगी
कामेश- अरे यार तुम भी ना
और कामया को कस कर अपनी बाहों में भरकर सो गया
पर कामया की आखों में नींद नहीं थी वो जागी हुई थी और अपने अतीत और भविष्य के बारे में सोच रही थी



2022-01-29
 
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कामया की आखें जरूर खुली थी पर वो सोई हुई थी उसके पति की हथेलिया अब भी उसकी चुचियो पर थी और वो उन्हें धीरे-धीरे मसल रहा था कामेश शायद नींद के आगोश में समा गया था क्योंकी उसके मसलने की प्रक्रिया धीरे-धीरे मध्यम पड़ती जा रही थी पर कामया जागी हुई थी और सोच रही थी आखिर क्यों कामेश उसका साथ नहीं दे पाया आखिर क्यो ं
क्या वो ही इतनी कामुक हो गई है कि अब कामेश उसके लिए पर्याप्त नहीं है या फिर कामेश पहले से ही ऐसा है पर पहले तो वो कई बार कामेश से अपने को छुड़ाने के लिए संघर्ष कर चुकी है पहले तो कामेश उसे निचोड़ कर रख देता था तो अब क्या हुआ ठीक है कोई बात नहीं कल देखेंगे सोचते हुए कामया सो गई सुबह भी वो कामेश से पहले ही उठ गई थी कामेश अब भी सा रहा था
बाथरूम से फ्रेश होकर जब वो बाहर आई तो उसने ही कामेश को उठाया कामेश हड़बड़ा कर उठता हुआ अपने काम में लग गया फिर दोनों नीचे जाकर पापाजी के साथ चाय पिए और फिर अपने कमरे में आकर जाने की तैयारी में जुट गये कामेश कामया से कुछ कम बाते कर रहा था
कामया- क्या हु आ
कामेश- क्यों
कामया- रोज तो बहुत बातें करते हो आज क्या हु आ
कामेश- अरे नहीं यार बस कुछ सोच रहा था
कामया- क्या
कामेश- अरे यार वो धरम पाल जी है ना उनके बारे में
कामया- यह धरम पाल कौन है
कामेश- अरे वो हीरा वाले काम में में पार्टनर बनाया है
कामया- तो
कामेश- वो चाहते है कि उनके लड़के को भी शामिल किया जाए
कामया- तो क्या कर लो
कामेश- हाँ कर तो लो वो नहीं तो उनका लड़का ही सही पर साला झल्ला है
कामया- झल्ला .....................
कामेश- हाँ कर तो लो वो नहीं तो उनका लड़का ही सही पर साला झल्ला है
कामया- झल्ला .....................
कामेश- हाँ यार ढीला है
कामया- हाँ … हाँ … हाँ … हूँ हीही
कामेश- हाँ … देखोगी तो हँसोगी
कामया- क्यों
कामेश- अरे कुछ भी कहो समझ ही नहीं आता से डील की बातें करो तो बगले झाँकने लगता है अरे कुछ तो सिखाया पढ़ाया हो तब ना
कामया- अरे तुम तो जबरदस्ती परेशान हो रहे हो ऐसा है तो अच्छा ही है उसे कुछ समझ नहीं आएगा और तुम अपना काम करते जाना और क्या
कामेश कामया की ओर आश्चर्य से देखने लगा उसके होंठों में एक हँसी थी एक आँख दबाकर वो कामया के नजदीक आया और झट से अपने होंठों से कामया के होंठों को कस कर चूम लिया
कामेश- अरे वाह मेडम सच ही तो कहा तुमने साले को ले लेता हूँ हाँ यार
कामया -
कामेश- लेकिन परेशानी एक है
कामया- क्या
कामेश- वो दिन भर तुम्हारे पीछे पड़ा रहेगा
कामया- मेरे पीछे क्यों
कामेश अरे वो जो कॉंप्लेक्स बन रहा है ना उसमें भी उन्होंने फाइनेंस किया है और एक्सपोर्ट में भी उनका पार्ट्नर शिप है इकलौता बेटा है थोड़ा मेंटल प्राब्लम है दो या तीन लड़कियों के बाद है ना साला वो भी लड़कियों जैसा ही हो गया है
कामया- तो क्या हुआ में संभाल लूँगी कौन सा मुझे उसे हाथों से खिलाना है दौड़ा दूँगी दिन रात और वो कितने साल का है
कामेश- है तो 23 24 साल का पर बहुत ही दुबला पतला है और लड़कियों जैसा है बड़ा लचक कर चलता है हिहीही
कामया- धात तुम तो ना चलो जल्दी से तैयार हो जयो पापाजी वेट करते होंगे
और दोनों झट पट तैयार होने लगे थे दोनों को पापाजी के साथ ही निकल ना था जब वो नीचे पहुँचे तो पापाजी नहीं आए थे डाइनिंग टेबल पर खाना लगा था कामया और कामेश के बैठने के बाद पापाजी भी आ गये और सभी खाना खाके बाहर की ओर निकल गये
इसी तरह से दो तीन दिन निकल गये कोई बदलाब नहीं आया कामया के जीवन में रोज सुबह वो पापाजी के साथ ही निकल जाती और शाम को अपने पति के साथ ही वापस आती और रात को भी वो अपने पति के साथ ही रहती

हर रात वो अपने शरीर की संतुष्टि के लिए अपने पति को उकसाती और अपनी ओर से कोई भी कमी नहीं रखती पर कामेश हर बार दो बार में सिर्फ़ एक बार ही कामया को साथ दे पाता था हर बार पहले झड़ जाता और दूसरी बार में थोड़ा बहुत कामया को संतुष्ट कर देता
पर कामया को यह प्यार कुछ जम नहीं रहा था पर वो एक पति व्रता नारी की तरह अपने पति का साथ देती रही वो एक सेक्स मशीन बन चुकी थी कामेश भी उसे उकसाता था वो उसे अपने साथ होते हुए हर खेल को बहुत ही अच्छे तरीके से अपना लेता था वो कामया को खुश देखना चाहता था और उसे किसी भी तरह से मना नहीं करता था
कामया जब उसका लिंग वा फिर उसके शरीर को किस करती तो वो उसे खूब प्यार से सहलाता और उसे और भी करने को उकसाता था कामया को मालूम था कि कामेश को यह सब अब अच्छा लगने लगा था सो वो अपने तरीके से कामेश के साथ खेलती और अपने को पतिव्रता स्त्री के रूप में रखती जा रही थी
अब तो कामया बिज़नेस में भी थोड़ा बहुत इन्वॉल्व होने लगी थी लोग बाग अब उसे थोड़ा सीरियस्ली लेने लगे थे और बहुत कुछ बताने भी लगे थे कॉंप्लेक्स के काम के बारे में भी उसे रिपोर्टिंग करने लगे थे उसे पता था कि स्टोर में क्या शार्ट है क्या मंगाना पड़ेगा कौन सा स्टाफ क्या करता है और किसकी क्या रेपोंसिबिलिटी है कौन सा काम धीरे चल रहा है और कौन सा काम आगे

कौन कहाँ जाता है और कौन छुट्टी पे है और भी बहुत कुछ अब कामेश कामया को बहुत से बिज़नेस पार्ट्नर्स से भी मिला चुका था और बहुत सी बातें भी समझा चुका था कामया अब एक निपुण बिज़नेस विमन की तरह रेएक्ट करने लगी थी उसकी चाल में एक कान्फिडेन्स आ गया था जो पहले नहीं था अब वो बहुत ही कॉनफीदेंतली बातें करती कोई इ फ’स आंड बॅटस नहीं होते थे पापाजी सुब ह हमेशा उसके आस-पास होते कभी कामेश भी जाता उसके साथ और दुपहार को जब वो शोरुम पहुँचती तब भी वो शोरुम मे बहुत से बदलाब ले आई थी ड्रेस कोड जारी कर दिया था और शोरुम में गानो की धुन हमेशा बजती रहती थी कोल्ड ड्रिंग्स कस्टमर्स के लिए सर्व होने लगी थी एक कोने को बच्चो के लिए डेवेलप किया था जहां कष्टमर के बच्चे खेल सके बड़े-बड़े सेट भी लगा दिया था शोरुम में और भी बहुत कुछ कर दिया था कामया ने जो कि उसके पति और पापाजी को बहुत ही पसंद आया

कामया का जीवन अब बहुत ही संतुलित सा हो गया था बीच में मम्मीजी का फोन भी आया तो उन्होंने भी कामया को बहुत बधाई दी और अपने काम को ठीक से करने की नसियात भी दी कामेश और पापाजी को कामया का इस तरह से बिज़नेस में इन्वॉल्व होना बहुत ही अच्छा लगा था और वो दोनों ही कामया को और भी सजेशन्स देने को उकसाते रहते थे उनका शोरुम उस इलाके का एक ऐसा शोरुम हो गया था जिसे देखकर बड़े दुकान दार अपने हिसाब से अपनी दुकान को रेनवेट करने लगे थे पर कामया के सामने वो कुछ नहीं कर पाते थे उसका दिमाग हमेशा कुछ ना कुछ अलग करता रहता था
इसी तरह कमाया का जीवन आगे चलता जा रहा था
पर यह कहानी तो कुछ और ही कहने को बनी है तो अब वो बातें करते है ठीक ओके …


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तो हमेशा की तरह आज भी कामया कामेश और पापाजी के साथ ही तैयार थी शोरुम जाने को खाने के बाद कामेश तो चला गया पर कामया और पापाजी जब बाहर निकले तो आज वो कामेश के साथ ही कॉंप्लेक्स का काम देखने चली गई और पापाजी और कामेश का दिन आज कल थोड़ा बहुत व्यस्त सा हो गया था वो शोरुम पर कम टाइम दे पा रहा था उसका ज्यादा ध्यान कॉंप्लेक्स की ओर था और वहां की दुकानों को बेचने का काम भी पापाजी और कामया ने संभाल लिया था
कामेश- कामया अब सोच रहा था कि शोरुम में आना बंद कर दूं
कामया- क्यों
कामेश- अरे यहां का काम थोड़ा सा सफर हो रहा है और कुछ परचेजर्स भी जब देखो तब बुला लेते है इसलि ए
कामया- आप देखो जो ठीक लगे
कामेश- तुम क्या कहती हो
कामया- ठीक है पर वहां के डील्स जो होते है वो पापाजी कर लेंगे
कामेश- अरे तुम तो हो तुम डील करना शुरू करो
कामया- अरे मुझसे नहीं बनेगा रोज तो प्राइस ऊपर-नीचे होते रहते है
कामेश- अरे तो क्या जब बढ़ते है तो रुक जाओ और जब घट-ते है तो खरीद लो और क्या है इसमें
कामया- पता नहीं
कामेश- अरे तुम चिंता मत करो पापाजी तो है सीख जाओगी
और कामेश की गाड़ी तब तक कॉंप्लेक्स के अंदर पार्क हो गई थी
आस-पास के लोग सावधान हो गये थे और कामेश और कामया की ओर देखते हुए नमस्कार करते जा रहे थे कामेश कामया के साथ आफिस की ओर बढ़ा था पर कामया थोड़ा सा रुक कर सामने से खड़े होकर एक बार ऊपर की ओर देखते हुए अपने नाम से बन रहे कॉम्प्लेक्स की ओर देखा
कामेश- आ ओ
कामया- आप चलिए में थोड़ा देखकर आती हूँ
और कामेश अंदर आफिस की ओर चला गया कामया इधर उधर टहलती हुई सी लोगों को अपने काम में लगे हुए देखती जा रही थी और एक-एक करके सीढ़िया चढ़ती हुई हर फ्लोर में काम का जाएजा लेती जा रही थी जहां भी जाती लोग एक बार उसे जी भर के देखते और झुक कर सलाम भी करते अब तो कामया को यह आदत सी पड़ गई थी सो कोई ज्यादा तवज्जो नहीं देती थी वो इधर उधर देखती हुई हर फ्लोर के कोने तक देखती और फिर एक फ्लोर ऊपर चढ़ जाती
लगभग हर फ्लोर में काम अपनी तेज गति से चल रहा था और हर कोई काम में ज्यादा ही व्यस्त दिखाई दे रहा था कामया का ध्यान बारीकी से हर काम को अंजाम देते हुए देखते हुए जा रही थी फिफ्थ फ्लोर तक ही बना हुआ था और उसके ऊपर छत थी इसलिए वहां सिर्फ़ लिफ्ट का टवर था और डक्ट बने हुए थे स्टेर केस का रास्ता भी था और खोल छत थी कामया चलती हुई फिफ्थ फ्लोर पर खड़ी होकर सामने का नजारा देखती रही बहुत ही मन भावन था हर तरफ काम से लगे हुए लोग काम से खाली होकर बाहर की ओर जा रहे थे तो कुछ लोग समान भर कर अंदर की ओर आ रहे थे

कामया ने फिफ्थ फ्लोर को धीरे-धीरे घूमकर पूरा देखा वहां लोग भी कम थे और धूल भी थोड़ा कम उड़ रही थी सो कामया को कोई दिक्कत नहीं हो रही थी जब वो सीढ़िया उतर कर नीचे की ओर जाने को हुई तो ना जाने क्यों वो ऊपर छत की ओर देखती हुई रुकी और वहां का क्या हाल है जान-ने के लिए ऊपर की ओर चल दी छत में कोई नहीं था एकदम खाली था बहुत तेज हवा चल रही थी यहां वहां थोड़ा बहुत समान फैला हुआ था पर कोई काम करता हुआ नहीं दिखा वो थोड़ी देर रुक कर वहां का हाल जानकर सामने साइन को देखती हुई वापसा नीचे की ओर जाने को पलटी ही थी कि उसे कोई चीज गिरने की आवाज आई उसका सिर उस तरफ घूम गया वहां कोई नहीं था पर गिरा क्या वो अपने को रोक ना पाई और उस गिरने वाली चीज को देखने को वो आगे बढ़ी पर उसे कोई दिखाई नहीं दिया डक्ट और बड़े-बड़े पाइप के बीच में उसे कुछ भी ना दिखा पर फिर से किसी आहट ने उसे चोका दिया वो किसी चीज के हिलने की आवाज़ थी या फिर कुछ गड़बड़ थी जो भी हो कामया जल्दी से एक डक्ट के पीछे से जहां से वो आवाज आ रही थी वहां पहुँचने लगी थी जैसे-जैसे वो डक्ट के पीछे की ओर देखने को आगे बढ़ती जा रही थी उसे आवाज साफ-साफ सुनाई दे रही थी उसे इतना तो पता चाल गया था कि जरूर कोई गड़बड़ है पर क्या पता नहीं
आवाज से अंदाजा लगाया जा सकता था कि दो जने है पर क्या उठा रहे है या कुछ खिसका रहे है पता नहीं हाँ … हाँफने की आवाज जरूर आ रही थी कामया दबे पाँव जैसे ही वहां डक्ट के पीछे पहुँची तो चिहुक कर एकदम से पीछे की ओर हट गई जो उसने देखा उस चीज की कल्पना भी उसने अपने जीवन में कभी नहीं की थी


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वहाँ एक इंसान ने एक औरत को अपने से सटा कर रखा था और अपनी कमर को आगे पीछे करता हुआ उसके साथ संभोग कर रहा था और वो दो नो अपने इस खेल में इतना लिप्त थे कि उन्हे कामया के आने तक की भनक नहीं लगी उस औरत की साड़ी उसके कमर के ऊपर थी और टाँगें कमर तक नंगी थी साँवले रंग की वो औरत उस आदमी की तरह पीठ किए हुए थी और वो आदमी उसको कमर से पकड़कर अपने लिंग को उसके योनि में पीछे से घुसाए हुआ था और अपने दोनों हाथों से उसे कस कर पकड़े हुए था और लगातार झटके दे रहा था कामया के चिहुकने से उनकी नजर एक दम से इधर घूमी और औरत के मुख से एक चीख निकल गई और वो एक ही झटके से अपने को उस आदमी के चुंगल से छुड़ा कर वहां से भाग ग ई
पर वो आदमी वही खड़ा रहा और एकटक कामया की ओर ही देखता रहा कामया उस इंसान को एकटक देख रही थी कमर के नीचे से नंगा था वो बहुत ही तगड़ा और मास पेशिया कसी हुई थी लंबा और काला सा था बहुत ही बलिष्ठ था वो और किसी सांड़ की तरह अपने लिंग को हवा में लहरा कर खड़ा था उसका लिंग किसी मूसल की तरह सामने की ओर मुँह उठाए झटके ले रहा था बहुत ही लंबा और मोटा सा था वो कामया की सांसें रुक गई थी और वो उस इंसान को एकटक पैर से लेकर माथे तक आश्चर्य से देखती ही रह गई उस इंसान के चेहरे पर भाव बदल रहे थे पर डर के भाव नहीं थे उसके हाथ से उस लड़की के निकल जाने के बाद के भाव थे जो कि उसे अधूरे में ही छोड़ कर भाग गई थीकामया उसे देखती ही रह गई जब उसके चहरे के भाव एकदम से किसी जानवर से बदल कर किसी निरीह प्राणी में तब्दील हुई तो उसके चहरे पर एक दया की माँग थी उसके चहरे पर एक हवस की जगह अब दयनीय स्थिति में पहुँचने के भाव थे वो धीरे से अपने लिंग को अपने ही हाथों से धीरे से पकड़कर कामया की आँखो में आँखे डाले अपने लिंग को कस कर पकड़कर एक दो लंबे लंबे झटके दे रहा था जैसे कि वो खड़े-खड़े ही कामया के साथ संभोग कर रहा था कामया के शरीर में एक अजीब सी झंझनाहट दौड़ गई थी और वो सांसें रोके उस इंसान की हरकतों को देखती ही रह गई वो ना तो हिल पा रही थी और नहीं इधार उधर देख ही पा रही थी वो इंसान धीरे-धीरे उसकी ओर ही बढ़ रहा था और अपने लिंग को अपनी मुट्ठी में बाँधे हुए उसकी ओर ही देखता हुआ लंबे लंबे झटके दे रहा था

वो और कोई नहीं भोला था जो कि उसकी ओर धीरे-धीरे बढ़ रहा था पर कामया को जैसे साँप सूंघ गया था वो अपनी सांसें रोके हुए भोला को अपनी ओर बढ़ते देखती ही रही और भोला उसके सामने आके थोड़ी दूर पर ही रुक गया और उसकी आँखों में आखों डाले अपने लिंग को सहलाते हुए झटके दे रहा था कामया की नजर भी आनयास ही उसके उस लंबे और मोटे से लिंग पर टिक गई थी और उस सांड़ को अपनी ओर बढ़ते हुए देखते हुए अपनी सांसों को गति देने की कोशिश कर रही थी पर सांस जैसे मुख और नाक में अटक गई हो वो खड़ी हुई उसे देखती रही और भोला उसकी ओर देखते हुए अपने लिंग को झटके देता रहा और एक क्षण ऐसा आया कि उसके लिंग से एक लंबी सी पिचकारी सी निकलकर कामया के पैरों के पास जमीन पर गिर गई उसके वीर्य के कुछ छींटे उसके पैरों पर भी गिरे जो कि उसके सेंडल को थोड़ा बहुत गीलाकर गये
कामया के मुख से अचानक ही एक लंबी से सांस निकली और भोला के चहरे की ओर देखने लगी आआआआआआअह् ह , उसे भोला के चहरे पर एक सुकून सा दिखाई दिया जो कि उसे देख रहा था और अब भी उसके चहरे पर एक दयनीय सा भाव था शायद कह रह हो बहुत देख चुकी मुझे अब तो कुछ कर और भोला ने अपना हाथ कामया की ओर बढ़ाया ताकि वो कामया को छू सके पर कामया को जैसे ही उसके सामने एक लंबा और काला सा हाथ दिखा उसने अपने शरीर के पूरे जोर से भोला को एक धक्का दिया ताकि भोला उसे छू ना सके पर धक्का इतना तेज था कि भोला के पैर लड़खड़ा गये और वो डक्ट के पीछे रखे छोटे बड़े पाइप पर फिसल गया और सीधे पीछे की ओर गिर पड़ा और गिरता ही चला गया

कामया को जैसे ही होश आया तो उसने पलटकर लंबे लंबे पग भरती हुई जल्दी-जल्दी नीचे की ओर दौड़ लगा दी फिफ्थ और फोर्त फ्लोर तो बिना कुछ सोचे ही उतरगई पर थर्ड फ्लोर पर आते आते वहां मची हुई खलबली को देखकर वो थोड़ा सा सहज हुई और बिना किसी की ओर देखे और बिना किसी के जाने ही वो जल्दी से नीचे की ओर उतरगई थी जब वो आफिस में घुसी तो , अपने पति को फोन पर उलझे पाया और सेंटर टेबल पर अपनी काफी का कप ढँका हुआ पाया कामया पसीना पसीना हो चुकी थी कामेश की नजर एक बा र उसपर पड़ी और फिर वो फोन पर उलझ गया कामया को भी शांति मिली ना तो किसी को कुछ पता चला और ना ही किसी ने उसे कोई हरकत करते हुए ही देखा वो आराम से बैठकर काफी पीने लगी थी


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