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Adultery घर की बहू

Coquine_Guy

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ये कहानी मुझे अच्छी लगी .. इसीलिए इसको यहां पोस्ट कर रहा हूँ ताकि आप लोग भी पढ़े और मज़ा उठाएं
 
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Coquine_Guy

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Behad hi kamutejak aur dhamakedar update bhai
 

Coquine_Guy

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कामया ने जब फोन उठाया तो कामेश था
कामेश- सो रही थी क्या
कामया-हां
कामेश- नीचे आ गया हूँ लाबी में हूँ आता हूँ
थोड़ी देर में ही कामेश भी कमरे में आ गया था बहुत थका हुआ सा लग रहा था आते ही बाथरूम में घुस गया था हाँ या ना में ही जबाब दे रहा था कामया भी उससे बहुत से सवाल पूछ रही थी पर ज्यादा बात ना करते हुए बस एक बात मालूम चली की धरमपाल जी ने वही एक फ्लैट ले लिया है
आने जाने में काम आएगा और उनके दोस्त के साथ भी एक कांट्रॅक्ट साइन किया था हीरा कटिंग के लिए फ्लैट उन्हीं का था खाली था इसलिए उनको यूज़ करने को दिया था अब यह फैसला हुआ था कि अब जब भी आएँगे होटेल में ना रुक कर फ्लैट में ही रुकेंगे

कामेश ने ही बताया कि मम्मीजी अकेली ही आ रही है गुरु जी अगले हफ्ते आएँगे कहते है कि अभी मुहूरत नहीं आया है
खेर कामया भी कामेश की हालत देखकर अपने को भूल गई थी और खाना खाने के बाद तो कामेश लेट-ते ही नींद के आगोश में ऐसा गया कि जैसे सदियो से सोया नहीं था कामया भी बिना किसी नोकझोक के अपनी तरफ होकर सो गई
सुबह जब वो लोग उठे तो जल्दी में बैंक का अधूरा काम समाप्त करके फ्लाइट से वापस अपने शहर आ गये थे अगले हफ्ते फिर से आना था बैंक के ही काम से और कुछ और भी काम बाकी था हाँ कामया को एक बात की संतुष्टि थी की अब वो भी फ्लाइट से अपने पति के साथ आना जाना करसकती है घर पहुँचकर सभी लोग मम्मीजी के स्वागत की तैयारी में लग गये थे शाम को मम्मीजी भी आ गई थी सभी ने उन्हें घेर रखा था और मम्मीजी भी सभी को उनके हिसाब की बातें और अपने टूर के बारे में बताती जा रही थी सबसे ज्यादा खुश तो वो कामया से मिलकर हुई थी जो कि अब अपने पति के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही थी बहुत ही दुलार और प्यार पाया था कामया ने मम्मीजी से
मम्मीजी- बहू देखना एक दिन तुम बहुत नाम करोगी गुरुजी का कहना है वो कहते है कि तुम्हारी बहू इस घर में चार चाँद लगाने के लिए आई है देखना एक दिन वो कितना नाम कमाएगी

कामया- जी मम्मीजी आप लोगों का साथ रहेगा तो जरूर करूँगी
मम्मीजी- बिल्कुल करना बहू तेरी वजह से ही देख आज हम कहाँ से कहाँ पहुँच गये है
कामया-नहीं मम्मीजी आप लोगों की मेहनत और पापाजी और उनकी मेहनत भी है
मम्मीजी- हाँ … पर तेरी किस्मत भी तो है देख तेरे आते ही सबकुछ कितना जल्दी बदल गया है गुरुजी कहते है कि इस बार यहां आएँगे तो एक बहुत बड़ा काम करना है
कामया- क्या
मम्मीजी- नहीं पता बहू बताते कहाँ है वो बस कह देते है पर हाँ … जो कहते है वो होता जरूर है हमने तो देखा है
बस इस तरह की कुछ बातों के साथ ही मम्मीजी के आने की बातें चलती रही घर भरा-भरा सा लगने लगा था फिर से
सुबह को फिर वही जल्दी-जल्दी अपने काम पर जाने की जल्दी कामेश अपनी गाड़ी से पापाजी अपनी गाड़ी से और कामया ऋषि के साथ कॉंप्लेक्स
कॉंप्लेक्स गये तीन दिन हो गये थे पर काम अपनी रफ़्तार से ही चाल रहा था लगभग पूरा होने को था शायद कुछ और एक दो महीने में ही होजायगा और काम ने तेजी भी पकड़ लिया था ऋषि के साथ कामया जैसे ही कॉंप्लेक्स पहुँची एक बार फिर से वहां खलबली मच गई थी

शायद उसे देखने की कोशिश थी या फिर मेमसाहब के आने काडर जी भी हो एक शांति और खलबली तो मची थी गेट के अंदर गाड़ी जाते हुए उनको भोला अब भी वही खड़ा मिला जो कि अब ठीक हो गया था काले चश्मे के अंदर से एक नजर कामया की उसपर पड़ी और गाड़ी आगे बढ़ गई थी कामया की नजर ऋषि की ओर भी गई थी
पर वो शांत था अपने केबिन में पहुँचते ही कामया अपने काम में लग गई थी बहुत से बिल्स और वाउचर्स थे साइन करने को और कुछ और भी पेपर्स थे कुछ स्टेट्मेंट्स थे और भी बहुत कुछ ऋषि को समझाते हुए कामया अपने काम में लगी थी ऋषि भी उसके साथ-साथ उन पेपर्स को देख भी रहा था और समझ भी रह था

बहुत इंटेलिजेंट था वो एक बार में ही सबकुछ साफ होता था उसे काम से फुर्सत मिलते ही कामया ने एक बार घड़ी की ओर देखा बाप रे 2:30 बज गये इतनी जल्दी
कामया- ऋषि कितनी जल्दी टाइम निकल गया ना ,
ऋषि- कहाँ कितनी देर हो गई आप तो बस काम में लगी थी
कामया- अगर तुम मेरी हेल्प करते तो जल्दी नहीं हो जाता
ऋषि- हाँ … अब से में करूँगा भाभी पर मेरा मन नहीं करता
कामया- तो तेरा मन क्या करता है
ऋषि- बस वैसा ही करने को ही ही ही
कामया- एक जोर दार लगाउन्गी ना गलती से भी फिर कभी नहीं कहना
ऋषि- क्यों आप तो हमारी दोस्त थी ना फिर ऐसा क्यों
कामया- सुन ऋषि मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता
ऋषि मायूष सा हो गया उसके चहरे को देखकर लगता था कि उसका मन टूट गया था जिस चीज की आशा उसने की थी शायद वो अब उसे कभी नहीं मिलेगी भाभी उससे नाराज हो गई थी वो अपनी आखें ना उठाकर वैसे ही बैठा रहा

कामया एकटक उसकी ओर देखती रही पर इतने में ही मोबाइल की घंटी ने उसका ध्यान खींच लिया कामेश का था
कामया- हाँ …
कामेश- कहाँ हो
कामया- कॉंप्लेक्स में क्यों
कामेश- अच्छा सुनो तुम कब आ रही हो शोरुम
कामया- अभी आ जा ऊ
कामेश- नहीं सुनो यार में चेन्नई जा रहा हूँ
कामया- क्यों अचानक
कामेश- हाँ यार वो एक मोटिओ का फर्म की बात थी ना अरे धरमपाल जी ने की थी वो देखने जा रहा हूँ यार सारी
कामया- क्या यार तुम ना हमेशा ही ऐसा करते हो
कामेश- सुनो में जा रहा हूँ एक काम करो ऋषि है ना तुम्हारे साथ
कामया- हाँ …
कामेश- उससे कहना वो तुम्हें घर छोड़ देगा और यहां तो पापाजी है ही तुम वहाँ का काम देखकर आ जाना ओके …
कामया- ओके …

खेर कामेश के जाने के बाद घर में एकदम सुना सा हो गया था पर काम में जाने की जल्दी के कारण सब बेकार था कामया और पापाजी जल्दी से तैयारी में लगे हुए थे चाय और खाना खाने के बाद कामया तैयार थी कॉंप्लेक्स जाने को

टाइट सी चूड़ीदार में गजब की लग रही थी लाइट कलर येल्लो और हल्की ब्लू फ्लॉरल डिजाइन था और वैसा ही टाइट कुर्ता और थोड़ा सा छोटा घुटनों तक हेर स्टाइल भी ढीला ढाला और सिर्फ़ एक कलुतचेयर से बँधी हुई और बड़ी-बड़ी आखें लिए कामया जब दरवाजे से बाहर निकली तो भोला गाड़ी के पास एकदम तैयार खड़ा था ब्लैक कलर की टी-शर्ट और एक पुरानी जीन्स पहने पर लग रहा था एकदम गुंडा टी-शर्ट से बाहर निकली हुई उसकी बाँहे एकदम कसी हुई थी पेट सपाट था

और सीना बाहर को निकला हुआ था एक बार देखकर लगता था कि किसी गली का कोई गुंडा हो पर कामया को देखते ही दौड़ता हुआ पीछे के दरवाजे को खोलकर खड़ा हो गया कामया भी जल्दी से बैठने के लिए लपकी पर जाने क्यों उसकी सांसें एक बार फिर से तेज हो गई थी पिछले तीन चार दिनों से उसके तन को सुख उसे नहीं मिला था और सुबह सुबह भोला को देखते ही एक कसक सी उसके तन में जाग गई थी पर अपने आपको संभालते हुए वो अपनी हील चटकाते हुए पिछली सीट की ओर भागी जैसे ही वो सीट पर बैठने को हुई एक सख्त हथेली ने हल्के से उसके पिछले भाग को छू लिया

कामया के शरीर में एक लहर सी दौड़ गई थी और अचानक हुए इस हमले से वो एक बार घबरा गई थी उसके घर में और वो भी पोर्च में एक ड्राइवर ने इतनी आ जादी से उसे छू लिया था और वो कुछ भी नहीं कह पाई थी पर तब तक डोर बंद हो गया था और भोला दौड़ता हुआ सामने ड्राइविंग सीट पर आ गया था
 
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Alok

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Nice update bhai
 

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Waiting for more
 

Alok

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Coquine_Guy bhai ab waiting likhna band kar de kyaa?????
 

Coquine_Guy

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कामया का दिल बड़े जोरो से धड़क रहा था पर होंठ जैसे सिल गये थे उसे होंठों से बातों के सिवा सिर्फ़ सांसें ही निकल रही थी वो पिछली सीट पर किसी बुत के जैसे बैठी हुई थी और सांसों को कंट्रोल कर रही थी भोला ड्राइविंग करता हुआ गेट से बाहर गाड़ी निकाल कर रोड पर ले आया और
भोला- जी मेमसाहब ऋषि भैया को लेने जाना है ना
कामया- हाँ …
आवाज उसके गले में रुक गई थी वो क्यों नहीं इस गुंडे से बोल पाई कुछ उसकी इतनी हिम्मत कि उसकी कमर और नितंबों पर घर में ही हाथ फेर दे और उसके बाद इतना सीधा होकर गाड़ी चला रहा है वो अपने ख्यालो में ही गुम थी कि फिर से भोला की आवाज आई
भोला- मेमसाहब नाराज है हम से
कामया ने सिर्फ़ ना में अपना सिर हिला दिया या बाहर देखने के लिए सिर घुमाया पता नहीं
भोला- क्या करू मेमसाहब आपको देखता हूँ तो एक नशा सा छा जाता है मेरे ऊपर भाग्य देखिए मेरा कहाँ से कहाँ आ गया कहा वो रेत टीलों के बीच में पड़ा था और अब देखिए आपका ड्राइवर बन गया भाग्य ही तो है क्या कहती है आप
कामया ने कोई जबाब नहीं दिया क्या जबाब देती इस सांड़ को
भोला- नाराज मत होना मेमसाहब मजबूर हूँ नहीं तो कभी ऐसी गुस्ताखी नहीं करता
कामया ने सिर्फ़ एक बार उसे पीछे से देखा पर कहा कुछ नहीं सिर्फ़ बाहर देखती हुई अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिस करती रही
भोला- एक काम था मेमसाहब आपसे थोड़ा सा मदद करती तो
कामया की नजर एक बार फिर से उसकी पीठ पर टिक गई थी भोला गाड़ी चलाते हुए उसे बॅक मिरर में देख रहा था

भोला- कहूँ मेमसाहब बुरा तो नहीं मानोगी
कामया ने फिर से सिर हिला दिया
भोला-पता था मेमसाहब आप बुरा नहीं मानेन्गी
कामया फिर बाहर देखने लगी थी पर पूरा ध्यान उसी की तरफ था अब उसका डर थोड़ा काम हो गया था
भोला- वो मेमसाहब इस ऋषि को अपनी जिंदगी से दूर कीजिए ठीक नहीं है वो

कामया की नजर एक बार फिर से उसकी पीठ पर टिक गई थी ऋषि के बारे में जो यह कह रहा था वो ठीक था पर इसे कैसे मालूम
भोला- आपको लग रहा होगा कि मुझे कैसे मालूम मुझे क्या नहीं मालूम मेमसाहब भैया और पापाजी जो मुझ पर विस्वास करते है वो क्या ऐसे ही मुझे सबकुछ मालूम है मेमसाह ब
कामया एक बार फिर से सिहर उठी उसे तो मेरे बारे में भी मालूम था लाखा काका के घर गई थी वो तक इसने देखा था पर ऋषि के बारे में इसे कैसे मालूम
भोला- मुझे तो मेमसाहब उसकी रीना दीदी और ऋषि के बहुत से किससे पता है आप अगार देखना चाहती है तो एक काम करना जब आप उसके घर जाओ तो मुझे उसके कमरे से कोई समान लेने भेजना फिर देखना

कामया का पूरा शरीर सनसना रहा था क्या कह रहा है यह और क्या करेगा वहाँ पर इतने विस्वास से कह रहा है तो हो सकता है कोई बात हो पर क्या
भोला- आपको कुछ नहीं मालूम मेमसाहब में आपको वो खेल दिखा सकता हूँ जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकती में आपकी बहुत इज्ज़त करता हूँ मेमसाहब आपका और आपके घर का नमक खाया है आपका ख्याल रखना और आपकी देखभाल करना मेरा फर्ज़ है जान दे दूँगा पर पीछे नहीं हटूँगा
कामया की नजर एक बार फिर से उसके पीठ पर थी पर इस बार हिम्मत करके बॅक मिरर की ओर भी देख ही लिया भोला के चेहरे पर एक सख़्त पन था और उसकी आखें पत्थर जैसी थी कामया ब्लैक ग्लासस पहने हुई थी फिर भी उसने नजर हटा लिया ऋषि का घर आ गया था आज पहली बार वो इस घर में आई थी पोर्च में गाड़ी खड़ी होते ही वहां का नौकर दौड़ता हुआ आया और पीछे का दरवाजा खोलकर खड़ा हो गया
नौकर- जी भैया अपने कमरे में है मेमसाह ब
कामया घर के अंदर घुस आई किसी रहीस का घर देखने में ही लग रहा था कीमती सामानो से भरा हुआ था नौकर दौड़ता हुआ उसके सामने से वहां पड़े बड़े से सोफे की ओर इशारा करते हुए बोला
नौकर- जी बैठिए मेमसाहब में बुलाता हूँ

कामया को वही बैठाकर वो अंदर चला गया बूढ़ा सा था कमर झुकी हुई पर एकदम सॉफ सुथरा था एक और नौकर उसके लिए पानी का ग्लास ले आया और वही टेबल पर रखता हुआ चला गया
नौकर- जी मेमसाहब आपको ऊपर बुलाया है
कामया उठी और ड्राइंग रूम से निकलकर सीढ़िया चढ़ती हुई उसके कमरे की ओर बढ़ी
ऋषि कॉरिडोर में ही खड़ा था
ऋषि- आइए भाभी बस मुझे आपको मेरा कमरा दिखाना था आइए ना
और बड़े ही नजाकत से कामया के हाथ को पकड़कर उसे अपने कमरे की ओर ले चला था जाते जाते उसने उसके हाथ को एक बार चूमा था कामया ने झटके से पीछे मुड़कर देखा

ऋषि- नहीं भाभी यहां नौकरो को ऊपर आना मना है जब तक बुलाया नहीं जाता यहां का में राजा हूँ अब पहले रीना दीदी और में थे अब सिर्फ़ में

और उसे अपने कमरे में ले आया कमरा बहुत ही सजा हुआ था बहुत सी चीजे थी कुछ कलेक्ट किए हुए थे और कुछ खरीदे हुए भी फूल और गमले भी था बहुत सी पैंटिंग भी पर एक बात जो अजीब थी वो था रंग रेड पिंक और येल्लो कलर की चीजे ज्यादा थी
कामया- धरमपाल जी कहाँ है दिखे नहीं
ऋषि- अरे पापा तो भैया के साथ हैदराबाद गये है ना पर्ल्स की खेती देखने भैया ने नहीं बताया
कामया- हाँ … याद आया भूल गई थी चलो चलते है

ऋषि- बैठिए ना भाभी जल्दी क्या है
बड़े ही नाटकीय ढंग से उसने कहा था
ऋषि- वो गुंडा भी आया है
कामया- हाँ … बुलाऊ उसे तेरी बड़ी तारीफ़ कर रहा था
ऋषि- नहीं बाबा तारीफ मेरी क्या कह रहा था बताइए ना प्लीज
कामया ने देखा कि अचानक ही उसमें एक बड़ा बदलाव आ गया था जो अभी थोड़ी देर पहले उसके लिए गुंडा था उसने क्या कहा था ऋषि के बारे में जानने की कितनी तीव्र इच्छा थी उसमें यह तो लड़कियों में ही देखा था

कामया- कह रहा था कि ऋषि बाबू मुझे बहुत अच्छे लगते है
कामया ने झूठ कहा
ऋषि- हाई राम देखो कैसा है ना वो भाभी कोई ऐसा कहता है क्या छि
कामया- क्यों क्या हुआ अच्छा लगता है तो इसमें कोई बुरी बात है क्या
ऋषि- छी भाभी कितना बदमाश है ना वो कहाँ ह
कामया- नीचे है बुलाऊ
ऋषि- नहीं बाबा मुझे तो डर लगता है उससे क्या करेंगे बुला के
झट से पलट गया था ऋषि कामया के चहरे पर एक मुश्कान दौड़ गई थी भोला ठीक ही कह रहा था ठीक नहीं है ऋषि और पता नही क्या-क्या पता है भोला को

ऋषि- बताओ ना भाभी क्या करेंगे बुलाकर
मचलता हुआ सा ऋषि बेड पर बैठा हुआ था कामया वही पर सोफे पर बैठी थी
कामया- बुला कर पूछेंगे कि बता क्यों अच्छा लगता है ऋषि है ना
ऋषि- छी भाभी क्या करेंगे बताइए ना
कामया को नहीं मालूम कब और कैसे वो लोग बैठे बैठे भोला के बारे में बातें करने लगे और उसे कमरे में भी बुलाने की बातें होने लगी कामया को भी मजा आने लगा था ऋषि के मचलने और इस तरह से बातें करने से वो भी अब भोला से ऋषि को उलझाने के बारे में ही सोच रही थी देखूँ तो क्या करता है ऋषि एक बार भोला अगर इस कमरे में आ जाता है तो
ऋषि- बुलाएँ भाभी

कामया- हाँ बुला पर देखना बाद में पलट मत जाना ठीक से धमकाना उसे ठीक है
ऋषि- जी और झट से इंटरकम उठाकर नीचे कोई नंबर डायल किया और उसे भोला को ऊपर आने को कहा
 

Coquine_Guy

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दोनों बैठे हुए भोला के आने की राह देख रहे थे ऋषि को देखते ही लगता था कि कितना उत्तेजित था वो बार-बार इधर उधर चलते हुए वो कभी कामया की ओर देख रह था और कभी डोर की ओर एक हल्की सी आहट ने दोनों का ध्यान डोर की ओर भींचा
ऋषि- हाँ अंदर आ आओ प्लीज
भोला अंदरआ गया वैसे ही सख्त सी आखें लिए और बिना कोई घबराहट के अंदर आते ही उसने पैरों से डोर को बंद कर दिया और सिर नीचे किए खड़ा हो गया

कामया के तो हाथ पाँव फूल गये थे भोला को कमरे में देखते ही पर उसका अपना ध्यान पूरे टाइम ऋषि की ओर ही था वो देख रही थी कि ऋषि क्या करता है
ऋषि- कहिए क्या बोल रहे थे आप भाभी को हाँ …
लड़कियों जैसी आखें मटकाकर और हाथ नचा कर वो एक बड़े ही नाटकीय ढंग से बड़ी ही मीठी सी आवाज में बोला जैसे डाट नहीं रहा हो बल्कि थपकी देकर पूछ रहा हो
कामया के चहरे में एक हल्की सी मुश्कान दौड़ गई थी
भोला- कुछ नहीं भाया वो तो बस में मजाक कर रहा था क्यों आपको बुरा लगा

ऋषि एक बार कामया की ओर देखता हुआ फिर से भोला की ओर देखता रहा कमरे में एक अजीब सी गंध भर गई थी शायद वो भोला से आ रही थी पसीने की या फिर पता नहीं पर थी जरूर
ऋषि- हमें यह सब अच्छा नहीं लगता अब से आप ऐसा नहीं करेंगे ठीक है

भोला- जी भैया पर आप है ही इतने अच्छे कि तारीफ करने का मन करता है इसलिए किया और मेमसाहब तो अपनी है इसलिए कोई डर नही था इसलिए कह दिया माफ़ कर दीजिए
कहते हुए भोला अपने घुटनों पर बैठ गया कामया अजीब सी निगाहे गढ़ाए भोला को देख रही थी वो गुंडा अभी तो क्या-क्या कहा रहा था पर यहां आते ही पलट गया और वो भी इस ऋषि के सामने इस तरह से घुटनों के बाल गिर के माफी माँग रहा है उसे तो एक बार बहुत गुस्सा आया पर अपनी ओर देखती हुई भोला की आखों में उसे कुछ और ही दिखाई दिया

ऋषि- ठीक है आगे से ध्यान रखिएगा ठीक है
और वो चलता हुआ भोला के पास चला गया जैसे उसे हाथ लगाकर उठाने की कोशिश कर रहा था
पर भोला वैसे ही बैठा रहा और ऋषि को अपने कंधे पर अपनी हथेलियो को फेरने दिया वो और झुका और , ऋषि के पैरों पर गिर पड़ा और माफी माँगने लगा था
ऋषि उसके पास बैठा गया और उसे ढाँढस बढ़ाने लगा था वो उसके बालों को और कंधों को सहलाते हुए उसे प्यार से सहला रहा था भोला भी वही बैठा हुआ उसकी हरकतों को देख रहा था
कामया बैठी बैठी उन दोनों को देख रही थी , जैसे कि कोई प्रेम मिलाप हो रहा हो पर देखते-देखते सबकुछ कैसे चेंज हो गया वो समझ ही नहीं पाई थी वो देख रही थी कि भोला की हथेलिया ऋषि की पीठ पर घूम रही थी और वो धीरे धीरे उसे सहला रहा था और ऋषि उसके बालों को दोनों बहुत नजदीक थे जैसे उन्हें यह ध्यान ही नहीं था कि कामया भी इस कमरे में है

भोला बहुत चालाक है वो यह बात जानता था कि ऋषि एक गे है पर कभी हिम्मत नहीं की थी अटेंप्ट की पर आज कामया की वजह से उसे यह मौका भी मिल गया था वो आज इस मौके को हाथ से नहीं जाने देने चाहता था और इसके साथ एक फायेदा और भी था वो कामया के शरीर में एक आग ऐसी भी भर देगा जिससे कि वो कभी भी उसे मना नहीं कर पाएगी यही सोचता हुआ वो धीरे बहुत ही धीरे आगे बढ़ रहा था वो जो नाटक कर रहा था वो जानता था कि वो उसे किस तरफ ले जाएगी वैसा ही हुआ ऋषि उसके पास आ गया और फिर शुरू हो गया वो खेल जो वो खेलना चाहता था एक ऐसा खेल जिसे वो जिंदगी भर खेलना चाहता था अपनी मेमसाहब के साथ

कामया की आखों के सामने ऋषि भी अपनेआपको नहीं रोक पा रहा था पर अपने हाथो को भी वापस नहीं खींच पा रहा था वो अब भी भोला के कंधों पर अपनी हथेलियो को घुमाकर उसके बालिस्ट शरीर और उसके बालों को सहलाकर उसकी कठोरता का एहसास कर रहा था वो जानता था कि कामया की नजर उसपर है पर वो मजबूर था अपने आपको रोकने की कोशिश भी नहीं की शायद वो जानता था कि भाभी उसे कुछ नहीं कहेगी
वो भी शायद इस मौके का इंतजार कर रहा था और आज से अच्छा मौका उसे कहाँ मिलेगा आज भाभी के साथ भोला भी उसके कमरे में था और भोला की सख्त हथेलियाँ उसकी पीठ पर घूम रही थी ऋषि आज बेकाबू होने लगा था

उसने एक बार भाभी की ओर नजर उठाकर देखा शायद पूछ रहा था कि क्या आगे बढ़ुँ पर कामया की आखों में एक हैरत भरी और जिग्याशा होने के कारण वो वापस भोला की ओर मुड़ गया और अपने हाथो को फिर से उसके कंधो पर घुमाने लगा था
ऋषि- ठीक है अब उठिए अब से ऐसा नहीं कहिएगा जो कुछ कहना है हम से डाइरेक्ट कहिएगा ठीक है
और वो खड़ा होने लगा था कि भोला एकदम से उसके पैरों पर गिर पड़ा और उसके गोरे गोरे पैरों को जिसमें की नेल पोलिश भी लगाया हुआ था अपनी जीब से चाट-ते हुए फिर से माफी माँगने लगा था

ऋषि को एक झटका सा लगा था वो फिर से बैठ गया और अपने दोनों हाथों से भोला के कंधों को पकड़कर ऊपर उठाने लगता पर ऋषि का जोर इतना था कि वो भोला जैसे सांड़ को उठा या हिला भी पाए सो भोला खुद ही उठा और अचानक ही कामया दंग रह गई जो कुछ उसके सामने घट गया वो चकित रह गई और एक मूक दर्शाक के समान बैठी हुई भोला को और ऋषि को एकटक देखती रह गई थी
भोला का एक हाथ ऋषि के गले के पीछे से कस कर जकड़ रखा था और एक हाथ उसकी ठोडी पर था और उसके होंठ उसके होंठों पर थे और खूब जोर से भोला ऋषि को किस कर रहा था जोर से मतलब इतनी जोर से कि ऋषि एक बार तो तड़प कर अपने को छुड़ाने की कोशिश करने लगा था पर धीरे-धीरे शांत हो गया था और भोला की बाहों में झूल गया था भोला ने एक ही झटके में ऋषि को उठाया और उसके बेड की ओर चल दिया उसके होंठ अब भी उसके होंठों को सिले हुए थे

और बेड पर बिठाते ही उसने अपने होंठों को उसके होंठों से आजाद कर दिया ऋषि की सांसें फिर से चलने लगी थी एक लंबी सी और उखड़ी हुई सांसों से कमरा भर गया था ऋषि को बिठाने के बाद भोला ने कामया की ओर पीठ कर लिया था ऋषि का चहरा भी उसे नहीं दिख रहा था कामया किसी बुत की तरह सोफे में बैठी हुई भोला और ऋषि की हरकतों को देख रही थी
ऋषि और भोला को जैसे चिंता ही नहीं थी कि कामया भी वहां बैठी है या कोई शरम हया नहीं बिल्कुल बिंदास दोनों अपने खेल में लगे हुए थे सबसे आश्चर्य की बात थी ऋषि की , उसने भी कोई आना कानी नहीं की और नहीं कोई इनकार या अपने आपको छुड़ाने की कोशिस लगता था कि जैसे वो इंतजार में ही था कि कब भोला उसके साथ यह हरकत करे और वो इस खेल का मजा ले

कामया के देखते-देखते ही ऋषि का टी-शर्ट हवा में उछल गया और वो सिर्फ़ जीन्स पहने बैठा था बेड पर और भोला उसके सामने उसके खाली शरीर को अपने सख्त और कठोर हाथो से सहला रहा था ऋषि की सांसों से पूरा कमरा भरा हुआ था बहुत तेज सांसें चल रही थी उसकी
उसके हाथ भी भोला के शरीर पर घूमने लगे थे जो की कामया देख रही थी पतली पतली उंगलियों से वो भोला को कस्स कर पकड़ने की कोशिश कर रहा था उसकी कमर के चारो ओर से और अपने हाथो को भोला की टी-शर्ट के अंदर भी घुसना चाहता था भोला ने भी देर नहीं की और एक बार में ही अपना टी-शर्ट उतार कर वही बेड पर रख दिया और फिर से ऋषि के सामने खड़ा हो गया था ऋषि के दोनों हाथ उसके पेट से लेकर उसके सीने तक घूम रहे थे और उसके होंठों जो की कामया को नहीं दिख रहे थे शायद उसकी नाभि और पेट और सीने के पसीने का स्वाद ले रहे थे कामया अपने सामने होते इस खेल को देख कर एकदम सन्न रह गई थी सुबह सुबह उसके शरीर में जो आग लगी थी वो अब भड़क कर ज्वाला बन गई थी अपने जीवन काल में उसने इस तरह का खेल कभी नहीं देखा था वो अपने सोफे में बैठी हुई एकटक दोनों की ओर देखती जा रही थी और बार-बार अपनी जाँघो को जोड़ कर अपने आपको काबू में रखने को कोशिश कर रही थी कामया की नजर एक बार भी नहीं हटी थी उनपर से हर एक हरकत जो भी उसके सामने हो रही थी वो हर पल की गवाह थी उसकी आँखो के सामने ही धीरे से भोला की जीन्स भी नीचे हो गई थी और जो उसने जीवन में नहीं देखा और सोचा था वो उसके सामने हो रहा था
 
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