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इतने में भोला की आवाज आई
भोला- जी मेमसाहब वो दरखास्त देनी थी
उसके हाथों में एक कागज था और वो अब भी उसमें कुछ लिख रहा था और धीरे से एक बार कामया की ओर देखता हुआ कामया की ओर कागज को सरका दिया
कामया ने एक बार उसकागज को देखा फोल्डेड था पर उसकी मोटी-मोटी उंगलियों के नीचे से उसकागज को देखते ही नहीं जान पाई थी कि कैसी दरखास्त थी वो
भोला- जी सोच रहा था कि कल से ड्यूटी जाय्न कर लूँ खोली में पड़ा पड़ा थक गया हूँ और ड्यूटी जाय्न कर लूँगा तो आते जाते लोगों को देखूँगा तो मन लगा रहेगा और एक आवाज उसके पास से निकली जो कि किसी क्लिप के चटकने से हुई हो
कामया का ध्यान उसकी हथेलियो की ओर गया वो चौक गई थी उसकी एक उंगलियों में उसका ही वो क्लुचेयर था जिसे की वो एक हाथों से दबाता हुआ अपनी एक उंगली में लगाता था और खींचकर निकालता था कामया सहम गई थी और अपने हाथों को बढ़ा कर उसकागज को अपनी ओर खींचा और एक नजर ऋषि की ओर भी डाली जो कि अब भी अपनी ठोडी में कलाईयों को रखकर दूसरी ओर ही देख रहा था
बड़े ही संभालते हुए कामया ने उसकागज जो अपनी ओर खिछा था और खोलकर उस दरखास्त को पढ़ने लगी कि भोला की आवाज आई
भोला- साइन कर दो मेमसाहब अकाउंट्स में दे दूँगा नहीं तो तनख़्वाह बनते समय पैसा काट जाएगा
और फिर से वही क्लिप चटकने की आवाज गूँज उठी कामया भी थोड़ा सा संभली और उस पेपर को साइन करने के लिए अपना पेन उठाया पर वो सन्न रह गई उसको पढ़ कर लिखा था
आपको फूल कैसे लगे बताया नहीं बड़ी याद आ रही थी आपके जाने के बाद से ही इसलिए भेज दिए थे
और नीचे थोड़ा सा टेडी मेडी लाइन में भी कुछ लिखा था आप साड़ी में ज्यादा सुंदर दिखती है कसम से
कामया का पूरा शरीर एक अजीब सी सिहरन से भर उठा था सिर से लेकर पाँव तक सन्न हो गया था वो उस सिहरन को रोकने की जी जान कोशिश करती जा रही थी पर उसके हाथों की कपकपि को देखकर कोई भी कह सकता था कि उसका क्या हाल था पर भोला चालाक था आगे झुक कर उसने उसकागज को अपनी हथेलियो में वापस ले लिया और थोड़ा सा पीछे होकर कहा
भोला- जी में कल से काम पर आ जाउन्गा मेमसाहब और बाहर चला गया
कामया की सांसें अब भी तेज ही चल रही थी टांगों की भी अजीब हालत थी काप गई थी वो बैठी नहीं रहती तो पक्का था कि गिर ही जाती वो कुछ कहती पर ऋषि की आवाज उसे सुनाई दी
ऋषि- भाभी यह भैया का ड्राइवर है ना
कामया- हाँ …
ऋषि आपकी तबीयत तो ठीक है भाभी
कामया- हाँ … क्यों
ऋषि नहीं वो आप हाफ रही थी ना इसलिए
कामया- नहीं ठीक है तुम इसे कैसे जानते हो
ऋषि- भोला को एक दिन ना वो भैया के साथ हमारे घर में आया था
कामया- क्यों
ऋषि- वो पापा से मिलने तब देखा था बड़ा ही गुंडा टाइप का है ना यह
कामया- क्यों तुम्हें क्यों लगा
कामया को ऋषि का भोला को गुंडा कहना अच्छा नहीं लगा जो भी हो पर गुंडा नहीं है
ऋषि- असल में ना जब वो आया था तब ना रीना दीदी को बड़े ही घूर-घूर कर देख रहा था
कामया- यह रीना दीदी कॉन
ऋषि- अरे मेरी सबसे छोटी बहन रीना दीदी को नहीं जानती आप आपकी शादी में भी आए थे हम तो
कामया- अच्छा अच्छा अब कहाँ है
ऋषि- बिचारी की शादी हो ग ई
कामया के मुख से अचानक ही हँसी का गुबार निकल गया
और हँसते हँसते पूछा
कामया- बिचारी क्यों शादी तो सबकी होती है
ऋषि- हाँ … पर रीना दीदी मुझे बहुत मिस करती है फोन करती है ना तब कहती है
और ऋषि भी थोड़ा सा उदास हो गया था कामया को एक भाई का बहन के प्रति प्यार को देखकर बड़ा ही अच्छा और अपनी संस्कृति को सलाम करने का मन हुआ अपने को थोड़ा सा संभाल कर कामया ने कहा
कामया- अरे रीना दीदी नहीं है तो क्या हुआ में तो हूँ तुम मुझे ही अपना दीदी मान लो है ना
ऋषि- हाँ … मालूम रीना दीदी ना मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी और में उनसे कभी भी कुछ नही छुपाता था मुझे बहुत प्यार करती थी वो हमेशा ही मेरा ध्यान रखती थी
कामया- चलो चलो अब इतने सेंटिमेंटल मत हो अब तुम बड़े हो गये हो और इतना सेंटिमेंटल होगे तो आगे कैसे बढ़ोगे चलो मुझे शोरुम छोड़ दो
कामया अब नार्मल थी पर उसकी नज़र उसकी उंगलियों पर पड़ गई थी शायद एक उंगली में नेल पोलिश लगाया हुआ था ऋषि ने और वो अपने शो रूम की ओर जाने को बाहर निकली थी जैसे ही आफिस को क्रॉस करती एक आदमी दौड़ता हुआ उसके पास आके खड़ा हो गया
वो आदमी- मेडम
कमाया- हाँ …
वो आदमी- जी मेडम भोला को क्या काम देना है
एक बार फिर से एक सनसनी सी मचा द ी , भोला के नाम से ही
कामया- पता नहीं बोलना भैया से बात करले
वो आदमी- जी मेडम
और कामया पलटकर बाहर हो गई ऋषि भी उसके साथ था और बराबरी पर ही चल रहा था दौड़ता हुआ आगे बढ़ कर गाड़ी कर डोर खोलकर अपनी ओर चला गया
और गाड़ी शोरुम की ओर भागने लगी थी शोरुम में पापाजी बाहर ही काउंटर पर किसी पुराने ग्राहक को अटेंड कर रहे थे पर वो वहां नहीं रुक कर सीधे अपने केबिन की ओर ही बढ़ी पीछे-पीछे ऋषि भी था केबिन के अंदर जाते ही वो एक बार चौंक उठी अंदर कामेश बैठा हुआ था
कामया-अरे आप कब आए और फोन भी नहीं किया
कामेश- अरे बाबा एक साथ इतने सवाल बैठो तो और ऋषि कैसा है
ऋषि- जी अच्छा हूँ भैया आप कैसे ह
कामया और ऋषि भी वही बैठ गये कामया कामेश की ओर ही देख रही थी कि कुछ तो कहे
कामेश- सर्प्राइज नहीं दे सकता क्या कहा तो था कि दो दिन में आ जाऊँगा
कामया- हाँ … पर फोन तो करते
कामेश- फोन करते तो सरप्राइज क्या होता हाँ …
ऋषि बैठे बातें दोनों को नोकझोक बड़े ही शालीनता से देख रहा था और एक मंद सी मुश्कान उसके चहरे पर दौड़ रही थी कितना प्यार था भैया भाभी में
कामेश- और ऋषि सुना है तू आज कल कामया को लेने जाता है घर
ऋषि- हाँ … ना
बड़े ही नाटकीय तरीके से उसने जबाब दिया कामेश और कामया भी अपनी हँसी नहीं रोक पाए थे
कामेश- चलो बढ़िया है मुझे तो फुरसत नही अबसे एक काम किया कर तू ही कामया को लाया और ले जाया करना ठीक है कोई दिक्कत तो नहीं
कामया- क्यों इस बच्चे को परेशान करते हो
ऋषि- नहीं नहीं भैया कोई परेशानी नहीं मुझे तो अच्छा है एक कंपनी मिल जाएगी
कामेश- कंपनी तेरी बरा बझोउ मेरी बीवी है पता है
ऋषि- जी हाँ … पता है मुझे पर मेरी तो भाभी है ना और वैसे भी मुझे अकेला अच्छा नहीं लगता
कामेश और कामया ऋषि की बातों पर हँसे भी जा रहे थे और मज़े भी लेते जा रहे थे कामेश कहता था कि ऋषि लड़कियों की तरह ही बिहेव करता है पर देख आज रही थी
Bhai Jab fursat Milegi tabhi De paayunga updateNi
Bhai nice update lekin update regular Diya karo
वो ऋषि से सट कर लेट गई थी उसकी साड़ी उसकी चूची के ऊपर से हट गई थी और वो एकदम से बाहर की ओर देखने लगी थी ऋषि की हथेली अब धीरे-धीरे उसके गालों से लेकर उसके गले तक और फिर उसके सीने की ओर बढ़ रही थी कामया की सांसो से साफ पता चल रहा था कि अब वो किसी भी कंडीशन में रुकने वाली नहीं थी उसे जो चाहिए था पता नहीं वो उसे मिलेगा कि नहीं पर हाँ … वो ऋषि की हरकतों को तो मना नहीं करसकती थी अब
ऋषि की हथेली अब उसके गले और ब्लाउज के खुले हुए हिस्से को छूती जा रही थी और उसके होंठों से निकले शब्द कामया के कानों तक पहुँच रहे थे
ऋषि- कितनी साफ्ट स्किन है भाभी आपकी आअह् ह , कितनी साफ्ट हूँ आप और कितनी कोमल हो
उसका हाथ अब कामया के ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को छू रहा था उसका हाथ ना तो उसकी चुचियों को दबा रहा था और नहीं उसे पिंच कर रहा था
जो उतावला पन आज तक कामया ने अपने जीवन में सहा था हर मर्द के साथ वो कुछ भी नहीं बस ऋषि के हाथ उसके आकार और गोलाइओ को नापने का काम भर कर रहे थे बड़े ही कोमल तरीके से और बड़े ही नजाकत से कोई जल्दी नहीं थी उसे जैसे उसे पता था कि कामया उसके पास से कही नहीं जा सकती या फिर कुछ औ र
कामया- अया उूउउंम्म क्या कर रह अहैइ उउउम्म्म्म
पर रोकने की कोई कोशिश नहीं हाँ … बल्कि अपने को और उसके पास धकेल जरूर दिया था
ऋषि- कुछ नहीं भाभी बस देख रहा था कि आपकी चुचे कितने सुंदर है ना मेरे तो है नही
कामया- लड़कों के नहीं होते पगले
ऋषि ---हां पर मुझे तो बहुत अच्छे लगते है ये
कामया- हाँ … प्लीज ऋषि अब मत कर
उसका एक हाथ ऋषि के हाथों के ऊपर था पर हटाने को नहीं बल्कि उससे वो ऋषि को इशारा कर रही थी कि थोड़ा सा जोर लगाकर दबा पर ऋषि तो बस आकार और प्रकार लेने में ही मस्त था उसके हाथ अब उसके ब्लाउसको छोड़ कर उसके रिब्स के ऊपर से होते हुए नीचे की ओर जाने लगे थे कामया का शरीर अब तो अकड़ने लगा था वो कमर के बल उठने लगी थी घुटनों के ऊपर उसकी साड़ी आ गई थी और कमर पर ऋषि के हाथों के आने से एक लंबी सी सिसकारी उसके
होंठों से निकली थी
ऋषि- अच्छा लगा रहा है भाभी
कामया- हाँ … हाँ … सस्स्स्स्स्स्स्स्श ह
ऋषि---आप बहुत प्यारी है भाभी मन करता है में आपको इसी तरह प्यार करता रहूं कितनी साफ्ट हो आप
और उसके हाथों का स्पर्श अब तो कामया के लिए एक पहेली बन गया था आज जो आग ऋषि लगा रहा था क्या वो इसे भुझा पाएगा पर कामया तो उस आग में जल उठी थी उसे तो अब अपने आपको शांत करना ही था वो अपने चेहरे को ऋषिके सीने में सटा ले रही थी और अपनी लेफ्ट हाथ को ऋषि की पीठ पर घुमाते हुए उसे अपनी ओर खींचने लगी थी उसकी हथेली ऋषि की खुली हुई पीठ पर से धीरे-धीरे अंदर की ओर जाने और ऋषि ने उसके ब्रा की स्ट्रॅप्स को छू लिया था
कामया एकदम से मूडी और ऋषि से लिपट गई थी ऋषि ने भी भाभी को अपने से सटा लिया था नहीं जानता था कि क्यों पर कामया का लपेटना उसे अच्छा लगा था ऋषि की हथेलिया अब उसके ब्लाउज के खुले हुए हिस्से से उसकी ब्रा को छूते थे तो वो उसके और पास हो जाता था
कामया के जीवन का यह एहसास वो कभी भी भूल नहीं पाएगी यह वो जानती थी पर ऋषि के थोड़ा सा अलग होने से वो थोड़ा सा चिड गई थी
कामया- क्या
ऋषि -- भाभी
कामया- क्या है रुक क्यों गया
ऋषि आप बहुत उत्तेजित हो गई है है ना
कामया---हां क्यों तू नहीं हु आ
ऋषि कुछ कहता इससे पहले ही कामया ने उसे अपनी ओर खींचा और अपने होंठों से उसके होंठों को चूमने लगी ऋषि ने भी थोड़ी देर वैसे ही अपने होंठों को कामया के सुपुर्द करके चुपचाप उसे स्वाद लेने दिया फिर हटते हुए लंबी-लंबी सांसें छोड़ने लगा था
कामया- क्या हुआ हाँ …
ऋषि- कुछ नहीं एक बात कहूँ भाभी गुस्सा तो नहीं होंगी नाराज तो नहीं होंगी ना
कामया- क्या नाराज क्यों बोल ना
ऋषि साहस जुटा कर जैसे तैसे शब्दों को जोड़ कर कामया की ओर नजर गढ़ाए हुए एक विनती भरी आवाज में कहा
ऋषि--- जी भाभी कन आई टच यू , आइ वान्ट यू भाभी व्हाट टू लव यू प्लीज भाभी प्लीज यू आर सो साफ्ट भाभी आइ जस्ट वाना महसूस यू
कामया- यू जस्ट फेल्ट मी ऋषि
ऋषि- नो भाभी नोट दिस वे दा वे आई वॉंट प्लीज भाभी आई प्रॉमिस यू
कामया के पास जबाब नहीं था उसकी हालत खराब थी पर जिस तरह से ऋषि उससे गुजारिश कर रहा था वो एक अजीब सा तरीका था
कामया- आई म नोट गेटिंग यू ऋषि हाउ
ऋषि- जस्ट डू ऐज आई से भाभी प्लीज यू विल सी हाउ प्लेसुरबले इट ईज़ आई प्रॉमिस
कामया- प्लीज ऋषि आई म स्केर्ड व्हाट शुड आई डू प्लीज ऋषि
कामया ऋषि के गालों को छूते हुए उसके पास थी और ऋषि भी तेज सांसें लेता हुआ उसके बालों को छूता हुआ उसे बड़े प्यार समझा रहा था
ऋषि- भाभी प्लीज स्ट्रीप युवर साड़ी और ले डाउन आंड सी व्हाट आई डू जस्ट एंजाय
कामया- उूउउम्म्म्म ऋषि यू नो व्हाट यू आर सेयिंग कॅन यू मनेज आई म नोट शुवर अबाउत इट बॅट इफ यू से सो बट प्लीज ऋषि
कामया धीरे से ऋषि की ओर देखती हुई बेड से उतरी और साइड में खड़ी हुई ऋषि की ओर देखती हुई कमर से एक साथ ही पूरी साड़ी को खींच लिया और वही नीचे ही गिरने दिया वो अपनी पेटीकोट को उँचा करती हुई लगभग घुटनों तक उठाकर अपने आपको वापस बेड पर चढ़ा लिया और ऋषि की ओर देखती हुई उसके पास लेट गई