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Incest घर की मोहब्बत

Ajju Landwalia

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Update 12



जयप्रकाश जी आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी पहले तो मीटिंग टल गई तो बच गए.. अब कल मीटिंग में अब क्या करूंगी मैं? आपने इतनी इम्पोर्टेन्ट फ़ाइल खो दी..

मैडम मैंने टेबल पर ही रखी थी.. अक्सर वहा से कुछ नहीं खोता मगर ये फ़ाइल ना जाने कैसे गुम हो गई..
मैं कुछ नहीं जानती जयप्रकाश जी.. आपके ऊपर पर मूझे अब करवाई करनी होगी वरना इसे मेरा फैलियर समझा जाएगा.

मैडम आप ऐसा मत कहिये.. मैंने आज तक कोई लापरवाही नहीं की है.. ये पहली बार है.

मैं कुछ नहीं जानती मे लिखित मे जवाब दो

चपरासी - मैडम आप येल्लो फ़ाइल के बारे में पूछ रही है क्या?

गुनगुन - हाँ क्यों तुम्हे पता है वो फ़ाइल कहा है?

चपरासी - जी मैडम.. उस दिन जयप्रकाश जी ने वो फ़ाइल टेबल पर रखी थी और मैं छूटी पर जा रहा था इसलिए मैंने सब चीज जगह पर रख दी थी.. मगर वो फ़ाइल गलती से मैं अपने सामान के साथ घर ले गया था.. आज वापस आया तो पता चला आप कोई फ़ाइल ढूंढ रही है.. वो फ़ाइल मेरे पास है.. मैं अभी घर से ले आता हूँ.

गुनगुन - आप फ़ोन पर ये बात नहीं बता सकते थे.. खाम्मखा जयप्रकाश जी को मैंने कितना कुछ भला बुरा कह दिया.. जाइये जल्दी लेकर आइये वो फ़ाइल.

जयप्रकाश चपरासी से - जा जल्दी..

गुनगुन - जयप्रकाश जी.. मैंने जो भी आपसे कहा उसे आप मेरी गलती समझके माफ़ कर दीजियेगा.. आप मुझसे उम्र में इतने बड़े है मूझे आपसे इतनी बदतमीजी से बात नहीं करनी चाहिए थी.

जयप्रकाश - कोई बात नहीं मैडम..


**************

सूरज आज विनोद के साथ उसके ऑफिस चला गया था और उसने वही पर जॉब के लिए हामी भी भर दी थी.. अगले दिन से उसने काम करना भी शुरु कर दिया.. आज पूरा दिन सूरज ऑफिस में बैठा काम कर रहा था.. शाम के 6 बजे उसने अपना काम समेटा और ऑफिस से बाहर आ गया..

हनी..

हाँ भईया?

हनी मूझे अचानक से ऑफिसटूर पर जाना पड़ेगा दो दिन के लिए.. तू मेरी बाइक लेके घर चला जा और पापा को बता देना.

ठीक है भईया.

हनी घर आ जाता है..

आ गया? विनोद कहा है?

भईया को ऑफिस टूर पर चले गए दो दिन तक बाहर ही रहेंगे..

लो बताओ.. तेरे पापा को भी उनकी मैडम अपने साथ मीटिंग के लिए जयपुर ले गई.. दोनों एक साथ ही गए है..

छोडो ना माँ.. आ जाएंगे.. आज सुबह से चेयर पर बैठे बैठे बदन अकड़ गया है.. एक कप अदरक वाली चाय पीला दो...

सुमित्रा प्यार से - तू कपड़े बदल कर हाथ मुंह धोले मैं अभी बनाके लाती हूँ..

सूरज ऊपर जाते हुए - हाथ मुंह धोने से काम नहीं चलेगा माँ.. नहाना पड़ेगा..

सूरज नहाने के बाद लोवर टीशर्ट डाल लेता है और तभी सुमित्रा चाय का कप हाथ में लेकर उसके कमरे में आ जाती है..

सुमित्रा - ले बेटू.. चाय पिले..

सूरज का कप लेकर - थैंक्स माँ..

सुमित्रा - केसा रहा काम का पहला दिन..

सूरज चाय पीता हुआ - बताया तो.. बहुत बोरिंग.. मूझे तो समझ नहीं आता भईया कैसे पूरा दिन कुर्सी पर बैठे रहते है..

सुमित्रा - थोड़े दिनों में तेरी भी आदत हो जायेगी बेटू.. अच्छा खाने में क्या बनाऊ?

सूरज चाय का कप रखकर सुमित्रा को बाहो में भरते हुए - कुछ बनाने की जरुरत नहीं है.. आज आप और मैं बाहर खाना खाके आएंगे..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए सूरज के बालों में हाथ फेरकर - चलो अच्छा है कम से कम एक दिन तो घर के काम से छूटी मिलेगी मूझे.. मगर तू कुछ अच्छा तो पहन.. इतना हैंडसम बेटा पैदा किया है मैंने.. हमेशा बस ये टीशर्ट और लोवर पहन के रखता है..

सूरज सुमित्रा को बाहों से आजाद करते हुए - आप नीचे चलो मैं कपड़े बदल के आता हूँ..

सूरज टीशर्ट और लोवर उतारकर एक जीन्स और चेक शर्ट पहन लेता है जिसमे काफी आकर्षक लगता है..

माँ चलो...

सुमित्रा - अब देख कितना प्यारा लग रहा है.. जैसे कोई हीरो हो..

सूरज - इतनी तारीफ़ मत करो.. कभी खुदको आईने में देखा है आपने? अभी भी कितनी अच्छी दिखती हो.. मगर आप तो पापा की तरह खुदको भी बुड्ढा समझ बैठी हो..

सुमित्रा हसते हुए - अच्छा बस बस.. रुक मैं पर्स लेके आती हूँ..

सूरज सुमित्रा को एक रेस्टोरेंट में लेके आ जाता है.. जहाँ की चकाचोध सुमित्रा देखते ही हैरान हो जाती है..

हनी.. ये रेस्टोरेंट है या महल?

पहले हवेली थी माँ.. अब रेस्टोरेंट बना दिया इसे.. खाना अच्छा मिलता है यहां.. बैठो..

सुमित्रा और सूरज रेस्टोरेंट के फर्स्ट फ्लोर पर एक टेबल पर बैठ जाते है और सुमित्रा आस पास के लोगों को और नजारो को देखने लगती है फिर पास में एक लड़की को शार्ट स्कर्ट मे सिगरेट पीते देख सूरज से कहती है..

हाय रे.. आजकल की लड़कियों को तो कोई शर्म ही नहीं है खुले आम सिगरेट पिने लगी है.. वो ऐसे छोटे छोटे कपडे पहन कर.. पाता नहीं इनके माँ बाप कैसे झेलते होंगे ऐसी लड़कियों को? देखने में किसी भले घर की लगती है पर हरकतें देखो.. ना कोई शर्म ना लिहाज़..

सूरज हसते हुए - आप भी ना माँ.. ये सब तो बहुत आम है.. और आपने कभी मूझे तो इतना कुछ नहीं बोला जब पकड़ा था सिगरेट पीते हुए छत पर..

अरे तेरी बात और है.. तू लड़का है.. मगर लड़कियों को तो कायदे से रखना चाहिए.. किस काम की ऐसी खुली आज़ादी.. जो बिगाड़ कर रख दे..

मतलब आप कह रही हो कि सिगरेट पिने वाली लड़किया बिगड़ी हुई होती है.. यही ना?

और क्या... कौन भला समझेगा ऐसी लड़कियों को? ना परिवार का डर, ना समाज का.. घर कैसे बसाएगी ये?

रहने दो माँ.. अब टाइम बदल चूका है.. सबको अपने मन की करने की आजादी है.. आप नहीं पीती इसका मतलब ये तो नहीं कि आप किसी और को भी ना पिने दो.. उसकी मर्ज़ी वो जो करें.. आपकी मर्ज़ी जो आप करो..

वेटर - सर आर्डर?

हाँ.. ये सब ले आओ.. माँ कुछ और मांगना है?

नहीं ठीक है...

वेटर चला जाता है..

सुमित्रा - मेरी मर्ज़ी जो मैं करू.. अच्छा? कल को मेरी मर्ज़ी बोलके मैं घर छोड़ जाऊ तो तेरे पापा जाने देंगे मूझे?

यार माँ कहा की बात कहा ले जा रही हो.. मैं बस इतना कह रहा हूँ.. आपको सिगरेट पीनी है तो आप भी पी लो.. उसमे क्या प्रॉब्लम है? उसको पीनी है वो पी रही है.. बस..

हम्म.. मैं सिगरेट पी लू.. ताकि तेरे पापा और बुआ मिलकर मेरा जीना हराम कर दे.. यही कहना चाहता है ना तू?

तो किसने कहा उनके सामने पियो.. छिपकर पी सकती हो अगर आपको पीनी है.. आपको पापा और बुआ का डर है उस लड़की को किसी का नहीं है.. अपनी अपनी लाइफ है माँ.. क्यों इतनी फ़िक्र करनी..

वेटर - सर योर आर्डर..
वेटर खाना रखकर चला जाता है..

लो माँ.. शुरु करो..
सूरज और सुमित्रा खाना खा लेते है और वापस घर आने को चल पड़ते है तभी सुमित्रा सूरज से कहती है - हनी.. अगर मैं सिगरेट पिऊ तो तू कुछ नहीं कहेगा?

मैं क्या कहूंगा? आपकी चॉइस है वो.. इसमें मेरा क्या लेना देना.. हाँ.. अगर आप जरुरत से ज्यादा कुछ करती हो तो मूझे समझाना पड़ेगा आपको..

ठीक है तो तू मूझे सिगरेट पीना सिखाएगा आज.. मैं भी तो देखूँ ऐसा क्या मज़ा मिलता है सिगरेट पिने में लोगों को?

मज़ा नहीं मिलता माँ.. लोग शौक के लिए पीते है.. कुछ लोग डिप्रेशन में पीते है.. कुछ ऐसे ही..

तेरे पास घर पर सिगरेट है?

नहीं.. मैं कहा रखता हूँ. मैंने तो छोड़ दिया है.. घर पर नहीं है.. पर आपको सच में पीनी है?

तो क्या मैं मज़ाक़ कर रही हूँ तुझसे?

ठीक है मैं रास्ते से ले लेता हूँ..
सूरज बाइक रोक कर एक पनवाड़ी से एक अल्ट्रा माइल्ड का पैकेट और लाइटर ले आता है और सुमित्रा के साथ घर पहुंच जाता है..

घर के अंदर आने के बाद सूरज सुमित्रा से - माँ लो.. मैं ऊपर जा रहा हूँ सोने..

सुमित्रा सूरज का हाथ पकड़ के अपने बैडरूम में लाती हुई - ऊपर क्यों जा रहा है हनी.. आज मेरे साथ यही सोजा.. चल..

ठीक है माँ.. कपड़े तो बदल के आने दो.. मूझे कन्फर्ट होना है..

ठीक जा.. जल्दी आना..

सुमित्रा सिगरेट लाइटर रख देती है और अपनी साड़ी निकाल देती है.. फिर कुछ सोचती है और बाथरूम में जाकर सुमित्रा अपने ब्लाउज को खोलकर अपनी ब्रा उतार देती है और ब्लाउज वापस पहन लेती है जिसमे से उसके बूब्स और निप्पल्स आकर्षक लग रहे थे.. सुमित्रा सूरज को अपना बदन दिखाना चाहती थी उसी के लिए उसने इतना सब किया था..

सूरज वापस टीशर्ट और लोवर पहन कर सुमित्रा के बेडरूम में आता है और अपनी माँ को ऐसे देखकर मुस्कुराते हुए कहता है - क्या बात है माँ.. पापा अगर आपको ऐसे देख लेते तो पक्का उनकी तोप आपको सलामी दे देती है..

सुमित्रा सिगरेट लाइटर उठाकर सूरज के पास आती हुई - उनकी तोप तो जंग खा चुकी थी है.. तू ये बता इसे पीते कैसे है?

सूरज सुमित्रा से सिगरेट और लाइटर ले लेता है और फिर सुमित्रा के पीछे जाकर उसे बाहों में भरते हुए कहता है - माँ.. सबसे पहले तो आपको पैकेट से सिगरेट निकालकर अपने इन गुलाबी होंठों पर लगानी पड़ेगी ऐसे.. फिर इस लाइटर से जलानी पड़ेगी.. ऐसे.. अब कश अंदर खींचकर धुआँ बाहर छोड़ना पड़ेगा...

सुमित्रा पहले कश में खाँसने लगती है..

सूरज - आराम से माँ.. हल्का हल्का कश खींचो.. हाँ ऐसे.. लो सिख गई आप तो.. कोई बड़ी बात तो थी ही नहीं इसमें..

सुमित्रा सिगरेट का कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए - अब तू मूझे ऐसे ही पीछे से पकड़ के मत खड़ा रह... कहीं तेरी तोप ना सलामी देने लग जाए मूझे..

सूरज सुमित्रा को पलटकर आगे से बाहों में भरता हुआ - अब ऐसे बिना ब्रा के ब्लाउज पहनोगी तो कुछ भी हो सकता है माँ..

सुमित्रा हसते हुए सिगरेट का कश लेकर - माँ के हाथ का एक थप्पड़ पड़ेगा ना तो सारा भुत उतर जाएगा.. समझा? अब क्या रातभर मूझे ऐसे बाहों में लेकर खड़ा रहेगा तू?

सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था.. उसे आज पहली बार सुमित्रा के खिलखिलाकर हसते चेहरे में आपनी माँ नहीं बल्कि एक खूबसूरत जवाँ औरत दिखाई देरही थी जो अपनी पति के बुड्ढे हो जाने के कारण सालों से प्यासी थी.. सुमित्रा का हुस्न सूरज को बहकने पर मजबूर कर रहा था.. जिसे सूरज समझ रहा था और उसने अपने पर काबू रखते हुए
सुमित्रा को बाहों से आजाद कर दिया और बेड पर लेटते हुए बोला - लाइट बंद कर देना माँ..


सुमित्रा ने सिगरेट के कश लेगाते हुए लाइट ऑफ करके अपने फ़ोन की टॉर्च ऑन करके फ़ोन को उल्टा रख दिया ताकि कमरे में कुछ रौशनी रहे.. फिर सूरज के करीब आकर लेटते हुए कहा - नींद आ रही है बेटू?

सूरज सुमित्रा के करीब खिसक कर सुमित्रा का हाथ पकड़ कर चूमते हुए - नहीं.. मूझे देर से सोने की आदत है माँ.. आप सोजाओ..

सुमित्रा सिगरेट बुजाकर अपना हाथ सूरज की गर्दन के नीचे से लेजाकर उसे अपनी तरफ झुकाते हुए - किसका फ़ोन आ रहा है?

कोई नहीं है माँ सो जाओ..

बात तो कर ले.. बेटू.. इम्पोर्टेन्ट होगा..

नहीं माँ.. इम्पोर्टेन्ट नहीं है..

ला मूझे दे फिर मैं बात करती हूँ..

नहीं माँ.. रहने दो अपने आप कट जायेगा..

सुमित्रा सूरज का फ़ोन लेकर फ़ोन उठा लेटी है..

सामने से एक लड़की - हेलो हनी..

सुमित्रा - कौन?

लड़की फ़ोन काट देती है..

सुमित्रा - कौन थी ये?

सूरज - चिंकी थी.. सुबह से फ़ोन कर रही है.. मैंने कह दिया बिजी हूँ.. फिर भी नहीं सुन रही थी..

सुमित्रा - अब परेशान करें तो बता देना इसे अच्छे से समझा दूंगी..

सूरज हसते हुए - परेशान नहीं कर रही माँ.. बेचारी बहुत ख्याल रखती है मेरा.. वापस जाने से पहले मिलना चाहती है एक बार..

सुमित्रा गुस्से से - मिलना चाहती है या सोना चाहती है तेरे साथ?

सूरज हसते हुए - आपको जलन हो रही है ना? सच बताना?

सुमित्रा - मैं क्यों जलने लगी किसी से? वो भी उस चिंकी से..

सूरज सुमित्रा को बाहों में भरके अपने ऊपर खींचते हुए - झूठ बोलते वक़त ना आपके होंठो कापने लगते है..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए - तुझे शर्म वर्म है या नहीं.. अपनी माँ को अपने ऊपर लेटा रखा है तूने.. छोड़ मूझे..

सूरज मुस्कुराते हुए - लेटा ही तो रखा है माँ.. कोनसा आपके खेत में हल चला दिया मैंने..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए - तेरा क्या भरोसा? हल भी चला दे और फसल ऊगा के मेरा पेट भी फुला दे..

सूरज सुमित्रा को अपने नीचे लेकर उसके ऊपर आता हुआ - आप इज़ाज़त दोगी तो वो भी हो जाएगा माँ.. आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी..

सुमित्रा - तेरे पापा और भैया को क्या कहूँगी? कि ये फसल कौन ऊगा गया फिर?

सूरज - वो आप जानो.. मूझे उससे क्या मतलब..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए - वाह जी वाह कितना फरेबी है तू.. सो जा अब चुपचाप से.. वरना तेरी तोप पर ताला लगा दूंगी..

सूरज सुमित्रा के गाल चूमते हुए - माँ नियत खराब हो रही है मेरी..

सुमित्रा हसते हुए - मुझे सब महसूस हो रहा है.. जाकर पहले बाथरूम में इसे शांत करके आ.. वरना रात को तेरा क्या भरोसा.. आधी रात को अपनी माँ पर है चढ़ाई शुरु कर दे..

सूरज - पर शांत करू किसके नाम पर?

सुमित्रा - तुझे जिसके नाम पर करना है कर ले.. अपना फ़ोन लेजा.. नेट पर देख लाना किसी को..

सूरज उदासी का नाटक करते हुए - ऐसे नहीं होगा..

सुमित्रा - तो क्या मैं पकड़कर शांत करू तुझे?

सूरज - आईडिया बुरा नहीं है.. चलो आप है कर देना..

सुमित्रा के तन बदन में सूरज कि मुट्ठी मारने का ख्याल करेंट कि तरह दौड़ गया और वो झट से खड़ी होकर सूरज का हाथ पकड़ कर उसे बाथरूम ले गयी और बोली - किसी सेइस बारे मे कहा ना तो देख लेना..

सूरज सुमित्रा के बूब्स देखते हुए लोवर सरका देता है जिससे सूरज का लंड थप्पड़ की तरह घुटनो पर बैठी सुमित्रा के गाल पर पड़ता है जो पूरा खड़हुआ था जिसे देखकर सुमित्रा की आँखे चमक जाती है..

सुमित्रा लंड पकड़ कर हिलाते हुए कहती है - अपनी माँ से ये सब करवा रहा है.. तुझे नर्क मिलेगा..

सूरज सुमित्रा के कंधे पर हाथ रखकर - अह्ह्ह माँ.. साथ में जाएंगे.. वहा भी शांत कर देना.. कितने मुलायम हाथ है आपके..

सुमित्रा लंड हिलाते हुए उसी लंड से चुदने के ख्याल लेती है और कामुक होकर जोर जोर से सूरज का लंड हिलाने लगती है जिससे सुमित्रा की चुडिया खन खन करके बजने लगती है..

सूरज हसकर फ़ोन से सुमित्रा का वीडियो बनाते हुए - माँ बिलकुल पोर्नस्टार लग रही हो..

सुमित्रा सूरज को फ़ोन के साथ देखकर गुस्से मे लंड हिलाना छोड़कर बाथरूम से बाहर जाते हुए - फोटो क्यों ले रहा है तू? अपने हाथ से कर ले मैं नहीं करने वाली अब...

सुमित्रा जैसे ही खड़ी होती है सूरज फ़ोन रखकर सुमित्रा को बाहो मे भर लेता है और कहता है - अच्छा सॉरी.. आप नाराज़ मत हो.. डिलीट कर दूंगा ना अभी.. प्लीज..

सुमित्रा वापस घुटनो पर आते हुए - अब फ़ोन के हाथ लगाया तो देख लेना तू..

सुमित्रा वापस लंड हिलाने लगती है वही सूरज अपनी मा को देखते हुए कामुकता से कुछ सोचने लगता है की तभी सूरज के फ़ोन पर जयप्रकाश का फ़ोन आ जाता है..

सूरज पहिने उठाकर - हेलो..

हाँ हनी.. तेरी मम्मी कहाँ है? फ़ोन नहीं उठा रही..

सूरज सुमित्रा को लंड हिलाता देखकर - मम्मी साथ ही है पापा.. रुको बात करता हूं..

सूरज सुमित्रा को फ़ोन देते हुए - लो पापा का फ़ोन है बात करो..

सुमित्रा लंड हिलाना छोड़कर हैरानी से - हेलो..

सुमित्रा?

जी बोलिये?

सुमित्रा.. दीदी का फ़ोन आया था.. परसो मुन्ने के जन्मदिन का कार्यक्रम है.. कल कुछ अच्छा सा तोहफा ले लेना..

ठीक है जी.. आपने खाना खाया ना?

हां खा लिया.. सुमित्रा..

सुमित्रा और जयप्रकाश आपस मे बात कर रहे थे वही सूरज ने अब लंड अपने हाथ से पकड़ लिया था और सुमित्रा के मुँह पर टारगेट करके अपने लंड को हिलाते हुए मुठ मार रहा था सूरज ने सुमित्रा और जयप्रकाश की बात ख़त्म होने से पहले ही सुमित्रा के चेहरे को अपने वीर्य की गाडी गाडी धार से अलंस्कृत कर दिया.. सुमित्रा शर्म और गुस्से के मिश्रित भाव से भरकर रह गई और फ़ोन चालू होने के कारण सूरज को कुछ बोल ना पाई..

सूरज झड़ने के बाद अपने आपको ठीक करके बाहर आ जाता है..

सुमित्रा फ़ोन कट होने पर बाथरूम बंद कर देती है और सूरज ने जो वीर्य गिराया था उसे कुतिया बनकर जीभ से चाटने लगती है उसे हवस का नशा चढ़ गया था और बाथरूम के अंदर वो अपनी चुत में ऊँगली करते हुए सूरज का वीर्य चाट रही थी.. कुछ देर बाद वो भी शांत होकर बाहर आ गई और सूरज के पास आ कर लेट गई..

सूरज ने सुमित्रा के अपनी बाहो मे कस लिया और सुमित्रा की गर्दन पर चूमकर वैसे ही सो गया सुमित्रा भी बिना कुछ बोले कामसुःख के पहले पायदान पर मुस्कुराते हुए सूरज की बाहो मे चैन की नींद सो गई..


***************


गरिमा को इंतज़ार करते हुए अब कुछ दिन हो गए थे उसका दिल अब दुखने लगा था वो मन ही मन सूरज को चाहने लगी थी और उससे बात ना हो पाने के कारण उसका मन उसे दुखी कर रहा था.. गरिमा भी अपनी ज़िद छोड़कर आगे से सूरज से बात नहीं करना चाहती थी.. उसकी ज़िद उसीको परेशान कर रही थी एक हफ्ते से ज्यादा का समय हो चूका था और सूरज और गरिमा के बीच कोई बात नहीं हुई थी.. सूरज को तो गरिमा की इतनी याद नहीं आती मगर गरिमा सिर्फ उसीको याद कर रही थी.. मगर उसने भी अब अपने मन को समझाना शुरु कर दिया था और सूरज का ख्याल छोड़ने का मन बना लिया था.. मगर इश्क़ के हाथों मजबूर गरिमा की जवानी अब सूरज के नाम पर मचलने लगी थी..

सूरज अपने भाई विनोद के साथ ही उसके ऑफिस में काम करने लगा था.. और काम की वजह से वो बिजी भी रहने लगा था सुबह से शाम ऑफिस में होने के कारण उसका समय बंध गया और उसका लोगों से मिलना जुलना बंद हो गया था..

नज़मा उस रात के बाद से सूरज को अपना मान बैठी थी.. हालांकि उसे पता था सूरज उसे कभी हासिल नहीं हो पायेगा.. मगर आज की रात वो सूरज से मिलकर उसे अपने दिल का हाल बयान करना चाहती थी.. बिलाल ने उसकी अम्मी को वापस मामू को भेज दिया था और सूरज को कॉल करके आज आने के लिए कहा था.. नज़मा का मन मचल रहा था उसे बेसब्री से सूरज का इंतजार था.. रात के 10 बजे थे और बिलाल ने दूकान का शटर बंद कर दिया था.. सूरज अभी अभी सुमित्रा से रातभर बाहर रहने का कोई बहाना बनाकर बिलाल की दूकान के अंदर आकर बैठा था...

बिलाल - हनी.. मैं ऊपर जा रहा हूँ तेरी भाभी अंदर है..

सूरज सर हिला कर ठीक है कहता है और नज़मा के पास आ जाता है..

नज़मा सूरज के अंदर आते ही दरवाजा बंद करके सूरज को अपनी बाहों में भरके बिस्तर पर धकेल देती है और उसके ऊपर आते हुए कहती है..
नज़मा - कब से इंतजार कर रही थी सूरज.. कोई इतना समय लगाता है वापस आने में? एक ही बार में मन भर गया है तुम्हारा मुझसे?

सूरज - काम में बिजी था नज़मा.. और बिना बुलाये कैसे आता?

नज़मा सूरज के होंठो को चूमकर - दिल लग गया है आपसे.. बताओ आज कहा से शुरु करें? आज मैं नहीं शर्माने वाली..

सूरज नज़मा के होंठो को उंगलियों से मसलकर - नज़मा.. होंठों से ही शुरू करते है..

सूरज और नज़मा दोनों एक दूसरे को चूमने लगे जैसे पंछी चोंच लड़ाते है..

चूमते चूमते दोनों एक दूसरे को नंगा करने लगते है.. सूरज नज़मा की कुर्ती और सलवार उतार देता है तो नज़मा सूरज की शर्ट और जीन्स को खोल देती है..
नज़मा चुम्बन तोड़कर सूरज के लंड को पकड़कर बाहर निकाल लेती है और मुंह में भरके चूसने लगती है.. सूरज blowjob मिलने से सुख के सागर में डूब जाता है और नज़मा सूरज का लंड चूसते हुए उसे देखकर सूरज को खुश करने के पुरे प्रयास करने लगती है..

नज़मा सूरज के लंड को पूरी सिद्दत के साथ चूस रही थी और जितना लंड वो मुंह में ले सकती थी लेकर चूस रही थी.. कुछ देर लंड चुसवाने के बाद सूरज ने नज़मा का हाथ पकड़ के अपने ऊपर खींच लिए और फिर से उसके होंठो को चूमकर नज़मा की चड्डी उतारते हुए उसकी गीली चुत में लंड घुसा कर नज़मा को चोदने लगा.. नज़मा ऐसे चुद रही थी जैसे उसे कब से इस तरह सूरज से चुदने का ही इंतजार हो.. सूरज और नज़मा की आँखे एक दूसरे को ही देख रही थी और दोनों की आँखों में काम की इच्छा बैठी थी नज़मा तो दिल से भी सूरज को अपना सब कुछ देना चाहती थी..

नज़मा चुदवाते हुए - अह्ह्ह.. सूरज आराम से.. आज किस बात की जल्दी है आपको? मैं कहीं भाग तो नहीं जाउंगी.. आहिस्ता करो ना.. दर्द होने लगा है..

सूरज प्यार से चोदते हुए - सॉरी नज़मा.. बहक गया था..

नज़मा सूरज का चेहरा चूमकर - पूरी रात आपकी बाहों में ही तो रहूंगी ना सूरज.. मिठाई को स्वाद लेकर चखा जाता है.. निगला नहीं जाता.. समझें?

सूरज - अच्छा जी? मगर मूझे तो अब घोड़ी चाहिए..

नज़मा हस्ती हुई घोड़ी बनकर - लो कर लो सवारी अपनी घोड़ी की..

सूरज नज़मा को घोड़ी बनाकर चोदने लगता है..
रातभर दोनों का मधुर मिलन पुरे चरम पर चलता रहता है..

सुबह के पांच बज चुके थे और सूरज के सीने पर नज़मा छाती के बल लेटी हुई थी उसकी आँखों में आंसू आ गए थे..

सूरज - रो क्यों रही हो?

नज़मा - आप चले जो जाओगे कुछ देर में..

सूरज - तो इसमें रोने की क्या बात है?

नज़मा - मैं तो नहीं रोना चाहती.. अपने आप आंसू आ रहे है आँखों से..

सूरज मुस्कुराते हुए - आप भी ना नज़मा भाभी.. कमाल हो..

नज़मा सूरज के होंठो को दांतो से काटते हुए - भाभी बोलोगे तो आपके होंठों को ऐसे ही काटूंगी सूरज..

सूरज हसते हुए - अब नहीं बोलूंगा.. नज़मा.. अब जाने दे..

नज़मा उदासी से - जल्दी वापस आना सूरज.. आपकी नज़मा आपका इंतजार करेगी..


***************


कितनी खूबसूरत वादिया है ना.. तुम्हे पता है बचपन से मेरा कश्मीर आने का सपना था.. आज पूरा हो गया

अब कोनसी बड़ी हो गई हो तुम? पुरे रास्ते बचकानी बात करती आई हो.. ऐसा लगता है अब भी तुम बच्ची हो.. अब यही खड़े रहकर रात बितानी है या वापस होटल भी चलना है? होटल पहुंचते पहुंचते अंधेरा हो जाएगा..

एक हेल्प करोगो मेरी?

क्या?

मुझसे वापस नीचे नहीं उतरा जाएगा.. पैरों में बहुत थकान है.. मूझे उठाकर नीचे ले जाओ ना प्लीज..

हम्म.. ठीक है पर उसके अलग से 5 परसेंट लगेंगे.. बोलो मंज़ूर है तो..

ऐसे तुम मूझे कुछ भी नहीं दोगे.. 50:50 करना था कुछ ही दिनों में 60:40 हो गया.. अब भी तुमको और प्रॉपर्टी चाहिए..

मैंने फ़ोर्स थोड़ी किया है.. तुम्हरी मर्ज़ी है..

अच्छा ठीक है.. लो उठाओ मूझे..

रमन तितली को अपने बाहों में उठाकर पहाड़ से नीचे उतरने लगता है और तितली रमन की गोद में उसका चेहरा देखती हुई सोचती है कि वापस लौटने पर वो रमन की शादी की शर्त मान लेगी और धीरे धीरे रमन को अपना बना लेगी.. उसे इन कुछ दिनों में रमन से इश्क़ हो गया था जिसका उसे अहसास था और अब वो रमन के आस पास ही रहना चाहती थी.. उसे देखकर तितली को सुकून मिलने लगा था.. तितली ने इन कुछ दिनों में रमन को और उसकी आदतो को पूरी तरह नोटिस किया था और उसके अच्छे बुरे हर पहलु से वाक़िफ़ हो रही थी..

तितली के मन की दशा से अनजान रमन का दिल भी तितली के लिए धड़कने लगा था उसे इस बात का अहसास तो अब तक नहीं हुआ था मगर वो इतना जान गया था की तितली जितनी खूबसूरत है उतनी ही प्यारी और मासूम भी.. उसकी बातों से रमन को लगाव होने लगा था ये रास्ता अगर इतने आराम से कट सका था तो वो तितली के बातूनी होने के कारण कट सका था..

लो आ गए नीचे.. अब उतरो..

ऐसे कैसे उतर जाऊ.. 5 परसेंट ले रहे हो.. गाडी तक लेके चलो मूझे ऐसे ही..

रमन तितली को बाहों में लिए गाडी तक आता हुआ - हाथों में दर्द होने लगा है..

इतनी भरी हूँ मैं?

हलकी भी तो नहीं हो..

ओ.. 50 किलो की एक लड़की को कुछ देर उठाकर नहीं सकते.. क्या फ़ायदा तुम्हारा मर्द होने का..

रमन गाडी के पास आकर तितली को उतारते हुए - आधा घंटा हो गया.. समझी.. खुद तो महारानी की तरह गोद में आराम कर रही हो.. मूझे तो ऊपर से नीचे आना पड़ा ना तुम्हे गोद में लेके.. और गाडी तक भी नहीं चल सकती.. बात करती हो..

ज्यादा दर्द कर रहे है तुम्हारे हाथ? कहो तो दबा देती हूँ.. आराम आ जाएगा..

तुम्हे डॉक्टर किसने बना दिया? नर्स भी बनने के काबिल नहीं हो..

अच्छा जी.. ऐसा बोलोगे ना तो ऐसा इंजेक्शन लगाउंगी तुम्हारे बम पर कि याद रखोगे..

रमन गाडी चलाते हुए - तुमसे इलाज कौन करवायेगा.. बीमार को और बीमार ना कर दो कहीं.. मैं दूर ही रहना पसंद करूंगा..

तितली सिगरेट जलाते हुए - तुम दूर जाओगे तो मैं तुम्हारे पास चली आउंगी.. अब तो दोस्ती भी हो गई है हमारी..

कितनी सिगरेट पीती हो यार.. कहीं तुम्हे ही अपना इलाज़ ना करवाना पड़ जाए.. डॉक्टर होकर भी अपना ख्याल नहीं रख सकती..

तितली कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए - तुम हो ना ख्याल रखने के लिए.. जब से घूमने निकले है तुम्ही मेरा ख्याल रख रहे हो.. ऐसा लगता है सच मुच के पति हो..

बना लो.. मैं तो तैयार हूँ तुम्हारा पति बनने के लिए..

और पूरी प्रॉपर्टी लेने के लिए भी.. मेरे हाथ में पकड़ा दोगे कटोरा और बोलोगे.. कुछ चाहिए तो चलो मुझसे भीख मांगो..

तो क्या हुआ.. तुम्हारी नाक छोटी हो जायेगी उसमे? पत्नी तो पति से मांगती ही है जो उनको चाहिए होता है..

तितली सिगरेट पीते हुए - एक बात बताओ.. अगर मैं शादी करू तुमसे.. तो सोओगे मेरे साथ?

रमन हसते हुए - सोना होगा तो किसी रुस्सियन के पास चला जाऊंगा.. तुम्हारे साथ क्यों सोऊंगा.. तुम तो बिस्तर में भी पक्का दोगी बोल बोल के..

तितली सिगरेट फेंकते हुए - ऐयाशी करनी ही आती है तुम्हे.. बस..

रमन - होटल आ गया.. पैरों से चलना पसंद करोगी या यहां भी गोद में उठा के ले जाना पड़ेगा डॉक्टर साहिबा को?

तितली मुस्कुराते हुए - रहने दो.. तुम और 5 परसेंट माँगने लग जाओगे..

तितली और रमन होटल के एक रूम में आ जाते है..

रमन आग के पास बैठकर हाथ सकता हुआ तितली से कहता है - एक बात बताओ.. घर पर तो अकेली सोती हो.. फिर बाहर अकेले सोने में डर क्यों लगता है तुम्हे?

तितली नाईट ड्रेस लेकर बाथरूम जाते हुए - वो सब तुम्हे क्यों बताऊ? क्या लगते हो तुम मेरे?

तुमने ही तो कहा था दोस्त है..

दोस्त हो तो दोस्त की तरह चुपचाप सोफे पर सो जाओ.. मैं तुम्हारी हर बात का जवाब नहीं देने वाली..
तितली बाथरूम जाकर नाईट ड्रेस पहनकर वापस आ जाती है और बेड पर लेट जाती है और चश्मा लगा कर फ़ोन में घुस जाती है...

रमन भी अपने कपडे बदल कर सोफे पर लेटते हुए - चश्मे में बहुत क्यूट लगती हो.. मैं बस बता रहा हूँ..

तितली - रिसेप्शन से एक्स्ट्रा ब्लेंकेट मंगवा लो... ऐसे तो बीमार हो जाओगे..

रमन - कॉल किया था.. नोट अवेलेबल कहा उन्होंने.. वैसे इतनी परवाह है तो अपना दे दो..

तितली कुछ सोचकर - फिर मैं क्या ओढ़ँगी? तुम चाहते हो मैं बीमार हो जाऊ? कितने मतलबी इंसान हो ना..

रमन - मतलबी होता तो तुम्हे सोफे पर सोना पड़ता.. हर रात.. पिछले डेढ़ हफ्ते से मूझे कभी सोफे पर तो कभी नीचे फर्श पर सोना पड़ रहा है.. और मूझे मतलबी कह रही हो..

तितली हस्ती हुई - अच्छा ठीक है.. तुम भी यहां बेड पर आ जाओ.. आज रात मज़बूरी है तो एक ब्लैंकेट से काम चला लेते है..

रमन मुस्कुराते हुए - सोच ले.. एक जवाँ मर्द को अपने बिस्तर में बुला रही हो.. कहीं कोई काण्ड ना हो जाए..

तितली हसते हुए - मूझे अगर तुम्हारा हाथ छुआ भी ना.. तो जो प्रॉपर्टी का 65:35 तय हुआ है वो वापस 100:00 हो जाएगा.. याद रखना..

रमन तितली के पास कम्बल में आकर - बहुत होट हो तुम तो.. पूरा गर्म किया हुआ है अंदर से..

तितली हस्ती हुई - सो जाओ चुपचाप.. समझे

रमन - वैसे कर क्या रही हो?

तितली फ़ोन दिखाते हुए - आज की फोटोज है.. कुछ इंस्टा पर पोस्ट की है.. देखो कितनी अच्छी तस्वीरे आई है आज..

रमन - मेरी तस्वीर क्यों पोस्ट की?

तितली - 2-3 पिक ही तो पोस्ट की है तुम्हारी.. उसमे क्या हो गया.. रियेक्ट तो ऐसे कर रहे हो जैसे कोई नंगी तस्वीर पोस्ट कर दी हो तुम्हारी.. देखो कितने प्यारे लग रहे हो.. शकल देखकर कौन कहेगा तुम पैसो के पीछे पागल हो..

रमन - कुछ भी बोलने लगी हो.. बाप की जायेदाद बेटे की ही तो होती है.. तुम कुछ ज्यादा नहीं खुल गई मेरे साथ?

तितली फ़ोन रखकर - तो? क्या करोगे तुम? रिपोर्ट लिखाओगे मेरे खिलाफ?

रमन का मन तितली को इस वक़्त चुम लेने का हो रहा था मगर वो अपने आप पर काबू रखने को मजबूर था और नहीं चाहता था कुछ ऐसा वैसा करें.. मगर तितली तो दुआ करने लगी थी की रमन कोई पहल करें और दोनों मोहब्बत के सागर में कश्ती हाँकने लगे.. मगर ऐसा हुआ नहीं.. दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे और चुप थे.. फिर रमन ने करवट बदल ली और बोला - गुडनाईट..

रमन से गुडनाइट सुनकर तितली का मुंह उतर गया उसे लगा था की रमन शायद उसे चुम लेगा और अपनी बाहों में भरके उसके साथ आज रात प्यार मोहब्बत की हद तक आ जाएगा.. मगर ऐसा हुआ नहीं..

दिल पर पत्थर रखकर तितली ने भी कहा - गुडनाइट...
तितली की आँखों में नींद नहीं थी.. वो रमन को देखकर कभी प्यार से भर जाती तो कभी उसकी तरफ देखकर रमन को मन ही मन गालिया देते हुए उसकी ऐसी हालात करने का दोष देकर कोसने लगती..

तितली की मोहब्बत रमन के लिए बढ़ती जा रही थी और तितली अच्छे से इस बात को जानती थी उसे रमन से इन कुछ दिनों में इश्क़ हो गया था.. ये जानते हुए भी कि रमन उसका सौतेला भाई है.. तितली रमन के साथ जीने के ख़्वाब देखने लगी थी और अब उसने रमन के मुताबिक खुदको ढालने का निर्णय ले लिया था.. पूरी रात रमन उसी तरह सोता और नींद में भी उसका हाथ तितली को नहीं छुआ.. तितली चाहती थी की कम से कम नींद में ही रमन उसके साथ कोई छेड़खानी करें मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं..

सुबह रमन की आँख खुली तो उसने देखा तितली नहाकर बाथरूम से बाहर आइ है और उसके बाल उसकी कमर तक ऐसे लहरा रहे थे जैसे नागिन हो.. तितली ने एक आसमानी रंग का लाहौरी सूट पहना था जिसमे वो गज़ब की खूबसूरत लग रही थी..

तितली ने रमन को जागते देखा तो रूम में रखे सामान से एक कप चाय बनाकर रमन को देते हुए बोली - नहा लो.. आज वापस घर के लिए निकलना था ना..

रमन चाय लेकर पीते हुए - थैंक्स..
रमन चाय पीकर नहाने चला जाता है ब्रश वगैरा करके नहाकर बाहर आ जाता है आज उसने जान बूझकर सिर्फ तौलिया अपने बदन पर लपेटा था और कमर से ऊपर वो नंगा था.. तितली ने पहली बार तिरछी नज़रो से रमन को घुरा था और वो उसके गठिले सुन्दर शरीर को आँखों से भोग रही थी.. रमन ने जल्दी से कपड़े पहने फिर तितली के साथ होटल में ही खाना खाकर अपना सामान उठाकर तितली के साथ बाहर गाडी में आकर बैठ गया...
रमन गाडी चलाने लगा और अब काफी देर तक दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई....

तितली ने काफी देर बाद रमन को देखकर कहा - मोन वर्त है तुम्हारा आज?

नहीं तो.. क्यों?

तो कुछ बात करो ना.. इतना चुप क्यों हो? बोर हो रही हूँ..

ऐसा है.. मैं तुम्हे इंटरटेन करने के लिए यहां नहीं लाया हूँ समझी? अभी मेरा मन नहीं है कुछ बोलने का.. जब होगा तब बोलूंगा..

तितली सिगरेट होंठों पर लगाती है तो रमन सिगरेट छीनकर बाहर फेंकता हुआ कहता है - और बार बार ये सिगरेट पीना बंद करो.. बीमार हो जाउंगी तो मूझे ही संभालना पड़ेगा..

तितली मुस्कुराते हुए - लगता है दिल आ गया जनाब का मुझ पर.. क्या बोलते थे? छिनाल.. गोल्डडीग्गर.. अब इतना ख्याल रखने लगे हो मेरा..

तुम्हारी गलतफहमी है.. मैं कोई ख्याल नहीं रख रहा बस बिना किसी परेशानी के घर पहुंचना चाहता हूँ.. फिर शान्ति संभाल लेगी तुम्हे..

तितली हसते हुए - मैं अपना ख्याल रख सकती हूँ.. कम से कम गाने तो चला दो इसमें..

तुम ही चला लो..

तितली एक पुराना गाना चलाते हुए - तुम्हारे लिए चलाती हूँ.. लो सुनो.. मैं तो बेघर हूँ.. अपने घर ले चलो.. घर में मुश्किल.. तो दफ़्तर ले चलो..

रमन मुस्कुराते हुए - पागल हो तुम..

तितली हसते हुए - और तुम पैसो के लिए एक पागल से शादी करना चाहते हो..

रमन - बार बार वही बात क्यों लाती हो?

तितली - सच ही तो कहती हूँ.. कुछ गलत तो नहीं कहा मैंने..

रमन - तो तुम ही छोड़ ना प्रॉपर्टी.. तुम क्यों पीछे पड़ी हो प्रॉपर्टी के?

तितली - और बिना पैसो के क्या करु? साध्वी बन जाऊ?

रमन - वो सब तुमसे नहीं हो पायेगा.. तुम मेरी PA बन जाना.. सारा काम संभाल लेना.. जो सेलेरी लेना चाहो ले लेना..

तितली - और मैं कोर्ट में केस करके पूरी प्रॉपर्टी लेकर तुम्हे अपना PA बना लू तो? आईडिया तो वो भी अच्छा है.. बोलो बनोगे मेरे PA?

रमन - उससे अच्छा तो मैं यहां किसी नदी में कूद जाऊ और जान दे दू...

तितली गुस्से में - रमन... क्या कुछ भी बोलते हो.. तुमसे बात ही नहीं करनी मूझे..

रमन - तुम्हे क्या हो गया एक दम से?

तितली सिगरेट जलाकर कश लेते हुए - कुछ नहीं.. तुम्हे बात नहीं करनी ना.. कुछ नहीं बोलूंगी मैं अब..

रमन - हुआ क्या है?

तितली बाहर देखते हुए - कुछ नहीं..

तितली रमन के खुदखुशी करने की बात पर उससे नाराज़ हो गई थी भले ही रमन ने ये बात यूँही कही थी मगर तितली को वो मज़ाक़ भी पसंद नहीं आया था उसे रमन से प्यार हो गया था और वो उसके लिए अब कुछ भी बुरा सुनने को तैयार नहीं थी.. रमन के खुदके मुंह से भी नहीं.. रमन गाडी चला रहा था और तितली सिगरेट के कश लगाते हुए रमन के साथ जिंदगी बिताने के ख़्वाब देखने लगी थी.. कुछ ही दिनों में रमन और तितली वापस घर लौट आये..



Bahut hi umda update he moms_bachha Bro,

Sumjitra aur Honey ka scene bhi bahut hi jaldi aane wala he...........

Nazma ab dil se chahne lagi he honey ko.............uska dil bas ek bachcha karne se nahi bahrega.......aur bhi chahegi vo

Raman aur titli chahe kitna bhi jhagad rahe he......lekin dono ke man me ek dusre ke liye pyar jaag chuka he.......

Keep rocking Bro
 

ayush01111

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Update 12



जयप्रकाश जी आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी पहले तो मीटिंग टल गई तो बच गए.. अब कल मीटिंग में अब क्या करूंगी मैं? आपने इतनी इम्पोर्टेन्ट फ़ाइल खो दी..

मैडम मैंने टेबल पर ही रखी थी.. अक्सर वहा से कुछ नहीं खोता मगर ये फ़ाइल ना जाने कैसे गुम हो गई..
मैं कुछ नहीं जानती जयप्रकाश जी.. आपके ऊपर पर मूझे अब करवाई करनी होगी वरना इसे मेरा फैलियर समझा जाएगा.

मैडम आप ऐसा मत कहिये.. मैंने आज तक कोई लापरवाही नहीं की है.. ये पहली बार है.

मैं कुछ नहीं जानती मे लिखित मे जवाब दो

चपरासी - मैडम आप येल्लो फ़ाइल के बारे में पूछ रही है क्या?

गुनगुन - हाँ क्यों तुम्हे पता है वो फ़ाइल कहा है?

चपरासी - जी मैडम.. उस दिन जयप्रकाश जी ने वो फ़ाइल टेबल पर रखी थी और मैं छूटी पर जा रहा था इसलिए मैंने सब चीज जगह पर रख दी थी.. मगर वो फ़ाइल गलती से मैं अपने सामान के साथ घर ले गया था.. आज वापस आया तो पता चला आप कोई फ़ाइल ढूंढ रही है.. वो फ़ाइल मेरे पास है.. मैं अभी घर से ले आता हूँ.

गुनगुन - आप फ़ोन पर ये बात नहीं बता सकते थे.. खाम्मखा जयप्रकाश जी को मैंने कितना कुछ भला बुरा कह दिया.. जाइये जल्दी लेकर आइये वो फ़ाइल.

जयप्रकाश चपरासी से - जा जल्दी..

गुनगुन - जयप्रकाश जी.. मैंने जो भी आपसे कहा उसे आप मेरी गलती समझके माफ़ कर दीजियेगा.. आप मुझसे उम्र में इतने बड़े है मूझे आपसे इतनी बदतमीजी से बात नहीं करनी चाहिए थी.

जयप्रकाश - कोई बात नहीं मैडम..


**************

सूरज आज विनोद के साथ उसके ऑफिस चला गया था और उसने वही पर जॉब के लिए हामी भी भर दी थी.. अगले दिन से उसने काम करना भी शुरु कर दिया.. आज पूरा दिन सूरज ऑफिस में बैठा काम कर रहा था.. शाम के 6 बजे उसने अपना काम समेटा और ऑफिस से बाहर आ गया..

हनी..

हाँ भईया?

हनी मूझे अचानक से ऑफिसटूर पर जाना पड़ेगा दो दिन के लिए.. तू मेरी बाइक लेके घर चला जा और पापा को बता देना.

ठीक है भईया.

हनी घर आ जाता है..

आ गया? विनोद कहा है?

भईया को ऑफिस टूर पर चले गए दो दिन तक बाहर ही रहेंगे..

लो बताओ.. तेरे पापा को भी उनकी मैडम अपने साथ मीटिंग के लिए जयपुर ले गई.. दोनों एक साथ ही गए है..

छोडो ना माँ.. आ जाएंगे.. आज सुबह से चेयर पर बैठे बैठे बदन अकड़ गया है.. एक कप अदरक वाली चाय पीला दो...

सुमित्रा प्यार से - तू कपड़े बदल कर हाथ मुंह धोले मैं अभी बनाके लाती हूँ..

सूरज ऊपर जाते हुए - हाथ मुंह धोने से काम नहीं चलेगा माँ.. नहाना पड़ेगा..

सूरज नहाने के बाद लोवर टीशर्ट डाल लेता है और तभी सुमित्रा चाय का कप हाथ में लेकर उसके कमरे में आ जाती है..

सुमित्रा - ले बेटू.. चाय पिले..

सूरज का कप लेकर - थैंक्स माँ..

सुमित्रा - केसा रहा काम का पहला दिन..

सूरज चाय पीता हुआ - बताया तो.. बहुत बोरिंग.. मूझे तो समझ नहीं आता भईया कैसे पूरा दिन कुर्सी पर बैठे रहते है..

सुमित्रा - थोड़े दिनों में तेरी भी आदत हो जायेगी बेटू.. अच्छा खाने में क्या बनाऊ?

सूरज चाय का कप रखकर सुमित्रा को बाहो में भरते हुए - कुछ बनाने की जरुरत नहीं है.. आज आप और मैं बाहर खाना खाके आएंगे..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए सूरज के बालों में हाथ फेरकर - चलो अच्छा है कम से कम एक दिन तो घर के काम से छूटी मिलेगी मूझे.. मगर तू कुछ अच्छा तो पहन.. इतना हैंडसम बेटा पैदा किया है मैंने.. हमेशा बस ये टीशर्ट और लोवर पहन के रखता है..

सूरज सुमित्रा को बाहों से आजाद करते हुए - आप नीचे चलो मैं कपड़े बदल के आता हूँ..

सूरज टीशर्ट और लोवर उतारकर एक जीन्स और चेक शर्ट पहन लेता है जिसमे काफी आकर्षक लगता है..

माँ चलो...

सुमित्रा - अब देख कितना प्यारा लग रहा है.. जैसे कोई हीरो हो..

सूरज - इतनी तारीफ़ मत करो.. कभी खुदको आईने में देखा है आपने? अभी भी कितनी अच्छी दिखती हो.. मगर आप तो पापा की तरह खुदको भी बुड्ढा समझ बैठी हो..

सुमित्रा हसते हुए - अच्छा बस बस.. रुक मैं पर्स लेके आती हूँ..

सूरज सुमित्रा को एक रेस्टोरेंट में लेके आ जाता है.. जहाँ की चकाचोध सुमित्रा देखते ही हैरान हो जाती है..

हनी.. ये रेस्टोरेंट है या महल?

पहले हवेली थी माँ.. अब रेस्टोरेंट बना दिया इसे.. खाना अच्छा मिलता है यहां.. बैठो..

सुमित्रा और सूरज रेस्टोरेंट के फर्स्ट फ्लोर पर एक टेबल पर बैठ जाते है और सुमित्रा आस पास के लोगों को और नजारो को देखने लगती है फिर पास में एक लड़की को शार्ट स्कर्ट मे सिगरेट पीते देख सूरज से कहती है..

हाय रे.. आजकल की लड़कियों को तो कोई शर्म ही नहीं है खुले आम सिगरेट पिने लगी है.. वो ऐसे छोटे छोटे कपडे पहन कर.. पाता नहीं इनके माँ बाप कैसे झेलते होंगे ऐसी लड़कियों को? देखने में किसी भले घर की लगती है पर हरकतें देखो.. ना कोई शर्म ना लिहाज़..

सूरज हसते हुए - आप भी ना माँ.. ये सब तो बहुत आम है.. और आपने कभी मूझे तो इतना कुछ नहीं बोला जब पकड़ा था सिगरेट पीते हुए छत पर..

अरे तेरी बात और है.. तू लड़का है.. मगर लड़कियों को तो कायदे से रखना चाहिए.. किस काम की ऐसी खुली आज़ादी.. जो बिगाड़ कर रख दे..

मतलब आप कह रही हो कि सिगरेट पिने वाली लड़किया बिगड़ी हुई होती है.. यही ना?

और क्या... कौन भला समझेगा ऐसी लड़कियों को? ना परिवार का डर, ना समाज का.. घर कैसे बसाएगी ये?

रहने दो माँ.. अब टाइम बदल चूका है.. सबको अपने मन की करने की आजादी है.. आप नहीं पीती इसका मतलब ये तो नहीं कि आप किसी और को भी ना पिने दो.. उसकी मर्ज़ी वो जो करें.. आपकी मर्ज़ी जो आप करो..

वेटर - सर आर्डर?

हाँ.. ये सब ले आओ.. माँ कुछ और मांगना है?

नहीं ठीक है...

वेटर चला जाता है..

सुमित्रा - मेरी मर्ज़ी जो मैं करू.. अच्छा? कल को मेरी मर्ज़ी बोलके मैं घर छोड़ जाऊ तो तेरे पापा जाने देंगे मूझे?

यार माँ कहा की बात कहा ले जा रही हो.. मैं बस इतना कह रहा हूँ.. आपको सिगरेट पीनी है तो आप भी पी लो.. उसमे क्या प्रॉब्लम है? उसको पीनी है वो पी रही है.. बस..

हम्म.. मैं सिगरेट पी लू.. ताकि तेरे पापा और बुआ मिलकर मेरा जीना हराम कर दे.. यही कहना चाहता है ना तू?

तो किसने कहा उनके सामने पियो.. छिपकर पी सकती हो अगर आपको पीनी है.. आपको पापा और बुआ का डर है उस लड़की को किसी का नहीं है.. अपनी अपनी लाइफ है माँ.. क्यों इतनी फ़िक्र करनी..

वेटर - सर योर आर्डर..
वेटर खाना रखकर चला जाता है..

लो माँ.. शुरु करो..
सूरज और सुमित्रा खाना खा लेते है और वापस घर आने को चल पड़ते है तभी सुमित्रा सूरज से कहती है - हनी.. अगर मैं सिगरेट पिऊ तो तू कुछ नहीं कहेगा?

मैं क्या कहूंगा? आपकी चॉइस है वो.. इसमें मेरा क्या लेना देना.. हाँ.. अगर आप जरुरत से ज्यादा कुछ करती हो तो मूझे समझाना पड़ेगा आपको..

ठीक है तो तू मूझे सिगरेट पीना सिखाएगा आज.. मैं भी तो देखूँ ऐसा क्या मज़ा मिलता है सिगरेट पिने में लोगों को?

मज़ा नहीं मिलता माँ.. लोग शौक के लिए पीते है.. कुछ लोग डिप्रेशन में पीते है.. कुछ ऐसे ही..

तेरे पास घर पर सिगरेट है?

नहीं.. मैं कहा रखता हूँ. मैंने तो छोड़ दिया है.. घर पर नहीं है.. पर आपको सच में पीनी है?

तो क्या मैं मज़ाक़ कर रही हूँ तुझसे?

ठीक है मैं रास्ते से ले लेता हूँ..
सूरज बाइक रोक कर एक पनवाड़ी से एक अल्ट्रा माइल्ड का पैकेट और लाइटर ले आता है और सुमित्रा के साथ घर पहुंच जाता है..

घर के अंदर आने के बाद सूरज सुमित्रा से - माँ लो.. मैं ऊपर जा रहा हूँ सोने..

सुमित्रा सूरज का हाथ पकड़ के अपने बैडरूम में लाती हुई - ऊपर क्यों जा रहा है हनी.. आज मेरे साथ यही सोजा.. चल..

ठीक है माँ.. कपड़े तो बदल के आने दो.. मूझे कन्फर्ट होना है..

ठीक जा.. जल्दी आना..

सुमित्रा सिगरेट लाइटर रख देती है और अपनी साड़ी निकाल देती है.. फिर कुछ सोचती है और बाथरूम में जाकर सुमित्रा अपने ब्लाउज को खोलकर अपनी ब्रा उतार देती है और ब्लाउज वापस पहन लेती है जिसमे से उसके बूब्स और निप्पल्स आकर्षक लग रहे थे.. सुमित्रा सूरज को अपना बदन दिखाना चाहती थी उसी के लिए उसने इतना सब किया था..

सूरज वापस टीशर्ट और लोवर पहन कर सुमित्रा के बेडरूम में आता है और अपनी माँ को ऐसे देखकर मुस्कुराते हुए कहता है - क्या बात है माँ.. पापा अगर आपको ऐसे देख लेते तो पक्का उनकी तोप आपको सलामी दे देती है..

सुमित्रा सिगरेट लाइटर उठाकर सूरज के पास आती हुई - उनकी तोप तो जंग खा चुकी थी है.. तू ये बता इसे पीते कैसे है?

सूरज सुमित्रा से सिगरेट और लाइटर ले लेता है और फिर सुमित्रा के पीछे जाकर उसे बाहों में भरते हुए कहता है - माँ.. सबसे पहले तो आपको पैकेट से सिगरेट निकालकर अपने इन गुलाबी होंठों पर लगानी पड़ेगी ऐसे.. फिर इस लाइटर से जलानी पड़ेगी.. ऐसे.. अब कश अंदर खींचकर धुआँ बाहर छोड़ना पड़ेगा...

सुमित्रा पहले कश में खाँसने लगती है..

सूरज - आराम से माँ.. हल्का हल्का कश खींचो.. हाँ ऐसे.. लो सिख गई आप तो.. कोई बड़ी बात तो थी ही नहीं इसमें..

सुमित्रा सिगरेट का कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए - अब तू मूझे ऐसे ही पीछे से पकड़ के मत खड़ा रह... कहीं तेरी तोप ना सलामी देने लग जाए मूझे..

सूरज सुमित्रा को पलटकर आगे से बाहों में भरता हुआ - अब ऐसे बिना ब्रा के ब्लाउज पहनोगी तो कुछ भी हो सकता है माँ..

सुमित्रा हसते हुए सिगरेट का कश लेकर - माँ के हाथ का एक थप्पड़ पड़ेगा ना तो सारा भुत उतर जाएगा.. समझा? अब क्या रातभर मूझे ऐसे बाहों में लेकर खड़ा रहेगा तू?

सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था.. उसे आज पहली बार सुमित्रा के खिलखिलाकर हसते चेहरे में आपनी माँ नहीं बल्कि एक खूबसूरत जवाँ औरत दिखाई देरही थी जो अपनी पति के बुड्ढे हो जाने के कारण सालों से प्यासी थी.. सुमित्रा का हुस्न सूरज को बहकने पर मजबूर कर रहा था.. जिसे सूरज समझ रहा था और उसने अपने पर काबू रखते हुए
सुमित्रा को बाहों से आजाद कर दिया और बेड पर लेटते हुए बोला - लाइट बंद कर देना माँ..


सुमित्रा ने सिगरेट के कश लेगाते हुए लाइट ऑफ करके अपने फ़ोन की टॉर्च ऑन करके फ़ोन को उल्टा रख दिया ताकि कमरे में कुछ रौशनी रहे.. फिर सूरज के करीब आकर लेटते हुए कहा - नींद आ रही है बेटू?

सूरज सुमित्रा के करीब खिसक कर सुमित्रा का हाथ पकड़ कर चूमते हुए - नहीं.. मूझे देर से सोने की आदत है माँ.. आप सोजाओ..

सुमित्रा सिगरेट बुजाकर अपना हाथ सूरज की गर्दन के नीचे से लेजाकर उसे अपनी तरफ झुकाते हुए - किसका फ़ोन आ रहा है?

कोई नहीं है माँ सो जाओ..

बात तो कर ले.. बेटू.. इम्पोर्टेन्ट होगा..

नहीं माँ.. इम्पोर्टेन्ट नहीं है..

ला मूझे दे फिर मैं बात करती हूँ..

नहीं माँ.. रहने दो अपने आप कट जायेगा..

सुमित्रा सूरज का फ़ोन लेकर फ़ोन उठा लेटी है..

सामने से एक लड़की - हेलो हनी..

सुमित्रा - कौन?

लड़की फ़ोन काट देती है..

सुमित्रा - कौन थी ये?

सूरज - चिंकी थी.. सुबह से फ़ोन कर रही है.. मैंने कह दिया बिजी हूँ.. फिर भी नहीं सुन रही थी..

सुमित्रा - अब परेशान करें तो बता देना इसे अच्छे से समझा दूंगी..

सूरज हसते हुए - परेशान नहीं कर रही माँ.. बेचारी बहुत ख्याल रखती है मेरा.. वापस जाने से पहले मिलना चाहती है एक बार..

सुमित्रा गुस्से से - मिलना चाहती है या सोना चाहती है तेरे साथ?

सूरज हसते हुए - आपको जलन हो रही है ना? सच बताना?

सुमित्रा - मैं क्यों जलने लगी किसी से? वो भी उस चिंकी से..

सूरज सुमित्रा को बाहों में भरके अपने ऊपर खींचते हुए - झूठ बोलते वक़त ना आपके होंठो कापने लगते है..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए - तुझे शर्म वर्म है या नहीं.. अपनी माँ को अपने ऊपर लेटा रखा है तूने.. छोड़ मूझे..

सूरज मुस्कुराते हुए - लेटा ही तो रखा है माँ.. कोनसा आपके खेत में हल चला दिया मैंने..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए - तेरा क्या भरोसा? हल भी चला दे और फसल ऊगा के मेरा पेट भी फुला दे..

सूरज सुमित्रा को अपने नीचे लेकर उसके ऊपर आता हुआ - आप इज़ाज़त दोगी तो वो भी हो जाएगा माँ.. आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी..

सुमित्रा - तेरे पापा और भैया को क्या कहूँगी? कि ये फसल कौन ऊगा गया फिर?

सूरज - वो आप जानो.. मूझे उससे क्या मतलब..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए - वाह जी वाह कितना फरेबी है तू.. सो जा अब चुपचाप से.. वरना तेरी तोप पर ताला लगा दूंगी..

सूरज सुमित्रा के गाल चूमते हुए - माँ नियत खराब हो रही है मेरी..

सुमित्रा हसते हुए - मुझे सब महसूस हो रहा है.. जाकर पहले बाथरूम में इसे शांत करके आ.. वरना रात को तेरा क्या भरोसा.. आधी रात को अपनी माँ पर है चढ़ाई शुरु कर दे..

सूरज - पर शांत करू किसके नाम पर?

सुमित्रा - तुझे जिसके नाम पर करना है कर ले.. अपना फ़ोन लेजा.. नेट पर देख लाना किसी को..

सूरज उदासी का नाटक करते हुए - ऐसे नहीं होगा..

सुमित्रा - तो क्या मैं पकड़कर शांत करू तुझे?

सूरज - आईडिया बुरा नहीं है.. चलो आप है कर देना..

सुमित्रा के तन बदन में सूरज कि मुट्ठी मारने का ख्याल करेंट कि तरह दौड़ गया और वो झट से खड़ी होकर सूरज का हाथ पकड़ कर उसे बाथरूम ले गयी और बोली - किसी सेइस बारे मे कहा ना तो देख लेना..

सूरज सुमित्रा के बूब्स देखते हुए लोवर सरका देता है जिससे सूरज का लंड थप्पड़ की तरह घुटनो पर बैठी सुमित्रा के गाल पर पड़ता है जो पूरा खड़हुआ था जिसे देखकर सुमित्रा की आँखे चमक जाती है..

सुमित्रा लंड पकड़ कर हिलाते हुए कहती है - अपनी माँ से ये सब करवा रहा है.. तुझे नर्क मिलेगा..

सूरज सुमित्रा के कंधे पर हाथ रखकर - अह्ह्ह माँ.. साथ में जाएंगे.. वहा भी शांत कर देना.. कितने मुलायम हाथ है आपके..

सुमित्रा लंड हिलाते हुए उसी लंड से चुदने के ख्याल लेती है और कामुक होकर जोर जोर से सूरज का लंड हिलाने लगती है जिससे सुमित्रा की चुडिया खन खन करके बजने लगती है..

सूरज हसकर फ़ोन से सुमित्रा का वीडियो बनाते हुए - माँ बिलकुल पोर्नस्टार लग रही हो..

सुमित्रा सूरज को फ़ोन के साथ देखकर गुस्से मे लंड हिलाना छोड़कर बाथरूम से बाहर जाते हुए - फोटो क्यों ले रहा है तू? अपने हाथ से कर ले मैं नहीं करने वाली अब...

सुमित्रा जैसे ही खड़ी होती है सूरज फ़ोन रखकर सुमित्रा को बाहो मे भर लेता है और कहता है - अच्छा सॉरी.. आप नाराज़ मत हो.. डिलीट कर दूंगा ना अभी.. प्लीज..

सुमित्रा वापस घुटनो पर आते हुए - अब फ़ोन के हाथ लगाया तो देख लेना तू..

सुमित्रा वापस लंड हिलाने लगती है वही सूरज अपनी मा को देखते हुए कामुकता से कुछ सोचने लगता है की तभी सूरज के फ़ोन पर जयप्रकाश का फ़ोन आ जाता है..

सूरज पहिने उठाकर - हेलो..

हाँ हनी.. तेरी मम्मी कहाँ है? फ़ोन नहीं उठा रही..

सूरज सुमित्रा को लंड हिलाता देखकर - मम्मी साथ ही है पापा.. रुको बात करता हूं..

सूरज सुमित्रा को फ़ोन देते हुए - लो पापा का फ़ोन है बात करो..

सुमित्रा लंड हिलाना छोड़कर हैरानी से - हेलो..

सुमित्रा?

जी बोलिये?

सुमित्रा.. दीदी का फ़ोन आया था.. परसो मुन्ने के जन्मदिन का कार्यक्रम है.. कल कुछ अच्छा सा तोहफा ले लेना..

ठीक है जी.. आपने खाना खाया ना?

हां खा लिया.. सुमित्रा..

सुमित्रा और जयप्रकाश आपस मे बात कर रहे थे वही सूरज ने अब लंड अपने हाथ से पकड़ लिया था और सुमित्रा के मुँह पर टारगेट करके अपने लंड को हिलाते हुए मुठ मार रहा था सूरज ने सुमित्रा और जयप्रकाश की बात ख़त्म होने से पहले ही सुमित्रा के चेहरे को अपने वीर्य की गाडी गाडी धार से अलंस्कृत कर दिया.. सुमित्रा शर्म और गुस्से के मिश्रित भाव से भरकर रह गई और फ़ोन चालू होने के कारण सूरज को कुछ बोल ना पाई..

सूरज झड़ने के बाद अपने आपको ठीक करके बाहर आ जाता है..

सुमित्रा फ़ोन कट होने पर बाथरूम बंद कर देती है और सूरज ने जो वीर्य गिराया था उसे कुतिया बनकर जीभ से चाटने लगती है उसे हवस का नशा चढ़ गया था और बाथरूम के अंदर वो अपनी चुत में ऊँगली करते हुए सूरज का वीर्य चाट रही थी.. कुछ देर बाद वो भी शांत होकर बाहर आ गई और सूरज के पास आ कर लेट गई..

सूरज ने सुमित्रा के अपनी बाहो मे कस लिया और सुमित्रा की गर्दन पर चूमकर वैसे ही सो गया सुमित्रा भी बिना कुछ बोले कामसुःख के पहले पायदान पर मुस्कुराते हुए सूरज की बाहो मे चैन की नींद सो गई..


***************


गरिमा को इंतज़ार करते हुए अब कुछ दिन हो गए थे उसका दिल अब दुखने लगा था वो मन ही मन सूरज को चाहने लगी थी और उससे बात ना हो पाने के कारण उसका मन उसे दुखी कर रहा था.. गरिमा भी अपनी ज़िद छोड़कर आगे से सूरज से बात नहीं करना चाहती थी.. उसकी ज़िद उसीको परेशान कर रही थी एक हफ्ते से ज्यादा का समय हो चूका था और सूरज और गरिमा के बीच कोई बात नहीं हुई थी.. सूरज को तो गरिमा की इतनी याद नहीं आती मगर गरिमा सिर्फ उसीको याद कर रही थी.. मगर उसने भी अब अपने मन को समझाना शुरु कर दिया था और सूरज का ख्याल छोड़ने का मन बना लिया था.. मगर इश्क़ के हाथों मजबूर गरिमा की जवानी अब सूरज के नाम पर मचलने लगी थी..

सूरज अपने भाई विनोद के साथ ही उसके ऑफिस में काम करने लगा था.. और काम की वजह से वो बिजी भी रहने लगा था सुबह से शाम ऑफिस में होने के कारण उसका समय बंध गया और उसका लोगों से मिलना जुलना बंद हो गया था..

नज़मा उस रात के बाद से सूरज को अपना मान बैठी थी.. हालांकि उसे पता था सूरज उसे कभी हासिल नहीं हो पायेगा.. मगर आज की रात वो सूरज से मिलकर उसे अपने दिल का हाल बयान करना चाहती थी.. बिलाल ने उसकी अम्मी को वापस मामू को भेज दिया था और सूरज को कॉल करके आज आने के लिए कहा था.. नज़मा का मन मचल रहा था उसे बेसब्री से सूरज का इंतजार था.. रात के 10 बजे थे और बिलाल ने दूकान का शटर बंद कर दिया था.. सूरज अभी अभी सुमित्रा से रातभर बाहर रहने का कोई बहाना बनाकर बिलाल की दूकान के अंदर आकर बैठा था...

बिलाल - हनी.. मैं ऊपर जा रहा हूँ तेरी भाभी अंदर है..

सूरज सर हिला कर ठीक है कहता है और नज़मा के पास आ जाता है..

नज़मा सूरज के अंदर आते ही दरवाजा बंद करके सूरज को अपनी बाहों में भरके बिस्तर पर धकेल देती है और उसके ऊपर आते हुए कहती है..
नज़मा - कब से इंतजार कर रही थी सूरज.. कोई इतना समय लगाता है वापस आने में? एक ही बार में मन भर गया है तुम्हारा मुझसे?

सूरज - काम में बिजी था नज़मा.. और बिना बुलाये कैसे आता?

नज़मा सूरज के होंठो को चूमकर - दिल लग गया है आपसे.. बताओ आज कहा से शुरु करें? आज मैं नहीं शर्माने वाली..

सूरज नज़मा के होंठो को उंगलियों से मसलकर - नज़मा.. होंठों से ही शुरू करते है..

सूरज और नज़मा दोनों एक दूसरे को चूमने लगे जैसे पंछी चोंच लड़ाते है..

चूमते चूमते दोनों एक दूसरे को नंगा करने लगते है.. सूरज नज़मा की कुर्ती और सलवार उतार देता है तो नज़मा सूरज की शर्ट और जीन्स को खोल देती है..
नज़मा चुम्बन तोड़कर सूरज के लंड को पकड़कर बाहर निकाल लेती है और मुंह में भरके चूसने लगती है.. सूरज blowjob मिलने से सुख के सागर में डूब जाता है और नज़मा सूरज का लंड चूसते हुए उसे देखकर सूरज को खुश करने के पुरे प्रयास करने लगती है..

नज़मा सूरज के लंड को पूरी सिद्दत के साथ चूस रही थी और जितना लंड वो मुंह में ले सकती थी लेकर चूस रही थी.. कुछ देर लंड चुसवाने के बाद सूरज ने नज़मा का हाथ पकड़ के अपने ऊपर खींच लिए और फिर से उसके होंठो को चूमकर नज़मा की चड्डी उतारते हुए उसकी गीली चुत में लंड घुसा कर नज़मा को चोदने लगा.. नज़मा ऐसे चुद रही थी जैसे उसे कब से इस तरह सूरज से चुदने का ही इंतजार हो.. सूरज और नज़मा की आँखे एक दूसरे को ही देख रही थी और दोनों की आँखों में काम की इच्छा बैठी थी नज़मा तो दिल से भी सूरज को अपना सब कुछ देना चाहती थी..

नज़मा चुदवाते हुए - अह्ह्ह.. सूरज आराम से.. आज किस बात की जल्दी है आपको? मैं कहीं भाग तो नहीं जाउंगी.. आहिस्ता करो ना.. दर्द होने लगा है..

सूरज प्यार से चोदते हुए - सॉरी नज़मा.. बहक गया था..

नज़मा सूरज का चेहरा चूमकर - पूरी रात आपकी बाहों में ही तो रहूंगी ना सूरज.. मिठाई को स्वाद लेकर चखा जाता है.. निगला नहीं जाता.. समझें?

सूरज - अच्छा जी? मगर मूझे तो अब घोड़ी चाहिए..

नज़मा हस्ती हुई घोड़ी बनकर - लो कर लो सवारी अपनी घोड़ी की..

सूरज नज़मा को घोड़ी बनाकर चोदने लगता है..
रातभर दोनों का मधुर मिलन पुरे चरम पर चलता रहता है..

सुबह के पांच बज चुके थे और सूरज के सीने पर नज़मा छाती के बल लेटी हुई थी उसकी आँखों में आंसू आ गए थे..

सूरज - रो क्यों रही हो?

नज़मा - आप चले जो जाओगे कुछ देर में..

सूरज - तो इसमें रोने की क्या बात है?

नज़मा - मैं तो नहीं रोना चाहती.. अपने आप आंसू आ रहे है आँखों से..

सूरज मुस्कुराते हुए - आप भी ना नज़मा भाभी.. कमाल हो..

नज़मा सूरज के होंठो को दांतो से काटते हुए - भाभी बोलोगे तो आपके होंठों को ऐसे ही काटूंगी सूरज..

सूरज हसते हुए - अब नहीं बोलूंगा.. नज़मा.. अब जाने दे..

नज़मा उदासी से - जल्दी वापस आना सूरज.. आपकी नज़मा आपका इंतजार करेगी..


***************


कितनी खूबसूरत वादिया है ना.. तुम्हे पता है बचपन से मेरा कश्मीर आने का सपना था.. आज पूरा हो गया

अब कोनसी बड़ी हो गई हो तुम? पुरे रास्ते बचकानी बात करती आई हो.. ऐसा लगता है अब भी तुम बच्ची हो.. अब यही खड़े रहकर रात बितानी है या वापस होटल भी चलना है? होटल पहुंचते पहुंचते अंधेरा हो जाएगा..

एक हेल्प करोगो मेरी?

क्या?

मुझसे वापस नीचे नहीं उतरा जाएगा.. पैरों में बहुत थकान है.. मूझे उठाकर नीचे ले जाओ ना प्लीज..

हम्म.. ठीक है पर उसके अलग से 5 परसेंट लगेंगे.. बोलो मंज़ूर है तो..

ऐसे तुम मूझे कुछ भी नहीं दोगे.. 50:50 करना था कुछ ही दिनों में 60:40 हो गया.. अब भी तुमको और प्रॉपर्टी चाहिए..

मैंने फ़ोर्स थोड़ी किया है.. तुम्हरी मर्ज़ी है..

अच्छा ठीक है.. लो उठाओ मूझे..

रमन तितली को अपने बाहों में उठाकर पहाड़ से नीचे उतरने लगता है और तितली रमन की गोद में उसका चेहरा देखती हुई सोचती है कि वापस लौटने पर वो रमन की शादी की शर्त मान लेगी और धीरे धीरे रमन को अपना बना लेगी.. उसे इन कुछ दिनों में रमन से इश्क़ हो गया था जिसका उसे अहसास था और अब वो रमन के आस पास ही रहना चाहती थी.. उसे देखकर तितली को सुकून मिलने लगा था.. तितली ने इन कुछ दिनों में रमन को और उसकी आदतो को पूरी तरह नोटिस किया था और उसके अच्छे बुरे हर पहलु से वाक़िफ़ हो रही थी..

तितली के मन की दशा से अनजान रमन का दिल भी तितली के लिए धड़कने लगा था उसे इस बात का अहसास तो अब तक नहीं हुआ था मगर वो इतना जान गया था की तितली जितनी खूबसूरत है उतनी ही प्यारी और मासूम भी.. उसकी बातों से रमन को लगाव होने लगा था ये रास्ता अगर इतने आराम से कट सका था तो वो तितली के बातूनी होने के कारण कट सका था..

लो आ गए नीचे.. अब उतरो..

ऐसे कैसे उतर जाऊ.. 5 परसेंट ले रहे हो.. गाडी तक लेके चलो मूझे ऐसे ही..

रमन तितली को बाहों में लिए गाडी तक आता हुआ - हाथों में दर्द होने लगा है..

इतनी भरी हूँ मैं?

हलकी भी तो नहीं हो..

ओ.. 50 किलो की एक लड़की को कुछ देर उठाकर नहीं सकते.. क्या फ़ायदा तुम्हारा मर्द होने का..

रमन गाडी के पास आकर तितली को उतारते हुए - आधा घंटा हो गया.. समझी.. खुद तो महारानी की तरह गोद में आराम कर रही हो.. मूझे तो ऊपर से नीचे आना पड़ा ना तुम्हे गोद में लेके.. और गाडी तक भी नहीं चल सकती.. बात करती हो..

ज्यादा दर्द कर रहे है तुम्हारे हाथ? कहो तो दबा देती हूँ.. आराम आ जाएगा..

तुम्हे डॉक्टर किसने बना दिया? नर्स भी बनने के काबिल नहीं हो..

अच्छा जी.. ऐसा बोलोगे ना तो ऐसा इंजेक्शन लगाउंगी तुम्हारे बम पर कि याद रखोगे..

रमन गाडी चलाते हुए - तुमसे इलाज कौन करवायेगा.. बीमार को और बीमार ना कर दो कहीं.. मैं दूर ही रहना पसंद करूंगा..

तितली सिगरेट जलाते हुए - तुम दूर जाओगे तो मैं तुम्हारे पास चली आउंगी.. अब तो दोस्ती भी हो गई है हमारी..

कितनी सिगरेट पीती हो यार.. कहीं तुम्हे ही अपना इलाज़ ना करवाना पड़ जाए.. डॉक्टर होकर भी अपना ख्याल नहीं रख सकती..

तितली कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए - तुम हो ना ख्याल रखने के लिए.. जब से घूमने निकले है तुम्ही मेरा ख्याल रख रहे हो.. ऐसा लगता है सच मुच के पति हो..

बना लो.. मैं तो तैयार हूँ तुम्हारा पति बनने के लिए..

और पूरी प्रॉपर्टी लेने के लिए भी.. मेरे हाथ में पकड़ा दोगे कटोरा और बोलोगे.. कुछ चाहिए तो चलो मुझसे भीख मांगो..

तो क्या हुआ.. तुम्हारी नाक छोटी हो जायेगी उसमे? पत्नी तो पति से मांगती ही है जो उनको चाहिए होता है..

तितली सिगरेट पीते हुए - एक बात बताओ.. अगर मैं शादी करू तुमसे.. तो सोओगे मेरे साथ?

रमन हसते हुए - सोना होगा तो किसी रुस्सियन के पास चला जाऊंगा.. तुम्हारे साथ क्यों सोऊंगा.. तुम तो बिस्तर में भी पक्का दोगी बोल बोल के..

तितली सिगरेट फेंकते हुए - ऐयाशी करनी ही आती है तुम्हे.. बस..

रमन - होटल आ गया.. पैरों से चलना पसंद करोगी या यहां भी गोद में उठा के ले जाना पड़ेगा डॉक्टर साहिबा को?

तितली मुस्कुराते हुए - रहने दो.. तुम और 5 परसेंट माँगने लग जाओगे..

तितली और रमन होटल के एक रूम में आ जाते है..

रमन आग के पास बैठकर हाथ सकता हुआ तितली से कहता है - एक बात बताओ.. घर पर तो अकेली सोती हो.. फिर बाहर अकेले सोने में डर क्यों लगता है तुम्हे?

तितली नाईट ड्रेस लेकर बाथरूम जाते हुए - वो सब तुम्हे क्यों बताऊ? क्या लगते हो तुम मेरे?

तुमने ही तो कहा था दोस्त है..

दोस्त हो तो दोस्त की तरह चुपचाप सोफे पर सो जाओ.. मैं तुम्हारी हर बात का जवाब नहीं देने वाली..
तितली बाथरूम जाकर नाईट ड्रेस पहनकर वापस आ जाती है और बेड पर लेट जाती है और चश्मा लगा कर फ़ोन में घुस जाती है...

रमन भी अपने कपडे बदल कर सोफे पर लेटते हुए - चश्मे में बहुत क्यूट लगती हो.. मैं बस बता रहा हूँ..

तितली - रिसेप्शन से एक्स्ट्रा ब्लेंकेट मंगवा लो... ऐसे तो बीमार हो जाओगे..

रमन - कॉल किया था.. नोट अवेलेबल कहा उन्होंने.. वैसे इतनी परवाह है तो अपना दे दो..

तितली कुछ सोचकर - फिर मैं क्या ओढ़ँगी? तुम चाहते हो मैं बीमार हो जाऊ? कितने मतलबी इंसान हो ना..

रमन - मतलबी होता तो तुम्हे सोफे पर सोना पड़ता.. हर रात.. पिछले डेढ़ हफ्ते से मूझे कभी सोफे पर तो कभी नीचे फर्श पर सोना पड़ रहा है.. और मूझे मतलबी कह रही हो..

तितली हस्ती हुई - अच्छा ठीक है.. तुम भी यहां बेड पर आ जाओ.. आज रात मज़बूरी है तो एक ब्लैंकेट से काम चला लेते है..

रमन मुस्कुराते हुए - सोच ले.. एक जवाँ मर्द को अपने बिस्तर में बुला रही हो.. कहीं कोई काण्ड ना हो जाए..

तितली हसते हुए - मूझे अगर तुम्हारा हाथ छुआ भी ना.. तो जो प्रॉपर्टी का 65:35 तय हुआ है वो वापस 100:00 हो जाएगा.. याद रखना..

रमन तितली के पास कम्बल में आकर - बहुत होट हो तुम तो.. पूरा गर्म किया हुआ है अंदर से..

तितली हस्ती हुई - सो जाओ चुपचाप.. समझे

रमन - वैसे कर क्या रही हो?

तितली फ़ोन दिखाते हुए - आज की फोटोज है.. कुछ इंस्टा पर पोस्ट की है.. देखो कितनी अच्छी तस्वीरे आई है आज..

रमन - मेरी तस्वीर क्यों पोस्ट की?

तितली - 2-3 पिक ही तो पोस्ट की है तुम्हारी.. उसमे क्या हो गया.. रियेक्ट तो ऐसे कर रहे हो जैसे कोई नंगी तस्वीर पोस्ट कर दी हो तुम्हारी.. देखो कितने प्यारे लग रहे हो.. शकल देखकर कौन कहेगा तुम पैसो के पीछे पागल हो..

रमन - कुछ भी बोलने लगी हो.. बाप की जायेदाद बेटे की ही तो होती है.. तुम कुछ ज्यादा नहीं खुल गई मेरे साथ?

तितली फ़ोन रखकर - तो? क्या करोगे तुम? रिपोर्ट लिखाओगे मेरे खिलाफ?

रमन का मन तितली को इस वक़्त चुम लेने का हो रहा था मगर वो अपने आप पर काबू रखने को मजबूर था और नहीं चाहता था कुछ ऐसा वैसा करें.. मगर तितली तो दुआ करने लगी थी की रमन कोई पहल करें और दोनों मोहब्बत के सागर में कश्ती हाँकने लगे.. मगर ऐसा हुआ नहीं.. दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे और चुप थे.. फिर रमन ने करवट बदल ली और बोला - गुडनाईट..

रमन से गुडनाइट सुनकर तितली का मुंह उतर गया उसे लगा था की रमन शायद उसे चुम लेगा और अपनी बाहों में भरके उसके साथ आज रात प्यार मोहब्बत की हद तक आ जाएगा.. मगर ऐसा हुआ नहीं..

दिल पर पत्थर रखकर तितली ने भी कहा - गुडनाइट...
तितली की आँखों में नींद नहीं थी.. वो रमन को देखकर कभी प्यार से भर जाती तो कभी उसकी तरफ देखकर रमन को मन ही मन गालिया देते हुए उसकी ऐसी हालात करने का दोष देकर कोसने लगती..

तितली की मोहब्बत रमन के लिए बढ़ती जा रही थी और तितली अच्छे से इस बात को जानती थी उसे रमन से इन कुछ दिनों में इश्क़ हो गया था.. ये जानते हुए भी कि रमन उसका सौतेला भाई है.. तितली रमन के साथ जीने के ख़्वाब देखने लगी थी और अब उसने रमन के मुताबिक खुदको ढालने का निर्णय ले लिया था.. पूरी रात रमन उसी तरह सोता और नींद में भी उसका हाथ तितली को नहीं छुआ.. तितली चाहती थी की कम से कम नींद में ही रमन उसके साथ कोई छेड़खानी करें मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं..

सुबह रमन की आँख खुली तो उसने देखा तितली नहाकर बाथरूम से बाहर आइ है और उसके बाल उसकी कमर तक ऐसे लहरा रहे थे जैसे नागिन हो.. तितली ने एक आसमानी रंग का लाहौरी सूट पहना था जिसमे वो गज़ब की खूबसूरत लग रही थी..

तितली ने रमन को जागते देखा तो रूम में रखे सामान से एक कप चाय बनाकर रमन को देते हुए बोली - नहा लो.. आज वापस घर के लिए निकलना था ना..

रमन चाय लेकर पीते हुए - थैंक्स..
रमन चाय पीकर नहाने चला जाता है ब्रश वगैरा करके नहाकर बाहर आ जाता है आज उसने जान बूझकर सिर्फ तौलिया अपने बदन पर लपेटा था और कमर से ऊपर वो नंगा था.. तितली ने पहली बार तिरछी नज़रो से रमन को घुरा था और वो उसके गठिले सुन्दर शरीर को आँखों से भोग रही थी.. रमन ने जल्दी से कपड़े पहने फिर तितली के साथ होटल में ही खाना खाकर अपना सामान उठाकर तितली के साथ बाहर गाडी में आकर बैठ गया...
रमन गाडी चलाने लगा और अब काफी देर तक दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई....

तितली ने काफी देर बाद रमन को देखकर कहा - मोन वर्त है तुम्हारा आज?

नहीं तो.. क्यों?

तो कुछ बात करो ना.. इतना चुप क्यों हो? बोर हो रही हूँ..

ऐसा है.. मैं तुम्हे इंटरटेन करने के लिए यहां नहीं लाया हूँ समझी? अभी मेरा मन नहीं है कुछ बोलने का.. जब होगा तब बोलूंगा..

तितली सिगरेट होंठों पर लगाती है तो रमन सिगरेट छीनकर बाहर फेंकता हुआ कहता है - और बार बार ये सिगरेट पीना बंद करो.. बीमार हो जाउंगी तो मूझे ही संभालना पड़ेगा..

तितली मुस्कुराते हुए - लगता है दिल आ गया जनाब का मुझ पर.. क्या बोलते थे? छिनाल.. गोल्डडीग्गर.. अब इतना ख्याल रखने लगे हो मेरा..

तुम्हारी गलतफहमी है.. मैं कोई ख्याल नहीं रख रहा बस बिना किसी परेशानी के घर पहुंचना चाहता हूँ.. फिर शान्ति संभाल लेगी तुम्हे..

तितली हसते हुए - मैं अपना ख्याल रख सकती हूँ.. कम से कम गाने तो चला दो इसमें..

तुम ही चला लो..

तितली एक पुराना गाना चलाते हुए - तुम्हारे लिए चलाती हूँ.. लो सुनो.. मैं तो बेघर हूँ.. अपने घर ले चलो.. घर में मुश्किल.. तो दफ़्तर ले चलो..

रमन मुस्कुराते हुए - पागल हो तुम..

तितली हसते हुए - और तुम पैसो के लिए एक पागल से शादी करना चाहते हो..

रमन - बार बार वही बात क्यों लाती हो?

तितली - सच ही तो कहती हूँ.. कुछ गलत तो नहीं कहा मैंने..

रमन - तो तुम ही छोड़ ना प्रॉपर्टी.. तुम क्यों पीछे पड़ी हो प्रॉपर्टी के?

तितली - और बिना पैसो के क्या करु? साध्वी बन जाऊ?

रमन - वो सब तुमसे नहीं हो पायेगा.. तुम मेरी PA बन जाना.. सारा काम संभाल लेना.. जो सेलेरी लेना चाहो ले लेना..

तितली - और मैं कोर्ट में केस करके पूरी प्रॉपर्टी लेकर तुम्हे अपना PA बना लू तो? आईडिया तो वो भी अच्छा है.. बोलो बनोगे मेरे PA?

रमन - उससे अच्छा तो मैं यहां किसी नदी में कूद जाऊ और जान दे दू...

तितली गुस्से में - रमन... क्या कुछ भी बोलते हो.. तुमसे बात ही नहीं करनी मूझे..

रमन - तुम्हे क्या हो गया एक दम से?

तितली सिगरेट जलाकर कश लेते हुए - कुछ नहीं.. तुम्हे बात नहीं करनी ना.. कुछ नहीं बोलूंगी मैं अब..

रमन - हुआ क्या है?

तितली बाहर देखते हुए - कुछ नहीं..

तितली रमन के खुदखुशी करने की बात पर उससे नाराज़ हो गई थी भले ही रमन ने ये बात यूँही कही थी मगर तितली को वो मज़ाक़ भी पसंद नहीं आया था उसे रमन से प्यार हो गया था और वो उसके लिए अब कुछ भी बुरा सुनने को तैयार नहीं थी.. रमन के खुदके मुंह से भी नहीं.. रमन गाडी चला रहा था और तितली सिगरेट के कश लगाते हुए रमन के साथ जिंदगी बिताने के ख़्वाब देखने लगी थी.. कुछ ही दिनों में रमन और तितली वापस घर लौट आये..


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Enjoywuth

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Kahani thik se padhna
Abhi Gungun ko pta nhi hai suraj jaypraksh ka beta hai.
Baad me ye kya hua? wo kyu hua? Wale comments mat daalna
Naraj kyun hote ho bhai...

3 saal tak Suraj ke premika rahi hai gungun isliye agar maine likh diya toh isame gusa hone walli baat kahan se aagayi

Jaise tumhari story hai jaisa chaho likho toh maine jo mujhe samaj aaya comment kar diya

Sayad mera comment karna acha nahi laga..toh ab nahi karunga

Best of luck for your story
 

avsji

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सुमित्रा (45)

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सुबह की दोपहर हो गई है मगर साहबजादे अभी तक ओंधे मुंह सो रहे है..
हनी... ओ हनी.. अरे अब उठ भी जा.. देख आज तुम्हारे भईया को देखने वाले आ रहे है.. उठ हनी... उठ जा ना बेटा..

सोने दो ना माँ..

कितना आलसी और निकम्मा है तू.. अब उठ भी जा हनी.. विनोद को देखने वाले आ रहे है कितना काम पड़ा है घर में.. जल्दी से उठ बाजार से सामान भी लाना है..

भईया से कह दो ना वो ले आएंगे..

हाँ.. ऑफिस भी वो जाए और घर का काम भी वही करें.. अरे जरा तो शर्म कर.. विनोद ऑफिस गया है उसे आने में शाम हो जायेगी.. तू जल्दी से ये सामान ले आ..

पापा से कह दो ना माँ.. क्यों सुबह सुबह परेशान कर रही हो.. रात को नींद नहीं आई..

देख हनी.. चुपचाप उठ जा वरना बहुत मार खायेगा मेरे हाथ से.. दिन ब दिन लापरवाह और कामचोर होता जा रहा है.. उठ..

सूरज (23) जिसे घर में उसके सुन्दर और मोहक चेहरे और स्वाभाव के कारण हनी निकनेम मिला था, आँख मलता हुआ कमरे में जमीन पर पड़े 3x6 के एक गद्दे से उठता है और अपनी माँ सुमित्रा से सामान की लिस्ट लेकर कहता है..

माँ.. इतना सारा सामान.. मैं अकेला कैसे लाऊंगा?

वो सब मुझे नहीं पता.. ले ये तेरे पापा का एटीएम कार्ड है.. अब जा और 3 बजे तक वापस आ जाना मुझे रसोई भी तैयार करनी है शाम से पहले..

पापा की स्कूटी यही है ना.. चाबी दे दो..

नहीं.. तेरे पापा बुआ जी से मिलने गए है स्कूटी लेकर.. तेरी बुआ को भी लाएंगे..

बुआ को क्यों ला रहे है?

अरे.. विनोद के लड़की देखना है कहीं कोई ऐसी वैसी आ गई तो? घर का सत्यानाश ना कर दे.. आजकल वैसे भी जमाना खराब है.. जब तक लड़की का चाल चरित्र और चेहरा अच्छे से जांच परख ना ले तब तक कैसे किसीसे रिश्ता बना सकते है..

किस्मत का लिखा कोन पढ़ पाया है माँ.. लड़की जैसी नसीब में होगी वैसी ही मिलेगी..

अच्छा अच्छा.. साधू महाराज जी.. अपना प्रवचन बंद करो और जल्दी से सामान लेने जाओ..

जा तो रहा हूँ अब कपड़े भी ना पहनू?

तो ऐसे मरियल की जैसे क्यों पहन रहा है एक टीशर्ट और लोवर ही तो पहनना होता है तुझे.. आज तक कोई ढंग के कपड़े ख़रीदे है तूने? जब देखो पज़ामा टीशर्ट ही पहन के रखता है.. शादी ब्याह में किसीके मांग के पहनता है.. शर्म नहीं आती तुझे?

नहीं आती.. मुझे जो कांफर्ट लगता है वही पहनता हूँ..

हाँ.. सही है.. पड़ोस की मालती जी कह रही थी जब देखो काली या नीली टीशर्ट में ही देखता है कुछ और क्यों नहीं पहनता? मैं क्या बोलू उसे? जब कुछ होगा तभी पहनेगा ना.. दो टीशर्ट और दो लोवर के अलावा कपड़े ही कहा है तेरे पास? जब कपड़े लेने को बोलो तो मना कर देता है..

माँ.. पहले उस मालती आंटी से आप पूछते ना कि वो अपने पति को छोड़कर मुझे को देखती है?

अरे उसकी नज़र पड़ जाती होगी तभी कह रही थी वरना तुझे क्यों देखने लगी वो.. भरा पूरा परिवार है उसका.. दो दो जवान बेटियों की माँ है..

हम्म.. तभी इशारे से छत पर बुलाती है मुझे और परसो मेरी तरफ नंबर फेंके थे उसने..

क्या?

क्या नहीं.. हाँ.. आपकी मालती जी नियत खराब है मेरे ऊपर.. कब से इशारे कर रही मुझे.. वो तो मैं ध्यान नहीं देता.. बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम.. बुढ़ापे में जवानी चढ़ी है उनको.. परसो मेरे ऊपर नंबर फेंके और कल किसी से मेरे नंबर लेकर व्हाट्सप्प पर हेलो भेज दिया..

हाय.. तूने पहले क्यों नहीं बताया? मैं अभी खबर लेती हूँ उस मालती की..

रहने दो.. खामखा बखेड़ा होगा.. उनके जैसी बेशर्म पुरे मोहल्ले में कौन है.. उलटे आपके ऊपर ही उल्टा सीधा तंज कसने लगेगी.. मैंने ब्लॉक कर दिया उनको..

अब कुछ बोले या इशारा करें तो बताना.. अब नहीं बकशुँगी उस मालती को..

हटो.. जाने दो..

जल्दी आना और सामान देख के रखना.. कुछ छूटना नहीं चाहिए..

हाँ हाँ ठीक है..

उदयपुर के एक आम मोहल्ले के दो मंज़िला मकान के एक छोटे से कमरे से निकलकर सूरज घर के आँगन से होते हुए घर के बाहर आ जाता है और अपने दोस्त अंकुश को फ़ोन करता है..

कहाँ है भाई?

कहीं नहीं घर पर ही था यार..

बिलाल के पास मिल.. बाइक लेके आना..

क्या हुआ.. कहा जाएगा?

कहीं नहीं कुछ सामान लेकर आना है..

आता हूँ यार थोड़ा टाइम लगेगा..

क्यों गांड मरवा रहा है?

भाई गाडी बुक कर रहा था यार.. मम्मी और नीतू को कहीं जाना है.. ओला उबर साला कोई टाइम पर नहीं आता..

अच्छा ठीक है ज्यादा लेट मत करना..

सूरज अपने घर से चलकर 4 गली आगे एक पुरानी सी दिखाने वाली हज़ाम की दूकान जिसे देखकर लगता था की ये बिसो साल पुरानी दूकान है.. उसके अंदर आकर एक कुर्सी पर बैठ जाता है..

क्या हाल है बिल्ले (बिलाल)?

बस बढ़िया हनी.. तेरा क्या हाल है सुना है किसी लड़की से पिटता पिटता बचा था इतवार को..

तुझे किसने रो दिया ये सब? अक्कू (अंकुश) ने बताया होगा?

बिलाल सूरज के कांधे पर अपने दोनों हाथ रखकर सूरज के कांधे दबाते हुए - नहीं भाई.. सद्दू ने देखा था जब वो लड़की तेरे ऊपर चिल्ला रही थी.. बोल रहा था बहुत देर तक लताड़ा तुझे..

किस्मत खराब थी यार और कुछ नहीं.. बस में गलती से धक्का लग गया और उस लड़की के ऊपर गिर गया.. फिर क्या था? भले घर की लड़की लग रही थी लगी खरी खोटी सुनाने.. अक्कू तो हसते हुए पीछे खड़ा मज़े ले रहा था और वो लड़की मुझे बुरा भला कह रही थी.. गनीमत है सिर्फ बोलकर चुप हो गई..

सही किया हनी.. आज कल किसका क्या पता? कौन छोटी सी बात पर कोर्ट कचहरी ले जाए.. फिर पुलिस और वकीलों के चक्कर में पिसकर मेहनत की कमाई पानी की तरह बहानी पड़े..

अह्ह्ह.. यार बिल्ले जादू है तेरे हाथों में.. अच्छा किया तूने स्कूल छोड़कर तेरे अब्बा के साथ काम सिख लिया.. पढ़कर वैसे भी तेरा क्या भला हो जाता..

छोड़ा नहीं निकाला गया था और वो भी तेरे और अक्कू के कारण.. दसवीं बोर्ड में पढ़ाई की जगह ब्लू फ़िल्म की डीवीडी देखते थे लाकर मेरे घर पे.. क्या जरुरत थी स्कूल में वो डीवीडी ले जाने की?

यार मुझे क्या पता था उस दिन उस टोपर चश्मिश का टिफिन बॉक्स चोरी हो जाएगा और मुमताज़ मैडम सबके बेग चेक करेंगी.. मैंने तो डीवीडी अक्कू के बेग में छिपाई थी उसने तेरे बेग में छीपा दी तो इसमें मेरा क्या कसूर?

भाई उस दिन का याद करके हंसी और रोना दोनों आते है.. जब मेरे बेग से डीवीडी मिली तो मुमताज़ मैडम मुझे स्टाफ रूम ले गई और नीलेश जी सर के साथ कंप्यूटर में वो डीवीडी चला कर चेक करने लगी..

सूरज हसते हुए - डीवीडी चलते ही मुमताज़ मैडम को तो मज़े आ गए होंगे..

नहीं भाई.. मज़े तो नीलेश जी सर को आये थे साले ने जो बेल्ट निकालकर मुझे मारा आज भी याद है.. ऊपर अब्बू को बुलाकर स्कूल से निकलवा दिया.. घर पर अब्बू ने मारा वो अलग..

भाई तेरा बदला भी तो लिया था हमने.. नीलेश जी सर की नई बाइक जलाकर.. आज भी वो सोचता होगा किसने जलाई होगी?

बिलाल दूकान के बाहर एक चायवाले को देखकर - चाय पियेगा?

नहीं भाई.. इसकी चाय पिने से मुंह का स्वाद और बिगड़ जाएगा.. साला चाय बनाता है या जहर.. पता ही नहीं चलता..

बिलाल हसते हुए उस चायवाले से - नहीं चाहिए..

हनी.. हनी... दूकान के बाहर आकर अंकुश सूरज को आवाज लगाता हुआ..

अक्कू अंदर आजा.. बिलाल ने अंकुश को देखकर कहा..

अंकुश - हनी क्यों बेचारे से फ्री सर्विस लेता रहता है.. एक तो दूकान भी इसकी बहुत मंदी चलती है..

सूरज - दूकान कम चलती है तो क्या मैंने कोई टोना टोटका किया है? और बहनचोद ऐसी दूकान देखकर आएगा कौन? कितनी बार बोला है थोड़ा कलर पेंट करवा, आइना वगेरा नया ले एक नई चेयर ले.. जो दीखता वही बिकता है.. नुक्कड़ पर उस कालू नाइ को देख उसके सलून में सातो दिन कैसे भीड़ लगी रहती है.. साले ने दो लोगों को और काम पर रखा है.. काम तो बिलाल से कम ही आता होगा फिर भी कितनी चलती है.. सब दिखावे का नतीजा है..

अंकुश - भाई पैसे होंगे तब करेगा ना ये सब.. कलर पेंट के भी हो जाए तो आईने और चेयर के कितने पैसे लगते है पता है.. अब चल क्या सामान लाना था तुझे वो लाते है..

बिलाल - रुको भाई.. नज़मा को चाय के लिए बोला है पीके जाना.. वैसे भी दिनभर अकेला बोर हो जाता हूँ तुम लोगों के आने से कुछ अच्छा महसूस होता है..

सूरज - अच्छा सुन.. विनोद का एक दोस्त है दीपक.. ब्याज पर पैसे देता है तेरी थोड़ी मदद हम करते है थोड़ा उससे पैसे लेकर दूकान की हालत सुधार.. कब तक ऐसे ही चलता रहेगा?

अंकुश - हाँ बिल्ले.. हनी सही कह रहा है.. तू यार बचपन से हमारे साथ है.. इतना हम कर सकते है..

बिलाल - नहीं नहीं.. कर्ज़े से खुदा बचाय.. भाई कर्ज़े के नीचे दबकर तो अब्बू अल्लाह को प्यारे हो गए.. जो कुछ था बिक गया.. अब ये छोटा सा मकान और दूकान बचि है इसे नहीं खोना चाहता है.. ये सब भी चला गया तो नज़मा को कहा रखूँगा..

अंकुश - अबे कोनसा लाखों का कर्ज़ा ले रहा है.. मुश्किल से 40-50 हज़ार का खर्चा है आधे हम करते है आधे उधार लेले.. दूकान चली तो दो महीने में सब चुकती हो जाएगा..

सूरज - तेरे पास कितने है?

अंकुश - 10-15 पड़े है मैं डालता हूँ..

सूरज - इतने ही मेरे पास पड़े होंगे.. बाकी उधार लेने पड़ेंगे..

बिलाल - रहने दो यार..

सूरज - अरे तूने बहुत फ्री सर्विस दी भाई.. हम अभी तुझे ट्रांसफर कर रहे है तू कल से दूकान को सुधरवा.. बाकी कल मै दीपक से ला दूंगा..

बिलाल - ब्याज?

सूरज - जो भी होगा देख लेंगे.. 20 के 25 लेलेगा.. और क्या..

नज़मा (25)
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नज़मा अंदर से ट्रे में चाय लाती हुई - चाय..

सूरज चाय लेते हुए - कैसी हो भाभी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - अच्छी हूँ भाईजान.. आप कैसे हो..

अंकुश - इतवार को लड़की से मार खाते खाते बचा है..

नज़मा हैरानी हुए - ऐसा क्यों?

अंकुश चाय पीते हुए - भाभी अब लड़की के ऊपर गिरेगा तो पीटना तो बनता है.. ये कोई जयपुर दिल्ली मुंबई जैसा बड़ा शहर थोड़ी थी है जो सॉरी बोलकर निकल जाएगा..

नज़मा हसते हुए - ऐसे तो नहीं है भाईजान.. जरुर गलती से गिरे होंगे..

सूरज चाय पीते हुए - सुन लिया? भाभी इतवार से जो भी मिलता सबको यही कहानी सुना रहा है.. अपना भूल गया कैसे उस चालबाज़ लड़की के चक्कर में फंसा था.. वो मैंने बचा लिया था.. वरना घर से जुलुस निकलता इसका..

बिलाल (25) - छोडो यार तुम भी कहा क्या बात लेकर बैठ गए..

नज़मा - चाय कैसी बनी है?

सूरज कप रखते हुए - हमेशा की तरह.. लाजवाब..

अंकुश (24) - हाँ भाभी.. बहुत अच्छी चाय बनी है.. भाई चल अब.. सामान ले आते है..

नज़मा - केसा सामान?

सूरज - भाभी.. आज शाम विनोद को देखने लड़की वाले आ रहे है.. उसके लिए कुछ सामान लाना है..

बिलाल - अच्छी बात है ये तो.. अब तू भी काम धंधा करने लग जा.. कॉलेज से निकले 3 साल हो गये..

नज़मा - हाँ भाईजान.. आप ऐसे बेकार अच्छे नहीं लगते.. कुछ तो काम करो.. फिर एक चाँद सी लड़की देखकर निकाह कर लेना...

अंकुश - मैं तो कब से कह रहा हूँ भाभी.. मेरे साथ आजा पर सुनने को तैयार नहीं.. अरे अच्छी सेलेरी है आराम का काम है और क्या चाहिए? मगर नवाब को घर बैठ सब मिल रहा है.. काम क्यों करेंगे?

सूरज - जब मन होगा तब कर लूंगा भाभी अभी मन नहीं है..

नज़मा - तो क्या मन है अभी?

सूरज - अभी? हम्म्म... सोचा नहीं कुछ..

नज़मा - सोच लो..

अंकुश - ये और सोचे? रहने दो भाभी... अच्छा चल अब..

बिलाल - अक्कू तेरा हेलमेट...

Thanks बिल्ले...

अबे हेलमेट क्यों लाया है? सामान ही तो लेने जाना है.. चल बंसी काका के पास चल पहले..

ठीक है..

बंसी (56)- अरे क्या बात है आज बड़े दिनों बाद दर्शन लाभ देने आये हो.. छोटू चाय बोल दो..

अंकुश - रहने दो.. चाय पीके आये है बंसी काका..

बंसी - तो बताओ.. आज ये जय और वीरू की जोड़ी मेरे पास किस काम से आई है?

सूरज - अब किराने की दूकान पर किराने का सामान ही लेने आएंगे ना काका.. ये लिस्ट है सारा सामान निकाल कर रख दो.. हम तब तक कुछ और लेकर आ जाते है..

बंसी - छोटू ले ये भईया का सामान निकाल दे.. और कहो.. क्या कर रहे हो आज कल? दिखाई नहीं देते.. कभी शाम ढले घर भी आया करो.. बहुत दिन हुये बैठक जमाये..

अंकुश - काका ऐसा है.. पिछली बार हेमलता काकी के हाथों से बाल बाल बचे थे हम दोनों.. अभी भी काकी दूर से हम दोनों को देखकर ऐसे घूरती है जैसे लाल कपड़े को सांड.. जब काकी बाहर जाए तब फ़ोन करना.. आराम से बैठक लागकर बेफिक्री से जाम उठायेंगे..

बंसी - इस इतवार को तुम्हारी काकी जगराते में जायेगी तब आना तुम लोग.. आराम से शराब पिएंगे..

सूरज - काका आप सामान रखवाओ हम आते है बाकी का सामान लेकर..

बंसी - अरे तू क्यों वापस आएगा.. छोटू समान हो गया?
छोटू - हाँ.. सेठ जी निकाल दिया..
बंसी - देख अंदर से एक बड़ा सा थैला ले और भईया का सामान उनके घरपर रख कर आ..

सूरज कार्ड देते हुए - लो काका पैसे काट लो..

बंसी - अरे कोनसी जल्दी है बाद में दे जाना..

सूरज - काट लो काका.. बाद का फिर बाद ही हो जायेगी..

बंसी सामान देखकर बोरी में रखता हुआ हिसाब लगाकर - ले हनी.. हो गया.. छोटू सामान रखवा आ भईया के घर..

अंकुश - ठीक है काका चलते है..

बंसी - सुनो.. मेरे साले ने महंगी बोतल भिजवाई है शहर से.. अभी तक नहीं खोली मैंने.. इतवार को आ जाना घर मिलकर रंग जमाएंगे..

अंकुश - वो सब ठीक है काका.. काकी का ध्यान रखना.. पकडे गए तो बहुत मारेगी आपके साथ हमें भी..

बंसी - वो सब तुम मुझपर छोड़ दो.. याद से आ जाना.. मैं फ़ोन कर दूंगा..

सूरज - हलवाई के ले चल..

अंकुश - कोनसे?

सूरज - मुन्ना मिठाई वाला..

अंकुश हसते हुए - जो लगता है तेरा साला..

सूरज - सुना है सरकारी बाबू बन गया जिससे शादी हुई थी उसकी बहन की..

अंकुश - हाँ.. 6 महीने पहले ही जॉब लगी है..

सूरज - अच्छा है.. कितनी अलग थी यार..

अंकुश - लालची भी थी पर सबको लूट कर तेरे साथ सिनेमा देखती थी.. चाहती तो थी तुझे?

सूरज हसते हुए - मेरे साथ साथ आधे मोहल्ले को भी चाहती थी.. भूल गया?

अंकुश - अरे उन सबसे पैसे लुटकर तो तुझे मोज़ करवाई थी उसने भूल गया?

सूरज - वैसे तेज़ बड़ी थी.. किसी को भी नहीं छोड़ा उसने..

अंकुश - ले आ गए तेरे साले की दूकान पर..

मुन्ना - हाँ क्या चाहिए?

अंकुश - अरे ग्राहक है भईया.. इतना क्यों अकड़ के बोल रहे हो..

मुन्ना - क्या चाहिए बोलो वरना जाओ यहां से..

सूरज - अरे मुन्ना भईया हम दोनों से क्यों नाराज़ हो आप? हमने क्या बिगाड़ा है आपका..

मुन्ना (35) - देखो तुम दोनों को क्या चाहिए वो बोलो.. मेरे पास फालतू टाइम नहीं है.. और मैं कोई बात नहीं करना चाहता तुम दोनों से..

सूरज - अरे नेहा भाभी.. देखो ना मुन्ना भईया कैसे हम दोनों पर बिगड़ रहे है.. हम तो कुछ लेने ही आये है और कोनसा रोज़ रोज़ आते है.. आज विनोद भईया को देखने वाले आये है तो मैंने सोचा पुरे बाजार में सबसे अच्छी मिठाई तो हमारे मुन्ना भईया की दूकान पर बनती है तो ले आते है पर ये तो कितनी रुखाई से बात करते है हमारे साथ..

नेहा (33)
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नेहा काउंटर पर आते हुए - इतने भोले बनने की जरुरत नहीं है.. बताओ क्या लेना है तुम्हे?

अंकुश - भाभी ये लिस्ट है मिठाई और बाकी चीज़ो की..

नेहा मुन्ना से - लो जी.. ये सब दे दो.. और मनसुख से कहकर गर्म समोसे निकलवाना..

मुन्ना जाकर मिठाई और सामान पैक करने लगता है और इधर नेहा मुन्ना को काम बिजी देखकर हनी से कहती है - सिर्फ तुम्हारे भाई को देखने वाले आ रहे है? तुम्हे देखने वाले नहीं आ रहे?

सूरज - अब मुझ बेरोज़गार को कौन देखने आएगा भाभी.. अक्कू की जैसे कामधंधा करता तो मेरी भी सगाई हो गई होती..

नेहा - तो करते क्यों नहीं हो? अच्छा लगता है ऐसे आवारा की तरह घूमना फिरना? पहले तो मेरी ननद चिंकी तेरे खर्चे उठा लेती थी अब कौन उठाएगा? कोई और पटाई या नहीं?

चिंकी (26)
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अंकुश - भाभी लड़की पटाना इसके बस में कहा? वो तो चिंकी ने ही इसे पटाया था.. वरना आज तक कोई नहीं पटती इससे..

सूरज - भाभी... अक्कू झूठ बोल रहा है...

नेहा पीछे मुन्ना को देखकर - जानती हूँ.. लड़की से बात करना तो आता नहीं इसे.. चिंकी की सहेली प्रिया बता रही थी उसने हनी को लव लेटर दिया था अनु की शादी में.. इसने टिश्यू समझकर हाथ पोंछ के फेंक दिया..

अंकुश हसते हुए - क्या सच में भाभी..

मुन्ना आते हुए - तुम्हारे हो गए 2250..

सूरज कार्ड देते हुए - लो भईया काट लो..

नेहा कार्ड लेकर मुन्ना से - अरे ये क्या तुमने सबकी बाज़ारी रेट लगा दी.. सुमित्रा चाची मिलेंगी तो बहुत नाराज़ होगी..

मुन्ना बिगड़ते हुए - तुम बड़ी तरफदारी करती हो इनकी.. ये कोनसे घर के है? बाज़ारी रेट नहीं लगाऊ तो क्या लगाऊ?

नेहा - घर वाली रेट लगाओ.. बेचारे कितने सीधे साधे मासूम से है.. तुम इन्हे कितना कुछ कहते हो पर पलटकर जवाब तक नहीं देते.. तुम्हे भईया कहते है मुझे भाभी.. मैं देवर ही मानती हूँ इन दोनों को.. अगर बाज़ारी दर पर इन्हे भी सामान देने लगी तो क्या सोचेंगे?

मुन्ना - देखो मुझे ये पाठ मत पढ़ाओ तुम.. इन दोनों को अच्छे से जानता हूँ मैं.. और ये हनी... ये तो उस दिन मेरे हाथों से बच गया वरना..

नेहा - वरना क्या? तुम्हारी बहन तो आधे मोहल्ले के साथ घूमी थी इस बेचारे का क्या दोष? इसे तो उसी ने अपने साथ साथ दुनिया दिखाई है.. तीन साल छोटा भी तो है तुम्हारी बहन से.. वही इसे लेकर अपने साथ घूमती थी.. बहन को समझा नहीं पाए बेचारे लड़के पर बिगड़ते हो.. लो हनी 1780 हुए..

मुन्ना - अब तुम इन बाहर वालों के सामने मुझसे लड़ाई झगड़ा करोगी?

सूरज - भईया ऐसा कहकर दिल मत तोड़ो.. हम दोनों आपके छोटे भाई जैसे है..

मुन्ना - बहनचोदो... ये सामान उठाओ और निकलो यहां से.. फालतू रिश्ते नाते मत बनाओ..

अंकुश सामान लेकर - चल हनी..
सूरज - ठीक है.. चलता हूँ भाभी..

नेहा प्यार से - आहिस्ता जाना.. देवर जी..

मुन्ना - इतनी चिंता है तो तू भी चली जा उनके साथ.. बात तो ऐसे करती है जैसे सच मुच के देवर हो.. या तेरा भी दिल आ गया उस छिले हुए अंडे पर..

नेहा - अरे भूसा भरा है क्या दिमाग मैं? या फिर वापस सडक पर समोसे बेचना का मन है.. महीने में जो एक-दो बड़े शादी ब्याह के ऑर्डर मिलते है वो सब उन दोनों के कहने पर ही आते है जिससे ये दुकान चल रही है.. वरना दूकान का किराया भी नहीं निकले.. और ऊपर से अनाप सनाप ना जाने क्या क्या कह जाते हो तुम उस लड़के को.. अरे जवान है नादानी हो जाती है... तुम्हारी बहन कम थी क्या? बात करते हो.. अब छोडो इन बातों को.. दूकान सम्भालो.. मैं ऊपर देखकर आती हूँ गुलाब जामुन तैयार हुए या नहीं..

मुन्ना अपना सा मुंह लेकर - ये तो यही बैठकर फ़ोन करके पूछ लो.. मैं बच्चों को स्कूल से ले आता हूँ..

नेहा - ठीक है..

हलवाई की दूकान से निकलकर अंकुश सूरज को लिए उसके घर आ पंहुचा और उसे घर उतार कर अपने घर चला गया..


तुझे कहा था जल्दी आ जाना.. कहा रह गया था तू? और मोहल्ले में बाकी हलवाई मर गए थे जो उस मुन्ना की दूकान पर से मिठाईया लेकर आया है.. शर्म वर्म कुछ है या बेच खाई है तूने? उस कलमुही के चक्कर में कितना कुछ सुनना पड़ा था याद है या भुल गया?

विनोद (28) - छोडो ना माँ.. बेचारे को सांस तो लेने दो.. आते ही डांटना शुरू कर दिया आपने.. हनी तू ये सामान मुझे दे मैं रसोई में रख देता हूँ, तू ये मेरी बाइक की चाबी ले और जाकर अनुराधा बुआ को ले आ..

अनुराधा (54)
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पर पापा गए थे ना अनुराधा बुआ को लेने तो?

उनको ऑफिस से बुलावा आ गया था तो जाना पड़ा शाम से पहले आ जाएंगे.. तू जा और जाकर बुआ को ले आ.. नहीं तो वो बहुत नाराज़ होगी.. और मुझे चार बातें सुनाएगी..

माँ जब से नया अफसर आया है तब से पापा को कुछ ज्यादा बुलावा नहीं आता ऑफिस से? वक़्त बेवक़्त हाजिर होने का हुक्म सुना देता है?

आया नहीं हनी आई है.. सुना बहुत खड़ूस अफसर है.. पापा बता रहे थे टाइम टू टाइम रहती है बिलकुल.. और सभीको पाबंद किया हुआ है.. चार महीने में सारी पुरानी फाइल्स जो दस दस पंद्रह पंद्रह साल से अटकी पड़ी थी सबको निकाल दिया है.. ऑफिस में कुछ लोगों ने तो अपने ताबदले की अर्जी डाल दी है कुछ लोगों ने अपने पकडे जाने के दर से सारे गलत काम सुधार लिए है..

सूरज हसते हुए - अच्छा? लगता है कोई हमारी स्कूल प्रिंसपल जेसी होगी.. Discipline is discipline..

नहीं.. पापा बोल रहे थे अभी हाल ही में उसका सिलेक्शन हुआ है 22-23 साल उम्र है.. तेरी तरह..

लो.. यहां 23 साल की लड़की अफसर बनकर नोकरी कर रही है और एक ये है 23 साल की उम्र में दोपहर तक सोयेगा और पूरा दिन खाली फोकट आवारागर्दी करता फिरेगा.. एक छोटी सी नोकरी भी नहीं कर सकता.. वरना लगे हाथ तेरे साथ इसका भी कहीं रिश्ता देखकर एक ख़र्चे में दोनों को निपटा देते..

सूरज चाबी लेकर अपने बड़े भाई विनोद की बाइक स्टार्ट करके घर से आधे घंटे दूर शहर की एक दूसरे मोहल्ले में आ जाता है और एक घर के आगे बाइक लगाकर बाहर दरवाजे पर घंटी बजाता है..

अंदर से 29 साल की औरत सलवार कमीज पहने दरवाजे पर आती है दरवाजा खोलकर सूरज को देखते हुए कहती है..

रचना (29)
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औरत मुस्कुराते हुए - देवर जी.. जब दरवाजा खुला है तो घंटी क्यों बजाते हो? सीधा अंदर क्यों नहीं चले आते?

अंदर से कोई आवाज लगाते हुए - कौन है रचना?

रचना - देवर जी है सासु माँ.. सीधे अंदर आने में शर्म आती है इनको..

सूरज - भाभी बुआ को लेके जाना था..

रचना सूरज का हाथ पकड़ कर अंदर खींचते हुए - अरे अंदर तो आओ देवर जी.. भाभी खा थोड़ी जायेगी तुम्हे.. तुम तो मुझसे ऐसे डरते हो जैसे शेरनी से खरगोश.. मैंने कुछ किया थोड़ी है..

अनुराधा - अरे क्यों छेड़ती रहती है तू इसे? बेचारा कितना सहम जाता है तेरे सामने..

सूरज - बुआ चले?

रचना - देवर जी सिर्फ अपनी बुआ को लेकर जाओगे? अपनी भाभी से पूछोगे भी नहीं चलने के लिए? इतने मतलबी मत बनो..

सूरज - मैंने कब मना किया है.. आप भी चलो.. पर बाइक पर तीन लोग बैठ नहीं पाएंगे.. मैं कैब बुक कर देता हूँ..

अनुराधा - अरे रहने दे हनी.. रचना बस पूछ रही है.. तू चल..

रचना सूरज का हाथ पकड़कर गाल सहलाते हुए - सासुमा.. देवर जी की बात चलाइये ना मेरी छोटी बहन से.. बेचारे कब तक किसी की छत पर जाकर बैठेंगे..

सूरज और अनुराधा दोनों समझ गये थे की रचना उस दिन की बात कर रही है जब एक साल पहले सूरज चिंकी के घर पर उसके घर की छत पर चिंकी से मिलने गया था और उसके बड़े भाई मुन्ना ने उसे चिंकी के साथ पकड़ लिया था.. तभी से रचना सूरज को बात बात मे छेड़ती और उसके करीब आ कर अपनी छोटी बहन रमना से उसके रिश्ते की बात कहकर उसे तंग करती थी.. आज भी रचना कुछ वैसा ही कर रही थी..

अनुराधा - अरे बारबार वही बात करके क्यों बेचारे को शर्मिंदा करती है तू.. मेरा फूल सा हनी आ गया उस कलमुही के बहकावे में.. अब छोड़ वो बात..

रचना - देवर जी.. मेरी सासु माँ को वापस भी छोड़कर जाना..

अनुराधा - रचना.. मुन्ने को संभाल अंदर जाकर.. रात तक मैं वापस आ जाउंगी.. चल हनी..

सूरज - बुआ ठीक से बैठना..

सूरज बाईक स्टार्ट करके शहर की पुरानी गलियों से होता हुआ वापस अपने घर की तरफ आ जाता है..

अनुराधा घर के अंदर आते हुए - सुमित्रा अभीतक रसोई का काम भी नहीं निपटा तुमसे? 6 बजने वाले है.. जयप्रकाश भी ऑफिस से वापस नहीं आया अब तक?

विनोद - बुआ बात हुई है बस आने ही वाले है..

सुमित्रा - दीदी बस निपट गया छोटे मोटे काम बाकी है.. आप बैठो मैं चाय बना देती हूँ आपके लिए..

अनुराधा हॉल में रखे सोफे पर बैठते हुए - नहीं.. चाय सबके साथ पी लुंगी.. बस एक गिलास पानी दे दे..

विनोद - मैं लाता हूँ बुआ..

सुमित्रा - दीदी.. लो आ गए वो भी..

जयप्रकाश (52) अनुराधा के पैर छूते हुए - कैसी हो दीदी..

अनुराधा - मैं ठीक हूँ जीतू.. तू कमजोर नज़र आने लगा है..

जयप्रकाश अनुराधा के पास बैठते हुए - दीदी आपको तो हमेशा मैं कमजोर ही नज़र आता हूँ..

अनुराधा - अच्छा लड़की वाले कहा रह गए?

जयप्रकाश - दीदी स्टेशन पर पहुंच गए है.. नरपत उन्हें लेकर आ रहा है.. आधा घंटा लग जाएगा..

अनुराधा - ठीक है.. ये हनी कहा गुम हो जाता है पलक झपकते ही..

विनोद - ऊपर कमरे में होगा बुआ.. कोई और काम ना कह दे इसलिए चुपचाप अपने कमरे में चला गया होगा..

अनुराधा - क्या होगा इस लड़के का? कहा था इतना लाड प्यार से मत रखो.. पर जीतू ना तूने मेरी बात मानी ना सुमित्रा ने... अब देखो.. ना पढ़ाई में अच्छा है ना किसी और चीज में.. बस मुंह लटका के आलसी की तरह घर में पड़ा रहता है या इधर उधर घूमता फिरता है.

जयप्रकाश - दीदी.. अब क्या करें.. किसी की सुनता कहा है वो.. बस अपने ही मन की करता है.. विनोद की सगाई होते ही सूरज को विनोद सूरज को उसके ऑफिस में लगवा देगा.. उसने बात की है अपने ऑफिस में..

अनुराधा - बस अब यही देखना बाकी था.. अरे उसपर थोड़ा ध्यान दिया होता तो वो भी विनोद और नीलेश की तरह कहीं ना कहीं अच्छी नोकरी करता..

जयप्रकाश - छोडो ना दीदी.. पढ़ाई में कमजोर है तो क्या हुआ.. बहुत बुद्धि है उसमे.. कुछ ना कुछ कर लेगा..

अनुराधा - सुमित्रा..

सुमित्रा रसोई से आती हुई - हाँ दीदी..

अनुराधा - रसोई का काम हो गया या मैं मदद करू?

सुमित्रा - ख़त्म है दीदी..

अनुराधा - ख़त्म है तो हॉल में थोड़ा झाड़ू लगा दे और जीतू तू ये सोफे थोड़े और पीछे सरका दे.. ज्यादा लोग है बैठने आसानी होगी..

जयप्रकाश - ठीक है दीदी.. मैं साइफ सरका देता हूँ और एक्स्ट्रा चेयर भी रख देता हूँ..

विनोद - क्या हुआ बंधु? कैसे कमरे में बंद हो गए ऊपर आकर?

सूरज - कुछ नहीं भईया.. वो बस ऐसे ही..

विनोद - मेहमान आने वाले है.. नीचे रहेगा तो अच्छा होगा.. यहां इस कमरे में पड़े रहना है तो अलग बात है..

सूरज - मैं आता हूँ..

विनोद एक बेग देते हुए - तेरे लिए है.. तू तो पज़ामे टीशर्ट के अलावा कुछ ख़रीदेगा नहीं.. इसमें से कुछ पहन लेना.. अच्छा लगेगा..

सूरज - ठीक है भईया..

विनोद नीचे आ जाता है और अपने पीता जयप्रकाश और बुआ अनुराधा के साथ हॉल में बैठ जाता है..

घर के बाहर एक कार आकर रूकती है और उसमे से दो पचास साल के करीब के आदमी नीचे उतरते है फिर एक उसी उम्र के करीब की महिला उतरती है और आखिर में एक लड़की जिसकी उम्र करीब 25-26 साल थी.. कार वाला चारो लोगों को छोड़कर चला जाता है..

गरिमा (26)
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जयप्रकाश - लगता है दीदी वो लोग आ गए..
एक आदमी अंदर आते हुए - कैसे हो जीतू?

जयप्रकाश - मैं अच्छा हूँ नरपत.. तुम बताओ..

नरपत - मैं भी ठीक.. इनसे मिलो ये लखीमचंद जी है ये उनकी धर्मपत्नी उर्मिला और ये है गरिमा बिटिया.. लखीमचंद जी.. ये है जयप्रकाश जी.. ये उनकी माँ सामान बड़ी बहन अनुराधा और ये लड़का विनोद.. जीतू भाभी कहाँ है?

जयप्रकाश - हाँ.. सुमित्रा.. सुमित्रा?

सुमित्रा रसोई से आती हुई - जी नमस्ते..

नरपत - जी ये है लड़के की माँ सुमित्रा भाभी..

जयप्रकाश - जी आइये बैठिये..

सुमित्रा - मैं चाय लेकर आती हूँ..

लखीमचंद (54) - जी इतने ही लोग है आपके परिवार में.. नरपत जी बता रहे थे एक छोटा लड़का और है..

जयप्रकाश - हाँ वो ऊपर अपने कमरे में होगा.. नया खून है कहा हमारे साथ यहां बैठकर बात करेगा..

सूरज नहाने के बाद विनोद के दिए कपड़े निकाल कर एक डार्क ब्लू जीन्स और महीन सूती धागे से बनी बैंगनी प्लेन शर्ट पहनते हुए अपने बाल बनाकर नीचे आ जाता है..

जयप्रकाश - लो आ गया.. ये है हनी.. विनोद का छोटा भाई..

उर्मिला - अरे.. ये तो बहुत प्यारा है.. आपका बड़ा लड़का चाँद का टुकड़ा है तो छोटा लड़का पूरा चाँद..

उर्मिला (46)
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अनुराधा - सुमित्रा चाय नहीं आई?

सूरज - मैं लाता हूँ..

सूरज रसोई में जाकर - क्या हुआ माँ?

सुमित्रा - कुछ नहीं.. दीदी को भी एक पल का सब्र नहीं है.. चाय बनने में समय लगता है या नहीं? जब देखो कुछ ना कुछ कहती रहती है.

सूरज प्यार से - पहले ही बनाकर रखनी थी ना आपको.. बोलते ही गर्म करके दे देती.. लो उबाल आ गया अब डाल दोनों मैं ले जाता हूँ.

सुमित्रा मुस्कुराते हुए - नहीं तू रहने दे हनी.. तू ये नाश्ता लेकर जा और टेबल पर रख दे मैं चाय लाती हूँ.

सूरज - लाओ दो..

सूरज नाश्ता लाकर सोफे के बीच टेबल पर रख देता है और सुमित्रा चाय लाकर सबको देती हुई जयप्रकाश के पास बैठ जाती है..

नरपत माध्यस्था करते हुए दोनों पक्षो को एक दूसरे के बारे में बातें बताते है और उनकी जिज्ञासाओ को शांत करते है.

कुछ देर बाद गरिमा और विनोद को अकेले बातचीत करने के लिए छत पर भेजा जाता है.

गरिमा - जी आप भी GN नेशनल कंपनी मे काम करते है?

विनोद - कोई और भी करता है?

हाँ मेरी एक दोस्त है वो भी यही काम करती है.

अच्छा.. तुमने काम करने की नहीं सोची?

नहीं.. पापा बोले लड़किया काम नहीं करती बल्कि घर संभालती है.. BA के बाद घर पर रहती हूँ.

सही कहते है तुम्हारे पापा.. और हमारे खानदान में लड़कियों से काम नहीं करवाया जाता.. तुम्हे काम करने की इच्छा है तो पहले ही बता देना.

नहीं.. मैं पूछ रही थी.. आपके क्या हॉबी है?

कोई हॉबी नहीं है.. सुबह से शाम तक ऑफिस फिर घर.. सुबह वापस ऑफिस.. बस..

जी.. आप शराब पीते है?

हाँ... मगर मम्मी पापा से छुपकर.. तुम्हे ऐतराज़ हो बता देना.. कोई जबरदस्ती नहीं है.. वैसे तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड वगैरह तो नहीं है ना?

जी??

बॉयफ्रेंड.. आज कल तो ये आम बात है.. मुझे पुरानी कहानियाँ पसंद नहीं.. जो है वो है.. बिना मर्ज़ी के में शादी नहीं करना चाहता..

नहीं.. कोई नहीं.. आपकी गर्लफ्रेंड?

थी.. बहुत सी थी मगर अभी कोई नहीं..

शादी के बाद?

शादी के बाद क्या? बीवी तो परमानेंट रहती है ना.. बाकी तो आती जाती रहती है.. मगर तुम फ़िक्र मतकरो.. मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा कि तुम्हे तकलीफ हो.. मेरे साथ शादी के बाद तुम यहां अच्छे से ही रहोगी.. तुम्हे किसी बात का कस्ट नहीं होगा.. और कुछ पूछना है तुम्हे?

नहीं.. आपको?

नहीं.. नरपत अंकल से सब पूछ लिया था.. तुम्हे घर का सारा काम आता है और उतना बहुत है मेरे लिए.. आखिरी उससे ज्यादा मुझे और चाहिए भी क्या?


लो आ गए दोनों बात करके.. आओ बेटा.. बैठो.. कहो क्या विचार है?

अनुराधा - बोल विनोद? पसंद है?

विनोद - जी बुआ..

अनुराधा लखीमचंद से - आप पूछ लो अपनी बिटिया से.

लखीमचंद - इसमें पूछना क्या है बहन जी.. नरपत जी ने सब तो बताया है आपके बारे में.. और ना करने का सवाल ही कहाँ उठता है.. लड़का पढ़ा लिखा नोकरीपेशा है घर परिवार वाला खानदानी है और क्या चाहिए? हमारी तरफ से हाँ है..

सूरज हॉल में एक तरफ खड़ा हुआ सब कुछ होते हुए अपनी आँखों से देख रहा था और चाय का स्वाद लेते हुए रसोई में काम कर रही अपनी माँ सुमित्रा से कह रहा था

अब आपको काम नहीं करना पड़ेगा.. काम करने वाली जो आने वाली है..

पीता लखीमचंद की बोली बात गरिमा के लिए जैसे पत्थर की लकीर.. जो बोल दिया सो बोल दिया.. अब कौन उसे बदले और बदलने की कोशिश करें.. गरिमा की हाँ ना का क्या महत्त्व? उसे तो अपने पीता की बात माननी थी..

गरिमा आँखों में अजीब उदासी और सुनापन भरे सोफे के किनारे पर बैठी अपनी ही सोच में गुम थी विनोद उसे बुरा नहीं लगा था मगर विनोद ऐसा भी नहीं था की गरिमा को भा जाए.. गरिमा एक नटखट चंचल और थोड़ा बहुत शैतान लड़का चाहती थी जो उस जैसी सीधी साधी मासूम सी दिखने वाली लड़की को हंसाए और प्यार से अपनी शरारतों से खुश रख सके मगर नियति को जो मंज़ूर था वो गरिमा के नसीब में लिखा जा रहा था.. उसके नसीब ने विनोद आने वाला था.. दोनों तरफ से बात पक्की हो चुकी थी और अब सगाई की तारीख के लिए पंडित को भी बुलवा लिया गया था जो आकर झट से सगाई की तारीख तय कर गया था.. सब इतना जल्दी हुई की गरिमा को ये सब ऐसे लग रहा था जैसे कोई सपना हो.. सगाई के लिए अगले दो हफ्ते बाद आठवीं तारीख सुझाई गई थी और शादी के लिए 6 महीने बाद की..

खाने के लिए सब बैठ चुके थे और जाने अनजाने में रसोई के बाहर खड़े सूरज ने गरिमा के चेहरे को देखते हुए उसकी आँखों में छिपी उदासी और मज़बूरी को पढ़ लिया था.. ऐसी ही उदासी और मज़बूरी कुछ साल पहले उसकी आँखों में भी तो थी..

उसके मन का हाल जो वो किसी से कह देना चाहता था मगर कह ना सका था.. ना ही जिसे उसके दिल का हाल और आँखों की उदासी पढ़ लेनी चाहिए थी उसने उसे पढ़ा था.

सूरज को महसूस हो रहा था कि जो हो रहा है उसमे गरिमा कि मर्ज़ी मौखिक हो मगर अंदर से वो विनोद को नहीं स्वीकार कर पाएगी.. शायद उसकी पसंद विनोद नहीं बन पायेगा..
खैर.. जब सब हो ही चूका है और सगाई की तारीख भी निकल चुकी है तब इन बातों का क्या फ़ायदा? और वो कर ही क्या सकता है इसमें? अगर गरिमा को ये रिश्ता नहीं पसंद तो वो खुद कह दे.. या फिर किसी से इसका इज़हार करे.. मन की मन में रखने से क्या होगा?

क्या देख रहा है हनी? आजा खाना खा ले.. अनुराधा ने मुस्कुराते हुए कहा तो हनी ने जवाब दिया - बुआ भूक नहीं है आप खा लो..

ठीक है तू कहीं चला ना जाना.. खाने के बाद मुझे घर छोड़ आना..

भाभी आज यही क्यों नहीं सो जाती?

नहीं सुमित्रा.. रचना बच्चे के साथ अकेली होगी..

नीलेश भी आजकल देर से आता है जाना तो पड़ेगा..

जयप्रकाश - लीजिये भाईसाहब शुरू कीजिये..

सब मिलकर खाना खाने लगे और खाने के बाद वापस सोफे पर बैठ कर हसते मुस्कुराते हुए आगे की योजनाओं और मनोकामनाओ से एक दूसरे को अवगत करवाने लगे.. मगर सूरज अभी भी गरिमा को ही देखे जा रहा था जिसके प्रकाशमान चेहरे पर अमावस्या का अंधकार आँखों से झलकता था जिसे देखने के लिए और महसूस करने के लिए दिल में विराह की वेदना रखना जरुरी है.. सूरज ये सब देख सकता था महसूस कर सकता था..

सुमित्रा ने ऊपर कमरे में लख्मीचंद और उर्मिला का बिस्तर लगा दिया और आगे वाले सूरज के कमरे में गरिमा का..

विनोद और जयप्रकाश नीचे ही सोने वाले थे और अगल वाले कमरे में सुमित्रा..

सूरज का कोई ठोर ठिकाना ना था.. शायद उसे हॉल में उस सोफे पर ही सोना पड़ता जिसपर अभी गरिमा अपना उदासी भरा चेहरा लिए बैठी है..

सूरज अनुराधा को उसके घर छोड़ने चला गया था और रात के साढ़े 9 बजते बजते वो अनुराधा को उसके घर छोड़ देता है जहाँ अनुराधा के बेटे नीलेश की पत्नी एक बार फिर सूरज को अपने हास्यरस की गठरी में बाँध लेने के प्रयास करती हुई कहती है..

ओ हो.. क्या बात है देवर जी.. काले और नीले के अलावा भी कुछ पहनते हो.. वैसे जीन्स शर्ट में हीरो लगते हो.. अब बात कर ही लेनी चाहिए सासुमा.. देवर जी के लिए मेरी छोटी बहन की..

बुआ समझाओ ना भाभी को..

रचना छोड़ दे उसे.. ले ये खाना रसोई मे रख दे.. और निलेश से बात हुई?

आज भी दस बजे के लिए बोला है सासु माँ.. देवर जी कुछ लोगे?

नहीं मैं चलता हूँ..

हम्म.. जाओगे ही.. नई भाभी जो आने वाली है पुरानी से अब क्या मतलब रखने लगे?

ऐसा नहीं है भाभी..

जैसा है मुझे पता है देवर जी.. आखिर अपने अपने ही होते है..

अरे रचना क्यों तू भी बार बार उसे छेड़ने लगती है.. बेचारा पहले ही तेरे डर से यहां आने में शर्माता है.. तू घर जा हनी.. तेरी भाभी तो बस मसखरी करना ही जानती है..

हनी वहा से वापस अपने घर के लिए निकल पड़ता है मगर रास्ते में बिलाल की दूकान पर उसे अंकुश नज़र आता है और वो भी दूकान के सामने बाइक खड़ी करके अंदर आ जाता है..

बिलाल किसी की शेविंग बना रहा था और अंकुश पीछे कुसी पर बैठा अपनी माशूका से बात कर रहा था..

ये कब से यहां बैठा है?

तुझे घर छोड़ने के बाद सीधा यही आया था और तभी से फ़ोन पर लगा हुआ है?

सूरज अंकुश का फ़ोन छीनता हुआ - दिन रात की कुछ खबर है मेरे रांझे? तेरी माँ का फ़ोन आया था पूछ रही थी तेरे बारे में..

अंकुश झट से फ़ोन वापस लेता हुआ - बात कर ली मैंने जा रहा हूँ घर.. तू यहां क्या कर रहा है?

बस देखने चला आया..

तो कुछ ले ही आता खाने को.. इतना सब घर लेके गया था कुछ तो बचा होगा?

मुझे ख्वाब थोड़ी आया था तू यहां भूखा बैठा होगा..

चल कोई ना.. तेरे भाई के दोस्त से बात की तूने पैसो की?

नहीं.. भईया से पैसो का बोला उसे लगा मुझे पैसे चाहिए.. बिना कुछ कहे की मेरे आकउंट में पैसे डाल दिए.. अब उधार लेने की जरुरत नहीं पड़ेगी.. बिल्ले कल से दूकान का काम शुरू कर दे..

बिलाल - भाई तुम्हारे जैसे यार हो तो फिर क्या ग़म है..

अच्छा अब घर जा.. मैं भी जाता हूँ.. चल ठीक है बिल्ले.. मिलते है..

बिलाल - ठीक है भाइयो..

नज़मा - कब तक दूकान खुली रखेंगे? खाना नहीं खाना आज?

नहीं बस बंद ही कर रहा था.. हनी आ गया था.. चलो..

क्या कह रहे थे भाईजान?

कह रहा था दूकान की मरम्मत करवा लेनी चाहिए और नई कुर्सी और आइना भी ले लेना चाहिए..

पर उसके लिए पैसे कहा है? मुश्किल से दिन में दो तीन लोग आते है दूकान पर..

हाँ पर इस बार उसी ने पैसे भी दिए इसके लिए और अक्कू ने भी.. किस्मत अच्छी है दोनों से मेरी दोस्ती है.. बहुत साथ दिया है दोनों ने मेरा..

पर अगर पैसे वापस नहीं दे पाए तो?

अरे कुछ तो अच्छा बोल नज़मा तू भी ना.. अम्मी सो गई?

हाँ... दवा खाके सोई है.. आप मुंह हाथ धोलो मैं खाना लगाती हूँ..

खाना खाकर अगले दिन दूकान की मरम्मत करवाने और दूकान को नया कर देने के ख़्वाब देखता हुआ बिलाल नज़मा के बगल में खुली आँखों से सोने की कोशिश कररहा था.. उसकी आँखों में बेहतर भविष्य के कई सुनहरे ख्वाब तेर रहे थे..

सूरज घर पंहुचा तो सुमित्रा ने उसे खाने के लिए कहा मगर आज सूरज भूक ना थी उसने फ्रीज़ से एक पानी की बोतल निकाल ली और ऊपर जाने लगा..

अरे हनी कहा जा रहा है?

ऊपर.. अपने कमरे में..

वहा तेरी होने वाली भाभी सोने वाली है आज तू वही सोफे पर सोजा..

ठीक पर मुझे कमरे से कुछ लाना है..

ले आ.. और भूक लगे तो खाना गर्म करके खा लेना..
ठीक है...

सूरज ऊपर जाकर अपने कमरे के दरवाजे पर दस्तक देता है..

अंदर आ जाइये.. एक मीठी सी मधुर आवाज सूरज के कानो में पड़ी तो वो दरवाजा धकेलते हुए अंदर आ गया जहाँ उसने देखा की गरिमा उसके गद्दे पर बैठी हुई उसकी जमा की हुई किताबो में से एक किताब पढ़ रही है.. सूरज बिना कुछ कहे अपनी किताबो में से एक एक किताब उठाकर वापस जाने लगता है की गरिमा बोल पडती है..

सूरज..

सूरज मुड़कर सवालिया आँखों से गरिमा को देखता है गरिमा कहती है...
यही नाम है ना तुम्हारा? ये सब किताबें तुम्हारी है? तुम्हे किताबें पढ़ना अच्छा लगता है?

जी.. सूरज ने दबी हुई आवाज में कहा और पलट गया तभी गरिमा ने वापस कहा - अभी कोनसी किताब पढ़ रहे हो..

सूरज पलटकर एक नज़र गरिमा को देखता है और फिर नज़र झुका कर कहता है - पुराना उपन्यास है..

गरिमा हलकी सी मुस्कान अपने चेहरे पर सजाते हुए - कोनसा?

सूरज - अधूरी ख्वाहिश..

गरिमा - ये तो कामना वैद्य का लिखा हुआ है ना? बहुत ही दुखद अंत है कहानी का.. और क्या पसंद है तुम्हे?

सूरज - मुझे? मुझे तो सब पसंद है.. पर मेरी पसंद नापसंद आप क्यों पूछ रही हो? और आपको देखकर लगता नहीं कि आप इस रिश्ते से खुश है..

गरिमा - तुम ये कैसे कह सकते हो? नीचे तुम्हारी निगाह मेरे ऊपर ही थी.. नीचे तुम मुझे ही देखे जा रहे थे.. है ना?

सूरज - हाँ पर आपकी आँखों से लग रहा था आप उदास हो.. इसलिए..

गरिमा मुस्कुराते हुए - बड़े जादूगर हो तुम तो.. आँखों से मन का हाल पढ़ लेते हो.. लगता है किताबो ने बहुत कुछ सिखाया है तुम्हे या फिर किसीने बहुत दिल दुखाया है..

सूरज - आप मना क्यों नहीं कर देती इस ताल्लुक से..

गरिमा गद्दे से उठते हुए - मेरे बस में क्या है? तुम्हारे भईया अच्छे है सच्चे है.. शायद मैं उनके लायक़ नहीं..

सूरज - मज़बूरी में बना रिश्ता किसीको सुखी नहीं रख सकता.. आपके एक फैसले से दो जिंदगी तबाह हो सकती है.. एक बार फिर से आप सोच लीजिये..

गरिमा सूरज कि तरफ कदम बढ़ाते हुए - मेरा फैसला? मेरे हाथ ये फैसला था ही कब सूरज? मैं तो एक कटपुतली हूँ जिसकी डोर पीता से पति के हाथ में दी जा रही है.. मेरी मर्ज़ी से फर्क नहीं पड़ता.. तुम मुझे पानी ला सकते हो?

सूरज - जी.. मैं अभी ला देता हूँ..

सूरज नीचे फ्रीज़ से पानी की बोतल निकालकर वापस गरिमा के पास आ जाता है और पानी की बोतल देते हुए कहता है - पानी.. इसे वहां सिरहाने रख लीजिये.. बाहर बालकनी की तरफ बाथरूम है.. और चादर उस अलमारी में..

गरिमा धीमी आवाज में - सूरज..

सूरज - जी..

गरिमा - कुछ नहीं..

सूरज नीचे सोफे पर आकर लेट जाता है और जो बात उसके और गरिमा के बीच हुई उसे सोचने लगता है कि पीता कि इच्छा से गरिमा बेमन से अपनी जिंदगी का इतना बड़ा फैसला कर रही है और ना चाहते हुए भी विनोद से शादी कर रही है.. विनोद में कोई कमी तो ना थी मगर वो औरत का मन नहीं पढ़ सकता था उसके सुख दुख और अन्य भावो से वो अनजान था.. वो एक प्रैक्टिकल आदमी था जो भावनात्मक होना कमजोरी मानता था.. हालांकि विनोद ने अपनी सारी जिम्मेदारी अच्छे से निभाई थी फिर उसे लगता था कि जीवन में भावना से घिर जाना कमजोरी है..

सूरज जो किताब ऊपर अपने कमरे से ले आया था उसे पढ़ने में उसका आज जरा भी मन नहीं था उसने किताब सोफे के आगे टेबल पर रख दी और गरिमा के बारे में सोचने लगा...
फूल सी कोमल काया और चन्द्रमा के सामान उजले मुख की स्वामिनी गरिमा जिसने सूरज को देखकर सटीक अंदाजा लगा लिया था की उसका दिल किसीने दुखाया है सूरज इसी सोच में था कि क्या किताबें किसी के मन पढ़ने की कला को भी सीखलाती है?

ये सचते हुए उसे अपने पुराने दिनों कि याद आने लगी.. कॉलेज का पहला ही तो दिन था जब उसने एक लड़की को अपने दोनों कान पकडे सीनियर के सामने खड़े देखा था.. जो उस लड़की से कभी गाना सुन रहे थे कभी कान पकड़ कर नीचे बैठने तो कभी ऊपर खड़े होने को कह रहे थे..

अरे तू.. हाँ तू.. इधर आ.

एक कॉलेज की सीनियर स्टूडेंट ने सूरज की तरफ इशारा करते हुए उसे करीब आने कहा और फिर सूरज को भी लड़की के साथ खड़ा कर दिया.

सूरज ने भी उस लड़की की तरह अपने दोनों कान पकड़ लिए और सीनियर के कहे अनुसार ही सब करने लगा..

8-10 सीनियर मंडली जमा कर नये नये कॉलेज आये स्टूडेंट से मन मुताबिक काम करवाते हुए मज़े ले रहे थे

बस बस आज के लिए बहुत है.. चलो अब चलते है..
सूरज ने जब अपने बदल में खड़ी लड़की को देखा तो वो देखता ही रह गया था.. एक बड़ा सा चश्मा लगाए ये लड़की भी सूरज को ही देख रही थी और उसीने सूरज का बाजू पकड़ कर उसे ख्याल के आकाश से धरती पर लाते हुए कहा - सब चले गए..

सूरज - हम्म.. तुम.

लड़की - मैं गुनगुन.. तुम?

गुनगुन (23)
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सूरज - मैं... मैं.. मैं सूरज...........

गुनगुन सूरज के हकलाने से खिलखिला कर हसने लगती है....


Next update jaldi aayega..
Kahani pasand aaye to like & comments kre🙏🏿

Jo bhi suggestions ho aap comments me de sakte hai ❤️

बहुत बढ़िया लेखन। आपका कहानी कहने का अंदाज बेहद रोचक है।
इससे अधिक कुछ और कहने के लिए मेरे पास शब्द कम पड़ गए हैं। बहुत ही बढ़िया 👏👏
 

Acha

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Update 12



जयप्रकाश जी आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी पहले तो मीटिंग टल गई तो बच गए.. अब कल मीटिंग में अब क्या करूंगी मैं? आपने इतनी इम्पोर्टेन्ट फ़ाइल खो दी..

मैडम मैंने टेबल पर ही रखी थी.. अक्सर वहा से कुछ नहीं खोता मगर ये फ़ाइल ना जाने कैसे गुम हो गई..
मैं कुछ नहीं जानती जयप्रकाश जी.. आपके ऊपर पर मूझे अब करवाई करनी होगी वरना इसे मेरा फैलियर समझा जाएगा.

मैडम आप ऐसा मत कहिये.. मैंने आज तक कोई लापरवाही नहीं की है.. ये पहली बार है.

मैं कुछ नहीं जानती मे लिखित मे जवाब दो

चपरासी - मैडम आप येल्लो फ़ाइल के बारे में पूछ रही है क्या?

गुनगुन - हाँ क्यों तुम्हे पता है वो फ़ाइल कहा है?

चपरासी - जी मैडम.. उस दिन जयप्रकाश जी ने वो फ़ाइल टेबल पर रखी थी और मैं छूटी पर जा रहा था इसलिए मैंने सब चीज जगह पर रख दी थी.. मगर वो फ़ाइल गलती से मैं अपने सामान के साथ घर ले गया था.. आज वापस आया तो पता चला आप कोई फ़ाइल ढूंढ रही है.. वो फ़ाइल मेरे पास है.. मैं अभी घर से ले आता हूँ.

गुनगुन - आप फ़ोन पर ये बात नहीं बता सकते थे.. खाम्मखा जयप्रकाश जी को मैंने कितना कुछ भला बुरा कह दिया.. जाइये जल्दी लेकर आइये वो फ़ाइल.

जयप्रकाश चपरासी से - जा जल्दी..

गुनगुन - जयप्रकाश जी.. मैंने जो भी आपसे कहा उसे आप मेरी गलती समझके माफ़ कर दीजियेगा.. आप मुझसे उम्र में इतने बड़े है मूझे आपसे इतनी बदतमीजी से बात नहीं करनी चाहिए थी.

जयप्रकाश - कोई बात नहीं मैडम..


**************

सूरज आज विनोद के साथ उसके ऑफिस चला गया था और उसने वही पर जॉब के लिए हामी भी भर दी थी.. अगले दिन से उसने काम करना भी शुरु कर दिया.. आज पूरा दिन सूरज ऑफिस में बैठा काम कर रहा था.. शाम के 6 बजे उसने अपना काम समेटा और ऑफिस से बाहर आ गया..

हनी..

हाँ भईया?

हनी मूझे अचानक से ऑफिसटूर पर जाना पड़ेगा दो दिन के लिए.. तू मेरी बाइक लेके घर चला जा और पापा को बता देना.

ठीक है भईया.

हनी घर आ जाता है..

आ गया? विनोद कहा है?

भईया को ऑफिस टूर पर चले गए दो दिन तक बाहर ही रहेंगे..

लो बताओ.. तेरे पापा को भी उनकी मैडम अपने साथ मीटिंग के लिए जयपुर ले गई.. दोनों एक साथ ही गए है..

छोडो ना माँ.. आ जाएंगे.. आज सुबह से चेयर पर बैठे बैठे बदन अकड़ गया है.. एक कप अदरक वाली चाय पीला दो...

सुमित्रा प्यार से - तू कपड़े बदल कर हाथ मुंह धोले मैं अभी बनाके लाती हूँ..

सूरज ऊपर जाते हुए - हाथ मुंह धोने से काम नहीं चलेगा माँ.. नहाना पड़ेगा..

सूरज नहाने के बाद लोवर टीशर्ट डाल लेता है और तभी सुमित्रा चाय का कप हाथ में लेकर उसके कमरे में आ जाती है..

सुमित्रा - ले बेटू.. चाय पिले..

सूरज का कप लेकर - थैंक्स माँ..

सुमित्रा - केसा रहा काम का पहला दिन..

सूरज चाय पीता हुआ - बताया तो.. बहुत बोरिंग.. मूझे तो समझ नहीं आता भईया कैसे पूरा दिन कुर्सी पर बैठे रहते है..

सुमित्रा - थोड़े दिनों में तेरी भी आदत हो जायेगी बेटू.. अच्छा खाने में क्या बनाऊ?

सूरज चाय का कप रखकर सुमित्रा को बाहो में भरते हुए - कुछ बनाने की जरुरत नहीं है.. आज आप और मैं बाहर खाना खाके आएंगे..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए सूरज के बालों में हाथ फेरकर - चलो अच्छा है कम से कम एक दिन तो घर के काम से छूटी मिलेगी मूझे.. मगर तू कुछ अच्छा तो पहन.. इतना हैंडसम बेटा पैदा किया है मैंने.. हमेशा बस ये टीशर्ट और लोवर पहन के रखता है..

सूरज सुमित्रा को बाहों से आजाद करते हुए - आप नीचे चलो मैं कपड़े बदल के आता हूँ..

सूरज टीशर्ट और लोवर उतारकर एक जीन्स और चेक शर्ट पहन लेता है जिसमे काफी आकर्षक लगता है..

माँ चलो...

सुमित्रा - अब देख कितना प्यारा लग रहा है.. जैसे कोई हीरो हो..

सूरज - इतनी तारीफ़ मत करो.. कभी खुदको आईने में देखा है आपने? अभी भी कितनी अच्छी दिखती हो.. मगर आप तो पापा की तरह खुदको भी बुड्ढा समझ बैठी हो..

सुमित्रा हसते हुए - अच्छा बस बस.. रुक मैं पर्स लेके आती हूँ..

सूरज सुमित्रा को एक रेस्टोरेंट में लेके आ जाता है.. जहाँ की चकाचोध सुमित्रा देखते ही हैरान हो जाती है..

हनी.. ये रेस्टोरेंट है या महल?

पहले हवेली थी माँ.. अब रेस्टोरेंट बना दिया इसे.. खाना अच्छा मिलता है यहां.. बैठो..

सुमित्रा और सूरज रेस्टोरेंट के फर्स्ट फ्लोर पर एक टेबल पर बैठ जाते है और सुमित्रा आस पास के लोगों को और नजारो को देखने लगती है फिर पास में एक लड़की को शार्ट स्कर्ट मे सिगरेट पीते देख सूरज से कहती है..

हाय रे.. आजकल की लड़कियों को तो कोई शर्म ही नहीं है खुले आम सिगरेट पिने लगी है.. वो ऐसे छोटे छोटे कपडे पहन कर.. पाता नहीं इनके माँ बाप कैसे झेलते होंगे ऐसी लड़कियों को? देखने में किसी भले घर की लगती है पर हरकतें देखो.. ना कोई शर्म ना लिहाज़..

सूरज हसते हुए - आप भी ना माँ.. ये सब तो बहुत आम है.. और आपने कभी मूझे तो इतना कुछ नहीं बोला जब पकड़ा था सिगरेट पीते हुए छत पर..

अरे तेरी बात और है.. तू लड़का है.. मगर लड़कियों को तो कायदे से रखना चाहिए.. किस काम की ऐसी खुली आज़ादी.. जो बिगाड़ कर रख दे..

मतलब आप कह रही हो कि सिगरेट पिने वाली लड़किया बिगड़ी हुई होती है.. यही ना?

और क्या... कौन भला समझेगा ऐसी लड़कियों को? ना परिवार का डर, ना समाज का.. घर कैसे बसाएगी ये?

रहने दो माँ.. अब टाइम बदल चूका है.. सबको अपने मन की करने की आजादी है.. आप नहीं पीती इसका मतलब ये तो नहीं कि आप किसी और को भी ना पिने दो.. उसकी मर्ज़ी वो जो करें.. आपकी मर्ज़ी जो आप करो..

वेटर - सर आर्डर?

हाँ.. ये सब ले आओ.. माँ कुछ और मांगना है?

नहीं ठीक है...

वेटर चला जाता है..

सुमित्रा - मेरी मर्ज़ी जो मैं करू.. अच्छा? कल को मेरी मर्ज़ी बोलके मैं घर छोड़ जाऊ तो तेरे पापा जाने देंगे मूझे?

यार माँ कहा की बात कहा ले जा रही हो.. मैं बस इतना कह रहा हूँ.. आपको सिगरेट पीनी है तो आप भी पी लो.. उसमे क्या प्रॉब्लम है? उसको पीनी है वो पी रही है.. बस..

हम्म.. मैं सिगरेट पी लू.. ताकि तेरे पापा और बुआ मिलकर मेरा जीना हराम कर दे.. यही कहना चाहता है ना तू?

तो किसने कहा उनके सामने पियो.. छिपकर पी सकती हो अगर आपको पीनी है.. आपको पापा और बुआ का डर है उस लड़की को किसी का नहीं है.. अपनी अपनी लाइफ है माँ.. क्यों इतनी फ़िक्र करनी..

वेटर - सर योर आर्डर..
वेटर खाना रखकर चला जाता है..

लो माँ.. शुरु करो..
सूरज और सुमित्रा खाना खा लेते है और वापस घर आने को चल पड़ते है तभी सुमित्रा सूरज से कहती है - हनी.. अगर मैं सिगरेट पिऊ तो तू कुछ नहीं कहेगा?

मैं क्या कहूंगा? आपकी चॉइस है वो.. इसमें मेरा क्या लेना देना.. हाँ.. अगर आप जरुरत से ज्यादा कुछ करती हो तो मूझे समझाना पड़ेगा आपको..

ठीक है तो तू मूझे सिगरेट पीना सिखाएगा आज.. मैं भी तो देखूँ ऐसा क्या मज़ा मिलता है सिगरेट पिने में लोगों को?

मज़ा नहीं मिलता माँ.. लोग शौक के लिए पीते है.. कुछ लोग डिप्रेशन में पीते है.. कुछ ऐसे ही..

तेरे पास घर पर सिगरेट है?

नहीं.. मैं कहा रखता हूँ. मैंने तो छोड़ दिया है.. घर पर नहीं है.. पर आपको सच में पीनी है?

तो क्या मैं मज़ाक़ कर रही हूँ तुझसे?

ठीक है मैं रास्ते से ले लेता हूँ..
सूरज बाइक रोक कर एक पनवाड़ी से एक अल्ट्रा माइल्ड का पैकेट और लाइटर ले आता है और सुमित्रा के साथ घर पहुंच जाता है..

घर के अंदर आने के बाद सूरज सुमित्रा से - माँ लो.. मैं ऊपर जा रहा हूँ सोने..

सुमित्रा सूरज का हाथ पकड़ के अपने बैडरूम में लाती हुई - ऊपर क्यों जा रहा है हनी.. आज मेरे साथ यही सोजा.. चल..

ठीक है माँ.. कपड़े तो बदल के आने दो.. मूझे कन्फर्ट होना है..

ठीक जा.. जल्दी आना..

सुमित्रा सिगरेट लाइटर रख देती है और अपनी साड़ी निकाल देती है.. फिर कुछ सोचती है और बाथरूम में जाकर सुमित्रा अपने ब्लाउज को खोलकर अपनी ब्रा उतार देती है और ब्लाउज वापस पहन लेती है जिसमे से उसके बूब्स और निप्पल्स आकर्षक लग रहे थे.. सुमित्रा सूरज को अपना बदन दिखाना चाहती थी उसी के लिए उसने इतना सब किया था..

सूरज वापस टीशर्ट और लोवर पहन कर सुमित्रा के बेडरूम में आता है और अपनी माँ को ऐसे देखकर मुस्कुराते हुए कहता है - क्या बात है माँ.. पापा अगर आपको ऐसे देख लेते तो पक्का उनकी तोप आपको सलामी दे देती है..

सुमित्रा सिगरेट लाइटर उठाकर सूरज के पास आती हुई - उनकी तोप तो जंग खा चुकी थी है.. तू ये बता इसे पीते कैसे है?

सूरज सुमित्रा से सिगरेट और लाइटर ले लेता है और फिर सुमित्रा के पीछे जाकर उसे बाहों में भरते हुए कहता है - माँ.. सबसे पहले तो आपको पैकेट से सिगरेट निकालकर अपने इन गुलाबी होंठों पर लगानी पड़ेगी ऐसे.. फिर इस लाइटर से जलानी पड़ेगी.. ऐसे.. अब कश अंदर खींचकर धुआँ बाहर छोड़ना पड़ेगा...

सुमित्रा पहले कश में खाँसने लगती है..

सूरज - आराम से माँ.. हल्का हल्का कश खींचो.. हाँ ऐसे.. लो सिख गई आप तो.. कोई बड़ी बात तो थी ही नहीं इसमें..

सुमित्रा सिगरेट का कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए - अब तू मूझे ऐसे ही पीछे से पकड़ के मत खड़ा रह... कहीं तेरी तोप ना सलामी देने लग जाए मूझे..

सूरज सुमित्रा को पलटकर आगे से बाहों में भरता हुआ - अब ऐसे बिना ब्रा के ब्लाउज पहनोगी तो कुछ भी हो सकता है माँ..

सुमित्रा हसते हुए सिगरेट का कश लेकर - माँ के हाथ का एक थप्पड़ पड़ेगा ना तो सारा भुत उतर जाएगा.. समझा? अब क्या रातभर मूझे ऐसे बाहों में लेकर खड़ा रहेगा तू?

सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था.. उसे आज पहली बार सुमित्रा के खिलखिलाकर हसते चेहरे में आपनी माँ नहीं बल्कि एक खूबसूरत जवाँ औरत दिखाई देरही थी जो अपनी पति के बुड्ढे हो जाने के कारण सालों से प्यासी थी.. सुमित्रा का हुस्न सूरज को बहकने पर मजबूर कर रहा था.. जिसे सूरज समझ रहा था और उसने अपने पर काबू रखते हुए
सुमित्रा को बाहों से आजाद कर दिया और बेड पर लेटते हुए बोला - लाइट बंद कर देना माँ..


सुमित्रा ने सिगरेट के कश लेगाते हुए लाइट ऑफ करके अपने फ़ोन की टॉर्च ऑन करके फ़ोन को उल्टा रख दिया ताकि कमरे में कुछ रौशनी रहे.. फिर सूरज के करीब आकर लेटते हुए कहा - नींद आ रही है बेटू?

सूरज सुमित्रा के करीब खिसक कर सुमित्रा का हाथ पकड़ कर चूमते हुए - नहीं.. मूझे देर से सोने की आदत है माँ.. आप सोजाओ..

सुमित्रा सिगरेट बुजाकर अपना हाथ सूरज की गर्दन के नीचे से लेजाकर उसे अपनी तरफ झुकाते हुए - किसका फ़ोन आ रहा है?

कोई नहीं है माँ सो जाओ..

बात तो कर ले.. बेटू.. इम्पोर्टेन्ट होगा..

नहीं माँ.. इम्पोर्टेन्ट नहीं है..

ला मूझे दे फिर मैं बात करती हूँ..

नहीं माँ.. रहने दो अपने आप कट जायेगा..

सुमित्रा सूरज का फ़ोन लेकर फ़ोन उठा लेटी है..

सामने से एक लड़की - हेलो हनी..

सुमित्रा - कौन?

लड़की फ़ोन काट देती है..

सुमित्रा - कौन थी ये?

सूरज - चिंकी थी.. सुबह से फ़ोन कर रही है.. मैंने कह दिया बिजी हूँ.. फिर भी नहीं सुन रही थी..

सुमित्रा - अब परेशान करें तो बता देना इसे अच्छे से समझा दूंगी..

सूरज हसते हुए - परेशान नहीं कर रही माँ.. बेचारी बहुत ख्याल रखती है मेरा.. वापस जाने से पहले मिलना चाहती है एक बार..

सुमित्रा गुस्से से - मिलना चाहती है या सोना चाहती है तेरे साथ?

सूरज हसते हुए - आपको जलन हो रही है ना? सच बताना?

सुमित्रा - मैं क्यों जलने लगी किसी से? वो भी उस चिंकी से..

सूरज सुमित्रा को बाहों में भरके अपने ऊपर खींचते हुए - झूठ बोलते वक़त ना आपके होंठो कापने लगते है..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए - तुझे शर्म वर्म है या नहीं.. अपनी माँ को अपने ऊपर लेटा रखा है तूने.. छोड़ मूझे..

सूरज मुस्कुराते हुए - लेटा ही तो रखा है माँ.. कोनसा आपके खेत में हल चला दिया मैंने..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए - तेरा क्या भरोसा? हल भी चला दे और फसल ऊगा के मेरा पेट भी फुला दे..

सूरज सुमित्रा को अपने नीचे लेकर उसके ऊपर आता हुआ - आप इज़ाज़त दोगी तो वो भी हो जाएगा माँ.. आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी..

सुमित्रा - तेरे पापा और भैया को क्या कहूँगी? कि ये फसल कौन ऊगा गया फिर?

सूरज - वो आप जानो.. मूझे उससे क्या मतलब..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए - वाह जी वाह कितना फरेबी है तू.. सो जा अब चुपचाप से.. वरना तेरी तोप पर ताला लगा दूंगी..

सूरज सुमित्रा के गाल चूमते हुए - माँ नियत खराब हो रही है मेरी..

सुमित्रा हसते हुए - मुझे सब महसूस हो रहा है.. जाकर पहले बाथरूम में इसे शांत करके आ.. वरना रात को तेरा क्या भरोसा.. आधी रात को अपनी माँ पर है चढ़ाई शुरु कर दे..

सूरज - पर शांत करू किसके नाम पर?

सुमित्रा - तुझे जिसके नाम पर करना है कर ले.. अपना फ़ोन लेजा.. नेट पर देख लाना किसी को..

सूरज उदासी का नाटक करते हुए - ऐसे नहीं होगा..

सुमित्रा - तो क्या मैं पकड़कर शांत करू तुझे?

सूरज - आईडिया बुरा नहीं है.. चलो आप है कर देना..

सुमित्रा के तन बदन में सूरज कि मुट्ठी मारने का ख्याल करेंट कि तरह दौड़ गया और वो झट से खड़ी होकर सूरज का हाथ पकड़ कर उसे बाथरूम ले गयी और बोली - किसी सेइस बारे मे कहा ना तो देख लेना..

सूरज सुमित्रा के बूब्स देखते हुए लोवर सरका देता है जिससे सूरज का लंड थप्पड़ की तरह घुटनो पर बैठी सुमित्रा के गाल पर पड़ता है जो पूरा खड़हुआ था जिसे देखकर सुमित्रा की आँखे चमक जाती है..

सुमित्रा लंड पकड़ कर हिलाते हुए कहती है - अपनी माँ से ये सब करवा रहा है.. तुझे नर्क मिलेगा..

सूरज सुमित्रा के कंधे पर हाथ रखकर - अह्ह्ह माँ.. साथ में जाएंगे.. वहा भी शांत कर देना.. कितने मुलायम हाथ है आपके..

सुमित्रा लंड हिलाते हुए उसी लंड से चुदने के ख्याल लेती है और कामुक होकर जोर जोर से सूरज का लंड हिलाने लगती है जिससे सुमित्रा की चुडिया खन खन करके बजने लगती है..

सूरज हसकर फ़ोन से सुमित्रा का वीडियो बनाते हुए - माँ बिलकुल पोर्नस्टार लग रही हो..

सुमित्रा सूरज को फ़ोन के साथ देखकर गुस्से मे लंड हिलाना छोड़कर बाथरूम से बाहर जाते हुए - फोटो क्यों ले रहा है तू? अपने हाथ से कर ले मैं नहीं करने वाली अब...

सुमित्रा जैसे ही खड़ी होती है सूरज फ़ोन रखकर सुमित्रा को बाहो मे भर लेता है और कहता है - अच्छा सॉरी.. आप नाराज़ मत हो.. डिलीट कर दूंगा ना अभी.. प्लीज..

सुमित्रा वापस घुटनो पर आते हुए - अब फ़ोन के हाथ लगाया तो देख लेना तू..

सुमित्रा वापस लंड हिलाने लगती है वही सूरज अपनी मा को देखते हुए कामुकता से कुछ सोचने लगता है की तभी सूरज के फ़ोन पर जयप्रकाश का फ़ोन आ जाता है..

सूरज पहिने उठाकर - हेलो..

हाँ हनी.. तेरी मम्मी कहाँ है? फ़ोन नहीं उठा रही..

सूरज सुमित्रा को लंड हिलाता देखकर - मम्मी साथ ही है पापा.. रुको बात करता हूं..

सूरज सुमित्रा को फ़ोन देते हुए - लो पापा का फ़ोन है बात करो..

सुमित्रा लंड हिलाना छोड़कर हैरानी से - हेलो..

सुमित्रा?

जी बोलिये?

सुमित्रा.. दीदी का फ़ोन आया था.. परसो मुन्ने के जन्मदिन का कार्यक्रम है.. कल कुछ अच्छा सा तोहफा ले लेना..

ठीक है जी.. आपने खाना खाया ना?

हां खा लिया.. सुमित्रा..

सुमित्रा और जयप्रकाश आपस मे बात कर रहे थे वही सूरज ने अब लंड अपने हाथ से पकड़ लिया था और सुमित्रा के मुँह पर टारगेट करके अपने लंड को हिलाते हुए मुठ मार रहा था सूरज ने सुमित्रा और जयप्रकाश की बात ख़त्म होने से पहले ही सुमित्रा के चेहरे को अपने वीर्य की गाडी गाडी धार से अलंस्कृत कर दिया.. सुमित्रा शर्म और गुस्से के मिश्रित भाव से भरकर रह गई और फ़ोन चालू होने के कारण सूरज को कुछ बोल ना पाई..

सूरज झड़ने के बाद अपने आपको ठीक करके बाहर आ जाता है..

सुमित्रा फ़ोन कट होने पर बाथरूम बंद कर देती है और सूरज ने जो वीर्य गिराया था उसे कुतिया बनकर जीभ से चाटने लगती है उसे हवस का नशा चढ़ गया था और बाथरूम के अंदर वो अपनी चुत में ऊँगली करते हुए सूरज का वीर्य चाट रही थी.. कुछ देर बाद वो भी शांत होकर बाहर आ गई और सूरज के पास आ कर लेट गई..

सूरज ने सुमित्रा के अपनी बाहो मे कस लिया और सुमित्रा की गर्दन पर चूमकर वैसे ही सो गया सुमित्रा भी बिना कुछ बोले कामसुःख के पहले पायदान पर मुस्कुराते हुए सूरज की बाहो मे चैन की नींद सो गई..


***************


गरिमा को इंतज़ार करते हुए अब कुछ दिन हो गए थे उसका दिल अब दुखने लगा था वो मन ही मन सूरज को चाहने लगी थी और उससे बात ना हो पाने के कारण उसका मन उसे दुखी कर रहा था.. गरिमा भी अपनी ज़िद छोड़कर आगे से सूरज से बात नहीं करना चाहती थी.. उसकी ज़िद उसीको परेशान कर रही थी एक हफ्ते से ज्यादा का समय हो चूका था और सूरज और गरिमा के बीच कोई बात नहीं हुई थी.. सूरज को तो गरिमा की इतनी याद नहीं आती मगर गरिमा सिर्फ उसीको याद कर रही थी.. मगर उसने भी अब अपने मन को समझाना शुरु कर दिया था और सूरज का ख्याल छोड़ने का मन बना लिया था.. मगर इश्क़ के हाथों मजबूर गरिमा की जवानी अब सूरज के नाम पर मचलने लगी थी..

सूरज अपने भाई विनोद के साथ ही उसके ऑफिस में काम करने लगा था.. और काम की वजह से वो बिजी भी रहने लगा था सुबह से शाम ऑफिस में होने के कारण उसका समय बंध गया और उसका लोगों से मिलना जुलना बंद हो गया था..

नज़मा उस रात के बाद से सूरज को अपना मान बैठी थी.. हालांकि उसे पता था सूरज उसे कभी हासिल नहीं हो पायेगा.. मगर आज की रात वो सूरज से मिलकर उसे अपने दिल का हाल बयान करना चाहती थी.. बिलाल ने उसकी अम्मी को वापस मामू को भेज दिया था और सूरज को कॉल करके आज आने के लिए कहा था.. नज़मा का मन मचल रहा था उसे बेसब्री से सूरज का इंतजार था.. रात के 10 बजे थे और बिलाल ने दूकान का शटर बंद कर दिया था.. सूरज अभी अभी सुमित्रा से रातभर बाहर रहने का कोई बहाना बनाकर बिलाल की दूकान के अंदर आकर बैठा था...

बिलाल - हनी.. मैं ऊपर जा रहा हूँ तेरी भाभी अंदर है..

सूरज सर हिला कर ठीक है कहता है और नज़मा के पास आ जाता है..

नज़मा सूरज के अंदर आते ही दरवाजा बंद करके सूरज को अपनी बाहों में भरके बिस्तर पर धकेल देती है और उसके ऊपर आते हुए कहती है..
नज़मा - कब से इंतजार कर रही थी सूरज.. कोई इतना समय लगाता है वापस आने में? एक ही बार में मन भर गया है तुम्हारा मुझसे?

सूरज - काम में बिजी था नज़मा.. और बिना बुलाये कैसे आता?

नज़मा सूरज के होंठो को चूमकर - दिल लग गया है आपसे.. बताओ आज कहा से शुरु करें? आज मैं नहीं शर्माने वाली..

सूरज नज़मा के होंठो को उंगलियों से मसलकर - नज़मा.. होंठों से ही शुरू करते है..

सूरज और नज़मा दोनों एक दूसरे को चूमने लगे जैसे पंछी चोंच लड़ाते है..

चूमते चूमते दोनों एक दूसरे को नंगा करने लगते है.. सूरज नज़मा की कुर्ती और सलवार उतार देता है तो नज़मा सूरज की शर्ट और जीन्स को खोल देती है..
नज़मा चुम्बन तोड़कर सूरज के लंड को पकड़कर बाहर निकाल लेती है और मुंह में भरके चूसने लगती है.. सूरज blowjob मिलने से सुख के सागर में डूब जाता है और नज़मा सूरज का लंड चूसते हुए उसे देखकर सूरज को खुश करने के पुरे प्रयास करने लगती है..

नज़मा सूरज के लंड को पूरी सिद्दत के साथ चूस रही थी और जितना लंड वो मुंह में ले सकती थी लेकर चूस रही थी.. कुछ देर लंड चुसवाने के बाद सूरज ने नज़मा का हाथ पकड़ के अपने ऊपर खींच लिए और फिर से उसके होंठो को चूमकर नज़मा की चड्डी उतारते हुए उसकी गीली चुत में लंड घुसा कर नज़मा को चोदने लगा.. नज़मा ऐसे चुद रही थी जैसे उसे कब से इस तरह सूरज से चुदने का ही इंतजार हो.. सूरज और नज़मा की आँखे एक दूसरे को ही देख रही थी और दोनों की आँखों में काम की इच्छा बैठी थी नज़मा तो दिल से भी सूरज को अपना सब कुछ देना चाहती थी..

नज़मा चुदवाते हुए - अह्ह्ह.. सूरज आराम से.. आज किस बात की जल्दी है आपको? मैं कहीं भाग तो नहीं जाउंगी.. आहिस्ता करो ना.. दर्द होने लगा है..

सूरज प्यार से चोदते हुए - सॉरी नज़मा.. बहक गया था..

नज़मा सूरज का चेहरा चूमकर - पूरी रात आपकी बाहों में ही तो रहूंगी ना सूरज.. मिठाई को स्वाद लेकर चखा जाता है.. निगला नहीं जाता.. समझें?

सूरज - अच्छा जी? मगर मूझे तो अब घोड़ी चाहिए..

नज़मा हस्ती हुई घोड़ी बनकर - लो कर लो सवारी अपनी घोड़ी की..

सूरज नज़मा को घोड़ी बनाकर चोदने लगता है..
रातभर दोनों का मधुर मिलन पुरे चरम पर चलता रहता है..

सुबह के पांच बज चुके थे और सूरज के सीने पर नज़मा छाती के बल लेटी हुई थी उसकी आँखों में आंसू आ गए थे..

सूरज - रो क्यों रही हो?

नज़मा - आप चले जो जाओगे कुछ देर में..

सूरज - तो इसमें रोने की क्या बात है?

नज़मा - मैं तो नहीं रोना चाहती.. अपने आप आंसू आ रहे है आँखों से..

सूरज मुस्कुराते हुए - आप भी ना नज़मा भाभी.. कमाल हो..

नज़मा सूरज के होंठो को दांतो से काटते हुए - भाभी बोलोगे तो आपके होंठों को ऐसे ही काटूंगी सूरज..

सूरज हसते हुए - अब नहीं बोलूंगा.. नज़मा.. अब जाने दे..

नज़मा उदासी से - जल्दी वापस आना सूरज.. आपकी नज़मा आपका इंतजार करेगी..


***************


कितनी खूबसूरत वादिया है ना.. तुम्हे पता है बचपन से मेरा कश्मीर आने का सपना था.. आज पूरा हो गया

अब कोनसी बड़ी हो गई हो तुम? पुरे रास्ते बचकानी बात करती आई हो.. ऐसा लगता है अब भी तुम बच्ची हो.. अब यही खड़े रहकर रात बितानी है या वापस होटल भी चलना है? होटल पहुंचते पहुंचते अंधेरा हो जाएगा..

एक हेल्प करोगो मेरी?

क्या?

मुझसे वापस नीचे नहीं उतरा जाएगा.. पैरों में बहुत थकान है.. मूझे उठाकर नीचे ले जाओ ना प्लीज..

हम्म.. ठीक है पर उसके अलग से 5 परसेंट लगेंगे.. बोलो मंज़ूर है तो..

ऐसे तुम मूझे कुछ भी नहीं दोगे.. 50:50 करना था कुछ ही दिनों में 60:40 हो गया.. अब भी तुमको और प्रॉपर्टी चाहिए..

मैंने फ़ोर्स थोड़ी किया है.. तुम्हरी मर्ज़ी है..

अच्छा ठीक है.. लो उठाओ मूझे..

रमन तितली को अपने बाहों में उठाकर पहाड़ से नीचे उतरने लगता है और तितली रमन की गोद में उसका चेहरा देखती हुई सोचती है कि वापस लौटने पर वो रमन की शादी की शर्त मान लेगी और धीरे धीरे रमन को अपना बना लेगी.. उसे इन कुछ दिनों में रमन से इश्क़ हो गया था जिसका उसे अहसास था और अब वो रमन के आस पास ही रहना चाहती थी.. उसे देखकर तितली को सुकून मिलने लगा था.. तितली ने इन कुछ दिनों में रमन को और उसकी आदतो को पूरी तरह नोटिस किया था और उसके अच्छे बुरे हर पहलु से वाक़िफ़ हो रही थी..

तितली के मन की दशा से अनजान रमन का दिल भी तितली के लिए धड़कने लगा था उसे इस बात का अहसास तो अब तक नहीं हुआ था मगर वो इतना जान गया था की तितली जितनी खूबसूरत है उतनी ही प्यारी और मासूम भी.. उसकी बातों से रमन को लगाव होने लगा था ये रास्ता अगर इतने आराम से कट सका था तो वो तितली के बातूनी होने के कारण कट सका था..

लो आ गए नीचे.. अब उतरो..

ऐसे कैसे उतर जाऊ.. 5 परसेंट ले रहे हो.. गाडी तक लेके चलो मूझे ऐसे ही..

रमन तितली को बाहों में लिए गाडी तक आता हुआ - हाथों में दर्द होने लगा है..

इतनी भरी हूँ मैं?

हलकी भी तो नहीं हो..

ओ.. 50 किलो की एक लड़की को कुछ देर उठाकर नहीं सकते.. क्या फ़ायदा तुम्हारा मर्द होने का..

रमन गाडी के पास आकर तितली को उतारते हुए - आधा घंटा हो गया.. समझी.. खुद तो महारानी की तरह गोद में आराम कर रही हो.. मूझे तो ऊपर से नीचे आना पड़ा ना तुम्हे गोद में लेके.. और गाडी तक भी नहीं चल सकती.. बात करती हो..

ज्यादा दर्द कर रहे है तुम्हारे हाथ? कहो तो दबा देती हूँ.. आराम आ जाएगा..

तुम्हे डॉक्टर किसने बना दिया? नर्स भी बनने के काबिल नहीं हो..

अच्छा जी.. ऐसा बोलोगे ना तो ऐसा इंजेक्शन लगाउंगी तुम्हारे बम पर कि याद रखोगे..

रमन गाडी चलाते हुए - तुमसे इलाज कौन करवायेगा.. बीमार को और बीमार ना कर दो कहीं.. मैं दूर ही रहना पसंद करूंगा..

तितली सिगरेट जलाते हुए - तुम दूर जाओगे तो मैं तुम्हारे पास चली आउंगी.. अब तो दोस्ती भी हो गई है हमारी..

कितनी सिगरेट पीती हो यार.. कहीं तुम्हे ही अपना इलाज़ ना करवाना पड़ जाए.. डॉक्टर होकर भी अपना ख्याल नहीं रख सकती..

तितली कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए - तुम हो ना ख्याल रखने के लिए.. जब से घूमने निकले है तुम्ही मेरा ख्याल रख रहे हो.. ऐसा लगता है सच मुच के पति हो..

बना लो.. मैं तो तैयार हूँ तुम्हारा पति बनने के लिए..

और पूरी प्रॉपर्टी लेने के लिए भी.. मेरे हाथ में पकड़ा दोगे कटोरा और बोलोगे.. कुछ चाहिए तो चलो मुझसे भीख मांगो..

तो क्या हुआ.. तुम्हारी नाक छोटी हो जायेगी उसमे? पत्नी तो पति से मांगती ही है जो उनको चाहिए होता है..

तितली सिगरेट पीते हुए - एक बात बताओ.. अगर मैं शादी करू तुमसे.. तो सोओगे मेरे साथ?

रमन हसते हुए - सोना होगा तो किसी रुस्सियन के पास चला जाऊंगा.. तुम्हारे साथ क्यों सोऊंगा.. तुम तो बिस्तर में भी पक्का दोगी बोल बोल के..

तितली सिगरेट फेंकते हुए - ऐयाशी करनी ही आती है तुम्हे.. बस..

रमन - होटल आ गया.. पैरों से चलना पसंद करोगी या यहां भी गोद में उठा के ले जाना पड़ेगा डॉक्टर साहिबा को?

तितली मुस्कुराते हुए - रहने दो.. तुम और 5 परसेंट माँगने लग जाओगे..

तितली और रमन होटल के एक रूम में आ जाते है..

रमन आग के पास बैठकर हाथ सकता हुआ तितली से कहता है - एक बात बताओ.. घर पर तो अकेली सोती हो.. फिर बाहर अकेले सोने में डर क्यों लगता है तुम्हे?

तितली नाईट ड्रेस लेकर बाथरूम जाते हुए - वो सब तुम्हे क्यों बताऊ? क्या लगते हो तुम मेरे?

तुमने ही तो कहा था दोस्त है..

दोस्त हो तो दोस्त की तरह चुपचाप सोफे पर सो जाओ.. मैं तुम्हारी हर बात का जवाब नहीं देने वाली..
तितली बाथरूम जाकर नाईट ड्रेस पहनकर वापस आ जाती है और बेड पर लेट जाती है और चश्मा लगा कर फ़ोन में घुस जाती है...

रमन भी अपने कपडे बदल कर सोफे पर लेटते हुए - चश्मे में बहुत क्यूट लगती हो.. मैं बस बता रहा हूँ..

तितली - रिसेप्शन से एक्स्ट्रा ब्लेंकेट मंगवा लो... ऐसे तो बीमार हो जाओगे..

रमन - कॉल किया था.. नोट अवेलेबल कहा उन्होंने.. वैसे इतनी परवाह है तो अपना दे दो..

तितली कुछ सोचकर - फिर मैं क्या ओढ़ँगी? तुम चाहते हो मैं बीमार हो जाऊ? कितने मतलबी इंसान हो ना..

रमन - मतलबी होता तो तुम्हे सोफे पर सोना पड़ता.. हर रात.. पिछले डेढ़ हफ्ते से मूझे कभी सोफे पर तो कभी नीचे फर्श पर सोना पड़ रहा है.. और मूझे मतलबी कह रही हो..

तितली हस्ती हुई - अच्छा ठीक है.. तुम भी यहां बेड पर आ जाओ.. आज रात मज़बूरी है तो एक ब्लैंकेट से काम चला लेते है..

रमन मुस्कुराते हुए - सोच ले.. एक जवाँ मर्द को अपने बिस्तर में बुला रही हो.. कहीं कोई काण्ड ना हो जाए..

तितली हसते हुए - मूझे अगर तुम्हारा हाथ छुआ भी ना.. तो जो प्रॉपर्टी का 65:35 तय हुआ है वो वापस 100:00 हो जाएगा.. याद रखना..

रमन तितली के पास कम्बल में आकर - बहुत होट हो तुम तो.. पूरा गर्म किया हुआ है अंदर से..

तितली हस्ती हुई - सो जाओ चुपचाप.. समझे

रमन - वैसे कर क्या रही हो?

तितली फ़ोन दिखाते हुए - आज की फोटोज है.. कुछ इंस्टा पर पोस्ट की है.. देखो कितनी अच्छी तस्वीरे आई है आज..

रमन - मेरी तस्वीर क्यों पोस्ट की?

तितली - 2-3 पिक ही तो पोस्ट की है तुम्हारी.. उसमे क्या हो गया.. रियेक्ट तो ऐसे कर रहे हो जैसे कोई नंगी तस्वीर पोस्ट कर दी हो तुम्हारी.. देखो कितने प्यारे लग रहे हो.. शकल देखकर कौन कहेगा तुम पैसो के पीछे पागल हो..

रमन - कुछ भी बोलने लगी हो.. बाप की जायेदाद बेटे की ही तो होती है.. तुम कुछ ज्यादा नहीं खुल गई मेरे साथ?

तितली फ़ोन रखकर - तो? क्या करोगे तुम? रिपोर्ट लिखाओगे मेरे खिलाफ?

रमन का मन तितली को इस वक़्त चुम लेने का हो रहा था मगर वो अपने आप पर काबू रखने को मजबूर था और नहीं चाहता था कुछ ऐसा वैसा करें.. मगर तितली तो दुआ करने लगी थी की रमन कोई पहल करें और दोनों मोहब्बत के सागर में कश्ती हाँकने लगे.. मगर ऐसा हुआ नहीं.. दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे और चुप थे.. फिर रमन ने करवट बदल ली और बोला - गुडनाईट..

रमन से गुडनाइट सुनकर तितली का मुंह उतर गया उसे लगा था की रमन शायद उसे चुम लेगा और अपनी बाहों में भरके उसके साथ आज रात प्यार मोहब्बत की हद तक आ जाएगा.. मगर ऐसा हुआ नहीं..

दिल पर पत्थर रखकर तितली ने भी कहा - गुडनाइट...
तितली की आँखों में नींद नहीं थी.. वो रमन को देखकर कभी प्यार से भर जाती तो कभी उसकी तरफ देखकर रमन को मन ही मन गालिया देते हुए उसकी ऐसी हालात करने का दोष देकर कोसने लगती..

तितली की मोहब्बत रमन के लिए बढ़ती जा रही थी और तितली अच्छे से इस बात को जानती थी उसे रमन से इन कुछ दिनों में इश्क़ हो गया था.. ये जानते हुए भी कि रमन उसका सौतेला भाई है.. तितली रमन के साथ जीने के ख़्वाब देखने लगी थी और अब उसने रमन के मुताबिक खुदको ढालने का निर्णय ले लिया था.. पूरी रात रमन उसी तरह सोता और नींद में भी उसका हाथ तितली को नहीं छुआ.. तितली चाहती थी की कम से कम नींद में ही रमन उसके साथ कोई छेड़खानी करें मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं..

सुबह रमन की आँख खुली तो उसने देखा तितली नहाकर बाथरूम से बाहर आइ है और उसके बाल उसकी कमर तक ऐसे लहरा रहे थे जैसे नागिन हो.. तितली ने एक आसमानी रंग का लाहौरी सूट पहना था जिसमे वो गज़ब की खूबसूरत लग रही थी..

तितली ने रमन को जागते देखा तो रूम में रखे सामान से एक कप चाय बनाकर रमन को देते हुए बोली - नहा लो.. आज वापस घर के लिए निकलना था ना..

रमन चाय लेकर पीते हुए - थैंक्स..
रमन चाय पीकर नहाने चला जाता है ब्रश वगैरा करके नहाकर बाहर आ जाता है आज उसने जान बूझकर सिर्फ तौलिया अपने बदन पर लपेटा था और कमर से ऊपर वो नंगा था.. तितली ने पहली बार तिरछी नज़रो से रमन को घुरा था और वो उसके गठिले सुन्दर शरीर को आँखों से भोग रही थी.. रमन ने जल्दी से कपड़े पहने फिर तितली के साथ होटल में ही खाना खाकर अपना सामान उठाकर तितली के साथ बाहर गाडी में आकर बैठ गया...
रमन गाडी चलाने लगा और अब काफी देर तक दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई....

तितली ने काफी देर बाद रमन को देखकर कहा - मोन वर्त है तुम्हारा आज?

नहीं तो.. क्यों?

तो कुछ बात करो ना.. इतना चुप क्यों हो? बोर हो रही हूँ..

ऐसा है.. मैं तुम्हे इंटरटेन करने के लिए यहां नहीं लाया हूँ समझी? अभी मेरा मन नहीं है कुछ बोलने का.. जब होगा तब बोलूंगा..

तितली सिगरेट होंठों पर लगाती है तो रमन सिगरेट छीनकर बाहर फेंकता हुआ कहता है - और बार बार ये सिगरेट पीना बंद करो.. बीमार हो जाउंगी तो मूझे ही संभालना पड़ेगा..

तितली मुस्कुराते हुए - लगता है दिल आ गया जनाब का मुझ पर.. क्या बोलते थे? छिनाल.. गोल्डडीग्गर.. अब इतना ख्याल रखने लगे हो मेरा..

तुम्हारी गलतफहमी है.. मैं कोई ख्याल नहीं रख रहा बस बिना किसी परेशानी के घर पहुंचना चाहता हूँ.. फिर शान्ति संभाल लेगी तुम्हे..

तितली हसते हुए - मैं अपना ख्याल रख सकती हूँ.. कम से कम गाने तो चला दो इसमें..

तुम ही चला लो..

तितली एक पुराना गाना चलाते हुए - तुम्हारे लिए चलाती हूँ.. लो सुनो.. मैं तो बेघर हूँ.. अपने घर ले चलो.. घर में मुश्किल.. तो दफ़्तर ले चलो..

रमन मुस्कुराते हुए - पागल हो तुम..

तितली हसते हुए - और तुम पैसो के लिए एक पागल से शादी करना चाहते हो..

रमन - बार बार वही बात क्यों लाती हो?

तितली - सच ही तो कहती हूँ.. कुछ गलत तो नहीं कहा मैंने..

रमन - तो तुम ही छोड़ ना प्रॉपर्टी.. तुम क्यों पीछे पड़ी हो प्रॉपर्टी के?

तितली - और बिना पैसो के क्या करु? साध्वी बन जाऊ?

रमन - वो सब तुमसे नहीं हो पायेगा.. तुम मेरी PA बन जाना.. सारा काम संभाल लेना.. जो सेलेरी लेना चाहो ले लेना..

तितली - और मैं कोर्ट में केस करके पूरी प्रॉपर्टी लेकर तुम्हे अपना PA बना लू तो? आईडिया तो वो भी अच्छा है.. बोलो बनोगे मेरे PA?

रमन - उससे अच्छा तो मैं यहां किसी नदी में कूद जाऊ और जान दे दू...

तितली गुस्से में - रमन... क्या कुछ भी बोलते हो.. तुमसे बात ही नहीं करनी मूझे..

रमन - तुम्हे क्या हो गया एक दम से?

तितली सिगरेट जलाकर कश लेते हुए - कुछ नहीं.. तुम्हे बात नहीं करनी ना.. कुछ नहीं बोलूंगी मैं अब..

रमन - हुआ क्या है?

तितली बाहर देखते हुए - कुछ नहीं..

तितली रमन के खुदखुशी करने की बात पर उससे नाराज़ हो गई थी भले ही रमन ने ये बात यूँही कही थी मगर तितली को वो मज़ाक़ भी पसंद नहीं आया था उसे रमन से प्यार हो गया था और वो उसके लिए अब कुछ भी बुरा सुनने को तैयार नहीं थी.. रमन के खुदके मुंह से भी नहीं.. रमन गाडी चला रहा था और तितली सिगरेट के कश लगाते हुए रमन के साथ जिंदगी बिताने के ख़्वाब देखने लगी थी.. कुछ ही दिनों में रमन और तितली वापस घर लौट आये..

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
चलो जयप्रकाश के फाईल गुम हो जाने का मसला निपट गया
गरीमा हनी से बात ना हो पानें से बेचैन होने के साथ अब अपने आप से सम्झौता कर लिया हैं
सुमित्रा और हनी के बीच की गाडी अब गिअर बदल कर अपने अंजाम की ओर बढ रही है आज तो सुमित्रा ने हनी अपने हाथ से मुठ मार दी
तितली और रमन के बीच भी नोंकझोंक के साथ साथ एक दुसरे के प्रति आकर्षण भी बढ रहा हैं तितली सब समझ रहीं हैं वही रमन ये प्रेम नहीं समझ पा रहा बातों बातों में तितली उसे शादी का निमंत्रण भी दे दिया
नजमा भी हनी के लिये दिवानगी जता चुकीं हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Danny69

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जयप्रकाश जी आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी पहले तो मीटिंग टल गई तो बच गए.. अब कल मीटिंग में अब क्या करूंगी मैं? आपने इतनी इम्पोर्टेन्ट फ़ाइल खो दी..

मैडम मैंने टेबल पर ही रखी थी.. अक्सर वहा से कुछ नहीं खोता मगर ये फ़ाइल ना जाने कैसे गुम हो गई..
मैं कुछ नहीं जानती जयप्रकाश जी.. आपके ऊपर पर मूझे अब करवाई करनी होगी वरना इसे मेरा फैलियर समझा जाएगा.

मैडम आप ऐसा मत कहिये.. मैंने आज तक कोई लापरवाही नहीं की है.. ये पहली बार है.

मैं कुछ नहीं जानती मे लिखित मे जवाब दो

चपरासी - मैडम आप येल्लो फ़ाइल के बारे में पूछ रही है क्या?

गुनगुन - हाँ क्यों तुम्हे पता है वो फ़ाइल कहा है?

चपरासी - जी मैडम.. उस दिन जयप्रकाश जी ने वो फ़ाइल टेबल पर रखी थी और मैं छूटी पर जा रहा था इसलिए मैंने सब चीज जगह पर रख दी थी.. मगर वो फ़ाइल गलती से मैं अपने सामान के साथ घर ले गया था.. आज वापस आया तो पता चला आप कोई फ़ाइल ढूंढ रही है.. वो फ़ाइल मेरे पास है.. मैं अभी घर से ले आता हूँ.

गुनगुन - आप फ़ोन पर ये बात नहीं बता सकते थे.. खाम्मखा जयप्रकाश जी को मैंने कितना कुछ भला बुरा कह दिया.. जाइये जल्दी लेकर आइये वो फ़ाइल.

जयप्रकाश चपरासी से - जा जल्दी..

गुनगुन - जयप्रकाश जी.. मैंने जो भी आपसे कहा उसे आप मेरी गलती समझके माफ़ कर दीजियेगा.. आप मुझसे उम्र में इतने बड़े है मूझे आपसे इतनी बदतमीजी से बात नहीं करनी चाहिए थी.

जयप्रकाश - कोई बात नहीं मैडम..


**************

सूरज आज विनोद के साथ उसके ऑफिस चला गया था और उसने वही पर जॉब के लिए हामी भी भर दी थी.. अगले दिन से उसने काम करना भी शुरु कर दिया.. आज पूरा दिन सूरज ऑफिस में बैठा काम कर रहा था.. शाम के 6 बजे उसने अपना काम समेटा और ऑफिस से बाहर आ गया..

हनी..

हाँ भईया?

हनी मूझे अचानक से ऑफिसटूर पर जाना पड़ेगा दो दिन के लिए.. तू मेरी बाइक लेके घर चला जा और पापा को बता देना.

ठीक है भईया.

हनी घर आ जाता है..

आ गया? विनोद कहा है?

भईया को ऑफिस टूर पर चले गए दो दिन तक बाहर ही रहेंगे..

लो बताओ.. तेरे पापा को भी उनकी मैडम अपने साथ मीटिंग के लिए जयपुर ले गई.. दोनों एक साथ ही गए है..

छोडो ना माँ.. आ जाएंगे.. आज सुबह से चेयर पर बैठे बैठे बदन अकड़ गया है.. एक कप अदरक वाली चाय पीला दो...

सुमित्रा प्यार से - तू कपड़े बदल कर हाथ मुंह धोले मैं अभी बनाके लाती हूँ..

सूरज ऊपर जाते हुए - हाथ मुंह धोने से काम नहीं चलेगा माँ.. नहाना पड़ेगा..

सूरज नहाने के बाद लोवर टीशर्ट डाल लेता है और तभी सुमित्रा चाय का कप हाथ में लेकर उसके कमरे में आ जाती है..

सुमित्रा - ले बेटू.. चाय पिले..

सूरज का कप लेकर - थैंक्स माँ..

सुमित्रा - केसा रहा काम का पहला दिन..

सूरज चाय पीता हुआ - बताया तो.. बहुत बोरिंग.. मूझे तो समझ नहीं आता भईया कैसे पूरा दिन कुर्सी पर बैठे रहते है..

सुमित्रा - थोड़े दिनों में तेरी भी आदत हो जायेगी बेटू.. अच्छा खाने में क्या बनाऊ?

सूरज चाय का कप रखकर सुमित्रा को बाहो में भरते हुए - कुछ बनाने की जरुरत नहीं है.. आज आप और मैं बाहर खाना खाके आएंगे..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए सूरज के बालों में हाथ फेरकर - चलो अच्छा है कम से कम एक दिन तो घर के काम से छूटी मिलेगी मूझे.. मगर तू कुछ अच्छा तो पहन.. इतना हैंडसम बेटा पैदा किया है मैंने.. हमेशा बस ये टीशर्ट और लोवर पहन के रखता है..

सूरज सुमित्रा को बाहों से आजाद करते हुए - आप नीचे चलो मैं कपड़े बदल के आता हूँ..

सूरज टीशर्ट और लोवर उतारकर एक जीन्स और चेक शर्ट पहन लेता है जिसमे काफी आकर्षक लगता है..

माँ चलो...

सुमित्रा - अब देख कितना प्यारा लग रहा है.. जैसे कोई हीरो हो..

सूरज - इतनी तारीफ़ मत करो.. कभी खुदको आईने में देखा है आपने? अभी भी कितनी अच्छी दिखती हो.. मगर आप तो पापा की तरह खुदको भी बुड्ढा समझ बैठी हो..

सुमित्रा हसते हुए - अच्छा बस बस.. रुक मैं पर्स लेके आती हूँ..

सूरज सुमित्रा को एक रेस्टोरेंट में लेके आ जाता है.. जहाँ की चकाचोध सुमित्रा देखते ही हैरान हो जाती है..

हनी.. ये रेस्टोरेंट है या महल?

पहले हवेली थी माँ.. अब रेस्टोरेंट बना दिया इसे.. खाना अच्छा मिलता है यहां.. बैठो..

सुमित्रा और सूरज रेस्टोरेंट के फर्स्ट फ्लोर पर एक टेबल पर बैठ जाते है और सुमित्रा आस पास के लोगों को और नजारो को देखने लगती है फिर पास में एक लड़की को शार्ट स्कर्ट मे सिगरेट पीते देख सूरज से कहती है..

हाय रे.. आजकल की लड़कियों को तो कोई शर्म ही नहीं है खुले आम सिगरेट पिने लगी है.. वो ऐसे छोटे छोटे कपडे पहन कर.. पाता नहीं इनके माँ बाप कैसे झेलते होंगे ऐसी लड़कियों को? देखने में किसी भले घर की लगती है पर हरकतें देखो.. ना कोई शर्म ना लिहाज़..

सूरज हसते हुए - आप भी ना माँ.. ये सब तो बहुत आम है.. और आपने कभी मूझे तो इतना कुछ नहीं बोला जब पकड़ा था सिगरेट पीते हुए छत पर..

अरे तेरी बात और है.. तू लड़का है.. मगर लड़कियों को तो कायदे से रखना चाहिए.. किस काम की ऐसी खुली आज़ादी.. जो बिगाड़ कर रख दे..

मतलब आप कह रही हो कि सिगरेट पिने वाली लड़किया बिगड़ी हुई होती है.. यही ना?

और क्या... कौन भला समझेगा ऐसी लड़कियों को? ना परिवार का डर, ना समाज का.. घर कैसे बसाएगी ये?

रहने दो माँ.. अब टाइम बदल चूका है.. सबको अपने मन की करने की आजादी है.. आप नहीं पीती इसका मतलब ये तो नहीं कि आप किसी और को भी ना पिने दो.. उसकी मर्ज़ी वो जो करें.. आपकी मर्ज़ी जो आप करो..

वेटर - सर आर्डर?

हाँ.. ये सब ले आओ.. माँ कुछ और मांगना है?

नहीं ठीक है...

वेटर चला जाता है..

सुमित्रा - मेरी मर्ज़ी जो मैं करू.. अच्छा? कल को मेरी मर्ज़ी बोलके मैं घर छोड़ जाऊ तो तेरे पापा जाने देंगे मूझे?

यार माँ कहा की बात कहा ले जा रही हो.. मैं बस इतना कह रहा हूँ.. आपको सिगरेट पीनी है तो आप भी पी लो.. उसमे क्या प्रॉब्लम है? उसको पीनी है वो पी रही है.. बस..

हम्म.. मैं सिगरेट पी लू.. ताकि तेरे पापा और बुआ मिलकर मेरा जीना हराम कर दे.. यही कहना चाहता है ना तू?

तो किसने कहा उनके सामने पियो.. छिपकर पी सकती हो अगर आपको पीनी है.. आपको पापा और बुआ का डर है उस लड़की को किसी का नहीं है.. अपनी अपनी लाइफ है माँ.. क्यों इतनी फ़िक्र करनी..

वेटर - सर योर आर्डर..
वेटर खाना रखकर चला जाता है..

लो माँ.. शुरु करो..
सूरज और सुमित्रा खाना खा लेते है और वापस घर आने को चल पड़ते है तभी सुमित्रा सूरज से कहती है - हनी.. अगर मैं सिगरेट पिऊ तो तू कुछ नहीं कहेगा?

मैं क्या कहूंगा? आपकी चॉइस है वो.. इसमें मेरा क्या लेना देना.. हाँ.. अगर आप जरुरत से ज्यादा कुछ करती हो तो मूझे समझाना पड़ेगा आपको..

ठीक है तो तू मूझे सिगरेट पीना सिखाएगा आज.. मैं भी तो देखूँ ऐसा क्या मज़ा मिलता है सिगरेट पिने में लोगों को?

मज़ा नहीं मिलता माँ.. लोग शौक के लिए पीते है.. कुछ लोग डिप्रेशन में पीते है.. कुछ ऐसे ही..

तेरे पास घर पर सिगरेट है?

नहीं.. मैं कहा रखता हूँ. मैंने तो छोड़ दिया है.. घर पर नहीं है.. पर आपको सच में पीनी है?

तो क्या मैं मज़ाक़ कर रही हूँ तुझसे?

ठीक है मैं रास्ते से ले लेता हूँ..
सूरज बाइक रोक कर एक पनवाड़ी से एक अल्ट्रा माइल्ड का पैकेट और लाइटर ले आता है और सुमित्रा के साथ घर पहुंच जाता है..

घर के अंदर आने के बाद सूरज सुमित्रा से - माँ लो.. मैं ऊपर जा रहा हूँ सोने..

सुमित्रा सूरज का हाथ पकड़ के अपने बैडरूम में लाती हुई - ऊपर क्यों जा रहा है हनी.. आज मेरे साथ यही सोजा.. चल..

ठीक है माँ.. कपड़े तो बदल के आने दो.. मूझे कन्फर्ट होना है..

ठीक जा.. जल्दी आना..

सुमित्रा सिगरेट लाइटर रख देती है और अपनी साड़ी निकाल देती है.. फिर कुछ सोचती है और बाथरूम में जाकर सुमित्रा अपने ब्लाउज को खोलकर अपनी ब्रा उतार देती है और ब्लाउज वापस पहन लेती है जिसमे से उसके बूब्स और निप्पल्स आकर्षक लग रहे थे.. सुमित्रा सूरज को अपना बदन दिखाना चाहती थी उसी के लिए उसने इतना सब किया था..

सूरज वापस टीशर्ट और लोवर पहन कर सुमित्रा के बेडरूम में आता है और अपनी माँ को ऐसे देखकर मुस्कुराते हुए कहता है - क्या बात है माँ.. पापा अगर आपको ऐसे देख लेते तो पक्का उनकी तोप आपको सलामी दे देती है..

सुमित्रा सिगरेट लाइटर उठाकर सूरज के पास आती हुई - उनकी तोप तो जंग खा चुकी थी है.. तू ये बता इसे पीते कैसे है?

सूरज सुमित्रा से सिगरेट और लाइटर ले लेता है और फिर सुमित्रा के पीछे जाकर उसे बाहों में भरते हुए कहता है - माँ.. सबसे पहले तो आपको पैकेट से सिगरेट निकालकर अपने इन गुलाबी होंठों पर लगानी पड़ेगी ऐसे.. फिर इस लाइटर से जलानी पड़ेगी.. ऐसे.. अब कश अंदर खींचकर धुआँ बाहर छोड़ना पड़ेगा...

सुमित्रा पहले कश में खाँसने लगती है..

सूरज - आराम से माँ.. हल्का हल्का कश खींचो.. हाँ ऐसे.. लो सिख गई आप तो.. कोई बड़ी बात तो थी ही नहीं इसमें..

सुमित्रा सिगरेट का कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए - अब तू मूझे ऐसे ही पीछे से पकड़ के मत खड़ा रह... कहीं तेरी तोप ना सलामी देने लग जाए मूझे..

सूरज सुमित्रा को पलटकर आगे से बाहों में भरता हुआ - अब ऐसे बिना ब्रा के ब्लाउज पहनोगी तो कुछ भी हो सकता है माँ..

सुमित्रा हसते हुए सिगरेट का कश लेकर - माँ के हाथ का एक थप्पड़ पड़ेगा ना तो सारा भुत उतर जाएगा.. समझा? अब क्या रातभर मूझे ऐसे बाहों में लेकर खड़ा रहेगा तू?

सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था.. उसे आज पहली बार सुमित्रा के खिलखिलाकर हसते चेहरे में आपनी माँ नहीं बल्कि एक खूबसूरत जवाँ औरत दिखाई देरही थी जो अपनी पति के बुड्ढे हो जाने के कारण सालों से प्यासी थी.. सुमित्रा का हुस्न सूरज को बहकने पर मजबूर कर रहा था.. जिसे सूरज समझ रहा था और उसने अपने पर काबू रखते हुए
सुमित्रा को बाहों से आजाद कर दिया और बेड पर लेटते हुए बोला - लाइट बंद कर देना माँ..


सुमित्रा ने सिगरेट के कश लेगाते हुए लाइट ऑफ करके अपने फ़ोन की टॉर्च ऑन करके फ़ोन को उल्टा रख दिया ताकि कमरे में कुछ रौशनी रहे.. फिर सूरज के करीब आकर लेटते हुए कहा - नींद आ रही है बेटू?

सूरज सुमित्रा के करीब खिसक कर सुमित्रा का हाथ पकड़ कर चूमते हुए - नहीं.. मूझे देर से सोने की आदत है माँ.. आप सोजाओ..

सुमित्रा सिगरेट बुजाकर अपना हाथ सूरज की गर्दन के नीचे से लेजाकर उसे अपनी तरफ झुकाते हुए - किसका फ़ोन आ रहा है?

कोई नहीं है माँ सो जाओ..

बात तो कर ले.. बेटू.. इम्पोर्टेन्ट होगा..

नहीं माँ.. इम्पोर्टेन्ट नहीं है..

ला मूझे दे फिर मैं बात करती हूँ..

नहीं माँ.. रहने दो अपने आप कट जायेगा..

सुमित्रा सूरज का फ़ोन लेकर फ़ोन उठा लेटी है..

सामने से एक लड़की - हेलो हनी..

सुमित्रा - कौन?

लड़की फ़ोन काट देती है..

सुमित्रा - कौन थी ये?

सूरज - चिंकी थी.. सुबह से फ़ोन कर रही है.. मैंने कह दिया बिजी हूँ.. फिर भी नहीं सुन रही थी..

सुमित्रा - अब परेशान करें तो बता देना इसे अच्छे से समझा दूंगी..

सूरज हसते हुए - परेशान नहीं कर रही माँ.. बेचारी बहुत ख्याल रखती है मेरा.. वापस जाने से पहले मिलना चाहती है एक बार..

सुमित्रा गुस्से से - मिलना चाहती है या सोना चाहती है तेरे साथ?

सूरज हसते हुए - आपको जलन हो रही है ना? सच बताना?

सुमित्रा - मैं क्यों जलने लगी किसी से? वो भी उस चिंकी से..

सूरज सुमित्रा को बाहों में भरके अपने ऊपर खींचते हुए - झूठ बोलते वक़त ना आपके होंठो कापने लगते है..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए - तुझे शर्म वर्म है या नहीं.. अपनी माँ को अपने ऊपर लेटा रखा है तूने.. छोड़ मूझे..

सूरज मुस्कुराते हुए - लेटा ही तो रखा है माँ.. कोनसा आपके खेत में हल चला दिया मैंने..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए - तेरा क्या भरोसा? हल भी चला दे और फसल ऊगा के मेरा पेट भी फुला दे..

सूरज सुमित्रा को अपने नीचे लेकर उसके ऊपर आता हुआ - आप इज़ाज़त दोगी तो वो भी हो जाएगा माँ.. आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी..

सुमित्रा - तेरे पापा और भैया को क्या कहूँगी? कि ये फसल कौन ऊगा गया फिर?

सूरज - वो आप जानो.. मूझे उससे क्या मतलब..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए - वाह जी वाह कितना फरेबी है तू.. सो जा अब चुपचाप से.. वरना तेरी तोप पर ताला लगा दूंगी..

सूरज सुमित्रा के गाल चूमते हुए - माँ नियत खराब हो रही है मेरी..

सुमित्रा हसते हुए - मुझे सब महसूस हो रहा है.. जाकर पहले बाथरूम में इसे शांत करके आ.. वरना रात को तेरा क्या भरोसा.. आधी रात को अपनी माँ पर है चढ़ाई शुरु कर दे..

सूरज - पर शांत करू किसके नाम पर?

सुमित्रा - तुझे जिसके नाम पर करना है कर ले.. अपना फ़ोन लेजा.. नेट पर देख लाना किसी को..

सूरज उदासी का नाटक करते हुए - ऐसे नहीं होगा..

सुमित्रा - तो क्या मैं पकड़कर शांत करू तुझे?

सूरज - आईडिया बुरा नहीं है.. चलो आप है कर देना..

सुमित्रा के तन बदन में सूरज कि मुट्ठी मारने का ख्याल करेंट कि तरह दौड़ गया और वो झट से खड़ी होकर सूरज का हाथ पकड़ कर उसे बाथरूम ले गयी और बोली - किसी सेइस बारे मे कहा ना तो देख लेना..

सूरज सुमित्रा के बूब्स देखते हुए लोवर सरका देता है जिससे सूरज का लंड थप्पड़ की तरह घुटनो पर बैठी सुमित्रा के गाल पर पड़ता है जो पूरा खड़हुआ था जिसे देखकर सुमित्रा की आँखे चमक जाती है..

सुमित्रा लंड पकड़ कर हिलाते हुए कहती है - अपनी माँ से ये सब करवा रहा है.. तुझे नर्क मिलेगा..

सूरज सुमित्रा के कंधे पर हाथ रखकर - अह्ह्ह माँ.. साथ में जाएंगे.. वहा भी शांत कर देना.. कितने मुलायम हाथ है आपके..

सुमित्रा लंड हिलाते हुए उसी लंड से चुदने के ख्याल लेती है और कामुक होकर जोर जोर से सूरज का लंड हिलाने लगती है जिससे सुमित्रा की चुडिया खन खन करके बजने लगती है..

सूरज हसकर फ़ोन से सुमित्रा का वीडियो बनाते हुए - माँ बिलकुल पोर्नस्टार लग रही हो..

सुमित्रा सूरज को फ़ोन के साथ देखकर गुस्से मे लंड हिलाना छोड़कर बाथरूम से बाहर जाते हुए - फोटो क्यों ले रहा है तू? अपने हाथ से कर ले मैं नहीं करने वाली अब...

सुमित्रा जैसे ही खड़ी होती है सूरज फ़ोन रखकर सुमित्रा को बाहो मे भर लेता है और कहता है - अच्छा सॉरी.. आप नाराज़ मत हो.. डिलीट कर दूंगा ना अभी.. प्लीज..

सुमित्रा वापस घुटनो पर आते हुए - अब फ़ोन के हाथ लगाया तो देख लेना तू..

सुमित्रा वापस लंड हिलाने लगती है वही सूरज अपनी मा को देखते हुए कामुकता से कुछ सोचने लगता है की तभी सूरज के फ़ोन पर जयप्रकाश का फ़ोन आ जाता है..

सूरज पहिने उठाकर - हेलो..

हाँ हनी.. तेरी मम्मी कहाँ है? फ़ोन नहीं उठा रही..

सूरज सुमित्रा को लंड हिलाता देखकर - मम्मी साथ ही है पापा.. रुको बात करता हूं..

सूरज सुमित्रा को फ़ोन देते हुए - लो पापा का फ़ोन है बात करो..

सुमित्रा लंड हिलाना छोड़कर हैरानी से - हेलो..

सुमित्रा?

जी बोलिये?

सुमित्रा.. दीदी का फ़ोन आया था.. परसो मुन्ने के जन्मदिन का कार्यक्रम है.. कल कुछ अच्छा सा तोहफा ले लेना..

ठीक है जी.. आपने खाना खाया ना?

हां खा लिया.. सुमित्रा..

सुमित्रा और जयप्रकाश आपस मे बात कर रहे थे वही सूरज ने अब लंड अपने हाथ से पकड़ लिया था और सुमित्रा के मुँह पर टारगेट करके अपने लंड को हिलाते हुए मुठ मार रहा था सूरज ने सुमित्रा और जयप्रकाश की बात ख़त्म होने से पहले ही सुमित्रा के चेहरे को अपने वीर्य की गाडी गाडी धार से अलंस्कृत कर दिया.. सुमित्रा शर्म और गुस्से के मिश्रित भाव से भरकर रह गई और फ़ोन चालू होने के कारण सूरज को कुछ बोल ना पाई..

सूरज झड़ने के बाद अपने आपको ठीक करके बाहर आ जाता है..

सुमित्रा फ़ोन कट होने पर बाथरूम बंद कर देती है और सूरज ने जो वीर्य गिराया था उसे कुतिया बनकर जीभ से चाटने लगती है उसे हवस का नशा चढ़ गया था और बाथरूम के अंदर वो अपनी चुत में ऊँगली करते हुए सूरज का वीर्य चाट रही थी.. कुछ देर बाद वो भी शांत होकर बाहर आ गई और सूरज के पास आ कर लेट गई..

सूरज ने सुमित्रा के अपनी बाहो मे कस लिया और सुमित्रा की गर्दन पर चूमकर वैसे ही सो गया सुमित्रा भी बिना कुछ बोले कामसुःख के पहले पायदान पर मुस्कुराते हुए सूरज की बाहो मे चैन की नींद सो गई..


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गरिमा को इंतज़ार करते हुए अब कुछ दिन हो गए थे उसका दिल अब दुखने लगा था वो मन ही मन सूरज को चाहने लगी थी और उससे बात ना हो पाने के कारण उसका मन उसे दुखी कर रहा था.. गरिमा भी अपनी ज़िद छोड़कर आगे से सूरज से बात नहीं करना चाहती थी.. उसकी ज़िद उसीको परेशान कर रही थी एक हफ्ते से ज्यादा का समय हो चूका था और सूरज और गरिमा के बीच कोई बात नहीं हुई थी.. सूरज को तो गरिमा की इतनी याद नहीं आती मगर गरिमा सिर्फ उसीको याद कर रही थी.. मगर उसने भी अब अपने मन को समझाना शुरु कर दिया था और सूरज का ख्याल छोड़ने का मन बना लिया था.. मगर इश्क़ के हाथों मजबूर गरिमा की जवानी अब सूरज के नाम पर मचलने लगी थी..

सूरज अपने भाई विनोद के साथ ही उसके ऑफिस में काम करने लगा था.. और काम की वजह से वो बिजी भी रहने लगा था सुबह से शाम ऑफिस में होने के कारण उसका समय बंध गया और उसका लोगों से मिलना जुलना बंद हो गया था..

नज़मा उस रात के बाद से सूरज को अपना मान बैठी थी.. हालांकि उसे पता था सूरज उसे कभी हासिल नहीं हो पायेगा.. मगर आज की रात वो सूरज से मिलकर उसे अपने दिल का हाल बयान करना चाहती थी.. बिलाल ने उसकी अम्मी को वापस मामू को भेज दिया था और सूरज को कॉल करके आज आने के लिए कहा था.. नज़मा का मन मचल रहा था उसे बेसब्री से सूरज का इंतजार था.. रात के 10 बजे थे और बिलाल ने दूकान का शटर बंद कर दिया था.. सूरज अभी अभी सुमित्रा से रातभर बाहर रहने का कोई बहाना बनाकर बिलाल की दूकान के अंदर आकर बैठा था...

बिलाल - हनी.. मैं ऊपर जा रहा हूँ तेरी भाभी अंदर है..

सूरज सर हिला कर ठीक है कहता है और नज़मा के पास आ जाता है..

नज़मा सूरज के अंदर आते ही दरवाजा बंद करके सूरज को अपनी बाहों में भरके बिस्तर पर धकेल देती है और उसके ऊपर आते हुए कहती है..
नज़मा - कब से इंतजार कर रही थी सूरज.. कोई इतना समय लगाता है वापस आने में? एक ही बार में मन भर गया है तुम्हारा मुझसे?

सूरज - काम में बिजी था नज़मा.. और बिना बुलाये कैसे आता?

नज़मा सूरज के होंठो को चूमकर - दिल लग गया है आपसे.. बताओ आज कहा से शुरु करें? आज मैं नहीं शर्माने वाली..

सूरज नज़मा के होंठो को उंगलियों से मसलकर - नज़मा.. होंठों से ही शुरू करते है..

सूरज और नज़मा दोनों एक दूसरे को चूमने लगे जैसे पंछी चोंच लड़ाते है..

चूमते चूमते दोनों एक दूसरे को नंगा करने लगते है.. सूरज नज़मा की कुर्ती और सलवार उतार देता है तो नज़मा सूरज की शर्ट और जीन्स को खोल देती है..
नज़मा चुम्बन तोड़कर सूरज के लंड को पकड़कर बाहर निकाल लेती है और मुंह में भरके चूसने लगती है.. सूरज blowjob मिलने से सुख के सागर में डूब जाता है और नज़मा सूरज का लंड चूसते हुए उसे देखकर सूरज को खुश करने के पुरे प्रयास करने लगती है..

नज़मा सूरज के लंड को पूरी सिद्दत के साथ चूस रही थी और जितना लंड वो मुंह में ले सकती थी लेकर चूस रही थी.. कुछ देर लंड चुसवाने के बाद सूरज ने नज़मा का हाथ पकड़ के अपने ऊपर खींच लिए और फिर से उसके होंठो को चूमकर नज़मा की चड्डी उतारते हुए उसकी गीली चुत में लंड घुसा कर नज़मा को चोदने लगा.. नज़मा ऐसे चुद रही थी जैसे उसे कब से इस तरह सूरज से चुदने का ही इंतजार हो.. सूरज और नज़मा की आँखे एक दूसरे को ही देख रही थी और दोनों की आँखों में काम की इच्छा बैठी थी नज़मा तो दिल से भी सूरज को अपना सब कुछ देना चाहती थी..

नज़मा चुदवाते हुए - अह्ह्ह.. सूरज आराम से.. आज किस बात की जल्दी है आपको? मैं कहीं भाग तो नहीं जाउंगी.. आहिस्ता करो ना.. दर्द होने लगा है..

सूरज प्यार से चोदते हुए - सॉरी नज़मा.. बहक गया था..

नज़मा सूरज का चेहरा चूमकर - पूरी रात आपकी बाहों में ही तो रहूंगी ना सूरज.. मिठाई को स्वाद लेकर चखा जाता है.. निगला नहीं जाता.. समझें?

सूरज - अच्छा जी? मगर मूझे तो अब घोड़ी चाहिए..

नज़मा हस्ती हुई घोड़ी बनकर - लो कर लो सवारी अपनी घोड़ी की..

सूरज नज़मा को घोड़ी बनाकर चोदने लगता है..
रातभर दोनों का मधुर मिलन पुरे चरम पर चलता रहता है..

सुबह के पांच बज चुके थे और सूरज के सीने पर नज़मा छाती के बल लेटी हुई थी उसकी आँखों में आंसू आ गए थे..

सूरज - रो क्यों रही हो?

नज़मा - आप चले जो जाओगे कुछ देर में..

सूरज - तो इसमें रोने की क्या बात है?

नज़मा - मैं तो नहीं रोना चाहती.. अपने आप आंसू आ रहे है आँखों से..

सूरज मुस्कुराते हुए - आप भी ना नज़मा भाभी.. कमाल हो..

नज़मा सूरज के होंठो को दांतो से काटते हुए - भाभी बोलोगे तो आपके होंठों को ऐसे ही काटूंगी सूरज..

सूरज हसते हुए - अब नहीं बोलूंगा.. नज़मा.. अब जाने दे..

नज़मा उदासी से - जल्दी वापस आना सूरज.. आपकी नज़मा आपका इंतजार करेगी..


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कितनी खूबसूरत वादिया है ना.. तुम्हे पता है बचपन से मेरा कश्मीर आने का सपना था.. आज पूरा हो गया

अब कोनसी बड़ी हो गई हो तुम? पुरे रास्ते बचकानी बात करती आई हो.. ऐसा लगता है अब भी तुम बच्ची हो.. अब यही खड़े रहकर रात बितानी है या वापस होटल भी चलना है? होटल पहुंचते पहुंचते अंधेरा हो जाएगा..

एक हेल्प करोगो मेरी?

क्या?

मुझसे वापस नीचे नहीं उतरा जाएगा.. पैरों में बहुत थकान है.. मूझे उठाकर नीचे ले जाओ ना प्लीज..

हम्म.. ठीक है पर उसके अलग से 5 परसेंट लगेंगे.. बोलो मंज़ूर है तो..

ऐसे तुम मूझे कुछ भी नहीं दोगे.. 50:50 करना था कुछ ही दिनों में 60:40 हो गया.. अब भी तुमको और प्रॉपर्टी चाहिए..

मैंने फ़ोर्स थोड़ी किया है.. तुम्हरी मर्ज़ी है..

अच्छा ठीक है.. लो उठाओ मूझे..

रमन तितली को अपने बाहों में उठाकर पहाड़ से नीचे उतरने लगता है और तितली रमन की गोद में उसका चेहरा देखती हुई सोचती है कि वापस लौटने पर वो रमन की शादी की शर्त मान लेगी और धीरे धीरे रमन को अपना बना लेगी.. उसे इन कुछ दिनों में रमन से इश्क़ हो गया था जिसका उसे अहसास था और अब वो रमन के आस पास ही रहना चाहती थी.. उसे देखकर तितली को सुकून मिलने लगा था.. तितली ने इन कुछ दिनों में रमन को और उसकी आदतो को पूरी तरह नोटिस किया था और उसके अच्छे बुरे हर पहलु से वाक़िफ़ हो रही थी..

तितली के मन की दशा से अनजान रमन का दिल भी तितली के लिए धड़कने लगा था उसे इस बात का अहसास तो अब तक नहीं हुआ था मगर वो इतना जान गया था की तितली जितनी खूबसूरत है उतनी ही प्यारी और मासूम भी.. उसकी बातों से रमन को लगाव होने लगा था ये रास्ता अगर इतने आराम से कट सका था तो वो तितली के बातूनी होने के कारण कट सका था..

लो आ गए नीचे.. अब उतरो..

ऐसे कैसे उतर जाऊ.. 5 परसेंट ले रहे हो.. गाडी तक लेके चलो मूझे ऐसे ही..

रमन तितली को बाहों में लिए गाडी तक आता हुआ - हाथों में दर्द होने लगा है..

इतनी भरी हूँ मैं?

हलकी भी तो नहीं हो..

ओ.. 50 किलो की एक लड़की को कुछ देर उठाकर नहीं सकते.. क्या फ़ायदा तुम्हारा मर्द होने का..

रमन गाडी के पास आकर तितली को उतारते हुए - आधा घंटा हो गया.. समझी.. खुद तो महारानी की तरह गोद में आराम कर रही हो.. मूझे तो ऊपर से नीचे आना पड़ा ना तुम्हे गोद में लेके.. और गाडी तक भी नहीं चल सकती.. बात करती हो..

ज्यादा दर्द कर रहे है तुम्हारे हाथ? कहो तो दबा देती हूँ.. आराम आ जाएगा..

तुम्हे डॉक्टर किसने बना दिया? नर्स भी बनने के काबिल नहीं हो..

अच्छा जी.. ऐसा बोलोगे ना तो ऐसा इंजेक्शन लगाउंगी तुम्हारे बम पर कि याद रखोगे..

रमन गाडी चलाते हुए - तुमसे इलाज कौन करवायेगा.. बीमार को और बीमार ना कर दो कहीं.. मैं दूर ही रहना पसंद करूंगा..

तितली सिगरेट जलाते हुए - तुम दूर जाओगे तो मैं तुम्हारे पास चली आउंगी.. अब तो दोस्ती भी हो गई है हमारी..

कितनी सिगरेट पीती हो यार.. कहीं तुम्हे ही अपना इलाज़ ना करवाना पड़ जाए.. डॉक्टर होकर भी अपना ख्याल नहीं रख सकती..

तितली कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए - तुम हो ना ख्याल रखने के लिए.. जब से घूमने निकले है तुम्ही मेरा ख्याल रख रहे हो.. ऐसा लगता है सच मुच के पति हो..

बना लो.. मैं तो तैयार हूँ तुम्हारा पति बनने के लिए..

और पूरी प्रॉपर्टी लेने के लिए भी.. मेरे हाथ में पकड़ा दोगे कटोरा और बोलोगे.. कुछ चाहिए तो चलो मुझसे भीख मांगो..

तो क्या हुआ.. तुम्हारी नाक छोटी हो जायेगी उसमे? पत्नी तो पति से मांगती ही है जो उनको चाहिए होता है..

तितली सिगरेट पीते हुए - एक बात बताओ.. अगर मैं शादी करू तुमसे.. तो सोओगे मेरे साथ?

रमन हसते हुए - सोना होगा तो किसी रुस्सियन के पास चला जाऊंगा.. तुम्हारे साथ क्यों सोऊंगा.. तुम तो बिस्तर में भी पक्का दोगी बोल बोल के..

तितली सिगरेट फेंकते हुए - ऐयाशी करनी ही आती है तुम्हे.. बस..

रमन - होटल आ गया.. पैरों से चलना पसंद करोगी या यहां भी गोद में उठा के ले जाना पड़ेगा डॉक्टर साहिबा को?

तितली मुस्कुराते हुए - रहने दो.. तुम और 5 परसेंट माँगने लग जाओगे..

तितली और रमन होटल के एक रूम में आ जाते है..

रमन आग के पास बैठकर हाथ सकता हुआ तितली से कहता है - एक बात बताओ.. घर पर तो अकेली सोती हो.. फिर बाहर अकेले सोने में डर क्यों लगता है तुम्हे?

तितली नाईट ड्रेस लेकर बाथरूम जाते हुए - वो सब तुम्हे क्यों बताऊ? क्या लगते हो तुम मेरे?

तुमने ही तो कहा था दोस्त है..

दोस्त हो तो दोस्त की तरह चुपचाप सोफे पर सो जाओ.. मैं तुम्हारी हर बात का जवाब नहीं देने वाली..
तितली बाथरूम जाकर नाईट ड्रेस पहनकर वापस आ जाती है और बेड पर लेट जाती है और चश्मा लगा कर फ़ोन में घुस जाती है...

रमन भी अपने कपडे बदल कर सोफे पर लेटते हुए - चश्मे में बहुत क्यूट लगती हो.. मैं बस बता रहा हूँ..

तितली - रिसेप्शन से एक्स्ट्रा ब्लेंकेट मंगवा लो... ऐसे तो बीमार हो जाओगे..

रमन - कॉल किया था.. नोट अवेलेबल कहा उन्होंने.. वैसे इतनी परवाह है तो अपना दे दो..

तितली कुछ सोचकर - फिर मैं क्या ओढ़ँगी? तुम चाहते हो मैं बीमार हो जाऊ? कितने मतलबी इंसान हो ना..

रमन - मतलबी होता तो तुम्हे सोफे पर सोना पड़ता.. हर रात.. पिछले डेढ़ हफ्ते से मूझे कभी सोफे पर तो कभी नीचे फर्श पर सोना पड़ रहा है.. और मूझे मतलबी कह रही हो..

तितली हस्ती हुई - अच्छा ठीक है.. तुम भी यहां बेड पर आ जाओ.. आज रात मज़बूरी है तो एक ब्लैंकेट से काम चला लेते है..

रमन मुस्कुराते हुए - सोच ले.. एक जवाँ मर्द को अपने बिस्तर में बुला रही हो.. कहीं कोई काण्ड ना हो जाए..

तितली हसते हुए - मूझे अगर तुम्हारा हाथ छुआ भी ना.. तो जो प्रॉपर्टी का 65:35 तय हुआ है वो वापस 100:00 हो जाएगा.. याद रखना..

रमन तितली के पास कम्बल में आकर - बहुत होट हो तुम तो.. पूरा गर्म किया हुआ है अंदर से..

तितली हस्ती हुई - सो जाओ चुपचाप.. समझे

रमन - वैसे कर क्या रही हो?

तितली फ़ोन दिखाते हुए - आज की फोटोज है.. कुछ इंस्टा पर पोस्ट की है.. देखो कितनी अच्छी तस्वीरे आई है आज..

रमन - मेरी तस्वीर क्यों पोस्ट की?

तितली - 2-3 पिक ही तो पोस्ट की है तुम्हारी.. उसमे क्या हो गया.. रियेक्ट तो ऐसे कर रहे हो जैसे कोई नंगी तस्वीर पोस्ट कर दी हो तुम्हारी.. देखो कितने प्यारे लग रहे हो.. शकल देखकर कौन कहेगा तुम पैसो के पीछे पागल हो..

रमन - कुछ भी बोलने लगी हो.. बाप की जायेदाद बेटे की ही तो होती है.. तुम कुछ ज्यादा नहीं खुल गई मेरे साथ?

तितली फ़ोन रखकर - तो? क्या करोगे तुम? रिपोर्ट लिखाओगे मेरे खिलाफ?

रमन का मन तितली को इस वक़्त चुम लेने का हो रहा था मगर वो अपने आप पर काबू रखने को मजबूर था और नहीं चाहता था कुछ ऐसा वैसा करें.. मगर तितली तो दुआ करने लगी थी की रमन कोई पहल करें और दोनों मोहब्बत के सागर में कश्ती हाँकने लगे.. मगर ऐसा हुआ नहीं.. दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे और चुप थे.. फिर रमन ने करवट बदल ली और बोला - गुडनाईट..

रमन से गुडनाइट सुनकर तितली का मुंह उतर गया उसे लगा था की रमन शायद उसे चुम लेगा और अपनी बाहों में भरके उसके साथ आज रात प्यार मोहब्बत की हद तक आ जाएगा.. मगर ऐसा हुआ नहीं..

दिल पर पत्थर रखकर तितली ने भी कहा - गुडनाइट...
तितली की आँखों में नींद नहीं थी.. वो रमन को देखकर कभी प्यार से भर जाती तो कभी उसकी तरफ देखकर रमन को मन ही मन गालिया देते हुए उसकी ऐसी हालात करने का दोष देकर कोसने लगती..

तितली की मोहब्बत रमन के लिए बढ़ती जा रही थी और तितली अच्छे से इस बात को जानती थी उसे रमन से इन कुछ दिनों में इश्क़ हो गया था.. ये जानते हुए भी कि रमन उसका सौतेला भाई है.. तितली रमन के साथ जीने के ख़्वाब देखने लगी थी और अब उसने रमन के मुताबिक खुदको ढालने का निर्णय ले लिया था.. पूरी रात रमन उसी तरह सोता और नींद में भी उसका हाथ तितली को नहीं छुआ.. तितली चाहती थी की कम से कम नींद में ही रमन उसके साथ कोई छेड़खानी करें मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं..

सुबह रमन की आँख खुली तो उसने देखा तितली नहाकर बाथरूम से बाहर आइ है और उसके बाल उसकी कमर तक ऐसे लहरा रहे थे जैसे नागिन हो.. तितली ने एक आसमानी रंग का लाहौरी सूट पहना था जिसमे वो गज़ब की खूबसूरत लग रही थी..

तितली ने रमन को जागते देखा तो रूम में रखे सामान से एक कप चाय बनाकर रमन को देते हुए बोली - नहा लो.. आज वापस घर के लिए निकलना था ना..

रमन चाय लेकर पीते हुए - थैंक्स..
रमन चाय पीकर नहाने चला जाता है ब्रश वगैरा करके नहाकर बाहर आ जाता है आज उसने जान बूझकर सिर्फ तौलिया अपने बदन पर लपेटा था और कमर से ऊपर वो नंगा था.. तितली ने पहली बार तिरछी नज़रो से रमन को घुरा था और वो उसके गठिले सुन्दर शरीर को आँखों से भोग रही थी.. रमन ने जल्दी से कपड़े पहने फिर तितली के साथ होटल में ही खाना खाकर अपना सामान उठाकर तितली के साथ बाहर गाडी में आकर बैठ गया...
रमन गाडी चलाने लगा और अब काफी देर तक दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई....

तितली ने काफी देर बाद रमन को देखकर कहा - मोन वर्त है तुम्हारा आज?

नहीं तो.. क्यों?

तो कुछ बात करो ना.. इतना चुप क्यों हो? बोर हो रही हूँ..

ऐसा है.. मैं तुम्हे इंटरटेन करने के लिए यहां नहीं लाया हूँ समझी? अभी मेरा मन नहीं है कुछ बोलने का.. जब होगा तब बोलूंगा..

तितली सिगरेट होंठों पर लगाती है तो रमन सिगरेट छीनकर बाहर फेंकता हुआ कहता है - और बार बार ये सिगरेट पीना बंद करो.. बीमार हो जाउंगी तो मूझे ही संभालना पड़ेगा..

तितली मुस्कुराते हुए - लगता है दिल आ गया जनाब का मुझ पर.. क्या बोलते थे? छिनाल.. गोल्डडीग्गर.. अब इतना ख्याल रखने लगे हो मेरा..

तुम्हारी गलतफहमी है.. मैं कोई ख्याल नहीं रख रहा बस बिना किसी परेशानी के घर पहुंचना चाहता हूँ.. फिर शान्ति संभाल लेगी तुम्हे..

तितली हसते हुए - मैं अपना ख्याल रख सकती हूँ.. कम से कम गाने तो चला दो इसमें..

तुम ही चला लो..

तितली एक पुराना गाना चलाते हुए - तुम्हारे लिए चलाती हूँ.. लो सुनो.. मैं तो बेघर हूँ.. अपने घर ले चलो.. घर में मुश्किल.. तो दफ़्तर ले चलो..

रमन मुस्कुराते हुए - पागल हो तुम..

तितली हसते हुए - और तुम पैसो के लिए एक पागल से शादी करना चाहते हो..

रमन - बार बार वही बात क्यों लाती हो?

तितली - सच ही तो कहती हूँ.. कुछ गलत तो नहीं कहा मैंने..

रमन - तो तुम ही छोड़ ना प्रॉपर्टी.. तुम क्यों पीछे पड़ी हो प्रॉपर्टी के?

तितली - और बिना पैसो के क्या करु? साध्वी बन जाऊ?

रमन - वो सब तुमसे नहीं हो पायेगा.. तुम मेरी PA बन जाना.. सारा काम संभाल लेना.. जो सेलेरी लेना चाहो ले लेना..

तितली - और मैं कोर्ट में केस करके पूरी प्रॉपर्टी लेकर तुम्हे अपना PA बना लू तो? आईडिया तो वो भी अच्छा है.. बोलो बनोगे मेरे PA?

रमन - उससे अच्छा तो मैं यहां किसी नदी में कूद जाऊ और जान दे दू...

तितली गुस्से में - रमन... क्या कुछ भी बोलते हो.. तुमसे बात ही नहीं करनी मूझे..

रमन - तुम्हे क्या हो गया एक दम से?

तितली सिगरेट जलाकर कश लेते हुए - कुछ नहीं.. तुम्हे बात नहीं करनी ना.. कुछ नहीं बोलूंगी मैं अब..

रमन - हुआ क्या है?

तितली बाहर देखते हुए - कुछ नहीं..

तितली रमन के खुदखुशी करने की बात पर उससे नाराज़ हो गई थी भले ही रमन ने ये बात यूँही कही थी मगर तितली को वो मज़ाक़ भी पसंद नहीं आया था उसे रमन से प्यार हो गया था और वो उसके लिए अब कुछ भी बुरा सुनने को तैयार नहीं थी.. रमन के खुदके मुंह से भी नहीं.. रमन गाडी चला रहा था और तितली सिगरेट के कश लगाते हुए रमन के साथ जिंदगी बिताने के ख़्वाब देखने लगी थी.. कुछ ही दिनों में रमन और तितली वापस घर लौट आये..


Jabardas Lajabab Zindabad Update.....
Asa hi Honey or uski Mummy ki Romance or Dirty Conversation chalta raha, to jada din nhi laga ga is Incest Mummy ko beta ka Lund apni nicha ki hoto sa nigalta huwa....
Basa aaj to sirf hilaya ha, or Muh pa Lund ka mar or Maalai hi khaya ha....
Par sach kahu to Mummy ka sath Sex karna sa vi jada Masti, asa Mummy ka sath Nathkht harkat karka ata ha....

Ma to dobara fan ho gaya, aap ki is Nayi Mummy ka, Suman or Gugu jasi Bonding ha dono ki, Likin naya andaz ma....
Maja aa gaya....

Jabardas Update....

Basa, Kahini ki Competition ma aap, Moms Baccha, bhag liya ho kiya....


❤❤❤❤❤❤❤👍👍👍👍👍👍👍🤤🤤🤤🤤🤤
 
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