दोपहर हुई दोनो निकल पड़ी बाबा की कुटिया की ओर। सविता तो मन ही मन मुस्कुरा रही थी यह सोचकर की बाबाजी आज प्रेमा की कसके बजाएंगे और मै जैसे गाय के ऊपर सांड चढ़वाते हैं वैसे ही प्रेमा के ऊपर बाबाजी चढ़ेंगे। लेकिन प्रेमा ऊहापोह की स्थिति में थी उसे शर्म आ रही थी बदन में झुरझरी। भी छूट रही थी क्योंकि बाबाजी का ऊपर बदन तो लगभग नंगा ही रहता था जिसे प्रेमा ने आते जाते देखा था। बाबाजी का बदन कसरत करने की वजह से बिलकुल ठोस और चिकना था लेकिन सीने पर घने बाल थे झांट में तो एक दम जंगल लगा हुआ था।
प्रेमा और सविता बाबाजी की सुनसान कुटिया पर पहुंच गई, बाबाजी वहीं अपना लंगोट ढीला करके विश्राम कर रहे थे।
सविता: बाबाजी! मै प्रेमा को लेकर आ गई।
बाबाजी ने चालाकी से लंड को पीछे खींच लिया, लंगोट सही किया और बोले आ जाओ सविता आई प्रेमा।
सविता: चल प्रेमा अंदर
प्रेमा: मुझे असहज लग रहा है।
सविता: चल मै भी तो चाल रही हूं।
दोनो अंदर गईं, बाबाजी ने एक बार फिर से पूरा वाकया प्रेमा को सुनाया तो उसे भी अब ये काम उसकी जिम्मेदारी लगने लगी । उसने कहा ठीक है बाबाजी । हालांकि इतनी दोपहर में कोई वहां नही जाता था लेकिन फिर भी बाबाजी ने कुटिया के गेट पर बांस की फट्टी से बनाया हुआ गेट रख दिया।बाबाजी ने पेट अंदर खींचकर लंड को पीछे खींच रखा था लेकिन लंड से वीर्यरस लगातार इस रहा था । बाबाजी ने सविता को इशारा किया उसने प्रेमा को घोड़ी बनने के लिए कहा। प्रेमा सविता से कहने लगी मुझे डर लग रहा है पहले मै देखूंगी कितना बड़ा है तो बाबाजी ने वही मुरझाया हुआ लंड दिखा दिया बाबाजी का बिना खड़ा हुआ आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच मोटे लंड को प्रेमा झांटों के जंगल के कारण साढ़े छः इंच का समझ बैठी और घोड़ी बन गई । सविता ने प्रेमा की साड़ी और पेटीकोट एक साथ पकड़कर ऊपर खींच दिया । बाबाजी को चुदाई का कोई खास ज्ञान नहीं था लेकिन हथियार तगड़ा था और उन्हें तो सिर्फ लंड की आग बुझाने थी । बाबाजी प्रेमा के पीछे आकर खड़े हुए । बाबा ने प्रेमा की चूत हाथ से ढूंढना चाही लेकिन उन्हें गांड़ का छेद हाथ लगा क्योंकि प्रेमा ठीक से झुकी नही थी प्रेमा की गांड़ गरम गरम महसूस हुई । बाबाजी ने छेद ढूंढने के चक्कर में गांड़ में ही उंगली डाल दी। प्रेमा कसमसाने लगी। बाबाजी ने प्रेमा की रीढ़ पकड़ कर दबाई जिससे उसकी चूत थोड़ा और ऊपर आई और सविता से कहकर प्रेमा के बिलाउज का बटन खुलवा दिया क्यूंकि बाबाजी को पकड़ने के लिए कुछ नही मिल रहा था। आखिरकार बाबाजी के हाथ ने चूत का छेद ढूंढ ही लिया लेकिन बाबाजी के हाथ की दो उंगलियां प्रेमा की चूत में फिसल कर घुस गईं प्रेमा छटपटाकर मूतने लगी। बाबाजी ने उसके मूतने का इंतजार किया और सोचने लगे ये मां बेटियां दोनो मूतने में बड़ी तेज हैं और ध्वनि गजब निकलती है। प्रेमा से अब बर्दाशप्रे से बाहर हो रहा था और उसने सविता से कहा अब खड़ी क्या है जल्दी डलवा दे रे । प्रेमा की चूत का आकार बड़ा था क्यूंकि वो दो बच्चों की मां थी लेकिन बाबाजी जी को पता था कि उनका खड़ा लंड प्रेमा की चूत में नही जाएगा। तो उन्होंने एक बार फिर अपने पेट को अंदर खींचा और आधे लंड को हाथ से धकेलकर अंदर कर दिया प्रेमा बोली आह! बाबाजी ऐसे ही। प्रेमा की चूत में जाते ही बाबाजी का लंड कंट्रोल से बाहर हो गया बाबाजी जी का पेट बाहर आया और लंड फूलने लगा बाबाजी ने तुरंत पूरे लंड को अंदर कर दिया अब लंड फूलकर चार इंच का हो गया । अब प्रेमा की चूत की दीवारें चरचराने लगी जब लंड ने पूरा 12 x 4.5 इंच का आकार लिया तो प्रेमा के मुंह से तेज आवाज निकली अरे माई रे जिससे बाहर नीम के पेड़ पर बैठे पंछी भी उड़ गए । बाबा जी ने लंड को बाहर निकालना चाहा लेकिन उनका लंड प्रेमा की बुर में फंस गया था और बुर के आस पास खून रिस रहा था। प्रेमा को चक्कर आ गया। सविता और बाबा दोनो डर गए। फिर सविता ने प्रेमा की ब्लाउज और साड़ी उतार फेंकी पेटीकोट को भी सिर के रास्ते निकाल लिया। उसके बाद किसी गाय की तरह उसके सिर को सहलाने लगी और बाबाजी को उसकी दोनो चूंचियां पकड़ाई और मसलने के लिए कहा। बाबाजी ने दोनो चुचियों को पकड़कर मसला और सविता ने प्रेमा की चूत के पास सहलाना शुरू कर दिया। अब जाकर प्रेमा को थोड़ा होश आया ।( प्रेमा: बहुत धीमी आवाज में) सविता तूने आज मुझे मरवा दिया आज मै पता नही घर जा पाऊंगी या नहीं। सविता के सहलाने की वजह से प्रेमा की चूत थोड़ी ढीली हुई और प्रेमा ने इतना भावुक हो कर चार शब्द बोले थे तो उसने प्रेमा की पीठ पकड़कर उसे आगे खींच लिया बाबाजी का लंड टप्प की आवाज के साथ निकल गया । प्रेमा वहीं गिर गई। कुछ देर में उसे फिर होश आया और उसने बाबाजी का लंड देख लिया । प्रेमा डर के मारे सविता के पीछे छुप गई। बाबाजी का लंड फूलकर दर्द कर रहा था। बाबाजी ने अपने संदूक से एक लेप निकाला और सविता को दे दिया उसने प्रेमा की चूत कर लगाया प्रेमा की चूत का दर्द गायब हो गया । दोनो ने पकड़कर प्रेमा को फिर से खड़ा किया रीढ़ दबाई और लंड अंदर तक डाल दिया प्रेमा फिर बेहोश हो गई लेप ने दर्द तो गायब कर दिया लेकिन घाव को तुरंत नही ठीक कर सकता था। सविता के पास दो जिम्मेदारी थी गाय को भी घर भी ले जाना था और सांड को भी चढ़वाना था। सविता ने रिस्क लिया और प्रेमा की बेहोशी में ही बाबाजी को लंड चलाने के लिए कहा ताकि रास्ता बन जाए। बाबाजी ने लंड चलाना शुरू किया तो बिलकुल जाम था।
सविता: बाबाजी लंड को एक बार बाहर निकालो इस पर ढेर सारा थूक लगाकर प्रेमा के उठने से पहले पेल दो।
बाबाजी ने लंड निकाला देर सारा थूक लगाया और दोबारा लंड प्रेमा की चूत में पेल दिया।
सविता: धक्के लगाओ बाबाजी नही तो गड़बड़ हो जाएगी।
बाबाजी ने धक्के लगाने शुरू किए धीरे धीरे रास्ता बनना शुरू हुआ, दर्द खत्म करने वाला लेप तो लगा ही हुआ था। सविता ने बाबाजी को लंड चूत में ही डालकर चुपचाप खड़ा रहने की सलाह दी और दोनो प्रेमा के होश आने का इंतजार करती रहे। इस बीच बाबा प्रेमा की दोनो चूंचियों को मसलते रहे और सविता प्रेमा की चूत और गांड़ के इलाके को सहलाकर नरम करती रही । आखिरकार प्रेमा को होश आया उसकी चूत कई जगह छिल गई थी लेकिन दर्द गायब था। लंड अंदर बाहर होने से प्रेमा की चूत से भी काम रस बह रहा था अब उसे भी लंड का अंदर होना अच्छा लग रहा था लेकिन घोड़ी बनने के कारण वो कुछ कर नही सकती थी। उसने खुद को आगे बढ़ाया और बाबा का लंड टप्प से कर के फिर बाहर आ गया। इस बार प्रेमा ने आगे से लंड लेने के लिए मुड़ी तो सविता ने उसकी आंखे ढंक दी। बाबाजी ने दोनो हाथों से प्रेम को पकड़ा और लंड को नीचे से घुसेड़ते हुए ताबड़तोड़ धक्कों की बौछार कर दी इस बार प्रेमा को चक्कर नही आया इसलिए वो छटपटाने चिल्लाने लगी।
प्रेमा: अअ अ रे मा आ आ आ ईईई रे कंचअ अ नवा के माई आज मरवावे ले आई है।
आह आ ईई ईई ऊऊह आ आ आ सी ईई आह
जब उसकी चूत चर्राने लगी तो उसने बाबाजी को नोचना शुरू कर दिया तो सविता ने उसका दोनो हाथ पकड़ रस्सी से बांध दिया । सविता ने बाबाजी को बताया और वो चोदते चोदते प्रेमा का दूध पीने लगे अब प्रेमा भी धक्के में साथ देने लगी और अब विरोध करना बंद कर दिया।
बाबा का पूरे जीवन का वीर्य इकट्ठा था । आधे घंटे चली चुदाई में दो बार झड़ने के बावजूद बैठा नही इतने में प्रेमा पांच बार झड़ चुकी थी और वहीं गिर के सोने लगी चूत पूरी जलते वीर्य से भर गई थी। अब क्या किया जा सकता था । एक ही विकल्प था सविता की चूत मारी जाए लेकिन समस्या ये थी उसे कौन पकड़ता । फिर दोनो वापिस कैसे जाएंगी।
सविता ने कहा प्रेमा की गांऽऽऽऽऽऽड और चुप हो गई। जब दो बच्चे निकालने वाली चूत न सह पाई बाबाजी के खूंटे तो गांड़ कैसे सह सकती थी तो यह विकल्प भी नहीं था।
फिर सविता ने बाबाजी को प्रेमा को फिर से तैयार करने की सलाह दी । बाबाजी ने प्रेमा की दोनो चूंचियों से जबरदस्ती 200-200 ml दूध खींचा, उसके बाद सविता की सलाह पर चूत को चाटना शुरू किया। बाबाजी ने चूत को चाटने की बजाय चूसना शुरू कर दिया जिससे अंदर की कोशिकाएं बाहर की ओर खिंचने लगीं और प्रेमा को तेज गुदगुदी लगी वह आह आह आह बाबाजी अपना मूसल डाल दो आह बाबाजी इस बार अपने आसन पर बैठकर प्रेमा को अपनी गोद में बिठा लिया और उसके होंठों को चूसने लगे ।बाबाजी का लंड प्रेमा की गांड़ की दरार में घुस रहा था। प्रेमा ने मदहोशी में बाबाजी जी का लंड चूत पर लगाकर धीरे बैठ गई। इस बार बाबाजी होंठ और चूंची चाटते रहे प्रेमा ने खुद ही उछल उछलकर चुदाई की और झड़ गई । बाबाजी प्रेमा की चूत में लंड डाले हुए ही उठे साथ में ही प्रेमा को भी दोनों हाथों से उठाया और सविता को प्रेमा के दोनो हाथ पकड़ने को कहा जो इन दोनो की चुदाई देखकर अपनी चूत में उंगली कर रही थी। बाबाजी ने रफ्तार पकड़ी और सटा सट सटा सट चोदना शुरू कर दिया प्रेमा आह आह करती रही उसके आंख से आंसू भी ढुलकते रहे। करीब 35 मिनट चोदने के बाद बाबाजी का लंड झुक गया। उन्होंने तुरंत ही अपना लंगोट बांध लिया। प्रेमा निढाल हो गई । बाबाजी ने एक कपड़े से प्रेमा की बुर पोंछी और लेप लगाया, चुंचियो पर भी लेप लगाया। उसे सविता से कपड़ा पहनवाया और अपने बिस्तर पर लिटा दिया माथे पर थोड़ा पानी छिड़क दिया।
सविता की चूत बेचारी तड़पती रही।
सविता ने बीस मिनट बाद प्रेमा को उठाया वह उठ गई बाबा जी ने दोनो को हल्का भोजन करवाया, शरबत पिलाया तब जाकर प्रेमा का चित सही हुआ।
बाबाजी: ठीक है फिर तुम लोग जाओ अब फिर मिलेंगे।
प्रेमा: नही ऐसे कैसे चली जाऊंगी।
सविता की चूत में तो आग लगी ही थी वह बोल पड़ी।
सविता: तो क्या अपनी गांड़ फी फड़वाएगी।
प्रेमा: नही सविता बुरचोदी... तुमने मुझे लाकर फंसा दिया ... जान तेरी चूत बाबाजी नही फाड़ेंगे तब तक नहीं जाऊंगी। प्रेमा हाथ धोने के लिए बाहर जाने को उठी लेकिन लठखड़ाकर गिर पड़ी।
सविता: प्रेमा गांड़चोदव तुम्हे घर तक कौन छोड़ेगा।
बाबाजी: प्रेमा! सविता सही कह रही है।
प्रेमा: ठीक है लेकिन बाबाजी वादा करो कि एकदिन इसकी भी चूत के साथ ही गांड़ भी फाड़ोगे।
बाबाजी: इसके बारे में सविता से पूछो।
प्रेमा: क्यों रे सविता रण्डी मुझे क्यों बहलाकर ले आई ।
सविता: ठीक है मै तैयार हूं जब तू कहे प्रेमा बुरचोदी ।
प्रेमा: अब बताओ बाबाजी! जब इसे लाऊंगी तो इसकी चूत फाड़ोगे की नही?
बाबाजी: (मन में सोचते हुए सविता ने आज मेरी बहुत मदद की है) ठीक है सविता तैयार हो तभी लाना।
सविता सहारा देते हुए प्रेमा को घर लाई। और चंद्रभान को कमर में मोच का बहाना बता दिया ।