Rocky2602
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Update 12
सुबह की पहली निकलते ही शबाना अपने बिस्तर से उठकर घर के कामों में लग गई और रोजमर्रा के काम निपटाते हुए घर में यहां से वहां घूमने लगी. शबनम की बेटी रेशमा अपने ससुराल जा चुकी थी और उसका बेटा आदिल जो अब भी घोड़े बेचकर चैन की नींद सो रहा था शोहर फारूक अपने सुबह के नियत समय पर अपने दुकान जा चुका था. थोड़ी देर बाद आदिल भी उठकर घर से बाहर निकल गया और हर दिन की तरह आवारा गर्दी करने और मोहल्ले में यहां से वहां घूमने लगा. शबाना घर पर अकेली पड़ चुकी थी जैसे वह हरदम रहती थी उसके आसपास ना तो कोई बोलने वाला था ना ही उससे बात करने वाला.
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अपने सुबह के घर के काम निपटाकर शबाना जब बिस्तर पर चैन की सांस लेते हुए दो घड़ी बैठी तब उसका फोन बजने लगा. शबाना ने फोन की तरफ देखा तो मुस्कुराते हुए उसे अपने हाथ में लेकर कुछ सोचने लगी. पिछले कई दिनों से जब से गौतम ने उस दिन शबाना से बात की थी और पूरी बेशर्मी के साथ उसे छेड़ा था तब के बाद अक्सर गौतम शबाना को फोन करके उसे मीठी-मीठी बात करता था और बातों ही बातों में अपने मन की बात कह कर शबाना को शर्मिंदा कर देता था शबाना को भी अब गौतम के फोन का इंतजार रहता और वह उससे बात करने के लिए लालायित रहती. इस बार भी कुछ वैसा ही था शबाना अपने हाथ में फोन लिया गौतम का फोन आता देखकर मुस्कुराते हुए फोन उठाना चाहती थी मगर एक दायरा और एक पर्दा जो उसके और गौतम के बीच अभी था वह शबाना को हर बार एक मुकाम पर लाकर उसे आगे बढ़ने से रोक देता..
शबाना फ़ोन उठाकर - हेलो..
गौतम - हेलो शबाना बेगम.. कैसी हो?
शबाना - बेशर्म तेरे दोस्त की अम्मी हूँ, थोड़ा तो लिहाज़ कर अपनी और मेरी उम्र का. वरना बहुत मार खायेगा मुझसे.
गौतम - मैं तो तुम्हारे हाथों से मरने को भी तैयार हूँ शबाना.. और लिहाज़ किस बात का? प्यार की कोई उम्र थोड़ी होती है..
शबाना - बेटा तू सामने आ गया ना एक बार तो ऐसा सबक सिखाउंगी की प्यार का सारा भूत उतर जाएगा..
गौतम - अच्छा ज़ी.. ऐसा क्या करोगी बताओ जरा..
शबाना - तू सामने तो आ कमीने.. उस दिन के बाद कैसे बिग्गी बिल्ली की तरह गायब रहता है. बस फ़ोन पर ही तेरी आवाज निकलती है..
गौतम - मिलना तो मैं भी तुमसे चाहता हूँ मेरी शब्बो.. पर क्या करू बहुत काम है और कॉलेज का आखिरी साल है इम्तिहान आने वाले है तो पढ़ना भी जरुरी है.. वैसे अगर तुमको चाहिए तो मुझसे मिलने आ सकती हो.. मगर जरा फुसरत निकाल कर आना.. अब तुमसे लम्बी मुलाक़ाते करने का मन है..
शबाना - बेटा अपनी जवानी को काबू में रख वरना आदिल और आदिल के अब्बू को पता चल गया ना तू मुझसे कैसी कैसी बात करता है और क्या चाहता है तो तेरा क्या हाल होगा तू बखूबी जानता है..
गौतम - अब प्यार किया तो डरना क्या मेरी शब्बो.. तुम्हारे लिए तो ख़ुशी ख़ुशी कुर्बान हो सकता हूँ.. और मैं इतना तो जानता हूँ अगर तुम्हे किसीको बताना होता तो तुम अभी तक उनको सब बता चुकी होती..
शबाना मुस्कुराने लगती है और कहती है - बेटा बच्चा समझके छोड़ देती हूँ वरना तुझे तो कबका एक थप्पड़ में सीधा कर दू मैं..
गौतम - एक बार इस बच्चे से प्यार करके देखो शब्बो बेगम.. पहली चुदाई याद आ जायेगी..
शबाना - जलील इंसान.. कितना बेशर्म है तू? बहुत आग लगी है तुझमे? पता दे मैं अभी आकर तेरी लुल्ली का इलाज़ करती हूँ..
गौतम - शब्बो लुल्ली नहीं लोडा है मेरा.. देखते ही तेरी चुत से पानी बह जाएगा.. वीडियो कॉल कर तुझे दिखाता हूँ..
शबाना अपने बूब्स सहलाते हुए - क्यों मेरे पीछे पड़ा हुआ है बेटा.. तेरी अम्मी जैसी हूँ मैं और तेरे दोस्त की अम्मी..
गौतम - क्या करू मेरी जान.. तेरे हुस्न के आगे ये सब बातें मायने नहीं रखती.. दिल कहता है अभी तुझे अपनी बाहों में भरके प्यार करू.. तेरे होंठों से शराब पी लू.. तेरे चुचो से दूध पीलू.. तेरे बदन से खेलु.. तेरी चुत को चाट कर साफ करु फिर अपने लंड से तेरी चुत फाड़कर तेरी जवानी का स्वाद चखु..
शबाना अपनी चुत पर उंगलिया रगढ़ती हुई किसीके आने की आहट सुनती है..
शबाना - लगता है कोई आ रहा है. मैं बाद में बात करती हूँ.
गौतम - शबाना.. शबाना... सुन तुझे व्हाट्सप्प पर मैंने कुछ भेजा है चेक करना..
शबाना फ़ोन काट देती है और बाहर जाकर दरवाजा खोलती है सामने आदिल था.. जो बहुत बुरी हालात में था उसे देखकर ही लगता था की वो मार पिट करके आया है शबाना कि कामुकता ने गुस्से का रूप ले लिया था...
शबाना - किससे लड़ के आ रहा है..
आदिल - कुछ नहीं छोटी सी बात हो गई थी..
शबाना - क्या छोटी सी बात? और ये चोट?
आदिल - अरे वो कुछ लड़के पप्पू हलवाई के आगे फालतू गाली बक रहे थे सालों का ऐसा इलाज़ किया है आगे कभी बोलेंगे नहीं..
शबाना - दिनभर लड़ाई झगडे औऱ कुत्ते कि तरह घूमने के सिवा कुछ और भी काम है तुझे? अपने अब्बू के साथ दूकान पर ही बैठ जाया कर..
आदिल -अम्मी पकाओ मत.. पहले ही दिमाग ख़राब हो रहा है.. औऱ मत करो..
शबाना - अरे सुन तो दवाई लगा ले चोट पर.. आदिल..
शबाना ने इतना ही कहा था की घर के दरवाजे पर आदिल का एक दोस्त नौशाद आ गया और जो देखने से लग रहा था की बहुत तेज़ी से भागता हुआ आया है उसकी साँसे ऊपर नीचे चढ़ी हुई थी वो हाफ्ते हुए बोला..
नौशाद - आदिल..
शबाना - क्या हुआ?
आदिल - क्या हो गया ऐसे क्यों हांफ रहा है?
नौशाद - अबे वो पुलिस... पुलिस आ रही है.. माज़ीद को भी उठा लिया.. अभी जिसको मारा है वो किसी बिज़निसमेन का बेटा है.. उसके बाप ने पुलिस में शिकायत की है पुलिस सबको उठा रही है..
शबाना - कितनी बार मना किया पर मानने का नाम नहीं अब पता नहीं क्या होगा.. तेरे अब्बू को फ़ोन कर..
इतनी बात हो ही रही थी की पुलिस आदिल के घर आ धमकी और आदिल और नौशाद को पकड़ के अपनी जीब में बैठा लिया.. शबाना ने बहुत कोशिश की मगर कुछ ना कर सकी.. शबाना ने अपने शोहर फारूक को फ़ोन किया और सारी बात बताई फारूक दूकान पर रामु को छोड़कर घर आ गया और शबाना को लेकर पुलिस थाने चला गया..
फारूक - साब बच्चा है गलती हो गयी माफ़ कर दो..
थानेदार - फारूक मिया एक गलती माफ़ करेंगे तो अगली गलती करेगा.. सजा तो देनी पड़ेगी.. और किसी आम आदमी के बच्चे को थोड़ी मारा है इन लोगों ने.. सेठ धनीराम के लड़के को धोया है वो भी cctv के सामने.. ऊपर से प्रेशर है.. रेपोर्ट भी लिख चुके है.. अब तो आई.पी.सी. की कई धाराओं के अंदर आपके लड़के का नाम आ चूका है.. सबूत भी पुरे पुरे है.. 2-3 साल के लिए पक्का अंदर आएगा आपका लड़का..
फारूक - थानेदार साब.. एकलौता लड़का है.. समाज में इज़्ज़त है सब आपके ऊपर है.. कुछ मदद करिये.. आप जो बोले करने को त्यार हूँ..
थानेदार - अरे फारूक मिया.. मैं अगर मदद कर सकता तो मना थोड़ी करता है.. आखिरी मैं भी तो इंसान हूँ.. मगर बात बड़ी है.. आप समझो.. मेरे बस के बाहर है..
फारुख थानेदार से बात करके आदिल को छुड़ाने में नाकाम रहता है और आखिरकार थक हार कर शबाना को लेकर वापस घर आ जाता है.. शबाना और फारूक दोनों ही घर में उदास बैठकर यह सोच रहे थे कि अब क्या किया जाए और कैसे आदिल को जेल की सलाखों से बाहर निकल जाए. शबाना यह सब सो रही थी कि उसके फोन पर फोन आता है और फोन उठा कर चेक करती है तो उसे पर गौतम का फोन होता है. शबाना फोन काट देती है मगर गौतम वापस फोन करता है जिस पर शबाना छत पर आ जाती है औऱ तंग आकर गौतम से रुखे शब्दों में रहती है.
शबाना - क्या है? क्यों बार बार फ़ोन कर रहा है तू?
गौतम - उफ्फ्फ.. इतना गुस्सा? क्या हुआ मेरी शब्बो का मूंड खराब है?
शबाना - गौतम फ़ोन काट और वापस फ़ोन मत करना.. समझा? वरना अब तक तेरी हरकते मैं बच्चा समझके बर्दाश्त कर रही थी अब नहीं करुँगी..
गौतम - अच्छा बाबा ठीक है नहीं करूँगा पर तुम बताओ तो हुआ क्या है?
शबाना थोड़ा ठंडा पड़के सारी बात गौतम से कहा देती है और गौतम हसता हुआ कहता है..
गौतम - बस इतनी सी बात? इतनी सी बात के लिए मेरी शब्बो परेशान है? तुम कहो तो अभी आदिल को जेल से निकलवा कर घर बुलवा देता हूँ..
शबाना - मज़ाक़ मत कर गौतम..
गौतम - अरे बाबा मैं क्यों मज़ाक़ करूंगा? मेरी शब्बो की तकलीफ अगर मैं नहीं दूर करूंगा तो कौन करेगा?
शबाना - तू सच में आदिल को जेल से निकलवा सकता है?
गौतम - हाँ मगर मुझे भी बदले में तुमसे कुछ चाहिए..
शबाना - मैं वैसा कुछ भी नहीं करने वाली जो तू सोच रहा है.. मैं तुझे भी आदिल के जैसे अपना बच्चा मानती हूँ थोड़ी बहुत मज़ाक़ मस्ती को मेरी हाँ मत समझना..
गौतम - पर मैं तो तुम्हे अम्मी नहीं मानता.. सोच लो.. आदिल की ज़िन्दगी का सवाल है.. मुझे कुछ तो देना पड़ेगा..
शबाना - अच्छा क्या चाहिए?
गौतम - हम्म्म... अब चुत नहीं तो मुंह सही.. Blowjob दे देना..
शबाना - क्या कहा? मतलब?
गौतम हसता हुआ - blowjob का मतलब नहीं पता? कितनी भोली हो तुम.. अरे मतलब नुनु को मुंह में लेके ठंडा कर देना बस.. इतना सा..
शबाना - कमीने तेरा मुंह तोड़ दूंगी मैं.. बेशर्म कहीं का.. अपने दोस्त की अम्मी के साथ ये सब करेगा..
गौतम - फिर तुम्हारी मर्ज़ी.. अब फ़ोन नहीं करूँगा, बहुत तंग करता हूँ ना तुम्हे? बहुत नाराज़गी है तुम्हे मुझसे? अब कभी नहीं परेशान करूंगा..
शबाना - अच्छा ठीक है कुत्ते.. कर दूंगी तुझे ठंडा पर पहले आदिल को घर आने दे..
गौतम - बाद में मुकर तो नहीं जाओगी तुम?
शबाना - नहीं मुकुरूंगी.. बस..
गौतम - अच्छा वो पिक भेजी थी व्हाट्सप्प पर देखी तुमने?
शाबाना - नहीं अभी देखती हूँ..
गौतम - तुम देखके बताओ कैसी है और मैं अभी आदिल को बाहर निकलने का इंतज़ाम करता हूँ.. रखता हूँ..
शबाना व्हाट्सप्प खोलती है तो उसमे गौतम ने शबाना को अपने लंड की फोटोज सेंड की हुई थी जिसे देखकर शबाना की चुत में अजीब सी सुगबुगाहत होने लगती है वही गौतम रजनी को फ़ोन करता है..
गौतम - कैसी हो दीदी..
रजनी - मेरा छोड़ तू अपना बता छोटू.. इतने दिनों से ना massage ना कॉल.. तू इतना बिजी रहता है की अपनी दीदी से बात करने का समय नहीं मिला? याद नहीं आती मेरी?
गौतम - याद उसे किया जाता है दीदी जिसे भूल गए हो.. आप तो मेरे दिल में बस्ती हो..
रजनी - फिर भी अपने दीदी से मिलने की फुसरत नहीं मिलती?
गौतम - फुर्सत तो बहुत है दीदी, पर आपने जो आपके और मेरे बीच एक दायरा बनाके रखा उसे तोड़ने से डर लगता है.. आप तो जाती हो मैं आपको कितना पसंद करता हूँ.. जब भी आपको देखता हूँ बहकने लगता हूँ..
रजनी - ये सब ड्रामा बंद कर मैं अच्छे से जानती हूँ तुझे.. नौटकीबाज़.. बता कब मिलने आ रहा है मुझसे?
गौतम - मैं नहीं आऊंगा दी..
रजनी - अच्छा ज़ी? किस्सी मिलेगी अगर आओगे तो?
गौतम - पक्का?
रजनी - हाँ पक्का.. मेरे छोटे से आशिक..
गौतम - दीदी छः फ़ीट का हूँ आपसे लम्बा.. छोटा किसे बोल रही हो?
रजनी हसते हुए - अच्छा? छोटा बोलने पर मेरा छोटू गुस्सा होता है?
गौतम - दीदी एक बात थी..
रजनी - हाँ बोलो ना.. कुछ चाहिए था?
गौतम - हाँ..
रजनी - क्या चाहिए मेरे छोटे से आशिक़ को?
गौतम - दीदी एक दोस्त है मेरा, आदिल नाम है.. सुबह छोटा सा झगड़ा हो गया था तो पुलिस ने उठाकर जेल में डाल दिया.. **** थाने में बंद है आप कुछ मदद कर सकती हो?
रजनी - बस? अभी फ़ोन करती हूँ..
गौतम - थैंक्स दी..
रजनी - तू कब से थैंक्स बोलने लगा? और व्हाट्सप्प पर डेट और टाइम सेंड किया है टाइम से आ जाना मिलने.. वरना घर उठवा लुंगी तुझे..
गौतम - वक़्त से पहले आ जाऊंगा..
गौतम रजनी से बात करके फोन काट देता है और फिर शबाना को फोन करता है..
शबाना - हेलो..
गौतम - हेलो मेरी शब्बो बेगम.. निकलवा दिया आदिल को जेल से बाहर.. 10 मिनट में घर आ जाएगा आदिल, अब तुमको बताओ कब और कहा दोगी मुझे मेरा इनाम..
शबाना मुस्कुराते हुए - कुछ नहीं मिलेगा तुझे..
गौतम - सोच लो बात से पलट रही हो तुम..
शबाना - सोच लिया..
गौतम - यार मान जाओ ना, अपना वादा निभाने आ जाओ वरना फिर टांग उठा के चुत भी देनी पड़ेगी मुझे..
शबाना हस्ती हुई - कल सुबह 9 बजे घर आ जाना.. दे दूंगी जो कहा है..
गौतम - कंडोम का पैकेट कितने पिस का लाउ शबाना बेगम 3 या 8?
शबाना - कमीने सिर्फ blowjob ही मिलेगा.. जो तय हुआ था.. उससे ज्यादा कुछ नहीं..
गौतम - देखते है.. आज नहीं तो कल मिलेगा तो सब..
शबाना - सिर्फ ख्वाबों में..
गौतम - अच्छा लोडा केसा लगा मेरा?
शबाना हसते हुए - चुप बेशर्म...
शबाना फोन काट देती है और कुछ ही मिनट में उसके सामने उसका बेटा आदिल दरवाजे से अंदर आता होगा दिख जाता है..
अगले दिन सुबह शबाना ने घर के दरवाजे पर किसी के आने की दस्तक सुनी तो वो कामोतेजना से भरकर रोमांचित हो उठी उसे पता था की आज उसके शोहर फारूक आदिल के साथ बाहर गए है जिनको आते आते रात हो जायेगी. घर में शबाना अकेली थी और वो खुद भी गौतम का इंतजार कर रही थी उसके मन में अपनी सुनी पड़ी जिंदगी को फिर से हरा भरा करने का ख़्वाब चल रहा था.. शबाना ने दरवाजा खोलकर जब गौतम को दिखा वो शर्म से आँखे नीचे करती हो दरवाजे से पीछे हट गई और गौतम को अंदर आने की जगह दे दि. गौतम ने अंदर आते हुए दरवाजा लगा दिया. और सामने नजर झुकाए घड़ी शबाना को देखता रहा. कुछ देर दोनों इसी तरह एक दूसरे को प्यार कि नजर से देखते रहे मगर किसी में भी हिम्मत नहीं थी कि दोनों में से कोई भी आगे बढ़कर पहल करता. गौतम ने हीं सिलसिले को तोड़ा और आगे बढ़कर शबाना का हाथ पकड़ते हुए उसके झुके हुए सर को उंगलियों से ऊपर उठा दिया और उसके गुलाबी होंठ अपने होंठ में भरके चुंबन करने लगा.
शबाना ने गौतम की हरकत का कोई विरोध नहीं किया और ना ही किसी तरह का कोई आपत्ति जाताई, वह भी अपने होठों से गौतम को शराब पिलाने लगी. घर के आंगन में खड़े गौतम और शबाना दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में भरकर चूमने लगे थे दोनों में से किसी ने भी अब तक एक दूसरे से कोई बात नहीं की थी. शबाना गौतम की हर हरकत पर चुपचाप खड़ी हुई सहमति दे रही थी और उसे बार-बार कर चूम रही थी गौतम शबाना के बदन को अपने हाथों से नाप रहा था और हर जगह अपने हाथ ले जाकर शबाना के बदन को छू रहा था और छेड़ रहा था. गौतम के इस तरह के व्यवहार से और अपनी सुनी पड़ी जिंदगी में आई इस बहार से शबाना अभीभूत हो चुकी थी और अब उसके मन में काम इच्छा पूरी तरह से जाग चुकी थी वह अपने दोनों हाथों से गौतम का चेहरा पड़े उसे चूम रही थी और उसे अपने होठों के जाम पिला रही थी मानो वो सालों बाद मिले इस मौके को भूनाना चाहती हो और भरपूर मजा लेना चाहती हो अपनी इच्छा पूरी कर लेना चाहती हो.
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दोनों काफी देर से चुम्बन चल रहा था दोनों ही इस चुम्बन को नहीं तोड़ना चाहते थे बहुत लंबे समय से दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे और ऐसा लग रहा था जैसे दोनों एक दूसरे को चूमते चूमते खा जाना चाहते हो तभी गौतम के फोन की रिंग बजी और दोनों के बीच काफी लंबे समय से चल रहा चुंबन टूट गया..
शबाना - किसका फ़ोन है?
गौतम फ़ोन दिखाते हुए - ये साला हमेशा गलत टाइम पर फ़ोन करता है.
शबाना - तू बात कर मैं तेरे लिए चाय बना देती हूँ..
ये कहकर शबाना रसोई की तरफ चली गई और गौतम भी उसके पीछे पीछे रसोई में आ गया और फ़ोन उठाकर स्पीकर पर रख दिया और फिर से शबाना को अपनी बाहों में भरते हुए चूमने लगा..
आदिल - क्या कर रहा है रंडी?
गौतम चुम्बन तोड़कर - तेरी अम्मी शबाना का चुम्मा ले रहा था गांडु.. इतने गुलाबी होंठ है मन करता है खा जाऊ..
शबाना मुस्कुराते हुए गौतम के होंठों को अपने दांतो से पकड़कर खींचती हुई काट लेटी है और गौतम की आह्ह निकल जाती है फिर शबाना गौतम के होंठों को सहलाती है..
आदिल - अबे किस रंडी को चूस रहा है लोडे.. सच बता..
गौतम - सच बोल रहा हूँ गांडु.. तेरी अम्मी है. अभी तो सिर्फ चुम्मा लिया है शबाना का, चोदना तो बाकी है..
आदिल - भोस्डिके बकवास मतकर सुबह सुबह..
गौतम शबाना की कुर्ती उतारता हुआ - अच्छा बता ना गांडु क्या काम था.. तूने तो दोस्ती ख़त्म कर ली थी ना रात को फिर कैसे फ़ोन कर लिया?
आदिल - अरे यार कल काण्ड हो गया था..
गौतम - हाँ बताया था तेरी अम्मी ने कैसे पुलिस ने तेरी गांड तोड़ी थी कल..
आदिल - उसीके लिए फ़ोन किया है भोस्डिके. आज अब्बू मुझे खालू के यहां कासपुर ले जा रहे है.. कल कोई मन्नत मांगी थी उन्होंने जिसे पूरा करने..
गौतम शबाना की कुर्ती उतारकार उसकी ब्रा देखते हुए - साले तूने बताया नहीं तेरी अम्मी की ब्रा का साइज 38 है.. देखने से 32-34 ही लगते थे.. (बूब्स दबाकर) बहनचोद कितने टाइट है यार तेरी अम्मी के चुचे..
आदिल - बहन के लंड पागल हो गया सुबह सुबह.. कितनी पी है तूने आज.. मैं जो बोल रहा हूँ वो बता..
गौतम - चल पूछ ना गांडु..
गौतम इतना कहकर शबाना की ब्रा निकाल दी और उसके बूब्स को चाटने और चूसने लगा निप्पल्स को छेड़ने लगा शबाना भी मुस्कुराते हुए गौतम का पूरा साथ दे रही थी
आदिल - अरे कोई जुगाड़ है क्या यहां कासपुर के पास? किसीको जानता है तू?
गौतम - जानता तो हूँ..
आदिल - बोल ना भोस्डिके.. मुंह में कुछ ले रखा है क्या?
गौतम - हाँ भाई तेरी अम्मी के गुलाबी निप्पल्स है मेरे मुंह में.. बड़े प्यार से अपने चुचे चुसवा रही है हमारी बातें सुन रही है..
आदिल - क्यों अपनी माँ चुदवा रहा है रंडी.. बताना है तो बता दे वरना फ़ोन रख..
गौतम - रख दे साले.. मैं क्या है?
शबाना गैस पर से चाय उतारकर कप में चाय छन्नी कर लेटी है और अपना चुचा चूस रहे गौतम के मुंह से अपना बोबा निकालकर उसे चाय का कप दे देती है..
आदिल - भोस्डिके क्यों भाव खा रहा है? बता दे ना..
गौतम चाय लेटे हुए - चल ठीक है मगर कुछ करना पड़ेगा उसके लिए पहले..
ये कहते हुए गौतम ने शबाना के सर पर हाथ रख दिया और उसे नीचे बैठने का इशारा किये जिसे शबाना अच्छे से समझा गई और अपने घुटनो पर बैठकर गौतम की जीन्स पर लगा बेल्ट खोलने लगी फिर जीन्स खोलकर नीचे सरका दी..
आदिल - क्या करना है जल्दी बोल रंडी..
गौतम - बहुत रंडी रंडी बोलता है ना मुझे गांडु.. चल अब अब्बू बोल फिर नंबर दूंगा..
शबाना गौतम की बात सुनकर दबी हुई हंसी हँसने लगी और शरारत भरे अंदाज़ से गौतम की टीशर्ट ऊपर करके उसके नाभि पर प्यार से चूमकर अपने दांतो से काट लिया..
आदिल - मादरचोद औकात मत दिखा अपनी.. देना है तो दे वरना माँ चुदा..
गौतम - तेरी मर्ज़ी..वैसे आज तो तेरी अम्मी चुदने वाली है..
आदिल फ़ोन काट देता है..
शबाना - बिलकुल बेशर्म है तू. थोड़ी भी शर्म नहीं है तेरे अंदर..
गौतम - शर्म होती तो तुम इस तरह मेरे सामने बैठकर मेरी चड्डी नहीं उतार रही होती शब्बो बेगम..
शबाना हस्ते हुए - इस तरह से तो मत बुला कमीने.. मुझे शर्म आने लगती है..
गौतम चाय पीते हुए - शर्म ही तो औरत का गहना होता है शब्बो..
शबाना गौतम से नज़र चुरा लेती है और उसकी चड्डी भी नीचे सरका देती है.. जैसे ही गौतम की चड्डी नीचे सरकती है शबाना का मुंह खुला का खुला रह जाता है..
शबाना सोच रही थी की कल जो फोटोज गौतम ने व्हाट्सअप की थी वो फेक है मगर अब उसके सामने गौतम का झूलता लंड था और शबाना उसे देखकर हैरात से आँखे बड़ी कर चुकी थी.. शबाना को समझा नहीं आ रहा था की कैसे गौतम के पास इतना बड़ा और मोटा लम्बा लंड है ये असाधारण बात थी..
शबाना बिना कुछ बोले बस लंड को देखे जा रही थी और गौतम चाय पीते हुए सारा नज़ारा देखकर मुस्कुरा रहा था..
शबाना ने एक नज़र ऊपर करके गौतम को देखा तो गौतम ने मुस्कुराते हुए कहा..
गौतम - पसंद आया मेरी शब्बो को मेरा लंड?
गौतम के सवाल पर शबाना शर्म से पानी पानी हो गई और फिर आँखे नीचे करके फर्श को देखने लगी मगर गौतम ने शबाना के चेहरे को ऊपर उठाते हुए उसके मुंह में अपना अंगूठा डाल दिया जिसे शबाना शरमाते हुए चूसने लगी.. थोड़ी देर अंगूठा और उंगलियां चूसाने के बाद गौतम ने शबाना को से कहा..
गौतम - इतना शर्माओगी तो कैसे काम चलेगा शब्बो?
गौतम के इतना कहते ही शबाना औऱ शर्म से लाल पड़ गई..
गौतम - यार शब्बो तेरा बेटा पता नहीं क्या चाहता है.. बार बार फ़ोन कर रहा है.. एक मिनट इससे बात कर लू..
गौतम फ़ोन उठाकर - हाँ गांडु बोल?
आदिल - भाई क्यों नखरे कर रहा है देदेना नम्बर..
गौतम - दे तो रहा हूँ.. तू बोल ही नहीं रहा..
आदिल - अच्छा.. अब्बू.. बस बोल दिया अब दे जल्दी.
गौतम - ऐसे नहीं गांडू.. बोल अब्बुजान मेरी अम्मी के मुंह में लोडा डाल दो.
आदिल धीरे से- अब्बूजान मेरी अम्मी के मुंह में लोडा डाल दो.. बस अब दे जल्दी..
गौतम शबाना के मुंह में लोडा डाल डेता है.
शबाना शरमाते हुए औऱ मुस्कुराते हुए लंड मुंह में ले लेती है औऱ चूसने लगती है..
गौतम - उफ्फ्फ आदिल क्या चुस्ती है तेरी अम्मी यार..
आदिल - मज़ाक़ मत कर रंडी अब दे दे जल्दी नम्बर..
गौतम - व्हाट्सप्प कर रहा हूँ रुक.. फ़ोन कट जाता है..
शबाना रुक शब्द सुनकर लोडा चूसना बंद कर देती है औऱ गौतम को देखती मगर गौतम नम्बर सेंड करके शबाना से कहता.. तुझसे नहीं बोला मेरी जान, तू चुस्ती रह. केसा है मेरा लंड?
शबाना - लज़ीज़ है..
गौतम शबाना के बाल पकड़ कर उसे अपना लोडा अंदर तक चूसाता हुआ - तो पूरा लोना मेरी जान..
शबाना कामुक होती हुई गौतम के लंड को चूस रही थी औऱ उसे देखकर मुस्कुरा रही थी मानो कहा रही हो तुम कितने बेशर्म हो गौतम.. गौतम शबाना के सर पर हाथ रखकर उसे अपना लोडा ऐसे चुसवा रहा था मानो कहा रहा हो आज तो तेरे मुंह के साथ चुत भी सुज्जा दूंगा शबाना..
कुछ देर बाद शबाना के मुंह की गर्माहट औऱ लार से गौतम चरम पर पहुंच जाता है औऱ वो शबाना के मुंह में अपना सारा माल छोड़ कर फारीक हो जाता है.. शबाना मज़े से लंड का माल पीते हुए मुस्कुराती है औऱ फिर चाट चाट के गौतम के लंड को साफ करके खड़ी हो जाती है..
गौतम - क्या चुस्ती हो यार शब्बो, मज़ा आ गया..
शबाना मुस्कुराते हुए सारी शर्म छोड़ देती है औऱ अपनी सलवार का नाड़ा खोलते हुए गौतम से कहती है - अब तुम्हारी बारी.. चलो..
शबाना ने इतना कहकर गौतम के कंधे पर हाथ रखकर नीचे बैठने को इशारा किया मगर गौतम शबाना का मन समझा चूका था औऱ नाटक करते हुए बोला - शब्बो वादा सिर्फ blowjob का था अब आगे मेरा कुछ करने का मूड नहीं है..
शबाना ने गौतम का एक हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रख दिया औऱ बोली - मूंड बनाने के लिए मैं हूँ ना बेटा..
गोतम शबाना के बूब्स के निप्पल्स जोर से मसलते हुए - पर मैं आगे कुछ नहीं करने वाला.. बहुत नखरे चोद रही थी ना तुम.. अब मेरी बारी है..
शबाना - पूरा सुलगा कर जलता छोड़ रहा है.. बिना तेरी इज़्ज़त लुटे यहां से जाने नहीं दूंगी तुझे? चुपचाप लाइन पर आजा..
गौतम - नहीं तो क्या करेगी?
शबाना - चिल्ला दूंगी.. इस हालात में जब सब देख लेंगे तो पता है क्या हाल करेंगे?
गौतम - सिर्फ मेरा हाल थोड़ी बुरा होगा?
शबाना - मुझे अपनी परवाह नहीं है.. तू अपनी सोच..
गौतम शबाना का मुंह पकड़ कर - बहुत बोलना आ रहा है ना तुझे?
शबाना - क्या कर लेगा तू?
गौतम - तेरा मुंह बंद कर दूंगा..
शबाना - हिम्मत है तुझमे मेरा मुंह बंद करने की?
गौतम शबाना की बात सुनकर उसके मुंह से अपना मुंह लगा लेता औऱ शबाना को चूमने लगता है जिससे शबाना भी मस्ती से भरकर गौतम के गले में अपने हाथ डाल देती औऱ उसके नाजुक लबों को अपने मोटे औऱ गुलाबी लबों से चूमने लगती है...
शबाना चूमते हुए गौतम को लेकर अपने बेड रूम में आ जाता है औऱ बिना चुम्बन तोड़े दोनों बिस्तर पर गिर जाते है..
शबाना डोमिनट करती हुई गौतम को पीठ के बल लिटा देती है औऱ उसके ऊपर आकर उसके चेहरे को बार बार चूमने लगती है औऱ गौतम के चेहरे गर्दन औऱ सीने पर अपने होंठों के साथ जीभ से भी चुम्बन अंकित कर देती है.. शबाना पूरी मस्ती में गौतम के सीने पर उसके निप्पल्स को अपने मुंह में भरके चूसने लगती है जैसे उसका दूध निकालकर छोड़ेगी गौतम को भी इसमें बहुत काम सुख मिल रहा था शबाना ने दांतो से उसके निप्पल्स काटने शुरू कर दिया जिसमे गौतम को थोड़ा दर्द होने लगा.. शबाना ने गौतम के बदन पर लव बाईट की झड़ी लगा दी..
शबाना वापस नीचे आगई औऱ गौतम के लंड को मुंह में लेकर वापस उसे चूसना शुरू करदिया..
शबाना को सालों बाद कोई बिस्तर पर मिला था जो उसे काम सुख देने वाला था शबाना गौतम को अपनी चुदाई कला से रिझाना चाहती थी जिसके लिए वो गौतम को पूरी तरह खुश करने में लगी थी..
गौतम ने किसी रंडी की तरह शबाना के बाल पकड़ लिए औऱ उसके मुंह में झटके मारने लगा.. शबाना किसी रंडी की तरह अपना मुंह चुदवा रही थी.. उसके मुंह में गौतम का लंड आधे से ज्यादा घुस रहा था..
गौतम ने कुछ देर ऐसे ही शबाना का मुंह चोदकर उसके बाल खींचता हुआ उसे ऊपर ले आया औऱ अपने हाथ से शबाना की चड्डी उतारकर उसकी चुत को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया औऱ उसकी चुत का जायजा लेने लगा.
गौतम - ऊपर से कितने नखरे कर रही थी औऱ नीचे सारे बाल साफ करके बैठी.. मेरे लिए काटी है ना झांटे?
शबाना पूरी बेशर्मी से - हाँ तेरे लिए काटी है.. पहले कह देता तुझे बालों वाली चुत पसंद है तो नही काटती..
गौतम - उफ्फ्फ अम्मीजान मार डोलोगी तुम तो..
शबाना - तुम्हारे मुंह से अम्मीजान कितना प्यारा लगता है..
गौतम - अच्छा.. तो बस आज के बाद आपको अम्मीजान कहकर ही बुलाऊंगा..
शबाना हस्ते हुए - चुप बेशर्म..
गौतम - अम्मीजान अब अपनी चुत का रस पीलाओ..
गौतम उठकर शबाना की टांग चौड़ी कर लेता है औऱ उसके जांघो के जोड़ पर अपने मुंह लगा के उसकी चुत सूंघता है जिसकी खुशबु से गौतम काम की हवा में बहने लगता है..
गौतम जैसे ही अपने होंठ शबाना की चुत पर रखता है शबाना काम में डूबी हुई एक आह भारती है औऱ गौतम के सर पर अपने दोनों हाथ रखकर उसका सर अपनी चुत पर जोर से दबा लेती है..
तभी गौतम का फ़ोन बजता है जिसे शबाना देखती है औऱ उसपर आदिल का नाम देखकर गुस्से में कहती है - ये अपनी अम्मी नहीं चुदने देगा आज.. गँड़मरा बार बार फ़ोन करके परेशान कर रहा है..
गौतम हसते हुए - इसकी अम्मी चुदने से तो आज इसका बाप भी नहीं रोक सकता..
शबाना हसते हुए फ़ोन गौतम को दे देती है.. गोतम फ़ोन उठाकर शबाना की चुत चाटने लगता है..
आदिल - क्या कर रहा है?
गौतम - तेरी अम्मी की चुत चाट रहा हूँ..
आदिल - क्यों मज़ाक़ कर रहा है रंडी..
गौतम - रुक फोटो भेजता हूँ.. गौतम सिर्फ चुत की फोटो खींचकर आदिल को व्हाट्सप्प कर देता है.. देख ले खुद चाट रहा हूँ..
आदिल - अबे सच बता किस रंडी की ले रहा है? मुझे नहीं दिलवायेगा?
गौतम हस्ते हुए - अबे तेरी सगी अम्मी है..
आदिल - बहन के लोडे फालतू मज़ाक़ नहीं.. बहुत हो गया तेरा.. औऱ वो जो तूने नंबर दिए थे पैसे ज्यादा मांग रहा है..
गौतम - कितने कम पड़ रहे है?
आदिल - अबे 4 हज़ार मांग रहा है वो भी दो घंटे के.. मैं दो हज़ार देने को त्यार हूँ..
गौतम शबाना को देखकर - बाकी दो हज़ार में सेंड कर रहा हूँ मज़े कर.. औऱ वापस कॉल मत करना शाम तक..
आदिल - बहन के लंड.. होश में है? मेरे टुकड़ो पर पलता है तू.. पैसे कहाँ से आये तेरे पास?
गौतम - बाद में बताऊंगा अभी तेरी अम्मी को चोदना है.. चल रखता हूँ.. पैसे ऑनलाइन कर दिए..
फ़ोन कट हो जाता है..
शबाना - आदिल रडीयों के पास जाता है?
गौतम - कभी कभी जाना पड़ता है अम्मी.. गौतम फिर से शबाना की चुत चाटना शुरू कर देता है.. शबाना भी आगे कुछ नहीं बोलती औऱ अपनी चुत चूसाईं का आनंद भोगने लगती है..
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गौतम पूरी ईमानदारी औऱ स्वाद लेकर शबाना की चुत चाट रहा था औऱ उसकी चुत से निकलता रस पिए जा रहा था.. औऱ शबाना भी सालों बाद मिल रहे सुख का मज़ाक़ उठने लगती है और थोड़ी सी देर बाद ही गौतम में मुंह में झड़ जाती है.. झड़ने के बाद शबाना शर्म से गौतम के सीने में अपने सर छीपा लेती है..
कुछ देर बाद गौतम - शुरू करें?
शबाना शरमाते हुए - हाँ.. मगर संभालके.. 7 साल से कुछ नहीं किया.. औऱ तुम्हारा बहुत बड़ा है..
गौतम मिशनरी पोज़ में आते हुए - तो फिर खुद ही अंदर कर लो..
शबाना कामुक हावभाव के साथ - लंड पकड़कर अपनी चुत के मुहाने पर सेट करती है औऱ हल्का सा गौतम की कमर पर हाथ रखकर अपनी औऱ खींचती है जिससे लंड का टोपा शबाना की गीली चुत में चला जाता है..
शबाना गौतम के देखती हुई उसके होंठो को अपनी क़ैद में कर लेटी है औऱ चूमते हुए लंड को धीरे धीरे चुत में घुसाने की कोशिश करती है मगर गौतम को एक शरारत सूझती है औऱ वो एक जोरदार झटका मार देता है.. झटका इतना तेज़ था की आधे से ज्यादा लंड एक बार में चुत को चिरता हुआ उसमे घुस जाता औऱ शबाना की चिंख निकल जाती मगर घर के बाहर पड़ोस में बज रहे dj की आवाज में उसकी आवाज दब जाती है औऱ शबाना खुद अपने मुंह पर हाथ रख लेती है मगर उसकी आँखों से आंसू औऱ चुत से हल्का खून बह जाता है..
शबाना गौतम को देखती हुई सिसकी भरने लगती है औऱ गोतम के नीचे से निकलने की नाकाम कोशिश करने लगती है मगर गौतम शबाना को नीचे से निकलने नहीं देता औऱ शबाना को प्यार से चुप कराकर वापस चूमने लगता है..
शबाना सिसकती हुई - पहली बार में ही मेरी चुत का भोसड़ा बना देगा क्या हरामजादे.. कहा था ना प्यार से करना..
गौतम - माफ़ कर दो अम्मी.. बहक गया था.. बाहर निकलूं?
शबाना - नहीं बेटा अब रहने दे ऐसे ही..
कुछ देर बाद जब शबाना शांत होती है गौतम फिर से शबाना को उसी मूंड में आने की कोशिश करने लगता है औऱ शबाना जल्दी ही गौतम की छेड़ खानी से कामुक हो उठती है..
गौतम शबाना के कामुक होने पर धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चुत में आगे पीछे करने लगता है औऱ शबाना सिस्कारिया लेटी हुई अपनी चुदाई का सुख भोगने लगती है शबाना इसतरह गौतम को पड़के हुए थी जैसे उसे अपने आप में समाज लेना चाहती हो दोनों के होंठ अब भी आपस में मिलकर एक दूसरे को गिला कर रहे थे..
मिशनरी के बाद बाल पकड़के डॉगी स्टाइल, काऊ गर्ल औऱ फिर गोद में उठाकर गौतम ने शबाना को रंडी बनाके चोदा.
शबाना को ऐसा लग रहा जैसे उसे जन्नत मिल गई हो.. गौतम भी अपने दोस्त की अम्मी चोदते हुए पूरा जोश में था औऱ शबाना को नंगा करके बेशर्मी से अपने लंड पर उछाल रहा था.
शबाना चुदवाते हुए मीठे दर्द औऱ असीम ख़ुशी से कराह रही थी औऱ गौतम को चूमे जा रही थी.. शबाना की चुत से वापस झरना बह चूका था..
शबाना को ऐसा लग रहा जैसे आज वो अलग ही दुनिया में हो उसको आजतक जो नहीं मिल पाया था गौतम ने आज उसे दिला दिया था शबाना के अंग अंग में तरंग की लहर उमड़ पड़ी थी वो गौतम के लिये या उसके कहने पर आज कुछ भी कर सकती थी..
गौतम ने शबाना को वापस बिस्तर पर पटक दिया औऱ मिशनरी में चोदने लगा.. इस बार लम्बे समय से चोदते आ रहे गौतम का झरना भी बह जाना चाहता था औऱ पिछले एक घंटे से शबाना पूरी तरह संतुष्ट होकर गौतम के नीचे पड़ी हुई चुद रही थी.. गौतम ने अपना वीर्य शबाना की चुत में ही भर दिया जो बच्चे दानी में पूरी तरह चला गया..
शबाना - उफ्फ्फ.. ये क्या तूने? अंदर क्यों छोड़ा.
गौतम - मेरी मर्ज़ी अम्मी.. मैं जहा चाहूंगा वही अपना मार निकालूँगा..
शबाना - मैं प्रेग्नेंट हो गयी तो?
गौतम - वही तो मैं चाहता हूँ मेरी जान.. कम से कम एक बच्चा तो तूम मेरा भी अपनी चुत से निकाल सकती हो.
शबाना - अगर तेरा बच्चा मैंने पैदा किया तो मुझे क्या मिलेगा?
गौतम - तुझे क्या चाहिए?
शबाना - तू मुझे छोड़कर नहीं जाएगा कभी.. जब भी बुलाऊंगी आना पड़ेगा मुझसे मिलने..
गौतम - वादा करता हूँ..
गौतम बेडशीट पर खून देखकर- ये कहा से आया?
शबाना हसते हुए - तूने ही तो निकाला है मेरी चुत से.. एक झटके में लोडा अंदर डालेगा तो क्या जूस निकलेगा? सफ़ेद से लाल हो गई बेडशीट..
गौतम - चोदने के बाद बहनचोद भूख बहुत लगती है.. यार कुछ खिला दो अम्मी..
शबाना लड़खड़ाते हुए उठती है औऱ गौतम से मुस्कुराते हुए कहती है - क्या खाओगे क्या बनाऊ?
गौतम भी खड़ा हो जाता है औऱ कहता है - परांठे बना दो..
शबाना - अभी बनाके लाती हूँ..
ये कहते हुए शबाना अपने कपड़े पहनने लगती है मगर गौतम उसे कपडे नहीं पहनने देता औऱ कहता है - रहने दे ना अम्मी.. खाने के बाद वापस उतारना पड़ेगा.. बिना कपड़ो के वैसे भी कमाल लगती है..
शबाना - ब्रा पेंटी तो पहनने दे बेटा..
गौतम - शाम तक कोई कपड़ा नहीं मिलेगा.. चल रसोई में..
गौतम शबाना को उठाके रसोई में ले आता है औऱ शबाना वहा परांठे बनने के लिए आटा लगाने लगती है..
गौतम शबाना को पीछे से पकड़ लेटा है औऱ उसके दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथो में भरके उसी तरह मसलने लगता है जैसे शबाना आटा मसल रही थी..
शबाना - खाना तो बना लेने दे..
गौतम - तो बना ना अम्मी.. तेरे बोबे पकडे है हाथ थोड़े पकडे है..
गौतम ये कहते हुए अपना लंड भी उसकी चुत में डाल देता है..
शबाना - आह.. आहिस्ता...
गौतम - अम्मी बहुत मस्त चुत है तुम्हारी..
शबाना - एक बात पुछु?
गौतम - हाँ.. पूछ ना..
शबाना - मैं कैसी लगी तुझे?
गौतम - सच बताऊ?
शबाना - हाँ
गौतम - रंडी जैसी..
शबाना - क्या.. रंडी जैसी क्यों?
गौतम - बोल रही थी अगला जन्म लेना पड़ेगा.. 4 दिनो में टांग खोल के नीचे लेट गई.. साली रांड..
शबाना मुंह बनाके - चुद गई तो रंडी हो गई? वरना पिछले 4 दिन से हूर रानी परी शहजादी बोल रहा था.. सच में कमीना है.. ले खा ले..
गौतम शबाना को पलटके अपनी औऱ घुमा लेटा है औऱ उसकी चुत में फिर से लंड डालके बोलता है..
गौतम - तूम अपने हाथ से खिलाओ ना अम्मी..
शबाना - रंडी के हाथ से खायेगा?
गौतम - तूम मेरी पर्सनल रंडी हो तुम्हारे हाथ से तो ज़हर भी खा लू..
शबाना मुस्कुराते हुए गौतम को खाना खिलाती है खाना खाने के बाद गौतम - बाथरूम कहा है?
शबाना - क्यों?
गौतम - क्यों क्या? बाथरूम लगा है..
शबाना नीचे बैठकर गौतम का लोडा पकड़ते हुए आँख मारके - तेरी रंडी है ना.. मेंरे मुंह में कर दे.. औऱ गौतम का लोडा अपने मुंह में डाल लेती है..
गौतम शबाना के सर पर हाथ फेरता हुआ उसके मुंह में मूतना शुरू कर देता जिसे शबाना बड़े आराम से पी लेती है..
शबाना को अपना मूत पिलाने के बाद गौतम रसोई से बाहर आ जाता है.. उसके पीछे पीछे शबाना भी बाहर आ जाई है...
गौतम ने शबाना को अपनी बाहों में भर लिया और उसे उठाकर बिस्तर पर ले गया जहां पहले उसे चुम्मा और उसके बाद उसकी चुत को चाटते हुए गांड के छेद आ गया.. शबाना को अपनी गांड के छेद चटवाने में बहुत मजा मजा आ रहा था और गौतम बड़े चाव से शबाना की गांड के छेद को चाट रहा था.. थोड़ी देर शबाना की गांड की छेद को चाटने के बाद गौतम ने छेद में उंगलि डाल दी औऱ उंगलि से शबाना की गांड चोदने लगा.. थोड़ी देर इसी तरह करने के बाद गौतम ने गांड के छेद पर थूक दिया औऱ अपना लोडा लगा दिया..
शबाना को जब इस बात का एहसास हुआ वह मुड़कर पीछे देखने लगी और गौतम से ऐसा नहीं करने के लिए इशारे में मना करने लगे मगर गौतम ने शबाना की एक न सुनी और अपने लंड का दबाव बनाकर गांड की छेद को चोडा करते हुए अपने लोडे का टोपा गांड के अंदर घुसा दिया.. शबाना आहे भरने लगी औऱ सिसकियाँ लेने लगी और वह बार-बार गौतम से गांड के छेद को छोड़ देने की अपील करने लगी मगर गौतम उसकी अपील नकारते हुए शबाना की गांड में अपना लंड घुसाने को बेताबी से अपना जोर लगा रहा था...
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कुछ पलो में ही उसको सफलता भी मिल गई.. शबाना ने पहले भी अपनी गांड मरवाई थी मगर गोतम के बड़े लंड से मारवाने के कारण उसे दर्द भी हो रहा था लेकिन गौतम की ख़ुशी के कारण शबाना ने अपनी गांड की कुर्बानी देने का फैसला कर लिया था..
गौतम अपने दोस्त की अम्मी चोद चूका था औऱ अब बारी गांड की थी जिसे वो चोद रहा था.. आधे घंटे बाद शबाना बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी औऱ उसके ऊपर गौतम शबाना की गांड में लोडा घुसाये लेटा हुआ उसे चोद रहा था..
शबाना ख़ुशी खुशी अपनी गांड भी गौतम के नाम कर देती है औऱ फिर से गौतम गांड चोदकर लंड का माल शबाना की चुत में भर देता है शबाना की चाल ढाल औऱ हाल सब बदल चूका था.
दिन के चार बज चुके थे औऱ गौतम शबाना को बाहों में लिये बिस्तर पर लेटा हुआ था तभी वापस आदिल का फ़ोन आता है..
गौतम - कैसी औलाद पैदा की है यार तूने? साला दिन में दस बार फ़ोन करता है..
शबाना - अब तो तूने इसकी अम्मी चोद ली अब क्यों नाराज़ है इससे?
गौतम फ़ोन उठा कर - गांडु बोला था ना शाम तक फ़ोन मत करना फिर क्यों कर रहा है?
आदिल - भाई जरुरी बात है..
गौतम - बोल क्या जरुरी मात है?
आदिल - ऐसे नहीं पार्टी देनी पड़ेगी?
गौतम शबाना को देखकर - अपनी अम्मी के चुदने की पार्टी मांग रहा है क्या?
आदिल - बार बार अम्मी पे मत आ साले..
गौतम शबाना के बूब्स मसलकर - वरना क्या कर लेगा तू? साले इतने मोटे औऱ टाइट बूब्स है तेरी अम्मी के देखते ही मसलने का मन करता है.. पूरी मिया खलीफा दीखती है रांड.
आदिल - औकात में रह भोसड़ीवाले.. वरना मुझसे भी कुछ सुन लेगा..
गौतम - अच्छा क्या जरुरी बात है बता?
आदिल - फ़ोन पर नहीं.. एक घंटे बाद मेरे घर पर मिलना..
गौतम हैरानी से - पर तू तो कासपुर गया था ना?
आदिल - भाई मेरा काम पूरा हो गया तो अब्बू को वही छोड़कर मैं सीधा वापस आ गया.. एक घंटे में घर पहुंच जाऊंगा.. तू भी आ जा..
गौतम - ठीक है..
शबाना - अच्छा हुआ तूने फ़ोन उठा लिया वरना ये भड़वा आज तुझे औऱ मुझे रंगे हाथ पकड़ लेता.. सूअर है पूरा..
गौतम - एक घंटा है.. चल..
गौतम शबाना को अपने आगे झुका लेता है औऱ लंगड़कर चलती हुई शबाना के बाल पकड़ कर शबाना को चोदते चोदते कमरे से बाहर ले आता है औऱ शबाना के साथ बाथरूम में घुस जाता है आधे घंटे बाद जब दोनों बाथरूम से बाहर निकलती है तो शबाना गौतम की गोद में होती है औऱ गौतम शबाना को बैडरूम में ले आता है उसके बाद दोनों अपनेआप को तैयार करते है औऱ आज हुई घमासान चुदाई के सारे सबूत मिटा देते है. शबाना चुदाई के कारण ऐसे चल रही थी जैसे उसके पैरो में मोच आ गई हो.
गौतम - अम्मी अगली बार कब मिलेगी तुम्हारी चुत?
शबाना - मैं फ़ोन करके बताउंगी अब जल्दी हट आदिल आने वाला होगा..
गौतम हसते हुए - अब क्या डर? उसकी अम्मी तो चुद गई..
शबाना - केसा कमीना है तू..
गौतम - देखना एक दिन आदिल के सामने चोदुँगा तुझे..
शबाना - चुप अब.. चाय पीनी है?
गौतम - हम्म्म पीला दो..
शबाना रसोई में चाय बनाके गौतम को पिलाती है औऱ गौतम चाय पिता हुआ आदिल का इंतजार कर रहा होता है.. कुछ देर बाद आदिल भी घर आ जाता है औऱ गौतम को लेकर कहीं चला जाता है..
Update 13
आदिल गौतम को लेके एक बार में आ जाता है औऱ दोनों कोने में एक टेबल पर बैठ जाते है..
गौतम - अब बता भोस्डिके क्या बता रहा था तू?
आदिल - भाई ऐसे नहीं आज दारू पीला पहले..
गौतम - ठीक है साले.. मंगवा ले..
आदिल वेटर से - भाई दो बियर...
गौतम - बता ना अब..
आदिल - भाई सलमा आपा का अड्रेस मिल गया..
गौतम - कहा से मिला?
आदिल - अरे मिल गया कहीं से बस..
गौतम - तो बता ना भोस्डिके.. रांडो की जैसे नखरे क्या कर रहा है..
आदिल - भाई जयपुर रहती है सलमा औऱ किसी मॉल में जॉब करती है.. व्हाट्सप्प पर पूरा एड्रेस भेजा है तुझे देख..
गौतम फ़ोन देखकर - सच बोल रहा है ना गांडु?
आदिल - अम्मी कसम भाई..
गौतम - अम्मी से याद आया.. भाई तेरी अम्मी है मस्त माल बहनचोद.. पूरी मिया खलीफा है साली.. पूरा ठंडा कर दिया मुझे आज..
आदिल - बहन के लोडे हद में रह.. क्या बोल रहा है..
गौतम - सच में भाई.. बुरा मत मान यार, तेरी अम्मी पसंद आ गई मुझे..
आदिल - भोस्डिके पागल हो गया क्या? अम्मी है मेरी.. क्यों फ़ालतू बकवास कर रहा है.. बिना पिए ही चढ़ गई क्या तुझे?
गौतम - अरे नहीं यार, सच बोल रहा हूँ थोड़ी सी हेल्प कर दे भाई.. तेरी अम्मी की चुत तुझे भी दिलवा दूंगा..
आदिल - चुदाईखाने अम्मी पर मत जा वरना बुरा हो जाएगा.. सबको रांड समझ लिया क्या तूने?
गौतम - क्या बुरा हो जाएगा गांडु? एक चुत के लिए साले औकात दिखा रहा है.. बचपन से कितनी मदद की है तेरी औऱ तू इतनी सी मदद नहीं कर सकता? बदले में तुझे भी तो दिलवा दूंगा..
आदिल - भाई अम्मी का ख्याल दिमाग से निकाल दे..
गौतम - कैसे निकाल दू भाई.. आगे औऱ पीछे का सामान देखा है तूने शबाना का.. देखते ही रगड़ने का मन करता है बहन की लोड़ी को, शकल देखते ही लंड खड़ा हो जाता है मादरचोद..
आदिल - अम्मी को गाली मत दे भोस्डिके, अब औऱ कुछ बोला तो सच में दोस्ती ख़त्म समझ..
वेटर बियर लाकर टेबल ओर रख डेता है औऱ चला जाता है..
गौतम - अच्छा गाली नहीं दूंगा पर सच बोल रहा हूँ.. बहुत पहले से मैं तुझे ये बात बताना चाहता था, यार मैं पागल हो रहा हूँ शबाना के लिए.. लंड खड़ा है देख..
आदिल बियर पीते हुए - तो बहन के लंड हिला ले ना जाके.. अम्मी नहीं यार.. अम्मी को छोड़ दे..
गौतम - देख भाई मैं जानता हूँ तुझे अगर शबाना की चुत मिले तो तू उसे भी नहीं छोड़ेगा.. भाई मेरा वादा है मेरा मन भरने के बाद तुझे भी तेरी अम्मी की चुत दिला दूंगा.. साले ऐसे रांड चोद के कहा तक काम चलायेंगे औऱ कहा से इतने पैसे लाएंगे? भाई सोच अगर हमें चुदाई करनी हो औऱ तेरी माँ फ्री हमसे चुदती रहे तो हमारा कितना फ़ायदा होगा..
आदिल थोड़ी देर चुप रहकर - अब्बू जान से मार देगा भोस्डिके..
गौतम - अबे पता कैसे चलेगा तेरे अब्बू को? तू बताएगा?
आदिल - छोड़ भाई.. जाने दे यार.. अम्मी को रहने दे..
गौतम - भड़वे ऐसे माल को चोदने की जगह छोड़ने की बात कर रहा है.. तू हाँ कर बस.. बाकी सब मुझपर छोड़ दे.. शबाना को बीच में लेके चोदेगे अपन दोनों.. सैंडविच की तरह.. आगे में लूंगा पीछे से तू लेना.. सोच ले.
आदिल - पर पटायेगा कैसे अम्मी को?
गौतम बियर ख़त्म करके - भाई उसकी फ़िक्र मत कर.. पटाया हुआ है.. बस सही टाइम का वेट कर.. कोई फोटो है शबाना की तेरे पास?
आदिल - फोटो तो बहुत है क्यों?
गौतम - चल बताता हूँ..
आदिल - कहा चलू?
गौतम - लंड के मेल.. ज्यादा सवाल मत कर.. चुपचाप चल..
आदिल गौतम के पीछे पीछे चल देता है औऱ दोनों जेंट्स टॉयलेट में आ जाते है जहा गौतम एक केबिननुमा बाथरूम में घुस जाता है औऱ आदिल को भी अंदर आने को कहता है आदिल के अंदर आते है गौतम उसका दरवाजा बंद कर लेटा है औऱ दिल से कहता है..
गौतम - फोटो दिखा शबाना रंडी की..
आदिल फ़ोन निकालकर - भाई क्या कर रहा है?
गौतम - तेरी अम्मी शबाना रंडी पर लंड हिलाएंगे आज दोनों भाई मिलके.. कोई सेक्सी फोटो दिखा तेरी अम्मी की.. बहन की लोड़ी सस्ती मिया खलीफा..
आदिल फोटो निकालकर - देख ये ठीक है?
गौतम - अबे कोई ऐसी फोटो दिखा ना जिसमे इसके चुचे दिखे अच्छे से बिना बुरखे के..
आदिल - ले बहन के लोडे ये देख.. है ना मस्त..
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गौतम - मादरचोद कहा छुपा रखी थी ऐसी तस्वीर? क्या माल लग रही है रंडी.. चुचे देख साली के. फोटो ज़ूम कर..
आदिल - हाँ यार.. अम्मी को चोदने का मन तो मेरा भी बहुत है पहले से.. बस डर लग रहा था..
गौतम - क्या अम्मी अम्मी बोल रहा है मदरचोद.. रंडी है अपनी..
आदिल लोडा बाहर निकालकर - भाई इस रंडी की दिलवा दे यार. अब तो तूने मेरे लंड में भी आग लगा दी शबाना के नाम की.. इसे चोदे बिना चैन नहीं मिलेगा.
गौतम अपना लंड निकालकर - चोद दे पटक के तेरे तो घर में ही रहती है साली..
आदिल गौतम का लंड देखकर - अबे इतना बड़ा कैसे हो गया तेरा?
गौतम - जामुन खाकर हो गया भोस्डिके..
आदिल - मुझे खिला दे वो जामुन भाई..
गौतम - पहले तेरी अम्मी को चोद दू तेरे सामने फिर खिला दूंगा..
आदिल - चोद लेना रंडी को भाई मैं कोनसा मना करने वाला हूँ तुझे.. पर मेरा लंड भी अपने जैसा करवा दे..
गौतम - टाइम आने पर सब हो जाएगा तू चिंता मत कर.. अभी तो इस रंडी पर माल निकाल..
आदिल - हिला बहन की लोड़ी पर.. साली रंडी..
गौतम औऱ आदिल दोनों आदिल के फ़ोन पर शबाना की तस्वीर को देखते हुए मुठ मारने लगते है औऱ आदिल अपना माल उस तस्वीर पर गिरा देता है मगर गौतम अपना माल नहीं गिराता..
आदिल - क्या हुआ निकल नहीं रहा क्या?
गौतम - फोटो पर नहीं भाई, रियल में निकलेगा मेरा..
आदिल फ़ोन उठा लेता है औऱ उसके बाद आदिल अपने फ़ोन की स्क्रीन को गीले रुमाल से साफ करके गौतम के साथ बाहर आ जाता है औऱ दोनों वापस टेबल पर बैठकर एक एक बियर औऱ आर्डर कर देते है..
गौतम - रेशमा का क्या सीन है?
आदिल - कुछ नहीं यार.. निकाह को चार साल हो गये अभी तक बच्चा नहीं हुआ.. जीजा तलाक़ के देने की बोल रहा है..
गौतम - बच्चा नहीं हुआ मतलब कोई कमी है रेशमा में?
आदिल - पता नहीं मुझे जीजा ढीला लगता है..
गौतम - नंबर दे रेशमा के मैं बात कर लूंगा..
आदिल - तू नम्बर का क्या करेगा भाई?
गौतम - भाई तेरी अम्मी के साथ तेरी आपा को भी लंड के नीचे से निकाल दू तो तूझे कोई परेशानी थोड़ी है.. ले नंबर दे..
आदिल नंबर देकर - भोस्डिके चोदने के बाद मुझसे भी चुदवाएगा.. ऐसा ना हो की तू पलट जाए..
गौतम - भाई मेरे बाद तेरा ही नम्बर है.. मेरा मन भर जाए फिर तेरे ही लंड के नीचे रहेंगी दोनों..
आदिल - भाई लंड केसा बड़ा किया बता ना..
गौतम - बताया तो था साले.. जामुन खाकर..
आदिल - मुझे भी खिला दे यार..
गौतम - भाई वो जामुन ख़ास है बहुत दूर एक ख़ास जगह मिलते है ले चलूँगा तुझे कभी..
आदिल - ठीक है भाई.. जल्दी ले चलना..
गौतम - चल अब घर चलते है.. मैं तुझे घर छोड़ देता हूँ..
आदिल - हाँ.. चल..
गौतम आदिल को लेकर उसके घर आ जाता है औऱ घर के बाहर आदिल से कहता है..
गौतम - फारूक कब तक आएगा?
आदिल - अब्बू को आने में 10 बज जायेंगे..
गौतम - अभी 8 बज रहे है.. सुन तेरी अम्मी दरवाजा खोले तो सीधा अंदर जाकर सो जाना. मैं तेरी अम्मी को पटाने के लिए थोड़ी देर तेरी अम्मी से बात करूंगा.. समझा..
आदिल - ठीक है समझ गया..
आदिल दरवाजा बजाता है औऱ कुछ पलो में शबाना लंगड़ाती हुई आकर दरवाजा खोल देती है..
आदिल शबाना के दरवाजा खोलते ही अंदर जाकर अपने कमरे में चला जाता है औऱ गौतम दरवाजे से थोड़ा अंदर आकर दरवाजा लगा देता है..
शबाना - क्या कर रहा है.. आदिल अंदर है
गौतम - तो?
शबाना - देख लेगा.. जा यहां से
गौतम - वो नहीं आएगा.. बस एक चुम्मा लेना है..
शबाना - कुत्ते मेरी चाल बिगाड़ दी औऱ अब चूमा लेने आया है.. जा यहां से मैं फ़ोन करके बुलाऊंगी.
गौतम - बिना चुम्मे नहीं जाऊंगा..
शबाना - चुम्मे के बहाने तू कुछ भी करने लग जाएगा..
गौतम - सिर्फ चुम्मा लूंगा..
शबाना पीछे आदिल के कमरे की तरफ देखती है औऱ गौतम का हाथ पकड़ कर उसे रसोई के पीछे खाली जगह पर ले जाती है..
शबाना - ले जल्दी कर..
गौतम शबाना के चुचे पकड़के अपनी औऱ खींचता है औऱ उसे अपने गले से लगा लेता है फिर चूमने लगता है.. करीब 2-3 मिनट के चुम्बन के बाद शबाना चुम्बन तोड़ देती औऱ कहती है..
शबाना - अब जा ना बेटा.. कोई देख लेगा तो आफत हो जायेगी..
गौतम अपना लोडा बाहर निकाल लेता है औऱ शबाना के कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे बैठने का इशारा करता है औऱ कहता है..
गौतम - इसे शांत कर दो अम्मी फिर चला जाऊंगा.
शबाना गुस्से से - कितना बेसब्री है तू.. आदिल अंदर है.. तू जा यहां से.. कहा ना बाद में सब कर दूंगी.. मेरा भी मन है मगर.. तू समझता नहीं है..
गौतम शबाना का बोबा पकड़ लेटा है औऱ मसलकर कहता है - इसे तो चूसना पड़ेगा अम्मी... वरना मैं यहां से नहीं जाने वाला..
शबाना - बेटा मान जा ना..
गौतम शबाना के बाल पकड़कर उसे नीचे घुटनो पर बैठा देता है औऱ अपना लंड शबाना के मुंह में डाल कर उसे लंड चूसाने लगता है..
गौतम - आदिल की चिंता मत कर, तू बस अच्छे से चूस अम्मी.. आदिल नहीं आने वाला..
शबाना बार बार इधर उधर देखकर जोर जोर से गौतम का लंड चूसने लगती है औऱ थोड़ी देर बाद गौतम शबाना के मुंह में झड़ जाता है..
शबाना गौतम का माल पीकर - अब जा यहां से औऱ फ़ोन करू तभी ही आना..
गौतम शबाना को अपने फ़ोन में कुछ फोटोज जिनमे आदिल ने कुछ देर पहले शबाना की फोटो ओर मुठी मारी थी दिखाकर कहता है - देख तेरे आदिल ने आज तेरी तस्वीर के साथ क्या किया है.
शबाना हैरानी से - तू करवाया होगा उससे ये सब..
गौतम - मैं क्यों करवाने लगा? वो खुद तुझे चोदने की फिराक में है..
शबाना - सच सच बता तेरे आदिल के बीच में क्या खिचड़ी पक रही है..
गौतम - खिचड़ी क्या पैकेगी अम्मी.. बताया तो मैंने आदिल भी तेरी लेना चाहता है..
शबाना - तूने बताया तो नहीं ना उसे हमारे बारे में?
गौतम - मैंने तुम्हारे सामने ही सब बता दिया.. अब पता नहीं उसने विश्वास किया या नहीं..
शबाना - ठीक है अब जा यहां से.. औऱ सुन..
गौतम - हाँ..
शबाना गौतम को चूमकर - अपना ख्याल रखना..
गौतम जैसे ही घर से बाहर निकलता है उसके फ़ोन पर आदिल का फ़ोन आ जाता है..
आदिल - भाई 15-20 मिनट रसोई के पीछे अम्मी के साथ क्या क्या किया बता तो दे..
गौतम - यार चुम्माचाटी की है बस..
आदिल - चुम्मा हो गया? बहनचोद इतनी जल्दी अम्मी मान गई? साली रांड ही है..
गौतम - बूब्स देख गांडू तेरी अम्मी के जाके बहुत सारी लव बाईट देके आया हूँ..
आदिल - बूब्स पर? वाह भाई मज़े ले रहा है मेरी अम्मी के..
गौतम - चल फ़ोन रख बाद में बात करता हूँ.. फ़ोन कट जाता है..
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गौतम जब रात को घर आया तो उसने देखा की सुमन औऱ जगमोहन के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हो रहा था जिसका कारण वो नहीं जानता था. गौतम के आने पर सुमन अपनेआप को काबू में करती हुई चुप हो गई औऱ जगमोहन भी बिना कुछ बोले हाथ में एक बेग लिए घर से बाहर की तरफ आ गया. गौतम ने अपने पापा जगमोहन से बात करने की कोशिश की मगर जगमोहन किसी की भी सुनने के मूंड में नहीं था वो तुरंत घर से बाहर निकल गया औऱ सुमन अपने कमरे में बेड पर बूत बनी बैठी जगमोहन को जाते हुए देखने लगी वही गौतम के पास दो रास्ते थे एक तो ये कि वो जगमोहन को रोककर उससे पूछता कि वो कहा जा रहा है औऱ उसकी माँ सुमन के साथ झगड़ा क्यों कर रहा था तो दूसरा ये कि वो बेड पर बैठी आंसू बहा रही है औऱ सुमन को अपने गले से लगा कर चुप करवाता औऱ उससे इस झगडे कि वजह जानता..
गौतम ने दूर रास्ते को चुना औऱ जोगमोहन को जाने दिया वही सुमन के पास आकर उसके आंसू पोंछते हुए उसे अपने गले से लगा लिया औऱ उसके आँसुओ का कारण पूछने लगा जिसपर सुमन ने कोई जवाब नहीं दिया. गौतम बार बार सुमन से पूछे जा रहा था औऱ सुमन चुपचाप गौतम को देखकर उसके चेहरे को चूमती औऱ कुछ नहीं बोलती..
गौतम - हुआ क्या है माँ? आखिर कुछ तो कहो.. ऐसे क्यों चुप बैठी हो.
सुमन - कुछ नहीं ग़ुगु.. तू जा अपने कमरे में, मैं तेरे लिए कुछ खाने को बना देती हूँ..
गौतम - खाना वाना छोडो यार माँ, मैं यहां फ़िक्र से आधा हुआ जा रहा हूँ पहले मुझे पूरी बात बताओ तभी मैं यहां से जाऊंगा वरना यही जमकर बैठा रहूँगा..
सुमन - ग़ुगु तू अभी छोटा है इन सब बातों में मत उलझ, जाने दे.
गौतम - अगर नहीं बताओगी तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूँगा औऱ ना ही आपका कहा मानूंगा. आपको मेरी कसम सच सच पूरी बात बताओ मुझे..
गौतम के अपनी कसम देने पर सुमन कुछ नरम सी पड़ गई औऱ गौतम को अपने गले से लगा कर जोर जोर से रोने लगी. उसके सब्र का बाँध टूट चूका था औऱ वो अपने आंसू बहा देना चाहती थी. गौतम ने बड़े ही प्यार से अपनी माँ के आंसू को पोंछा औऱ उसे ढांधस बंधाते हुए सुमन से फिर से पूछने लगा तो सुमन ने सब बताने का फैसला कर लिया औऱ बोली..
सुमन - ग़ुगु.. तेरे पापा अब हमारे साथ नहीं रहेंगे..
गौतम - पर क्यों?
सुमन गौतम को देखते हुए - ग़ुगु.. तेरे पापा ने दूसरी शादी भी की है.. औऱ अब वो वही उसी चुड़ैल के साथ रहेंगे कह रहे थे बस महीने एक बार आएंगे वो भी खर्चा देने.. ये कहते हुए सुमन फिर से रोने लगी..
गौतम - माँ.. पापा नहीं है तो क्या हुआ मैं हूँ ना आपका ख्याल रखने के लिए, चलो चुप हो जाओ औऱ अब ये रोना धोना बंद करो.. वैसे भी वो कोनसा यहां रहते ही थे. मैं तो पहले से जानता था कि वो बाहर किसी औऱ के चक्कर में है आपको नहीं बताया क्युकी मुझे डर था आपको बुरा लगेगा..
सुमन - तू जानता था? पर कैसे?
गौतम - वो छोडो.. आप मिली हो उस चुड़ैल से?
सुमन - नहीं.. कभी नहीं देखा उसे.. पता नहीं क्या जादू किया है उस चुड़ैल ने तेरे पापा पर..
गौतम - कोई जादू नहीं किया माँ, औऱ वैसे भी पापा के वहा रहने से या यहां रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता.
सुमन - ऐसा क्यों बोल रहा है..
गौतम - क्युकी मैं जानता हूँ उनकी बन्दूक को जंग लग चुकी है औऱ अब वो अपनी बन्दुक से गोली नहीं चला सकते..
सुमन गौतम कि बात सुनकर हैरानी औऱ हास्य से मुस्कुरा पडती है औऱ कहती है - शर्म नहीं आती तुझे पापा के बारे में ऐसी बात करते हुए?
गौतम सुमन के होंठों के बिलकुल करीब गाल पर चुम्मा करते हुए दांतो से गाल काट लेटा है औऱ सुमन गौतम कि इस हरकत पर हलकी सी आह निकालकर उसके होंठों को अपनी उंगलियों से पकड़ लेती है औऱ कहती है..
सुमन - देख रही हूँ तू भी दिन ब दिन बहुत बिगड़ता जा रहा है.. कितना जोर से काटा है.. कहा था पुरे दिन आज?
गौतम - कहीं नहीं यार माँ, वो एग्जाम आने वाले है तो उसकी तैयारी के लिए दोस्त के साथ पढ़ाई कर रहा था लाइब्रेरी में बैठकर..
सुमन - चल खाना बना देती हूँ..
गौतम - रहने दो.. आज कहीं बाहर खाने का मन है.. आप अपना मूंड ठीक कर लो फिर चलते है..
सुमन मुस्कुराते हुए - ठीक है.. जैसा मेरा ग़ुगु कहे..
गौतम सुमन की जाँघ पर हाथ रखकर सहलाते हुए - माँ मैं चेंज करके आता हूँ आप कपडे बदल लो..
गौतम अपने रूम में आ जाता है और कपड़े बदलने लगता है तभी उसके फोन पर माधुरी का फोन आता है और माधुरी गौतम से बात करते हुए गौतम को अपनी दशा का बयान करते हुए कहती है कि उसे आज गौतम की सख्त जरूरत है. गौतम माधुरी को मना कर देता है और माधुरी गौतम से मिलने की ज़िद करने लगती है गौतम के बार-बार समझाने पर भी माधुरी उससे मिलने पर अड़ी रहती है और गौतम उसे समझा नहीं पता, आखिर में थक हारकर गौतम माधुरी को एक एड्रेस भेजता है जिसमें किसी होटल का पता होता है माधुरी उसे होटल में मिलने को कहती है गौतम और माधुरी के बीच यह बातचीत होकर फोन कट हो जाता है और गौतम कपड़े बदलकर बाहर आ जाता है कुछ देर में सुमन भी अपने कमरे से बाहर हो जाती है और गौतम के साथ घर से निकल पड़ती है.
गौतम सुमन के साथ किसी होटल के रेस्टोरेंट में जाता है जहां उसने माधुरी को बुलाया था और एक टेबल पर सुमन के साथ बैठ जाता है जहां दोनों आमने-सामने बैठकर खाने का ऑर्डर दे देते हैं आज सुमन ने आगे से नॉनवेज आर्डर किया था और खुद भी बड़े चाव से खा रही थी गौतम को देखकर लग रहा था कि वह आश्चर्य में है और सुमन के व्यवहार पर उसे हैरानी हो रही है मगर वह कुछ नहीं पूछता और सुमन के साथ खाना खाने लगता है. गौतम ने कुछ बाईट ही खाइ थी फिर उसे माधुरी याद आ गई और वह बहाना बनाते हुए सुमन से कहने लगा कि उसे प्रेशर आया है और उसे फ्रेश होने की जरूरत है, यह कहकर गौतम टेबल से उठ गया और रेस्टोरेंट से निकलकर होटल के एक कमरे में पहुंचा जहां माधुरी थी.. माधुरी ने जैसे दरवाजा खोला गौतम माधुरी के लबों से चिपक गया और दरवाजा बंद करते हुए माधुरी को अपने आगोश में लेकर बिस्तर पर ले गया और वहां दोनों का संभोग शुरू हो गया गौतम और माधुरी एक दूसरे को पाने की नीयत से चूम रहे थे और दोनों एक दूसरे को कम सुख देने की भरपूर प्रयास कर रहे थे माधुरी तो जैसे काम के शिखर पर थी उसे तो बस गौतम की कमी खल रही थी जो अब पूरी हो चुकी थी और वो गौतम को अपने से अलग नहीं करने देना चाहती थी.
सुमन ने जब गौतम को बाथरूम की जगह सीडीओ की तरफ जाते देखा तो वह अचरज में पड़ गई और वह सोच लगी कि गौतम फ्रेश होने की बोलकर सीडीओ की तरफ क्यों जा रहा है जबकि बाथरूम तो वही नीचे की तरफ बना हुआ है सुमन को कुछ ठीक नहीं लगा और उसे शक हुआ तो वह गौतम के पीछे-पीछे जाने लगी और पता करने की नीयत से सीडीओ पर आ गई. औऱ सोचने लगी कि गौतम कहां जा रहा है.. सीढ़िया चढने के बाद गौतम उसकी आंखों से ओझल हो गया और सुमन गौतम को यहां वहां देखने लगे मगर गौतम कहीं नहीं मिला.
सुमन ने नीचे वापस जाने का निर्णय लिया तभी उसे ऊपर की तरफ एक आदमी अपना काम करते हुए दिखा जो की होटल का स्टाफ मालूम पड़ रहा था सुमन ने उससे पूछा कि उसने एक लड़के को यहां से आते हुए देखा है क्या? बदले में उस आदमी ने सुमन को जवाब दिया कि एक लड़का अभी-अभी 402 रूम नंबर में गुस्सा है सुमन ये सुनकर थोड़ी सी परेशान हो गई और सोचने लगी कि गौतम 402 रूम नंबर में क्या करने गया होगा. वह रूम के सामने आ गई और रूम के अंदर झांकने की कोशिश करने लगी लेकिन रुम के अंदर देखने का कोई जरिया नहीं था सुमन अंदर झांकने की कोशिश कर ही रही थी कि उस आदमी ने जिसे अभी-अभी सुमन सुमन एड्रेस पूछा था उसने सुमन को अंदर झाँकते हुए देख लिया और उसके पास आकर बोला - ऐसे अंदर कुछ नहीं दिखेगा और एक पीन देते हुए सुमन से कहा कि इसे चाबी की सुराख़ में लगाकर अंदर का नजारा देखा जा सकता है..
सुमन ने पीन लेकर चाबी की सुराग में लगा दिया और घुटने पर बैठ गई अंदर देखने लगी जैसे सुमन ने अंदर का नजारा ददेखा तो उसके पैरों की जमीन हिल गई अंदर गौतम और माथुर के बीच संभोग चल रहा था जिसमें गौतम माधुरी को बिस्तर पर घोड़ी बनाएं चोद रहा था
सुमन यह नजारा देखकर सोचने लगी कि गौतम उससे बहाना बनाकर यह सब क्यों कर रहा है और जो औरत उसके आगे घोड़ी बनी हुई थी उसकी शक्ल देखते ही सुमन समझ गई कि उसकी उम्र 35 से ऊपर है मगर गौतम को इतनी बड़ी-बड़ी औरतें क्यों पसंद है सुमन ने पहले गौतम को पिंकी के साथ देखा था और अब वह गौतम को माधुरी के साथ देख रही थी जिस तरह से गौतम अपने लंड से माधुरी की प्यास बुझा रहा था उसे देखकर सुमन के दिल में भी हल्का-हल्का दर्द होने लगा और उसकी चुत से हल्की-हल्की पानी के बुँदे बाहर आने लगी उसके दिल में भी अब काम के प्यास आजाद होने लगी थी और सुमन अब यह सोचने की जगह की उसका बेटा क्या कर रहा है और किसके साथ कर रहा है वह खुद का कामोतेजना से ओतप्रोत होकर भरने लगी थी.
गौतम माधुरी के बाल पड़कर उसे बिस्तर पर आडा पटक के चोद रहा था
ये नज़ारा देखकर सुमन बाहर घुटनों पर बैठी हुई अपने मन को काबू में करती हुई सब देख रही थी उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि गौतम अपने से इतनी बड़ी औरत और इतनी खेली खाई लगने वाली औरत को इतनी आसानी से बिस्तर पर चोद-चोद कर रुला रहा था. गौतम ने माधुरी के बाल पड़कर अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया और उसे अपना लंड चूसाने लगा. यह देखकर सुमन की चुत से पानी बहने लगा और वह दरवाजे के बाहर खड़ी हुई गौतम के लंड को निहारने लगी और उसे आंखों में बसने लगी उसने पिंकी के साथ गौतम की चुदाई के दौरान भी गौतम का लंड देखा था मगर आज उसे और भी ज्यादा साफ नजारे के साथ गौतम के लंड के दर्शन हो रहे थे.. गौतम का लंड बहुत ही सुंदर बलिस्ट और परिपूर्ण लग रहा था जिसे देखकर सुमन की चुत में खुजली चलने लग गई थी मगर वह कुछ नहीं कर सकती थी. सुमन चाहती तो दरवाजा खुलवा कर अंदर जा सकती थी और गौतम और माधुरी को पड़कर हंगामा खड़ा कर सकती थी मगर उसने ऐसा कुछ नहीं किया और वह चुपचाप घुटनों पर बैठकर अंदर रूम में झांकती हुई दोनों की चुदाई देखने लगी.
गौतम ने माधुरी को जिस तरह अपने बस में करके चोदा था उससे माधुरी गौतम की गुलाम हो चुकी थी और आज भी गौतम के कहे अनुसार हर पोज में गौतम को काम संतुष्टि देकर अपने भी मन की इच्छा पूरी करवा रही थी
थोड़ी देर माधुरी को चोदने के बाद गौतम ने माधुरी को घुटने पर बैठा दिया और उसके मुंह पर अपना लंड हिलाते हुए सारा माल उसके मुंह पर निकाल दिया..
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यह देखकर सुमन काम की इच्छा से भर गई और वहां से उठकर वापस नीचे आ गई रेस्टोरेंट में बने लेडीज टॉयलेट में जाकर सुमन ने अपनी उंगली से अपनी प्यास बुझाने का निर्णय किया और कुछ ही देर में उंगली करके बाहर आ गई फिर से वह अपनी टेबल पर बैठ गई और गौतम का इंतजार करते हुए सोचने लगी कि गौतम किस तरह से इतनी अच्छी चुदाई कर लेता है और यह औरत कौन थी जो गौतम से चुद रही थी? देखने से तो वह भी गौतम की मां की बराबर ही लगती थी लेकिन गौतम किस तरह रंडी बनाकर उस औरत को चोद रहा था. आखिर थी कौन? औऱ कैसे गौतम के संपर्क में आइ? और गौतम से अपनी इच्छा या कहो काम इच्छा पूरी करवा रही थी.
गौतम और माधुरी दोनों ही काम के सागर में डुबकी लगाकर बाहर आ चुके थे और अब दोनों ही अपने-अपने कपड़े पहन कर खड़े हो चुके थे और साथ में नीचे आ गए..
गौतम टेबल पर बैठकर सुमन से माधुरी का परिचय करवाते हुए - माँ ये मेरी टीचर है..
सुमन झूठी मुस्कान के साथ - हेलो..
माधुरी भी उसी टेबल पर बैठके - हेलो.. कैसी हो आप..
सुमन - अच्छी..
माधुरी - गौतम बहुत तारीफ़ करता है आपकी.. मेरी माँ ऐसी है मेरी माँ वैसी है.. आज आपसे मिलने का मौका भी मिल गया..
सुमन - ग़ुगु ने कभी आपके बारे में नहीं बताया..
गौतम खाने में तनलीन था..
माधुरी मुस्कुराते हुए - कैसे बताएगा आपने कभी पूछा ही नहीं होगा.
सुमन - आपके गले पर ये निशान? लगता है किसी ने जोर से काटा है आपको..
माधुरी गौतम को देखते हुए - हाँ बहुत जोर से काटा है.. पर इसमें भी मज़ा है आप तो जानती होगी.. आपसे क्या छुपाना..
सुमन - आप यहां अकेली आई है?
माधुरी - हाँ कुछ काम था, पूरा हो गया तो अब चलती हूँ.. आप दोनों अपना खाना एन्जॉय कीजिये..
सुमन - ज़ी..
माधुरी गौतम और सुमन से विदा लेकर बाहर आ जाती है और माधुरी रेस्टोरेंट से निकल जाती है जबकि सुमन माधुरी को जाते हुए तब तक देखने लगती है जब तक कि वह उसकी आंखों से दूर नहीं हो जाती.. सुमन की आंखों में क्रोध और जलन साफ-साफ दिखाई दे रही थी गौतम से माधुरी का मिलन सुमन को जरा भी नहीं भाया था लेकिन सुमन गौतम और माधुरी को पड़कर या उनसे बात करके कि वह दोनों यह सब क्यों कर रहे हैं? नहीं पूछना चाहती थी..
सुमन जानती थी कि गौतम को उसकी बातों का बुरा लगेगा और अगर वह भी उससे रूठ गया तो सुमन कैसे गौतम के बिना जी पाएगी. मगर न जाने क्यों सुमन को अब पहले से ज्यादा गौतम पर लाड और प्यार आने लगा था वह चाहती थी कि गौतम खुश रहे और उसे दुनिया की हर खुशी मिले.. उसके मन में यह भाव अब और ज्यादा उमड़ रहे थे. यह भाव ममता से कहीं ज्यादा आगे के थे सुमन गौतम की ख़ुशी के लिए अब और भी ज्यादा जतन करने का इरादा करती थी.
गौतम - माँ खाना केसा है?
सुमन - बहुत अच्छा..
गौतम - लो ना.. ये मटन खाओ.. बहुत स्वाद बना है..
सुमन खाते हुए - हम्म.. अच्छा है..
गौतम और सुमन दोनों खाना खाने के बाद टेबल से खड़े हो जाते हैं और गौतम बिल पे करके सुमन के साथ रेस्टोरेंट से बाहर आ जाता है जहां गौतम पार्किंग में लगी अपनी बाइक निकाल कर सुनसान पड़ी सड़क पर बाहर आ जाता है और सुमन उसके पीछे बैठने लगती हैं. गौतम थोड़ी देर बाइक चला कर रास्ते में एक सुनसान पड़ी सड़क जहां किसी भी इंसान का कोई नामो निशान नहीं था उसके किनारे अपनी बाइक रोक लेता है और गौतम के बाइक रोकने पर सुमन से पूछता है कि क्या हुआ तब गौतम कहता है कि उसे बाथरूम आया है गौतम बाइक से उतरकर सड़क के किनारे बाथरूम करने लगता है और सुमन बाइक से उतरकर गौतम को बाथरूम करते हुए देखने लगती है गौतम का लंड उसकी आंखों के सामने था मगर सुमन के सामने गौतम के पीठ होने के कारण उसे देख नहीं पा रही थी.. सुमन के मन में उसे देखने की इच्छा थी मगर वह क्या कर सकती थी वह खुलकर गौतम से उसका लंड दिखाने के लिए का भी नहीं सकती थी और गौतम यह जान भी नहीं पा रहा था कि उसकी मां सुमन उसके लंड को देखने के लिए बेताब है और उसे मन ही मन में चाहने लगी है कुछ देर बाद गौतम बाथरूम करके वापस बाइक के पास आ गया जहां उसकी मां समान खड़ी थी सुमन गौतम को देखे जा रही थी और उसमें ही कोई हुई थी..
गौतम - माँ सिगरेट लाई हो?
सुमन अपने पर्स से सिगरेट का पैकेट औऱ लाइटर गौतम को देते हुए - लो..
गौतम एक सिगरेट निकालकर अपने होंठों पर लगा लेता औऱ सुमन गौतम के हाथ से लाइटर लेकर अपने हाथ से मुस्कुराते हुए गौतम के होंठों पर लगी सिगरेट सुलगा देती है गौतम अपनी माँ के इस व्यवहार से चकित था मगर उसने कुछ नहीं कहा..
गौतम दो कश लेकर सिगरेट सुमन को दे देता है और सुमन भी दो तीन कश लेकर वापस से सिगरेट गौतम को दे देती है दोनों के बीच इस दौरान कोई बात नहीं होती मगर आंखों ही आंखों में बहुत सी बातें एक दूसरे को समझ आ जाती है जो बातें मुंह से कहने में दोनों को ही शर्म आ रही थी..
सिगरेट के खत्म होने पर गौतम वापस अपनी बाइक स्टार्ट करके उसे पर बैठ गया और सुमन भी उसके पीछे बाइक पर बैठ गई और दोनों वापस घर आ गए..
सुमन और गौतम अपने-अपने कमरे में जाकर सोने की तैयारी कर रहे थे और दोनों ने हीं अपने-अपने कपड़े बदल दिए थे रात के 11:00 बज रहे थे गौतम को जब अपने कमरे में नींद नहीं आई तो वो सुमन के कमरे में आ गया और उसने देखा कि सुमन भी आंखें खोलकर बिस्तर पर करवटें बदलती हुई इधर-उधर देख रही है अब तक दोनों में कोई बात नहीं हुई थी मगर सुमन ने गौतम को कमरे के दरवाजे पर खड़ा देखा तो वह हैरानी से बोली..
सुमन - क्या हुआ ग़ुगु?
गौतम - माँ मैं आपके साथ सो जाऊ?
सुमन मुस्कुराते हुए - इसमें पूछने की क्या बात है बेटा आजा.. सुमन ने अपनी दोनों बाहे फैला कर ऐसा कहा था औऱ गौतम आगे बढ़कर सुमन के गले से लग गया औऱ बिस्तर पर सुमन औऱ गौतम दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में भरे लेट गए..
गौतम सुमन के चुचे पर हाथ रखकर - माँ..
सुमन जानती थी गौतम उससे क्या पूछने वाला है इसलिए सुमन खुद ही गोतम से बोली - दूदू पीना है..
गौतम की आँखों में चमक आ गई औऱ वो बोला - हम्म..
सुमन ने अपना ब्लाउज औऱ ब्रा उतार कर बिस्तर के कोने पर रख दी औऱ गौतम को चुचे चुसवाने की नियत से इशारा कर दिया गौतम ने भी अपनी टीशर्ट उतारकार साइड में रख दी औऱ दोनों माँ बेटे कमर से ऊपर पूरी तरह नंगे होकर बिस्तर पर अपनी मर्यादा भूल रहे थे..
गौतम सुमन के चुचे पकड़कर मसलते हुए उनका दूध पी रहा था औऱ बार बार निप्पल्स को मरोड़ कर सुमन की काम पिपासा बढ़ा रहा था. आज गौतम जिस तरह से सुमन के बूब्स पर लव बाईट दी थी उससे सुमन को साफ पता चल गया था की अगर गौतम को उसकी चुत मिल जाए तो वो उसे भी चोद देगा.. मगर सुमन गौतम की मनमानिया सहते हुए अपने बूब्स को चुसवाने औऱ उनपर होने वाली लव बाईट का मज़ा ले रही थी..
करीब आधे घंटे गौतम ने सुमन के चुचो का स्वाद चखा औऱ उनपर अपने प्यार की छाप छोड़ी फिर सुमन ने गौतम से कहा..
सुमन - ग़ुगु.. अब तक मन नहीं भरा तेरा?
गौतम - क्यों.. आपको नींद आ रही है माँ?
सुमन - नहीं बस ऐसे ही पूछा बेटा.. तुम जितना चाहो मम्मा का दूदू पी सकते हो..
गौतम - माँ एक गेम खेलोगी मेरे साथ? ट्रुथ एंड डेर वाला..
सुमन - ठीक पर कोई फालतू सवाल या काम नहीं बताना मुझे समझा?
गौतम सुमन के ऊपर आता हुआ - पक्का माँ.. अच्छा पहले eye कोंटेक्ट करते है जिसने पहले पलके झुका ली वो हार जाएगा..
सुमन - ठीक है.. चलो..
बिस्तर पर सुमन पीठ के बाद लेटी हुई थी और सुमन के ऊपर गौतम लेटा हुआ था गौतम के सीने में सुमन के निपल्स कड़क होकर इस तरह चुब रहे थे जैसे कोई तीर चुभ रहा हो जिसमें गौतम का बहुत आनंद आ रहा था सुमन भी इस बात से पूरी तरह वाकिफ थी और जानती थी कि गौतम को उसके ऊपर इस तरह लेटने में मजा आ रहा है.. सुमन औऱ गौतम दोनों कमर से ऊपर नंगे थे.. सुमन ने अपने दोनों हाथ गौतम के गले में डाल दिया और उसकी आंखों में देखने लगी.. सुमन ज्यादा देर तक अपनी आंखें खोल पाने में सफल नहीं रही और उसने अपनी पलके झुका कर झपका दी.. जिससे वो हार गई..
गौतम मुस्कुराते हुए - बताओ माँ ट्रुथ या डेर?
सुमन - ट्रुथ..
गौतम - शादी पहले कितने बॉयफ्रेंड थे आपके?
सुमन - ये क्या सवाल है.
गौतम - इतना आसान सवाल तो है.. बताओ ना..
सुमन - 2 थे.. एक स्कूल में एक बाहर..
गौतम - सेक्स किया था आपने उनके साथ?
सुमन - ग़ुगु एक ही सवाल करना था वो हो गया..
गौतम - माँ बताओ ना.. वही सवाल है अभी..
सुमन शरमाते हुए - हम्म किया था.. अब चलो वापस आँख मिलाओ.. वापस खेलते है..
सुमन और गौतम वापस से आई कॉन्टेक्ट खेलने लगे जिसमें वापस से सुमन की हार हो गई..
गौतम - बोलो.. ट्रुथ या डेर?
सुमन - तुम पता नहीं क्या पूछोगे.. इस बार डेर..
गौतम - अच्छा तो आपका डेर ये है की आप मुझे 2 मिनट लीप kiss करोगी..
सुमन हँसते हुए - सीधा बोल ना तुझे मेरे बोबो के बाद होंठ चाहिए चूसने के लिए.. बहुत बिगड़ गया है तू.. जवानी चढने लगी है तुझे..
सुमन बातें कर रही थी कि गौतम ने सुमन के होठों को अपने होठों में ले लिया और उसे चूमने लगा सुमन ने उसका कोई विरोध नहीं किया और प्यार से हंसते हुए मुस्कुराकर गौतम को अपने होंठ चूसाने लगी.. गौतम और सुमन के बीच चुंबन बहुत गहरा हो चुका था दोनों ही एक दूसरे को भर भर के अपने लबो के जाम पिला रहे थे और एक दूसरे के होंठों से मदिरा का प्याला पी रहे थे, 2 मिनट लंबा होने वाला चुंबन कब 10 मिनट से ऊपर हो गया दोनों को पता ही नहीं चला और दोनों आप एक दूसरे के मुंह का स्वाद लेने में और देने में लगे थे दोनों की जीभ वापस में ऐसे लड़ रही थी जैसे कुश्ती के अखाड़े में पहलवान लड़ते हैं. सुमन काम के सागर में इतनी डूब गई थी कि उसने गौतम के लबो को चूमते हुए और चूसते हुए उसपर एक जोर की लव बाईट कर ली जिससे गौतम की आवाज निकल गई और दोनों का चुंबन टूट गया..
सुमन - तू ठीक है ना ग़ुगु? गलती से काट लिया बेटा.. माफ़ कर दे मम्मा को.. देखा मुझे..
गौतम - कुछ नहीं हुआ माँ.. सब ठीक है..
सुमन - सॉरी बेटू.. इतना जोर से काट लिया तेरे होंठों को..
गौतम सुमन के निप्पल्स मसलते हुए - कोई बात नहीं माँ.. वैसे किसिंग बहुत अच्छा करती हो आप.. कहा से सीखा बताओ ना?
सुमन आह भरते हुए - कहीं नहीं बेटा.. तू भी बहुत अच्छा चूमता है.. दो मिनट से कब दस मिनट हो गए पता ही नहीं चला.
गौतम - आओ माँ वापस खेलते है..
सुमन - नहीं अब नहीं.. ना जाने तू क्या क्या पूछेगा औऱ क्या क्या करवा लेगा मुझसे..
गौतम सुमन की गांड पर हाथ रख देता है औऱ गांड मसलते हुए कहता है - प्लीज ना माँ..
सुमन भी काम की अग्नि में जल रही थी उसने गौतम का हाथ अपनी गांड से नहीं हटाया औऱ गोतम से बोली - ग़ुगु तू ना बहुत शैतान हो गया है.. आजकल बिलकुल भी मेरा कहा नहीं मानता.. चल ठीक ही मिला ले आँखे.. इस बार मैं तुझे हरा के रहूंगी..
गौतम और सुमन फिर से ऑइ कांटेक्ट करते हैं और इस बार वापस गौतम सुमन को हरा देता है
गौतम - बड़ी आई थी आप मुझे हराने वाली.. चलो बताओ क्या लोगी..
सुमन मुस्कुराते हुए - ट्रुथ..
गौतम - अच्छा तो बताओ पापा औऱ आपके बीच कब से सेक्स नहीं हुआ..
सुमन प्यार से गौतम के होंठ पकड़कर - कैसे कैसे सवाल पूछ रहा है, लगता है मार खाने का इरादा है मेरे ग़ुगु आज..
गौतम उदास मुंह बनाकर - नहीं बताना तो ठीक है जाने दो, सो जाते है..
सुमन ने गौतम का चेहरा अपने हाथ में ले लिया औऱ उसके होंठों पर एक के बाद एक 8 चुम्मे कर डाले औऱ फिर प्यार से बोली - आठ साल हो गए.. बस.. अब चल अच्छे बच्चे की तरह सो जा.. औऱ कोई ऐसी वैसी शरारत मत करना वरना बहुत मारूंगी तुझे...
गौतम - ठीक है जैसा आप कहो.. एक बात बोलू..
सुमन - हम्म..
गौतम बूब्स पकड़कर निप्पल्स से खेलते हुए - आपके बूब्स पर टैटू बहुत अच्छा लगेगा..
सुमन - तू कहेगा तो बनवा लुंगी.. पर बनता कहा है टेटू?
गौतम- उसकी फ़िक्र आप मत करो मैं आपको ले चलूँगा मैं जानता हूँ जो ये बनाता है..
सुमन - अच्छा ठीक है पर कोई सस्ता वाला देखना..
गौतम - उसकी चिंता आप मत करो.. वैसे आपके इंस्टा अकॉउंट का क्या हुआ?
सुमन - वो मैंने डिलीट कर दिया..
गौतम - पर क्यों? इतने सारे फॉलोअर थे आपके..
सुमन - बस ऐसे ही ग़ुगु.. लोग बहुत गंदे massage करते थे..
गौतम - कब डिलीट किया
सुमन - एक हफ्ता हो गया..
गौतम - कोई बात नहीं.. आपका मन हो तो वापस बना लेना.
सुमन - हम्म.. चलो अब मम्मा को गुड नाईट किस दो औऱ सो जाओ..
गौतम सुमन के होंठ चूमने लगता है औऱ सुमन गौतम के चेहरे को पकड़ के चूमती हुई अपनी जीभ वापस गौतम के मुंह में डाल देती है औऱ उसे चूमने लगती है.. दोनों एकदूसरे को चूमने के बाद एक दूसरे से लिपटकर सो जाते है..
नींद आते ही गौतम को सपने में एक गाँव दीखता है जहाँ दो औरत तेज़ी से कहीं जा रही थी.. गौतम को ऐसा लग रहा था जैसे उसे ये गाँव औऱ जगह देखी हुई है औऱ वो उन औरतों को जानता है.. गौतम सपने में आगे जो देखता उससे वो नींद में बड़बड़ाने लगता है..
Update 14
बिस्तर पर चादर के नीचे सुमन और गौतम कमर के ऊपर नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए एकदूसरे को बाहों में भरकर सोने लगे थे. सुमन प्यार से गौतम का चेहरा अपने सीने से लगाकर उसके सर के ऊपर हाथ फेर कर उसके बाल सहलाती हुई उसे सुला रही थी जिससे गौतम को कुछ ही देर में नींद आ गई और वह सपनों के सागर में खो गया.. वह सपना देखने लगा औऱ सपने में उसने देखा की एक औरत जो करीब 60 साल की है जल्दी में दूसरी औरत से बात करती हुई कहीं जा रही थी..
अरे कहा था ना ताई वही रुक जाओ.. अब देखो कैसी हालात हो गई है लता की..
तू ज्यादा बात मत कर शान्ति.. जल्दी से गर्म पानी करवा के ले आ.. लगता है कुछ ही देर में बच्चा होने वाला है..
शान्ति - ठीक है ताई.. अभी करवा के लाती हूँ..
शांति ताई को अंदर लता के पास छोड़कर खुद बाहर आ जाती है और बाहर परेशानी में इधर-उधर घूम रहे लता के पति धूपसिंह से कहती है कि उसे गर्म पानी चाहिए धूपसिंह शांति को चूल्हे की तरफ इशारा करते हुए कहता है गर्म पानी किया हुआ पड़ा है.. लता चूल्हे से गर्म पानी का भगोना उठा कर कमरे के अंदर आ जाती है और लल्ली ताई को पानी का भगोना दे देती है..
कुछ देर बाद लता एक जुड़वा भाई बहन को जन्म देती है जिसे हाथ में लेकर ताई शांति को देखती और शांति भी ताई को देखने लगती है..
लता बच्चों को जन्म देकर बेहोश हो चुकी थी और उसे हो रहे दर्द से थोड़ा आराम मिल गया था..
शान्ति - ताई.. मैं धुप भाईसाब को बता के आती हूँ..
लल्ली ताई - अरे रुक कम्भख्त..
शांति - क्या हुआ ताई इतनी ख़ुशी की खबर है धुप भाईसाब कुछ ना कुछ इनाम जरूर दे देंगे खुश होकर..
लल्ली ताई - अरे इनाम से कब तक काम चलेगा?
शान्ति - तो ताई?
लल्ली ताई - एक काम कर.. इस बच्ची को तू पीछे के दरवाजे से बाहर ले जा औऱ घर में रख, 11 कोस पर जो नोगी गाँव है वहा के साहूकार के यहां बच्चा नहीं है उसने कहा भी था बच्चा लेने के लिए.. वो बड़ी औऱ मोटी रकम देगा. जिससे हम आराम से बैठके खा पी सकते है..
शान्ति - सही कह रही हो ताई.. वैसे भी कोनसा धुप भाईसाब औऱ लता को पता लगने वाला है इस बात का.. लाओ दो मुझे बच्ची मैं अभी पीछे के रास्ते से उसे ले जाती हूँ..
लल्ली ताई - संभालके.. बहुत ध्यान से कोई देख ना ले.. बड़ी जिम्मेदारी का काम है.. मैं बच्चे को धुप सिंह के पास बाहर ले जाती हूँ.. थोड़ी देर में लता को भी होश में आ जायेगी..
शांति - हां ताई.. चलो..
लल्ली ताई हाथ में बच्चा लिए कमरे से बाहर आ जाती है और दूर पेड़ के नीचे दांतों में उंगलियां दबाए इधर से उधर घूम रहे धूप सिंह को बुलाते हुए कहती है..
लल्ली ताई - अरे ओ धुपया.. आ जाओ.. लल्ला हुआ है लल्ला.. देख केसा चाँद खिला है तेरे आँगन में..
धुपसिंह लल्ली ताई के पास आ कर मुस्कुराते हुए बच्चे को अपनी गोद में ले लेता है औऱ अपने हाथ से सोने की अंगूठी निकालकर लल्ली को दे देता है..
लल्ली ताई - अरे इस अंगूठी से क्या होगा धुपया.. पहली बार में लल्ला हुआ है कुछ औऱ भी दिओ..
धुपसिंह बच्चे को देखता हुआ - क्या चाहिए ताई..
लल्ली ताई - अब तुझे क्या कहु धुपया.. तू जानता है मेरी हालात ना खाने को है ना पहनने को.. इस अंगूठी से कुछ दिन काम चल जाएगा मगर फिर वही हालात होगी.. तू तो जागीरदार के दिए खेत भी जोतता है.. 3-4 महीने का अनाज दे दे तो बरसात के दिन आराम से कटे..
धुपसिंह - 3-4 महीने क्यों ताई तू साल भर का अनाज लेजा..
लल्ली ताई - तेरा भाला हो धुपया.. आज तेरे माँ बापू जिन्दा होते तो बहुत खुश होते.. अब जा अपनी लुगाई के पास.. थोड़ी देर में वो होश में आ जायेगी.. अब तुझे ही ख्याल रखना है माँ बेटे दोनों का..
इतना कहकर ताई वहां से चली जाती है और धूपसिंह कमरे के अंदर जाकर लता के करीब बैठ जाता है और बच्चे को खिलाता हुआ लता के होश में आने का इंतजार करता है कुछ ही पलों में लता भी होश में आ जाती है और दर्द से राहत पाकर मुस्कुराती हुई धूपसिंह और उसके गोद में बच्चे को देखती हैं.
धुपसिंह - बेटा हुआ है लता.. शकल तेरे ऊपर गई है..
लेता - मैंने कहा था मैं माइके से किसीको बुला लेती हूँ आपको कितना कस्ट हो रहा है मेरे कारण..
धुपसिंह - तू आराम कर.. ये बातें फिर कभी करना..
दूसरी ओर जैसे ही शांति बच्चों को लेकर घर के पिछले दरवाजे से निकली वह इधर-उधर से छुपती छुपाती हुई जंगल के मुहाने पर पहुंच गई. शान्ति को सामने से जागीरदार के सैनिक करते हुए दिखाई दिए तो वह थोड़ा सा जंगल के अंदर आ गई और वहीं से किनारे किनारे अपने गंतव्य तक पहुंचाने के लिए चलने लगी.. मगर शांति को पता ही नहीं चला कि वह जंगल के अंदर किनारे किनारे नहीं बल्कि थोड़ा सा और अंदर आ चुकी है जहां जंगल के जानवर उसके आसपास मंडरा रहे थे और परिंदे रात के इस पहर जंगल को अपनी आवाजों से और भयानक कर रहे.
शांति ने रात के अंधेरे में भी अपने से थोड़ा सा दूर एक बाघ को देख लिया जिसकी आंखें चमक रही थी मगर उस बाघ का ध्यान कहीं और था. शांति की हालत खराब हो गई उसके बदन में कंपन होने लगा और उसे डर था की कहीं बच्ची अब रो ना दे.. क्योंकि अगर उसने रोना शुरू कर दिया तो बाघ निश्चित ही उसके यहां होने का अनुमान लगा लगा और अपने नुकीले पंजों और दातों से उसकी हत्या करके उसे खा जाएगा..
शांति धीरे-धीरे पीछे हटने लगी और पीछे हटते हुए उसका पर एक पत्थर से टकरा गया जिससे वह जमीन पर गिर गई और बच्ची भी नीचे गिर गई और रोने लगी.. बच्ची की आवाज करने पर शांति डर से तिलमिला गई और अपनी जान बचाने के लिए बच्ची को वहीं छोड़कर पीछे की ओर भागने लगी.
शांति तब तक भागती रही जब तक उसके पैरों ने उसका साथ नहीं छोड़ दिया.. शांति भगते भगते जंगल से बाहर आ चुकी थी और सड़क से एक किनारे आकर एक जगह बैठ गई औऱ लम्बी लम्बी सांस लेने लगी.. शांति की साँसे बहुत तेज ऊपर नीचे हो रही थी और उसका मन घबराहट के मारे उथल-पुथल हो रहा था. शांति अपनी जान बचाकर भाग आई थी मगर उसे यह ध्यान नहीं था कि वह उस बच्ची को वहीं छोड़कर आ चुकी है और बाघ उसकी आवाज सुनकर उसके निश्चित ही करीब आ जाएगा और उसे मार डालेगा.
शांति ये सोच सोच कर रोने लगी थी कि उसने एक बच्ची को मौत के मुंह में डाल दिया है और वह खुद डरपोक की भांति अपनी जान बचाकर भाग आई है.
लल्ली ताई जब धूपसिंह के घर से निकली और अपने घर आ रही थी तभी उस रास्ते में शांति डगर के किनारे बैठी हुई रोती हुई दिखाई पड़ी.. ताई ने आगे बढ़कर शांति से उसके रोने की वजह पूछी और उसे चुप करते हुए क्या हुआ बताने को कहा तो ताई के पूछने पर शांति ने साफ-साफ शब्दों में अपने साथ जो कुछ हुआ उस कहानी को बयां कर दिया जिससे ताई भी शांति के साथ में वही बैठ गई और जो कुछ हुआ उसपर अफसोस करने लगी. दोनों ने काफी देर तक वहीं बैठकर एक दूसरे को संभाला और फिर दोनों ने एक मत होकर वापस जंगल में जाकर उसे बच्ची को तलाशने की सोची.. दोनों डरते-डरते धीरे-धीरे जंगल में कदम बढ़ाती हुई जा रही थी..
शांति के बच्ची को छोड़कर भाग जाने के बाद बाघ के कानों में जब बच्ची के रोने की आवाज पड़ी तब बाघ उस बच्ची के करीब आने लगा और जब बाघ ने उस बच्ची को जमीन पर पड़ा रोता हुआ देखा तो उस बाग ने बच्ची जिस कपड़े में थी उस कपड़े को अपने मुंह से पकड़ लिया और कपडे के साथ बच्ची को उठाकर थोड़ा सा दूर जंगल की जमीन पर बेसुध होकर सो रहे एक आदमी के पास ले आ गया..
आदमी मटमेली जमीन पर इस तरह लेटा हुआ सो रहा था जैसे कोई राजा मखमली बिस्तर पर सोता है. बच्ची के रोने की आवाज से उस आदमी की नींद नहीं खुली मगर बाघ के पंजों की छुअन से उस आदमी की नींद टूटी गई.. आदमी ने जब बच्ची के रोने की आवाज सुनी तो वह उठ कर बैठ गया और अपने पास रखें एक पानी के भरे सुराही जैसे चमड़े के अंदर से पानी निकाल कर अपने मुंह पर मरता हुआ अपने सामने खड़े बाग और बगल में जमीन पर पड़ी रोती हुई बच्ची को देखने लगा..
आदमी ने बाघ को देखते हुए उससे पूछा - यह किसे अपने साथ ले आया बालम.. और फिर उस बाघ के सर पर हाथ रखकर अपनी आंखें बंद करते हुए जो कुछ घटा था सारा दृश्य देख लिया औऱ माजरा समझ लिया..
आदमी के बदन पर फटे पुराने मट मेले कपड़े थे सर औऱ दाढ़ी पर बाल बड़े-बड़े और देखने से लगता था कि आदमी कई दिनों से नहीं नहाया है हालत से दिन हीन लगने वाला ये आदमी इतने भयानक जंगल में अकेला एक कुटिया बनाकर रहता था और उसने जिस बाघ को पाला हुआ था उसका नाम बालम रखा था.. जिस तरह से उस आदमी ने बाघ के सर पर हाथ रखकर बाग के दिमाग की याददास्त देख ली थी उससे यह आदमी कोई साधारण व्यक्ति नहीं मालूम पड़ता था.. कद काठी और चेहरे से साधारण औऱ सामान्य से भी कम दिखने वाला यह आदमी जिस तरह से इतनी बेपरवाही और निडरता से इतने बयानक जंगल में विहार कर रहा था उससे लगता था कि यह कोई चमत्कारी आदमी है..
आदमी ने बच्ची को उठा कर लिया और अपनी गोद में लेकर अपनी कुटिया की तरफ आ गया जहां पीछे-पीछे बाघ भी उसके साथ आ चूका था.. उस कुटिया और उसके आसपास की जगह को देखने से ऐसा लगता था जैसे वह आदमी कई बरसो से कोई कठोर साधना कर रहा है और उसी में तनलीन रहता है.. आदमी को कुछ भी कहा जा सकता था लेकिन कोई भी संज्ञा उसके लिए परिपूर्ण नहीं थी वह तांत्रिक अघोरि या औघड़ कुछ भी हो सकता था.
लल्ली ताई औऱ शान्ति उस जगह तक आ गए जहां बच्ची गिरी थी लल्ली ताई और शांति को बच्ची कहीं नहीं मिली.. काफी देर तक ढूंढने के बाद दोनों ने यह समझा कि वह बाघ उस बच्ची को उठाकर ले गया है और उसको मार के खा चुका है वापस जंगल से बाहर आ गई और इस बारे में किसी से भी बात न करने और कुछ भी नहीं बोलने का निश्चय किया और एक दूसरे से वादा करते हुए इस बात को यहीं पर भूल जाने का निर्णय किया.
वही आदमी ने बच्ची को अपने साथ रख लिया और उसे अपने बच्चे की तरह पढ़ने लगा. बच्ची जैसे-जैसे बड़ी हुई वो उस आदमी को बाबा कहकर पुकारने लगी और अपना असली बाप समझती थी. बच्ची ने उस आदमी से उसकी विद्या सीख ली.. दोनों जंगल में किसी कुटिया में रहने लगे थे और हंसी खुशी से अपना जीवन जी रहे थे आदमी ने बच्ची को एक नाम भी दिया था.. आदमी बच्ची को उसके शीतल स्वाभाव के कारण मृदुला कह बुलाता था.. मृदुला ने कुटिया को महल की तरह सजाया था औऱ अब उस आदमी जिसे बाप वो मानती थी उसको रोज़ नहाने धोने औऱ साफ रहने को मजबूर करती थी.. आदमी भी अपने जीवन में मृदुला के आने से बहुत खुश था उसकी साधना पहले से अच्छी होने लगी थी औऱ उसने मृदुला को अपनी बेटी मानकर जीना शुरू कर दिया था उसने मृदुला को बहुत कुछ ऐसा सीखा दिया था जिससे मृदुला अकेली ही पूरी फौज का काम तमाम कर सकती थी औऱ बड़े बड़े भूत प्रेत को अपनी मुट्ठी में कर सकती थी..
दिन गुजरते गए, मौसम बदलते गए, साल दर साल बीतते गए औऱ मृदुला का जोबन खिलने लगा.. उसके अंग इस तरह खिलकर फूटने लगे जैसे गुलाब की कली खिलकर फुटती है.. मृदुला के उतार चढाव कामदेवी का वरदान थे जो अब मृदुला के मन को काम की औऱ बढ़ाने लगे थे.. वो अब अपनी उम्र के अठरवे साल पर आ चुकी थी..
आदमी को इसकी बिल्कुल भी भनक नहीं थी वह इसी तरह अपनी साधना में तनलीन रहता और सुबह शाम मृदुल के हाथ का पकाया भोजन खाकर आराम करता.. मृदुला ने अक्सर उस आदमी से जंगल के बाहर की दुनिया देखने के लिए आग्रह किया.. मगर आदमी अपनी साधना अधूरी छोड़कर जाने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था और हर बार मृदुला को कुछ ना कुछ कह कर या बहाना बनाकर उसकी बात को टाल देता.
एक दिन जब मृदुल पानी का घड़ा लिए नदी की तरफ जा रही थी तभी उसने अपने जीवन में पहली बार अपने पिता के अतिरिक्त किसी आदमी को देखा जो नदी के मुहाने पर बैठा हुआ पानी पी रहा था. रंगरूप और कदकाटी में हसीन तरीन दिखने वाला यह लड़का मृदुला के मन को पहली नज़र में ही भा गया था..
लड़का देखने से करीब 22 साल का लगता था चेहरे पर दाढ़ी मूछ नहीं थी चेहरा साफ औऱ खिला हुआ था और कंधे तक लंबे बाल थे एक नई सी शाल उसने ओढ़ रखी थी.. अपनी हथेलियों में नदी का पानी भरके पिता हुआ वह लड़का मृदुला के मन को लुभा रहा था. मृदुला 18 साल की हो चुकी थी और अब उसे कामइच्छा औऱ प्रेम का भाव परेशान करने लगा था.
मृदुला ने जब उसे लड़के को पानी पीकर नदी से दूर जाने के खड़ा होता देखा तब वह उस लड़के के पास आ गई और उसके पीछे कुछ दूर खड़ी होकर कर बोली..
मृदुला - कौन हो तुम?
लड़का हैरानी से - तुम कौन हो औऱ इतने घने के बीच यहां क्या कर रही हो? तुम्हे पता नहीं यहां कितने खूंखार जानवर रहते है.. (लड़का मृदुला के जोबन को देखकर उसपर मोहित हो चूका था मगर उसके अंदर हैरत भी थी)
मृदुला - यहां पहली बार आये हो?
लड़का - हाँ पर तुम अकेली यहां क्या कर रही हो?
मृदुला - मैं यही रहती हूँ अपने बाबा के साथ.
लड़का हैरानी से - इस जंगल में?
मृदुला - हाँ.. तुम कहा रहते हो?
लड़का - मैंरा तो कोई ठिकाना नहीं.. यहां वहा घूमता हूँ.. गलती से जंगल में आ गया औऱ रास्ता भूल गया. प्यास लगी थी तो पानी पिने लगा..
मृदुला करीब आते हुए - नाम क्या है तुम्हारा?
लड़का - रागी..
मृदुला हसते हुए - नाम रागी है औऱ बैरागी सा भेस बनाया है..
लड़का मुस्कुराते हुए - तो फिर बैरागी ही कहकर पुकार लो.. तुम्हारा नाम क्या है?
मृदुला - मेरा नाम मृदुला है बैरागी..
बैरागी - ठीक है मृदुला चलता हूँ.. अगर वापस कभी मिलना हुआ जरूर मिलूंगा.
मृदुला - पर तुमने तो कहा कि तुम्हारा कोई ठिकाना नहीं है.. फिर कहा जा रहे हो..
बैरागी - बंजारा हूँ एक जगह ज्यादा देर तक रुकू तो ज़ी उचटने लगता है.. जाना तो पड़ेगा..
मृदुला के चेहरे पर ख़ुशी का जो भाव था वो अब गंभीर हो गया था.. उसने बैरागी के औऱ करीब आते हुए कहा - अगर मैं ना जाने दू तो?
बैरागी मुस्कुराते हुए - मुझे यहां रोक कर क्या करोगी.. मैं तुम्हारे किस काम आ सकता हूँ?
मृदुला - बाबा ने बताया था इस जंगल के बाहर लोग शादी ब्याह करके साथ रहते है.. तुम मुझसे ब्याह कर लो.. फिर हम भी साथ रहेंगे..
बैरागी हसते हुए - तुम्हे शर्म नहीं आती लड़की होकर ऐसी बात करते हुए?
मृदुला - शर्म क्यों आएगी.. मैंने कुछ गलत तो नहीं किया..
बैरागी - ठीक है.. मेरे तो आगे पीछे कोई नहीं है.. तुम्हारे तो बाबा है उनसे तो पूछ लो..
मृदुला - चलो साथ में चलकर पूछते है..
बैरागी - अगर मैंने झूठ बोलकर तुम्हारे बाबा को मना लिया तो?
मृदुला - तुम मेरे बाबा के सामने झूठ बोल ही नहीं सकते..
बैरागी - ऐसा क्यों?
मृदुला - मेरे बाबा आँख पढ़कर अतीत जान लेते है.
बैरागी - ऐसी बात है तो चलो.
मृदुला जब बैरागी को अपने साथ लेकर अपनी कुटिया के बाहर आई तब उसे उसके पिता कहीं जाने की तैयारी करते हुए दिखे.
मृदुला ने अपने पिता से पूछा कि वो कहां जाने की तैयारी में है उसके पिता ने सामने खड़े बैरागी और मृदुल को साथ में देखकर सारा माजरा समझ लिया और उनसे कहा की उनकी साधना का ये चरण पूरी हो चुकी है और उन्हें अपनी साधना की आखिरी चरण पूरी करने के लिए यहां से बहुत दूर जाना पड़ेगा.
इसीके साथ उन्होंने यह भी कहा कि वह बैरागी और मृदुला दोनों के मन से सहमत है और वो आज शाम जाने से पहले पुरानी रीती से दोनों ब्याह करवा देगा..
उस बूढ़ा हो चुके आदमी ने मृदुला और बैरागी का ब्याह एक पुरानी रीति से करवा दिया और खुद कुटिया से जरूरी सामान लेकर एक रास्ते चल दिया.. बूढ़े आदमी ने मृदुला से वापस मिलने का वादा किया और उसे भरोसा दिया कि वह जहां भी रहेगा मृदुला से मिलने जरूर आएगा.. मृदुला ने भी रोते हुए अपने पिता को विदाई दी और अपना नया जीवन शुरू करने के लिए बैरागी के साथ उस कुटिया में रहने लगी..
एक दोपहर के उजाले में जब कुटिया के अंदर बैरागी और मृदुला प्रेम प्रसंग कर रहे थे तब उन्हें कुछ लोगों के आने की आहट सुन दी और दोनों प्रेम करना छोड़कर बाहर आ गए.. दोनों ने देखा की कुटिया के आसपास बहुत सारे डाकू इकट्ठा थे जिनमें से कई डाकू के बदन पर घाव के निशान थे औऱ उनके पास लूट का सामान भी था डाकू की संख्या करीब 20-25 होगी..
डाकूओ ने भी दोनों को देख लिया और मृदुला बैरागी औऱ डाकू आमने सामने खड़े हो गए. डाकुओं के मुखिया ने जैसे ही मृदुला को देखा वह उसे पर लट्टू हो गया और कामुकता से भरकर बैरागी से कहा कि है उस लड़की को उनके हवाले कर दे और वहां से चला जाए. बैरागी ने जवाब में पास में पड़े गंडासे को उठाकर उस डाकू के ऊपर फेंक दिया.. गंडासा डाकू की छाती में धंस गया औऱ डाकू एक पल में ही प्राण त्याग कर जमीन पर गिर गया. अपने मुखिया की मौत देखकर बाकी सारे डाकू गुस्से से दिलमिला गए और चिल्लाते हुए बैरागी को मारने के लिए जपटे मगर जैसे ही सारे डाकू एक साथ बैरागी को करने के लिए झपटे मृदुला ने जमीन की मिट्टी उठाकर उन डाकुओ पर फेंक दी.. जैसे मृदुला ने जमीन की मिट्टी उठाकर डाकूओ पर फ़ेंकी मृदुला की फ़ेंकी मिट्टी का एक-एक कण एक एक प्रेत में बदल गया औऱ उन प्रेतो ने एक पल में ही सारे डाकुओ के सर उनके कंधे से उतार दिए औऱ वापस मिट्टी बनकर जमीन पर गिर पड़े.. बैरागी ने जब इस तरह से मृदुला को क्रोध में देखा औऱ उसके द्वारा की गई इस भयावह घटना को देखा वो आश्चर्य डर औऱ जिज्ञासा के भाव से भरते हुए मृदुला को देखने लगा..
मृदुला ने जब बैरागी को तरह से खड़ा हुआ देखा तो उसने अपने गले से एक ताबीज निकाल कर बैरागी को पहना दिया और कहा ये ताबिज़ उसे चोट पहुंचाने वाले इंसान को कभी चैन से जीने नहीं देगा..
20 साल बीत जाने के बाद धुपसिंह औऱ लता को इस बात की भनक तक नहीं लगी थी कि लता ने उस रात जुड़वा भाई बहनों को जन्म दिया था जिसमें से बच्ची को लल्ली औऱ शांति ने चुरा लिया था जो अभी बैरागी के साथ जंगल में उस कुटिया में रहती थी.. धुपसिंह औऱ लता ने अपने बेटे का नाम समर रखा था औऱ समर अब अपने पिता कि तरह ही जागीरदार की हिफाज़त में लगी राजा की सेना की टुकड़ी में था..
बैरागी और मृदुला को उस कुटिया में रहते 2 साल हो चुके थे औऱ अब मृदुला 8 माह की गर्भवती थी उसका बच्चा होने वाला था बैरागी ने मृदुला से बार बार जंगल बाहर चलने औऱ किसी गाँव में रहने की गुहार की मगर मृदुला ने मना कर दिया औऱ बैरागी के साथ जंगल से बाहर जाने को इंकार कर दिया बैरागी ने बार बार मृदुला को समझया था कि उसे इस्त्री रोग औऱ बच्चे के जन्म का उपचार नहीं आता मगर मृदुला ने उसकी एक ना सुनी औऱ जंगल ना छोड़ने की अपनी ज़िद पर अड़ी रही..
आखिरकार वही हुआ जिसका बैरागी को डर था बच्चा पैदा करने के दौरान मृदुला औऱ उसके बच्चे दोनों की मौत हो गई और बैरागी फिर से अकेला हो गया. उसके मन में एक बार फिर से दुख दर्द तकलीफ का बसेरा हो गया.. बैरागी मृदुला औऱ बच्चे का अंतिम संस्कार करके जंगल छोड़ दिया और पागलों की तरह भटकने लगा. बैरागी किसी फकीर की तरह दिन बताने लगा और भूख लगने पर भिखारी की तरह मांग कर खाने लगा.. 2 महीना इसी तरह बिताने के बाद जब उसने गांव में इसी तरह एक और महिला को मारते देखा तो उसने इस रोग का इलाज करने के लिए दवा बनाने का निश्चय किया. उसे शरीर की समझ थी उसके मुताबिक जदिबूती से लोगों का इलाज़ करने लगा औऱ घूम घूम के जदिबूती औऱ इलाज़ की खोज करने लगा..
बैरागी ने मृदुला के साथ रहकर बहुत सी चीज सीखी थी जो उसके इस कार्य में उसकी बहुत मदद कर रही थी बैरागी ना गांव-गांव घूम कर बहुत से लोगों का इलाज किया और बहुत सी आज के समय छोटीमोटी कही जाने वाली बीमारी को ठीक किया. बदले में कुछ लोगों ने उसे भरपेट खाना खिलाया तो कुछ लोगों ने वहीं रहने के लिए जमीन देनी चाहिए लेकिन बैरागी ने एक जगह रहने से इनकार कर दिया और अपना मकसद पूरा करने के लिए एक बैलगाड़ी ले ली और उस पर बैठकर गांव गांव घूमते हुए स्त्री रोग का इलाज ढूंढने निकल पड़ा
बैरागी को अब किसी बात की फ़िक्र नहीं थी वह अपने आप में मस्त अपनी पत्नी मृदुला को याद करते हुए प्रेम से भरे गीत गाते हुए और अपनी पत्नी के साथ बिताये प्रेम से परिपूर्ण उन पलों को याद करते हुए मुसाफिरों की तरह घूमने लगा और बीमारियों का इलाज ढूंढने लगा किसी एक पुराने वैद्य के कहने पर उसने एक खास किस्म की जड़ीबूटी तलाश करने का निर्णय किया जिसके लिए वह बहुत दूर सफर पर निकल पड़ा लेकिन रास्ते में ही वीरेंद्र सिंह के पहरेदारो ने उसे पकड़ कर क़ैद कर लिया..
सुबह के 4:00 बजे गौतम इस सपने से बाहर निकल आया और अपने सपने की हकीकत को झूठ मानते हुए यह बस उसका एक वहम समझ कर इसे भूल जाने का निर्णय कर वापस सो गया..