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Incest चुदक्कड़ गाँव की रासलीला

Tyler herro

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Update 30

जग्गू का घर -

सुबह का समय था घड़ी में करीब ६ बजे थे। माला आज जल्दी उठ गई थी क्योंकि आज माला का जन्मदिन था

माला आज काफी खुश थी। गांव का मौसम बहुत ठंडा था, माला ने अपनी धुली हुई साड़ी उठायी और गमछा उठाके बाथरूम में घुस गयी। माला ने आईने के सामने अपने बाल खोल दिये और फिर अपनी साड़ी वहीं उतार दी, फिर अपनी ब्लाउज उतारकर दरवाजे पर टांग दिया।

माला ने अपने पेटीकोट के नाड़े को खींचकर ढीला किया और दोनों पैरों को उसमे से निकाला। माला अब एक छोटी कच्छी और ब्रा में थी। कच्छी और ब्रा दोनों गुलाबी रंग के थे जिसपर फूल बने हुए थे। उसका गोरा चमकदार बदन बहुत ही मादक लग रहा था फिर माला ने शीशे में देखते हुए अपनी ब्रा की हुक खोल दी । ब्रा खुलते ही माला की बड़ी बड़ी चुचियाँ फुदककर बाहर आ गयी माला के चूचक हल्के भूरे रंग के थे।

इसके बाद उसने अपनी कच्छी को उतार दिया और दोनों ब्रा और कच्छी को वहीं दरवाज़े पर लटका दिया। फिर उसने अपनी बुर पर बढ़ी हुई केश की ओर देखा और मन में सोचा कि झाँठे काटे की ना। वैसे तो माला 43 की थी पर तन बदन का कसाव अभी भी 35 का ही था। फिर उसने अपनी बुर को ऊपर से सहलाया और मन में बोली कल साफ करूँगी।

माला फिर अपनी मस्त चौड़ी गांड को बाथरूम में रखे मचिया पे टिका दिया और अपने नंगे बदन पर मग से पानी डालने लगी। पानी उसके बदन पर मक्खन की तरह फिसल रहा था। वो बिल्कुल अद्भुत स्त्री लग रही थी। एक औरत के बदन में जो हर मर्द चाहता है वो सब था माला के पास। माला ने नहाने के दौरान वहीं बैठे बैठे पेशाब भी कर दिया। पेशाब की वजह से पानी हल्का पीला हो गया था जिसे उसने पानी से ही बहा दिया।

कुछ देर बाद उसने अपने जिस्म पर साबुन लगाया। अपनी काँखों, गर्दन , चुचियाँ, गांड, गांड की दरार, और अंत में बुर पर भी। सब जगह लगाने के बाद उसने खूब बदन को रगड़ा। वैसे तो वो इतनी गोरी थी कि मैल भी उसपर बैठे तो इतरा के, पर वो ऐसा होने नहीं देती थी। इसके बाद उसने साबुन को पानी से साफ किया और एक दम साफ हो गयी। चूंकि घर में उसका बेटा जग्गू अभी सो रहा था इसलिए बाथरूम से सिर्फ साया बांध के आ गयी।

साया उसके चुचियों के ठीक ऊपर बंधा था और गांड को बस ढके हुए था। उसकी जाँघे और गांड मोटी और हल्की चर्बीदार थी। उसका पेट भी ठीक ऐसे ही था।

अक्सर इस उम्र की औरतों को ये चीज़ें और कामुक बना देती हैं। भरी हुई चूतड़ों से औरतो की चाल निखर जाती है। क्योंकि जब वो चलती हैं तो चूतड़ों के हिलने से औरतें मर्दो के दिलों की धड़कने बढ़ाती हैं, ठीक वही चाल अभी माला की हो चुकी है। अपने भारी चूतड़ों की उछाल उसके काबू में नहीं थी। ठीक वैसे ही उसकी चूचियों की चाल होती थी पर ब्रा पहनने से उनकी हरकत काफी कंट्रोल रहती थी।

माला ने फिर साड़ी पहनी और फौरन स्लीवलेस ब्लाउज पहन लिया। जिसमे आगे आधी चुचियाँ साफ दिख रही थी और पीछे पूरी पीठ लगभग नंगी ही थी। ऐसा नहीं था कि माला इस तरह की ब्लाउज़ हमेशा पहनती थी पर आज उसका जन्मदिन था इसलिए उसने आकर्षक दिखने के लिए स्लीवलैस ब्लाउज़ पहना था।

तभी माला के कमरे का दरवाज़ा खटका।

माला ने दरवाजा खोला सामने उसका बेटा जग्गू खड़ा था।

जग्गू - जन्मदिन मुबारक हो मां। और ऐसा बोलते हुए उसने एक तोहफा अपनी मां की तरफ बढ़ा दिया

माला - मेरा प्यारा बेटा। तुझे याद था। फिर माला जग्गू का माथा चूमते हुए बोली - ये क्या है ?

जग्गू - मां वो तेरे लिए सिल्क की साड़ी लेकर आया हूं शहर से

माला - क्या ? शहर से ! कब ? ये तो बहुत मंहगी होगी ना ?

जग्गू - मां तू सवाल बहुत करती है जल्दी से देखकर बता तुझे मेरा तोहफा कैसा लगा

माला को दिल ही दिल में ये बात बड़ी अजीब लगी क्योंकि जग्गू ने आज से पहले कभी माला को इस तरह कोई तोहफा नहीं दिया था माला को लगा कि ज़रूर कोई तो बात है

माला - कोई बात है क्या जग्गू ?

जग्गू - नहीं मां क्यों?

माला ने सोचा कि एक तो उसका बेटा पहली बार उसके लिए कुछ लाया है और वो है कि उससे फालतू सवाल कर रही है

माला - कुछ नहीं। तू बाहर जा मै अभी ये साड़ी तुझे पहनकर दिखाती हूं

जग्गू - ठीक है

फिर जग्गू कमरे से बाहर चला गया ।

जग्गू मन में - आज मां बहुत खुश है आज मै अपने दिल की बात मां को बता कर ही रहूंगा कि मै बेला से प्यार करता हूं और बेला भी मुझसे उतना ही प्यार करती है। हे भगवान मां मान जाए।

इधर माला कमरे में अपनी संदूक से एक तस्वीर निकालती है और उस तस्वीर को अपने छाती से लगाकर बोलती है

माला - देखा आपने आपका बेटा कितना समझदार हो गया है अपनी मां का कितना ख्याल रखने लगा है अगर आप होते तो आपको अपने बेटे पर बहुत गर्व होता।

जग्गू बाहर से आवाज लगाता है - मां जल्दी करो मुझे खेतों में बहुत काम है

माला अपने आंसू साफ करती हुई - हां बस १ मिनट बेटा

फिर माला जल्दी से उस तस्वीर को अपने तकिए के नीचे दबा देती है और जल्दी से वो साड़ी पहनने लगती है जो जग्गू उसके लिए लेकर आया था

कुछ देर बाद माला अपने कमरे का दरवाज़ा खोलती है

माला उस साड़ी में बड़ी जंच रही थी। ऐसा लग रहा था कि स्वर्ग से कोई अपसरा धरती पर उतर आई हो

जग्गू - मां बहुत सुंदर लग रही है तू। मां मेरे लिए जल्दी से नाश्ता बना दे। मुझे खेतों में बहुत काम है

माला - ठीक है

जग्गू ने माला की तरफ एक नजर देखा और बोल दिया। माला को बड़ा अजीब लगा क्योंकि जग्गू ने ठीक से तारीफ तक नहीं की माला की। तारीफ करना तो छोड़ो ठीक से देखा भी नहीं माला को।

फिर माला जल्दी से जग्गू के लिए नाश्ता बनाकर लाती है

जग्गू - अरे हां मां तू शाम को तैयार रहना , आज रात का खाना हम बाहर खाएंगे

माला जग्गू की बात सुनकर बहुत खुश हो जाती है

माला - ठीक है बेटा तो मैं आज मिठाई की दुकान जल्दी बढ़ा दूंगी।

फिर जग्गू जल्दी से नाश्ता करके अपने खेतों में आ जाता है आज जग्गू ने सेठ हीरालाल से कहकर छुट्टी ले ली थी और शाम तक जग्गू अपने खेतों में ही काम करता रहता है

उधर रामू धन्नो मौसी के घर सुबह जल्दी उठ गया था रात को रामू और धन्नो के बीच जो भी हुआ उत्तेजना में हुआ। धन्नो की उम्र भले ही 45 साल हो चुकी थी लेकिन जवानी ने उसका साथ अभी तक नहीं छोड़ा था और रामू अपनी जवानी की चरम सीमा पर था इसलिए वो भी अपने आप को रोक नहीं पाया। सुबह सुबह ही रामू भीमा के साथ उसके खेतों की तरफ निकल गया था पता नहीं क्यों रामू को अपनी हरकत के बारे में सोच सोचकर बड़ी शर्मिंदगी मेहसूस हो रही थी। रामू पूरा दिन अपने भइया भीमा के साथ खेतों में ही काम करता रहा

इधर शाम हो चुकी थी और जग्गू अपनी मां माला के साथ बाहर खाना खाने आया था , गांव के बाहर एक छोटा सा रेस्टोरेंट था। बाहर खाना खाने जग्गू अपनी मां के साथ वहीं आता था

जग्गू - बोलो मां क्या ऑर्डर करू

माला - कुछ भी जो तेरा मन हो

जग्गू - अरे मां जन्मदिन आपका है या मेरा ?

माला - मेरे लिए छोले भटूरे कर दे

जग्गू - और ?

माला - और हां खाना खाने के बाद फालूदा खाएंगे

जग्गू - ठीक है मां

माला एक खाली टेबल देखकर वहां बैठ जाती है और जग्गू कुछ देर बाद खाना लेकर आता है

जग्गू - मां मैंने दो प्लेट राजमा चावल भी ऑर्डर कर दिया है राजमा चावल भी खा लेंगे सिर्फ छोले भटूरे से क्या ही होगा।

माला - जग्गू बेटा तू कोई गलत काम तो नहीं कर रहा?

जग्गू - मां मै कोई गलत काम नहीं करता , अब हमारे वो दिन गए जब हमें खाने के बारे में भी सोचना पड़ता था। मां रामू की वजह से खेती भी इस साल बड़ी अच्छी हुई है और तेरे जन्मदिन पर पैसे खर्च नहीं करूंगा तो कब करूंगा !

माला - ठीक है बेटा पर याद रखना गलत काम करने वाले को ऊपर वाला बक्षता नहीं है

जग्गू - अरे मां अब ज़्यादा ज्ञान ना दो। मै समझ गया

फिर दोनों खाना खाते है और खाना खाने के बाद जग्गू फालूदा लेकर आता है

आज माला बड़ी खुश थी। फालूदा खाने के बाद दोनों टहलते हुए घर की तरफ आने लगते हैं अब इतना ठूसा था तो पचाना भी तो था

जग्गू मन में सोचता है कि यही सही मौका है अपनी मां को अपने और बेला के समबंध के बारे में बताने का।

जग्गू - मां सुनो

माला - हां बोलो बेटा

जग्गू - मुझे आपसे कुछ कहना है

माला - मै सुबह ही समझ गई थी कि कोई बात तो ज़रूर है बोल क्या बात है

जग्गू - नहीं मां ये सब मैंने आपके लिए ही किया है ऐसी कोई बात नहीं है दरअसल बात दूसरी है

माला - क्या ? पहेलियां मत भुझा जग्गू। बता क्या बात है ?

जग्गू - मां वो , मां दरअसल , मां मै ये कहना चाहता हूं , मां मुझे

माला - मां मां क्या कर रहा है बोल ना क्या बात है ?

जग्गू - मां मै बेला से प्यार करता हूं मतलब हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं

जग्गू ने हिम्मत करके एक ही सुर में बोल दिया।

चटाक.... माला ने खींच के एक थप्पड़ जग्गू की कनपटी पर धर दिया , सड़क बिल्कुल सुनसान थी। वहां कोई नहीं था इन दोनों के आलावा

माला - क्या बोला फिर से बोल ?

जग्गू - आह मां। मां मै और बेला एक दूसरे से प्यार करते हैं

चटाक.... चटाक..... चटाक......

माला - कुत्ते हरामजादे ये सब कर रहा है तू खेतों में

जग्गू रोते हुए - मां प्यार ही तो किया है मैंने बेला से कोई गुनाह नहीं किया जो आप इतना गुस्सा हो रही हो

माला - हरामजादे बेला ही मिली थी तुझे

चटाक.... चटाक.....

जग्गू - बेला में क्या खराबी है मां

माला - जग्गू हड्डियां तोड़ दूंगी तेरी अगर अब बेला का नाम अपनी ज़ुबान पर लिया तो

जग्गू - पर क्यों मां ?

माला गुस्से में - बात खतम जग्गू। गांव में इतनी लड़कियां है किसी के भी साथ रंगरलियां मना बस बेला नहीं। समझा कि नहीं।

जग्गू - क्यों मां क्यों ?

माला धाहड़ते हुए - क्योंकि

माला इससे आगे नहीं बोलती

माला - तुझे मेरी कसम जग्गू आज के बाद तू बेला से बात नहीं करेगा

जग्गू - ठीक है मां पर अगर तुम्हारी कसम की वजह से मेरी बेला को कुछ हो गया तो मै अपनी जान दे दूंगा

जग्गू रोता हुआ भागकर घर आ जाता है। और फिर माला भी रोती हुई धीरे धीरे चलती हुई घर आ जाती है
 
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Tyler herro

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Update 31

माला अपने कमरे में सोने की कोशिश कर रही थी पर नींद उसके आंखों से कोसों दूर थी। दिल ही दिल में माला को बड़ा दुख हो रहा था गलती आखिर माला की भी थी उसने अपने दिल में इतने राज़ जो दबा रखे थे अगर जग्गू को वो बातें पता होती तो वो बेला से कभी प्यार करने की गलती नहीं करता।

माला ने फैसला किया कि उसे अपनी ज़िन्दगी की किताब के कुछ पन्नों को जग्गू के सामने खोलना पड़ेगा।

माला अपने तकिए के नीचे से एक तस्वीर लेकर जग्गू के कमरे की तरफ बढ़ती है। जग्गू का कमरा अंदर से बंद था और कमरे के अंदर से जग्गू के रोने की आवाज माला को साफ सुनाई दे रही थी

माला - जग्गू बेटा दरवाज़ा खोलो

जग्गू चीखते हुए - चली जाओ मां मुझे तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखनी।

माला - बेटा मेरी बात सुन ले। उसके बाद तू जैसा बोलेगा तेरी मां वैसा ही करेगी

जग्गू - चली जाओ मां, मैंने बोला ना मुझे कुछ नहीं सुनना।

माला - तू कहेगा तो मै तेरे लिए बेला का हाथ मांग लूंगी सविता और रामू से पर उससे पहले तुझे मेरी बात सुननी पड़ेगी।

माला के मुंह से ये बात सुनते ही जग्गू चुप हो जाता है और धीरे से अपने बिस्तर से उठकर दरवाज़ा खोलता है और फिर बिना कुछ बोले वापस बिस्तर पर आकर बैठ जाता है

माला भी बिस्तर पर जग्गू के बगल में आकर बैठ जाती है

जग्गू - बोलो मां क्या बोलना है तुम्हे

माला धीरे से - बेला तेरी बहन है जग्गू

जग्गू - ये क्या बेहूदा बात कर रही हो मां

माला - देख बेटा मै अपनी ज़िन्दगी के कुछ राज़ तुझे बताने आई हूं बेला तेरी सगी बहन नहीं है पर रिश्ते में वो तेरी बहन लगती है

जग्गू - कैसे मां और इस बात का क्या सबूत है आपके पास कि बेला मेरी बहन लगती है रिश्ते में। तुम कुछ भी बकती रहोगी और मै मान लूंगा

माला - तू बचपन में हमेशा मुझसे पूछता था ना कि तेरे बापू कौन है।

जग्गू - कौन?

माला अपने हाथ से वो तस्वीर जग्गू के हाथ में थमाकर - ये हैं तेरे बापू

जग्गू उस तस्वीर को देखकर - मां मैंने इन्हे कहीं देखा है इनकी तस्वीर मैंने किसी के घर देखी है

माला - रामू के घर तुमने इनकी तस्वीर को देखा होगा।

जग्गू को याद आता है कि रामू के कमरे में ये तस्वीर उसने देखी है

जग्गू - मतलब रामू की बापू ही मेरे बापू थे ये कैसे हो सकता है मां । मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।

माला - मुरली ही तुम्हारे बापू थे वो कहानी झूठी थी कि तुम्हारे बापू किसी बाजारू औरत के साथ भाग गए थे। दरअसल बेटा मैंने कई साल रामू के बापू मुरली की रखैल के रूप में अपनी ज़िन्दगी गुजारी है और तुम उसी का नतीजा हो हालांकि मै और मुरली एक दूसरे से प्यार करते थे पर इस दुनिया में शादीशुदा मर्द से प्यार करने वाली औरत को दुनिया रखैल का ही दर्जा देती है ये राज़ तुम्हारे बापू मुरली के जाने के बाद मैंने दफन कर दिया था पर अगर मै ये बात तुम्हे नहीं बताती तो तुम पाप कर बैठते। अब समझे बेला रिश्ते में तुम्हारी बहन कैसे लगती है

माला के मुंह से ये बात सुनकर जग्गू की ऐसी हालत हो गई थी जैसे काटो तो खून नहीं

जग्गू - मां मुझे अकेला छोड़ दो।

माला - ठीक है बेटा पर ध्यान रहे रामू और बेला तुम्हारे भाई और बहन है उनके लिए कभी कुछ गलत मत सोचना और सविता काकी तुम्हारी बड़ी मां हैं वो तुम्हारी मां समान हैं और जितना सविता ने मेरे लिए किया है उतना शायद मेरे किसी अपने ने भी नहीं किया बेटा। सविता ने मेरे लिए क्या कुछ नहीं किया और मैं उसके पीठ पीछे उसके ही पति मुरली से प्यार कर बैठी। रामू का परिवार तुम्हारा भी परिवार है जग्गू बेटा

जग्गू - सच मां।

माला - सच बेटा। बस हवेली वालों से दूर रहना उन्होंने ही मेरी ज़िन्दगी उजाड़ी है

जग्गू - क्या ? पर कैसे मां ?

माला - कुछ राज़ को राज़ ही रहने दो बेटा। और अब बेला के प्रति अपनी सोच में परिवर्तन लाओ

जग्गू - मै कोशिश करूंगा मां।

फिर माला वहां से चली जाती है और अपने कमरे मे आकर सो जाती है और जग्गू भी यही सब सोच सोचकर सो जाता है
 
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Tyler herro

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Update 32

रामू आंगन में चारपाई पर सो रहा था , रामू जाग रहा था उसके आंखों से नींद कोसों दूर थी। रात के करीब १ बज रहे थे , रामू अपनी धन्नो मौसी और भीमा भाईया का इंतजार कर रहा था कि कब वो घर से बाहर निकलते हैं आज रामू का प्लान दोनों को रंगे हाथ पकड़ने का था

तभी धीरे से धन्नो मौसी के कमरे का दरवाज़ा खुलता है और धन्नो दबे पांव घर से बाहर निकल जाती है फिर कुछ देर बाद भीमा के कमरे का दरवाज़ा खुलता है और भीमा भी अपने कमरे से भर निकल के चुपके से घर से बाहर निकल जाता है

दोनों के जाने के बाद रामू तुरंत भीमा के कमरे में घुस जाता है। लता अभी भी जाग रही होती है वो रामू को अपने कमरे में देख कर डर जाती है

लता - देवर जी आप यहां ? जाओ यहां से।

रामू - भाभी तुम मेरे साथ चलो बिना कोई सवाल किए। ठीक है।

लता - कहां ?

रामू - भाभी मेरे ऊपर भरोसा है तो मेरा हाथ थाम लो और चलो मेरे साथ

लता बिना कोई सवाल किए रामू का हाथ थाम लेती है और चुपचाप रामू के साथ चल देती है खेत की तरफ।

भीमा और धन्नो झोपड़ी में पहुंच गए थे।

रामू लता का हाथ पकड़कर झोपड़ी की खिड़की की तरफ ले आता है और दोनों वहां से झोपड़ी के अंदर झांक रहे थे

अंदर लालटेन की रोशनी में -

भीमा दना दन अपना लंड धन्नो की चूत में डाले उसे चोद रहा था।

लता के हाथ में पसीना आने लगता है वो बहुत घबरा रही थी उसे बिलकुल पता नहीं था की रामू क्या करने वाला है।

रामू झोपड़ी के दरवाज़े पर ज़ोर से लात मारता है और दरवाज़े के कुन्डे खुल जाते है रामू अंदर दाखिल होता है और सामने पड़े धन्नो और भीमा के गाण्ड मुंह चूत सब फटे के फटे रह जाते है।

भीमा झट से पास में पड़ी अपनी धोती उठाके पहनने लगता है पर रामू उसके हाथ से धोती खीच लेता है ।

रामू - वाह्ह्ह्हह्ह्ह्ह क्या नज़ारा है एक बेटा अपनी माँ के साथ वाह्ह।

लता भी तब तक झोंपडे के अंदर आ चुकी थी और उसे वहां देख दोनों की हालत और ख़राब हो जाती है।

भीमा - तू इसे यहाँ लेके आई है। है ना हरामजादी।

रामू भीमा का हाथ लता तक पहुँचने से पहले पकड़ लेता है।

रामू - भाभी मुझे यहाँ नहीं लाई।

भीमा - ओह्ह अब समझा मै। पहले भाई के साथ सोई और अब अपने देवर के साथ तभी तो ये तेरी इतनी तरफदारी कर रहा है।

धन्नो - अरे कुल्टा है ई।

रामू के दिमाग में अजीब सी हलचल होने लगती है और वो एक ज़ोरदार थप्पड पहले भीमा के मुंह पर और उसके बाद धन्नो के मुंह पर जड़ देता है दोनों चक्कर खा के गिर पड़ते है।

रामू - हरामखोर ये अपने भाई के साथ क्या कर चुकी है इसलिए तुम दोनों इसे गलियां देते हो। मारते हो । ताने देते हो और तुम दोनों जो कर रहे हो वो क्या है? हाँ बोलो। एक नम्बर के नीच इंसान हो तुम दोनों। मुझे तुम दोनों के रिश्ते से कोई आपत्ती नहीं है लेकिन हर किसी को अपनी ज़िन्दगी जीने का पूरा पूरा हक़ है जिसके साथ चाहे उसके साथ। मगर भीमा तुमसे मुझे ये उम्मीद नहीं थी और मौसी तुम भाभी को कुल्टा बोल रही हो तो अपने बेटे के साथ ये सब करने वाली औरत को क्या कहते हैं पता है ना तुम्हें।

"भाभी अपने ज़िन्दगी में बहुत दर्द झेल चुकी है वो तुम्हारे घर की लक्ष्मी है। हो गई गलती उनसे भी। इंसान से गलती नहीं होंगी तो क्या भगवान से होगी। इंसान ग़लतियों का पुतला है पर इसका मतलब ये नहीं की तुम अपने गलतियाँ छुपाने के लिए दूसरों की गलतियाँ निकालते फिरो।"

"अब भी वक़्त है संभाल जाओ और एक दूसरे को दिल से माफ़ कर दो और तुम चाहे कैसे भी ज़िन्दगी गुज़ारो पर भीमा अपनी पत्नी को भी थोड़ा मान सम्मान प्यार दो। वो तुम्हारी रखैल नहीं तुम्हारी धरम पत्नी है उसे प्यार दो बदले में तुम्हें भी प्यार मिलेगा।"

"ये लो कपडे और घर चलो मै तो कुछ दिन के लिए यहाँ आया था। कुछ दिन बाद चला भी जाऊँगा। बस तुमसे हाथ जोड़ के एक ही बिनती करता हूँ। ये जीवन बहुत छोटा है इसे जलन और नफरत में ख़तम मत करो।"

धन्नो अपने कपडे पहन के लता के पास आती है और उसे अपने गले से लगा लेती है।

धन्नो - मुझे माफ़ कर दे बेटी मुझसे बहुत बडी गलती हो गई। पुरानी सारी बातें भुला के आज से हम सब एक नई ज़िन्दगी शुरू करेंगे।आज रामू ने हम दोनों की आँखें खोल दी हैं। रामू बेटा मै दिल से तेरा धन्यवाद करती हूँ अगर आज तुम हमारे ऑखों पे बँधी पट्टी नहीं हटाते तो शायद हमारी ज़िन्दगी ऐसे ही गुज़रती रहती। पर मै वादा करती हूँ कि लता को अब वही मान सम्मान इस घर में मिलेंगा जिसकी वो हक़दार है।

भीमा भी रामू और लता से माफ़ी माँगता है और चारो घर चले जाते हैं।

भीमा इतना शर्मिंदा था की वो सीधा अपने कमरे में चला जाता है।

धन्नो लता के पास आती है - जा बेटी अपने पति के पास उसे तेरे साथ की बहुत ज़रुरत है।

लता रामू को देखते हुए कमरे में चली जाती है।

भीमा बिस्तर पे बैठा हुआ था।

लता को देखते ही वो उसको अपने पास बुला लेता है।

भीमा - लता मुझे सच में माफ़ कर दे मुझसे भूल हो गई।

लता अपनी ऊँगली भीमा के होंठों पे रख देती है।

लता - देखिये जो हुआ उसे याद करके हम अपने आने वाली ज़िन्दगी क्यों ख़राब करे। मै चाहती हूँ कि आप माँ जी से उतना ही प्यार करें जितना करते है। मै आप दोनों के बीच कभी नहीं आऊँगी बस अपने दिल के एक कोने में मुझे भी जगह दे दीजीए।

भीमा अपनी पत्नी लता पर झुकता चला जाता है

और लता दिल से रामू को धन्यवाद करते नहीं थकती। उस रात लता को असली मायने में एक पत्नी का सुख मिलता है भीमा से।।

रात के ३ बज रहे थे पर रामू को नींद नहीं आ रही थी ।

आज रामू का मन बहुत विचलित था आज तक उसके साथ ऐसा नहीं हुआ था। वो धन्नो और भीमा को तो समझा चुका था पर घर आने के बाद से उसके लंड में एक तरह की अकड़न सी आ गई थी।

रामू के आंखों के सामने धन्नो और भीमा ही घूम रहे थे। वो बार बार बस एक ही बात सोच रहा था कि एक बेटे को अपनी माँ के साथ वो सब करने में कैसा आनंद आता होगा। वो एहसास कैसा लगता होगा जब अपने ही माँ की चूत में बेटे का लंड जाता होगा। ये सोच सोच के उसका लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।

पर रामू करता भी क्या? उसने उठ के एक ग्लास पानी पिया और ज़्यादा ना सोचते हुए चुपचाप सो गया।
 
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