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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९९ ननद की रात -ननदोई के संग पृष्ठ १०२५

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें

इस कहानी पर भी और जोरू का गुलाम के अपडेट पर भी ( पृष्ठ १४५० )
 
Last edited:

komaalrani

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Sirf update ke name se hi kamukhta zalak rahi hai. Abhi JKG ke mene sare updates padhe nahi hai. Is lie me thoda der se shuru karti hu. Thankyou so much updates dene ke lie.

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Nanad Nandoyi ho aur kamukata naa ho, bas aap padhti jaaiye
 

komaalrani

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पूछना इ था कि --
लड्डू ख़तम हो कि बचा है -- ??
अरे कहानी पढ़िए एक बार फिर से पता चल जाएगा 😂 😂

दो लड्डू थे एक इस्तेमाल के पहले , और दूसरा इंटरवल में और अब तो शो पूरा भी हो गया, लड्डू ने अपना काम कर दिया

और बाकी बातों का जवाब १०० वे भाग में मिलेगा, और अगर कुछ जवाब नहीं मिलता है तो वो सुधी पाठको की कल्पना पे
 

komaalrani

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कोमल दीदी --
Heroien Of Next Morning

अगर उस बाबा को पता चल गया कि आपने उसकी सेटिंग खराब की है तो वो आप पर गुस्सा खूब होगा 🤣🫠
😂😂😂😂:thanks:
 

Real@Reyansh

हसीनो का फेवरेट
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अरे कहानी पढ़िए एक बार फिर से पता चल जाएगा 😂 😂

दो लड्डू थे एक इस्तेमाल के पहले , और दूसरा इंटरवल में और अब तो शो पूरा भी हो गया, लड्डू ने अपना काम कर दिया

और बाकी बातों का जवाब १०० वे भाग में मिलेगा, और अगर कुछ जवाब नहीं मिलता है तो वो सुधी पाठको की कल्पना पे
Are nahi, vo hamko bhee chahiye tha laddu is liye puch rahe the, hame bhee kisi ka kanta nikalana hai 😉🤪🤐😐
 
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Shetan

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ननद नन्दोई की जोड़ी
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और लौट के, जैसा मैंने ननद को सिखाया था एकदम वही छिनरपन, मैं खुली खिड़की से नजारा देख रही थी

" उई एक तो इतना ढेर सारा हुआ और फिर जलन हो रही है कस के " ननद ने मुंह बना के कहा,

और नन्दोई के चेहरे की ख़ुशी देखते बनते थी, मतलब टोना टोटका वाली बात एकदम सही थी, और प्रसाद के लड्डू का असर भी हुआ।

स्साली सुई घुल के निकल गयी और अब उनको बाप बनने से कोई रोक नहीं सकता, इसलिए तेज़ाब का असर,… जलन इसी से हो रही है।

बस ख़ुशी से ननद को धक्का देके पलंग पे गिराते बोले,

" अरे चल अभी फूंक देता हूँ, सब जलन ठंडी हो जायेगी " और दोनों जाँघों को कस के फैला के



और कुछ देर में ही वो कस के सपड़ सपड़ अपनी बीबी की बुर चाट रहे थे

" हे हटो न, अभी वो कर के आ रही हूँ, सब लगा होगा, "

ननद ने झूठ मूठ हटाते हुए कहा

" तभी तो बड़ा खारा खारा स्वाद आ रहा है, अरे अच्छा लग रहा है चाटने दे न " और कस के अपने मुंह को मेरी ननद की बुर पे रगड़ते वो बोले और जीभ अंदर धकेल दी।



मैं भी देख के मुस्करा रही थी, खारे के साथ ननदोई की मलाई भी तो भरी थी उसमे सच में मजेदार स्वाद लग रहा होगा।

और उसी समय मैंने तय कर लिया, लौट के आने दो मेरी ननद को अपनी ससुरार से, ननदोई भी तो पीछे पीछे आएंगे।

बस ननद की इसी बिलिया में अपने मरद की मलाई दो तीन बार भर के, बजबजाती छलछलाती रहे,....


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तब उसके मर्द से,... अपने नन्दोई से जरूर चटवाउंगी,

बहन की बुर से भाई की मलाई, क्या मस्त स्वाद होगा। चाटे मेरा ननदोई,

अरे अपनी मलाई तो सबकी बीबी कुछ न कुछ जतन कर के अपने मरद को चटा देती हैं, लेकिन कुप्पी में अपने सगे भाई की मलाई भर के अपने मरद से सपड़ सपड़ उसके सगे साले की मलाई चटवाये, तब तो असली बात, आने दो ननद को अगली बार मायके पक्का


मेरी निगाह लड्डू वाले डिब्बे पे पड़ी, दूसरा लड्डू उन्होंने खा लिया था और उसका असर भी दिख रहा था। उसमें तो पहले से ज्यादा कामोत्तेजक औषधि थी और असर भी पड़ गया था

नन्दोई का खूंटा खड़ा हो रहा था और बुर चुसाई से ननद भी गीली हो गयी थीं , बस अगला राउंड शुरू हो गया था, चौथी बार और अबकी ननद को कुतिया बना के पहले से भी जोर से नन्दोई जी चोद रहे थे।

और इस बार तो नन्दोई जी एकदम तूफ़ान मेल हो गए थे,

मैंने भी बहुत तूफानी चुदाई झेली थी। चंदू, जिससे सहमकर चार बच्चों की माँ भी पगडण्डी बदल देती थी,

कमल जिसके खूंटे से सहमकर उसकी बहन ने शलवार का नाडा न खोलने की कसम खा ली थी

और उन सबसे २० मेरा अपना मरद, और ननदोई जी खुद मेरे ऊपर कितनी बार, कल ही,

मैंने तो गिनना ही छोड़ दिया था, सगा देवर तो कोई था नहीं, बहनों में भी सबसे बड़ी मैं तो कोई जीजा भी नहीं, तो ले दे के सगे के नाम यही नन्दोई तो, और सलहज अगर नन्दोई के आगे कितनी बार टाँगे फैलाई ये गिनना शुरू कर दे तो सलहज नन्दोई का रिश्ता न बदनाम हो जाए,



और मैं जानती असली खेल दूबे भाभी का था, वो भी तो सलहज ही लगेंगी।

अपनी बैदकी का ज्ञान और जादू टोने का गुन ढंग सब उन्होंने लगा दिया था, शिलाजीत, शतावर, अश्वगंधा और न जाने क्या क्या डालने के साथ पता नहीं कहाँ के सीखे मंतर और जड़ी बूटी भी, इस लड्डू में थे। मुझे उन्होंने समझाया भी,

" सुन कोमलिया, मर्द के चोदू होने के लिए मूसल तो तगड़ा होना चाहिए ही, लम्बा मोटा कड़क होने के साथ कितनी देर टिकता है लेकिन उतना ही जरुरी है उसके चूतड़ और कमर में ताकत की धक्के पे धक्के मारता जाए, और सांस न ले, और इन दोनों के साथ उसका मन दिमाग, एकदम पागल हो जाए, औरत रोये चिल्लाये हाथ गोड़ जोड़े लेकिन जैसे इंजन का पिस्टन बिना रुके अंदर बाहर, अंदर बाहर,



और सच में नन्दोई जी का मोटा पिस्टन ननद की बुर में ऐसे ही बार बार लगातार, न उनके धक्को की ताकत कम हो रही थी न स्पीड धीमी हो रही थी। ननद मेरी झुकी हुयी, निहुरी, दोनों मोटे मोटे चूतड़ जिसे देख के मेरा मरद ललचाता था, हवा में उठे , दोनों पैरों को नन्द ने खूब फैला के जाँघों को खोल के रखा था। साफ़ था इसी गाँव के गन्ने के, अरहर केखेत में ऐसी ही निहुर के घोंट के जवान हुयी थीं, लेकिन आज



एक मिनट बस एक मिनट रुक जाओ, का हो गया है तुमको, कोई, ओह्ह्ह नहीं नहीं बार बार ननद चीख रही थी,

और ननदोई कभी दोनों चूची निचोड़ते हुए, कभी ननद की कमर पकडे हचक के चोद रहे थे, कभी झुक के ननद की पीठ चाट लेते कभी गाल काट लेते और दस पांच धक्के के बाद ननद के रोने चीखने पे रुकते भी तो खूंटा अंदर घुसा



और मैंने जानबूझ के ये वाला लड्डू ऐसे, नन्दोई आज ऐसी चुदाई करें जैसे कभी न की हो और उन्हें पक्का विश्वास जो जाएगा की ननद गाभिन उन्ही के बीज से हुयी हैं



और दर्द के बावजूद ननद पूरी कोशिश करके उनका साथ दे रही थी , मौका मिलते ही उन्हें बहन की महतारी की गारी दे रही थीं, चूतड़ मटका के धक्के का जवाब धक्के से दे रही थीं,



ननद आज सुबह से ही, ख़ुशी के मारे पागल थी जैसे ही हम दोनों ने टेस्ट स्ट्रिप पे दो लाइन देखीं तभी से, बस पक्का हो गया की अब वो गाभिन हो गयी हैं


औरत सब से ज्यादा दो बार खुश होती है,

एक तो गौने की रात को नहीं,…


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गौने की रात को जब उसके मना करने पर सौ नखड़ा दिखाने पे भी,… मरद पेटीकोट का नाडा खोलता नहीं,… तोड़ देता है,

और रात भर कचरता है, जैसे आटा गुंथा जाता है वैसे ही उस नयी नयी दुल्हन की देह गूंथता है, रात भर टाँगे उठी रहती हैं, जाँघे फैली रहती हैं, ....

और अगले दिन ननदें सहारा देके पलंग से उठाती हैं, तो अगले दिन, गौने की रात के बारे में सोच सोच के, जितना ननदें चिढ़ाती हैं, रात का हाल पूछती हैं , सास और जेठानी अपने दिन सोच सोच के मुस्कराती हैं, वो दिन दुल्हन के लिए सबसे ख़ुशी का दिन होता है



और दूसरा ख़ुशी का दिन होता है जब उसे पता चलता है की वो पेट से है,



तो आज ननद के पाँव सुबह से जमीन पर नहीं पड़ रहे थे और ऊपर से ये ताबतोड़ चुदाई,

पूरे आधे घंटे के बाद, कम से कम तीन चार बार ननद मेरी झड़ी होंगी, उसके बाद नन्दोई जी और दूबे भाभी की बूटी जबरदस्त वीर्यवर्धक, सच में कटोरे भर माल उगला होगा और एक बार नहीं एकदम मरद की तरह, असली दुनाली।

नन्दोई के चेहरे से लग रहा था की अब उन्हें पक्का विश्वास हो गया की अपने साले की बहिनिया को उन्होंने पेट से कर दिया है

और यही तो मैं चाहती थी , ननद मेरी एक बार नहीं,.... बार बार गाभिन अपने सगे भैया से,...हर बार बिटिया जने, जिसपर मेरा मरद चढ़े, उसकी महतारी के सामने और उसका मर्द सोचे की उसके माल की निशानी है।
वाह री कोमलिया. अपने नन्दोई और ननंद का लाइव शो देख रही है. पूरा माझा ले रही है. नन्दोई जी को जो पट्टी पढ़ाई एक लड्डू का कमाल हो गया.

ये नन्दोई जी तो लगता है की पुरे चुत चटोरे है. नदिया की चुत खूब मजे से. खरा है. माझा तो तब आएगा अपने साले की मलाई उसकी बहन की चुत से चाटोगे. मतलब की अपनी बीवी की चुत से.

दूबे भाभी ने क्या माल मसाला भर के लड्डू बनाए है. अब दूसरे लड्डू की बारी. बिलजुल सही कहा. उन्हें भी तो लगना चाहिये की उन्होंने नदिया को गंभीन कर दिया.

वैसे मर्दो को चुतिया कहो तो उन्हें बुरा नहीं मान ना चाहिये. वो होते है. तभि तो. उनकी चुदाई देख कर कोमलिया को नजाने कौन कौन याद आ गया. चलो ये तो नन्दोई ही है.

नांदिया गंभीन होंगी तभि तो बेटी जनेगी. छिनाल पैदा करेंगी तो रंडी ही. जो फिर तेरे मरद को मामा पापा कहते उनका खुटा घोटेगी.

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Shetan

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नयी सुबह
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नंनद नदोई दोनों थक गए थे और वही जमीन पर ही पड़ गए और मैं भी अपने कमरे पर नींद की चादर ओढ़ कर लम्बी हो गयी। मैं अपने कमरे में बिस्तर पर और रात भी थोड़ी देर में अपना बोरिया बिस्तर समेट के जानेवाली थी।

चुचुहिया बोल रही थी, भोर आँख मींज के अभी बिस्तर छोड़ने की कोशिश कर रही थी . और मैं भी आँख मींजती उठ खड़ी हुयी। बस यही टाइम था नन्दोई के मन में पक्का करने का, और अंगड़ाई लेती मैं उन लोगो के कमरे में पहुंची,


आंगन में अभी भी अँधेरा था, रात की कालिख थोड़ी धुंधली हो रही थी।

पांचवा राउंड लगता है थोड़ी देर पहले ख़तम हुआ था।

ननद एकदम थेथर पड़ी थी और नन्दोई जी भी थोड़े थके कुनमुना रहे थे।

ननद की जाँघों पर उनके मरद की थक्केदार मलाई जमी थी, बुरिया से छलछला रही थी।
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वो प्रेग्नेंसी वाली स्ट्रिप मैंने नन्दोई जी को उठा के दिखाई और बोली आप की बीबी को ले जा रही हूँ, लेकिन अगर ये एक लाइन से दो लाइन हो गयी, तो सोच लीजिये मनमर्जी का नेग लूंगी और मेरी दो शर्तें माननी होगी,

" दो क्या जितनी कहियेगा, उतनी शर्तें मानूंगा, बस, " अभी भी उनके चेहरे पे अभी भी हलकी सी चिंता थी,

मैं और ननद फिर बाहर की ओर,
और वो स्ट्रिप चेक की, और वो तो होना ही थी।
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उसे मुट्ठी में बंद कर के मैं ले आयी और एकदम उदास सा मुंह बना के नन्दोई जी के सामने, बेचारे वो चिंता के मारे परेशान, मुंह लटक गया। बड़ी मुश्किल से बोले,

' क्या हुआ, कुछ,"

अब मुझसे बेचारे की चिंता नहीं देखी गयी और मैं खुद भी अपने को रोक नहीं पायी, बस जाके उनसे चिपक गयी, कस के बाहों में भर लिया और एक जबरदस्त चुम्मी,

और वो भी टिपिकल सलहज वाली, जीभ ननदोई के मुंह के अंदर, मेरे होंठ उनके होठ का रस चूसते, और ननदोई जी का ' वो ' थोड़ा सोया थोड़ा जागा, उसे ऊपर से हलके हलके तंग करते मैंने चिढ़ाया,

" सब इसी की बदमाशी है, …बेचारी मेरी ननद का पेट फुला दिया"
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नन्दोई मेरे जोबन के दीवाने, मैं कस कस के उनके सीने पे रगड़ते बोली,

" तैयार हो जाइये लुटने के लिए, नेग भी लुंगी और सब शर्तें भी मनवाउंगी, आसानी से बिटिया नहीं मिलेगी "

और उन्हें वो स्ट्रिप पकड़ा दी,

दो लाइने जिसे देखने के लिए उनकी आँखे तरस रही थीं, वो खुश नहीं महा खुश और अबकी वो मुझे चूम के बोले,

" सब मंजूर "

ननद भी खुश, खिलखिला रही थीं, मेरी और अपने पति की मस्ती देखकर।

कौन औरत होगी जो पति के खुश चेहरे को देख के न खिल उठे , लेकिन कौन भौजाई होगी जो ननद को बिना गरियाये, बिना चिढ़ाए छोड़ दे, तो एक बार ननदोई का खूंटा नन्द को दिखाते हुए मैंने पकड़ के उन्हें छेड़ा,

" जलिये जलिये, …आप तो पेट फुलाये घूमेंगी, ....बेचारे इसका क्या होगा, उपवास करेगा क्या ? अरे इसका ख्याल मैं नहीं रखूंगी तो कौन रखेगा "
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"एकदम भाभी, अब आपके हवाले ये " हँसते हुए वो बोलीं,

पर ननदोई जी ने मुझसे कहा नेग और वो शर्त जो, आज आप जो मांग लीजिये,
वाह क्या सीन लिखा है. सुबह पहोच गई कोमलीया. अपने ननंद नन्दोई के कमरे मे. नदिया की दोनों टांगो के बिच मलाई गाढ़ी वली भरी पड़ी थी. पर बारी थी पक्के सर्टिफिकेटकी. जो कोमलिया ने प्रेगनेंसी किट के जरिये देखा.
वो सहलज ही क्या हो खुशखबरी किसी अलग अंदाज़ मे ना दे. कोमलिया ने तो नन्दोई का खुटा पकड़ के दी. अब नदिया रानी. तुम्हारा पेट तो फूल जाएगा. तेरे मरद को तो नदिया ही संभालेगी.


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Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
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ब्याहता मरद औरत की चुदाई का यही तो फायदा है, बुर में पानी डालने के पहले मरद कभी नहीं सोचता कहाँ गिराऊं और मन आने पर कस के गाल, और जोबन दोनों को काटता भी है और नोचता भी है। और औरत भी न लजाती है न शर्माती है न उन निशानों को छिपाती है ,

मैं खुद गौने की रात के अगले दिन सबेरे बड़ी कोशिश की उन निशानों को छुपाने की लेकिन दो तीन दिन में समझ गयी,


फिर मेरी सास ने भी मुझे समझाया, और मैं खूब लो कट चोली पहन के जिससे उनके दांत के नीचाँ साफ़ साफ़ मेरे जोबना पे, होंठ एकदम सूजे सूजे, दोनों गालों पे दांतो के निशान,

मैं समझ गयी थी यह सब तो नयी सुहागन के निशान है,

दिन में ठीक से चला न जाए, जाँघों में बार चिलख हो, बार बार जम्हाई आये, आँखे बारे बारे चोरी छुपे दरवाजे तक दौड़ी दौड़ी जाए की कहीं देवरों नन्दोईयों के झुरमुट में ये दिख जाएँ, बार बार सिकोड़ने पर भी रात की मलाई का कतरा सरक के नीचे,

यही सब तो निशान है रात को मरद ने नयी दुल्हन को कचकचा के प्यार किया है,

Very nice... कंटाप लिखा
 

Shetan

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नेग और शर्तें
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" देखिये एक नेग से तो काम चलेगा नहीं, अभी तो मैं अकेली सहलज हूँ और पहिलौठी की बिटिया तो पहला नेग तो यही खूंटा है/
हाँ मेरी शर्त क्या अरज है, मुझसे ज्यादा आपकी होने वाली बिटिया के लिए, तो पहली अर्ज ये है की ननद की सौरी यहीं हो, और सौरी मैं रखाउंगी।दो बाते हैं, ससुरार में इनकी,…
आपकी बहन अभी छोटी है, पढ़ने वाली, ...उस बिचारी को अभी ये सब जिम्मेदारी कहाँ मालुम होगी


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और रही बात आपकी माई की तो अकेले उनके बस का,… और यहाँ मैं हूँ आप की सास हैं, चाची हैं, और सब लोग,..."

" माई मानेगीं ? " थोड़ा बहुत ननदोई परेशान हो गए।

" एकदम मानेंगी, अरे पोती क मुंह देखेंगी, आ जाएंगी वो भी यहीं जब होनेवाली होगी, सबसे पहले मुंह तो उन्ही को दिखाउंगी और आप को बिना नेग लिए फटकने नहीं दूंगी। हाँ आपकी बहन, इनकी ननद, उसका नेग नहीं मारा जाएगा, तो उसको पंद्रह बीस दिन पहले भेज दीजियेगा, रहेगी अपनी भाभी के पास,… हम लोगों के पास। "

मैंने उन्हें समझाया।

" बात तो आप सही कह रही हैं, यहाँ ज्यादा आराम होगा और माई की वैसे भी ज्यादा भाग दौड़ में परेशानी हो जाती है। चलिए मैं मना लूंगा माई को "

तबतक नन्द बोलीं, " माँ को बताएं, वो जग गयी हैं "

और मैंने मना कर दिया और उनसे बोला, " सबसे पहले खबर आपकी सास को मिलनी चाहिए, दादी हैं और इतना पूजा पाठ की, सब उन्ही के आसीर्बाद का फल है। "
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नन्दोई का मुंह दमक उठा, " एकदम सही कह रही हैं आप, पहला हक उनका है, अभी फोन लगाता हूँ, " वो चमक उठे ,

" नहीं, नहीं फोन नहीं, अरे अभी तो आप लोगों को जाना ही है, बस मैं बिदाई का इंतजाम जल्दी करती हूँ, बस पहुँच के सामने सामने वो ज्यादा खुश होंगी और मेरी सास को खबर देना होगा तो वही देंगी, हम सब चुप रहेंगे "

मैंने नन्दोई जी से कहा और वो कुछ बोलते उनसे पहले मेरी ननद,

" भौजी एकदम सही कह रही हैं, अभी मैं चल के सब सामान समेटती हूँ , बस घंटे दो घंटे में निकल लेंगे, कितनी उनकी चाह है पोते पोती का मुंह देखने की, आप सामने कहेंगे तो एकदम ठीक "

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और वो निकल गयीं, लेकिन उनके निकलने के पहले मैंने उन्हें समझा दिया,


बाहर रमुआ बहु होगी, गोबरकढ़ीन उन्ही को बोल दीजियेगा की आसा बहू को बुला दें बस बोले की भौजी बुलाई हैं और तुरंत आ जाए।

ननद बाहर निकल गयी और मैंने नन्दोई जी को दूसरी शर्त सुना दी।

" वो माई जिनके आसीर्बाद से,…. वो ननद को एक काला धागा बांधे हैं, और वो जब तक बरही न हो जाए तब तक उतरना नहीं है समझिये सुरक्षा चक्र है, लेकिन वो बार बार सकारे थीं की कहीं बाहर न निकलें, या तो मायके या ससुरे, रस्ते की बात और है, देवी देवता, मंदिर, साधु संत,… दूर से प्रणाम कर लें, और सबसे बड़ी बात सांझ होने के पहले घरे के अंदर, और चौबीसो घंटा घर क कउनो परानी आस पास, ….और बाहर तो अकेले एकदम नहीं छोड़ना है "

ननदोई जी की आँखे एक बार फिर भक्ति भाव से बंद थी, बोले,

" सच में बिना उनके आसीर्बाद के, और माई के गुरु जी के आश्रम में जाने की बात थी जरूर लेकिन जिस लिए जाने की बात थी, वो काम तो हो ही गया और ये खतरा है तो माई चली जायेगीं, गुरु जी का दर्शन कर लेंगी "


मैंने चैन की साँस ली, मुझे ननद को साधू के आश्रम में जाने से किसी भी कीमत पे बचाना था।
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वाह क्या चाल चली है कोमलिया. ऐसे मौके पर नेक ना लिया. तो कब लेगी. पहला नेक तो नन्दोई जी का खुटा है. आखिर अब कोमलिया ही तो संभालेगी. नदिया छिनार तो पेट फुलाए रहेगी. और सहलाज कब काम आएगी. चलो ये तो मज़ाक था.

वही नन्दोई जी की जवान बाहनिया को बुलवाने का क्या मस्त प्लान बनाया है. अब माझा आएगा. उनकी महतारी को भी बुलवा लेती. वैसे नागिन सुनेगी तो बहोत ख़ुश होंगी. पर ये खुश खबरी उनकी समधन को ही देने दो.

रही दूसरी शर्त. बिलकुल सही किया. किसी गुरु, बाबा, वगेरा सब से दूर से प्रणाम. नहीं तो कही नन्दोई जी की माई नांदिया को उस आश्रम मे ना ले चली जाए.

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