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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९९ ननद की रात -ननदोई के संग पृष्ठ १०२५

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इस कहानी पर भी और जोरू का गुलाम के अपडेट पर भी ( पृष्ठ १४५० )
 
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Shetan

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साजन के बोल
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नन्दोई का मुंह खुला तो फिर रुका नहीं, जो कहना था, जो जो मैंने सिखाया पढ़ाया था सुग्गे की तरह वो सब तो मेरे मिट्ठू ने बोला ही और उससे भी ज्यादा।

" अरे हमर सलहज, ....अँजोरिया में दीया ले के ढूंढने पे न मिले "

और फिर अपनी कटखनी बहन को हड़काया,


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" और तू का सोच रही हो तुंही के बूआ बने के शौक है उन्हें मामी बनने का नहीं है "

फिर बताया, देवी का किस्सा, कैसे उनकी सलहज ने ब्रत तपस्या की एक पैर पे खड़े हो के घाम में बारिश में तब जाके, सब परेशानी दूर हुयी, और दिन घडी सब बतायीं, समझिये शेरनी का दूध निकाल के ले आयीं , ऐसे मुश्किल से प्रसाद मिला तो जाके, "

और फिर ननद के हाथ में बंधे काले धागे को दिखा के जो मैंने आखिरी दांव खेला था वो बोल दिया

" ये धागा ये भी परसाद का, ....जब तक बिटिया तीन महीने क न हो जाए ये तोहरे पोती क रच्छा करेगी, लेकिन तक तब कहीं आना जाना नहीं, सिर्फ घर में या मायके या डाकटर को दिखाने "

सास के बोलने के पहले नन्दोई समझ गए की बात अब आश्रम की आएगी।

जब मरद अपनी पत्नी के लिए महतारी के सामने महतारी से झूठ पे पे झूठ बोलने लगे तो समझ लीजिये की अब मरद माई की जगह मेहरारू का होगया , उसके पेटीकोट के नाड़े से बंध गया, ,,,,उसने पाला डाक लिया और अब वही हुआ,,,,, स्साला पूरी नौटंकी।

नन्दोई ने जिधर गुरु का आश्रम था, उधर मुंह किया, श्रद्धा से हाथ जोड़ लिया और आँख बंद कर लिया,

सास भी श्रद्धा की डुबकी लगाती हुयी उधर की ओर मुंह कर के आँख बंद कर के हाथ जोड़ के, और नन्दोई जी एकदम गंभीर वाणी में

" गुरु जी, बाबा,… सपने में आये थे। दिव्य एकदम रौशनी के घेरे में, बोले,

‘ हमरे बहुत चेला चेली हैं लेकिन तोहरे माई अस, जेतना भक्ति, श्रद्धा विश्वास उनमे हैं, जेतना आश्रम के लिए वो करती हैं प्रमुख सेविका से भी ज्यादा। लेकिन वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता। हम उनको बोले थे की तोहरी बहुरिया की कोख भरी जायेगी, तो बस यही मौका है भोर होये के पहले, और हमर ध्यान लगाए के, नौवे महीने लक्ष्मी होगी, हमार अंश, और जबतक बिटिया साल भर क न हो जाए, बस वहीँ से हमरे आश्रम की ओर देख के गोड़ जोड़ लिया। बरसो बाद ये संजोग आया है, यह लिए हम खुद,

तोहार महतारी और तुम आ जाना बस, ....उसकी भी कोई जल्दी नहीं है। “

और जैसे बाबा गए हमार नींद खुल गयी,.... फिर हम दोनों जनी बाबा का ध्यान कर के, और भोर होने के बाद हमार सलहज आसा बहू को बुलाये के जांच करा के, ...बाबा क आसीर्बाद "

ननद मान गयी की अब ये मरद उनके गोड़ का धोवन पियेगा

और वह इसी घर के आंगन में अपनी सास ननद को झोंटा पकड़ के नंगे नचाएंगी तो भी उन्ही की ओर से बोलेगा,

बस किसी तरह अपने लिए झूठ पे झूठ बोलते मरद का मुंह देख रही थीं प्यार से, किसी तरह मुस्कराहट रोके थीं,
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सास ने आँख खोली और अपनी मुंहलगी , पैर दबाने वाली कहाईन से बोली

" तभी, .....बिना बाबा के आसीर्बाद के ये चमत्कार हो ही नहीं सकता था. ठीक है जब बाबा खुदे बोल दिए और जो हम चाहते थे, बाबा खुद आ के झोली में दे दिए तो, ..."


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अब असली सवाल था बेटी पैदा मायके में हो, और ननदोई ये बात छेड़ते उसके पहले आशा बहू बोलीं

" हमरे ख्याल से दस पंद्रह दिन के अंदर कउनो लेडी डाक्टर को दिखा लेना चाहिए "


और अब सास एकदम अपनी होनेवाली पोती की चिंता में उससे पूछीं, " तोहरे जानकारी में कउनो कउनो लेडी डाक्टर अच्छा है शहर में "

" हम नाम बहुत सुने हैं, लेकिन एक तो पैसा बहुत, पर पैसा वैसा का आप लोगो का क्या, दूसरी बात मुंह बहुत टेढ़ा है "

आशा बहू बोलीं और कहाईन जो बहुत देर से चुप थी बोल पड़ी

" तो कउनो रोग दोष हैं उनमे, जो मुंह टेढ़ा हो गया "


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और आशा बहू खिलखिला के हंस पड़ी

" अरे नहीं सुन्दर तो इतनी है की हेमामालिनी का नंबर डका देतीं अगर, बमबई जातीं, वैसे ही गोर चिक्कन, लम्बी चौड़ी, देह खूब भरी भरी, देख के नजर नहीं टिकती, अस रूप, अस जोबन। लेकिन टेढ़ा मुंह मतलब भाव नहीं देतीं, कलेकटर कपतान सबेरे से लाइन लगा के बैठते हैं तो सांझ के कहीं नंबर आता है, मिलना मुश्किल है, ...दस पंद्रह दिन का वेट रहता है, "

अब ननदोई जी का बोलने का टाइम आ गया था, " डाकटर मीता क बात कर रही हो का " मुस्करा के वो बोले

" हाँ वही, आप ने भी नाम सुना होगा न, जानते हैं का, अरे थोड़ा जान पहचान कहीं से निकाल लीजिये तो नंबर में थोड़ा आसानी " आशा बहू बोलीं।
" अरे जान पहचान," सीना फुला के नन्दोई जी बोले और जोड़ा,

" सलहज हैं हमारी,… हमरे सलहज क भौजाई, इनके भैया की सलहज तो हमरो तो सलहज ही हुईं न "


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और जब मरद न सिर्फ अपनी बीबी के लिए बल्कि ससुराल वालों के लिए अपनी महतारी से सबके सामने झूठ पे झूठ बोले तो समझिये अब वो महतारी का नहीं रहा,.... बीबी और उसके मायके का हो गया। हम सब चाहते थे की ननद अपने मायके में बियाये ,चार पांच महीना मायके में रहें तो ननदोई जी ने ऐसा जबरदस्त झूठ बोला अपनी महतारी से, मौके का फायदा उठा के,

वो बोले

" जैसे आसा बहू ने खुशखबरी सुनाई इनकी भौजाई ने अपनी भौजाई को फोन लगाया बस वो वही डागदरनी एकदम अल्फ और स्पीकर ऑन था, हमरे सलहज को हड़का के बोलीं

' स्साली, अकेले अकेले नन्दोई का मजा ले रही हो, भौजी को भुलाय गयी। जांच तो करुँगी लेकिन तोहरे नन्द के पहले नन्दोई का जांच करुँगी, ओनके औजार की लम्बाई मोटाई,… जउन हमरे ननद के ननद को गाभिन कर दिया, "
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ननद की सास और कहाईन दोनों खुल के हंसी, ऐसे मजाक दोनों को अच्छे लगते थे, कहाईन बोलीं

" असली सलहज है डगडराइन "

और नन्दोई ने मौका देख के असली बात कह दी,

" तो हमर डाकटरिन सलहज बोलीं हैं की बच्चा घर में ही हो, तोहरी बहू के मायके में हो, वो खुद बोलीं की वैसे तो पोती क दादी के ऊपर है का फैसला लें, लेकिन वहां से उनका क्लिनिक बहुत नजदीक है। कउनो सड़किया बन रही है एक्सप्रेस कउनो, तो समझिये पन्दरह मिनट में उनके अस्पताल, एकदम पक्की सड़क, तो डिलीवरी कराने वो खुद आएँगी और कहीं हस्पताल में जाना भी पड़ा तो उनकी एम्बुलेंस से दस मिनट में हस्पताल के अंदर। यहाँ तो आना उनका मुश्किल है फिर कोई हैबी देबी पड़ी तो हस्पताल ले जाने में भी, इसलिए बाकी फैसला आपका "

उनकी महतारी अभी भी सोच में थीं और नन्दोई जी ने दूसरा तीर निकाला, आश्रम का और अपनी माँ को मक्खन लगाने का


" देखिये माई, डागदरनी चाहे जो कहें लेकिन फैसला आपका। लेकिन हम एक बात ये सोच रहे थे की ये सब आपकी मेहनत का नतीजा है, बाबा खुदे कह रहे थे, आप की भक्ति और बाबा का आशीर्वाद, तो मुझे लगता है, की बाबा ने ये एकदम समझिये जादू किया है तो आपको थोड़ा अब आश्रम में, बाबा की सहायता के लिए, .....और फिर वो औरतों का हस्पताल और लड़कियों का स्कूल, उसमे भी,
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सास का चेहरा थोड़ा बदला, अपनी सहेली कम चमची उस कहाईन से उन्होंने पूछा, " तनी जोड़ तो नौ महीना "

ग्यारहवीं में पढ़ने वाली ननद उचक के बोली, दिसंबर या जनवरी,



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" सही कह रहे हो, उसी समय तो स्कूल और हस्पताल दोनों का काम, " ननद की सास बोलीं और नन्दोई आज बड़की कैंची से अपनी माई के पर कुतरने में लगे थे, बोले

" माई, जिस तरह से बाबा सपने में बोल रहे थे, आपकी तारीफ़ कर रहे थे, हमको तो लगता है दोनों काम की जिम्मेदारी, हस्पताल की भी और स्कूल की भी आपको ही मिलेगी तो उस समय तो आपको हिलने का भी, " ननद की सास हिचकिचाते हुए मान गयीं और पहली बार प्यार से अपनी बहु को देखते बोलीं,

" दुल्हन क महतारी सम्हाल लेंगी ?"

अब नन्दोई जी ने डील सील कर दी।

" अरे एकदम बिटिया क नानी ऐसे बनेंगी, फिर हमार सलहज हैं और आजकल तो उनकी छुटकी बहिनिया भी, फिर वो डाक्टरनी सलहज, एकदम वो तो खुश हो जाएँगी, "

वो बोले और ननद की सास ने अपनी समधन को फोन लगाया लेकिन रुक गयीं।

" दुल्हन की महतारी को तो मालूम होगा "

अब मेरी ननद को मौका मिला गया, बोलने का,

" अरे नहीं ये कह रहे थे लेकिन इनकी सलहज ने साफ़ मना कर दिया, बोलीं की पहला हक़ इस खुशबरी को सुनने का, पोती की दादी और बूआ को है। आप तुरंत निकल जाइये, तो वहां खाली हमरी भौजी और वही आसा बहु को और दोनों किसी को कुछ नहीं बताएंगी। "


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लेकिन तब तक वो ननद की ननद कुकुरिया की तरह भूंक पड़ी,
" अरे भौजी, मायके जाय के ननद क नेग क कंजूसी जिन करियेगा "
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और ननद की ओर से ननद की सास अपनी बिटिया से बोलीं,

" अरे तो तुम भी चली जाना, अपनी भौजी के साथ, बिना बूआ के काजर कौन पारेगा ? और दिसंबर जनवरी तो हम बोल देंगे तोहरे मास्टर से हाजरी बन जायेगी और कौन बोर्ड का इम्तहान, ....ग्यारहवीं में कौन अइसन, महीना भर पहले जाना कम से कम। ऐसे सस्ते में बूआ बन जाओगी ?"

बस अब ननद को मौका मिल गया और अपनी ननद को दबोच के, उसकी शलवार में हाथ डाल के बोलीं,

" अरे नेग नहीं दुहरा नेग मिलेगा,... एक आगे एक पीछे, उहो साथ साथ, एक ओर से हमार भैया, एक ओर से तोहार भैया, लम्बा लम्बा मोट मोट "

ननद थोड़ी चिहुंकी मेरी ननद की, लेकिन फिर वो कहाईन भी गरमा गयी थी, बोली,

" ठीक कह रही हैं तोहार भौजी, और जब बिटिया यहाँ आयी, सोहर होई तो तोहरे भौजी का तो गाँठ खुली नेग के लिए तोहार शलवार क नाडा। अरे बुआ तो जब तक जोबना न लुटाएं तो कौन भतीजा भतीजी क सोहर "


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वो कहाईन भी तो गाँव के रिश्ते से भौजी ही थी।
और ननद की सास मुस्कराते हुए बोली " देखो यह ख़ुशी के मौके पे मैं तो अपनी दुल्हिन क ही साथ दूंगी, ननद भौजाई के बीच वैसे भी मैं नहीं बोलूंगी। और मेरी ननद की सास ने मेरी ननद से बोला,

" तनी अपने महतारी को फोन लगाओ,... उनहु को खुशखबरी सुना दूँ। '



बस, तो सब ठीक हो गया।

नन्दोई जी तो पहले ही मान गए थे की उनकी पत्नी की कोख में आयी बेटी उनके बीज से है।

अब मेरी ननद की सास और ननद भी मान गयीं ।

उनका आश्रम जाना भी बच गया।

सौरी भी यहीं होगी और सबसे बड़ी बात, ननद की वो ग्यारहवीं में पढ़ने वाली ननद भी आएगी महीने भर पहले तो बस उसके आने के हफ्ते भर के अंदर अपने मरद को चढ़ाउंगी उसके ऊपर, उसकी कोरी गागर में अपनी दही भरेगा वो।

वैसे भी बहन की ननद पे तो पहला हक़ बहन के भाई का ही ही होता है।



जैसे मेरी ननद की दिन बहुरे, वैसे इस गाँव की मेरी सब ननदों के दिन बहुरें।
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नहीं नहीं, यह प्रकरण अभी ख़तम नहीं हुआ, थोड़ा और कहना सुनना है

वो सब अगले भाग में, १००वें भाग में और वो एक खूब बड़ा सा मेगा अपडेट होगा।
मान गए कोमलजी. मगर साली नागिन उनकी महतारी को समझाना बड़ा मुश्किल है. मान ने को तैयार ही नहीं. बस आश्रम और बाबा. लगता है बाबा ने गचक के पेला होगा.

वही वाह नन्दोई जी वाह. अब तो आप पुरे ही ससुराल वालों के हो लिए. बीवी के लिए क्या झूठ पे झूठ गप हाकी है. अब बने जोरू के गुलाम.

पर कमल तो सहलाज देवी का है. अरे सहलज के तो पाऊ धो कर पीओ. पहले पाऊ से फिर दोनों टांगो के बिच भी.

और ससुराल लेजाने का सारा जुगाड़ भी बिलकुल फिट. वहां डॉक्टर मीता. नन्दोई जी दो दो सहलाज़ का स्वाद लेने के चक्कर मे है. तो वहां मीता भाभी भी तैयार है. देखा नहीं कैसे गरियाई कोणालिया से फोन पर. अरे अपनी कोणालिया उनकी छिनार लगी. मतलब की नांदिया छिनार.

बहोत कुछ था. लिख नहीं पाई एक्साइटमेंट में.

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Shetan

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Nanad Nandoyi ho aur kamukata naa ho, bas aap padhti jaaiye
आज ही यहाँ के अपडेट कम्पलीट किए. अब फागुन के अपडेट मिल जाए तो माझा आ जाए.

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komaalrani

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आज ही यहाँ के अपडेट कम्पलीट किए. अब फागुन के अपडेट मिल जाए तो माझा आ जाए.

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बस मैं इसी का इन्तजार कर रही थी। बस दो चार दिन में फागुन के दिन चार के अपडेट में ढेर सारा एक्शन

कैसे आनंद बाबू स्कूल में घुस पाते हैं

क्या हालत है बम्ब में बंधी फंसी लड़कियों की ?

क्या गुंजा बच गयी या कोई ट्रेजेडी हो गयी ?
 
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बस मैं इसी का इन्तजार कर रही थी। बस दो चार दिन में फागुन के दिन चार के अपडेट में ढेर सारा एक्शन

कैसे आनंद बाबू स्कूल में घुस पाते हैं

क्या हालत है बम्ब में बंधी फंसी लड़कियों की ?

क्या गुंजा बच गयी या कोई ट्रेजेडी हो गयी ?
Jaldi kijiyega. Intjar rahega.

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