अरे हमारे आपके बिचार एकदमै मिलते हैं ,
लेकिन का करें जो स्साली इनकी छोटी साली है न उससे अपने जीजा का, और ख़ास तौर से जीजा के ' उसका ' दुःख देखा नहीं जाता, बहुत दया माया है उसमें,
और मेरी छोटी बहिनिया है , इसलिए मैंने भी सोचा जाने दो , पिछवाड़े तो बाढ़ आयी हुयी है, और उस छुटकी अपनी ' सुनहली शराब' भी अपने जीजा को पिला दी,.... तो,
फिर एक फरक था,... होली की रात तो उन्होंने तड़पाया था,...
पर अगले ही दिन चार पांच घंटे के अंदर , मेरी ननद जेठानी ने भांग और देसी दारू पिला के मुझे,... इतना चढ़ा दिया,... की सबके सामने, अपने सगे समान छोटे भाई के ऊपर चढ़ के मैंने जबरदस्ती उसी को,... और फिर नन्दोई , उन के दोस्त, ... गाँव के देवर,... दिन भर तो मल्टी कोर्स दावत रही और,
ये बिचारे दिन भर बाहर ' ऐसे ही ' ... कहीं देर रात आएंगे,... इसलिए मैंने भी सोचा की मेरी बहन भी चाहती है तो , हो जाने दो