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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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नो होल्स बार्ड और नो होल्ड्स बार्ड थी,... किंक विंक सभी,...सारी वर्जनाओं की ऐसी की तैसी,... और जब ये ससुराल गए तो इन्होने किसी को नहीं छोड़ा, मेरी बहनें माँ
तो इनके मायके में इनकी माँ बचें ये तो नाइंसाफी होगी न ,... और नाइंसाफी मुझे कतई पसंद नहीं,...
इन्होने तो अपनी बुआ के बारे में भी कबूला था की बुआ पर फूफा के चढ़ने के पहले ये खुद उनकी खाईं में कूदे थे , खूब डुबकी लगाई थी ,
और बुआ की बेटी भी तो छुटकी की ही हम उम्र है एक दो महीने ही छोटी होगी,... तो
बस आगे आगे देखिये

नो होल्स बार्ड और नो होल्ड्स बार्ड
ekdam 'no holes barred and no holds barred...'

aur naainsaafi to bilkul nahi honi chahiye.....
aakhir aapke sainya ka ghanta(jahangiri) insaaf karne ko taiyar hai....
 
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Luckyloda

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आत्मनिर्भर





पर मेरी हालत कम खराब थी, पिछवाड़े तो आज खूब मजा आया, पहले नन्दोई जी ने हचक के मारी, और फिर उस नन्दोई के साले ने,...


लेकिन मेरी रामपियारी अभी भी आठ आठ आंसू रो रही थी, आज किसी ने उसे हाथ भी नहीं लगाया था, और तो उसे बस वो मोटा मूसल चाहिए था, ...




इसलिए मैंने सोचा बहुत हो गया चोर सिपाही का खेल , और मैं सीधे उनके ऊपर चढ़ गयी,...

वो कहते हैं न आज कल आत्मनिर्भर,... तो बस वही,... लेकिन इस लड़के को तड़पाने का मजा अलग है, थोड़ी देर तक तो मेरी गुलाबो उसके तड़पते बौराए पगलाए मोटे सुपाडे पर रगड़ती रही,... फिर जैसे कोई दया कर के जरा सा दरवाजा खोल दे दोनों फांके खुलीं , थोड़ा सा सुपाड़ा घुसा और दरवाजा फिर बंद,...

बरसो बाद मिले पाहुन से जैसे कोई बस गलबहियां भर भर मिले, बात करने का होश ही न रहे, वही हालत मेरी रामपियारी की हो रही थी, जोर से से वो अपने को सिकोड़ रही थीं , निचोड़ रही थीं,



बेचारे ये इन्होने नीचे से धक्का मारने की कोशिश की पर मैंने जोर से आँख तरेर कर बरज दिया,... आज मेरी बारी थी,... हाँ इतना जरूर किया , फांको को थोड़ा सा ढीला किया , हलका सा धक्का दिया और वो भूखा, नदीदा सुपाड़ा गप्प,

जैसे सुहागरात के दिन उन्होंने मेरी कलाई पकड़ के जोर जोर से धक्के मारे थे , मेरी कुंवारेपन की झिल्ली टूटी थी, वो तो ठीक, मेरी माँ ने भेजा ही इसलिए था, लेकिन मेरी मनपसंद लाल हरी दो दर्जन चूड़ियां , वो भी चुरूरमुरुर कर आधे से ज्यादा टूट गयीं,...

बस एकदम उसी तरह मैंने उनकी दोनों कलाइयां पकड़ रखी थी पर धक्के उनकी तरह तूफानी नहीं मार रही थी , बस हलके हलके सावन के झूले की तरह , खूब स्वाद ले ले के,




मेरी सहेली का मनपंसद भोजन इनका मोटा तगड़ा लंड,... अब पूरी तरह अंदर था, और मैं रुक गयी थी,


झुक के बस हलके हलके अपने दोनों जोबन उनकी छाती पर रगड़ रही थी, आँखों से उन्हें चिढ़ा रही थी, ...

मेरा साजन मैं चाहे जो करूँ, उनके साथ भी उनकी माँ बहन के साथ भी,...

कुछ देर में मैं मेले में जैसे नटिनी की लड़की बांस पर चढ़ जाती है न, बस उसी तरह इनके बांस पर मैं चढ़ी, इतरा रही थी, फिर धीरे धीरे अपनी छप्पन कला दिखाते, कभी ऊपर कभी नीचे, कभी हलके से अपनी योनि को दबा के उसे निचोड़ देती तो कभी ढीला कर के आजाद कर देती,... लेकिन वो रहता मेरे ही अंदर, कुछ देर ऊपर नीचे ऊपर नीचे करने के बाद, बस मैं रुक गयी, पूरा उसे अपने अंदर लेकर, झुक के मैंने उन्हें चूम लिया, ...

और



फिर जैसे कोई रॉकिंग चेयर पर बैठ के आगे पीछे , आगे पीछे करे,...




बेचारे, उनको तो आदत तूफानी चुदाई की थी , पर मैं क्या करूँ मेरी रामपियारी इत्ती देर से अपने पिया का इन्तजार कर रही थी, लेकिन पिया का मन पियारी नहीं समझेगी तो कौन समझेगा,

तो बस वो तूफानी धक्के पर धक्के वाली भी मैंने शुरू कर दी , पर मैंने उन्हें समझा दिया था , वो आज चुपचाप आराम करें, मेरी बहिनिया के पिछवाड़े बहुत ताकत खर्च की थी उन्होंने इत्ती कसी गांड मार मार् के चौड़ी कर दी थी उन्होंने,...


कोई जरूरी नहीं की मरद को ही सचित्र कोकशास्त्र बड़ी साइज के सारे आसन मालूम हों, कुंवारेपन में ही माँ की अलमारी से निकाल के छुप छुप के कोर्स की किताबों से ज्यादा बार मैंने उसका परायण किया था, और सहेलियों के साथ भी,...




तो वीमेन ऑन टॉप वाली पोजीशन में भी , और अभी दो रात पहले ही तो इनकी सास ने इनके ऊपर चढ़ कर न सिर्फ इनके कील पुर्जे ढीले किये थे बल्कि एक खूंख्वार दरोगा की तरह इनके सब राज, इनकी माँ, बुआ , बहन , सब के साथ कैसे कबड्डी खेली इन्होने वो सब भी,...


हाँ अब वो भी साथ दे रहे थे कभी नीचे से कस कस के धक्के मारते तो कभी, मेरी कमर पकड़ के ऊपर नीचे उछालते और जब मैं नीचे होती तो उनकी मनपसन्द दोनों गेंदे , कभी हाथ से खेलते तो कभी मुंह उठा के उन लड्डुओं का स्वाद भी ले लेते,...




दस बारह मिनट तो हो ही गया होगा , पर ऐसे समय, समय कौन देखता है.



हम दोनों एक दूसरे में मगन,... पर तभी दरवाजा खुला,... और उनकी छोटी साली, ...





मेरी छुटकी बहिनिया, ... पर स्साली छिनार, उसकी चूत में अपनी ससुराल के सारे मर्दों का लंड घुसवाऊँ,... चूतमरानो,...

मेरी ओर देखा भी नहीं, सीधे अपने जीजा की ओर,... और खाली उसे क्यों गरियॉंउ, मेरी छिनार माँ, बहन, सब की सब असली रंडी की जनी, मेरी शादी के बाद एकदम मुझे भूल गयीं, माँ को सिर्फ दामाद नजर आता है और बहनों को जीजू, जैसे बेटी बहन थी ही नहीं कभी,...
Kya gajab entry karayi h choti sali ki...... jiju ki pyari sali ka kya intro diya hai.....



Shandaar
 
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Luckyloda

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मेरी छुटकी बहिनिया, ...







हम दोनों एक दूसरे में मगन,... पर तभी दरवाजा खुला,... और उनकी छोटी साली, ...



मेरी छुटकी बहिनिया, ... पर स्साली छिनार, उसकी चूत में अपनी ससुराल के सारे मर्दों का लंड घुसवाऊँ,... चूतमरानो,... मेरी ओर देखा भी नहीं, सीधे अपने जीजा की ओर,... और खाली उसे क्यों गरियॉंउ, मेरी छिनार माँ, बहन, सब की सब असली रंडी की जनी, मेरी शादी के बाद एकदम मुझे भूल गयीं, माँ को सिर्फ दामाद नजर आता है और बहनों को जीजू, जैसे बेटी बहन थी ही नहीं कभी,...



और मैं कुछ बोलती तो उलटे हंस के मुझसे कहते अरे मैं बेटी और माँ, बहन -बहन के बीच में कैसे फर्क करूँ,... और उस हंसी पर तो मेरी जान न्यौछावर थी।

और वो भी कस के उसे अपनी बाहों में बाँध के,

लेकिन ऐसी खटमिठ्वा कच्ची अमिया हो और कुतरी न जाए, ... तो बस उनके होंठ मेरी छुटकी के बस मटर के जो कच्चे दाने होते हैं, बस अभी आना शुरू किये हों, ऐसे निप्स को लेकर चुसूर चुसूर,...






मैं इनकी चुदाई रोक के, कुछ देर तक मस्ती में जीजा साली की मस्ती देखती रही, फिर मैंने भी सोचा, चल यार, आज इन्हे भी,... हम दोनों बहने मिल कर इनकी ऐसी की तैसी करते हैं, और किस मरद की फैंटेसी नहीं होगी,... एक साथ दो दो ,


एक कच्ची कली बस अभी खिलती हुयी, किशोरी , और दूसरी तरुणी एक छोटी साली और दूसरी उसकी बहन, पत्नी , एक दूसरे से चोरी छुपे नहीं बल्कि साथ साथ,...

और मैं माँ से कह के, छुटकी को साथ लायी भी इसलिए थी,.. इनके लिए अपने मस्त नन्दोई के लिए और गाँव के सारे देवरों, नन्दोईयों के लिये।



तो बस,... मैं उस मीनार से उतर गयी और अपनी छुटकी बहिनिया को मीठी शूली पे चढाने के लिए,... वो टुकुर टुकुर देख रही थी की कैसे मैं कुतबमीनार पर चढ़ी मजे ले रही थी, ऊपर नीचे ऊपर नीचे हो के.... मैं समझ गयी उसका मन ललचा रहा था, बस अपने साजन के मीनार से उतर कर उनकी गोद में दुबकी उनकी साली को पकड़ के खींच लिया ,

वो लगी लाख बहाने बनाने, लेकिन मैं उसकी बड़ी बहिन थी, मैंने हड़काया, लगाउंगी दस हाथ कस कस के गिनूँगी एक, पिछवाड़े मान सकती हूँ मैं, लेकिन आगे क्या हुआ है, ... चल चढ़ जा,...

बड़ी मुश्किल से वो चढ़ी, लेकिन दो दिन भी नहीं हुए थे उसकी सील टूटे, वैसे भी एकदम कच्ची कली,... लेकिन लग रही थी मस्त,... उसके छोटे छोटे लौंडा छाप चूतड़ों को मैंने फैलाया, इनकी गाढ़ी मलाई अभी भी बजबजा रही थी उसके पिछवाड़े, बस थोड़ी सी उसके आगे लगा के पूरी ताकत से चूत की दोनों फांको को मैंने फैलाया, और इनका सुपाड़ा सटाया, बस थोड़ा सा फंसा था।




" हे पुश कर पूरी ताकत लगा के , छिनरपन मत देखा, लगाउंगी एक हाथ, अपने जीजू की कमर पकड़ के पुश कर,... "



मैंने जोर से हड़काया, और वो समझ रही थी की मैं सच के दो चार चांटे लगा दूंगी, ...

कुछ उसने पुश किया , कुछ मैंने उसके कंधे पर पूरी ताकत से जोर लगाया,... मुझे मम्मी की बात याद आ रही थी की जो लड़की लंड घोंटने में नखड़ा करे न, अरे लंड कितना भी मोटा हो, कितना भी लम्बा हो, आखिर उसी चूत से बियाह के नौ महीने बाद इत्ते लम्बे मोटे बच्चे निकलते हैं,...

बस मैंने पूरी ताकत से दोनों हाथ से उसके कंधे पर रख के जोर लगाया सुपाड़ा अच्छी तरह से फंसा था,... बस चीरते फाड़ते, उसकी कसी कच्ची चूत में उनका पहाड़ी आलू ऐसा मोटा सुपाड़ा धंस गया, ...




वो चीखती बिसूरती रही,... पर मान गयी मैं अपनी छुटकी बहिनिया को इत्ते दर्द के बावजूद के वो अपनी ओर से भी घोंटने के लिए पुश कर रही थी,

उन्होंने भी उसे पकड़ने के लिए इशारा किया पर मैंने सख्ती से बरज दिया ,

अरे अगर स्साली उनकी साली चुदवासी है तो लंड पर चढ़ के चोदने का भी दम होना चाहिए,


रोते चीखते भी पूरी ताकत से उसने धकेलते हुए आधा बांस तो घोंट ही लिया पर अब उसके जीजू से नहीं रहा गया, ... वो उसकी कच्ची अमिया देख के ललचा रहे थे, बस ज़रा सा अपनी ओर खींच के, उसकी ललछौंहा बस आ रहे जस्ट छोटे छोटे निपल मुंह में भर लिए और लगे चुभलाने,
Wow kya shandaar deseicbe kiya hai saali k danda lene ko.....



Jija k to maje hi maje hai..... bhut shandaar update
 

Luckyloda

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एक से भले दो







अरे अगर स्साली उनकी साली चुदवासी है तो लंड पर चढ़ के चोदने का भी दम होना चाहिए,


रोते चीखते भी पूरी ताकत से उसने धकेलते हुए आधा बांस तो घोंट ही लिया पर अब उसके जीजू से नहीं रहा गया, ... वो उसकी कच्ची अमिया देख के ललचा रहे थे, बस ज़रा सा अपनी ओर खींच के, उसकी ललछौंहा बस आ रहे जस्ट छोटे छोटे निपल मुंह में भर लिए और लगे चुभलाने,


थोड़ी देर में जीजू साली मिल के, वो अपनी साली की पतली कमर पकड़ के खींच रहे थे और वो भी अपने जीजू का साथ दे रही थी, पुश कर रही थी मैं बगल में बैठी जीजा साली के खेल तमाशे का मजा ले रही थी।




"अगर तू असली स्साली है न अपने जीजू की, तो पूरी ताकत से १०० धक्के मार, "मैंने उसे उकसाया।

सौ तो नहीं लेकिन ६०-७० धक्के तो उसने मारे ही और दो तिहाई से ज्यादा सात साढ़े सात इंच लंड तो अपने जीजा का ऊपर चढ़ के घोंट ही लिया , ... लेकिन अब एकदम वो थक गयी तो मैंने उसे मीठी शूली के ऊपर से उतार लिया ,...

और गोद में लेकर मीठी मीठी चुम्मी उसके गालों पर, होंठों पर लेने लगी.

खूंटा उनका भी वैसे तना, कड़ा खड़ा था, और कौन लड़की होगी जो इत्ता मस्त मलखम्भ देख के न ललचाये, तो मुंह में पानी तो मेरे भी आ रहा था और इनकी साली के भी,तो बस पहल मैंने ही की,


इनका खुला सुपाड़ा, लीची की तरह रसीला, टमाटर की तरह मोटा,... नहीं मुँह में गप्प नहीं किया मैंने,... बस जीभ से चाटती रही थोड़ी देर तक,



फिर छुटकी का मुंह मैंने लगा दिया, ... अब हम दोनों बहने बारी बारी से उस खुले सुपाड़े को कभी साथ साथ कभी बारी बारी से चाट रही थीं ,



फिर सुपाड़ा उसके हिस्से में, और बाकी का लंड,... मेरे हिस्से में , वो सुपाड़ा चूस रही थी मुंह में ले कर कस कस के और मैं बाकी लंड का खम्भा चाट रही थी जीभ निकाल के,

सोचिये, अगर एक जस्ट जवान हो रही किशोरी साली और एक युवती साथ साथ किसी के चर्म दंड को चूसें चाटें, तो कैसा लगेगा, बस वही हालत इनकी हो रही थी,




लेकिन हम दोनों बहनें मिल के इनकी हालत और खराब करने वाली थीं, गन्ना मैंने पूरा का पूरा छुटकी के हवाले किया और मैं नीचे वाले दोनों रसगुल्लों को चूसने में लग गयी,... खूब मस्त , आखिर हम सब को गाभिन करने वाली मलाई तो उसी में से निकलती है,... थोड़ी देर बाद काम बदल गया, रसगुल्ले उनकी साली के हिस्से में और लंड मेरे हिस्से में,



असल में होली के पहले वाली रात यही किया था इन्होने मेरे साथ सारी रात चोदा,खूब हचक हचक के चोदा लेकिन मुझे झड़ने नहीं दिया, खुद भी सिर्फ दो बार झड़े, एक बारे आगे और दूसरी बार एकदम सुबह, पूरी ताकत से ये मेरी गाँड़ मार रहे थे, और उधर ननद खट खट कर रही थीं, दरवाजा खुलवाने के लिए होली खेलने के लिए, और जैसे ही उन्होंने कटोरी भर मलाई मेरी गाँड़ में छोड़ी,... मैंने किसी तरह बस साड़ी लपेट कर दरवाजा खोला, होली की सुबह थी। लेकिन असर मुझे बाद में पता चला, जो उन्होंने मुझे गरमा के, लेकिन बिना झड़े छोड़ दिया,

असर ये हुआ की दिन भर बस ये लगे की कोई चोद दे, कोई झाड़ दे , और मैं इतना गरमा गयी थी की रंग से पुते अपने ममेरे भाई को ही चढ़ के चोद दिया, वो बेचारा चिल्लाता रहा , लेकिन गरमाई औरत को तो सिर्फ लंड दिखता हैतो बस यही आज मैं इनके साथ करना चाहती थी, खूब गरमाऊँगी , झड़ने नहीं दूंगी, वैसे भी एक बारे मेरे और दूसरी बार मेरी छुटकी बहिनिया के पिछवाड़े तो ये झड़ ही चुके थे.



और मैं और छुटकी मिल के इन्हे तंग कर रहे थे।

जैसे कोई शेरनी अपनी शाविका को शिकार सिखाती है बस उसी तरह मैं भी छुटकी को सिखा रही थी, और बहुत ही नेचुरल थी,... बहुत जल्द मेरा कान काटने वाली थी,... एक बार वो फिर साइड में बैठ के अपने जीजू का लंड आधे से ज्यादा मुंह में लेकर सड़प सड़प चूस रही थी और मैं इनकी एक बॉल्स मुंह में लेकर , तभी मुझे एक बदमाशी सूझी,...

बस मैंने जितनी भी तकिया थी बिस्तर पे , सब इनके चूतड़ों के नीचे लगा दी, इनके नितम्बो को सहलाने लगी , और बॉल्स चूसते चूसते, मेरी जीभ नीचे उतरी, ... और फिर इनके गोलकुंडा के किले का गोल गोल चक्कर काटने लगी, कभी कभी गोल दरवाजे की सांकल भी अपनी जीभ की टिप से खटखटा देती,...




ये बेचारे कसमसा रहे थे, मस्ती से पागल हो रहे थे, ...

फिर दोनों हाथों से मैंने इनके नितम्बों को पूरी ताकत से फैलाया, उस गोल छेद पर अपने होंठों को लगाया और लगी कस कस के चूसने, कभी जीभ अंदर भी पेल देती,... धीरे धीरे छेद पिछवाड़े का थोड़ा थोड़ा इनका खुलने लग गया था, ...

छुटकी चूस तो इनका लंड रही थी , साथ साथ हलके हलके अपने टीनेज हाथों से मुठिया भी रही थी,... पर निगाहें उसकी मेरी हरकतों पर टिकी,... मैंने इशारे से उसे बुला लिया, फिर उससे मैं जोर से हड़का के बोली,

"अपनी आँखे बंद कर,... और जीभ निकाल पूरी लम्बी "





उसने जोर से आँखे बंद कर ली, बस मैंने एक बार फिर एक हाथ से उनके नितम्बो को फैला के, उनके गुदा छिद्र पे अपनी छुटकी बहिनिया का मुंह सटा दिया , उसकी किशोर जीभ इनके पिछवाड़े,,

" हे पेल दे जीभ पूरी अंदर, अरे जीजू ने तेरी गाँड़ मारी थी न कस कस के , बस बदला ले ले कस के , मार ले गाँड़ पाने जिज्जा की जीभ से "


और दोनों हाथों से उसका सर मैंने कस के पकड़ रखा था, हड़का रही थी मैं,...

" स्साली, ठेल कस के , जीभ अंदर घुसेड़ के, वरना लगाउंगी दो हाथ कस के,... "

उसकी थोड़ी सी जीभ पिछवाड़े घुसी और इनकी हालत खराब, खूंटा मेरे कब्जे में था , मैं हलके हलके सहला रही थी , कभी उसके बेस पे कस के दबा देती जिससे वो झड न पाएं,

उनकी देह तड़प रही थी, मचल रही थी,... जैसे मैं तड़पती थी जैसे मेरे क्लिट पर जीभ के टिप से छू छू कर , सहला कर,... तड़पाते थे. बस उसी तरह,

पर आज तड़पाने का दिन हम दोनों बहनों का था,... और मैंने एक नयी शैतानी शुरू कर दी,...
Kya shnaaadr Gand maari ja rahi h jija ki ....dono bahno ne aaj to pura badla le liya..... wow.......
 

Luckyloda

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Akhir eraha
तड़पोगे, तड़पा लो






" हे पेल दे जीभ पूरी अंदर, अरे जीजू ने तेरी गाँड़ मारी थी न कस कस के , बस बदला ले ले कस के , मार ले गाँड़ पाने जिज्जा की जीभ से "


और दोनों हाथों से उसका सर मैंने कस के पकड़ रखा था, हड़का रही थी मैं,...

" स्साली, ठेल कस के , जीभ अंदर घुसेड़ के, वरना लगाउंगी दो हाथ कस के,... "

उसकी थोड़ी सी जीभ पिछवाड़े घुसी और इनकी हालत खराब, खूंटा मेरे कब्जे में था , मैं हलके हलके सहला रही थी , कभी उसके बेस पे कस के दबा देती जिससे वो झड न पाएं,उनकी देह तड़प रही थी, मचल रही थी,... जैसे मैं तड़पती थी जैसे मेरे क्लिट पर जीभ के टिप से छू छू कर , सहला कर,... तड़पाते थे. बस उसी तरह,



पर आज तड़पाने का दिन हम दोनों बहनों का था,... और मैंने एक नयी शैतानी शुरू कर दी,...



टिट फक, अपने दोनों बड़े बड़े गदराये जोबन के बीच में लेकर और साथ में खुले सुपाड़े को चूस लेती , चाट लेती ,...




और मेरे बाद छुटकी अपनी कच्चे टिकोरों को, ... नहीं नहीं वो टिट फक नहीं कर रही थी, बस झुक के अपनी कच्ची जस्ट आती हुयी अमिया को उनके खड़े लंड पे रगड़ देती , सहला देती,...

हे करो न , मेरे ऊपर आ जाओ,...वो बोल रहे थे , चूतड़ पटक रहे थे ,

मैं तो उनको और तड़पाती, पर उनकी छुटकी साली, बेचारी रहम खा गयी. और मैं भी देखना चाहती थी, की कैसे वो खड़े लंड पर अपने से चढ़ती है. चढ़ तो गयी मेरी बहिनिया, पर उस मोटे मूसल को घोंटने में तो मेरी रंडी सास और छिनार ननद को पसीना आ जाता होगा, ये तो नयी बछेड़ी,... कुछ उसने कोशिश की, कुछ उसके जिज्जू ने उसकी पतली कमरिया पकड़ के अपनी ओर खींचा और कुछ उसकी जिज्जी यानी मैंने उसके दोनों कंधे पकड़ के धकेला,

धीरे धीरे कर के वो कच्ची कली भी मोटे बांस को आधे से ज्यादा घोंट ले गयी, .... वो भी खुश उसकी गुलाबो भी खुश, उसके जीजू का मूसल भी खुश,...




पर मेरी रामपियारी ने कौन खता की थी, वही काहें पियासी रहतीं,... तो बस छोटी बहन लंड पर चढ़ कर मज़ा ले रही थी तो बड़ी बहन छुटकी के जीजू के मुंह पर,... सच्च में मस्त चूत चटोरे,... थे वो , बस तो हम दोनों बहनों ने मिल के,...


और मेरी निगाह घडी पे पड़ गयी, मुश्किल से आधा घंटा बचा था,


Akhir raham Aa hi gya apne balam par.... komal ko..... aur chada diya choti bahan ko apne balam k land pe.....



Shandaar update
 
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रीत रिवाज







बताया तो था आपको, ... रीत रिवाज के बारे में , कल के दिन गाँव में सिर्फ औरतें लड़कियां रहती थी और उन्ही की होली होती थी, तो जितने मर्द थे उन्हें घंटा भर रात रहते ही, गाँव छोड़ के जाना होता था, और पास में ही १२-१४ किलोमीटर पर एक हम लोगों की छावनी थी, वहां भी ट्यूबवेल, बाग़, खेत थे हमी लोगों के तो तय ये हुआ था की बस ये और नन्दोई जी वहीँ चले जाएंगे, एक घंटा रात रहते, और अगले दिन रात में आ जाएंगे, ...

तो बस उसी में आधा घंटा बचा था,....

छुटकी बांस पे उतरने चढ़ने में अब थक रही थी, चेहरे पर उसके पसीना साफ़ साफ़ छलकता दिख रहा था, जाँघे उसकी फटी पड़ रही थी, अभी कल ही तो उसकी नथ उतरी थी, झिल्ली फटी थी,

आज इतनी ह्च्चक ह्च्चक के उसके जीजू और डबल जीजू ने उसकी कच्ची गाँड़ मार के पूरा खोल दिया था , उसके बाद भी अपने जीजा के लिए कुछ भी कर सकती थी वो इसलिए पूरी ताकत से,...

और सच पूछूं तो उस मोटे लंड को देख के मेरी चूत मचल रही थी और कुछ लंड पे दया भी आ रही थी, बस हम दोनों बहनों ने जगह बदल ली,... और के फायदा ये भी था की छुटकी सीख भी रही थी, ...

और अब मैं कुछ देर में उनके लंड पर चढ़ी उन्हें हचक के चोद रही थी,



और वो अपनी छोटी साली की कसी कसी मीठी मीठी चूत चाट रहे थे, एकदम चाशनी में रसी बसी थी,...


चोदने के साथ मैं उनकी माँ बहिन का नाम ले ले कर जोर जोर रही थी , कभी एक हाथ से उनके निप्स स्क्रैच कर लेती तो दूसरे हाथ से कभी उनके बॉल्स सहला देती तो कभी मेरी बहिन की गाँड़ मारने की सजा देते, उनकी गाँड़ में ऊँगली कर देती, और एक नहीं दो दो,... अंदर तक करोच लेती,... और वो भी चूतड़ उचका के मेरा साथ देते,...



बस पांच मिनट, बगल के कमरे से नन्दोई जी के तैयार होने की आवाजें आनी शुरू हो गयी थीं,... उसी समय



छुटकी ने जीजू के ऊपर से उठने की कोशिश की तो मैंने पहले तो हड़काया,... पर उस बेचारी ने पहले तो बार बार एक ऊँगली दिखाकर सिग्नल दिया की उसे ,.. ' आ रही है ",...

मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान रोकी, इस घर में ये सब इशारे बाजी नहीं चलती, ... यहाँ तो सब के सामने सब बातें सब लोग खुल्ल्म खुल्ला बोलते हैं.

" बोल न " मैंने हड़काया।

झुंझला के वो बोली, दी आ रही है बड़ी जोर से ,... हो जाएगी अभी , जीजू को बोलिये जाने दे न। "


जीजू महा दुष्ट , उन्होंने उस छोटी साली को और कस के पकड़ लिया,... और अपना मुंह उस पनाली के पास,... और उन की पकड़ से तो मैं नहीं छूट पाती थी ये तो कल की ,...




' तो कर ले न ,... जीजू के,... " हँसते हुए मैं बोली,...

वो छटपटा रही थी , ये कस के पकडे थे,... मैं समझ गयी इनका भी मन कर रहा है साली की सुनहरी शराब पीने का , फिर छुटकी बेचारी को, कल दिन भर तो यही सब होगा , मेरी ननद ने बोल रखा था ,

सीधे कुप्पी से पिलाऊंगी,... मेरी जेठानी ने मरे सामने छुटकी से भी छोटी उम्र वाली को, मैंने भी अपनी छोटी ननद को,..

बस मैंने अपनी ऊँगली के टिप को उसके मूत्र छिद्र पर , योनि छिद्र के ऊपर, पहले तो कस कस के रगड़ा फिर अपने नाख़ून से सुरसुरी कर दी,...

बस पहले तो सुनहली पिघलती एक बूँद,... फिर,...

और उसके बाद तो छुटकी भी कुछ नहीं कर सकती थी,...



उसी समय ननदोई जी ने दरवाजा खटखटाया,... नहीं नहीं बिना बिना झड़े नहीं गए , मैं तो बिदा कर भी देती उनको खड़े लंड के साथ पर उनकी छोटी स्साली , उससे नहीं रहा गया,...



और बाहर नन्दोई जी खटखट कर रहे थे और वो मेरी बहन पर चढ़े हुए थे,... जब मैंने दरवाजा खोला उस समय भी उनका खूंटा अंदर धंसा अपनी साली के निचले मुंह को रबड़ी मलाई खिला रहा था,




थोड़ी देर में वो और नन्दोई जी निकल गए , मैं छुटकी को दुबका के सो गयी , घंटे आध घंटे की जो नींद मिल जाए,...

आधी नींद में मैं सोच रही थी पहले दिन मेरी सास, जेठानी और नंदों ने मिल के,... क्या क्या नहीं ,... और इन्ही ननद ने साफ़ साफ़ बोला था की भौजी ये तो ट्रेलर है, असली तो उस दिन होगा जब आप मायके से लौट आइयेगा, जिस दिन गाँव में सिर्फ औरतें होती है, पर उस दिन भी,...



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Asli joli ki shuruwat to Ab honi hai...... gajab update bhabhi ji.... maja Aa gya padh ke.....
 
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jija to jija... double jija bhi... wo bhi pichhe se kudaal chalayenge..
अरे मेरी छुटकी का पिछवाड़ा है ही इत्ता मस्त, पूरा गाँव उसके पीछे पड़ा हुआ है,



और मेरी सास ने तो साफ़ साफ़ उससे कहा है की उसके यहाँ से लौटने से पहले उसका पिछवाड़ा उनकी समधन ( मेरी माँ )के अगवाड़े से भी चौड़ा हो जाएगा, जिससे मेरी और मेरी बहनों ऐसे तीन तीन मस्त माल निकले हैं ,

और नैना ननदिया ने अपने ऊपर ये जिम्मेदारी ली है की मेरी बहिनिया का पिछवाड़ा , ऐसा करवा देगी, की बिना थूक भी लगाए , वो खुद चढ़ के मोटा से मोटा खूंटा घोंट लेगी,
 

komaalrani

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wahi hoga jo manjoore jija aur jiji hoga...
yessssssss
 
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