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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Nick107

Ishq kr..❤
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रीत रिवाज







बताया तो था आपको, ... रीत रिवाज के बारे में , कल के दिन गाँव में सिर्फ औरतें लड़कियां रहती थी और उन्ही की होली होती थी, तो जितने मर्द थे उन्हें घंटा भर रात रहते ही, गाँव छोड़ के जाना होता था, और पास में ही १२-१४ किलोमीटर पर एक हम लोगों की छावनी थी, वहां भी ट्यूबवेल, बाग़, खेत थे हमी लोगों के तो तय ये हुआ था की बस ये और नन्दोई जी वहीँ चले जाएंगे, एक घंटा रात रहते, और अगले दिन रात में आ जाएंगे, ...

तो बस उसी में आधा घंटा बचा था,....

छुटकी बांस पे उतरने चढ़ने में अब थक रही थी, चेहरे पर उसके पसीना साफ़ साफ़ छलकता दिख रहा था, जाँघे उसकी फटी पड़ रही थी, अभी कल ही तो उसकी नथ उतरी थी, झिल्ली फटी थी,

आज इतनी ह्च्चक ह्च्चक के उसके जीजू और डबल जीजू ने उसकी कच्ची गाँड़ मार के पूरा खोल दिया था , उसके बाद भी अपने जीजा के लिए कुछ भी कर सकती थी वो इसलिए पूरी ताकत से,...

और सच पूछूं तो उस मोटे लंड को देख के मेरी चूत मचल रही थी और कुछ लंड पे दया भी आ रही थी, बस हम दोनों बहनों ने जगह बदल ली,... और के फायदा ये भी था की छुटकी सीख भी रही थी, ...

और अब मैं कुछ देर में उनके लंड पर चढ़ी उन्हें हचक के चोद रही थी,



और वो अपनी छोटी साली की कसी कसी मीठी मीठी चूत चाट रहे थे, एकदम चाशनी में रसी बसी थी,...


चोदने के साथ मैं उनकी माँ बहिन का नाम ले ले कर जोर जोर रही थी , कभी एक हाथ से उनके निप्स स्क्रैच कर लेती तो दूसरे हाथ से कभी उनके बॉल्स सहला देती तो कभी मेरी बहिन की गाँड़ मारने की सजा देते, उनकी गाँड़ में ऊँगली कर देती, और एक नहीं दो दो,... अंदर तक करोच लेती,... और वो भी चूतड़ उचका के मेरा साथ देते,...



बस पांच मिनट, बगल के कमरे से नन्दोई जी के तैयार होने की आवाजें आनी शुरू हो गयी थीं,... उसी समय



छुटकी ने जीजू के ऊपर से उठने की कोशिश की तो मैंने पहले तो हड़काया,... पर उस बेचारी ने पहले तो बार बार एक ऊँगली दिखाकर सिग्नल दिया की उसे ,.. ' आ रही है ",...

मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान रोकी, इस घर में ये सब इशारे बाजी नहीं चलती, ... यहाँ तो सब के सामने सब बातें सब लोग खुल्ल्म खुल्ला बोलते हैं.

" बोल न " मैंने हड़काया।

झुंझला के वो बोली, दी आ रही है बड़ी जोर से ,... हो जाएगी अभी , जीजू को बोलिये जाने दे न। "


जीजू महा दुष्ट , उन्होंने उस छोटी साली को और कस के पकड़ लिया,... और अपना मुंह उस पनाली के पास,... और उन की पकड़ से तो मैं नहीं छूट पाती थी ये तो कल की ,...




' तो कर ले न ,... जीजू के,... " हँसते हुए मैं बोली,...

वो छटपटा रही थी , ये कस के पकडे थे,... मैं समझ गयी इनका भी मन कर रहा है साली की सुनहरी शराब पीने का , फिर छुटकी बेचारी को, कल दिन भर तो यही सब होगा , मेरी ननद ने बोल रखा था ,

सीधे कुप्पी से पिलाऊंगी,... मेरी जेठानी ने मरे सामने छुटकी से भी छोटी उम्र वाली को, मैंने भी अपनी छोटी ननद को,..

बस मैंने अपनी ऊँगली के टिप को उसके मूत्र छिद्र पर , योनि छिद्र के ऊपर, पहले तो कस कस के रगड़ा फिर अपने नाख़ून से सुरसुरी कर दी,...

बस पहले तो सुनहली पिघलती एक बूँद,... फिर,...

और उसके बाद तो छुटकी भी कुछ नहीं कर सकती थी,...



उसी समय ननदोई जी ने दरवाजा खटखटाया,... नहीं नहीं बिना बिना झड़े नहीं गए , मैं तो बिदा कर भी देती उनको खड़े लंड के साथ पर उनकी छोटी स्साली , उससे नहीं रहा गया,...



और बाहर नन्दोई जी खटखट कर रहे थे और वो मेरी बहन पर चढ़े हुए थे,... जब मैंने दरवाजा खोला उस समय भी उनका खूंटा अंदर धंसा अपनी साली के निचले मुंह को रबड़ी मलाई खिला रहा था,




थोड़ी देर में वो और नन्दोई जी निकल गए , मैं छुटकी को दुबका के सो गयी , घंटे आध घंटे की जो नींद मिल जाए,...

आधी नींद में मैं सोच रही थी पहले दिन मेरी सास, जेठानी और नंदों ने मिल के,... क्या क्या नहीं ,... और इन्ही ननद ने साफ़ साफ़ बोला था की भौजी ये तो ट्रेलर है, असली तो उस दिन होगा जब आप मायके से लौट आइयेगा, जिस दिन गाँव में सिर्फ औरतें होती है, पर उस दिन भी,...



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Aaj to mera khunta🍆 bhi baith hi nhi rha💋👅👅👅👅👅👅 👌👌
 

komaalrani

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komaalrani

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छुटकी तो लगता है सबका नंबर डंकाएगी..
अभी जुम्मा-जुम्मा दो दिन हुआ है...
और जीजा के लंड पे खुद चढ़ के ...
बड़ी हिम्मतवाली....


Ekdam ,... aur meri saas ne use samjha diya hai ,...Poora gaon uska Jija hai
 

Luckyloda

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भाग २२


रात बाकी




और अब न उनसे रहा गया, न मुझसे क्या मस्त गाँड़ मरौव्वल हुयी मेरी, लेकिन मैं भी , दस पांच धक्के वो मारते, तो एक दो मैं भी,... कभी लंड पकड़ के गाँड़ में मेरा साजन गोल गोल घुमाता था, कभी हौले से पूरा मूसल बाहर निकाल के पूरी ताकत से वो धक्का मारते की बगल के कमरे में मेरी ननद को तो सुनाई ही पड़ता , सासू जी के कमरे में ,सासू जी और छुटकी बहिनिया को भी,...


एक बार तो अभी मेरी छुटकी बहिनिया की गाँड़ में वो झड़े ही थे , तो सेकेण्ड राउंड में टाइम तो लगना ही था, पूरे आधे घंटे,.... नान स्टॉप तूफ़ान मेल मात और जब झड़ना शुरू हुए तो बस, जैसे गर्मी के बाद सावन भादो में बादल बरसे, सूखी धरती की तरह मैं रोप रही थी , और गिरना ख़तम होने की बाद भी बड़ी देर तक मैं वैसे निहुरी रही और वो मेरे अंदर धंसे, ... और उसी तरह मुझे उठा के पलंग पर,




बड़ी देर तक बिना बोले हम दोनों एक दूसरे से चिपके रहे, लेकिन फिर शुरुआत भी मैंने की , बस छोटे छोटे चुम्मे, उनके चेहरे पर , ईयर लोब्स पर, ... उँगलियों से उनकी छाती सहलाती रही,

वो बस ललचायी नज़रों से मुझे देखते रहे,

बाहर रात झर रही थी, चन्द्रमा पश्चिम की ओर जल्दी जल्दी डग भर रहा था, ...



कुछ देर तक तो मेरी लम्बी गोरी उँगलियाँ, उनके मेल टिट्स की परिक्रमा करती रहीं, मैं समझ रही थी, उनके मन में क्या चल रहा होगा। वो सोच रहे थे की अब मेरे लम्बे नेल्स उनके मेल टिट्स को स्क्रैच करेंगे, पिंच करेंगे, उनके टिट्स उतने ही सेंसिटिव थे जित्ते मेरे निप्स। लेकिन कई बार तड़पाने का मज़ा ही कुछ और है, मैंने जस्ट ऊँगली से उनके टिट्स को ब्रश किया फिर उँगलियाँ नीचे की ओर बढ़ गयीं,...

और दूसरा मेरा फेवरिट अड्डा उनकी देह पर , ( उनकी असल में थोड़ी थी , अब तो वो मेरी हो गयी थी, इसलिए तो मेरी मर्जी मैं चाहे जिसपर उसे चढ़ाऊँ, उनकी माँ बहन ) उनकी नेवल,...और वहीँ मैं ठहर गयी. उनके उस लम्बे मोटू के अलावा कम से कम १५ इरोजेनिक प्वाइंट्स उनकी देह पर मैं जानती थीं, बस जहाँ थोड़ी सी शरारत, और झंडा उनका फहराने लगता था.




नेवल भी,... तो कुछ देर नाभि परिक्रमा के बाद मेरी एक ऊँगली हलके से सरक कर उस कूप में ( असल में मेरे बूब्स और हिप्स के साथ मेरे नेवल उन्हें भी पागल करते थे तो मेरे खूब टाइट डीप लो कट ब्लाउज तो मेरे बूब्स ख़तम होने के पहले ही ख़तम हो जाते थे, और साड़ी मैं एकदम कूल्हों पर बांधती थी, नाप के नाभि से कम से कम ८ अंगुल नीचे, तो गोरे पान से चिकने पेट पर, मेरे नेवल हरदम बवाल मचाते रहते थे ).



दूसरा हाथ बहुत हलके हलके उनकी जांघ पर सरक रहा था, मेरी अनावृत गोरी गोरी गोलाइयाँ, उनकी देह को कभी सहला देतीं तो कभी बस एक अंगुल की दूरी पे ,




मेरे होंठ उनके कानों के लोब्स पर,


हम दोनों में यह अलिखित संधि थी, दूसरे राउंड की शुरुआत मैं करुँगी,...

क्या होना है वो भी मैं ही , हाँ एक बार कुश्ती शुरू हो गयी तो उसके बाद कोई नियम कानून नहीं ,

और मेरी मर्जी भी पहले दिन से ही यही थी की अब इस जिंदगी में सिर्फ इस लड़के की मर्जी चले.

वो तड़प रहे थे, झंडा एकदम खड़ा,... मोटा बदमाश सुपाड़ा, जिसने अभी कुछ दूर पहले मेरी छोटी बहिनिया की गांड फाड़ के रख दी थी,... एकदम खुला,... मेरी जीभ का बहुत मन कर रहा था लेकिन उसे डांट के मैंने मना किया, आज मेरी प्लानिंग कुछ और थी, और,... थोड़ी देर में ही मेरी दोनों हाथों की उंगलिया ,... एक तो उनकी नेवेल से दक्षिण की यात्रा कर के , और दूसरी जाँघों से ऊपर सरक के, उस कुतबमीनार के बेस पर बस सुरसुरी कभी अंगूठे और तर्जनी से पकड़ के हलके हलके दबा देती तो कभी सरकते हुए उस मोटी लम्बी मीनार के ऊपरी हिस्से तक,...





नहीं नहीं मैं मुठिया नहीं रही थी, उसे दबा भी नहीं रही थी , बस हलके हलके , जैसे कोई किसी पंख से उसे सहलाये, हाँ बदमाश उँगलियाँ मेरे बस में तो हरदम रहती नहीं, तो उस चर्मदण्ड के पीछे की ओर, मेरा कोई नाख़ून हलके से स्क्रैच भी कर दे रहा था, और वो चीख उठते,


वो कौन सा मेरी चीखों का ख्याल करते थे जो मैं करूँ, और अब मेरी जीभ भी कभी उनके कानों में गुनगुनाती, कभी उनके चिकने गोरे गालों को बस सहला देती ,...



बेचारे उनकी हालत बहुत ख़राब थी,...

पर मेरी हालत कम खराब थी,

पिछवाड़े तो आज खूब मजा आया, पहले नन्दोई जी ने हचक के मारी, और फिर उस नन्दोई के साले ने,...

लेकिन मेरी रामपियारी अभी भी आठ आठ आंसू रो रही थी,




आज किसी ने उसे हाथ भी नहीं लगाया था, और तो उसे बस वो मोटा मूसल चाहिए था, ... इसलिए मैंने सोचा बहुत हो गया चोर सिपाही का खेल , और मैं सीधे उनके ऊपर चढ़ गयी,...

वो कहते हैं न आज कल आत्मनिर्भर,... तो बस वही,... लेकिन इस लड़के को तड़पाने का मजा अलग है, थोड़ी देर तक तो मेरी गुलाबो उसके तड़पते बौराए पगलाए मोटे सुपाडे पर रगड़ती रही,... फिर जैसे कोई दया कर के जरा सा दरवाजा खोल दे दोनों फांके खुलीं , थोड़ा सा सुपाड़ा घुसा और दरवाजा फिर बंद,...
Kya Shandar tarike se varnan Kiya Hai bhabhi ji aapane
 

Milind

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अभि नांदोई कीं क्या हालत हुई होगी
 

komaalrani

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अभि नांदोई कीं क्या हालत हुई होगी
sochne ki baat hai
 

komaalrani

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komaalrani

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साजन-सजनी की मनभावन होली...
एक दूसरे तो तडपा कर ... छेड़ कर....
और इस मामले में तो हक भी बनता है...
एकदम सही कहा,... बिन बोले मन की बात समझ जाएँ वही तो साजन सजनी का रिश्ता है,

Not, ' Made for Each Other' but where ' Each is Both.
'
 

komaalrani

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वो कोक शास्त्र तो फेल है इसके सामने....

लेकिन अंत तक आपकी रामपियारी प्यासी की प्यासी रह गई....
उसके आँसू (आठ-आठ) अभी भी पोंछने वाला कोई नहीं था...
नहीं नहीं पियासी नहीं रही, मेरे साजन जब तक दो तीन बार सामने वाली को किनारे पर न पहुंचा लें , तबतक, खुद,.. भूखे को भोजन न करा लें , तब तक
,

हाँ सूखी मैं जरूर रही क्योंकि सारी रबड़ी मलाई मेरी छुटकी बहिनिया को उन्होंने खिला दी,... लेकिन मैंने भी बुरा नहीं माना ,

आखिर उनकी छोटी साली है और मुझसे पहले उसका हक़ है,...
 

komaalrani

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शाविका की खूब जबरदस्त ट्रेनिंग हो रही है...
कुछ जबरदस्ती ... कुछ प्यार से...
लेकिन लगता है एकाध दिन में ही खुला खेल फरुखाबादी शुरू कर देगी....
एकदम,

और फिर मेरी सास और नैना ननदिया भी तो यही चाहती हैं,

और मैं भी, ...अपने मनभावन साजन और नटखट नन्दोई के सुख के लिए ही उसे ले आयी हूँ,...

हाँ मेरी सास और नैना ननदिया खुद भी उसका रस निचोड़ निचोड़ के लेना चाहती हैं और गाँव जवार के मरदो को भी उसपर चढ़ाना चाहती हैं,...




और मैं उन नए ज़माने की बहुओं में से नहीं जो सास ननद की राय के खिलाफ जाएँ😂😂😂😂😂
 
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