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भाग २९ -इन्सेस्ट का किस्सा
तड़पाओगे, तड़पा लो,... हम तड़प तड़प के भी

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" तो मार लो न, डरती हूँ क्या किसी से,... खाली कहते रहते हो मारते तो हो नहीं , ले लिया मैंने तेरा,... '
उसकी गरम देह का असर तो होना ही था और उसके भाई ने भी अब कस के उसे दबोच लिया , बस गीता ने अपने कड़े कड़े उरोज उसके सीने में गड़ाने शुरू कर दिए , गाल भैया के गालों से रगड़ रहे थे,... बड़ी मुश्किल से उसका भाई बोल पाया,...
" तू डरती नहीं है "
" ना एकदम नहीं , किससे डरूंगी तुझसे , ... "
कस के अपनी बाँहों से उसे भींचती मुस्कराती बोली,...
और अब उसका भाई भी अपनी देह उसकी देह से रगड़ रहा था , खूंटा खड़ा तना, ...
" मैं बड़ी जोर जोर से मारता हूँ "
" मैं भी बड़ी हो गयी हूँ ,... भैया लगता है तुझे पता नहीं '
एक बार फिर खुल के अपने उभार उसके सीने में दबाती वो बोली,... फिर हलके से उसके कान में बोली ,
" मैं, मैं ,...मैं मरवा लूंगी। "

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अब रिश्तों में बदलाव आलमोस्ट पूरा हो गया था वो अपना खूंटा उसकी जाँघों के बीच गड़ा रहा था एक हाथ से छोटे छोटे अपनी सगी बहन के नितम्बों को दबा रहा था मसल रहा था, बहन सिसक रही थी, पिघल रही थी,...
" मैं कुछ भी करूँ,... "
बड़ी मुश्किल से उसके भाई के बोल फूटे , उसके समझ में नहीं आ रहा था अपनी बहन से साफ़ साफ़ मन की बात कैसे कहे,...
" कुछ भी , ...और कुछ भी का मतलब कुछ भी करो,... मैं करवा लूंगी,... सच्ची सच्ची , मेरी कसम , तेरी कसम, माँ कसम। '
और कुछ देर तक दोनों , फिर उसका भाई बोला,...
" नहीं यार तुझे नहीं मालूम , बहुत दर्द होगा तुझे तू नहीं करवा पाएगी,... "
अब वो गुस्सा हो गयी , खींच के भाई का हाथ सीधे उसने अपने जोबन पर रख के खुल के कस के दबाया, और समझाते बोली,
" भैया, तुम खुद देख लो , मैं सच में बड़ी होगयी हूँ , मेरी दिल की बात सुनो,... और मुझे सब मालूम है , सब,..दर्द, खून खच्चर,... बस भैया,... '

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" माँ से तो नहीं बोलेगी " अब प्यार से गाल सहलाते हुए उसके भाई ने पूछा,..
" भाई बहन की बात में माँ का क्या काम नहीं बोलूंगी , किसी से नहीं बोलूंगी , .. पक्का , तेरी कसम,... "
उसके कान में जीभ से सुरसुरी करते गीता बोली,...

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लेकिन तबतक माँ की पुकार आ गयी और गीता उनके पास , लेकिन चलने के पहले अपनी ब्रा में छिपाए मोबाइल को अपने भाई को दूर से कैच करा के मुंह चिढ़ाते निकल गयी. गीता के दिमाग में रात भर वो फ़िल्में घूम रही थीं और उस लड़की की जगह वो और लड़के की जगह उसका भाई,... तीन साल ही तो बड़ा था,.. , लेकिन देह उसकी,... बस हाँ एक शरारत उसने की ,
बाथरूम तो उसी के कमरे से था , उसका छेद गोला प्रकार ले कर उसने थोड़ा और बड़ा कर दिया,...
अगले दिन वो नहाने गयी तो बस इन्तजार कर रही थी , छेद में आँख, आँख , कब आएगी ,...
और आज गीता पूरी तैयारी से थी , एक सहेली से वो वीट झटक के लायी थी, झांटे तो उसकी बहुत छोटी छोटी थीं कुछ ही दिन पहले आनी शुरू हुयी थीं , और वो खूब गोरी थी तो उसकी झांटे भी सुनहली रेशमी एकदम केसर,...
और वो झांटे ऐसे साफ़ कर रही थी की छेद से एकदम साफ़ साफ़ दिखे,...

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फिर चिक्कन मुक्कन करके अपनी सहेली को हथेली से खूब जोर जोर से मसल रही थी , सिसक रही थी , एक हाथ उभारो पर,...
वो समझ रही थी उसके भैया की क्या हालत हो रही होगी,... हो रही हो तो हो , ..उसने तो साफ़ साफ़ सिग्नल दे दिया , बस एक चीज बची थी जो उसकी सहेली उससे बार बार कहती,
" यार ऐसा भैया मेरा होता न तो वो स्साला अगर कुछ नहीं करता तो मैं ही उस स्साले को पटक के चोद देती , आखिर बनाने वाले ने लंड बनाया है क्यों बनाया है , चोदने के लिए न और घर में एक कन्या कुँवारी बैठी है ऊँगली से काम चला रही है। "
दोनों फांकों को फैला के अपनी तर्जनी में खूब थूक लगा के डालने की उसने कोशिश की , एक पोर भी न जा पाया,...
भले उसकी कोई सगी भाभी नहीं थी लेकिन सहेलियों की भाभियों ने उसे अपनी 'सहेली ' की, जाँघों के बीच वाली चूत कुमारी की सेवा करना अच्छी तरह सिखा दिया था. ऊँगली तो नहीं घुस पाती थी, कई भाभियाँ फेल हो चुकी थीं, और अब ये काम उसने अपने सगे भाई के ऊपर छोड़ दिया था, पर कैसे तर्जनी और दूसरी ऊँगली से दोनों फांकों को एक दूसरे से रगड़ा जाए, कैसे मंझली सबसे लम्बी ऊँगली को दरार में डाल के रगड़ा जाय, कभी कभी पूरी हथेली से हलके हलके, और अंगूठे से क्लिट को,

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गीता अपने हाथों से अपनी कसी कुँवारी चूत रगड़ रही थी और जान बूझ के इस तरह खड़ी थी की उसका भाई जो छेद से आँख गड़ा के देख रहा था, उसे उसकी कोरी बिन चुदी गुलाबो साफ़ साफ दिखे।
उसके स्कूल के टॉप के अंदर से झांकते जुबना को देखते तो उसका एकदम टनटना के खड़ा हो जाता है , स्साला अब मेरी फुद्दी देखेगा, बिना बालों वाली एकदम चिकनी, दोनों गुलाबी गुलाबी फांके, एकदम सहेलियों की तरह चिपकी,... तो क्या हालत होगी, उसकी , उसके खूंटे की,...
होनी है तो हो , वो सोच रही थी, थोड़ी देर पहले उसने कित्ता साफ़ साफ़ इशारा दे दिया था उसे,
" कुछ भी , ...और कुछ भी का मतलब कुछ भी करो,... मैं करवा लूंगी,... सच्ची सच्ची , मेरी कसम , तेरी कसम, माँ कसम। '
यहाँ तक बोली थी वो,
" भैया, तुम खुद देख लो , मैं सच में बड़ी होगयी हूँ , मेरी दिल की बात सुनो,... और मुझे सब मालूम है , सब,..दर्द, खून खच्चर,... बस भैया,... '
लेकिन बेचारा उसका भाई, हालत तो सच में उसकी ख़राब है, जिस तरह उसका खूंटा खड़ा होता है उसे देख के, और ये जो छेद किया है उसने उसको देखने के लिए, मन तो उसका भी मचल रहा है चढ़ने के लिए, तो चढ़ जाए न वो कौन रोक रही है।
और अब वो दोनों हाथों में साबुन ले ले के अपने जोबन पे लगा रही थी और सीधे छेद के सामने

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और आज जब नहा के निकली तो भाई की हालत उस दिन से भी ज्यादा खराब ,... वो झट से बाथरूम में घुस गया और मोबाइल आज उसका जैसे उसने जानबूझ के पलंग पे,...
गीता थोड़ी देर तक फ़िल्में देखती रही , एकदम गरम हो गयी , हर बार लड़कियां ही कभी खुद पहल कर के खूंटा पकड़तीं कभी खुद मुंह में ले लेती तो एक बार तो सच में एक लड़के पर चढ़ के चोद रही थी और वो लौंडा भी , ...खूब लम्बा मोटा लंड , ...

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लेकिन तब तक तक बाथरूम में पानी की आवाज बंद हो गयी, गीता से नहीं रहा गया ,
और जब उसने उस छेद के अंदर झाँक के देखा उसकी रूह फ़ना ,
भाभी ने अबतक जो जो बताया था सब सही निकला ,
लेकिन अबकी उनकी बात एकदम गलत हुयी
उसके भैया का कत्तई सात इंच का नहीं था,... उससे बहुत बड़ा , गीता के तो बित्ते के बराबर,... एकदम फनफनाया मुंह उसका खुला जैसे कोबरा नाग,...

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जो फिल्म वो देख रही थी न उन सबों से किसी से उसके भइया का उन्नीस नहीं था, गीता का हाथ पाने आप शलवार में घुस गया और वो रगड़ने लगी,...
और मोटा कितना था , गीता की सांस रुक गयी , उसके भैया का ,... बड़ी मुश्किल से तो उनकी मुट्ठी में ,... बस उसके दिमाग में यही बात घुसेगा कैसे अभी तो ऊँगली भी नहीं,...
लेकिन तब तक उसे मुट्ठ मारते अपने भैया की बुदबुदाने की आवाज आयी,
" गीता दे दे न, यार बहुत मन कर रहा है , आराम से लूंगा तेरी, ओह्ह कित्ता मजा आएगा तेरी लेने में, प्लीज गीता बस एक बार अपनी कोरी मटकी का रस ले लेने दे, एक बार मिल जाए न मेरी बहना ऐसा पेलूँगा, ऐसा पेलूँगा,... "
" ओह्ह तो पेलता क्यों नहीं, भैया, कैसे भाई हो बहन की चूत में आग लगी है और इत्ता मोटा लम्बा लेके और, ... बहन पियासी बैठी है , सच में भइया एकदम मना नहीं करुँगी, मैं तो खुद अपनी टाँगे फैला दूंगी, बस एक बार भैया,... ओह्ह उफ़ "
गीता दरवाजे के बाहर अपनी जाँघों के बीच हथेली से रगड़ते हुए, अपने भैया, अरविन्द को अपना मोटा लम्बा लंड मसलते देख के वो भी पिघल रही थी।
अंदर उसके भैया ने अपने लम्बे तगड़े लंड पे मुट्ठ मारने की रफ्तार बढ़ा दी थी. उधर बहन अपनी कोरी कुँवारी चूत मसल रही थी।
वो जोर जोर से मुठ मार रहा था,... इतना मोटा , एक मिनट के लिए गीता भी , कैसे घुसेगा उसके छेद में तो ऊँगली भी नहीं घुस पाती।
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" तू डरती नहीं है "
" ना एकदम नहीं , किससे डरूंगी तुझसे , ... "
कस के अपनी बाँहों से उसे भींचती मुस्कराती बोली,...
और अब उसका भाई भी अपनी देह उसकी देह से रगड़ रहा था , खूंटा खड़ा तना, ...
" मैं बड़ी जोर जोर से मारता हूँ "
" मैं भी बड़ी हो गयी हूँ ,... भैया लगता है तुझे पता नहीं '
एक बार फिर खुल के अपने उभार उसके सीने में दबाती वो बोली,... फिर हलके से उसके कान में बोली ,
" मैं, मैं ,...मैं मरवा लूंगी। "

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" मैं कुछ भी करूँ,... "
बड़ी मुश्किल से उसके भाई के बोल फूटे , उसके समझ में नहीं आ रहा था अपनी बहन से साफ़ साफ़ मन की बात कैसे कहे,...
" कुछ भी , ...और कुछ भी का मतलब कुछ भी करो,... मैं करवा लूंगी,... सच्ची सच्ची , मेरी कसम , तेरी कसम, माँ कसम। '
और कुछ देर तक दोनों , फिर उसका भाई बोला,...
" नहीं यार तुझे नहीं मालूम , बहुत दर्द होगा तुझे तू नहीं करवा पाएगी,... "
अब वो गुस्सा हो गयी , खींच के भाई का हाथ सीधे उसने अपने जोबन पर रख के खुल के कस के दबाया, और समझाते बोली,
" भैया, तुम खुद देख लो , मैं सच में बड़ी होगयी हूँ , मेरी दिल की बात सुनो,... और मुझे सब मालूम है , सब,..दर्द, खून खच्चर,... बस भैया,... '

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" भाई बहन की बात में माँ का क्या काम नहीं बोलूंगी , किसी से नहीं बोलूंगी , .. पक्का , तेरी कसम,... "
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और वो झांटे ऐसे साफ़ कर रही थी की छेद से एकदम साफ़ साफ़ दिखे,...

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उसके स्कूल के टॉप के अंदर से झांकते जुबना को देखते तो उसका एकदम टनटना के खड़ा हो जाता है , स्साला अब मेरी फुद्दी देखेगा, बिना बालों वाली एकदम चिकनी, दोनों गुलाबी गुलाबी फांके, एकदम सहेलियों की तरह चिपकी,... तो क्या हालत होगी, उसकी , उसके खूंटे की,...
होनी है तो हो , वो सोच रही थी, थोड़ी देर पहले उसने कित्ता साफ़ साफ़ इशारा दे दिया था उसे,
" कुछ भी , ...और कुछ भी का मतलब कुछ भी करो,... मैं करवा लूंगी,... सच्ची सच्ची , मेरी कसम , तेरी कसम, माँ कसम। '
यहाँ तक बोली थी वो,
" भैया, तुम खुद देख लो , मैं सच में बड़ी होगयी हूँ , मेरी दिल की बात सुनो,... और मुझे सब मालूम है , सब,..दर्द, खून खच्चर,... बस भैया,... '
लेकिन बेचारा उसका भाई, हालत तो सच में उसकी ख़राब है, जिस तरह उसका खूंटा खड़ा होता है उसे देख के, और ये जो छेद किया है उसने उसको देखने के लिए, मन तो उसका भी मचल रहा है चढ़ने के लिए, तो चढ़ जाए न वो कौन रोक रही है।
और अब वो दोनों हाथों में साबुन ले ले के अपने जोबन पे लगा रही थी और सीधे छेद के सामने

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और जब उसने उस छेद के अंदर झाँक के देखा उसकी रूह फ़ना ,
भाभी ने अबतक जो जो बताया था सब सही निकला ,
लेकिन अबकी उनकी बात एकदम गलत हुयी
उसके भैया का कत्तई सात इंच का नहीं था,... उससे बहुत बड़ा , गीता के तो बित्ते के बराबर,... एकदम फनफनाया मुंह उसका खुला जैसे कोबरा नाग,...

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और मोटा कितना था , गीता की सांस रुक गयी , उसके भैया का ,... बड़ी मुश्किल से तो उनकी मुट्ठी में ,... बस उसके दिमाग में यही बात घुसेगा कैसे अभी तो ऊँगली भी नहीं,...
लेकिन तब तक उसे मुट्ठ मारते अपने भैया की बुदबुदाने की आवाज आयी,
" गीता दे दे न, यार बहुत मन कर रहा है , आराम से लूंगा तेरी, ओह्ह कित्ता मजा आएगा तेरी लेने में, प्लीज गीता बस एक बार अपनी कोरी मटकी का रस ले लेने दे, एक बार मिल जाए न मेरी बहना ऐसा पेलूँगा, ऐसा पेलूँगा,... "
" ओह्ह तो पेलता क्यों नहीं, भैया, कैसे भाई हो बहन की चूत में आग लगी है और इत्ता मोटा लम्बा लेके और, ... बहन पियासी बैठी है , सच में भइया एकदम मना नहीं करुँगी, मैं तो खुद अपनी टाँगे फैला दूंगी, बस एक बार भैया,... ओह्ह उफ़ "
गीता दरवाजे के बाहर अपनी जाँघों के बीच हथेली से रगड़ते हुए, अपने भैया, अरविन्द को अपना मोटा लम्बा लंड मसलते देख के वो भी पिघल रही थी।
अंदर उसके भैया ने अपने लम्बे तगड़े लंड पे मुट्ठ मारने की रफ्तार बढ़ा दी थी. उधर बहन अपनी कोरी कुँवारी चूत मसल रही थी।
वो जोर जोर से मुठ मार रहा था,... इतना मोटा , एक मिनट के लिए गीता भी , कैसे घुसेगा उसके छेद में तो ऊँगली भी नहीं घुस पाती।
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