आग तो दोनों तरफ जबरदस्त भड़की है....आग देह की, भाई बहन की
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लेकिन तब तक उसे मुट्ठ मारते अपने भैया की बुदबुदाने की आवाज आयी,
" गीता दे दे न, यार बहुत मन कर रहा है , आराम से लूंगा तेरी, ओह्ह कित्ता मजा आएगा तेरी लेने में, प्लीज गीता बस एक बार अपनी कोरी मटकी का रस ले लेने दे, एक बार मिल जाए न मेरी बहना ऐसा पेलूँगा, ऐसा पेलूँगा,... "
" ओह्ह तो पेलता क्यों नहीं, भैया, कैसे भाई हो बहन की चूत में आग लगी है और इत्ता मोटा लम्बा लेके और, ... बहन पियासी बैठी है , सच में भइया एकदम मना नहीं करुँगी, मैं तो खुद अपनी टाँगे फैला दूंगी, बस एक बार भैया,... ओह्ह उफ़ "
गीता दरवाजे के बाहर अपनी जाँघों के बीच हथेली से रगड़ते हुए, अपने भैया, अरविन्द को अपना मोटा लम्बा लंड मसलते देख के वो भी पिघल रही थी।अंदर उसके भैया ने अपने लम्बे तगड़े लंड पे मुट्ठ मारने की रफ्तार बढ़ा दी थी. उधर बहन अपनी कोरी कुँवारी चूत मसल रही थी।
वो जोर जोर से मुठ मार रहा था,... इतना मोटा ,
एक मिनट के लिए गीता भी , कैसे घुसेगा उसके छेद में तो ऊँगली भी नहीं घुस पाती।
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फिर उसे उसकी बुआ की बात याद आ गयी ,
माँ के सामने ही उसे चिढ़ा रही थीं , " हे कुछ यार वार पाले की नहीं , खेत अभी जुता की नहीं,... "
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माँ बजाय बुरा मानने के हँसते हुए गीता से ही बोलीं ,
" अरे तेरी उमर की थीं बल्कि साल भर पहले ही तेरे चाचा पापा सब चढ़ चुके थे इनके ऊपर सीधी बहुत थीं तो किसी को भी मना नहीं करती ,... "
और बुआ भी अपनी भाभी की बात का जवाब देते गीता से बोलीं,
" अरे गितवा , बनाने वाले ने छेद बनाया है लम्बा मोटा घोंटने के लिए की मना करने के लिए, और ये भी समझ लो की जो औरत लड़की बहुत चिल्लाये की बहुत मोटा है नहीं जा पायेगा , तो समझ लो वो बचपन की छिनार है अपने घर का कोई मरद नहीं छोड़े होगी,... सोचो जिस बुर से इतने मोटे मोटे बच्चे निकलते हैं ,... तो कोई मोटा से मोटा लंड तो उससे पतला ही होगा न, ये सिर्फ छिनरपना है, मोटे से मोटा लंड आराम से जाते है बस मरद चुदवैया होना चहिये। “
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उसकी माँ ने भी गीता से अपनी ननद की बात की ताकीद की गीता से,
" ये बात तो गितवा तोर बुआ एकदम सही कह रही हैं, लम्बा से लम्बा और मोटा से मोटा,... थोड़ी चीख चिल्हट होती है लेकिन अगर कउनो लड़की या औरत कहे न ले सकती तो समझो छिनरा है, स्साली नौटंकी कर रही है अपना दाम बढ़ा रही है। "
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पर वो भौजाई कौन जो ननद को बिना रगड़े छोड़ दे भले सामने अपनी बेटी बैठी हो, और बेटी के जब एक बार जाँघों के बीच खून खराबा शुरू हो जाए तो वो भी सहेली हो जाती है, ... तो एक बार फिर बुआ को इशारा करके गीता से ही कहा,...
" लेकिन तोहार बुआ, तोहसे कम उमर में तोहरा बाबू जी चाचा को भी ना,... लेकिन उन दोनों लोगो की गलती नहीं थी जोबन ऐसा जबरदस्त आया था, हमरे और तोहरी चाची के आवे के पहले दोनों दोनों जनि को, एकदम सिखाय पढ़ाय के पक्का,... लेकिन ये पूछ अपनी बुआ से पहले इशारे बाजी कौन किया ये की इनके भैया,... "
गीता के कुछ पूछने के पहले ही बुआ बोल पड़ीं, लेकिन एक बार फिर बात गीता के जरिये ही
" गितवा तनी अपनी महतारी से पूछ जउन गौने क रात इनकी रगड़ाई हुयी,... चार दिन तक टांग छितराय के टहल रही थीं, अगर सिखाये पढ़ाये न होते तो कहीं अगवाड़े के जगह पिछवाड़े ठेल दिए होते तो का हालत होती,... बकी जो लम्बा मोटा वाली बात तो मैं तो है कहूंगी की बस मरद चुदवैया हो, तो बिन चोदे, बिन बच्चेदानी तक लंड पेले वो छोड़ेगा नहीं भले बुर का चाहे भरता बने चाहे चटनी। "
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" चुदवैया तो उसके भैया हैं ही " गीता ने सोचा और उसकी आँखे बस मुट्ठ मारते,...
कम से बारह चौदह मिनट के बाद और जब निकलना शुरू हुआ तो भी देर तक, कटोरी भर तो रहा हो होगा ,...
खूब गाढ़ा पहली बात उसने मरद का मूसल देखा था और मूसल से निकालता पानी,उसकी सहेलियां तो रोज ही किस्से सुनाती थीं , भैया के मोबाइल में फिल्मे भी लेकिन भैया का तो उन फिल्म वालों से भी ज्यादा लम्बा और मोटा था,...
गीता की हालत खराब थी , मोबाइल उसने पलंग पे जहाँ जैसे रखा था और वो बाहर निकल गयी , पानी पिया , पानी का छिट्टा चेहरे पर मारा, माँ किसी के साथ गप्प मार रही थीं , उन पड़ोसन के पास बैठी।
एक दो दिन ऐसे ही चला , फिर गीता ने खुद , उसे बदमाशी सूझी।
लुक्का छिप्पी चल रही है.....
लेकिन आगे बढ़ने का साहस नहीं हो पा रहा....
गीतवा तो फिर भी इशारों से भी आगे बढ़ के...
पर हिम्मत की कमी.....