• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Luckyloda

Well-Known Member
2,459
8,078
158
नया दिन, नयी बात, नए रिश्ते


image upload

लेकिन गाँव में सुबह सुबह काम भी फैला रहता है, माँ भी नहीं थी,... तब तक बाहर खट खट हुयी बस समीज सीधी कर के वो बाहर आ गयी , समझ रही थी , ग्वालिन भौजी होंगी, बहुत चिढ़ाती थीं , भौजी का रिश्ता,.. और माँ की मुंह लगी भी,... उन्होंने उसे दूध पकड़ाया,... अभी भैसों को दुह के ,... लेकिन दूध लेते समय, ... उसकी जाँघों पर फिसल के ,..

रात की मलाई का एक थक्का,... और उन्होंने जबरदस्त चिढ़ाया

" हे दूध मैंने दुहा, मलाई ननद रानी को बह रही है "

लेकिन रिश्ता ग्वालिन भौजी से ननद भौजाई का था तो कौन भौजाई ननद को छेड़ने का मौका छोड़ती है , रात भर जिस जुबना को गीता के भैया अरविन्द ने मसला था, उसे खुल के कस के रगड़ते मसलते ग्वालिन भौजी ने चिढ़ाया,

" हे ननद रानी, लेकिन दूध देना है तो मलाई तो घोंटना ही पड़ेगा। और अब दूध देने लायक तो ये हो गए हैं। "




image upload

और भैया को भी निकलना था, ... रात में आंधी तूफ़ान में क्या नुक्सान हुआ,...और भी खेती किसानी,...
गीता भी किचेन में धंस गयी,.. और दो तीन घण्टे बाद जब भाई लौटा तो नाश्ता लेकर,...




image upload

एक बार फिर वो गोद में थी

और अबकी खुद चढ़ के बैठ गयी थी और कभी अपने हाथ से कभी होने मुंह में ले के खिला रही थी, ... अच्चानक भैया को कुछ याद आया,... बोल पड़े,

' रात में कुछ गड़बड़ हुआ हो तो मैंने सब अंदर ही,... "

वो पहले तो बड़ी देर तक खिलखिलाती रही , ... फिर भैया को हड़का लिया,...

" हे खबरदार , जो कभी सोचा भी,.... बाहर एक बूँद भी गिराने को,.... बहन काहें को है,... घर में ,... "



image upload

फिर चिढ़ाते हुए बोली,

" अरे तेरे बच्चे की माँ बन जाउंगी और क्या,... "


लेकिन उसे लगा की मज़ाक भाई को समझ में नहीं आया,... तो हंस के बोली,

" अरे घबड़ा मत,यार,...अभी तीन दिन पहले ही तो मेरी वो पांच दिन वाली लाल लाल सहेली गयीं है अपने घर ,... तो मैं बड़ी हो गयीं हूँ ,... मुझे भी मालूम है,... उनके जाने के बाद वो बोल के जातीं हैं , चल मैं जा रही हूँ , पांच छह दिन खुल के मस्ती कर, कोई खतरा नहीं ,... तो कोई डर नहीं ,... "



image upload

अब भैया भी मुस्कराया और ऊपर से ही उसके जुबना दबाते बोला,..."मुझे मालूम है की मेरी बहन बड़ी हो गयी है ,... लेकिन अभी देख मैं इसे कित्ता और बड़ा करता हूँ , दबा दबा के,... पर सुन ,... अभी मुझे बाजार जाना है ,... तीन चार घंटे में लौटूंगा , वहां एक डाक्टर की दूकान है मेरी जान पहचान के वहां से गोली ,... "

अब एक फिर गीता खिलखिलाते हुए बोली,...

" ठीक है ठीक है , ले आना मुझे भी मालूम है उन गोलियों के बारे में , इस्तेमाल के बाद ले लो , २४ घंटे तक,... या फिर रोज वाली,... मेरे क्लास की आधी से ज्यादा लड़कियां लेती हैं ,कुछ तो बस्ते में भी रखती हैं ,... ले आना लेकिन गिरेगा अंदर ही औरवो रबड़,… रबड़ वो तो एकदम नहीं "

लेकिन कौन लड़का ऐसा मौका छोड़ देता है, वो गीता को पकड़ के अपनी गोद में दबोचता बोला,

" सुन बहना, तू ही कह रही है की पांच छह दिन तक तो कोई खतरा नहीं है , तो एक बार और हो जाये,... "



गीता ना नुकुर करती रही, घर का काम पडा है , खाना बनाना है , थोड़ी देर में ग्वालिन भौजी फिर आ जाएंगी,... लेकिन मन तो उसका भी कर रहा था , एक बार दिन दहाड़े भी ,

और दिन दहाड़े अरविन्द ने अपनी बहन चोद दी, वहीँ बरामदे में पड़ी बसखटिया पे लिटा के, ...


image upload


उसकी दोनों टांगों को ऊपर किया और कुछ तकिया लगा के चूतड़ों को खूब ऊपर,... फिर खुद खड़े खड़े अपना लंड बहिन की बुर पे सटा के कस के धक्का मार दिया, रात भर की मलाई का असर , अबकी बिना तेल के भी आराम से तो नहीं लेकिन रगड़ता दरेरता अंदर घुस गया ,

बस सुपाड़ा घुसने की देर थी उसके बाद भले बहन लाख चूतड़ पटके गाली दे , कौन भाई बिन चोदे छोड़ता है तो अरविन्द ने भी नहीं छोड़ा ,

और गीता ने भी अपनी समीज सरका के ऊपर कर ली , जिससे उसके दोनों जोबन खुल गए



image upload

और भाई ने एक हाथ बहन के चूतड़ पे और दूसरा बहन की चूँची पे,... दिन की रौशनी में दोनों एक दूसरे को देख रहे थे, मजे ले रहे थे,...

जल्दी अरविन्द को भी थी बहुत काम था उसे लेकिन बिना रुके हर धक्का पूरी ताकत से मारने के बाद भी ,



image upload

१५-२० मिनट उसे लगा और गीता उस बीच दो बार झड़ गयी। हाँ जब भाई ने मलाई छोड़ी तो इस बार फिर बहन ने चूत को भींच के एक एक बूँद अंदर रोप ली और देर तक भींचे रही। उसके जाने के बाद किसी तरह पहले वो पलंग का फिर दीवाल का सहारा लेकर दरवाजे तक आयी दरवाजा बंद किया , फिर वापस किचेन में।



रोज माँ का हाथ तो वो रसोई में बटाती थी पर आज पहली बार अकेले इस तरह,.. और बार बार वो दरवाजे की ओर भी देखती भैया कब आएगा।
कहां तो अरविंद्र की पहली बार रात में भी गीता को हाथ लगाते हुए गांड फट रही थी और एक बार उसे चोदने के बाद अब तो बहन चोद दिनदहाड़े खाट पर नंगा करके टांगे हवा में आसमान की तरफ उठाकर बहुत जबरदस्त तरीके से धक्के पर धक्के मार रहा है और गीता की चीखे दिन दहाड़े निकलवा रहा है
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,459
8,078
158
बारिश में भैया प्यारा लगे,





तीन घंटे बाद, गीता बार बार आसमान की ओर देख रही थी। बादल एक बार फिर अच्छी तरह घिर आये थे , लग रहा था पानी अब बरसेगा तो दो तीन दिन रुकेगा नहीं,... और भैया अभी तक,... उसने भैया की पंसद की दालभरी पूड़ी , सब्जी और बखीर बनायी थी ,

खुद रगड़ के नहा के आज साड़ी चोली पहनी थी, हाँ चोली के नीचे कुछ नहीं , होंठलाली खूब जबरदस्त, नेलापलिश भी,.... और दर्जन भर चूड़ियां दोनों हाथों में ,... लेकिन जिसके लिए सब सिंगार वो अभी भी बाहर,... और बारिश कभी भी हो सकती थी,...




……………………

और बादल जैसे फट गए , मूसलाधार बारिश,... पट पट , सिक्के के बराबर बूँदें आंगन में पड़ रही थीं, कच्चा आंगन , बड़ा सा नीम का पेड़ , जिस पर जिद करके भैया से उसने झूला टंगवाया था,...




और तभी फट फट की आवाज हुयी, भैया की फटफटिया ,




ख़ुशी से भाग कर उसने दरवाजा खोला,.. अच्छी तरह भीगा पानी कपड़ों से चू रहा था,
उसका भाई अरविन्द एकदम अच्छी तरह भीग गया था, सारे कपडे उसकी देह से चिपके, एकदम गीला, भीगी बिल्ली, ...नहीं नहीं बिल्ला

और उसे देख के एक बार वो फिर गीली हो रही थी थी, अरविन्द को इस हालत में देख के उसकी चूत रानी फुदकने लगी थीं, रात में चार बार चुदवा के , और एक बार सुबह सुबह भी भाई अरविंद का लंड खा के गीता का मन नहीं भरा था,

किस बहन का मन भाई के लंड से भरता है, बस यही मन करता है , और , ...और

पहले इतनी परेशान अब मारे हंसी के,... उसकी हालत खराब, दरवाजा बाद में बंद किया , पहले भइया को पकड़ के खूब कस के वो चिपट गयी।



" हे चल पहले अपनी दवा खा " ... अरविन्द अपनी छुटकी बहिनिया गीता से बोला,

भीगे कपड़ों के बीच प्लास्टिक में लिपटी उसने दवा निकाली ,

माना उसकी बहन के पीरियड्स अभी ख़तम हुए थे , सेफ पिरीअड था लेकिन फिर भी और वो पूरे महीने की दवा ले आया था, जिससे अरविन्द अपनी बहिनिया को जब चाहे, जितना चाहे चोदे,..घर का माल , कौन उसे खेत खेताडी में जगह ढूंढनी है , गन्ने का खेत या बँसवाड़ी,.. माँ भी नहीं है, अब तो जब मन किया पटक के चोद देगा,...

इस्तेमाल के बाद वाली भी और रोज खाने वाली भी,...

गीता झट से इस्तेमाल के बाद वाली गटक गयी,..

और फिर भैया के कपडे उतारने पर जुट गयी,... हे बनिआन भी निकाल , अंदर तक गीले हो गए हो , और पैंट भी ,... सिर्फ चड्ढी बची थी ,...और गीता को देख के चड्ढी में खूंटा अपने आप तन गया था





अब भाई गीता की बदमाशी समझ गया था ,

उसे खींच के वो आंगन में ले गया,



चल तू भी थोड़ी सी भीज , बहुत चिढ़ा रही है न मुझे , अच्छा चल तेरी साडी उतार देता हूँ , ..

अब वो पेटीकोट और चोली में ,...


और भाई सिर्फ चड्ढी में दोनों बारिश का मजा ले रहे थे जैसे छोटे बच्चे , ...


देह से एकदम चिपके कपडे, भाई बहन की चोली में से झांकते जोबन देखके ललचा रहा था , चोली भी आलमोस्ट ट्रांसपेरेंट हो गयी थी पानी में भीग के , ब्रा तो उसने पहना नहीं था और निपल और जुबना से चोली एकदम चिपकी ,



और भइया से नहीं रहा गया , तो पहले तो हलके से ऊपर से मसलता रहा , फिर एक झटके में चोली खींच के बरसते पानी में जमीन पर फेंक दिया , और उससे हँसते हुए पूछा,

हे झूला झुलेगी,...

लेकिन बहन को पहले तो भाई से बदला लेना चोली उतारने का और भैया की देह पे बस एक जांघिया थी , उसकी जाँघों से चिपकी और मोटू सर उठाये बौरा रहा था ,

बस एक झटका और बहन ने जांघिया खींच के जहाँ उसकी चोली भैया ने फेंकी थी ठीक वहीँ, और भाई का खड़ा मोटा मूसल , बित्ते से भी बड़ा उसके सामने,...लेकिन अब वो डरती नहीं थी , पांच बार तो कल से घोंट चुकी थी , एक बार आधा तिहा लेकिन उसके बाद हर बार अपनी कसम खिला के पूरा का पूरा



json visualizer online

और हँस के झूले की ओर बढ़ती बोली,



" एकदम भैया बहुत दिन से तूने मुझे झूला नहीं झुलाया खाली गाँव भर की भाभियों के साथ झूलते हो, पेंग मार मार के "






" अरे तो चल आज तुझे भी झुलाता हूँ , ... "

और गीता के पहुंचने से पहले वो झूले पे बैठ गया था और एक झटके में खींच के अपनी गोद में, पर उसके पहले भैया ने उसके पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और सरकता हुआ, सरसराता ,वो बरसते आंगन में कच्ची गीली मिटटी पर, दोनों टांगों से सरक कर, और बहन भाई एक जैसे , ...

भाई का खूंटा खड़ा बहन की बिल बारिश में भीगे आंगन से भी ज्यादा गीली,


और भाई ने बहना की दोनों टाँगे फैलायीं , अपनी टांगों से , खींच के उसे झूले पर अपनी गोद में,... और गच्च से खूंटा बिल में धंस गया।

पूरा नहीं, थोड़ा सा , और पेंग मार मार के भाई ने बहना को झूला झुलाना शुरू कर दिया , बारिश मूसलाधार हो रही थी, लग रहा था आज दिन रात नहीं रुकेगी,... झूले की रफ्तार बढ़ती गयी , खूंटा अंदर धंसता गया। और अब बहना भी पेंग मार रही थी,...गीता को बड़ा मज़ा आ रहा था,अपने अरविन्द भैया के लम्बे मोटे खड़े लंड पे इस तरह से बैठने का, गपागप गपागप, गीता अपने भैया का लंड बरसते पानी में घोंट रही थी, दिन दहाड़े अपने ही घर के आंगन में झूले पे बैठी




लेकिन थोड़ी देर बाद ही भाई ने झूले को रोका और पोजीशन थोड़ी सी बदली, बहुत ताकत थी उसके खूंटे में भी और हाथों में , ..

. एक झटके में गुड़िया की तरह बहन को खूंटे पर से उठाया , और अब बहन का मुंह भाई की तरफ,...

वो भी अब समझदार हो गयी थी , खुद उसने अपनी टाँगे फैला दी , जितना हो सकता था उससे भी ज्यादा, मुंह उसका अब भाई की ओर था , ..और सर सर सरकते हए , भाई का खूंटा अंदर,...

चूत ने खुद मुंह फैला दिया था लंड घोंटने के लिए



json visualizer online

उसके सगे भाई का मस्त मोटा लंड था , बहन नहीं घोंटेंगी तो कौन घोंटेंगा,...




अब दोनों पेंग मार रहे थे , झूला झूल रहे थे दोनों के हाथ तो झूले की रस्सी को कस के पकडे तो गीता खुद ही अपने उभार भाई के सीने पे रगड़ रही थी,


पर आज भैया से ज्यादा गीता मस्ती कर रही थी ,खूब चुहुल।

बचपन से ही भैया को छेड़ने में उसे मज़ा आता था और आज फिर वही,...

उसे वो चिढ़ा रही थी , कभी चूम लेती कभी होनी छोटी छोटी बस आ रही चूँचियाँ बार बार भैया के सीने पे रगड़ देती, टाँगे उसकी खुली खूंटा अंदर धंसा, लेकिन जा भैया पेंग मारता कस के तो उसी ताकत से खूंटा बिल में धंस जाता , पर जब बहना का नंबर आता तो पेंग मारते हुए वो बाहर की ओर अपनी कमर कर लेती , और खूंटा थोड़ा बाहर हो जाता,...

१०-१५ मिनट तक झूले पे मस्ती , गीता की छेड़छाड़ चलती रही, पर अब भाई बहन की हचक हचक कर , पटक पटक कर चुदाई करना चाहता था , जित्त वो छेड़ रही थी उसकी आग उतनी ही भड़क रही थी,

झूले में पहली बार किसी को अरविन्द अपनी गोद में बिठा के चोद रहा था, लेकिन उसका मन ललचा रहा था कच्चे आंगन में लिटा के बरसते पानी में रगड़ रगड़ के इस कच्ची कली को, अपनी छुटकी बहिनिया को चोदने का,... वो बड़ी चुदवासी हो रही थी न बहन उसकी तो आज उसे पता चल जाए की उसका भैया भी कितना बड़ा चुदककड़ है,

फिर अपने ही आंगन में , वो भी दिन में अपनी सगी बहिनिया को चोदने का मजा ही अलग है लेकिन ऐसी मस्त बहिनिया को उसका भाई नहीं चोदेगा तो कौन चोदेगा,

यही बात अरविन्द भी सोच रहा था और गीता भी
सावन का असली मजा तो झूले पर ही है और उस पर चढ़ती जवानी का असली मजा चुदाई में ही है

यहां तो गीता और अरविंद दोनों सावन और चढ़ती जवानी का मजा झूले पर चुदाई करके ले रहे हैं



बहन चोद अपनी ही सगी,कच्ची कली, बिल्कुल ताजा चोदी गई 16 साल की हसीन कन्या को इतने अच्छे तरीके से कौन रगड़ता है कि बहन चोदा आंगन में ही जहां पर उसके साथ वह बचपन से खेला वहीं पर उसके साथ जवानी की असली खेल आंगन में दौड़ा-दौड़ा कर खेल रहा है



😍😍😍😍😍😍😍
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,459
8,078
158
बारिश में भैया प्यारा लगे,





तीन घंटे बाद, गीता बार बार आसमान की ओर देख रही थी। बादल एक बार फिर अच्छी तरह घिर आये थे , लग रहा था पानी अब बरसेगा तो दो तीन दिन रुकेगा नहीं,... और भैया अभी तक,... उसने भैया की पंसद की दालभरी पूड़ी , सब्जी और बखीर बनायी थी ,

खुद रगड़ के नहा के आज साड़ी चोली पहनी थी, हाँ चोली के नीचे कुछ नहीं , होंठलाली खूब जबरदस्त, नेलापलिश भी,.... और दर्जन भर चूड़ियां दोनों हाथों में ,... लेकिन जिसके लिए सब सिंगार वो अभी भी बाहर,... और बारिश कभी भी हो सकती थी,...




……………………

और बादल जैसे फट गए , मूसलाधार बारिश,... पट पट , सिक्के के बराबर बूँदें आंगन में पड़ रही थीं, कच्चा आंगन , बड़ा सा नीम का पेड़ , जिस पर जिद करके भैया से उसने झूला टंगवाया था,...




और तभी फट फट की आवाज हुयी, भैया की फटफटिया ,




ख़ुशी से भाग कर उसने दरवाजा खोला,.. अच्छी तरह भीगा पानी कपड़ों से चू रहा था,
उसका भाई अरविन्द एकदम अच्छी तरह भीग गया था, सारे कपडे उसकी देह से चिपके, एकदम गीला, भीगी बिल्ली, ...नहीं नहीं बिल्ला

और उसे देख के एक बार वो फिर गीली हो रही थी थी, अरविन्द को इस हालत में देख के उसकी चूत रानी फुदकने लगी थीं, रात में चार बार चुदवा के , और एक बार सुबह सुबह भी भाई अरविंद का लंड खा के गीता का मन नहीं भरा था,

किस बहन का मन भाई के लंड से भरता है, बस यही मन करता है , और , ...और

पहले इतनी परेशान अब मारे हंसी के,... उसकी हालत खराब, दरवाजा बाद में बंद किया , पहले भइया को पकड़ के खूब कस के वो चिपट गयी।



" हे चल पहले अपनी दवा खा " ... अरविन्द अपनी छुटकी बहिनिया गीता से बोला,

भीगे कपड़ों के बीच प्लास्टिक में लिपटी उसने दवा निकाली ,

माना उसकी बहन के पीरियड्स अभी ख़तम हुए थे , सेफ पिरीअड था लेकिन फिर भी और वो पूरे महीने की दवा ले आया था, जिससे अरविन्द अपनी बहिनिया को जब चाहे, जितना चाहे चोदे,..घर का माल , कौन उसे खेत खेताडी में जगह ढूंढनी है , गन्ने का खेत या बँसवाड़ी,.. माँ भी नहीं है, अब तो जब मन किया पटक के चोद देगा,...

इस्तेमाल के बाद वाली भी और रोज खाने वाली भी,...

गीता झट से इस्तेमाल के बाद वाली गटक गयी,..

और फिर भैया के कपडे उतारने पर जुट गयी,... हे बनिआन भी निकाल , अंदर तक गीले हो गए हो , और पैंट भी ,... सिर्फ चड्ढी बची थी ,...और गीता को देख के चड्ढी में खूंटा अपने आप तन गया था





अब भाई गीता की बदमाशी समझ गया था ,

उसे खींच के वो आंगन में ले गया,



चल तू भी थोड़ी सी भीज , बहुत चिढ़ा रही है न मुझे , अच्छा चल तेरी साडी उतार देता हूँ , ..

अब वो पेटीकोट और चोली में ,...


और भाई सिर्फ चड्ढी में दोनों बारिश का मजा ले रहे थे जैसे छोटे बच्चे , ...


देह से एकदम चिपके कपडे, भाई बहन की चोली में से झांकते जोबन देखके ललचा रहा था , चोली भी आलमोस्ट ट्रांसपेरेंट हो गयी थी पानी में भीग के , ब्रा तो उसने पहना नहीं था और निपल और जुबना से चोली एकदम चिपकी ,



और भइया से नहीं रहा गया , तो पहले तो हलके से ऊपर से मसलता रहा , फिर एक झटके में चोली खींच के बरसते पानी में जमीन पर फेंक दिया , और उससे हँसते हुए पूछा,

हे झूला झुलेगी,...

लेकिन बहन को पहले तो भाई से बदला लेना चोली उतारने का और भैया की देह पे बस एक जांघिया थी , उसकी जाँघों से चिपकी और मोटू सर उठाये बौरा रहा था ,

बस एक झटका और बहन ने जांघिया खींच के जहाँ उसकी चोली भैया ने फेंकी थी ठीक वहीँ, और भाई का खड़ा मोटा मूसल , बित्ते से भी बड़ा उसके सामने,...लेकिन अब वो डरती नहीं थी , पांच बार तो कल से घोंट चुकी थी , एक बार आधा तिहा लेकिन उसके बाद हर बार अपनी कसम खिला के पूरा का पूरा



json visualizer online

और हँस के झूले की ओर बढ़ती बोली,



" एकदम भैया बहुत दिन से तूने मुझे झूला नहीं झुलाया खाली गाँव भर की भाभियों के साथ झूलते हो, पेंग मार मार के "






" अरे तो चल आज तुझे भी झुलाता हूँ , ... "

और गीता के पहुंचने से पहले वो झूले पे बैठ गया था और एक झटके में खींच के अपनी गोद में, पर उसके पहले भैया ने उसके पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और सरकता हुआ, सरसराता ,वो बरसते आंगन में कच्ची गीली मिटटी पर, दोनों टांगों से सरक कर, और बहन भाई एक जैसे , ...

भाई का खूंटा खड़ा बहन की बिल बारिश में भीगे आंगन से भी ज्यादा गीली,


और भाई ने बहना की दोनों टाँगे फैलायीं , अपनी टांगों से , खींच के उसे झूले पर अपनी गोद में,... और गच्च से खूंटा बिल में धंस गया।

पूरा नहीं, थोड़ा सा , और पेंग मार मार के भाई ने बहना को झूला झुलाना शुरू कर दिया , बारिश मूसलाधार हो रही थी, लग रहा था आज दिन रात नहीं रुकेगी,... झूले की रफ्तार बढ़ती गयी , खूंटा अंदर धंसता गया। और अब बहना भी पेंग मार रही थी,...गीता को बड़ा मज़ा आ रहा था,अपने अरविन्द भैया के लम्बे मोटे खड़े लंड पे इस तरह से बैठने का, गपागप गपागप, गीता अपने भैया का लंड बरसते पानी में घोंट रही थी, दिन दहाड़े अपने ही घर के आंगन में झूले पे बैठी




लेकिन थोड़ी देर बाद ही भाई ने झूले को रोका और पोजीशन थोड़ी सी बदली, बहुत ताकत थी उसके खूंटे में भी और हाथों में , ..

. एक झटके में गुड़िया की तरह बहन को खूंटे पर से उठाया , और अब बहन का मुंह भाई की तरफ,...

वो भी अब समझदार हो गयी थी , खुद उसने अपनी टाँगे फैला दी , जितना हो सकता था उससे भी ज्यादा, मुंह उसका अब भाई की ओर था , ..और सर सर सरकते हए , भाई का खूंटा अंदर,...

चूत ने खुद मुंह फैला दिया था लंड घोंटने के लिए



json visualizer online

उसके सगे भाई का मस्त मोटा लंड था , बहन नहीं घोंटेंगी तो कौन घोंटेंगा,...




अब दोनों पेंग मार रहे थे , झूला झूल रहे थे दोनों के हाथ तो झूले की रस्सी को कस के पकडे तो गीता खुद ही अपने उभार भाई के सीने पे रगड़ रही थी,


पर आज भैया से ज्यादा गीता मस्ती कर रही थी ,खूब चुहुल।

बचपन से ही भैया को छेड़ने में उसे मज़ा आता था और आज फिर वही,...

उसे वो चिढ़ा रही थी , कभी चूम लेती कभी होनी छोटी छोटी बस आ रही चूँचियाँ बार बार भैया के सीने पे रगड़ देती, टाँगे उसकी खुली खूंटा अंदर धंसा, लेकिन जा भैया पेंग मारता कस के तो उसी ताकत से खूंटा बिल में धंस जाता , पर जब बहना का नंबर आता तो पेंग मारते हुए वो बाहर की ओर अपनी कमर कर लेती , और खूंटा थोड़ा बाहर हो जाता,...

१०-१५ मिनट तक झूले पे मस्ती , गीता की छेड़छाड़ चलती रही, पर अब भाई बहन की हचक हचक कर , पटक पटक कर चुदाई करना चाहता था , जित्त वो छेड़ रही थी उसकी आग उतनी ही भड़क रही थी,

झूले में पहली बार किसी को अरविन्द अपनी गोद में बिठा के चोद रहा था, लेकिन उसका मन ललचा रहा था कच्चे आंगन में लिटा के बरसते पानी में रगड़ रगड़ के इस कच्ची कली को, अपनी छुटकी बहिनिया को चोदने का,... वो बड़ी चुदवासी हो रही थी न बहन उसकी तो आज उसे पता चल जाए की उसका भैया भी कितना बड़ा चुदककड़ है,

फिर अपने ही आंगन में , वो भी दिन में अपनी सगी बहिनिया को चोदने का मजा ही अलग है लेकिन ऐसी मस्त बहिनिया को उसका भाई नहीं चोदेगा तो कौन चोदेगा,

यही बात अरविन्द भी सोच रहा था और गीता भी
सावन का असली मजा तो झूले पर ही है और उस पर चढ़ती जवानी का असली मजा चुदाई में ही है

यहां तो गीता और अरविंद दोनों सावन और चढ़ती जवानी का मजा झूले पर चुदाई करके ले रहे हैं



बहन चोद अपनी ही सगी,कच्ची कली, बिल्कुल ताजा चोदी गई 16 साल की हसीन कन्या को इतने अच्छे तरीके से कौन रगड़ता है कि बहन चोदा आंगन में ही जहां पर उसके साथ वह बचपन से खेला वहीं पर उसके साथ जवानी की असली खेल आंगन में दौड़ा-दौड़ा कर खेल रहा है



😍😍😍😍😍😍😍
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,459
8,078
158
ऊपर चढ़ा भैया, लुटे मजा सावन का,

बहिन के जोबन का








और उसे लिए दिए आंगन में ही सीधे नीम के पेड़ के नीचे, कच्चा आंगन, मिट्टी खूब गीली हो गयी थी, पानी अभी भी बरस रहा था, पेड़ों के पत्तों से छन छन कर पानी की धार गिर रही थी , और वहीं मिट्टी पर गीता को लिटाकर उसने जबरदस्त चुदाई शुरू कर दी,

एकदम कसी कच्ची टाइट चूत, अभी कल रात को ही तो अरविन्द ने अपनी बहिनिया की कोरी चूत फाड़ी थी, पर वो जानता था की वो कित्ता भो चोदेगा उसे, बहिन की चूत उसकी ऐसी ही टाइट रहेगी, ये सोच के वो और गिनगीना गया और अरविन्द ने अपने बहन के जस्ट आते, अभी बस २८ नंबर वाले जोबन पकड़ के वो करारा धक्का मारा की उसकी बहनिया चीख उठी, पर ऐसे तेज बरसते पानी में चुदाई की चीख कौन सुनता है और इस समय तो हर घर में यही चल रहा होगा,


json visualizer online

दोनों हाथों से कस के उसने चूड़ी भरी बहन की कलाई पकड़ रखी थी और कमर के पूरे जोर से धक्के पर धक्का , और थोड़ी देर में बहन भी मस्ता के हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी /




और अपने ऊपर चढ़े भैया को चिढ़ा रही थी, छेड़ रही थी, उकसा रही थी.


पर वो भी कम शातिर नहीं था , घाट घाट का पानी पीया, और बस उसने चुदाई रोक दी, लंड आलमोस्ट बाहर।अब अरविन्द अपनी बहिनिया को तड़पाना चाहता था, वो जानता था लंड के धक्के खा खा के, अब उसकी चूत अपने भैया के लंड के लिए पागल हो रही होगी, और यही समय है उसकी बची खुची शरम लाज की आखिरी दीवार को भी तोड़ देने का, जिससे उसकी बहन गीता खुद अपने भाई अरविन्द का लंड खाने के लिए अपने आप अपनी चूत खोल के उसके लंड पे बैठ जाए, ...



json visualizer online

कुछ देर तक गीता ने इंतजार किया की भैया अब धक्के मारना शुरू करे , अब करे , बहुत जोर से उसकी कुँवारी चूत में खुजली मची हुयी थी। जब नहीं रहा गया तो वो बोल पड़ी,


" भैया करो न , रुक क्यों गए "




" क्या करूँ मेरी मीठी मीठी गुड़िया " उसके गाल चूम के बड़े प्यार से भैया ने पूछा।

सिर्फ सुपाड़ा अंदर धंसा था, बाकी का ७ इंच से ज्यादा मूसल बाहर , जोर जोर से चींटे काट रहे थे बहन के बिल ने बस अब कुछ भी हो जाए , उसे घोंटना था, पूरा लेना था , ...

गीता भी समझ गयी , भैया उसके मुंह से क्या सुनना चाहते हैं , बचपन से ही कामवाली , शादी ब्याह में माँ बूआ और भाभियाँ तो उसका नाम ले ले के,...

पर अपने मुंह से भाई के सामने बोलने में हिचक रही थी, पर मन भी कर रहा था, भैया करे , वो बस झड़ने के कगार पे थी , जब उसने ब्रेक लगा दिया,... उसका बहुत मन कर रहा था पर बोलने की भी,...

वो अरविन्द से बोली,...

" वही जो अभी तक कर रहे थे , रुक क्यों गए, करो न , भैया प्लीज मेरे अच्छे भैया। "

वो बोली और उसे अपनी ओर खींच लिया। पर भाई हिला नहीं , वो जानता था उसकी बहिनिया कितनी गरमाई है , एकदम झड़ने के कगार पे और अभी उसके मुंह से अगर उसने कहलवा लिया न तो फिर हर बार,..और चुदाई का मज़ा ही , एक दूसरे को छेड़ के चुदाई की बातें कर कर के चोदने का है,... बोला

" नहीं तुम बोलो न साफ़ साफ़ , मैं क्या कर रहा था अब तक , मेरी अच्छी बहना बोल न , भाई से क्या शर्माना। "

" तुम भी न, अच्छा चल तू बोल दे " वो ठुनक कर बोली।




अब भइया को लग गया था बस थोड़ा सा धक्का और ,... और उसने कान में बुदबुदाया ,...

और बोला , चल अब बोल।

बड़ी मुश्किल से गीता के बोल फूटे,... " चु,... चु,..चुदाई" बहुत धीमे से बोली,...




अरे जरा जोर से बोल न मैंने नहीं सुना,.. उसने चढ़ाया और फिर , नहीं नहीं पांच बार ,...

और जब तक उसकी किशोरी कच्ची कली बहना ने खूब जोर से पांच बार चुदाई चुदाई ,चुदाई चुदाई ,चुदाई नहीं बोली,...

और फिर उसने बस एक हल्का सा धक्का और फिर रोक के बोला ,...


" अच्छा मैं अपनी बहना की क्या चोद रहा हूँ बस ये बोल दे ,... "





" तू अपनी बहन की ,... तू अपनी बहन की चूत चोद रहा है " बहन बोली ,.

" नहीं पूरा बोल, बस एक बार उसके बाद तो तेरी दिन भर रात , बोल न "

अब तक गीता भी गरम हो गयी थी , मुस्करा के अपने चूतड़ कस के उठाती बोली,...




" चोद बहनचोद, मेरे बहनचोद भाई , चोद अपनी बहन की चूत हचक के दिखा दे तू कित्ता बहनचोद है "


अरविंद ने जिस तरीके से गीता कि शम्र निकाली है वह सबसे शानदार लगा

बहन चोद इन लड़कियों को कुंवारी चुत* फडवा लेंगे

गांड फड़वा लेंगे

मुंह में लन्ड ले लेंगे

लेकिन बहन चोद चुत चुदाई बोलते हुए इनकी मां चोद जाती है लेकिन अरविंद भी एक नंबर का चुदक्कड इंसान हैं बहन चोद चोद चोद कर अपनी बहन की साडरी सरम ही उसकी भोसड़ी में बांड दी

बहुत शानदार तरीके से बारिश में की गई चुदाई* का यह विशेष वर्णन केवल कोमल भाभी ही कर सकती हैं
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,459
8,078
158
अरविंद ने जिस तरीके से गीता कि शम्र निकाली है वह सबसे शानदार लगा

बहन चोद इन लड़कियों को कुंवारी चुत* फडवा लेंगे

गांड फड़वा लेंगे

मुंह में लन्ड ले लेंगे

लेकिन बहन चोद चुत चुदाई बोलते हुए इनकी मां चोद जाती है लेकिन अरविंद भी एक नंबर का चुदक्कड इंसान हैं बहन चोद चोद चोद कर अपनी बहन की साडरी सरम ही उसकी भोसड़ी में बांड दी

बहुत शानदार तरीके से बारिश में की गई चुदाई* का यह विशेष वर्णन केवल कोमल भाभी ही कर सकती हैं
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,459
8,078
158
" हे देगी "








अब तक गीता भी गरम हो गयी थी , मुस्करा के अपने चूतड़ कस के उठाती बोली,...

" चोद बहनचोद, मेरे बहनचोद भाई , चोद अपनी बहन की चूत हचक के दिखा दे तू कित्ता बहनचोद है "

बस इतना काफी था,... और उसके भाई ने बहन को दोनों चूँचियों को कस के पकड़ा, और जोर जोर से दबाते मसलते , पहले तो पूरा का पूरा ८ इंच बाहर निकाला और पूरी ताकत लगा के , एक धक्के में ही सुपाड़े ने बहन की बच्चेदानी पे वो जबरदस्त चोट मारी की गीता झड़ने लगी ,



json visualizer online


ऊपर से बादल झड़ रहे थे नीचे से बहन, ... काँप रही थी , हिल रही थी और भाई का मूसल जड़ तक धंसा , वो चुपचाप उसके ऊपर लेटा,... लेकिन उसके हाथ आज जैसे बदला ले रहे हों , बहन के इन उभारों ने जिसे देखे ही न जाने कितने दिनों से उसकी पैंट टाइट हो जाती थी, आज उसके हाथों में थे। खूब कस के रगड़ रहा था मसल रहा था,....



और धक्के एक बार फिर चालू हो गए जैसे बहन का झड़ना रुका और अब वो शुरू से ही चौथे गियर में और उकसा के जो बहन के मुंह से सुनना चाहता था , अब वो खुल के बोल रही थी,...



" चोद, बहनचोद चोद , चोद अपनी एकलौती सगी छोटी बहन की चूत, फाड़ दे ,... बहुत अच्छा लग रहा है , चोद, चोद ,... "

और साथ में बूंदो का संगीत, उन दोनों की देह पर सावन की बरसती रिमझिम की धुन, तेज हवा में सर हिलाते झूमते साथ में जैसे ताल देते आंगन का पुराना नीम का पेड़

, जिसके नीचे कितनी बार दोनों भाई बहन खेलते थे, गीता अपनी गुड़िया की शादी की तैयारी रच रच के करती थी और उसका भाई उसे बिगाड़ने पे तुला रहता था,...

उसके नीचे दबी आंगन के कीचड़ में लथपथ, ...दो दो बार झड़ने के बाद , एकदम चुद चुद के थेथर होने पर भी,
अपने भाई के हर धक्के की ताल पर नीचे से चूतड़ उछालती, उसे बाहों में कस कस के भींच के कभी चीखती कभी सिसकती तो कभी अपने दांतों से भाई के कंधो काटती, नाखूनों से उसके पीठ को नोचती



अगर, भाई के धक्के एक पल के लिए भी धीमे होते या जान बूझ के वो रोकता,...

अब रिश्तों में हसीन बदलाव एकदम पूरा था अब सिर्फ एक रिश्ता था , दुनिया का सबसे मीठा ,



json visualizer online
कभी खुद सर उठा के अपने ऊपर चढ़े भाई के होंठों को चूम लेती, चूस लेती , भाई के चेहरे को भिगो कर, भाई के देह से रस से भीगी बारिश की बूंदों को होंठो की अंजुली बना, चुल्लू चुल्लू पी लेती,

कितनी प्यासी थी वो, पर अब उसके भाई के देह की हर बूँद अब सीधे उसके भीतर उसकी देह में समाएगी, जैसे भाई के ऊपर हो रही सावन की बारिश,... की हर बूँद छलक के उसकी देह पर पड़ रही थीं,... और वो अपनी बांह पाश में बांधे भाई को और कस कस के अपनी ओर, अपने अंदर खींच रही थी, अपने अंदर घुसे भाई को अपनी योनि भींच भींच के बता रही थी अब नहीं छोड़ने वाली वो उसे,...

सावन अब तक कितनी बार बरसा था, कितनी बार माँ के मना करने पर भी भीगी थी वो,

पर आज सोलहवें सावन की बात ही और थी, देह पर बरसता सावन और देह के अंदर बरसता भाई का,...

गीता की देह के हर अंग भाई से हजार हजार बातें बिन बोले कर रहे थे, अब तक की तपन, प्यास, चढ़ती जवानी की चुभन, अगन


और उस की हर बात का जवाब आज उस केभाई अरविन्द के धक्के दे रहे थे , जैसे इस बरसते पानी में गीली मिट्टी और कीचड़ में बहन की चूत वो फाड़ के रख देगा।

औरअरविन्द ने साथ में कचकचा के उसके निप्स काटे और बोला, सुन आज के बाद से से अगर तूने मेरे सामने चूत, बुर लंड गाँड़ चुदाई के अलावा कुछ बोला न ,... "


नहीं बोलूंगी , भैया , बस तो ऐसे ही चोदता रह , ओह्ह भैया कित्ता अच्छा लग रहा है ,... "

उसने माना और थोड़ी देर बाद बरसते पानी में वो दोनों बरस रहे थे,...

और झड़ने के बाद भी एक दूसरे की बाँहों में गीली मिट्टी पे बहुत देर तक पड़े रहे,... और उठने के बाद दोनों ने बारिश की पानी से ही एक दूसरे को साफ़ किया ,...



json visualizer online
वो तो और देर तक भीगती रहती बारिश में इत्ता अच्छा लग रहा था, बिना कपड़ों के साथ साथ इस तरह भीगना,

पर भाई ने खींच के उसे बरामदे में किया, और तौलिये से उसे साफ़ किया रगड़ रगड़ के ( बदमाश, ... जो कटोरी भर मलाई उसकी ताल तलैया में छोड़ा था, और रिस रिस के उसकी गोरी मांसल जाँघों पे बूँद बूँद बह रहा था, उसे भैया ने वैसे ही छोड़ दिया ),

बारिश बंद हो गयी थी, बस छज्जों से, आँगन के नीम के पेड़ की डालियों, पत्तों से, पुनगियों से अभी भी बची हुयी बूंदे रह रह के टप टप गिर रही थीं,...





json visualizer online

मुंडेर के पास एक गौरइया, आंगन में झाँक रहे पीपल की के पत्ते की छतरी बना अभी भी बैठी थी,....


" हे चल भूख बहुत लगी है, खाना निकाल , अभी बारिश बंद है, थोड़ी देर जा के खेत का बाग़ बगीचे का हाल देख लूँ, अगर ग्वालिन भौजी आएँगी तो गाय गोरु का भी,... "

और वह तैयार होने अपने कमरे में, गीता भी अपने कमरे में, कपडे पहनते ही जो लाज अभी आँगन में बह कर कीचड़ माटी के साथ धुल गयी थी, थोड़ी थोड़ी वापस आ गयी,... और फिर वो रसोई में, ... सच में भैया को निकलने की जल्दी होगी,...


कल तो गीता ने गुड़ वाली बखीर बना के पूए के साथ भैया को खिलाया था, लेकन उसे मालूम था की भैया को दाल भरी पूड़ी बहुत पसंद है , तो उसने दाल भरी पूड़ी के साथ चावल की खीर, आलू की रसे की सब्जी, चटनी, सब कुछ भैया की पसंद का ही बनाया था।



json visualizer online

और फिर भैया की पसंद का जो खाना बनाया था , उसकी गोद में बैठ के कभी बहन ने अपने कभी होंठों से बहुत प्यार से भैया को खिलाया,... बारिश रुकी हुयी थी लेकिन बादल अभी भी घिरे थे और आज रात फिर जम के बरसने के आसार थे ...


और भाई एक बार फिर बाहर खेती किसानी की हाल चाल लेने और बहन रसोई में ,...


जल्दी जल्दी बर्तन वर्त्तन साफ़ करके रसोई समेट के रात के खाने का इंतजाम भी भैया के आने के पहले कर लेना चाहती थी, रसोइ में वो लगी थी पर मन में बस एक बार उमड़ घुमड़ रही थी,

माँ एक दो दिन और न आये,... वैसे भी मामा के यहाँ से वो देर रात को ही आती थी और अगर एक बार पानी बरसना शुरू हो गया तो,... अक्सर तो उन के गाँव की बस भी एक दो दिन बंद हो जाती थी तेज बारिश में कहीं कच्ची सड़क कट गयी, ... बस एक दो दिन और भैया के साथ , कम से कम आज रात को,... लेकिन उसके चाहने से क्या होता है , अगर कहीं माँ न आये तो,... पर तू तो अपना काम जल्दी समेट, तेरा भाई आ गया न तो उसे एक ही काम सूझता है , उसने अपने मन से बोला,

--------------------------



घंटे दो घंटे बाद जब, अरविन्द उसका भाई खेत का काम धाम देख के लौटा तो लौटा तो बहन ,.

.क्या सेक्सी माल लग रही थी,...


json visualizer online


उसे मालूम था की उसके भैया को क्या पसंद है ,

लड़के भले ने समझे, सोचें वो चोरी चुपके अपने माल को ताड़ रहे हैं, लेकिन लड़कियाँ बिना उनकी ओर देखे , नजर का खेल समझ लेती हैं, ...और साल भर से वो देख रही थी,... उसके स्कूल के टॉप से झांकते छलकते उसके उभार,...

और अभी उसने जान बूझ के दो साल पहले की स्कूल ड्रेस की सफेद टॉप,... कब से उसने नहीं पहनी थी,... उस समय तो बस उभार आने ही ही शुरू हुए थे, ब्रा भी नहीं पहनती थी,.. बड़ी मुश्किल से उसके अंदर घुसी,...

बिना ब्रा के भी उन कबूतरों को बंद करना मुश्किल था , और उसे ऊपर की दो बटने भी खोलनी पड़ीं, गोरी गोरी गोलाइयों का उभार , गहराई सब एकदम साफ़ साफ़ दिख रही थी,...

और स्कर्ट भी उसी के साथ की,... तब से वो लम्बी भी हो गयी थी , गदरा भी गयी थी,... स्कर्ट घुटनों से बहुत ऊपर ख़तम हो जाती थी और उसकी गुलाबो से बस बित्ते भर नीचे, हाँ घेर बहुत था,...

भैया जब घर आया, बारिश तो कब की बंद हो चुकी थी , लेकिन बादल उसी तरह घिरे,...

शाम होने थी,काले काले बादलों में हों रही शाम की सिंदूरी आभा बस जब तब झलक उठती थी , जैसे खूब गहने श्यामल बालों के बीच नयी दुल्हन की मांग,...



json visualizer online

वो आते ही मूड में था और गीता को देख के उसका अपने आप टन्नाने लगा,...

json visualizer online



उसकी निगाहें बहन के छोटे छोटे जुबना पे,.. वो हिरणी मुस्करा रही थी और उसकी चिढ़ाती निगाहें , भैया के खड़े प्यासे खूंटे पे एकदम बेशर्मी से चिपकी,...


भाई बहन में क्या शरम , बचपन में डाक्टर नर्स खेलते , कित्ती बार एक दूसरे का देखा भी है , छुआ भी है , पकड़ा भी है ,...



" हे देगी " ... भाई ने छेड़ा,...



" क्या भैया,... " अपने उभारों को हलके से उभारते, निगाहों से चिढ़ाते, उकसाते , बहुत भोलेपन से उसने पूछा




json visualizer online
धीरे-धीरे jaise ine donon ki jhijhak khul rahi hai Usi hisab se ine donon ki aapas mein ki Gai chudai ka alag hi Maja a raha hai
 

Shetan

Well-Known Member
15,113
40,666
259
abhi aap ne jitta de diya hai usi se kuch din kaam chal jaayega, han kahani padh ke us pe like aur comment bhi kariyega thanks in advance
Vo to me karti hu. Har update pe likes diye. Ha ab ke comment apni rai jarur dungi
 

Shetan

Well-Known Member
15,113
40,666
259
भाग २२


रात बाकी




और अब न उनसे रहा गया, न मुझसे क्या मस्त गाँड़ मरौव्वल हुयी मेरी, लेकिन मैं भी , दस पांच धक्के वो मारते, तो एक दो मैं भी,... कभी लंड पकड़ के गाँड़ में मेरा साजन गोल गोल घुमाता था, कभी हौले से पूरा मूसल बाहर निकाल के पूरी ताकत से वो धक्का मारते की बगल के कमरे में मेरी ननद को तो सुनाई ही पड़ता , सासू जी के कमरे में ,सासू जी और छुटकी बहिनिया को भी,...


एक बार तो अभी मेरी छुटकी बहिनिया की गाँड़ में वो झड़े ही थे , तो सेकेण्ड राउंड में टाइम तो लगना ही था, पूरे आधे घंटे,.... नान स्टॉप तूफ़ान मेल मात और जब झड़ना शुरू हुए तो बस, जैसे गर्मी के बाद सावन भादो में बादल बरसे, सूखी धरती की तरह मैं रोप रही थी , और गिरना ख़तम होने की बाद भी बड़ी देर तक मैं वैसे निहुरी रही और वो मेरे अंदर धंसे, ... और उसी तरह मुझे उठा के पलंग पर,




बड़ी देर तक बिना बोले हम दोनों एक दूसरे से चिपके रहे, लेकिन फिर शुरुआत भी मैंने की , बस छोटे छोटे चुम्मे, उनके चेहरे पर , ईयर लोब्स पर, ... उँगलियों से उनकी छाती सहलाती रही,

वो बस ललचायी नज़रों से मुझे देखते रहे,

बाहर रात झर रही थी, चन्द्रमा पश्चिम की ओर जल्दी जल्दी डग भर रहा था, ...



कुछ देर तक तो मेरी लम्बी गोरी उँगलियाँ, उनके मेल टिट्स की परिक्रमा करती रहीं, मैं समझ रही थी, उनके मन में क्या चल रहा होगा। वो सोच रहे थे की अब मेरे लम्बे नेल्स उनके मेल टिट्स को स्क्रैच करेंगे, पिंच करेंगे, उनके टिट्स उतने ही सेंसिटिव थे जित्ते मेरे निप्स। लेकिन कई बार तड़पाने का मज़ा ही कुछ और है, मैंने जस्ट ऊँगली से उनके टिट्स को ब्रश किया फिर उँगलियाँ नीचे की ओर बढ़ गयीं,...

और दूसरा मेरा फेवरिट अड्डा उनकी देह पर , ( उनकी असल में थोड़ी थी , अब तो वो मेरी हो गयी थी, इसलिए तो मेरी मर्जी मैं चाहे जिसपर उसे चढ़ाऊँ, उनकी माँ बहन ) उनकी नेवल,...और वहीँ मैं ठहर गयी. उनके उस लम्बे मोटू के अलावा कम से कम १५ इरोजेनिक प्वाइंट्स उनकी देह पर मैं जानती थीं, बस जहाँ थोड़ी सी शरारत, और झंडा उनका फहराने लगता था.




नेवल भी,... तो कुछ देर नाभि परिक्रमा के बाद मेरी एक ऊँगली हलके से सरक कर उस कूप में ( असल में मेरे बूब्स और हिप्स के साथ मेरे नेवल उन्हें भी पागल करते थे तो मेरे खूब टाइट डीप लो कट ब्लाउज तो मेरे बूब्स ख़तम होने के पहले ही ख़तम हो जाते थे, और साड़ी मैं एकदम कूल्हों पर बांधती थी, नाप के नाभि से कम से कम ८ अंगुल नीचे, तो गोरे पान से चिकने पेट पर, मेरे नेवल हरदम बवाल मचाते रहते थे ).



दूसरा हाथ बहुत हलके हलके उनकी जांघ पर सरक रहा था, मेरी अनावृत गोरी गोरी गोलाइयाँ, उनकी देह को कभी सहला देतीं तो कभी बस एक अंगुल की दूरी पे ,




मेरे होंठ उनके कानों के लोब्स पर,


हम दोनों में यह अलिखित संधि थी, दूसरे राउंड की शुरुआत मैं करुँगी,...

क्या होना है वो भी मैं ही , हाँ एक बार कुश्ती शुरू हो गयी तो उसके बाद कोई नियम कानून नहीं ,

और मेरी मर्जी भी पहले दिन से ही यही थी की अब इस जिंदगी में सिर्फ इस लड़के की मर्जी चले.

वो तड़प रहे थे, झंडा एकदम खड़ा,... मोटा बदमाश सुपाड़ा, जिसने अभी कुछ दूर पहले मेरी छोटी बहिनिया की गांड फाड़ के रख दी थी,... एकदम खुला,... मेरी जीभ का बहुत मन कर रहा था लेकिन उसे डांट के मैंने मना किया, आज मेरी प्लानिंग कुछ और थी, और,... थोड़ी देर में ही मेरी दोनों हाथों की उंगलिया ,... एक तो उनकी नेवेल से दक्षिण की यात्रा कर के , और दूसरी जाँघों से ऊपर सरक के, उस कुतबमीनार के बेस पर बस सुरसुरी कभी अंगूठे और तर्जनी से पकड़ के हलके हलके दबा देती तो कभी सरकते हुए उस मोटी लम्बी मीनार के ऊपरी हिस्से तक,...





नहीं नहीं मैं मुठिया नहीं रही थी, उसे दबा भी नहीं रही थी , बस हलके हलके , जैसे कोई किसी पंख से उसे सहलाये, हाँ बदमाश उँगलियाँ मेरे बस में तो हरदम रहती नहीं, तो उस चर्मदण्ड के पीछे की ओर, मेरा कोई नाख़ून हलके से स्क्रैच भी कर दे रहा था, और वो चीख उठते,


वो कौन सा मेरी चीखों का ख्याल करते थे जो मैं करूँ, और अब मेरी जीभ भी कभी उनके कानों में गुनगुनाती, कभी उनके चिकने गोरे गालों को बस सहला देती ,...



बेचारे उनकी हालत बहुत ख़राब थी,...

पर मेरी हालत कम खराब थी,

पिछवाड़े तो आज खूब मजा आया, पहले नन्दोई जी ने हचक के मारी, और फिर उस नन्दोई के साले ने,...


लेकिन मेरी रामपियारी अभी भी आठ आठ आंसू रो रही थी,



आज किसी ने उसे हाथ भी नहीं लगाया था, और तो उसे बस वो मोटा मूसल चाहिए था, ... इसलिए मैंने सोचा बहुत हो गया चोर सिपाही का खेल , और मैं सीधे उनके ऊपर चढ़ गयी,...

वो कहते हैं न आज कल आत्मनिर्भर,... तो बस वही,... लेकिन इस लड़के को तड़पाने का मजा अलग है, थोड़ी देर तक तो मेरी गुलाबो उसके तड़पते बौराए पगलाए मोटे सुपाडे पर रगड़ती रही,... फिर जैसे कोई दया कर के जरा सा दरवाजा खोल दे दोनों फांके खुलीं , थोड़ा सा सुपाड़ा घुसा और दरवाजा फिर बंद,...
Wow. Badi sharati he chhutki ki bahena. Pati se esa masti bhara sambhog. Dill kar raha tha. Ye update khatam hi na ho. Bas chamach chamach chasni pite hi rahe.
 

Shetan

Well-Known Member
15,113
40,666
259
आत्मनिर्भर





पर मेरी हालत कम खराब थी, पिछवाड़े तो आज खूब मजा आया, पहले नन्दोई जी ने हचक के मारी, और फिर उस नन्दोई के साले ने,...


लेकिन मेरी रामपियारी अभी भी आठ आठ आंसू रो रही थी, आज किसी ने उसे हाथ भी नहीं लगाया था, और तो उसे बस वो मोटा मूसल चाहिए था, ...




इसलिए मैंने सोचा बहुत हो गया चोर सिपाही का खेल , और मैं सीधे उनके ऊपर चढ़ गयी,...

वो कहते हैं न आज कल आत्मनिर्भर,... तो बस वही,... लेकिन इस लड़के को तड़पाने का मजा अलग है, थोड़ी देर तक तो मेरी गुलाबो उसके तड़पते बौराए पगलाए मोटे सुपाडे पर रगड़ती रही,... फिर जैसे कोई दया कर के जरा सा दरवाजा खोल दे दोनों फांके खुलीं , थोड़ा सा सुपाड़ा घुसा और दरवाजा फिर बंद,...

बरसो बाद मिले पाहुन से जैसे कोई बस गलबहियां भर भर मिले, बात करने का होश ही न रहे, वही हालत मेरी रामपियारी की हो रही थी, जोर से से वो अपने को सिकोड़ रही थीं , निचोड़ रही थीं,



बेचारे ये इन्होने नीचे से धक्का मारने की कोशिश की पर मैंने जोर से आँख तरेर कर बरज दिया,... आज मेरी बारी थी,... हाँ इतना जरूर किया , फांको को थोड़ा सा ढीला किया , हलका सा धक्का दिया और वो भूखा, नदीदा सुपाड़ा गप्प,

जैसे सुहागरात के दिन उन्होंने मेरी कलाई पकड़ के जोर जोर से धक्के मारे थे , मेरी कुंवारेपन की झिल्ली टूटी थी, वो तो ठीक, मेरी माँ ने भेजा ही इसलिए था, लेकिन मेरी मनपसंद लाल हरी दो दर्जन चूड़ियां , वो भी चुरूरमुरुर कर आधे से ज्यादा टूट गयीं,...

बस एकदम उसी तरह मैंने उनकी दोनों कलाइयां पकड़ रखी थी पर धक्के उनकी तरह तूफानी नहीं मार रही थी , बस हलके हलके सावन के झूले की तरह , खूब स्वाद ले ले के,




मेरी सहेली का मनपंसद भोजन इनका मोटा तगड़ा लंड,... अब पूरी तरह अंदर था, और मैं रुक गयी थी,


झुक के बस हलके हलके अपने दोनों जोबन उनकी छाती पर रगड़ रही थी, आँखों से उन्हें चिढ़ा रही थी, ...

मेरा साजन मैं चाहे जो करूँ, उनके साथ भी उनकी माँ बहन के साथ भी,...


कुछ देर में मैं मेले में जैसे नटिनी की लड़की बांस पर चढ़ जाती है न, बस उसी तरह इनके बांस पर मैं चढ़ी, इतरा रही थी, फिर धीरे धीरे अपनी छप्पन कला दिखाते, कभी ऊपर कभी नीचे, कभी हलके से अपनी योनि को दबा के उसे निचोड़ देती तो कभी ढीला कर के आजाद कर देती,... लेकिन वो रहता मेरे ही अंदर, कुछ देर ऊपर नीचे ऊपर नीचे करने के बाद, बस मैं रुक गयी, पूरा उसे अपने अंदर लेकर, झुक के मैंने उन्हें चूम लिया, ...

और



फिर जैसे कोई रॉकिंग चेयर पर बैठ के आगे पीछे , आगे पीछे करे,...




बेचारे, उनको तो आदत तूफानी चुदाई की थी , पर मैं क्या करूँ मेरी रामपियारी इत्ती देर से अपने पिया का इन्तजार कर रही थी, लेकिन पिया का मन पियारी नहीं समझेगी तो कौन समझेगा,

तो बस वो तूफानी धक्के पर धक्के वाली भी मैंने शुरू कर दी , पर मैंने उन्हें समझा दिया था , वो आज चुपचाप आराम करें, मेरी बहिनिया के पिछवाड़े बहुत ताकत खर्च की थी उन्होंने इत्ती कसी गांड मार मार् के चौड़ी कर दी थी उन्होंने,...


कोई जरूरी नहीं की मरद को ही सचित्र कोकशास्त्र बड़ी साइज के सारे आसन मालूम हों, कुंवारेपन में ही माँ की अलमारी से निकाल के छुप छुप के कोर्स की किताबों से ज्यादा बार मैंने उसका परायण किया था, और सहेलियों के साथ भी,...




तो वीमेन ऑन टॉप वाली पोजीशन में भी , और अभी दो रात पहले ही तो इनकी सास ने इनके ऊपर चढ़ कर न सिर्फ इनके कील पुर्जे ढीले किये थे बल्कि एक खूंख्वार दरोगा की तरह इनके सब राज, इनकी माँ, बुआ , बहन , सब के साथ कैसे कबड्डी खेली इन्होने वो सब भी,...


हाँ अब वो भी साथ दे रहे थे कभी नीचे से कस कस के धक्के मारते तो कभी, मेरी कमर पकड़ के ऊपर नीचे उछालते और जब मैं नीचे होती तो उनकी मनपसन्द दोनों गेंदे , कभी हाथ से खेलते तो कभी मुंह उठा के उन लड्डुओं का स्वाद भी ले लेते,...




दस बारह मिनट तो हो ही गया होगा , पर ऐसे समय, समय कौन देखता है.



हम दोनों एक दूसरे में मगन,... पर तभी दरवाजा खुला,... और उनकी छोटी साली, ...





मेरी छुटकी बहिनिया, ... पर स्साली छिनार, उसकी चूत में अपनी ससुराल के सारे मर्दों का लंड घुसवाऊँ,... चूतमरानो,...

मेरी ओर देखा भी नहीं, सीधे अपने जीजा की ओर,... और खाली उसे क्यों गरियॉंउ, मेरी छिनार माँ, बहन, सब की सब असली रंडी की जनी, मेरी शादी के बाद एकदम मुझे भूल गयीं, माँ को सिर्फ दामाद नजर आता है और बहनों को जीजू, जैसे बेटी बहन थी ही नहीं कभी,...
Wow pati ke sath sambhog karte wakt chhoti bahen. Yahi to fantacy mene apni teeno story me dali he. Lady cocold feeling. Jabardast
 

Shetan

Well-Known Member
15,113
40,666
259
मेरी छुटकी बहिनिया, ...







हम दोनों एक दूसरे में मगन,... पर तभी दरवाजा खुला,... और उनकी छोटी साली, ...



मेरी छुटकी बहिनिया, ... पर स्साली छिनार, उसकी चूत में अपनी ससुराल के सारे मर्दों का लंड घुसवाऊँ,... चूतमरानो,... मेरी ओर देखा भी नहीं, सीधे अपने जीजा की ओर,... और खाली उसे क्यों गरियॉंउ, मेरी छिनार माँ, बहन, सब की सब असली रंडी की जनी, मेरी शादी के बाद एकदम मुझे भूल गयीं, माँ को सिर्फ दामाद नजर आता है और बहनों को जीजू, जैसे बेटी बहन थी ही नहीं कभी,...



और मैं कुछ बोलती तो उलटे हंस के मुझसे कहते अरे मैं बेटी और माँ, बहन -बहन के बीच में कैसे फर्क करूँ,... और उस हंसी पर तो मेरी जान न्यौछावर थी।

और वो भी कस के उसे अपनी बाहों में बाँध के,

लेकिन ऐसी खटमिठ्वा कच्ची अमिया हो और कुतरी न जाए, ... तो बस उनके होंठ मेरी छुटकी के बस मटर के जो कच्चे दाने होते हैं, बस अभी आना शुरू किये हों, ऐसे निप्स को लेकर चुसूर चुसूर,...






मैं इनकी चुदाई रोक के, कुछ देर तक मस्ती में जीजा साली की मस्ती देखती रही, फिर मैंने भी सोचा, चल यार, आज इन्हे भी,... हम दोनों बहने मिल कर इनकी ऐसी की तैसी करते हैं, और किस मरद की फैंटेसी नहीं होगी,... एक साथ दो दो ,


एक कच्ची कली बस अभी खिलती हुयी, किशोरी , और दूसरी तरुणी एक छोटी साली और दूसरी उसकी बहन, पत्नी , एक दूसरे से चोरी छुपे नहीं बल्कि साथ साथ,...

और मैं माँ से कह के, छुटकी को साथ लायी भी इसलिए थी,.. इनके लिए अपने मस्त नन्दोई के लिए और गाँव के सारे देवरों, नन्दोईयों के लिये।



तो बस,... मैं उस मीनार से उतर गयी और अपनी छुटकी बहिनिया को मीठी शूली पे चढाने के लिए,... वो टुकुर टुकुर देख रही थी की कैसे मैं कुतबमीनार पर चढ़ी मजे ले रही थी, ऊपर नीचे ऊपर नीचे हो के.... मैं समझ गयी उसका मन ललचा रहा था, बस अपने साजन के मीनार से उतर कर उनकी गोद में दुबकी उनकी साली को पकड़ के खींच लिया ,

वो लगी लाख बहाने बनाने, लेकिन मैं उसकी बड़ी बहिन थी, मैंने हड़काया, लगाउंगी दस हाथ कस कस के गिनूँगी एक, पिछवाड़े मान सकती हूँ मैं, लेकिन आगे क्या हुआ है, ... चल चढ़ जा,...


बड़ी मुश्किल से वो चढ़ी, लेकिन दो दिन भी नहीं हुए थे उसकी सील टूटे, वैसे भी एकदम कच्ची कली,... लेकिन लग रही थी मस्त,... उसके छोटे छोटे लौंडा छाप चूतड़ों को मैंने फैलाया, इनकी गाढ़ी मलाई अभी भी बजबजा रही थी उसके पिछवाड़े, बस थोड़ी सी उसके आगे लगा के पूरी ताकत से चूत की दोनों फांको को मैंने फैलाया, और इनका सुपाड़ा सटाया, बस थोड़ा सा फंसा था।



" हे पुश कर पूरी ताकत लगा के , छिनरपन मत देखा, लगाउंगी एक हाथ, अपने जीजू की कमर पकड़ के पुश कर,... "



मैंने जोर से हड़काया, और वो समझ रही थी की मैं सच के दो चार चांटे लगा दूंगी, ...

कुछ उसने पुश किया , कुछ मैंने उसके कंधे पर पूरी ताकत से जोर लगाया,... मुझे मम्मी की बात याद आ रही थी की जो लड़की लंड घोंटने में नखड़ा करे न, अरे लंड कितना भी मोटा हो, कितना भी लम्बा हो, आखिर उसी चूत से बियाह के नौ महीने बाद इत्ते लम्बे मोटे बच्चे निकलते हैं,...

बस मैंने पूरी ताकत से दोनों हाथ से उसके कंधे पर रख के जोर लगाया सुपाड़ा अच्छी तरह से फंसा था,... बस चीरते फाड़ते, उसकी कसी कच्ची चूत में उनका पहाड़ी आलू ऐसा मोटा सुपाड़ा धंस गया, ...




वो चीखती बिसूरती रही,... पर मान गयी मैं अपनी छुटकी बहिनिया को इत्ते दर्द के बावजूद के वो अपनी ओर से भी घोंटने के लिए पुश कर रही थी,

उन्होंने भी उसे पकड़ने के लिए इशारा किया पर मैंने सख्ती से बरज दिया ,

अरे अगर स्साली उनकी साली चुदवासी है तो लंड पर चढ़ के चोदने का भी दम होना चाहिए,


रोते चीखते भी पूरी ताकत से उसने धकेलते हुए आधा बांस तो घोंट ही लिया पर अब उसके जीजू से नहीं रहा गया, ... वो उसकी कच्ची अमिया देख के ललचा रहे थे, बस ज़रा सा अपनी ओर खींच के, उसकी ललछौंहा बस आ रहे जस्ट छोटे छोटे निपल मुंह में भर लिए और लगे चुभलाने,
Maza aa gaya. Khud hi chhoti bahena ko mithisi shuli pe chadha diya. Bahena ka sath na chhute. Badi bahena sab sikha degi. Ek sath do bahene wow. Mukabla kate ka he. Pati devta ka bhi khayal rakha jae. Is se bahetar tofa koi biwi nahi de paegi
 
Top