Shetan
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Kasam se chhoti bahen ko esa maza dene ki kalpna. Behat uttejak feeling he. Maza to chhoti bahen jab apne jija par sawar ho to use sahelane me bahot jyada maza aata he. Or zadne se roke rahene ka tarika to bahot jabardast he. Chhutki ki mithi gugudi se Jo chikhe niklegi vo sun ne ka maza to kuchh or hi hogaएक से भले दो
अरे अगर स्साली उनकी साली चुदवासी है तो लंड पर चढ़ के चोदने का भी दम होना चाहिए,
रोते चीखते भी पूरी ताकत से उसने धकेलते हुए आधा बांस तो घोंट ही लिया पर अब उसके जीजू से नहीं रहा गया, ... वो उसकी कच्ची अमिया देख के ललचा रहे थे, बस ज़रा सा अपनी ओर खींच के, उसकी ललछौंहा बस आ रहे जस्ट छोटे छोटे निपल मुंह में भर लिए और लगे चुभलाने,
थोड़ी देर में जीजू साली मिल के, वो अपनी साली की पतली कमर पकड़ के खींच रहे थे और वो भी अपने जीजू का साथ दे रही थी, पुश कर रही थी मैं बगल में बैठी जीजा साली के खेल तमाशे का मजा ले रही थी।
"अगर तू असली स्साली है न अपने जीजू की, तो पूरी ताकत से १०० धक्के मार, "मैंने उसे उकसाया।
सौ तो नहीं लेकिन ६०-७० धक्के तो उसने मारे ही और दो तिहाई से ज्यादा सात साढ़े सात इंच लंड तो अपने जीजा का ऊपर चढ़ के घोंट ही लिया , ... लेकिन अब एकदम वो थक गयी तो मैंने उसे मीठी शूली के ऊपर से उतार लिया ,...
और गोद में लेकर मीठी मीठी चुम्मी उसके गालों पर, होंठों पर लेने लगी.
खूंटा उनका भी वैसे तना, कड़ा खड़ा था, और कौन लड़की होगी जो इत्ता मस्त मलखम्भ देख के न ललचाये, तो मुंह में पानी तो मेरे भी आ रहा था और इनकी साली के भी,तो बस पहल मैंने ही की,
इनका खुला सुपाड़ा, लीची की तरह रसीला, टमाटर की तरह मोटा,... नहीं मुँह में गप्प नहीं किया मैंने,... बस जीभ से चाटती रही थोड़ी देर तक,
फिर छुटकी का मुंह मैंने लगा दिया, ... अब हम दोनों बहने बारी बारी से उस खुले सुपाड़े को कभी साथ साथ कभी बारी बारी से चाट रही थीं ,
फिर सुपाड़ा उसके हिस्से में, और बाकी का लंड,... मेरे हिस्से में , वो सुपाड़ा चूस रही थी मुंह में ले कर कस कस के और मैं बाकी लंड का खम्भा चाट रही थी जीभ निकाल के,
सोचिये, अगर एक जस्ट जवान हो रही किशोरी साली और एक युवती साथ साथ किसी के चर्म दंड को चूसें चाटें, तो कैसा लगेगा, बस वही हालत इनकी हो रही थी,
लेकिन हम दोनों बहनें मिल के इनकी हालत और खराब करने वाली थीं, गन्ना मैंने पूरा का पूरा छुटकी के हवाले किया और मैं नीचे वाले दोनों रसगुल्लों को चूसने में लग गयी,... खूब मस्त , आखिर हम सब को गाभिन करने वाली मलाई तो उसी में से निकलती है,... थोड़ी देर बाद काम बदल गया, रसगुल्ले उनकी साली के हिस्से में और लंड मेरे हिस्से में,
असल में होली के पहले वाली रात यही किया था इन्होने मेरे साथ सारी रात चोदा,खूब हचक हचक के चोदा लेकिन मुझे झड़ने नहीं दिया, खुद भी सिर्फ दो बार झड़े, एक बारे आगे और दूसरी बार एकदम सुबह, पूरी ताकत से ये मेरी गाँड़ मार रहे थे, और उधर ननद खट खट कर रही थीं, दरवाजा खुलवाने के लिए होली खेलने के लिए, और जैसे ही उन्होंने कटोरी भर मलाई मेरी गाँड़ में छोड़ी,... मैंने किसी तरह बस साड़ी लपेट कर दरवाजा खोला, होली की सुबह थी। लेकिन असर मुझे बाद में पता चला, जो उन्होंने मुझे गरमा के, लेकिन बिना झड़े छोड़ दिया,
असर ये हुआ की दिन भर बस ये लगे की कोई चोद दे, कोई झाड़ दे , और मैं इतना गरमा गयी थी की रंग से पुते अपने ममेरे भाई को ही चढ़ के चोद दिया, वो बेचारा चिल्लाता रहा , लेकिन गरमाई औरत को तो सिर्फ लंड दिखता हैतो बस यही आज मैं इनके साथ करना चाहती थी, खूब गरमाऊँगी , झड़ने नहीं दूंगी, वैसे भी एक बारे मेरे और दूसरी बार मेरी छुटकी बहिनिया के पिछवाड़े तो ये झड़ ही चुके थे.
और मैं और छुटकी मिल के इन्हे तंग कर रहे थे।
जैसे कोई शेरनी अपनी शाविका को शिकार सिखाती है बस उसी तरह मैं भी छुटकी को सिखा रही थी, और बहुत ही नेचुरल थी,... बहुत जल्द मेरा कान काटने वाली थी,... एक बार वो फिर साइड में बैठ के अपने जीजू का लंड आधे से ज्यादा मुंह में लेकर सड़प सड़प चूस रही थी और मैं इनकी एक बॉल्स मुंह में लेकर , तभी मुझे एक बदमाशी सूझी,...
बस मैंने जितनी भी तकिया थी बिस्तर पे , सब इनके चूतड़ों के नीचे लगा दी, इनके नितम्बो को सहलाने लगी , और बॉल्स चूसते चूसते, मेरी जीभ नीचे उतरी, ... और फिर इनके गोलकुंडा के किले का गोल गोल चक्कर काटने लगी, कभी कभी गोल दरवाजे की सांकल भी अपनी जीभ की टिप से खटखटा देती,...
ये बेचारे कसमसा रहे थे, मस्ती से पागल हो रहे थे, ...
फिर दोनों हाथों से मैंने इनके नितम्बों को पूरी ताकत से फैलाया, उस गोल छेद पर अपने होंठों को लगाया और लगी कस कस के चूसने, कभी जीभ अंदर भी पेल देती,... धीरे धीरे छेद पिछवाड़े का थोड़ा थोड़ा इनका खुलने लग गया था, ...
छुटकी चूस तो इनका लंड रही थी , साथ साथ हलके हलके अपने टीनेज हाथों से मुठिया भी रही थी,... पर निगाहें उसकी मेरी हरकतों पर टिकी,... मैंने इशारे से उसे बुला लिया, फिर उससे मैं जोर से हड़का के बोली,
"अपनी आँखे बंद कर,... और जीभ निकाल पूरी लम्बी "
उसने जोर से आँखे बंद कर ली, बस मैंने एक बार फिर एक हाथ से उनके नितम्बो को फैला के, उनके गुदा छिद्र पे अपनी छुटकी बहिनिया का मुंह सटा दिया , उसकी किशोर जीभ इनके पिछवाड़े,,
" हे पेल दे जीभ पूरी अंदर, अरे जीजू ने तेरी गाँड़ मारी थी न कस कस के , बस बदला ले ले कस के , मार ले गाँड़ पाने जिज्जा की जीभ से "
और दोनों हाथों से उसका सर मैंने कस के पकड़ रखा था, हड़का रही थी मैं,...
" स्साली, ठेल कस के , जीभ अंदर घुसेड़ के, वरना लगाउंगी दो हाथ कस के,... "
उसकी थोड़ी सी जीभ पिछवाड़े घुसी और इनकी हालत खराब, खूंटा मेरे कब्जे में था , मैं हलके हलके सहला रही थी , कभी उसके बेस पे कस के दबा देती जिससे वो झड न पाएं,
उनकी देह तड़प रही थी, मचल रही थी,... जैसे मैं तड़पती थी जैसे मेरे क्लिट पर जीभ के टिप से छू छू कर , सहला कर,... तड़पाते थे. बस उसी तरह,
पर आज तड़पाने का दिन हम दोनों बहनों का था,... और मैंने एक नयी शैतानी शुरू कर दी,...