• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Shetan

Well-Known Member
15,113
40,664
259

Shetan

Well-Known Member
15,113
40,664
259
धंस गया,... घुस गया,...

उईईई उईईईईई




दोनों हाथों ने उसका पिछवाड़ा कस के पहले फैलाया, फिर एक हाथ से मैंने नन्दोई का खूंटा पकड़ के अपनी छुटकी बहिनिया की कसी गाँड़ के छेद पर सटाया,

बहुत ताकत थी मेरे प्यारे नन्दोईया की कमर में , क्या जबरदस्त धक्का मारा उन्होंने,... और मैं पहले से तैयार थी, छुटकी इतना तेज उछली, ... पर मैंने अपनी पूरी देह का वजन उसके ऊपर डाल रखा था, जैसे कोई बछिया खूंटा छुडाके भागने की कोशिश करे , कोई मछली जाल से पूरी ताकत से उछल के वापस नदी में जाने की कोशिश करे,

पर न बछिया खूंटा छुड़ा के भाग पाती है , मछली बच पाती है,


न छुटकी बची,...

मैंने खुद नन्दोई जी का मोटा खूंटा पकड़ रखा था और उसे अपनी बहन की गाँड़ में ठेल रही थी, सलहज का इशारा नन्दोई न समझे , अबकी पहली बार से ही ज्यादा जोर से नन्दोई जी ने धक्का मारा , और पूरा तो नहीं लेकिन आधा सुपाड़ा उस कसी गाँड़ में अटक गया।




इतना अच्छा लग रहा था बता नहीं सकती, नन्दोई जी का लाल टमाटर ऐसा खूब मोटा फूला सुपाड़ा, आधे से ज्यादा छुटकी बहिनिया की गाँड़ में अटका धंसा, बस मैंने झुक के जो सुपाड़े का हिस्सा बाहर निकला था, उसे मारे ख़ुशी के चूम लिया,

थोड़ी देर तक मैं जीभ से अपनी लपर लपर उसे चाटती रही, जिस जगह सुपाड़ा बाकी लंड से जुड़ता है, वहां जो चमड़ा रहता है , उसे जीभ से सहलाती रही , फिर कभी एक हाथ से नन्दोई के बॉल्स को सहला देती तो कभी लंड जड़ से जहाँ तक गांड में घुसा था, धीरे धीरे चाटती।



नन्दोई मेरे गाँड़ मारने में पूरे उस्ताद थे, ... चोदने और गाँड़ मारने का अंतर् उन्हें अच्छी तरह मालूम था ,




चूत में जहाँ सुपाड़ा घुसा उसके बाद तो कस के पेल के , धक्के पर धक्का,... लेकिन गाँड़ में बस एक बार सुपाड़ा अटक जाए, जिसकी मारी जा रही है वो झटका दे के उसे निकाल न पाए , बस मारने वाला थोड़ी देर उसे उसी तरह छोड़ देता है, ... जिससे गाँड़ धीरे धीरे फ़ैल जाए, उसे उस मोटे सुपाड़े की आदत पड़ जाए, मसल्स थोड़ी ढीली हो जाए ,

बस कुछ रुक के अगला धक्का, दूसरी बात बजाय बार बार अंदर बाहर करने के शुरू में बस खाली पुश, पूरी ताकत से पुश , और एक बार गाँड़ का छल्ला पार हो जाए,...

लेकिन अब टाइम आ गया था,... पर सब बड़ी बात होती है की जिसकी मारी जाती है वो कहीं मारे डर के गांड़ लंड पर भींच न ले , किसी तरह वहां से ध्यान हटे,...

और नन्दोई का काम उसकी सलहज नहीं कराएगी तो कौन करायेगा, बस मैंने छुटकी की चूत कस कस के चूसनी शुरू की, और जब वो झड़ने के करीब आयी तो बस अंगूठे और तर्जनी से कस के उसकी क्लिट कस के पिंच कर दी,




और दूसरे हाथ से नन्दोई का खूंटा कस के पुश किया, इतना इशारा काफी था और नन्दोई ने वो जबरदंग धक्का मारा अबकी पूरा सुपाड़ा छुटकी की गाँड़ के अंदर था,... क्लिट में हो रहे दर्द के चक्कर में वो पिछवाड़े का दर्द एकदम भूल गयी थी और उसी का फायदा उठा के नन्दोई ने छक्का मार दिया , अब वो गांड भींच के भी क्या करती सुपाड़ा तो पूरा अंदर था।



लेकिन दर्द तो उसे हो ही रहा था , वो सिसक रही थी, कराह रही थी, बीच बीच में चीख भी रही थी, मैंने अपनी बुर से उसके मुंह को बंद करने की कोशिश की तो मेरी ननद ने इशारे से मना कर दिया ,


मेरी ननद तो यही चीख पुकार सुनना चाहती थीं, बल्कि गाँव भर को मालूम हो जाए की आज मेरी बहिनिया की अच्छी तरह ली गयी , उन्होंने खिड़कियां भी खोल दी,...

उईईई उईईईईई छुटकी चीख रही थी, चिल्ला रही थी , बिलख रही थी ,




पर अब जब आधा लंड गाँड़ में घुस चुका हो तो बिना गाँड़ मारे कौन छोड़ता , और नन्दोई तो बचपन के अपने साले की तरह पिछवाड़े के शौक़ीन,... और जब जिसकी मारी जाए, वो कच्ची अमिया वाली , गाँड़ एकदम कसी सिर्फ एक बार मूसल चला हो ,

और नन्दोई का हल नहीं ट्रैक्टर था,

मुझसे ज्यादा कौन जानता था , इत्ती बार ( शादी के तीसरे चौथे दिन से तो , रोज बिना नागा मेरी मारी जाती थी ) इनसे गाँड़ मरवाने के बाद भी जब चार दिन पहले ही तो, होली में नन्दोई ने गाँड़ मेरी मारी थी, ...बस जान नहीं निकली थी, ... लम्बा तो इन्ही का ज्यादा होगा , पर मोटा नन्दोई जी का ही , और जिस तरह से दरेरते, रगड़ते धकेलते थे , मजा भी खूब आता था लेकिन आँख में आंसू छलक जाते थे,हो

और ये तो नई बछेड़ी थी, आम के बाग़ में थोड़ी बहुत चीख पुकार मची भी होगी तो सिर्फ नैना ननदिया ने सुना था और तुरंत ही तो उसके जीजा ने अपना मूसल उसके मुंह में ठेल दिया था हलक तक,... अब दरद चाहे जितना हो , गाँड़ फट के चीथड़े चीथड़े हो जाए , वो एक आवाज नहीं निकाल पा रही थी , पर अभी तो


जोर जोर से चोकर रही थी, रो रही थी दुहाई दे रही थी , पर जब गाँड़ फटती है न तो बचाने वाला कोई नहीं होता,...
और चिढ़ाने मज़ाक उड़ाने वाले बहुत ,

यहाँ तो मेरी ननद ही थी , चिढ़ाने मज़ा लेने में , भौजाई की छोटी बहन की मारी जा रही हो , सबके सामने , मारने, फाड़ने वाला उसका अपना मर्द हो तो कौन ननद ये मौका छोड़ती ,...

" अरे भौजी क छुटकी बहिनिया , चीख लो , चिल्ला लो ,... पूरे गाँव में सुनाई पड़ रही होगी ,... और पूरे गाँव वाले मेरे सब भाई तेरे जीजू लगेंगे, और ये छोटी छोटी गाँड़ जो मटका के चलती है न , महीने भर में तेरी माँ के भोंसडे से चौड़ा तेरी गाँड़ का छेद हो जाएगा ,... "




छुटकी कुछ भी कहने सुनने की हालत में नहीं थी , सिर्फ चीख चिल्ला रही थी और ननद के साथ अगर किसी और पे उसका असर हुआ तो वो मेरे नन्दोई थे जो हर चीख के साथ दूनी ताकत से धक्के मार रहे थे ,

सास मेरी बोल तो नहीं रही थीं , लेकिन कच्ची कली की गाँड़ फाड़ी जाती देख के उन्हें भी बहुत मजा आ रहा था,.. उनकी आँखे उस की कच्ची गाँड़ के छेद पे चिपकी थीं ,




नन्दोई अब धीमे धीमे ठेल रहे थे , एक बार उसकी गाँड़ तो मार ही चुके थे और उन्होंने खुद मेरे साजन से कबूल किया था की उन्होंने दर्जनों कच्ची गांड खोली थी, लेकिन अबतक की ये सबसे कसी थी।


मैं अपनी छुटकी बहिनिया की कस कस के चूस रही थी, पर वो जैसे झड़ने के किनारे आती मैं रुक जाती दो चार बार ऐसे ही तड़पाया मैंने उसे , फिर एक बार जब वो किनारे पर आयी, मैंने कस के उसकी क्लिट को चूसना शुरू कर दिया और दो ऊँगली एक साथ जड़ तक उसकी चूत में पूरी ताकत से पेल दी , मोड़ के , बस वो झड़ने लगी





पर मैं अबकी इत्ती आसानी से नहीं छोड़ने वाली थी, मेरी मुड़ी उँगलियों के नकल ने उसकी बिल के अंदर उसके जी प्वाइंट ढूंढ लिया था, बस मैं वहीँ बार बार रगड़ रही थी , साथ में मेरी जीभ मेरे होंठ उसके क्लिट पर, एक बार उसका झड़ना रुकता उसके पहले वो दूसरी बार झड़ना शुरू कर देती ,
और मौके का फायदा उठा के नन्दोई जी ने अपना बांस पूरा ठेल दिया गांड का छल्ला पार हो गया।



अब मैं रुक गयी और नन्दोई जी पूरी ताकत से और पूरी स्पीड से चालू गए, जैसे कोई धुनिया रुई धुनें उस तरह छुटकी की गाँड़ मारी जा रही थी,... जैसे इंजिन का पिस्टन अंदर बाहर हो उसी तरह ननदोई जी का लंड मेरी बहन की गाँड़ में,...


आठ दस मिनट तक ,

छुटकी रो रही थी , चीख रही थी अपने हाथ पटक रही थी , पर जितना वो तड़पती उतना ही नन्दोई जी और कस कस के,...


तभी मैंने देखा की मेरे साजन भी, उन्हें मैं क्यों बख्शती , उनकी भी शार्ट उतर गयी , ननदोई का खूंटा मेरी छोटी बहन की गाँड़ में और ननदोई के साले का खूंटा नन्दोई की सलहज के मुंह में
,...
I like likes but comments i love ,and hanker for
Jabar dast. Jaan nikal di komalji
 

Shetan

Well-Known Member
15,113
40,664
259
भाग २२


रात बाकी




और अब न उनसे रहा गया, न मुझसे क्या मस्त गाँड़ मरौव्वल हुयी मेरी, लेकिन मैं भी , दस पांच धक्के वो मारते, तो एक दो मैं भी,... कभी लंड पकड़ के गाँड़ में मेरा साजन गोल गोल घुमाता था, कभी हौले से पूरा मूसल बाहर निकाल के पूरी ताकत से वो धक्का मारते की बगल के कमरे में मेरी ननद को तो सुनाई ही पड़ता , सासू जी के कमरे में ,सासू जी और छुटकी बहिनिया को भी,...


एक बार तो अभी मेरी छुटकी बहिनिया की गाँड़ में वो झड़े ही थे , तो सेकेण्ड राउंड में टाइम तो लगना ही था, पूरे आधे घंटे,.... नान स्टॉप तूफ़ान मेल मात और जब झड़ना शुरू हुए तो बस, जैसे गर्मी के बाद सावन भादो में बादल बरसे, सूखी धरती की तरह मैं रोप रही थी , और गिरना ख़तम होने की बाद भी बड़ी देर तक मैं वैसे निहुरी रही और वो मेरे अंदर धंसे, ... और उसी तरह मुझे उठा के पलंग पर,




बड़ी देर तक बिना बोले हम दोनों एक दूसरे से चिपके रहे, लेकिन फिर शुरुआत भी मैंने की , बस छोटे छोटे चुम्मे, उनके चेहरे पर , ईयर लोब्स पर, ... उँगलियों से उनकी छाती सहलाती रही,

वो बस ललचायी नज़रों से मुझे देखते रहे,

बाहर रात झर रही थी, चन्द्रमा पश्चिम की ओर जल्दी जल्दी डग भर रहा था, ...



कुछ देर तक तो मेरी लम्बी गोरी उँगलियाँ, उनके मेल टिट्स की परिक्रमा करती रहीं, मैं समझ रही थी, उनके मन में क्या चल रहा होगा। वो सोच रहे थे की अब मेरे लम्बे नेल्स उनके मेल टिट्स को स्क्रैच करेंगे, पिंच करेंगे, उनके टिट्स उतने ही सेंसिटिव थे जित्ते मेरे निप्स। लेकिन कई बार तड़पाने का मज़ा ही कुछ और है, मैंने जस्ट ऊँगली से उनके टिट्स को ब्रश किया फिर उँगलियाँ नीचे की ओर बढ़ गयीं,...

और दूसरा मेरा फेवरिट अड्डा उनकी देह पर , ( उनकी असल में थोड़ी थी , अब तो वो मेरी हो गयी थी, इसलिए तो मेरी मर्जी मैं चाहे जिसपर उसे चढ़ाऊँ, उनकी माँ बहन ) उनकी नेवल,...और वहीँ मैं ठहर गयी. उनके उस लम्बे मोटू के अलावा कम से कम १५ इरोजेनिक प्वाइंट्स उनकी देह पर मैं जानती थीं, बस जहाँ थोड़ी सी शरारत, और झंडा उनका फहराने लगता था.




नेवल भी,... तो कुछ देर नाभि परिक्रमा के बाद मेरी एक ऊँगली हलके से सरक कर उस कूप में ( असल में मेरे बूब्स और हिप्स के साथ मेरे नेवल उन्हें भी पागल करते थे तो मेरे खूब टाइट डीप लो कट ब्लाउज तो मेरे बूब्स ख़तम होने के पहले ही ख़तम हो जाते थे, और साड़ी मैं एकदम कूल्हों पर बांधती थी, नाप के नाभि से कम से कम ८ अंगुल नीचे, तो गोरे पान से चिकने पेट पर, मेरे नेवल हरदम बवाल मचाते रहते थे ).



दूसरा हाथ बहुत हलके हलके उनकी जांघ पर सरक रहा था, मेरी अनावृत गोरी गोरी गोलाइयाँ, उनकी देह को कभी सहला देतीं तो कभी बस एक अंगुल की दूरी पे ,




मेरे होंठ उनके कानों के लोब्स पर,


हम दोनों में यह अलिखित संधि थी, दूसरे राउंड की शुरुआत मैं करुँगी,...

क्या होना है वो भी मैं ही , हाँ एक बार कुश्ती शुरू हो गयी तो उसके बाद कोई नियम कानून नहीं ,

और मेरी मर्जी भी पहले दिन से ही यही थी की अब इस जिंदगी में सिर्फ इस लड़के की मर्जी चले.

वो तड़प रहे थे, झंडा एकदम खड़ा,... मोटा बदमाश सुपाड़ा, जिसने अभी कुछ दूर पहले मेरी छोटी बहिनिया की गांड फाड़ के रख दी थी,... एकदम खुला,... मेरी जीभ का बहुत मन कर रहा था लेकिन उसे डांट के मैंने मना किया, आज मेरी प्लानिंग कुछ और थी, और,... थोड़ी देर में ही मेरी दोनों हाथों की उंगलिया ,... एक तो उनकी नेवेल से दक्षिण की यात्रा कर के , और दूसरी जाँघों से ऊपर सरक के, उस कुतबमीनार के बेस पर बस सुरसुरी कभी अंगूठे और तर्जनी से पकड़ के हलके हलके दबा देती तो कभी सरकते हुए उस मोटी लम्बी मीनार के ऊपरी हिस्से तक,...





नहीं नहीं मैं मुठिया नहीं रही थी, उसे दबा भी नहीं रही थी , बस हलके हलके , जैसे कोई किसी पंख से उसे सहलाये, हाँ बदमाश उँगलियाँ मेरे बस में तो हरदम रहती नहीं, तो उस चर्मदण्ड के पीछे की ओर, मेरा कोई नाख़ून हलके से स्क्रैच भी कर दे रहा था, और वो चीख उठते,


वो कौन सा मेरी चीखों का ख्याल करते थे जो मैं करूँ, और अब मेरी जीभ भी कभी उनके कानों में गुनगुनाती, कभी उनके चिकने गोरे गालों को बस सहला देती ,...



बेचारे उनकी हालत बहुत ख़राब थी,...

पर मेरी हालत कम खराब थी,

पिछवाड़े तो आज खूब मजा आया, पहले नन्दोई जी ने हचक के मारी, और फिर उस नन्दोई के साले ने,...


लेकिन मेरी रामपियारी अभी भी आठ आठ आंसू रो रही थी,



आज किसी ने उसे हाथ भी नहीं लगाया था, और तो उसे बस वो मोटा मूसल चाहिए था, ... इसलिए मैंने सोचा बहुत हो गया चोर सिपाही का खेल , और मैं सीधे उनके ऊपर चढ़ गयी,...

वो कहते हैं न आज कल आत्मनिर्भर,... तो बस वही,... लेकिन इस लड़के को तड़पाने का मजा अलग है, थोड़ी देर तक तो मेरी गुलाबो उसके तड़पते बौराए पगलाए मोटे सुपाडे पर रगड़ती रही,... फिर जैसे कोई दया कर के जरा सा दरवाजा खोल दे दोनों फांके खुलीं , थोड़ा सा सुपाड़ा घुसा और दरवाजा फिर बंद,...
Chhutki ki bahaniya. Chahe nandoi aae. Chahe chhutki ke jija.
IMG-20221120-150306
IMG-20221120-150327
IMG-20221120-150213
IMG-20221120-145147

IMG-20221120-173333
IMG-20221120-173312
To kya hamari chhutki kam he kya. Aa jae koi bhi ho medan me
IMG-20221120-145129
 

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259
Chhutki to chhutki badi bahen ke pichhvade ke deewane he nandoi ji.
IMG-20221120-144059

IMG-20221120-142329
IMG-20221120-142313
Thanks soooooooooooooooo much, last post me Last pic courtesy aap ki hi hai, thanks again for such nice pics
 

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259
Jabar dast. Jaan nikal di komalji
Bahoot bahoot thanks, such words from a gifted and talented writer like you make me really happy,... i am so thrilled.
 

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259
UPDATE is on the last page Page 178


भाग ३२ - इन्सेस्ट गाथा अरविन्द और गीता,

सुबह सबेरे

2. नया दिन, नयी बात, नए रिश्ते

3. बारिश में भैया प्यारा लगे

4.ऊपर चढ़ा भैया, लुटे मजा सावन का,

बहिन के जोबन का

5. " हे देगी "



Please read, enjoy, like and share your comments
 

Shetan

Well-Known Member
15,113
40,664
259
Thanks soooooooooooooooo much, last post me Last pic courtesy aap ki hi hai, thanks again for such nice pics
Free hoti hu to or dhudhungi kuchh chatpata sa
 

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259
Free hoti hu to or dhudhungi kuchh chatpata sa
abhi aap ne jitta de diya hai usi se kuch din kaam chal jaayega, han kahani padh ke us pe like aur comment bhi kariyega thanks in advance
 

veerpal

I don't have dirty mind but have sexy imagination.
55
52
18
Nat mastak
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,459
8,078
158
भाग ३२ - इन्सेस्ट गाथा अरविन्द और गीता,



image upload

सुबह सबेरे



image upload


आलमोस्ट पूरा लंड बाहर और फिर रगड़ते दरेरते चूत फाड़ते पूरी ताकत से बहन की बच्चेदानी पे जबरदस्त चोट मारता और बहन काँप जाती, कुछ दर्द से लेकिन ज्यादा मजे से,... दस पंद्रह मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद जब गीता झड़ी तो साथ साथ उसका भाई अरविन्द भी उसकी चूत में

.दोनों थोड़ी देर में ही नींद में गोते लगा रहा थे, देस दुनिया से बेखबर। और भाई बहन तीन बार के मिलन के बाद खूब गहरी नींद,..


image upload


गीता की नींद थोड़ी देर में खुली, तो उसने देखा की वो करवट लेटी थी थी, भइया उसके पीछे से उसे पकडे ,एक हाथ उसके उभार पे , थोड़ा सरक के नीचे,... गीता ने भैया का हाथ ठीक कर के एक बार फिर से उभार पर,... 'वो' भी पीछे से उसकी दरार में चिपका,... हलके से वो मुस्करायी , और खुद ही अपने को पीछे से सरका के और चिपका लिया , भैया से ,...

और फिर सो गयी,...


और जब उसकी नींद खुली , आँखे उसने तब भी नहीं खोली थी,... पीछे से ही ' वो ' अंदर से दरार में घुसने की कोशिश कर रहा , खूब मोटा तगड़ा , पूरा जगा,... गीता ने अपनी टांग को और उठा लिया , बस उसे मौका मिल गया और हलके हलके धक्के , ... अब बहन भी ,...जैसे दो सखियाँ सावन में झूले की पेंगे दे रही हों ,... बारी बारी से ,... बस हलके हलके ,..,



image upload

तीन बार की मलाई अंदर अंदर ,... बहुत देर तक ,... और भैया बहन दोनों साथ साथ ही ,... और एक बार फिर से दोनों नींद में ,...


बहना बस यही मना रही थी आज सूरज खूब देर से निकले , रात खूब लम्बी हो ,...

पर सुबह हुयी और नींद गीता की ही पहले खुली भैया ने अभी भी पीछे से उसको पकड़ रखा था , बहुत हलके से वो हटी ,... बादल खूब थे , एक बार फिर बूंदे शुरू हो गयीं थी लेकिन आवाजों से पता चल रहा था सुबह हो गयी थी ,... गाय दुहने वाली आ गयी थीं, ग्वालिन भौजी।



image upload

वो सम्हल के बिस्तर से उतरी, पलंग के नीचे उसकी समीज मुड़ी तुड़ी पड़ी थी ,... अब अपने को इस हालत में देख के एक पल के लिए वो शर्मा गयी और समीज पहन लिया , और उसी के ऊपर भैया की जांघिया ,... मुड़ के उसने देखा। ..

कित्ता प्यारा लग रहा था , भैया और भैया का ' वो ' सोते समय इत्ता सीधा और जागते ही ,... लेकिन वो मुस्करायी,

उस समय भी तो प्यारा ही लगता था था ,... भैया के जांघिए को भी उसने शरारत से उठा लिया ,... और अपने साथ बरामदे में ला के वहीँ टांग दिया और खुद रसोई में ,...



और थोड़ी देर में चाय बना के भैया के पास ,... उठो न भैया ,...सुबह हो गयी है कब तक सोओगे,...



image upload

वो ऐसे बोल रही थी जैसे रात में कुछ हुआ ही न हो,...

पर उठते ही भैया ने खींच के अपनी गोद में बिठा लिया और जो चाय वो पी रही थी यही प्याला , जहाँ उसके होंठ लगे थे , वहीँ होठ लगा के पी गया,.... समीज एक बार फिर सिकुड़ मिकुड के ऊपर ,

दोनों उभार बाहर ,...


image upload

और कभी वहां हाथ कभी होंठ , ...


image upload

वो कौन कम थी, ... अपने छोटे छोटे चूतड़ों से भैया के मूसल को रगड़ रही थी, अब उसे डर नहीं लगता था प्यार आता था , रात में तीन बार घोंट चुकी थी , जड़ तक , और उसके बाद एक बार सुबह सबेरे भी आधे सोते आधे जागे, कुल चार बार रबड़ी मलाई खा चुकी थी भैया की , अब तक उसके जाँघों में लिथड़ी थी,...


image upload
Khubsurat Raat k baad romantic subah......bahanchod 1 baar to nind m hi pel diya..... kya jabardast chudayi huyi h .... dono bhai bahan ki......



Bhut lajawaab bhabhibji
 
Top