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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९८

अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, मजे ले, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
Last edited:

Shetan

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ye saari stories alag alag hai .

Maja Loota Holi men ek alag kahani hai jo sajan Chale sasaural ke sequence me thi . par alag se bhi holi ke liye majedaar hai.

Maja Pahli Holi ka sasuraal men ka sequel yahi story yaani Chhutaki-Holi Didi ki sasural men .

Shadi Shugaraat aur Honeymoon ek ekdam alag kahani hai .
Me bhi yahi galti kar rahi thi.
 

Shetan

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आग देह की, भाई बहन की


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लेकिन तब तक उसे मुट्ठ मारते अपने भैया की बुदबुदाने की आवाज आयी,

" गीता दे दे न, यार बहुत मन कर रहा है , आराम से लूंगा तेरी, ओह्ह कित्ता मजा आएगा तेरी लेने में, प्लीज गीता बस एक बार अपनी कोरी मटकी का रस ले लेने दे, एक बार मिल जाए न मेरी बहना ऐसा पेलूँगा, ऐसा पेलूँगा,... "

" ओह्ह तो पेलता क्यों नहीं, भैया, कैसे भाई हो बहन की चूत में आग लगी है और इत्ता मोटा लम्बा लेके और, ... बहन पियासी बैठी है , सच में भइया एकदम मना नहीं करुँगी, मैं तो खुद अपनी टाँगे फैला दूंगी, बस एक बार भैया,... ओह्ह उफ़ "


गीता दरवाजे के बाहर अपनी जाँघों के बीच हथेली से रगड़ते हुए, अपने भैया, अरविन्द को अपना मोटा लम्बा लंड मसलते देख के वो भी पिघल रही थी।अंदर उसके भैया ने अपने लम्बे तगड़े लंड पे मुट्ठ मारने की रफ्तार बढ़ा दी थी. उधर बहन अपनी कोरी कुँवारी चूत मसल रही थी।

वो जोर जोर से मुठ मार रहा था,... इतना मोटा ,


एक मिनट के लिए गीता भी , कैसे घुसेगा उसके छेद में तो ऊँगली भी नहीं घुस पाती।


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फिर उसे उसकी बुआ की बात याद आ गयी ,

माँ के सामने ही उसे चिढ़ा रही थीं , " हे कुछ यार वार पाले की नहीं , खेत अभी जुता की नहीं,... "



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माँ बजाय बुरा मानने के हँसते हुए गीता से ही बोलीं ,

" अरे तेरी उमर की थीं बल्कि साल भर पहले ही तेरे चाचा पापा सब चढ़ चुके थे इनके ऊपर सीधी बहुत थीं तो किसी को भी मना नहीं करती ,... "

और बुआ भी अपनी भाभी की बात का जवाब देते गीता से बोलीं,

" अरे गितवा , बनाने वाले ने छेद बनाया है लम्बा मोटा घोंटने के लिए की मना करने के लिए, और ये भी समझ लो की जो औरत लड़की बहुत चिल्लाये की बहुत मोटा है नहीं जा पायेगा , तो समझ लो वो बचपन की छिनार है अपने घर का कोई मरद नहीं छोड़े होगी,... सोचो जिस बुर से इतने मोटे मोटे बच्चे निकलते हैं ,... तो कोई मोटा से मोटा लंड तो उससे पतला ही होगा न, ये सिर्फ छिनरपना है, मोटे से मोटा लंड आराम से जाते है बस मरद चुदवैया होना चहिये। “



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उसकी माँ ने भी गीता से अपनी ननद की बात की ताकीद की गीता से,

" ये बात तो गितवा तोर बुआ एकदम सही कह रही हैं, लम्बा से लम्बा और मोटा से मोटा,... थोड़ी चीख चिल्हट होती है लेकिन अगर कउनो लड़की या औरत कहे न ले सकती तो समझो छिनरा है, स्साली नौटंकी कर रही है अपना दाम बढ़ा रही है। "



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पर वो भौजाई कौन जो ननद को बिना रगड़े छोड़ दे भले सामने अपनी बेटी बैठी हो, और बेटी के जब एक बार जाँघों के बीच खून खराबा शुरू हो जाए तो वो भी सहेली हो जाती है, ... तो एक बार फिर बुआ को इशारा करके गीता से ही कहा,...

" लेकिन तोहार बुआ, तोहसे कम उमर में तोहरा बाबू जी चाचा को भी ना,... लेकिन उन दोनों लोगो की गलती नहीं थी जोबन ऐसा जबरदस्त आया था, हमरे और तोहरी चाची के आवे के पहले दोनों दोनों जनि को, एकदम सिखाय पढ़ाय के पक्का,... लेकिन ये पूछ अपनी बुआ से पहले इशारे बाजी कौन किया ये की इनके भैया,... "

गीता के कुछ पूछने के पहले ही बुआ बोल पड़ीं, लेकिन एक बार फिर बात गीता के जरिये ही

" गितवा तनी अपनी महतारी से पूछ जउन गौने क रात इनकी रगड़ाई हुयी,... चार दिन तक टांग छितराय के टहल रही थीं, अगर सिखाये पढ़ाये न होते तो कहीं अगवाड़े के जगह पिछवाड़े ठेल दिए होते तो का हालत होती,... बकी जो लम्बा मोटा वाली बात तो मैं तो है कहूंगी की बस मरद चुदवैया हो, तो बिन चोदे, बिन बच्चेदानी तक लंड पेले वो छोड़ेगा नहीं भले बुर का चाहे भरता बने चाहे चटनी। "





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" चुदवैया तो उसके भैया हैं ही " गीता ने सोचा और उसकी आँखे बस मुट्ठ मारते,...

कम से बारह चौदह मिनट के बाद और जब निकलना शुरू हुआ तो भी देर तक, कटोरी भर तो रहा हो होगा ,...

खूब गाढ़ा पहली बात उसने मरद का मूसल देखा था और मूसल से निकालता पानी,उसकी सहेलियां तो रोज ही किस्से सुनाती थीं , भैया के मोबाइल में फिल्मे भी लेकिन भैया का तो उन फिल्म वालों से भी ज्यादा लम्बा और मोटा था,...

गीता की हालत खराब थी , मोबाइल उसने पलंग पे जहाँ जैसे रखा था और वो बाहर निकल गयी , पानी पिया , पानी का छिट्टा चेहरे पर मारा, माँ किसी के साथ गप्प मार रही थीं , उन पड़ोसन के पास बैठी।

एक दो दिन ऐसे ही चला , फिर गीता ने खुद , उसे बदमाशी सूझी।
Ab bhauji hi kuchh kare to hoga. Nahi to dewar to ghonchu he ji nandiya bhi sali natakbaj he
 

Rajizexy

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भाग ३२ - इन्सेस्ट गाथा अरविन्द और गीता,



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सुबह सबेरे



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आलमोस्ट पूरा लंड बाहर और फिर रगड़ते दरेरते चूत फाड़ते पूरी ताकत से बहन की बच्चेदानी पे जबरदस्त चोट मारता और बहन काँप जाती, कुछ दर्द से लेकिन ज्यादा मजे से,... दस पंद्रह मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद जब गीता झड़ी तो साथ साथ उसका भाई अरविन्द भी उसकी चूत में

.दोनों थोड़ी देर में ही नींद में गोते लगा रहा थे, देस दुनिया से बेखबर। और भाई बहन तीन बार के मिलन के बाद खूब गहरी नींद,..


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गीता की नींद थोड़ी देर में खुली, तो उसने देखा की वो करवट लेटी थी थी, भइया उसके पीछे से उसे पकडे ,एक हाथ उसके उभार पे , थोड़ा सरक के नीचे,... गीता ने भैया का हाथ ठीक कर के एक बार फिर से उभार पर,... 'वो' भी पीछे से उसकी दरार में चिपका,... हलके से वो मुस्करायी , और खुद ही अपने को पीछे से सरका के और चिपका लिया , भैया से ,...

और फिर सो गयी,...


और जब उसकी नींद खुली , आँखे उसने तब भी नहीं खोली थी,... पीछे से ही ' वो ' अंदर से दरार में घुसने की कोशिश कर रहा , खूब मोटा तगड़ा , पूरा जगा,... गीता ने अपनी टांग को और उठा लिया , बस उसे मौका मिल गया और हलके हलके धक्के , ... अब बहन भी ,...जैसे दो सखियाँ सावन में झूले की पेंगे दे रही हों ,... बारी बारी से ,... बस हलके हलके ,..,



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तीन बार की मलाई अंदर अंदर ,... बहुत देर तक ,... और भैया बहन दोनों साथ साथ ही ,... और एक बार फिर से दोनों नींद में ,...


बहना बस यही मना रही थी आज सूरज खूब देर से निकले , रात खूब लम्बी हो ,...

पर सुबह हुयी और नींद गीता की ही पहले खुली भैया ने अभी भी पीछे से उसको पकड़ रखा था , बहुत हलके से वो हटी ,... बादल खूब थे , एक बार फिर बूंदे शुरू हो गयीं थी लेकिन आवाजों से पता चल रहा था सुबह हो गयी थी ,... गाय दुहने वाली आ गयी थीं, ग्वालिन भौजी।



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वो सम्हल के बिस्तर से उतरी, पलंग के नीचे उसकी समीज मुड़ी तुड़ी पड़ी थी ,... अब अपने को इस हालत में देख के एक पल के लिए वो शर्मा गयी और समीज पहन लिया , और उसी के ऊपर भैया की जांघिया ,... मुड़ के उसने देखा। ..

कित्ता प्यारा लग रहा था , भैया और भैया का ' वो ' सोते समय इत्ता सीधा और जागते ही ,... लेकिन वो मुस्करायी,

उस समय भी तो प्यारा ही लगता था था ,... भैया के जांघिए को भी उसने शरारत से उठा लिया ,... और अपने साथ बरामदे में ला के वहीँ टांग दिया और खुद रसोई में ,...



और थोड़ी देर में चाय बना के भैया के पास ,... उठो न भैया ,...सुबह हो गयी है कब तक सोओगे,...



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वो ऐसे बोल रही थी जैसे रात में कुछ हुआ ही न हो,...

पर उठते ही भैया ने खींच के अपनी गोद में बिठा लिया और जो चाय वो पी रही थी यही प्याला , जहाँ उसके होंठ लगे थे , वहीँ होठ लगा के पी गया,.... समीज एक बार फिर सिकुड़ मिकुड के ऊपर ,

दोनों उभार बाहर ,...


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और कभी वहां हाथ कभी होंठ , ...


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वो कौन कम थी, ... अपने छोटे छोटे चूतड़ों से भैया के मूसल को रगड़ रही थी, अब उसे डर नहीं लगता था प्यार आता था , रात में तीन बार घोंट चुकी थी , जड़ तक , और उसके बाद एक बार सुबह सबेरे भी आधे सोते आधे जागे, कुल चार बार रबड़ी मलाई खा चुकी थी भैया की , अब तक उसके जाँघों में लिथड़ी थी,...


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Awesome, gazab,sexy nd what not.Your the best update I have read after "Nanad ki training ".👌👌👌💯💯💯⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
 

Shetan

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ब्रा में मलाई



रोज यही दो चार दिन चला ,... लेकिन एक दिन वो पकड़ी गयी,...


पिचकारी से मलाई निकलने तक वो दरवाजे से चिपकी रही पर उस दिन उस के स्कूल में छुट्टी थी और उसे लगा की भैया के निकलने में थोड़ा टाइम लगेगा, माँ भी कहीं गयी थी थी तो बिस्तर पर अधलेटी एक बार फिर वही पिक्चर देखने लगी जिसमें एक लड़की जमीन पर बैठकर एक लड़के का चूस रही थी,...





उसके मुंह से बेसाख्ता निकल गया, मेरे भैया का इससे अच्छा है,... लेकिन तभी भैया बाथरूम से बाहर निकल आये और देखते ही सीधे बिस्तर पर उससे मोबाइल छीनने की कोशिश करने लगे और वो उनसे बचने की , मोबाइल छिपाने


बिस्तर पर बचपन में भी दोनों ऐसी ही धींगामस्ती किया करते थे,... पर अब अब दोनों बड़े हो गए थे,... उसके भैया ने कस के उसे दबोच लिया, और हड़काया,

" तू फिर मेरा मोबाइल देख रखी है, कित्ती बार मना किया है,... बहुत मारूंगा बोला था न पहले भी अगर तुझे फिर मेरा मोबाइल छूते देख लिया। "




" तो मार ले न , मैंने मोबाइल छू लिया , खोल भी लिया डरती हूँ क्या "




खिलखिलाते हुए गीता बोली और अपने भैया के सीने में कस के चिपक गयी। बिना ब्रा के ढक्कन के दोनों रुई के फाहे ऐसे आते हुए उरोज उसके भैया के सीने से रगड़ खाने लगे और शेर जगने लगा। और भइया के मुंह से निकल गया,

" मार लूँ "

" मार लो,... मैं मना नहीं करुँगी "

अब अपने दोनों कच्ची अमिया भैया के सीने से रगड़ते हुए बोली , वो जान रही थी पहल उसे ही करनी पड़ेगी , मूसल उसका चाहे जैसा मस्त हो सब लड़कों की तरह वो भी झिझक रहा है

और दोनों जान रहे थे किस मारने मरवाने की बात हो रही थी।


" मैं बहुत जोर जोर से मारता हु "

" खाली बोलते हो,... मैं डरती नहीं हूँ बचपन से तेरी मार खाती आ रही हूँ " सीने से चिपके चिपके वो बोली।



" बहुत दर्द होगा " उसने डराया।

" होने दो , मुझे होगा न , तुझे नहीं कहूँगी "

" खून खच्चर भी होगा,... "

" तो होने दो न , मुझे सब मालूम है बच्ची नहीं हूँ अब "



" माँ से शिकायत तो नहीं करेगी "

" तू न भैया डरता बहुत है, अरे भाई बहन के बीच माँ का क्या काम, मैं लड़की होके नहीं डर रही हूँ और तू,... "

गहरी गहरी साँसे लेते हुए अपने छोटे छोटे टिकोरे भैया के सीने पर रगड़ती वो बोली। फिर खुद इसरार किया,

मारो न भैया सच्ची मैं किसी से किस्सी से भी नहीं कहूँगी।

और तब तक बाहर से दरवाजे के खुलने की माँ के आने की आवाज आयी , दोनों छिटक के दूर हट गए,

मोबाइल अभी भी गीता के हाथ में था उसकी आँखों में चमक आ गयी और भैया को ललचाते हुए बोली ,

" लेना है ले ले , ... और मोबाइल अपने टॉप के अंदर की दो बटन खोलके सीधे अंदर दोनों गोलाइयों के बीच की गहराई में ,

एक पल के लिए उसके भाई की लगा जैसे पागल हो जाएगा , खूंटा पूरा खड़ा हो गया,...

" ले न अपना मोबाइल , मैं देने को तैयार हूँ और तू,... "

अब गीता उसे चिढ़ा रही थी , उसकी निगाह भी सीधे खूंटे पर जमी,... और गीता ने अपने भाई का हाथ खींच के टॉप के अंदर,...


जैसे गरम तवे पर हाथ पड़ गया हो , छन्न छन् , बाथरूम के छेद से देख के ये हाल हो जाती और यहाँ,... फिर माँ के आने की आहट पा के झट से उसने अपना मोबाईल ले के हाथ निकाल लिया और दूर हट गया ,

माँ दरवाजा खोल के अंदर घुसी , गीता थोड़ी दूर खड़ी मुस्करा रही थी लेकिन हड़काये दोनों गए,

तुम दोनों बड़े हो गए हो लेकिन अभी भी झगड़ते रहते हो,...

" माँ इसने मेरा मोबाइल ले लिया था , मैंने पहले भी मना किया था लेकिन सुनती नहीं है " भैया ने तुरंत शिकायत लगाई,

" गलती सब तेरी है" माँ ने बेटे को हड़काया, ' बड़ी हो गयी है तो क्या तेरी तो छोटी बहन है , एक हाथ लगाता कस के,... तेरी मार के लिए भूखी है ये , एकदम ठीक हो जायेगी, जितना मर्जी हो मारो, जैसे जित्ती जोर से, मैं बीच में नहीं आउंगी। और ज्यादा रोये चीखे तो मुंह बंद कर देना उसका , अब बिना मरवाये इससे रहा नहीं जाता। और तुम बड़े भाई हो तेरा तो हक़ है "
"




और अब गीता का नंबर था

" आज तेरा स्कूल नहीं है तो खाली मोबाइल देखेगी , चल रसोई में मेरा हाथ बटा, सब काम फैला पड़ा है, ,,, "



गीता माँ के पीछे पीछे , पर जानबूझ के अपने भैया को दिखाते ललचाते चूतड़ मटका दिए, और एक पल के लिए मुड़ के जीभ मुंह से निकाल के चिढ़ा दिया।

दिन भर वो मौका आपके अपने भाई को चिढ़ाती रही, छेड़ती रही, उकसाती रही. कभी पीछे से उसको दबौच लेतीथोड़ा , बिना ढक्कन के अपने कच्चे टिकोरों को उसकी पीठ पे रगड़ते बोलती,...

" भैया, मारो न, सच्च में मैं किसी से नहीं कहूँगी,... " और पीछे से उसके कानो पर एक किस्सी ले लेती , जो कत्तई भाई बहिन वाली नहीं होती,...
Ye dewar ka kya hoga. Bada gand fattu he. Khel me nando me ise hi samil kar do. Nandiyo ke sath iski bhi nath utar jaegi
 
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Shetan

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" मार लो,... "




दिन भर वो मौका आपके अपने भाई को चिढ़ाती रही, छेड़ती रही, उकसाती रही. कभी पीछे से उसको दबौच लेती थोड़ा , बिना ढक्कन के अपने कच्चे टिकोरों को उसकी पीठ पे रगड़ते बोलती,...


" भैया, मारो न, सच्च में मैं किसी से नहीं कहूँगी,... "




और पीछे से उसके कानो पर एक किस्सी ले लेती , जो कत्तई भाई बहिन वाली नहीं होती,...



अगले दिन भी माँ कहीं पड़ोस में गयी थीं , और गीता का स्कूल भी था, नहा के, बिना ब्रा के सिर्फ सफ़ेद स्कूल टॉप और स्कर्ट में वो बाथरूम में,...


और भाई के बाथरूम में अंदर घुसते ही आज बजाय मोबाइल के, वो दरवाजे से चिपक गयी, थोड़ी देर में ही उसका भाई चालू था, उसकी २८ सी की टीन सफ़ेद ब्रा हाथ में लिए, पूरी तेजी से मुट्ठ मार रहा था , जितनी तेजी से उसका हाथ चल रहा था उतनी ही तेजी से उसकी छुटकी बहिनिया के छोटे छोटे कबूतर अपने भैया का मूसल सा लंड देखकर धड़क रहा था, ...


गीता ने एक पल घडी की ओर नजर डाली,... अभी स्कूल में टाइम था,...



और भाई का हाथ पूरी तेजी से चल रहा था, आँखे बंद थीं,




गीता की भी आँखे बंद हो गयीं बस उसे लग रहा था किसी तरह यह मोटा दोस्त उसकी सहेली के अंदर ,लम्बा कितना, भैया के मुट्ठी बंद करने के बाद भी आधे से ज्यादा मुट्ठी से बाहर, उसके तो बित्ते से बड़ा ही होगा और भैया की भी मुट्ठी में नहीं समा पा रहा था,... ओह्ह्ह कित्ता मज़ा आएगा, ... जब उसकी दोनों टाँगे उठा के भैया इसे पेलेगा उसकी कोरी बिल में



और जब उसकी आँखे खुलीं तो उसके भैया ने ब्रा के कप फिर एक बार अपने खुले सुपाडे , और थोड़ी देर में सफ़ेद दूध की धारा बह निकली, खूब गाढ़ी मलाई मार के, और की कटोरे के बाद दूसरे कटोरे को,... वो भी छलकने लगा,...

गीता खूब गरमा गयी थी , समझ में नहीं आ रहा था क्या करे,, दोनों जाँघों को एक दूसरे से रगड़ती रही , उसकी चड्ढी भी हलकी हलकी गीली हो गयी थी, 'वो ' खूब लसलसा गयी थी,

बाहर जा के उसने घड़े से एक ग्लास पानी पिया, थोड़ा पानी के छींटे अपने गोरे गोरे चेहरे पर मारा,... गाल पर छेड़ती लट को सीधा किया और वापस अपने कमरे में ,

भैयाअभी भी बाथरूम में था, उसने छेद से देखा बस वो निकलने वाला था और उसकी ब्रा के दोनों कप अभी भी रबड़ी मलाई से भरे,

पलंग पे वो आके बैठ गयी , उसे एक शरारत सूझी,... माँ अभी भी नही आयी थी और बाहर का दरवाजा अभी भी बंद था,...

" भैया, जल्दी निकलो , ... कित्ती देर से घुसे हो ,... "





और उसके भैया बाहर निकल आये, सिर्फ टॉवेल लपेटे, और बहन बाथरूम में अंदर,...

पहले तो दरवाजा उसने अंदर से बंद किया और उस छेद से पीठ सटा के खड़ी हो गयी , जिससे उसके भैया देखना चाहें तो भी न देख पाएं , अपना सफ़ेद स्कूल का टॉप उठा के हुक पे टांग दिया, और ब्रा उठा के अपने अनावृत नए आ रहे उरोजों पर, ...




ठंडा ठंडा ,गरम गरम , पूरे उभारों पर वो फ़ैल गया, लेकिन हाथ से कस के उन कप्स को उसने अपने कच्ची अमिया पर दबा रखा था जिससे बाहर ज्यादा न छलके सब रबड़ी मलाई वहीँ पे,... ,

पीछे हाथ उठा के उसने हुक बंद करने की कोशिश की , लेकिन एक हुक वो भी आधा बंद हुआ,... और वहीँ से उसने आवाज लगाई ,

" भैया आँखे बंद कर लो, मैं बाहर आ रही हूँ,... "

बाहर सिर्फ ब्रा और स्कर्ट पहने वो निकली,... सच में उसका भाई आँख बंद किये था,

मन ही मन उसने सोचा एकदम बुद्धू है, और उसकी ओर पीठ कर के खड़ी हो गयी,...

" भैया मुझसे अंगिया का हुक नहीं लग रहा है , बंद कर दो न , आँख मत खोलना लेकिन "

" पागल हो क्या, आँख बंद किये कैसे हुक बंद करूंगा,... " वो बोला।

तो ठीक है आँख खोल लो,... वो मान गयी,




और जब तक वो हुक बंद करता रहा वो बोलती रही,

" भैया मेरी अंगिया छोटी हो गयी है , तुम बाजार से इससे बड़ी ला दो न अच्छी सी खूब,... "

" मैं कैसे लाऊंगा , लड़कियों का सामान , फिर मुझे नाप भी क्या मालूम " आखिरी हुक लगाते वो बोला।

" अरे तो नाप लो न , " खिलखिलाती वो शरीर बोली और अपने भैया के दोनों हाथ पकड़ के अपने ब्रा में कैद उभारों पर,... पल भर के लिये दोनों को जबरदस्त करेंट लगा लेकिन भैया ने हाथ हटा लिया ,..

और वो बदमाश मुड़ी, ... उसके भैया की आँखे उसकी ब्रा से चिपकी,

" बदमाश, आँखे बंद, ... "


शरारत से वो बोली और वापस बाथरूम में और अपनी स्कूल की शर्ट पहन ली, खूब खींच के उसने टक की थी , स्कूल की बेल्ट भी खूब टाइट बाँधी थी , जिससे उभारों का कटाव , कड़ापन सब कुछ साफ़ खूब मीठे वाले प्यारे वाले बुद्धू , तूने मेरा देखा था न , चल ,... " और चलने के पहले अपने भैया का टॉवेल खींच दिया ,

उसके पकड़ते रोकते भी उसको उस बदमाश मोटू की झलक दिख गयीसाफ़ दिख रहा था,...

जैसे वो बाहर निकली, दरवाजे पर खटखट की आवाज सुनाई दी, लगता है माँ आ गयी थीं , पर चलने के पहले उसने अपने भैया के होंठों पे कस के चुम्मी ली,... और हंस के बोली,

" बुद्धू"

दरवाजे पर माँ खड़ी थी और खुलते ही हड़का लिया ,

" कहाँ सो गयी थी , तेरी सहेलियां इन्तजार कर रही हैं और शाम को सीधे घर आना किसी सहेली के यहाँ नहीं ,... "

एकदम माँ और दौड़ती उछलती अपनी सहेलियों के साथ स्कूल की ओर वो हिरणी,...




लेकिन स्कूल में तो और उसकी सहेलियों ने आग लगाई, ... जो उसकी सबसे अच्छी सहेली थी , वही जिसके जीजू ने शादी के चार दिन के अंदर उसकी फाड़ी थी, छह सात महीने पहले ही और फिर तो हफ्ते भर दीदी की ससुराल में , ... कई बार तो दीदी के सामने ही, और दीदी भी हंस के बोलती तो क्या हुआ जीजा हैं तेरे, हक़ है उनका,...

और कल शाम को वो आ गए थे आज सुबह गए ,.. रात भर,...वो दूध लेकर गयी थी उनको देने बस उन्होंने पकड़ लिया, तेरी दीदी तो आज हैं नहीं तो तेरे साथ ही,... पूरे तीन बार,... पूरा डिटेल , कितना लम्बा, ,मोटा,... एक बार तो निहुरा के भी,... और गीता को वो और उकसा रही थी,

" हे जीजू तुझे बहुत याद कर रहे थे चिरौरी कर रहे थे , गितवा की दिलवा , गितवा की ,...दस बार तो कहा होगा , ... तो मैंने भी बोल दिया ठीक है अगली बार आप आने वाले होंगे तो पहले से बता दीजियेगा , मैं साथ पढ़ने के नाम पे उसके घर से परमिशन लेके ले आउंगी। उसकी चिड़िया तो अभी तक उड़ती भी नहीं है। "



लेकिन गीता के आँख के सामने तो अपने भैया का खूंटा घूम रहा था, जो उसकी सहेली अपने जीजू का बता रही थी , ... उसके भैया के आगे कुछ भी नहीं था,...बडे घमंड से कह रही जीजू , ६ -७ मिनट से पहले कभी नहीं , और उसके भैया तो उसने खुद घड़ी देखी थी इत्ता तेजी से मुठिया रहे थे, तब भी पूरे चौदह मिनट,...


आधे से ज्यादा लड़कियां तो उसकी क्लास की स्कर्ट फैला चुकी थीं और जिनकी नहीं फटी थी उनका मज़ाक उड़ाती थीं.


एक जिसके यार आधे दर्जन से भी ऊपर थे, रोज नया किस्सा , कल शाम को वो बोली,... की दिशा मैदान के लिए गाँव की एक भाभी के साथ जा रही थी,... उन भाभी से पहले ही सेटिंग थीं , उन का कोई देवर बहुत दिन से उनसे कह रहा था,... बस वो पहले से गन्ने के खेत में था और वहीँ गन्ने के खेत में निहुरा के क्या मस्त चोदा उसने,... भाभी दूर खड़ी चौकीदारी कर रही थीं,... गन्ने के खेत में अजब ही मजा आता है।



स्कूल की छुट्टी से लौटते हुए गीता के मन में बस यही बात थी , कुछ भी हो जाय,... कुछ भी , ..आज भैया के साथ,... मन तो उनका भी इतना करता है , रोज तो मेरी ब्रा में मुट्ठ मारते हैं,... लेकिन बस वही झिझक, ... मुझे ही कुछ करना पडेगा।

बादल उमड़ घुमड़ कर रहा था,... सावन तो लगा ही था , ... खूब तेज हवा चल रही थी,... लग रहा था पानी बरसेगा,...

और घर में पहुँचते ही वो ठिठक गयी , माँ एकदम तैयार , खूब सज धज के हरी साडी हरी चूड़ियां ,... गोरी तो वो खूब थीं ही , थोड़ी मांसल ,बहुत सुन्दर लग रही थीं,... उनका बैग भी बगल में रखा था, ...
भैया भी वहीँ खड़ा,

माँ ने उसे पकड़ के दुलराते हुए कहा ,

" तेरी ही बाट जोह रही थी,... मैं एकदम तैयार थी , तेरे मामा के यहाँ जा रही हूँ ,... उनका अर्जेन्टी बुलावा आया है ,... मामी को अपने मायके जाना पड़ा, कोई बात है ,... तो मुझे बुलाया है बस आज के लिए कल शाम को मैं आ जाउंगी,... घबड़ाना मत , बाहर मत जाना,... दो तीन दिन तेरी स्कूल की भी तो छुट्टी है, ... खाना मैंने बना के रख दिया है , खुद भी खा लेना भैया को भी दे देना। "




वो और दुलार से माँ से दुबक गयी और भैया को शरारत से देखते बोली,


" दे दूंगी, लेकिन एक बात है माँ, भैया से कह देना ,.... "

"क्या बोल न,... " माँ ने पूछा।
" भैया से कह देना,... मारेंगे नहीं ,..."

" क्यों नहीं मारेगा , जरूर मारेगा, ... कस के मारेगा, ... अरे तू उसकी छोटी बहन है तुझे नहीं तो क्या बाहर किसी को,... " माँ ने प्यार से गीता को चपत मारते हुए अपने बेटे को देखा और उसको और उकसाया,...




" हे ये मना भी करे न तो भी मारना जरूर, और कस के,... "

" मैं बहुत जोर से चिल्लाऊंगी ,... " गीता खिलखिलाते हुए बोली।

" तो ये तेरा मुंह बंद करके मारेगा,... ऐसे " माँ ने हँसते हुए गीता का मुँह अपने हाथ से कस के बंद कर के बोलीं , फिर जाते हुए कहा,


" अच्छा बड़े प्यार से मारेगा , अब तो ठीक, चलती हूँ नहीं तो बस छूट जाएगी। " और वो चली गयीं
Ye dewar ab bhi na samze to bekar uski maa apne mayke kyo gai. Mama kya karega. Ye londiya chhap dewar samaze to thik
 

Rajizexy

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नया दिन, नयी बात, नए रिश्ते


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लेकिन गाँव में सुबह सुबह काम भी फैला रहता है, माँ भी नहीं थी,... तब तक बाहर खट खट हुयी बस समीज सीधी कर के वो बाहर आ गयी , समझ रही थी , ग्वालिन भौजी होंगी, बहुत चिढ़ाती थीं , भौजी का रिश्ता,.. और माँ की मुंह लगी भी,... उन्होंने उसे दूध पकड़ाया,... अभी भैसों को दुह के ,... लेकिन दूध लेते समय, ... उसकी जाँघों पर फिसल के ,..

रात की मलाई का एक थक्का,... और उन्होंने जबरदस्त चिढ़ाया

" हे दूध मैंने दुहा, मलाई ननद रानी को बह रही है "

लेकिन रिश्ता ग्वालिन भौजी से ननद भौजाई का था तो कौन भौजाई ननद को छेड़ने का मौका छोड़ती है , रात भर जिस जुबना को गीता के भैया अरविन्द ने मसला था, उसे खुल के कस के रगड़ते मसलते ग्वालिन भौजी ने चिढ़ाया,

" हे ननद रानी, लेकिन दूध देना है तो मलाई तो घोंटना ही पड़ेगा। और अब दूध देने लायक तो ये हो गए हैं। "




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और भैया को भी निकलना था, ... रात में आंधी तूफ़ान में क्या नुक्सान हुआ,...और भी खेती किसानी,...
गीता भी किचेन में धंस गयी,.. और दो तीन घण्टे बाद जब भाई लौटा तो नाश्ता लेकर,...




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एक बार फिर वो गोद में थी

और अबकी खुद चढ़ के बैठ गयी थी और कभी अपने हाथ से कभी होने मुंह में ले के खिला रही थी, ... अच्चानक भैया को कुछ याद आया,... बोल पड़े,

' रात में कुछ गड़बड़ हुआ हो तो मैंने सब अंदर ही,... "

वो पहले तो बड़ी देर तक खिलखिलाती रही , ... फिर भैया को हड़का लिया,...

" हे खबरदार , जो कभी सोचा भी,.... बाहर एक बूँद भी गिराने को,.... बहन काहें को है,... घर में ,... "



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फिर चिढ़ाते हुए बोली,

" अरे तेरे बच्चे की माँ बन जाउंगी और क्या,... "


लेकिन उसे लगा की मज़ाक भाई को समझ में नहीं आया,... तो हंस के बोली,

" अरे घबड़ा मत,यार,...अभी तीन दिन पहले ही तो मेरी वो पांच दिन वाली लाल लाल सहेली गयीं है अपने घर ,... तो मैं बड़ी हो गयीं हूँ ,... मुझे भी मालूम है,... उनके जाने के बाद वो बोल के जातीं हैं , चल मैं जा रही हूँ , पांच छह दिन खुल के मस्ती कर, कोई खतरा नहीं ,... तो कोई डर नहीं ,... "



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अब भैया भी मुस्कराया और ऊपर से ही उसके जुबना दबाते बोला,..."मुझे मालूम है की मेरी बहन बड़ी हो गयी है ,... लेकिन अभी देख मैं इसे कित्ता और बड़ा करता हूँ , दबा दबा के,... पर सुन ,... अभी मुझे बाजार जाना है ,... तीन चार घंटे में लौटूंगा , वहां एक डाक्टर की दूकान है मेरी जान पहचान के वहां से गोली ,... "

अब एक फिर गीता खिलखिलाते हुए बोली,...

" ठीक है ठीक है , ले आना मुझे भी मालूम है उन गोलियों के बारे में , इस्तेमाल के बाद ले लो , २४ घंटे तक,... या फिर रोज वाली,... मेरे क्लास की आधी से ज्यादा लड़कियां लेती हैं ,कुछ तो बस्ते में भी रखती हैं ,... ले आना लेकिन गिरेगा अंदर ही औरवो रबड़,… रबड़ वो तो एकदम नहीं "

लेकिन कौन लड़का ऐसा मौका छोड़ देता है, वो गीता को पकड़ के अपनी गोद में दबोचता बोला,

" सुन बहना, तू ही कह रही है की पांच छह दिन तक तो कोई खतरा नहीं है , तो एक बार और हो जाये,... "



गीता ना नुकुर करती रही, घर का काम पडा है , खाना बनाना है , थोड़ी देर में ग्वालिन भौजी फिर आ जाएंगी,... लेकिन मन तो उसका भी कर रहा था , एक बार दिन दहाड़े भी ,

और दिन दहाड़े अरविन्द ने अपनी बहन चोद दी, वहीँ बरामदे में पड़ी बसखटिया पे लिटा के, ...


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उसकी दोनों टांगों को ऊपर किया और कुछ तकिया लगा के चूतड़ों को खूब ऊपर,... फिर खुद खड़े खड़े अपना लंड बहिन की बुर पे सटा के कस के धक्का मार दिया, रात भर की मलाई का असर , अबकी बिना तेल के भी आराम से तो नहीं लेकिन रगड़ता दरेरता अंदर घुस गया ,

बस सुपाड़ा घुसने की देर थी उसके बाद भले बहन लाख चूतड़ पटके गाली दे , कौन भाई बिन चोदे छोड़ता है तो अरविन्द ने भी नहीं छोड़ा ,

और गीता ने भी अपनी समीज सरका के ऊपर कर ली , जिससे उसके दोनों जोबन खुल गए



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और भाई ने एक हाथ बहन के चूतड़ पे और दूसरा बहन की चूँची पे,... दिन की रौशनी में दोनों एक दूसरे को देख रहे थे, मजे ले रहे थे,...

जल्दी अरविन्द को भी थी बहुत काम था उसे लेकिन बिना रुके हर धक्का पूरी ताकत से मारने के बाद भी ,



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१५-२० मिनट उसे लगा और गीता उस बीच दो बार झड़ गयी। हाँ जब भाई ने मलाई छोड़ी तो इस बार फिर बहन ने चूत को भींच के एक एक बूँद अंदर रोप ली और देर तक भींचे रही। उसके जाने के बाद किसी तरह पहले वो पलंग का फिर दीवाल का सहारा लेकर दरवाजे तक आयी दरवाजा बंद किया , फिर वापस किचेन में।



रोज माँ का हाथ तो वो रसोई में बटाती थी पर आज पहली बार अकेले इस तरह,.. और बार बार वो दरवाजे की ओर भी देखती भैया कब आएगा।
Fantastic, sexiest update 👌👌👌💯💯💯
 

Rajizexy

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बारिश में भैया प्यारा लगे,





तीन घंटे बाद, गीता बार बार आसमान की ओर देख रही थी। बादल एक बार फिर अच्छी तरह घिर आये थे , लग रहा था पानी अब बरसेगा तो दो तीन दिन रुकेगा नहीं,... और भैया अभी तक,... उसने भैया की पंसद की दालभरी पूड़ी , सब्जी और बखीर बनायी थी ,

खुद रगड़ के नहा के आज साड़ी चोली पहनी थी, हाँ चोली के नीचे कुछ नहीं , होंठलाली खूब जबरदस्त, नेलापलिश भी,.... और दर्जन भर चूड़ियां दोनों हाथों में ,... लेकिन जिसके लिए सब सिंगार वो अभी भी बाहर,... और बारिश कभी भी हो सकती थी,...




……………………

और बादल जैसे फट गए , मूसलाधार बारिश,... पट पट , सिक्के के बराबर बूँदें आंगन में पड़ रही थीं, कच्चा आंगन , बड़ा सा नीम का पेड़ , जिस पर जिद करके भैया से उसने झूला टंगवाया था,...




और तभी फट फट की आवाज हुयी, भैया की फटफटिया ,




ख़ुशी से भाग कर उसने दरवाजा खोला,.. अच्छी तरह भीगा पानी कपड़ों से चू रहा था,
उसका भाई अरविन्द एकदम अच्छी तरह भीग गया था, सारे कपडे उसकी देह से चिपके, एकदम गीला, भीगी बिल्ली, ...नहीं नहीं बिल्ला

और उसे देख के एक बार वो फिर गीली हो रही थी थी, अरविन्द को इस हालत में देख के उसकी चूत रानी फुदकने लगी थीं, रात में चार बार चुदवा के , और एक बार सुबह सुबह भी भाई अरविंद का लंड खा के गीता का मन नहीं भरा था,

किस बहन का मन भाई के लंड से भरता है, बस यही मन करता है , और , ...और

पहले इतनी परेशान अब मारे हंसी के,... उसकी हालत खराब, दरवाजा बाद में बंद किया , पहले भइया को पकड़ के खूब कस के वो चिपट गयी।



" हे चल पहले अपनी दवा खा " ... अरविन्द अपनी छुटकी बहिनिया गीता से बोला,

भीगे कपड़ों के बीच प्लास्टिक में लिपटी उसने दवा निकाली ,

माना उसकी बहन के पीरियड्स अभी ख़तम हुए थे , सेफ पिरीअड था लेकिन फिर भी और वो पूरे महीने की दवा ले आया था, जिससे अरविन्द अपनी बहिनिया को जब चाहे, जितना चाहे चोदे,..घर का माल , कौन उसे खेत खेताडी में जगह ढूंढनी है , गन्ने का खेत या बँसवाड़ी,.. माँ भी नहीं है, अब तो जब मन किया पटक के चोद देगा,...

इस्तेमाल के बाद वाली भी और रोज खाने वाली भी,...

गीता झट से इस्तेमाल के बाद वाली गटक गयी,..

और फिर भैया के कपडे उतारने पर जुट गयी,... हे बनिआन भी निकाल , अंदर तक गीले हो गए हो , और पैंट भी ,... सिर्फ चड्ढी बची थी ,...और गीता को देख के चड्ढी में खूंटा अपने आप तन गया था





अब भाई गीता की बदमाशी समझ गया था ,

उसे खींच के वो आंगन में ले गया,



चल तू भी थोड़ी सी भीज , बहुत चिढ़ा रही है न मुझे , अच्छा चल तेरी साडी उतार देता हूँ , ..

अब वो पेटीकोट और चोली में ,...


और भाई सिर्फ चड्ढी में दोनों बारिश का मजा ले रहे थे जैसे छोटे बच्चे , ...


देह से एकदम चिपके कपडे, भाई बहन की चोली में से झांकते जोबन देखके ललचा रहा था , चोली भी आलमोस्ट ट्रांसपेरेंट हो गयी थी पानी में भीग के , ब्रा तो उसने पहना नहीं था और निपल और जुबना से चोली एकदम चिपकी ,



और भइया से नहीं रहा गया , तो पहले तो हलके से ऊपर से मसलता रहा , फिर एक झटके में चोली खींच के बरसते पानी में जमीन पर फेंक दिया , और उससे हँसते हुए पूछा,

हे झूला झुलेगी,...

लेकिन बहन को पहले तो भाई से बदला लेना चोली उतारने का और भैया की देह पे बस एक जांघिया थी , उसकी जाँघों से चिपकी और मोटू सर उठाये बौरा रहा था ,

बस एक झटका और बहन ने जांघिया खींच के जहाँ उसकी चोली भैया ने फेंकी थी ठीक वहीँ, और भाई का खड़ा मोटा मूसल , बित्ते से भी बड़ा उसके सामने,...लेकिन अब वो डरती नहीं थी , पांच बार तो कल से घोंट चुकी थी , एक बार आधा तिहा लेकिन उसके बाद हर बार अपनी कसम खिला के पूरा का पूरा



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और हँस के झूले की ओर बढ़ती बोली,



" एकदम भैया बहुत दिन से तूने मुझे झूला नहीं झुलाया खाली गाँव भर की भाभियों के साथ झूलते हो, पेंग मार मार के "






" अरे तो चल आज तुझे भी झुलाता हूँ , ... "

और गीता के पहुंचने से पहले वो झूले पे बैठ गया था और एक झटके में खींच के अपनी गोद में, पर उसके पहले भैया ने उसके पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और सरकता हुआ, सरसराता ,वो बरसते आंगन में कच्ची गीली मिटटी पर, दोनों टांगों से सरक कर, और बहन भाई एक जैसे , ...

भाई का खूंटा खड़ा बहन की बिल बारिश में भीगे आंगन से भी ज्यादा गीली,


और भाई ने बहना की दोनों टाँगे फैलायीं , अपनी टांगों से , खींच के उसे झूले पर अपनी गोद में,... और गच्च से खूंटा बिल में धंस गया।

पूरा नहीं, थोड़ा सा , और पेंग मार मार के भाई ने बहना को झूला झुलाना शुरू कर दिया , बारिश मूसलाधार हो रही थी, लग रहा था आज दिन रात नहीं रुकेगी,... झूले की रफ्तार बढ़ती गयी , खूंटा अंदर धंसता गया। और अब बहना भी पेंग मार रही थी,...गीता को बड़ा मज़ा आ रहा था,अपने अरविन्द भैया के लम्बे मोटे खड़े लंड पे इस तरह से बैठने का, गपागप गपागप, गीता अपने भैया का लंड बरसते पानी में घोंट रही थी, दिन दहाड़े अपने ही घर के आंगन में झूले पे बैठी




लेकिन थोड़ी देर बाद ही भाई ने झूले को रोका और पोजीशन थोड़ी सी बदली, बहुत ताकत थी उसके खूंटे में भी और हाथों में , ..

. एक झटके में गुड़िया की तरह बहन को खूंटे पर से उठाया , और अब बहन का मुंह भाई की तरफ,...

वो भी अब समझदार हो गयी थी , खुद उसने अपनी टाँगे फैला दी , जितना हो सकता था उससे भी ज्यादा, मुंह उसका अब भाई की ओर था , ..और सर सर सरकते हए , भाई का खूंटा अंदर,...

चूत ने खुद मुंह फैला दिया था लंड घोंटने के लिए



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उसके सगे भाई का मस्त मोटा लंड था , बहन नहीं घोंटेंगी तो कौन घोंटेंगा,...




अब दोनों पेंग मार रहे थे , झूला झूल रहे थे दोनों के हाथ तो झूले की रस्सी को कस के पकडे तो गीता खुद ही अपने उभार भाई के सीने पे रगड़ रही थी,


पर आज भैया से ज्यादा गीता मस्ती कर रही थी ,खूब चुहुल।

बचपन से ही भैया को छेड़ने में उसे मज़ा आता था और आज फिर वही,...

उसे वो चिढ़ा रही थी , कभी चूम लेती कभी होनी छोटी छोटी बस आ रही चूँचियाँ बार बार भैया के सीने पे रगड़ देती, टाँगे उसकी खुली खूंटा अंदर धंसा, लेकिन जा भैया पेंग मारता कस के तो उसी ताकत से खूंटा बिल में धंस जाता , पर जब बहना का नंबर आता तो पेंग मारते हुए वो बाहर की ओर अपनी कमर कर लेती , और खूंटा थोड़ा बाहर हो जाता,...

१०-१५ मिनट तक झूले पे मस्ती , गीता की छेड़छाड़ चलती रही, पर अब भाई बहन की हचक हचक कर , पटक पटक कर चुदाई करना चाहता था , जित्त वो छेड़ रही थी उसकी आग उतनी ही भड़क रही थी,

झूले में पहली बार किसी को अरविन्द अपनी गोद में बिठा के चोद रहा था, लेकिन उसका मन ललचा रहा था कच्चे आंगन में लिटा के बरसते पानी में रगड़ रगड़ के इस कच्ची कली को, अपनी छुटकी बहिनिया को चोदने का,... वो बड़ी चुदवासी हो रही थी न बहन उसकी तो आज उसे पता चल जाए की उसका भैया भी कितना बड़ा चुदककड़ है,

फिर अपने ही आंगन में , वो भी दिन में अपनी सगी बहिनिया को चोदने का मजा ही अलग है लेकिन ऐसी मस्त बहिनिया को उसका भाई नहीं चोदेगा तो कौन चोदेगा,

यही बात अरविन्द भी सोच रहा था और गीता भी
Gazab didi u r right on track, ur writing just on top .👌👌👌💯💯💯⭐⭐⭐⭐⭐
 

Rajizexy

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" हे देगी "








अब तक गीता भी गरम हो गयी थी , मुस्करा के अपने चूतड़ कस के उठाती बोली,...

" चोद बहनचोद, मेरे बहनचोद भाई , चोद अपनी बहन की चूत हचक के दिखा दे तू कित्ता बहनचोद है "

बस इतना काफी था,... और उसके भाई ने बहन को दोनों चूँचियों को कस के पकड़ा, और जोर जोर से दबाते मसलते , पहले तो पूरा का पूरा ८ इंच बाहर निकाला और पूरी ताकत लगा के , एक धक्के में ही सुपाड़े ने बहन की बच्चेदानी पे वो जबरदस्त चोट मारी की गीता झड़ने लगी ,



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ऊपर से बादल झड़ रहे थे नीचे से बहन, ... काँप रही थी , हिल रही थी और भाई का मूसल जड़ तक धंसा , वो चुपचाप उसके ऊपर लेटा,... लेकिन उसके हाथ आज जैसे बदला ले रहे हों , बहन के इन उभारों ने जिसे देखे ही न जाने कितने दिनों से उसकी पैंट टाइट हो जाती थी, आज उसके हाथों में थे। खूब कस के रगड़ रहा था मसल रहा था,....



और धक्के एक बार फिर चालू हो गए जैसे बहन का झड़ना रुका और अब वो शुरू से ही चौथे गियर में और उकसा के जो बहन के मुंह से सुनना चाहता था , अब वो खुल के बोल रही थी,...



" चोद, बहनचोद चोद , चोद अपनी एकलौती सगी छोटी बहन की चूत, फाड़ दे ,... बहुत अच्छा लग रहा है , चोद, चोद ,... "

और साथ में बूंदो का संगीत, उन दोनों की देह पर सावन की बरसती रिमझिम की धुन, तेज हवा में सर हिलाते झूमते साथ में जैसे ताल देते आंगन का पुराना नीम का पेड़

, जिसके नीचे कितनी बार दोनों भाई बहन खेलते थे, गीता अपनी गुड़िया की शादी की तैयारी रच रच के करती थी और उसका भाई उसे बिगाड़ने पे तुला रहता था,...

उसके नीचे दबी आंगन के कीचड़ में लथपथ, ...दो दो बार झड़ने के बाद , एकदम चुद चुद के थेथर होने पर भी,
अपने भाई के हर धक्के की ताल पर नीचे से चूतड़ उछालती, उसे बाहों में कस कस के भींच के कभी चीखती कभी सिसकती तो कभी अपने दांतों से भाई के कंधो काटती, नाखूनों से उसके पीठ को नोचती



अगर, भाई के धक्के एक पल के लिए भी धीमे होते या जान बूझ के वो रोकता,...

अब रिश्तों में हसीन बदलाव एकदम पूरा था अब सिर्फ एक रिश्ता था , दुनिया का सबसे मीठा ,



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कभी खुद सर उठा के अपने ऊपर चढ़े भाई के होंठों को चूम लेती, चूस लेती , भाई के चेहरे को भिगो कर, भाई के देह से रस से भीगी बारिश की बूंदों को होंठो की अंजुली बना, चुल्लू चुल्लू पी लेती,

कितनी प्यासी थी वो, पर अब उसके भाई के देह की हर बूँद अब सीधे उसके भीतर उसकी देह में समाएगी, जैसे भाई के ऊपर हो रही सावन की बारिश,... की हर बूँद छलक के उसकी देह पर पड़ रही थीं,... और वो अपनी बांह पाश में बांधे भाई को और कस कस के अपनी ओर, अपने अंदर खींच रही थी, अपने अंदर घुसे भाई को अपनी योनि भींच भींच के बता रही थी अब नहीं छोड़ने वाली वो उसे,...

सावन अब तक कितनी बार बरसा था, कितनी बार माँ के मना करने पर भी भीगी थी वो,

पर आज सावन की बात ही और थी, देह पर बरसता सावन और देह के अंदर बरसता भाई का,...

गीता की देह के हर अंग भाई से हजार हजार बातें बिन बोले कर रहे थे, अब तक की तपन, प्यास, चढ़ती जवानी की चुभन, अगन


और उस की हर बात का जवाब आज उस केभाई अरविन्द के धक्के दे रहे थे , जैसे इस बरसते पानी में गीली मिट्टी और कीचड़ में बहन की चूत वो फाड़ के रख देगा।

औरअरविन्द ने साथ में कचकचा के उसके निप्स काटे और बोला, सुन आज के बाद से से अगर तूने मेरे सामने चूत, बुर लंड गाँड़ चुदाई के अलावा कुछ बोला न ,... "


नहीं बोलूंगी , भैया , बस तो ऐसे ही चोदता रह , ओह्ह भैया कित्ता अच्छा लग रहा है ,... "

उसने माना और थोड़ी देर बाद बरसते पानी में वो दोनों बरस रहे थे,...

और झड़ने के बाद भी एक दूसरे की बाँहों में गीली मिट्टी पे बहुत देर तक पड़े रहे,... और उठने के बाद दोनों ने बारिश की पानी से ही एक दूसरे को साफ़ किया ,...



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वो तो और देर तक भीगती रहती बारिश में इत्ता अच्छा लग रहा था, बिना कपड़ों के साथ साथ इस तरह भीगना,

पर भाई ने खींच के उसे बरामदे में किया, और तौलिये से उसे साफ़ किया रगड़ रगड़ के ( बदमाश, ... जो कटोरी भर मलाई उसकी ताल तलैया में छोड़ा था, और रिस रिस के उसकी गोरी मांसल जाँघों पे बूँद बूँद बह रहा था, उसे भैया ने वैसे ही छोड़ दिया ),

बारिश बंद हो गयी थी, बस छज्जों से, आँगन के नीम के पेड़ की डालियों, पत्तों से, पुनगियों से अभी भी बची हुयी बूंदे रह रह के टप टप गिर रही थीं,...





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मुंडेर के पास एक गौरइया, आंगन में झाँक रहे पीपल की के पत्ते की छतरी बना अभी भी बैठी थी,....


" हे चल भूख बहुत लगी है, खाना निकाल , अभी बारिश बंद है, थोड़ी देर जा के खेत का बाग़ बगीचे का हाल देख लूँ, अगर ग्वालिन भौजी आएँगी तो गाय गोरु का भी,... "

और वह तैयार होने अपने कमरे में, गीता भी अपने कमरे में, कपडे पहनते ही जो लाज अभी आँगन में बह कर कीचड़ माटी के साथ धुल गयी थी, थोड़ी थोड़ी वापस आ गयी,... और फिर वो रसोई में, ... सच में भैया को निकलने की जल्दी होगी,...


कल तो गीता ने गुड़ वाली बखीर बना के पूए के साथ भैया को खिलाया था, लेकन उसे मालूम था की भैया को दाल भरी पूड़ी बहुत पसंद है , तो उसने दाल भरी पूड़ी के साथ चावल की खीर, आलू की रसे की सब्जी, चटनी, सब कुछ भैया की पसंद का ही बनाया था।



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और फिर भैया की पसंद का जो खाना बनाया था , उसकी गोद में बैठ के कभी बहन ने अपने कभी होंठों से बहुत प्यार से भैया को खिलाया,... बारिश रुकी हुयी थी लेकिन बादल अभी भी घिरे थे और आज रात फिर जम के बरसने के आसार थे ...


और भाई एक बार फिर बाहर खेती किसानी की हाल चाल लेने और बहन रसोई में ,...


जल्दी जल्दी बर्तन वर्त्तन साफ़ करके रसोई समेट के रात के खाने का इंतजाम भी भैया के आने के पहले कर लेना चाहती थी, रसोइ में वो लगी थी पर मन में बस एक बार उमड़ घुमड़ रही थी,

माँ एक दो दिन और न आये,... वैसे भी मामा के यहाँ से वो देर रात को ही आती थी और अगर एक बार पानी बरसना शुरू हो गया तो,... अक्सर तो उन के गाँव की बस भी एक दो दिन बंद हो जाती थी तेज बारिश में कहीं कच्ची सड़क कट गयी, ... बस एक दो दिन और भैया के साथ , कम से कम आज रात को,... लेकिन उसके चाहने से क्या होता है , अगर कहीं माँ न आये तो,... पर तू तो अपना काम जल्दी समेट, तेरा भाई आ गया न तो उसे एक ही काम सूझता है , उसने अपने मन से बोला,

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घंटे दो घंटे बाद जब, अरविन्द उसका भाई खेत का काम धाम देख के लौटा तो लौटा तो बहन ,.

.क्या सेक्सी माल लग रही थी,...


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उसे मालूम था की उसके भैया को क्या पसंद है ,

लड़के भले ने समझे, सोचें वो चोरी चुपके अपने माल को ताड़ रहे हैं, लेकिन लड़कियाँ बिना उनकी ओर देखे , नजर का खेल समझ लेती हैं, ...और साल भर से वो देख रही थी,... उसके स्कूल के टॉप से झांकते छलकते उसके उभार,...

और अभी उसने जान बूझ के दो साल पहले की स्कूल ड्रेस की सफेद टॉप,... कब से उसने नहीं पहनी थी,... उस समय तो बस उभार आने ही ही शुरू हुए थे, ब्रा भी नहीं पहनती थी,.. बड़ी मुश्किल से उसके अंदर घुसी,...

बिना ब्रा के भी उन कबूतरों को बंद करना मुश्किल था , और उसे ऊपर की दो बटने भी खोलनी पड़ीं, गोरी गोरी गोलाइयों का उभार , गहराई सब एकदम साफ़ साफ़ दिख रही थी,...

और स्कर्ट भी उसी के साथ की,... तब से वो लम्बी भी हो गयी थी , गदरा भी गयी थी,... स्कर्ट घुटनों से बहुत ऊपर ख़तम हो जाती थी और उसकी गुलाबो से बस बित्ते भर नीचे, हाँ घेर बहुत था,...

भैया जब घर आया, बारिश तो कब की बंद हो चुकी थी , लेकिन बादल उसी तरह घिरे,...

शाम होने थी,काले काले बादलों में हों रही शाम की सिंदूरी आभा बस जब तब झलक उठती थी , जैसे खूब गहने श्यामल बालों के बीच नयी दुल्हन की मांग,...



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वो आते ही मूड में था और गीता को देख के उसका अपने आप टन्नाने लगा,...

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उसकी निगाहें बहन के छोटे छोटे जुबना पे,.. वो हिरणी मुस्करा रही थी और उसकी चिढ़ाती निगाहें , भैया के खड़े प्यासे खूंटे पे एकदम बेशर्मी से चिपकी,...


भाई बहन में क्या शरम , बचपन में डाक्टर नर्स खेलते , कित्ती बार एक दूसरे का देखा भी है , छुआ भी है , पकड़ा भी है ,...



" हे देगी " ... भाई ने छेड़ा,...



" क्या भैया,... " अपने उभारों को हलके से उभारते, निगाहों से चिढ़ाते, उकसाते , बहुत भोलेपन से उसने पूछा




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Ek din mein hi ubhar bade lagne lage hai.Didi ye aapki update 32 is the best update of yours of recent times.👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

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komaalrani

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Ye sab apki credit hai aur aapki story ki bhi
 

komaalrani

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Thanks so much, Rishton men thdoa bahoot Haseen Badlav shuru ho gaya naa , maine aap ke comment ka wait kar rahi thi next part post karne ke pahle
 
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