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भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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एक चौथाई सहस्र.... Wowwwwwwwwwwww.Thanks Friends for supporting this story, gracing it with your presence and adorning it with your comments and ensuring,
250 pages
इसमें क्या शक है....Bahut hot update. Is incest ke aage , is forum ki sab story paani mangegi, jaadu h apki lekhni me. Or ek baat, kahani ke andar ek or kahan likhne me achhi pakad h apki , jese geeta ki story flashback me
नहीं सफेद रंग से रंगी चूत पकड़ी गई है....लेकिन गाँव में सुबह सुबह काम भी फैला रहता है, माँ भी नहीं थी,... तब तक बाहर खट खट हुयी बस समीज सीधी कर के वो बाहर आ गयी , समझ रही थी , ग्वालिन भौजी होंगी, बहुत चिढ़ाती थीं , भौजी का रिश्ता,.. और माँ की मुंह लगी भी,... उन्होंने उसे दूध पकड़ाया,... अभी भैसों को दुह के ,... लेकिन दूध लेते समय, ... उसकी जाँघों पर फिसल के ,..
रात की मलाई का एक थक्का,... और उन्होंने जबरदस्त चिढ़ाया
" हे दूध मैंने दुहा, मलाई ननद रानी को बह रही है "
लेकिन रिश्ता ग्वालिन भौजी से ननद भौजाई का था तो कौन भौजाई ननद को छेड़ने का मौका छोड़ती है , रात भर जिस जुबना को गीता के भैया अरविन्द ने मसला था, उसे खुल के कस के रगड़ते मसलते ग्वालिन भौजी ने चिढ़ाया,
" हे ननद रानी, लेकिन दूध देना है तो मलाई तो घोंटना ही पड़ेगा। और अब दूध देने लायक तो ये हो गए हैं। "
Ye ग्वालिन bhabhi wala kissa adhura reh gaya , bhabhi ko aise mauke pe bahut maze lengi yaha to nanad rani range hath pakde gayin hain
उसके बाद तो और चीटें काटते हैं..." अरे घबड़ा मत,यार,...अभी तीन दिन पहले ही तो मेरी वो पांच दिन वाली लाल लाल सहेली गयीं है अपने घर ,... तो मैं बड़ी हो गयीं हूँ ,... मुझे भी मालूम है,... उनके जाने के बाद वो बोल के जातीं हैं , चल मैं जा रही हूँ , पांच छह दिन खुल के मस्ती कर, कोई खतरा नहीं ,... तो कोई डर नहीं ,... "
Uffff waaah kya gyaan bata hai gitwa ne apne bhaiya se
इस मामले में लड़की की ना नुकुर भी हाँ हीं है...." सुन बहना, तू ही कह रही है की पांच छह दिन तक तो कोई खतरा नहीं है , तो एक बार और हो जाये,... "
गीता ना नुकुर करती रही, घर का काम पडा है , खाना बनाना है , थोड़ी देर में ग्वालिन भौजी फिर आ जाएंगी,... लेकिन मन तो उसका भी कर रहा था , एक बार दिन दहाड़े भी ,
और दिन दहाड़े अरविन्द ने अपनी बहन चोद दी, वहीँ बरामदे में पड़ी बसखटिया पे लिटा के, ..
aati kamuk
आपका कंट्रीब्यूशन और सेलेक्शन बहुत मार्के का है...Are ye kuchh komaljo ke update ke lie he. Kripya vo kisi me add kare use padh kar fir photo ka maza lijiye. Ese sirf photo dekhne me koi maza nahi aaega
Kitni pyari maa hai . Jo itne pyar se daant rahi hai .भाग ३७ -
इन्सेस्ट कथा - और माँ आ गयीं
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और अब फिर दुबारा पूरी ताकत से भाई ने ठेला, कसी चूत, सटी टाँगे, फंसी फंसी जाँघे,.... भाई को दोनों तगड़ी जाँघों के बीच कस के कसी, दबोची,...
कोकशास्त्र में स्पष्ट लिखा है की शशः पुरुष का शिश्न छह अंगुल का तथा अश्व का बारह अंगुल का होता है उसी प्रकार हिरणी के प्रकार की स्त्री की योनि ६ अंगुल गहरी तथा हस्तिनी की बारह अंगुल वाली होती है , अतः अगर कभी शश पुरष ( छह अंगुल वाले को ) हस्तिनी ( बारह अंगुल गहरी योनि वाली ) के साथ सम्भोग करना हो तो इस प्रकार के संकुचन वाले आसन का प्रयोग उचित है,
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पर यहाँ तो बारह अंगुल वाला अश्व , छह अंगुल वाली हरिणी पर चढ़ा था और आसन वही,
सूत सूत सरकते रगड़ते दरेरते, मोटा सा लंड बहन की चूत में घिसट घिसट कर घुस रहा था
और बहन चीख रही थी , तड़प रही थी, जाल में फंसी चिड़िया की तरह छूटने की कोशिश कर रही थी,... पर ये आवाजें ही तो कामाग्नि में घृत का काम करती हैं , वो चीखती रही , चीख के थक गयी, पर भाई चोदता रहा उसी तरह दबा के दबोच के ,
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पर उस दर्द के बावजूद थोड़ी देर में गीता फिर झड़ रही थी और इस मस्ती से वो कभी नहीं झड़ी थी कल से ,...झड़ती रूकती,... फिर झड़ती ,...
कुछ देर रुक के भाई ने फिर,... और आठ दस मिनट बाद , सारी मलाई उसकी बच्चेदानी में उड़ेली
गीता ने छुटकी को बताया की की पूरी रात,.... जैसे मरद औरत नई नयी शादी के बाद,... और एक बार भी बिस्तर पे लिटा के नहीं,..
कभी दीवाल के सहारे खड़ा कर के ,
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कभी पलंग पकड़ा के निहुरा के , कभी गोद में बिठा के,...
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और अगले दिन भी, यहाँ तक की रसोई में भी , घर का कोई कोना दोनों ने छोड़ा नहीं ,
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छुटकी बोली,
" दीदी, फिर तो बहुत मजा आया होगा दस दिन तक माँ को नहीं आना था , पूरे दस दिन,... "
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" नहीं यार, तीन चार दिन बाद ,... हम दोनों पकडे गए , लेकिन सारी डांट मुझे ही पड़ी,... बल्कि एक दो हाथ भी ,... माँ जल्दी आ गयी थी। "
गीता सीरियस हो के बोली ,
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फिर पूरा हाल सुनाया, माँ के आने का भी और,... जबरदस्त डांट पड़ने का भी, कैसे पकड़ने गए भाई बहन रंगे हाथ, और क्या हाल हुआ,...
छुटकी भी अब थोड़ी सीरियस हो गयी कहानी में ट्विस्ट आनेवाला था,
और यहाँ तो जबरदस्त झटका लग गया था भाई बहन की मस्ती को,...
कुछ रुक के गीता ने आगे बताना शुरू किया,...
थोड़ी देर पहले ही भैया ने उससे रगड़के रसोई में ही चोदा था, कुतिया बना के,... मलाई लबालब भरी थी, छलक रही थी, सुबह से ये तीसरा राउंड था,...
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और गीता के कमरे में ही वो भैया को छेड़ रही थी, कपडे तो न वो पहनती थी न भैया को पहनने देती थी, ... भैया पलंग पे बैठा, पैर फर्श पे किये और वो उसके दोनों पैरों के बीच मुंह किये, अपने लम्बे मोटे खिलौने को हलके हलके चूस रही थी,... अभी भी वो खाली सुपाड़ा ही मुंह में ले पाती थी, मोटा इतना ज्यादा था,....
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भैया खूब मस्त हो रहा था , और जब भी वो मस्त होता तो उसकी आँखे बंद हो जातीं , दुनिया जहान की खबर नहीं रहती थी उसे , चाहे कान के आगे ढोल पीटो,...
ये तो बाद में ध्यान आया की भैया ने सोचा बाहर का दरवाजा मैंने बंद किया है, और मैंने सोचा भैया ने,... बस वो खाली उढ़का सा,...
और जब माँ घुसीं दरवाजे से ,
तो मेरी तो पीठ उधर थी और भैया की मस्ती से आँखे बंद थी , और माँ भी एकदम दबे पाँव,...
( बाद में मेरी समझ में आया की माँ तो दरवाजे से घुस के अपने कमरे में सीधे सामान -वामान रख के कपडे चेंज कर रही होगी, ... इसलिए वो सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में,... और फिर सिर्फ भैया की उन्ह आह की आवाज सुन के मेरे कमरे में,.. और यहाँ का सीन देख के,...)
और दस मिनट तक सिर्फ डांटती रहीं,
"इसलिए तुझे यहाँ छोड़ के गयी थी, यही सब देखने के लिए , अपनी तो छोड़, कम से मेरी इज्जत का ख्याल करती, नाक कटा दिया तूने मेरी,... कुछ तो सोचा कर ,..."
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क्या क्या न कहा,...
और भैया ने जब घबड़ा के उठने की कोशिश की तो उसे और जोर से हड़का लिया,...
" तू तो हिल मत , जैसे है वैसे पड़ा रह, नहीं तो अभी कपडे धुलने वाली मुंगरी लाती हूँ उसी से तेरी खातिर करुँगी, पड़ा रह चुप चाप, जैसे आँख बंद थीं वैसे बंद कर लें ,... "
और भैया ने मारे डर के आँख बंद कर ली, ...
फिर मेरी पीठ पे दो जबरदस्त चांटे , जैसे किसी ने तेज़ाब छिड़क दिया हो,... मेरी आँखों में आंसू नाच के रह गए ,... मैं जान रही थी , अगर हिली कुछ बोलने की कोशिश की तो उसी मुंगरी से मेरी धुलाई होगी,...
फिर पेटीकोट अपना घुटने तक मोड़ के वो मेरी बगल में बैठ गयीं , और जबरदस्त मेरे कान का पान बना दिया, उनका रेडियो फिर चालू हो गया लेकिन अबकी स्टेशन बदल गया था.
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Wah maa ki seekh bahut jaruri thee . Tabhi to bache sahi se KAAM kar payengeमाँ की सीख
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,... और भैया ने जब घबड़ा के उठने की कोशिश की तो उसे और जोर से हड़का लिया,...
" तू तो हिल मत , जैसे है वैसे पड़ा रह, नहीं तो अभी कपडे धुलने वाली मुंगरी लाती हूँ उसी से तेरी खातिर करुँगी, पड़ा रह चुप चाप, जैसे आँख बंद थीं वैसे बंद कर लें ,... "
और भैया ने मारे डर के आँख बंद कर ली, ...
फिर मेरी पीठ पे दो जबरदस्त चांटे , जैसे किसी ने तेज़ाब छिड़क दिया हो,... मेरी आँखों में आंसू नाच के रह गए ,... मैं जान रही थी , अगर हिली कुछ बोलने की कोशिश की तो उसी मुंगरी से मेरी धुलाई होगी,...
फिर पेटीकोट अपना घुटने तक मोड़ के वो मेरी बगल में बैठ गयीं ,
और जबरदस्त मेरे कान का पान बना दिया, उनका रेडियो फिर चालू हो गया लेकिन अबकी स्टेशन बदल गया था.
धुन और स्वर भी बदल गया था, और बातें भी, हालांकि डांट अभी भी पड़ रही थी , लेकिन अब समझ में आने लगा की क्यों पड़ रही थी...
" मैं दस मिनट से दरवाजे पर खड़ी देख रही हूँ तुझे, सिर्फ मुंह में लेकर इतनी देर से चुसूर चुसूर कर रही हो,... अरे ऐसे चूसा जाता है , वो भी भैया का,... चल निकाल मुंह से मैं बताती हूँ,... "
अब मुझे ध्यान आया की माँ की डांट पड़ रही थी, दो हाथ भी पड़े लेकिन मैं भैया का लॉलीपॉप मुंह में ही लिए,...
और फिर माँ ने सिखाना शुरू किया,...
देख पहले तड़पा थोड़ी देर,ललचा, तंग कर उसे और सीधे ये नहीं की गप्प कर लिया , अरे भागा कहाँ जा रहा है। वो तू उसकी छोटी सगी बहन है, तू मुंह में नहीं लोगी तो कौन लेगा, .. लेकिन पहले जाँघों के ऊपरी हिस्से शुरू कर,... और वो भी सिर्फ जीभ की टिप से, और हाँ साथ साथ उसे देखती भी रह, तेरी आँखे उसे चिढ़ाती उकसाती रहें,... और हाँ हाथ , ... तो अभी शुरू में छूने पकड़ने की जरूरत नहीं,... जैसी गलती से लग गया हो, छू गया हो, बस ऊँगली से हलके से कभी सहला दो , कभी पकड़ के छोड़ दो, ... चल पहले जीभ बाहर निकाल,...
और उन्होंने खुद बड़ी सी जीभ बाहर निकाल के दिखाया, ... और मैंने भी वैसी ही जीभ पूरी की पूरी बाहर निकाली, और जैसा माँ ने कहा था, एकदम उसी तरह से,...
माँ बहुत दुलार से मेरी पीठ सहला रही थीं और मेरे कानों में इंस्ट्रक्शन दे रही थीं , फुसफुसा के जैसे भैया न सुने, ..
मेरी बेटी ठीक कर रही है, जल्द सीख लेगी, हाँ हाँ , बस होंठ न लगने दे , सिर्फ जीभ की टिप ,... होंठों का नंबर बाद में आएगा,...
माँ के कहने पर जीभ की टिप जांघ और डंडे की बीच वाली जगह पर बार बार, ...
और फिर जीभ से अब एक बार फिर से खड़ा तना लिंग, बेस से ऊपर तक नदीदी की तरह ,... लेकिन तबतक चमड़ा एक बार खुल के सुपाडे के ऊपर आ गया,...
और माँ ने झटक के मुझे अलग कर दिया और मेरे कान में कुछ सिखाया ,
और अबकी मेरे होंठ मैदान में थे , जैसे माँ ने कहा था और सिर्फ होंठों के जोर से धीरे धीरे, जैसे कोई सुहागरात के दिन दुलहन का घूंघट उतारे मैंने भैया का सुपाड़ा , फिर सिर्फ होंठों से हलके से दबाव से खोल दिया, ...
" शाबस अब लग रही है तू मेरी बेटी चल घोंट,... लेकिन पहले जीभ से,... "
और मुझे डांट भी पड़ गयी,... मैं असल में पेशाब वाले छेद से थोड़ा हट के,... लेकिन उसी के लिए डांट पड़ी,...
"स्साली, चूत मरानो चाट इसे , ... जीभ की टिप अंदर डाल के, अरे इसी से अमृत निकलता है जिससे लड़कियां गाभिन होती हैं , चाट,... "
हिम्मत थी मेरी बात न मानने की,... और थोड़ी देर में मैंने पूरा सुपाड़ा गप्प कर लिया,... हाँ जैसे माँ ने सिखाया था,... लेकिन उससे ज्यादा मैं घोंट नहीं पाती थी , पर माँ ने न सिर्फ डांटा बल्कि मेरा सर पकड़ के जबरन लंड पे दबा दिया, मैं गों गों करती रही , पर आधे से ज्यादा लंड वो घुटवा के मानी और हँसते हुए बोली की चल अब चूस।
अब मैं मस्त हो के चूस रही थी , सुपाड़ा सीधे हलक पे बार बार ठोकर मार रहा था,... खूब कड़ा, एक नया मज़ा,... इत्ता ज्यादा मैंने आज तक नहीं घोंटा था,.. लेकिन गाल फूले फूले थक रहे थे , आंखे उबल रहीं थी, लेकिन मैं मुस्करा रही थी, और मेरी उँगलियाँ कभी लंड को सहला देतीं, कभी दबा देतीं,... भैया की आँखे मस्ती से भरी थीं, उसकी हालत खराब थी , और उसकी ख़ुशी देख के मैं और जोर जोर से,
माँ बीच बीच में मेरे कान में समझा भी रही थीं, होंठों से रगड़, नीचे जीभ से चाट, और कस के चूस,...
अब तक मैं समझती थी, सिर्फ मुंह में लेके चुभलाओ, लेकिन माँ एक एक चीज़ समझा रही थीं,...
पर थोड़ी देर में मेरा मुंह एकदम थक गया, गाल फटे पड़ रहे थे, ... अच्छा तो लग रहा था भैया का मूसल मुंह में लेकिन बस मन कर रहा था बस थोड़ी देर के लिए मुंह हटा लूँ,
मैंने माँ की ओर देखा तो वो मुस्करा रही थीं, हल्के से बोलीं, मेरी रानी बेटी का मुंह इत्ती जल्दी थक गया, ... लेकिन चल अभी कुछ दिन में,... निकाल ले,...
लेकिन कान में उन्होंने कुछ और सिखाया, और मेरी आँखे चमक गयीं , ये तो उन फिल्मों में भी नहीं देखा था, वो बोलीं , मुंह से तो निकाल ले , थोड़ी देर के लिए लेकिन कोई न कोई हिस्सा चेहरे का, और इशारे से समझाया चाट तो सकती है बाहर से,...
"Incest mindless fucking" bus yhi ik theme rah gya hai is story me .tum khud sonch ke dekho incest pasand hai kya tumko.Komal is such a fantastic writer who deserves better than this.
I do not know her or her whereabout.
I came to know her initially only from yahoo group.
It is not sycophancy....
Just appreciating her extraordinary writing skill which I rarely found in other story in any platform.
Stories written by her is wholesome entertainment with unique theme and storyline except mindless fuck everywhere by other writer.
And the best part is that she left no story uncompleted.
You have your own characteristics and liking and may be able to find story of your liking in this forum or any other forum.
ENOUGH,..."Incest mindless fucking" bus yhi ik theme rah gya hai is story me .tum khud sonch ke dekho incest pasand hai kya tumko.