Random2022
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Bahut badhiya update.yeh incest story baki incest stories se bahut badhiya or achhi h. Apka jawab nahi, koi apka saani nahi h. Seal to aaj khuli geeta kiभाग ३८
मेरे पास माँ है- इनसेस्ट् कथा गीता और अरविंद की
भैया और मुझे भी लग रहा था , माँ को भी लगने लगा, बहुत चोर सिपाही हो गया , अब असली खेल घुस्सम घुसाई वाला होना चाहिए ,... मैं माँ का इशारा समझ के पलंग पे पीठ के बल लेट गयी, और टाँगे उठाने लगी,... लेकिन तभी माँ की डांट पड़ी,...
"ऐसे नहीं, चल पेट के बल लेट, टाँगे नीची,..."
और मैं पेट के बल, ...
मेरी दोनों टाँगे फर्श पे बस छू रहीं थी,... माँ ने पलंग पे जितनी तकिया रखी थीं, सब मेर पेट के नीचे लगा के मेरा पिछवाड़ा ऊंचा कर दिया था, जिससे मेरे पैर फर्श पे बस,... मान गयी मैं माँ को,अब जो भैया धक्के मारेगा, सब तकिये पे जोर पडेगा, ... वो मारता भी था कस कस के बहुत, बस जान नहीं निकलती थी,...
माँ सिरहाने आके मेरे सर के पास बैठ गयी, दोनों अपनी टाँगे फैला के, वो अब बस पेटीकोट पहनी थी वो भी घुटने के बहुत ऊपर सरका, समझो कमर के पास सरका, सिमटा, हम दोनों के कपडे तो पहले से ही उतरे,... माँ बहुत दुलार से मेरा सर सहला रही थी, ऊँगली मेरे बालों में घुमा रही थी, और मेरे मुंह को अपनी गोद में दुबका के,... फिर झुक के हलके से बोली,...
" माँ के पेटीकोट का नाड़ा खोलने का हक़ वैसे तो बेटे का पहले है,लेकिन तू कौन बेटे से कम है, चल खोल दे,... "
और खुद मेरा हाथ पकड़ के माँ ने अपने नाड़े पर,... मुझे मालूम था,...वो नाड़ा डबल गाँठ बांध के उसे एकदम अंदर खोस लेती थी, और उस की देखादेखी मैं भी शलवार और चड्ढी का नाड़ा वैसे ही बाँधने लगी थी की कभी मज़ाक मजाक में कोई भौजाई या सहेली न,...
थोड़ी देर में उसका पेटीकोट भी सरक के फर्श पे,...
और माँ ने मेरा मुंह खिंच के सीधे अपनी जाँघों के बीच,
कितनी बार मैं अपनी सहेलियों या गाँव की भौजाइयों के साथ , .... मैं समझ गयी,.. माँ ने जाँघे पूरी फैला ली थी और खुद उन्होंने खींच सीधे वहीँ, खूब मोटी मोटी फांके थी, झांटे थीं लेकिन हलकी,
कस के उन्होंने मेरे सर को अपने दोनों हाथों से पकड़ के अपनी बुर पे मेरे होंठों को दबा रखा था,...
मैं चुसूर चुसूर चूस रही थी।
बहुत अच्छा लग रहा था,...
तभी भैया ने मेरी दोनों टांगो को फैला के सटाने की कोशिश ही की की माँ की आवाज गरजी,
" मैं तो सोच रही थी ये मेरी दुलारी बेटी ही बेवकूफ है, लेकिन तुम भी कम घोंचू नहीं हो,... अबे, स्साले, रंडी के,... तेरी बहन की बुर तेरी मलाई से बजबजा रही है , ऐसे में इसकी मारेगा तो न तो इसको मजा आएगा , न तुझे, कुछ भी नहीं समझ में आता क्या,... "
बचपन से जब भी माँ मेरे सामने भैया को डांटती थी, मुझे बहुत मजा आता था, और आज भी मारे खुसी के मैं कस कस के माँ की चूसने लगी,..
भैया कोई कपड़ा ढूंढ रहा था, माँ का ब्लाउज ही उसके हाथ लगा, माँ ने हामी भरा ठीक है, चल साफ़ कर,...
भैया ने ऊँगली में लपेट के मेरी बिल में धीरे धीरे डाल के दाएं बांये रगड़ रगड़ के, फिर बाहर निकाल के माँ को दिखाया, उसके ब्लाउज में भैया की मलाई, ...
अच्छी तरह से,...
" अरे चार पांच बार और कर,... फिर इसके दुसरे ओर से, एक बूँद भी अंदर बचना नहीं चाहिए, चाहे तेरी मलाई हो या इसकी चासनी एकदम सूखा कर दो,...
दो चार मिनट के बाद माँ ने हामी में सर हिलाया,
पर साथ ही अपनी दोनों टाँगे माँ ने मेरी पीठ के ऊपर कर के कस के जकड़ लिया, दोनों हाथों से मेरे सर को एक बार फिर कस के अपनी जाँघों के बीच में सटा लिया,... और उसी समय भैया ने कस के धक्का मारा, और एक झटके में वो मोटा सुपाड़ा मेरे अंदर,...
जैसे कोई मोटा लोहे का रॉड घुस गया हो, मैंने और माँ ने उसे जितना गरम किया था वो एकदम स्टील ऐसा कड़ा,...
और मुझे लगा जैसे मेरा चमड़ा छील गया हो , पहली बार जब भैया ने पेला था तो अच्छी तरह से सीधे बोतल से मेरी बिल में सरसों का तेल पिलाया था , आधी बोतल, और खुद भी उसके बाद हर बार उसकी मलाई भी रहती थी , आज सुबह से दो बार मैं खुद तेल अंदर तक लगा चुकी थी और तीन बार की मलाई भी थी ,
लेकिन कपडा अंदर डाल के सुखाने से चूत एकदम सूखी हो गयी,
लग रहा था मेरी चमड़ी छिल गयी हो,...
दूसरा टाइम होता तो मैं जोर से चीखती, पलंग पे उछल पड़ती , पर आज माँ की मोटी मोटी जाँघों के बीच मेरा सर फंसा था चीखें घुट के रह गयी, और माँ के पैरों की पकड़ इतनी कस के मेरी पीठ पे थी,...