एकदम सही बात कही है आपने फिर दो दो कहानियां एक साथ,... जोरू का गुलाम में हफ्ते में दो पोस्ट और एक पोस्ट यहाँ तो कुल मिला के तीन पोस्ट और हर पोस्ट में चार पांच पोस्ट्स,... १२-१४ पोस्ट्स तो हफ्ते में हो जाती हैं,...
परेशानियां तीन है स्पीड बढ़ाने में
पहली जो आपने सही पकड़ा हिंदी में लिखने में जो मेरी रफ़्तार है तीन पेज से ज्यादा नहीं एक दिन में और हर पोस्ट में कुल ८-१० पेज ( वर्ड में ) तो चार से पांच दिन में एक पोस्ट लिखी जाती है
दूसरी दिक्क्त पोस्ट करने में अब बहुत समय लगता है ख़ास तौर से जब से सिंडिकेट जी का ग्रहण लगा है , हर पोस्ट के पहले तीन बार उन्हें काल का भोग लगाओ , चौथे प्रयास में वो पोस्ट करने का मौका देते हैं तो पिक चिपकाने ढूंढने , सिंडिकेट जी से निपटने और पोस्ट करने में दो से तीन घंटे का समय लगता है तो हफ्ते में ८-९ घण्टे पोस्ट करने में
और तीसरी दिक्क्त मेरा खुद का एक फैसला है , हफ्ते में दो तीन दिन नेट से दूर रहने का, साइट छोड़ दीजिये बाकी भी नहीं ( मैचों का वेबकास्ट अपवाद है ) और वो दिन किताबों, संगीत, फिल्म के लिए
लेकिन मांग उनकी जायज है
बस मेरी भी एक चाहत है
जोरू का गुलाम चलिए बहुत लोग वेट कर रहे हैं की जब जहाँ छोड़ा था वहां पहुंचू ( उन्हें पता नहीं कैसे आभास होगा कहानी वहां पहुँच गयी ) इसलिए कम मित्र उधर का रुख करते हैं , पर यहाँ पर भी लगता है की कम से कम ८-१० मित्रों की सम्मतियाँ मिल जाएँ तो,... और कुछ लोग कहानी पर दृष्टिपात कर लें
मेरी किसी कहानी को यह सौभाग्य नहीं प्राप्त हुआ की कई पन्नों तक पाठक गण वेटिंग वेटिंग लिखें,... और बड़े इसरार के बाद
और मैं यह चाहती भी नहीं अगर मुझे कहानी रोकनी होती है तो मैं बता के अवकाश लेती हूँ,
खैर
चलिये कोशिश करुँगी की नए वर्ष में दो हफते में तीन की स्पीड तक यह किस्सा पहुंचे।