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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ४० इन्सेस्ट गाथा -

गोलकुंडा पर चढ़ाई -भाई की




तब तक माँ ने कुछ देखा और एकदम अलफ़, और मुझसे ज्यादा भैया पे, ... वो तो बाद में समझ आया मेरी बुर से बहती चासनी को कुछ उन्होंने अपनी ऊँगली से फैला के,मेरे पिछवाड़े के छेद पे, और उनकी अनुभवी आँखों ने भांप लिया, अभी वो छेद इतना टाइट है,... मेरी चासनी से गीली अपनी ऊँगली को उन्होंने पूरी ताकत से उस छेद में ठेलने की कोशिश की ,

और वो नहीं घुसी,... एकदम टाइट, ..

दरार पर रगड़ा, उन्होने, दोनों अंगूठों से फैलाया,

एकदम टाइट,...



और गुस्से से अपने बेटे की ओर देखा उन्होंने,.. उस बेचारे ने सर झुका लिया,

गलती उसकी ज़रा भी नहीं थी , वो तो पहले दिन से पिछवाड़े के पीछे पड़ा था, लेकिन मैं ही उसे डपट देती थी, ...किसी गाँव की भौजी ने ही बोला था बहुत दर्द होता है,...

उसने बहुत समझाया था मुझे , खूब तेल लगा लेगा, ... ज़रा भी दर्द होगा तो बाहर निकाल लेगा , फिर दुबारा बोलेगा भी नहीं पिछवाड़े के बारे में,.. कई लड़कियों की मारी है , मेरी समौरियों की भी,

लेकिन मुड़ के मैंने गुस्से भर के कहा,... अगर उधर देखा भी न तो मैं पास भी नहीं फटकने दूंगी,...



बेचारा,...

सर झुका लिया , ये भी न समझ पाया की मेरा गुस्सा कितना असली, कितना नकली है. और मैं दूसरी ओर मुंह कर के मुस्कराने लगी. शायद जबरदस्ती करता जो उसने दूसरी लड़कियों के साथ की होगी, पर

परेशानी ये थी की वो मुझे चाहता भी बहुत था, जितना मज़े लेना चाहता था, उससे ज्यादा, ... मुझे हल्की सी ठेस भी लग जाए,... तो मुझसे ज्यादा दर्द उसे होता था जब तक मैं नहीं मुस्कराती थी वो भी गुमसुम मुंह बना के,... तो बस मेरा झूठा गुस्सा भी,....

लेकिन माँ सब समझती थी और उस का गुस्सा भी सच्चा होता था, हम दोनों डरते थे , बिना मारे उसकी ठंडी आवाज ही,...

और उसी आवाज में वो मुझसे बोली, चल निहुर, चूतड़ खूब ऊपर उठा के,....




और जा के अपने बेटे की सब गांठे खोल दीं. मैं चुपचाप निहुरी, पिछवाड़ा ऊपर किये,..

माँ ने झाड़ झाड़ के मुझे इत्ता थेथर कर दिया था की मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था,

बस मैं देख रही थी, उन्होंने अपने बेटे की गांठे खोल दी, उसे बहुत धीरे धीरे से कुछ समझाया और बेटे का खूंटा तो वैसे ही खड़ा था, माँ की बातें सुन के,... लगता है और,...

बस मैं गुटुर गुटुर देख रही, धीरे धीरे कुछ ताकत लौट रही थी मेरी, कुछ सोचने समझने की शक्ति,...
तबतक माँ मेरे पास आ गयीं,शायद उन्हें लगा की उन्होंने कुछ ज्यादा ही जोर से हड़का दिया,...

बड़े प्यार से मेरे उठे पेट के नीचे ढेर सारे मोटे मोटे तकिये कुशन यहाँ वहां से लाकर लगा दिए, लेकिन सब मेरी नाभि के आस पास या ऊपर ही, अपने हाथ से ही मेरी टांगों को और फैला दिया,.. बहुत दुलार से मेरे गोरे गोरे मुलायम छोटे छोटे चूतड़ों को सहलाया और एक बहुत हलकी सी दुलार वाली चपत लगा दी,.... मैं निहाल की माँ अब गुस्से में नहीं है,... और दूसरे अब मेरी कमर का प्रेशर थोड़ा तो कम हो गया, तकियों से बहुत सहारा मिल गया,

तब तक मुझे नहीं अंदाजा था की क्या होने वाला है,



" हे मेरी दुलारी रानी बेटी, अपनी रानी बेटी को बहुत दिन से दुद्धू नहीं पिलाया, ... मुंह खोल खूब बड़ा सा , हाँ और बड़ा जैसे लड्डू खाने के लिए खोलती है न हाँ, खोले रहना,.. "
और माँ ने प्यार से अपनी बड़ी ३८ नंबर वाली चूँची मेरे मुंह में ठेल दी आधी,.. और जैसे बचपन में दूध पिलाते समय एक हाथ से प्यार से सर पकड़ लेती थीं उसी तरह हाथ से सर को कस के,

और मैं चुसूर चुसूर,...



ये तो मैं बाद में समझी,... माँ की पकड़, अब मैं लाख कोशिश करूँ हलके से भी नहीं चीख सकती,और चीखूंगी भी तो आवाज गले में ही रह जायेगी,... मेरा मुंह अच्छी तरह बंद हो गया,...

पर माँ का मुंह बंद नहीं था अपने बेटे से बोल रही थीं , नहीं नहीं तेल नहीं ऐसे ही,... अच्छा चल बस ज़रा सा, खाली सुपाड़े पर, अरे चुपड़ नहीं बस दो बूँद लगा ले,...



अब मुझे कुछ समझ में आने लगा, याद भी आने लगा,...

जब मेरी भैया ने फाड़ी थी, सरसों के तेल की आधी बोतल मेरी दोनों फांके फैला के चुवाई थी और ढेर सारा अपने हाथ में लेकर उपर भी हलके हलके मसले के,... एक ऊँगली में खूब ढेर सारा तेल लगा के हलके हलके,... तब भी इतना दर्द हुआ,... और

"हाँ बस थूक लगा के फैला दो,... बहुत छिनरपना कर रही थी न, अरे इस उमर की लड़कियों की गाँड़ मारी नहीं फाड़ी जाती है , और जो सीधे से न दे, नखड़ा दिखाए उसकी तो और कस,... और चिल्लायेगी नहीं, मैंने कस के चूँची इसके मुंह में पेल रखी है , तू पेल सुपाड़ा,...

अबे स्साले, अगर तू मेरा बेटा है तो एक धक्के में सुपाड़ा पूरा पेल देगा, पेल, नहीं तो ,...



माँ की आवाज साफ़ सुनाई दे रही थी, मेरा मुंह बंद था कान थोड़े ही। गीता बता रही थी और माँ का मुंह भी नहीं,...

लेकिन मेरीसमझ में तभी आना शुरू हुआ जब भैया का मोटा सुपाड़ा मेरी गाँड़ में घुसना शुरू हुआ,... सारी थकान एक झटके में उतर गयी, देह दर्द से चूर हो गयी, इतनी तेज दर्द की लहर उठी, मुंह बंद भले था, पर देह दर्द से उमेठी जा रही थी, जल बिन मछली की तरह मैं तड़प रही थी,... खाली भाई होता तो मैं कब का,...



लेकिन माँ उसे सब कुछ का पहले से अंदाज था, उसने दोनों हाथ से मेरे सर को कस के पकड़ के मुझे झुका रखा और अपनी दोनों टांगो से मेरी पीठ पे कैंची की तरह , मेरी बुआ और कोई भी होली में माँ की पकड़ से नहीं बच पता था, मैंने कित्ती बार देखा था, मैं तो नयी बछेड़ी थी,

और भाई ने भी दोनों हाथों से मेरी पतली कटीली कमरिया जकड़ रखी थी, मैं दर्द से जितनी भी तड़पूँ न इंच भर हिल सकती थी, न चीख सकती थी, माँ ने यही सोच के की कही मेरी चीखों से घबड़ा के भैया अपना औजार बाहर न निकाल ले, अपनी मोटी मोटी चूँची मेरे मुंह में पेल रखी थी, पूरी ताकत से.



और एक बार सुपाड़ा जरा सा भी अंदर घुस जाय तो फिर तो लड़की लाख चीखे तड़पे चूतड़ पटके, दिमाग नहीं काम करता लड़के का उसके मूसल का मन काम करता है , और भइया के सुपाड़े ने तो मेरे अगवाड़े का जम के रस लिया था और उसको दिखा दिखा के जब भी मैं शलवार पहनती थी, टाइट उसको दिखा दिखा के चूतड़ मटकाती थी ,... बेचारा,

और आज जब उसे मौका मिला था, पूरी ताकत से वो पेल रहा था, ठेल रहा था, धकेल रहा था,

और ये भी बात नहीं की पहली बार गांड मार रहा था था खुद बताया था मेरी उम्र वालियों की भी फुलवा की, फुलवा की छुटकी बहिनिया जो मुझसे एक दो महीने छोटी ही , और वो भी डेढ़ साल पहले, और लड़कियों से पहले,... भी,... ..😜😜

उसे मालूम था की बहुत ताकत लगती है लेकिन कसी कसी गाँड़ में मजा भी दूना मिलता है , जब गाँड़ घुसने नहीं देती,.. लेकिन जित्ता घुस जाता है उसे कस के निचोड़ लेती है, दबोच लेती है,



दरेरते ,रगड़ते, घिसटते ,.. किसी तरह वो मोटा सुपाड़ा गाँड़ में घुस गया, बल्कि अटक गया,...
 
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गीता का पिछवाड़ा

अटक गया, धंस गया, ..... फट गईइइइ


और आज जब उसे मौका मिला था, पूरी ताकत से वो पेल रहा था, ठेल रहा था, धकेल रहा था, और ये भी बात नहीं की पहली बार गांड मार रहा था था खुद बताया था मेरी उम्र वालियों की भी फुलवा की, फुलवा की छुटकी बहिनिया जो मुझसे एक दो महीने छोटी ही , और वो भी डेढ़ साल पहले, और लड़कियों से पहले,... भी, .....😜😜



उसे मालूम था की बहुत ताकत लगती है लेकिन कसी कसी गाँड़ में मजा भी दूना मिलता है , जब गाँड़ घुसने नहीं देती,.. लेकिन जित्ता घुस जाता है उसे कस के निचोड़ लेती है, दबोच लेती है,

दरेरते ,रगड़ते, घिसटते ,.. किसी तरह वो मोटा सुपाड़ा गाँड़ में घुस गया, बल्कि अटक गया,...

भले मैं झुकी थी मुंह बंद था कस के दो दो ने दबोच रखा था लेकिन फिर भी अंदाज भी लग रहा था क्या हो रहा है और दर्द से जान भी जा रही ऊपर से माँ जो भैया से बोल रही थी,

" घुस गया न सुपाड़ा, यही मना कर रही थी न छिनार,.... और यही तेरा मन कर रहा था,... ,अब पेल पूरा मार ह्च्चक के गाँड़, अगर तीन दिन के पहले ये सीधे चलने लगी तो मैं मान लूंगी की तेरे लंड में मेरी बेटी की गाँड़ फाड़ने की ताकत नहीं है, करवट बदलने पे चीलखे ऐसा दर्द जब तक न हो तो क्या गाँड़ मारी गयी,... "




वो उकसा भी रही थी, और हड़का भी रही थी ,...

और ये जान के की अब मैं लाख चीखू चिल्लाऊं , सुपाड़ा धंसने के बाद मैं लंड बाहर नहीं निकाल पाउंगी और अब एक बार मेरी कसी कुँवारी गाँड़ का मजा पाने के बाद, बिना पूरा मारे , झड़े भैया बाहर नहीं निकालेगा,...

बस उन्होंने मेरे मुंह से अपनी चूँची निकाल ली, और हँसते हुए मुझे चिढ़ाते बोलीं,

" चीख अब जितनी ताकत हो , अरे पहली बार गाँड़ मरौव्वल हो, रोना धोना न हो चीख चिल्लाहट न हो मजा थोड़े आता है , अब मेरा प्यारा बेटे तेरी गाँड़ बिना मारे नहीं छोड़ेगा, चाहे सीधे से मरवा ले, चाहे रो रो के मरवा,... "





बाहर बारिश बहुत तेज हो रही थी , साथ में धू धू करके हवा भी चल रही थी , रह रह के बादल जोर और से गरज रहे थे,...बिजली कड़क रही थी



और उसी बीच में चीख इतनी तेज निकली की जरूर आधे गाँव में सुनाई दी होगी। मैं देर तक चीखती रही, चिल्लाती रही, रोती सुबकती रही,...

जबकि मेरा भैया अब गाँड़ मार भी नहीं रहा था, सुपाड़ा मोटा ऐसा अड़सा था, ना आगे हो सकता था न पीछे,...




मुश्किल से सुबकते हुए मेरे मुंह से धीरे से निकला,

" भइआ गोड़ पड़ रही हूँ तोहार, अब कभी झगड़ा नहीं करूंगीं, नहीं चिढ़ाऊंगी, बस एक बार, बस जरा सा निकाल लो, जल रहा है अंदर,"

और फिर सुबकना शुरू,... मुझे क्या मालूम था की असली दर्द तो अभी बाकी है, लेकिन माँ और भैया दोनों को मालुम था अभी तो ट्र्रेलर भी नहीं चला था ठीक से,...

माँ ने चिढ़ाते मुझे, मुस्करा के भैया को कस के आँख मार के इशारा किया और बोला,

" हे बहनचोद, सुन नहीं रहा है तेरी दुलारी छिनार बहन का कह रही है,.. निकालने के लिए,... "


सुपाड़ा, घुसने में जितना दर्द हुआ था उससे कम, निकलने में नहीं,... गाँड़ की मसल्स ने कस के उसे दबोच लिया था जैसे कभी छोड़ेंगी नहीं,... और साथ में माँ ने फिर बोला,

" अबे, तेरी बहन की फुद्दी मारुं,... स्साले तेरी छिनार बहना ने पूरा निकालने के लिए थोड़े ही बोला है, अरे थोड़ा सा निकाल के पूरा ठेलो, बाकी किसके लिए बचा रखा है , इस छिनार के कोई छोटी बहन भी तो नहीं है। "




और भैया ने मेरी कमर एक बार फिर कस के दबोचा, माँ की टांगों ने मेरी पीठ को दबोचा और अब की पहले से भी ज्यादा जोर लगा के , बस थोड़ा सा बाहर खिंच के हचक के पेला, ...

एक धक्का,

दो धक्का,


तीसरा धक्का

और चौथे धक्के में गाँड का छल्ला पार,...

उईईईईई ओह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ नहीं , उफ्फफ्फ्फ़ उईईईईई मैं चीखती रही चिल्लाती रही, भाई पेलता रहा, धकेलता रहा, ठेलता रहा,

माँ दबोचे रही, ...

फिर वो रुका गया जैसे सांस लेने के लिए थमा हो, माँ ने भी पकड़ धीमी कर दी, आधे से ज्यादा ही घुस गया था, छह इंच से थोड़ा ज्यादा ही,...




मैं रोते सुबक़ते धीरे धीरे चुप होने लगी, ... और माँ मेरे गाल चूम के चुप कराया,..

" अब काहें रो रही है, घोंट तो लिया, अरे ये दर्द आज नहीं तो कल होना ही था,... वो तेरा भाई बुद्धू है, अरे तेरा भाई ऐसे सब लौंडे हो न तो गौने की रात में भी दुल्हन कुँवारी रह जाएँ , जब भी फटेगी दर्द होगा , यही तो मज़ा है अब सिर्फ मजा लेना है,... "

और गुदगुदी लगाने लगीं।

मैं हलके से हंसी, और बोली,... नहीं मुझे ये दर्द वाला मज़ा नहीं लेना है।

तो ये वाला ये वाला लेगी ,

और नीचे से हाथ डाल कर मेरे उभार कस के दबा दिया,




शाम को ही मैं देख चुकी थी माँ जित्ता मस्त मसलती थी आँख के आगे नशा जाता था, ... और वही हुआ ,

और माँ की देखा देखी भैया ने भी दूसरा पकड़ लिया और दूसरे हाथ से पहले तो मेरी गुलाबो सहलाने लगा, और कुछ देर में ही एक झटके में दो ऊँगली एक साथ अंदर पेल दिया मेरी बुर के,... और अंदर भी ऊँगली फैला के,...

एकदम मोटे लंड की साइज की, इस तिहरे हमले का असर हुआ की गाँड़ में घुसे मोटे डंडे को भूल के मैं सिसकने लगी ,
 
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komaalrani

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नया स्वाद,...



मैं हलके से हंसी, और बोली,... नहीं मुझे ये दर्द वाला मज़ा नहीं लेना है।

तो ये वाला ये वाला लेगी , और नीचे से हाथ डाल कर मेरे उभार कस के दबा दिया, शाम को ही मैं देख चुकी थी माँ जित्ता मस्त मसलती थी आँख के आगे नशा जाता था, ...




और वही हुआ , और माँ की देखा देखी भैया ने भी दूसरा पकड़ लिया और दूसरे हाथ से पहले तो मेरी गुलाबो सहलाने लगा, और कुछ देर में ही एक झटके में दो ऊँगली एक साथ अंदर पेल दिया मेरी बुर के,... और अंदर भी ऊँगली फैला के,... एकदम मोटे लंड की साइज की,




इस तिहरे हमले का असर हुआ की गाँड़ में घुसे मोटे डंडे को भूल के मैं सिसकने लगी ,

खूब मजा रहा था , जैसे माँ मेरे निप्स फ्लिक कर रही थी ,





भैया मेरी चूत में ऊँगली कर रहा था,... थोड़ी देर में चाशनी बस बहने वाली थी की, भाई ने फिर से ठेलना शुरू कर दिया ,

बाकी का भी अंदर ठेल कर, एकदम जड़ तक, लग रहा था कोई लोहे का रॉड मेरे पेट में धंसा है,... और अब उसकी दोनों उँगलियाँ बुर में धमाल मचा रही थी,...

मेरी चीख पुकार बंद हो गयी और असली गाँड़ मरौव्वल अब शुरू हुयी , मैं थोड़ी बहुत चीख चाख रही थी लेकिन मजा मुझे आरहा था ,

चार पांच मिनट बाद भैया और माँ के हाथों का असर मैं झड़ने लगी, और भैया रुक गया,...




पर उसके बाद तो पूरे पंद्रह मिनट तक चूतड़ पकड़ के क्या मस्त गाँड़ मारी उसने, दर्द तो बहुत होरहा था आँखों में आंसू तैर रहे थे लेकिन मजा भी आ रहा था,...

हम दोनों साथ ही साथ झड़े, ... देर तक उसकी मलाई मेरी गाँड़ में गिरती रही , भर्ती रही और जो अंदर छिला था, मार मार के धूसर चोटे हुईं थीं सब पर मलहम की तरह ,




हम लोग लथपथ एक दूसरे से चिपके और माँ हमें छोड़ के,...

जब दस मिनट बाद माँ आयी तो भी खूंटा अंदर और हम दोनों चिपके,... माँ के हाथों में दो बड़े बड़े दूध के गिलास,...



माँ ने अपने हाथ से हम दोनों को पिलाया और हम दोनों को अपनी अँकवार में भर लिया।भैया तो महा खुश उसकी मन मांगी चीज़ मिल गयी थी, छोटी बहन की कोरी कच्ची गाँड़।



पर मेरी हालत खराब हो रही थी, दर्द अभी भी रह रह के हो रहा था, जरा सा करवट बदलती तो गाँड़ के अंदर तक चिलख मचती, जैसे अभी भी लकड़ी का मोटा सा पच्चड़ किसी ने मेरे पिछवाड़े गाड़ दिया हो, ...

नहीं नहीं मैं ये नहीं कह रही थी, कि मज़ा नहीं आया,... बाद में तो बहुत,दर्द के मारे जान भी निकल रही थी,... लेकिन साथ एक एकदम नए किस्म का मज़ा आ रहा था,... और सच में माँ अगर आज जबरदस्ती न करती न ,... तो न तो मेरा पिछवाड़ा फटता,... न ये नया नया मजा मिलता।

मन तो मेरा पहले भी करता था,... लेकिन डर बहुत लगता था,... एक दो भाभियों को जब मैंने लंगड़ाते हुए देख के चिढ़ाया तो वो ही बोलीं थी, ननद रानी, जिस दिन पिछवाड़े हल चलेगा न तो पता चलेगा, और ननद छिनार तोरे छोटे चूतड़ इत्ते मस्त है न ,... जिसके हाथ पड़ोगी न बिन फाड़े छोड़ेगा नहीं।

लेकिन मेरा भाई बिचारा, ... मन तो उसका बहुत करता था, पर एक दो बार मैंने कस के हड़का दिया बस बेचारा सहम गया।

दूध में माँ ने न जाने क्या क्या मिलाया था, और थोड़ा दुलार से थोड़ी जबरदस्ती पूरा ग्लास मुझे पीना पड़ा. लेकिन थोड़ी देर में थकान एकदम गायब हो गयी, मन और तन एकदम ताजा,... और भैया का तो वो भी टनटनाने लगा. वो मुझे देख के मुस्करा रहा था, और आँखों से चिढ़ा रहा था,... मैं माँ के पीछे छुपी दुबकी, जीभ निकाल के उसे चिढ़ा रही थी।

लेकिन माँ की तो पिलानिंग कुछ और ही थी, उसने एक हाथ से भैया का खूंटा पकड़ा और दूसरे हाथ से मेरी गर्दन, और मुझे हड़काते हुए बोला,



" चल, मुंह में ले,... "





कौन पहली बार मुंह में ले रही थी, ... झुक के मैंने मुंह में ले लिया,... पर जैसे ही सुपाड़ा मुंह में लिया था,...



तभी अचानक जीभ पर जोर से,... एक नया अहसास, कुछ नया नया सा, भइया की मलाई के साथ साथ,... और तभी १०० वाट का एल इ डी बल्ब जला,... ये अभी तो मेरे,... कहाँ से,... निकला है,... और मैंने मुंह में,...

लेकिन माँ बहुत खेली खायी उसे पहले से अंदाज था , ये नई छोरी बिचकेगी, लेकिन बच के कहाँ जायेगी, ... उन्होंने मेरी गर्दन पे पकडे हाथ का प्रेसर बढ़ाया और दूसरे हाथ से भी मेरे सर को ,... भैया के मूसल पे पकड़ के कस के दबाया,... और कस के गरियाया,...






" स्साली, जन्म की छिनार, ये छिनरपना अभी तेरी गाँड़ में पेलवाती हूँ, ... स्साली नौटंकी। अभी मेरे बेटे का लंड अपनी गाँड़ में मजे ले ले के घोंट रही थी, हंस हंस के गाँड़ मरवा रही थी, अब छिनरपना,... चूस पूरा, चाट चूस के पूरा,... "


और माँ ने इत्ता कस के मेरे सर को धकेला की भैया का पूरा मोटा सुपाड़ा मेरे मुंह में ,... और माँ की शह पा के वो भी अब कस के पूरी ताकत से अपना लंड मेरे मुंह में ठेल रहा था। अरे कौन भाई होगा, जिसे अपनी टीनेज बहन से चुसवाने में मजा नहीं आयेगा,...



आज मैं कभी भी भैया का सुपाड़े से ज्यादा घोंट नहीं पायी थी लेकिन आज माँ बेटे ने मिल के,... आधा से ज्यादा,... मेरे हलक तक था भी तो भैया स्साले बहनचोद का पूरा बांस।



पांच छह मिनट में , भाई ने निकाल लिया, मेरा गाल भी थक गया था चूस के लेकिन असर ये हुआ की भैया का एकदम टनाटन खूब मोटा,...



माँ मुझे देख के मुस्करा रही थी और मेरे कान में बोली,... कैसा लगा मेरी बेटी को नया स्वाद,...
 
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komaalrani

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और माँ ने इत्ता कस के मेरे सर को धकेला की भैया का पूरा मोटा सुपाड़ा मेरे मुंह में ,... और माँ की शह पा के वो भी अब कस के पूरी ताकत से अपना लंड मेरे मुंह में ठेल रहा था। अरे कौन भाई होगा, जिसे अपनी टीनेज बहन से चुसवाने में मजा नहीं आयेगा,...

आज मैं कभी भी भैया का सुपाड़े से ज्यादा घोंट नहीं पायी थी लेकिन आज माँ बेटे ने मिल के,... आधा से ज्यादा,... मेरे हलक तक था भी तो भैया स्साले बहनचोद का पूरा बांस।





पांच छह मिनट में , भाई ने निकाल लिया, मेरा गाल भी थक गया था चूस के लेकिन असर ये हुआ की भैया का एकदम टनाटन खूब मोटा,...


माँ मुझे देख के मुस्करा रही थी और मेरे कान में बोली,... कैसा लगा मेरी बेटी को नया स्वाद,...



फिर एक दो बार अपने बेटे के खूंटे को पकड़ के मुठियाया और मुझे हड़काते बोलीं,

अच्छा चल निहुर जल्दी, देख मेरे बेटे ने कैसा मस्त खड़ा किया है तेरी गाँड़ मारने को अब एक बार मरवा चुकी है तो छिनरापना मत कर,... हाँ ऐसे ही , टांग फैला , चूतड़ ऊपर,...

और फिर पहले की तरह मोटी मोटी तकिया मेरी पेट के नीचे,... और अपने बेटे को हड़काया भी उकसाया भी,


" चल बेटे मार ले गाँड़ इसकी हचक के,बहुत नखड़ा पेल रही थी न तुझे देने में, अबकी सम्हल सम्हल के नहीं बल्कि पहले धक्के से ही,... बस अब फाड़ दे इसकी , चीथड़े चीथड़े कर दे, कल सुबह लगे रात में किसी ने तसल्ली से इसकी गाँड़ मारी है, दिखा से अपना जांगर,... और अब मैं इसका मुंह भी नहीं बंद करुँगी, "




सच में माँ ने अपनी चूँची तो छोड़िये हथेली भी मेरी मुंह पे नहीं रखी जब मैं चीखी, हाँ कस के मुझे दबोच रखा था की मैं हिलू डुलु नहीं , उछलू नहीं जब तक उनका बेटा मेरा गाँड़ मार रहा है,

और सच में भैया ने इत्ती कस के पहला धक्का ही मारा, आधा मूसल तो घुस ही गया, मैं जोर से चीखी, और माँ ने पकड़ा न होता,... तो मैं दो फिट उछलती,... लग रहा था किसी ने मोटा स्टील का डंडा मेरे पेट तक पेल दिया है,

मैं चीखती रही तड़पती रही बिसूरति रही,.. और वो पेलता रहा धकेलता रहा ठेलता रहा बिना रुके,...




चार पांच मिनट में ही पूरा खूंटा अंदर,... और तब जाके वो रुका और माँ ने छोड़ा

लेकिन इंटरवल दो मिनट का भी न रहा होगा, एक बार मैं बस अपने अंदर तक भैया का मोटा खूंटा महसूस करने लगी,एकदम जड़ तक, गाँड़ फटी जा रही थी. लेकिन मैं अब समझ गयी थी की बुर की तरह गाँड़ भी, बल्कि टेम्पो या बम्बई के लोकल की तरह,.. चौथी पांचवी की जगह बना ही लेती है जहाँ तीन की जगह हो..थोड़ा एडजस्ट कर लीजिये प्लीज वाले अंदाज में,...

खूब भरा भरा हल्का हल्का अच्छा लग रहा था , एक नए ढंग का मज़ा,...


पर तबतक भाई ने मेरी कमर छोड़ के दोनों नीचे झुकी हुयी छोटी छोटी चूँचियों को पकड़ लिया और लगा कस के दबाने, निचोड़ने,... एक नया दर्द , एक नया मज़ा कभी वो जोर से नाखून में निप्स में दबा देता चिकोट लेता और मैं चीख पड़ती , ... इस चक्कर में पीछे का दर्द मैं भूल गयी थी,...


फिर दोनों जोबन पकड़ के क्या करारे धक्के लगाए उसने जैसे इंजन का पिस्टन अंदर बाहर हो रहा हो , जैसे वो रगड़ता, दरेरता, घिसटता अंदर घुसता जान निकल जाती, और बाहर जाता तो चमड़ी अंदर की छिल जाती,

इस बार फिर से दर्द की लहर,... एक के बाद एक

उईईई उईईईईई मैं चीख रही थी चूतड़ पटक रही थी , लेकिन उस के धक्के न हलके हुए न वो रुका,... हाँ मैं खुद थोड़ी देर में सिसकने लगी, मजे से कांपने लगी और न उसने मुझे जाँघों के बीच छुआ न माँ ने मेरी गुलाबो को प्यार दुलार किया, पर वो कांपने लगी, ख़ुशी से सिकुड़ने फ़ैलने लगी,



और थोड़ी देर में मैं झड़ रही थी , तूफ़ान में पत्ते की तरह काँप रही थी, ... माँ मेरा सर सहला रही थी,... भैया मेरे अंदर पिछवाड़े पूरी तरह धंसा,

पहली बार लगा की गाँड़ मरवाने से भी कोई लड़की झड़ सकती है,...

और जब मेरा कांपना रुका तो भैया ने फिर धक्के पर धक्के , अब उसको भी खूब मज़ा आ रहा था और मुझे भी, हाँ दर्द भी हो रहा था और उसी दर्द का एक मजा था,...

पांच सात मिनट बाद एक बार मैं फिर काँप रही थी और भैया भी,




हम दोनों साथ साथ झड़ रहे थे और बड़ी देर तक ऐसे ही पड़े रहे, ... अबकी खुद उसने जैसे बाहर किया मैंने प्यारे से चमचम को मुंह में ले लिया,

और उस रात तीन बार,...पहली बार को जोड़ के तो चार बार हचक के भैया ने मेरी गाँड़ मारी।

लेकिन हर बार अलग ढंग से अगली बार मैं पलंग पर वैसे ही लेटी थी जैसे भैया से चुदवाती थी, पीठ के बल , टाँगे भैया के दोनों कन्धों पे,... बस अबकी माँ भी साथ थी, कभी दुलार से प्यार से मेरे गाल सहलातीं तो कभी कभी मस्ती से मेरी चूँची दबोच लेतीं,




धक्का जरा भी धीमा हुआ न तो भैया को डांट पड़ जाती,

कभी गोद में उठा के भैया अपने खूंटे पे बैठा लेता और थोड़ी देर गोद में बिठाये बिठाये मारता फिर आराम से पलंग पे लिटा के



माँ एकदम बगल में दोनों बच्चों की मस्ती देख रही थी

और जब भैया रुका तो लग रहा था जैसे किसी ने पाव भर मिर्चा डाल के कूट दिया हो,...



गनीमत था ठीक चार बजे माँ को याद आ गया, आज रोपनी होनी है और भैया को जाना है , गाँव में सुबह बहुत जल्दी होती है , तो माँ ने भाई को वहां भेज दिया वरना वो तो और,...
 
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Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
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रात भर


और माँ ने इत्ता कस के मेरे सर को धकेला की भैया का पूरा मोटा सुपाड़ा मेरे मुंह में ,... और माँ की शह पा के वो भी अब कस के पूरी ताकत से अपना लंड मेरे मुंह में ठेल रहा था। अरे कौन भाई होगा, जिसे अपनी टीनेज बहन से चुसवाने में मजा नहीं आयेगा,...

आज मैं कभी भी भैया का सुपाड़े से ज्यादा घोंट नहीं पायी थी लेकिन आज माँ बेटे ने मिल के,... आधा से ज्यादा,... मेरे हलक तक था भी तो भैया स्साले बहनचोद का पूरा बांस।

पांच छह मिनट में , भाई ने निकाल लिया, मेरा गाल भी थक गया था चूस के लेकिन असर ये हुआ की भैया का एकदम टनाटन खूब मोटा,...


माँ मुझे देख के मुस्करा रही थी और मेरे कान में बोली,... कैसा लगा मेरी बेटी को नया स्वाद,...



फिर एक दो बार अपने बेटे के खूंटे को पकड़ के मुठियाया और मुझे हड़काते बोलीं,

अच्छा चल निहुर जल्दी, देख मेरे बेटे ने कैसा मस्त खड़ा किया है तेरी गाँड़ मारने को अब एक बार मरवा चुकी है तो छिनरापना मत कर,... हाँ ऐसे ही , टांग फैला , चूतड़ ऊपर,...

और फिर पहले की तरह मोटी मोटी तकिया मेरी पेट के नीचे,... और अपने बेटे को हड़काया भी उकसाया भी,


" चल बेटे मार ले गाँड़ इसकी हचक के,बहुत नखड़ा पेल रही थी न तुझे देने में, अबकी सम्हल सम्हल के नहीं बल्कि पहले धक्के से ही,... बस अब फाड़ दे इसकी , चीथड़े चीथड़े कर दे, कल सुबह लगे रात में किसी ने तसल्ली से इसकी गाँड़ मारी है, दिखा से अपना जांगर,... और अब मैं इसका मुंह भी नहीं बंद करुँगी, "

सच में माँ ने अपनी चूँची तो छोड़िये हथेली भी मेरी मुंह पे नहीं रखी जब मैं चीखी, हाँ कस के मुझे दबोच रखा था की मैं हिलू डुलु नहीं , उछलू नहीं जब तक उनका बेटा मेरा गाँड़ मार रहा है,

और सच में भैया ने इत्ती कस के पहला धक्का ही मारा, आधा मूसल तो घुस ही गया, मैं जोर से चीखी, और माँ ने पकड़ा न होता,... तो मैं दो फिट उछलती,... लग रहा था किसी ने मोटा स्टील का डंडा मेरे पेट तक पेल दिया है,

मैं चीखती रही तड़पती रही बिसूरति रही,.. और वो पेलता रहा धकेलता रहा ठेलता रहा बिना रुके,...

चार पांच मिनट में ही पूरा खूंटा अंदर,... और तब जाके वो रुका और माँ ने छोड़ा

लेकिन इंटरवल दो मिनट का भी न रहा होगा, एक बार मैं बस अपने अंदर तक भैया का मोटा खूंटा महसूस करने लगी,एकदम जड़ तक, गाँड़ फटी जा रही थी. लेकिन मैं अब समझ गयी थी की बुर की तरह गाँड़ भी, बल्कि टेम्पो या बम्बई के लोकल की तरह,.. चौथी पांचवी की जगह बना ही लेती है जहाँ तीन की जगह हो..थोड़ा एडजस्ट कर लीजिये प्लीज वाले अंदाज में,...

खूब भरा भरा हल्का हल्का अच्छा लग रहा था , एक नए ढंग का मज़ा,...


पर तबतक भाई ने मेरी कमर छोड़ के दोनों नीचे झुकी हुयी छोटी छोटी चूँचियों को पकड़ लिया और लगा कस के दबाने, निचोड़ने,... एक नया दर्द , एक नया मज़ा कभी वो जोर से नाखून में निप्स में दबा देता चिकोट लेता और मैं चीख पड़ती , ... इस चक्कर में पीछे का दर्द मैं भूल गयी थी,...


फिर दोनों जोबन पकड़ के क्या करारे धक्के लगाए उसने जैसे इंजन का पिस्टन अंदर बाहर हो रहा हो , जैसे वो रगड़ता, दरेरता, घिसटता अंदर घुसता जान निकल जाती, और बाहर जाता तो चमड़ी अंदर की छिल जाती,

इस बार फिर से दर्द की लहर,... एक के बाद एक

उईईई उईईईईई मैं चीख रही थी चूतड़ पटक रही थी , लेकिन उस के धक्के न हलके हुए न वो रुका,... हाँ मैं खुद थोड़ी देर में सिसकने लगी, मजे से कांपने लगी और न उसने मुझे जाँघों के बीच छुआ न माँ ने मेरी गुलाबो को प्यार दुलार किया, पर वो कांपने लगी, ख़ुशी से सिकुड़ने फ़ैलने लगी,



और थोड़ी देर में मैं झड़ रही थी , तूफ़ान में पत्ते की तरह काँप रही थी, ... माँ मेरा सर सहला रही थी,... भैया मेरे अंदर पिछवाड़े पूरी तरह धंसा,

पहली बार लगा की गाँड़ मरवाने से भी कोई लड़की झड़ सकती है,...

और जब मेरा कांपना रुका तो भैया ने फिर धक्के पर धक्के , अब उसको भी खूब मज़ा आ रहा था और मुझे भी, हाँ दर्द भी हो रहा था और उसी दर्द का एक मजा था,...

पांच सात मिनट बाद एक बार मैं फिर काँप रही थी और भैया भी,


हम दोनों साथ साथ झड़ रहे थे और बड़ी देर तक ऐसे ही पड़े रहे, ... अबकी खुद उसने जैसे बाहर किया मैंने प्यारे से चमचम को मुंह में ले लिया,

और उस रात तीन बार,...पहली बार को जोड़ के तो चार बार हचक के भैया ने मेरी गाँड़ मारी।


लेकिन हर बार अलग ढंग से अगली बार मैं पलंग पर वैसे ही लेटी थी जैसे भैया से चुदवाती थी, पीठ के बल , टाँगे भैया के दोनों कन्धों पे,... बस अबकी माँ भी साथ थी, कभी दुलार से प्यार से मेरे गाल सहलातीं तो कभी कभी मस्ती से मेरी चूँची दबोच लेतीं, हैं धक्का जरा भी धीमा हुआ न तो भैया को डांट पड़ जाती,

कभी गोद में उठा के भैया अपने खूंटे पे बैठा लेता और थोड़ी देर गोद में बिठाये बिठाये मारता फिर आराम से पलंग पे लिटा के

माँ एकदम बगल में दोनों बच्चों की मस्ती देख रही थी

लग रहा था जैसे किसी ने पाव भर मिर्चा डाल के कूट दिया हो,...



गनीमत था ठीक चार बजे माँ को याद आ गया, आज रोपनी होनी है और भैया को जाना है , गाँव में सुबह बहुत जल्दी होती है , तो माँ ने भाई को वहां भेज दिया वरना वो तो और,...
Gazab updates,kehte hai ma rakshak hoti hai,ab rakshak ki paribhasha hi badal di Komal didi ne.ha ha just joking.
Adbhut vyakhya ki hai back hole ke udghatan ki Komal didi ne..
Just awesome super
duper updates, typical Komal style.
Inki praise karne ki aukat nahi hai Raji ki.Fir bhi 👇


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komaalrani

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Thanks friends i like likes, but like every greedy writer i do like comments too if not more as they are more expressive and sooths my ego
 

komaalrani

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ye INCEST ka chaska aapki stories ka lagya hai jo aapse sikha hai usi ko thoda bahoot copy kar rahi hun ye tomapka badappan hai for such wonderful praise, aur aap meri dono stories pe regular comment deti hai anpi story regular post karne ke saath saath main to jitana thanks dun kam hai ,.. thanks again


Seth Meyers Reaction GIF by Late Night with Seth Meyers
Take A Bow Thank You GIF by Iliza
Lisa Kudrow Reaction GIF by The Comeback HBO
 
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Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
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ye INCEST ka chaska aapki stories ka lagya hai jo aapse sikha hai usi ko thoda bahoot copy kar rahi hun ye tomapka badappan hai for such wonderful praise, aur aap meri dono stories pe regular comment deti hai anpi story regular post karne ke saath saath main to jitana thanks dun kam hai ,.. thanks again


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Komal didi ab me Nimani kya jawab du aapko.
Aap jesi badi writer ki itni praise to mujhe bhavuk kar deti hai.Fir bhi kuchh to kehna hai jawab mein 👇

"Changey chahe marey halat vich rakhi,
Mennu mera malka aukat
vich rakhi.

Didi Raji ko apni aukat mein hi rehne do
 
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pprsprs0

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अब आप लोग ये बात जानना ही चाहते हैं तो चलिए कुछ पूछ ताछ कर के इसका भी हाल बयान करुँगी अगली किसी पोस्ट में वल्दियत का मामला थोड़ा साफ होना चाहिए आखिर आज कल हर जगह संस्कार की बात चलती है तो,... ख़बरों का भी डी एन ए टेस्ट होता है तो ,.... जैसे ही पता चलेगा वो क्या कहते हैं आजकल,

फैक्ट चेक , फेक वाली नहीं

बताउंगी जरूर ,
ज़रूर देश की जानता जवाब माँग रही है😅😂
 
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