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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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मेरी कहानियां

समय समय पर अलग लाग फोरम में पोस्टेड मेरी कहानियों की सूची , लेकिन ये सिर्फ याद पर आधारित है मित्र पाठक पाठिकाएं इसमें और जोड़ घटाना कर सकते हैं

१, होली में फट गयी -यह मेरी पहली कहानी थी और इस फोरम में भी कोमल के किस्से वाले थ्रेड में मैंने इसे फिर से पोस्ट किया है।

२. चांदनी चली गाँव

३. साजन चले ससुराल होली में

४. मजा लूटा होली में

५. साजन बने नन्दोई

६. एक रात सलहज के साथ या लाइफ आफ अ सेल्समैन

७. इट हैपन्ड या शादी के लड्डू या इंडियन वेडिंग

८ Autumn Sonata

9. Yellow Roses

१०. जीजा साली की दास्तान ( तीन कहानियां )

११. एक छोटी सी होली स्टोरी

१२ लेट अस प्ले होली

१३. होली के रंग

१४. ना भूली वो होली

१५. मजा लुटा होली का ससुराल में ( यह कहानी इस फोरम में हैं और छुटकी इसी का सीक्वेल है )

१६. लला फिर अइयो खेलन होरी ( एक छोटी सी रोमांटिक कहानी , जो इस फोरम में है कोमल के किस्से थ्रेड में )

१७. बरसन लागी बदरिया

१८. सावन के झूले पड़े

१९. सोलहवां सावन ( इसका परिमार्धित संस्करण इस फ़ोरम में है जिसमें ढेर सारे नए प्रसंग जोड़े गए हैं ) .

२०. It's a hard hard rain ( in English section in this forum )

21 Red little riding hood or 666 ( unavailable )

२२ ननद की ट्रेनिंग

२३ फागुन की दिन चार

२४ मोहे रंग दे ( इस फोरम में मूल रूप से पोस्टेड )

२५ जोरू के गुलाम ( इस फोरम में जारी, इसका अंग्रेजी रूप पहले पोस्ट हुआ फिर हिंदी रूप जो काफी अलग था पिछले फोरम में अधूरा और अब यहाँ )

२६ छुटकी - होली, दीदी की ससुराल में ( इस फोरम में ही पहली बार और अभी जारी ) ,


यह लिस्ट मैं इसलिए शेयर कर रही हूँ, क्योंकि कई बार मेरे मित्र कहानी का शीर्षक देख के सोचते हैं की शायद ये उनकी पढ़ी हो,... और कई के नाम मिलते जुलते है जैसे मोहे रंग दे के नाम और पहली पोस्टों से शायद लगा होगा की होली की एक और कहानी ,... लेकिन वो कहानी तन से ज्यादा मन को रंगने की है और वो भी नव दम्पति की

उसी तरह फागुन के दिन चार में शुरू में तो बनारस की होली का एक दृश्य है पर वो कहानी एक लम्बे थ्रिलर के रूप में बढ़ी जिसमें तीन शहरों , बनारस, बंबई और बड़ौदा में आंतकवादी साजिश तक मामला जाता है और अफगानिस्तान की टोरा बोरा की पहड़ियाँ , कुछ पडोसी देश भी पर साथ साथ एरोटिक और रोमांटिक प्रसंग भी है पर नाम से कई बार भ्रम रहता है


और एक कारण ये भी ही ये स्मृति के पृष्ठों से धूल उड़ाने का भी काम करेगी,... और अगर कुछ छूटा बचा होगा तो सहृदय पाठक गण याद भी दिलाएंगे।
 

komaalrani

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moms-teach-sex-brandi-love-rebel-lynn-in-while-mom-is-away-14.jpg
Badhiya hai theory ke baad practice bhi jabrdst ekdam isteaaml karungi apni story men aap ko abhi se aagah kar de rahi hun , phir na kahiyegaa bahoot bahoot thanks
 

komaalrani

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Ab 300 page hone ki khussi mei ek dhamaka to banta hai
Ho jo jaaye,... kohsish karungi aapke kahe ke mutabik 301 ven pge par agala update jaoor aa jaaye
 

pprsprs0

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मेरी कहानियां

समय समय पर अलग लाग फोरम में पोस्टेड मेरी कहानियों की सूची , लेकिन ये सिर्फ याद पर आधारित है मित्र पाठक पाठिकाएं इसमें और जोड़ घटाना कर सकते हैं

१, होली में फट गयी -यह मेरी पहली कहानी थी और इस फोरम में भी कोमल के किस्से वाले थ्रेड में मैंने इसे फिर से पोस्ट किया है।

२. चांदनी चली गाँव

३. साजन चले ससुराल होली में

४. मजा लूटा होली में

५. साजन बने नन्दोई

६. एक रात सलहज के साथ या लाइफ आफ अ सेल्समैन

७. इट हैपन्ड या शादी के लड्डू या इंडियन वेडिंग

८ Autumn Sonata

9. Yellow Roses

१०. जीजा साली की दास्तान ( तीन कहानियां )

११. एक छोटी सी होली स्टोरी

१२ लेट अस प्ले होली

१३. होली के रंग

१४. ना भूली वो होली

१५. मजा लुटा होली का ससुराल में ( यह कहानी इस फोरम में हैं और छुटकी इसी का सीक्वेल है )

१६. लला फिर अइयो खेलन होरी ( एक छोटी सी रोमांटिक कहानी , जो इस फोरम में है कोमल के किस्से थ्रेड में )

१७. बरसन लागी बदरिया

१८. सावन के झूले पड़े

१९. सोलहवां सावन ( इसका परिमार्धित संस्करण इस फ़ोरम में है जिसमें ढेर सारे नए प्रसंग जोड़े गए हैं ) .

२०. It's a hard hard rain ( in English section in this forum )

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२२ ननद की ट्रेनिंग

२३ फागुन की दिन चार

२४ मोहे रंग दे ( इस फोरम में मूल रूप से पोस्टेड )

२५ जोरू के गुलाम ( इस फोरम में जारी, इसका अंग्रेजी रूप पहले पोस्ट हुआ फिर हिंदी रूप जो काफी अलग था पिछले फोरम में अधूरा और अब यहाँ )

२६ छुटकी - होली, दीदी की ससुराल में ( इस फोरम में ही पहली बार और अभी जारी ) ,


यह लिस्ट मैं इसलिए शेयर कर रही हूँ, क्योंकि कई बार मेरे मित्र कहानी का शीर्षक देख के सोचते हैं की शायद ये उनकी पढ़ी हो,... और कई के नाम मिलते जुलते है जैसे मोहे रंग दे के नाम और पहली पोस्टों से शायद लगा होगा की होली की एक और कहानी ,... लेकिन वो कहानी तन से ज्यादा मन को रंगने की है और वो भी नव दम्पति की

उसी तरह फागुन के दिन चार में शुरू में तो बनारस की होली का एक दृश्य है पर वो कहानी एक लम्बे थ्रिलर के रूप में बढ़ी जिसमें तीन शहरों , बनारस, बंबई और बड़ौदा में आंतकवादी साजिश तक मामला जाता है और अफगानिस्तान की टोरा बोरा की पहड़ियाँ , कुछ पडोसी देश भी पर साथ साथ एरोटिक और रोमांटिक प्रसंग भी है पर नाम से कई बार भ्रम रहता है


और एक कारण ये भी ही ये स्मृति के पृष्ठों से धूल उड़ाने का भी काम करेगी,... और अगर कुछ छूटा बचा होगा तो सहृदय पाठक गण याद भी दिलाएंगे।
👏👏👏👏👏👏👏👏
 

pprsprs0

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Bilkul , intezar rahega
Badhiya hai theory ke baad practice bhi jabrdst ekdam isteaaml karungi apni story men aap ko abhi se aagah kar de rahi hun , phir na kahiyegaa bahoot bahoot thanks
 

Luckyloda

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Bhut
मेरी कहानियां

समय समय पर अलग लाग फोरम में पोस्टेड मेरी कहानियों की सूची , लेकिन ये सिर्फ याद पर आधारित है मित्र पाठक पाठिकाएं इसमें और जोड़ घटाना कर सकते हैं

१, होली में फट गयी -यह मेरी पहली कहानी थी और इस फोरम में भी कोमल के किस्से वाले थ्रेड में मैंने इसे फिर से पोस्ट किया है।

२. चांदनी चली गाँव

३. साजन चले ससुराल होली में

४. मजा लूटा होली में

५. साजन बने नन्दोई

६. एक रात सलहज के साथ या लाइफ आफ अ सेल्समैन

७. इट हैपन्ड या शादी के लड्डू या इंडियन वेडिंग

८ Autumn Sonata

9. Yellow Roses

१०. जीजा साली की दास्तान ( तीन कहानियां )

११. एक छोटी सी होली स्टोरी

१२ लेट अस प्ले होली

१३. होली के रंग

१४. ना भूली वो होली

१५. मजा लुटा होली का ससुराल में ( यह कहानी इस फोरम में हैं और छुटकी इसी का सीक्वेल है )

१६. लला फिर अइयो खेलन होरी ( एक छोटी सी रोमांटिक कहानी , जो इस फोरम में है कोमल के किस्से थ्रेड में )

१७. बरसन लागी बदरिया

१८. सावन के झूले पड़े

१९. सोलहवां सावन ( इसका परिमार्धित संस्करण इस फ़ोरम में है जिसमें ढेर सारे नए प्रसंग जोड़े गए हैं ) .

२०. It's a hard hard rain ( in English section in this forum )

21 Red little riding hood or 666 ( unavailable )

२२ ननद की ट्रेनिंग

२३ फागुन की दिन चार

२४ मोहे रंग दे ( इस फोरम में मूल रूप से पोस्टेड )

२५ जोरू के गुलाम ( इस फोरम में जारी, इसका अंग्रेजी रूप पहले पोस्ट हुआ फिर हिंदी रूप जो काफी अलग था पिछले फोरम में अधूरा और अब यहाँ )

२६ छुटकी - होली, दीदी की ससुराल में ( इस फोरम में ही पहली बार और अभी जारी ) ,


यह लिस्ट मैं इसलिए शेयर कर रही हूँ, क्योंकि कई बार मेरे मित्र कहानी का शीर्षक देख के सोचते हैं की शायद ये उनकी पढ़ी हो,... और कई के नाम मिलते जुलते है जैसे मोहे रंग दे के नाम और पहली पोस्टों से शायद लगा होगा की होली की एक और कहानी ,... लेकिन वो कहानी तन से ज्यादा मन को रंगने की है और वो भी नव दम्पति की

उसी तरह फागुन के दिन चार में शुरू में तो बनारस की होली का एक दृश्य है पर वो कहानी एक लम्बे थ्रिलर के रूप में बढ़ी जिसमें तीन शहरों , बनारस, बंबई और बड़ौदा में आंतकवादी साजिश तक मामला जाता है और अफगानिस्तान की टोरा बोरा की पहड़ियाँ , कुछ पडोसी देश भी पर साथ साथ एरोटिक और रोमांटिक प्रसंग भी है पर नाम से कई बार भ्रम रहता है


और एक कारण ये भी ही ये स्मृति के पृष्ठों से धूल उड़ाने का भी काम करेगी,... और अगर कुछ छूटा बचा होगा तो सहृदय पाठक गण याद भी दिलाएंगे।
bhut bhut aabhaar aapka🙏🙏🙏🙏
 

Luckyloda

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भाग ४० इन्सेस्ट गाथा -

गोलकुंडा पर चढ़ाई -भाई की




तब तक माँ ने कुछ देखा और एकदम अलफ़, और मुझसे ज्यादा भैया पे, ... वो तो बाद में समझ आया मेरी बुर से बहती चासनी को कुछ उन्होंने अपनी ऊँगली से फैला के,मेरे पिछवाड़े के छेद पे, और उनकी अनुभवी आँखों ने भांप लिया, अभी वो छेद इतना टाइट है,... मेरी चासनी से गीली अपनी ऊँगली को उन्होंने पूरी ताकत से उस छेद में ठेलने की कोशिश की ,

और वो नहीं घुसी,... एकदम टाइट, ..

दरार पर रगड़ा, उन्होने, दोनों अंगूठों से फैलाया,

एकदम टाइट,...



और गुस्से से अपने बेटे की ओर देखा उन्होंने,.. उस बेचारे ने सर झुका लिया,

गलती उसकी ज़रा भी नहीं थी , वो तो पहले दिन से पिछवाड़े के पीछे पड़ा था, लेकिन मैं ही उसे डपट देती थी, ...किसी गाँव की भौजी ने ही बोला था बहुत दर्द होता है,...

उसने बहुत समझाया था मुझे , खूब तेल लगा लेगा, ... ज़रा भी दर्द होगा तो बाहर निकाल लेगा , फिर दुबारा बोलेगा भी नहीं पिछवाड़े के बारे में,.. कई लड़कियों की मारी है , मेरी समौरियों की भी,

लेकिन मुड़ के मैंने गुस्से भर के कहा,... अगर उधर देखा भी न तो मैं पास भी नहीं फटकने दूंगी,...



बेचारा,...

सर झुका लिया , ये भी न समझ पाया की मेरा गुस्सा कितना असली, कितना नकली है. और मैं दूसरी ओर मुंह कर के मुस्कराने लगी. शायद जबरदस्ती करता जो उसने दूसरी लड़कियों के साथ की होगी, पर

परेशानी ये थी की वो मुझे चाहता भी बहुत था, जितना मज़े लेना चाहता था, उससे ज्यादा, ... मुझे हल्की सी ठेस भी लग जाए,... तो मुझसे ज्यादा दर्द उसे होता था जब तक मैं नहीं मुस्कराती थी वो भी गुमसुम मुंह बना के,... तो बस मेरा झूठा गुस्सा भी,....

लेकिन माँ सब समझती थी और उस का गुस्सा भी सच्चा होता था, हम दोनों डरते थे , बिना मारे उसकी ठंडी आवाज ही,...

और उसी आवाज में वो मुझसे बोली, चल निहुर, चूतड़ खूब ऊपर उठा के,....




और जा के अपने बेटे की सब गांठे खोल दीं. मैं चुपचाप निहुरी, पिछवाड़ा ऊपर किये,..

माँ ने झाड़ झाड़ के मुझे इत्ता थेथर कर दिया था की मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था,

बस मैं देख रही थी, उन्होंने अपने बेटे की गांठे खोल दी, उसे बहुत धीरे धीरे से कुछ समझाया और बेटे का खूंटा तो वैसे ही खड़ा था, माँ की बातें सुन के,... लगता है और,...

बस मैं गुटुर गुटुर देख रही, धीरे धीरे कुछ ताकत लौट रही थी मेरी, कुछ सोचने समझने की शक्ति,...
तबतक माँ मेरे पास आ गयीं,शायद उन्हें लगा की उन्होंने कुछ ज्यादा ही जोर से हड़का दिया,...

बड़े प्यार से मेरे उठे पेट के नीचे ढेर सारे मोटे मोटे तकिये कुशन यहाँ वहां से लाकर लगा दिए, लेकिन सब मेरी नाभि के आस पास या ऊपर ही, अपने हाथ से ही मेरी टांगों को और फैला दिया,.. बहुत दुलार से मेरे गोरे गोरे मुलायम छोटे छोटे चूतड़ों को सहलाया और एक बहुत हलकी सी दुलार वाली चपत लगा दी,.... मैं निहाल की माँ अब गुस्से में नहीं है,... और दूसरे अब मेरी कमर का प्रेशर थोड़ा तो कम हो गया, तकियों से बहुत सहारा मिल गया,

तब तक मुझे नहीं अंदाजा था की क्या होने वाला है,



" हे मेरी दुलारी रानी बेटी, अपनी रानी बेटी को बहुत दिन से दुद्धू नहीं पिलाया, ... मुंह खोल खूब बड़ा सा , हाँ और बड़ा जैसे लड्डू खाने के लिए खोलती है न हाँ, खोले रहना,.. "
और माँ ने प्यार से अपनी बड़ी ३८ नंबर वाली चूँची मेरे मुंह में ठेल दी आधी,.. और जैसे बचपन में दूध पिलाते समय एक हाथ से प्यार से सर पकड़ लेती थीं उसी तरह हाथ से सर को कस के,

और मैं चुसूर चुसूर,...



ये तो मैं बाद में समझी,... माँ की पकड़, अब मैं लाख कोशिश करूँ हलके से भी नहीं चीख सकती,और चीखूंगी भी तो आवाज गले में ही रह जायेगी,... मेरा मुंह अच्छी तरह बंद हो गया,...

पर माँ का मुंह बंद नहीं था अपने बेटे से बोल रही थीं , नहीं नहीं तेल नहीं ऐसे ही,... अच्छा चल बस ज़रा सा, खाली सुपाड़े पर, अरे चुपड़ नहीं बस दो बूँद लगा ले,...



अब मुझे कुछ समझ में आने लगा, याद भी आने लगा,...

जब मेरी भैया ने फाड़ी थी, सरसों के तेल की आधी बोतल मेरी दोनों फांके फैला के चुवाई थी और ढेर सारा अपने हाथ में लेकर उपर भी हलके हलके मसले के,... एक ऊँगली में खूब ढेर सारा तेल लगा के हलके हलके,... तब भी इतना दर्द हुआ,... और

"हाँ बस थूक लगा के फैला दो,... बहुत छिनरपना कर रही थी न, अरे इस उमर की लड़कियों की गाँड़ मारी नहीं फाड़ी जाती है , और जो सीधे से न दे, नखड़ा दिखाए उसकी तो और कस,... और चिल्लायेगी नहीं, मैंने कस के चूँची इसके मुंह में पेल रखी है , तू पेल सुपाड़ा,...

अबे स्साले, अगर तू मेरा बेटा है तो एक धक्के में सुपाड़ा पूरा पेल देगा, पेल, नहीं तो ,...



माँ की आवाज साफ़ सुनाई दे रही थी, मेरा मुंह बंद था कान थोड़े ही। गीता बता रही थी और माँ का मुंह भी नहीं,...

लेकिन मेरीसमझ में तभी आना शुरू हुआ जब भैया का मोटा सुपाड़ा मेरी गाँड़ में घुसना शुरू हुआ,... सारी थकान एक झटके में उतर गयी, देह दर्द से चूर हो गयी, इतनी तेज दर्द की लहर उठी, मुंह बंद भले था, पर देह दर्द से उमेठी जा रही थी, जल बिन मछली की तरह मैं तड़प रही थी,... खाली भाई होता तो मैं कब का,...



लेकिन माँ उसे सब कुछ का पहले से अंदाज था, उसने दोनों हाथ से मेरे सर को कस के पकड़ के मुझे झुका रखा और अपनी दोनों टांगो से मेरी पीठ पे कैंची की तरह , मेरी बुआ और कोई भी होली में माँ की पकड़ से नहीं बच पता था, मैंने कित्ती बार देखा था, मैं तो नयी बछेड़ी थी,

और भाई ने भी दोनों हाथों से मेरी पतली कटीली कमरिया जकड़ रखी थी, मैं दर्द से जितनी भी तड़पूँ न इंच भर हिल सकती थी, न चीख सकती थी, माँ ने यही सोच के की कही मेरी चीखों से घबड़ा के भैया अपना औजार बाहर न निकाल ले, अपनी मोटी मोटी चूँची मेरे मुंह में पेल रखी थी, पूरी ताकत से.



और एक बार सुपाड़ा जरा सा भी अंदर घुस जाय तो फिर तो लड़की लाख चीखे तड़पे चूतड़ पटके, दिमाग नहीं काम करता लड़के का उसके मूसल का मन काम करता है , और भइया के सुपाड़े ने तो मेरे अगवाड़े का जम के रस लिया था और उसको दिखा दिखा के जब भी मैं शलवार पहनती थी, टाइट उसको दिखा दिखा के चूतड़ मटकाती थी ,... बेचारा,

और आज जब उसे मौका मिला था, पूरी ताकत से वो पेल रहा था, ठेल रहा था, धकेल रहा था,

और ये भी बात नहीं की पहली बार गांड मार रहा था था खुद बताया था मेरी उम्र वालियों की भी फुलवा की, फुलवा की छुटकी बहिनिया जो मुझसे एक दो महीने छोटी ही , और वो भी डेढ़ साल पहले, और लड़कियों से पहले,... भी,... ..😜😜

उसे मालूम था की बहुत ताकत लगती है लेकिन कसी कसी गाँड़ में मजा भी दूना मिलता है , जब गाँड़ घुसने नहीं देती,.. लेकिन जित्ता घुस जाता है उसे कस के निचोड़ लेती है, दबोच लेती है,



दरेरते ,रगड़ते, घिसटते ,.. किसी तरह वो मोटा सुपाड़ा गाँड़ में घुस गया, बल्कि अटक गया,...
Chuchi ka,sahi istemaal aur land ka pura upyog koi Maa se,sikhe 🤩🤩🤩🤩🤩
 

Luckyloda

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गीता का पिछवाड़ा

अटक गया, धंस गया, ..... फट गईइइइ


और आज जब उसे मौका मिला था, पूरी ताकत से वो पेल रहा था, ठेल रहा था, धकेल रहा था, और ये भी बात नहीं की पहली बार गांड मार रहा था था खुद बताया था मेरी उम्र वालियों की भी फुलवा की, फुलवा की छुटकी बहिनिया जो मुझसे एक दो महीने छोटी ही , और वो भी डेढ़ साल पहले, और लड़कियों से पहले,... भी, .....😜😜



उसे मालूम था की बहुत ताकत लगती है लेकिन कसी कसी गाँड़ में मजा भी दूना मिलता है , जब गाँड़ घुसने नहीं देती,.. लेकिन जित्ता घुस जाता है उसे कस के निचोड़ लेती है, दबोच लेती है,

दरेरते ,रगड़ते, घिसटते ,.. किसी तरह वो मोटा सुपाड़ा गाँड़ में घुस गया, बल्कि अटक गया,...

भले मैं झुकी थी मुंह बंद था कस के दो दो ने दबोच रखा था लेकिन फिर भी अंदाज भी लग रहा था क्या हो रहा है और दर्द से जान भी जा रही ऊपर से माँ जो भैया से बोल रही थी,

" घुस गया न सुपाड़ा, यही मना कर रही थी न छिनार,.... और यही तेरा मन कर रहा था,... ,अब पेल पूरा मार ह्च्चक के गाँड़, अगर तीन दिन के पहले ये सीधे चलने लगी तो मैं मान लूंगी की तेरे लंड में मेरी बेटी की गाँड़ फाड़ने की ताकत नहीं है, करवट बदलने पे चीलखे ऐसा दर्द जब तक न हो तो क्या गाँड़ मारी गयी,... "




वो उकसा भी रही थी, और हड़का भी रही थी ,...

और ये जान के की अब मैं लाख चीखू चिल्लाऊं , सुपाड़ा धंसने के बाद मैं लंड बाहर नहीं निकाल पाउंगी और अब एक बार मेरी कसी कुँवारी गाँड़ का मजा पाने के बाद, बिना पूरा मारे , झड़े भैया बाहर नहीं निकालेगा,...

बस उन्होंने मेरे मुंह से अपनी चूँची निकाल ली, और हँसते हुए मुझे चिढ़ाते बोलीं,

" चीख अब जितनी ताकत हो , अरे पहली बार गाँड़ मरौव्वल हो, रोना धोना न हो चीख चिल्लाहट न हो मजा थोड़े आता है , अब मेरा प्यारा बेटे तेरी गाँड़ बिना मारे नहीं छोड़ेगा, चाहे सीधे से मरवा ले, चाहे रो रो के मरवा,... "





बाहर बारिश बहुत तेज हो रही थी , साथ में धू धू करके हवा भी चल रही थी , रह रह के बादल जोर और से गरज रहे थे,...बिजली कड़क रही थी



और उसी बीच में चीख इतनी तेज निकली की जरूर आधे गाँव में सुनाई दी होगी। मैं देर तक चीखती रही, चिल्लाती रही, रोती सुबकती रही,...

जबकि मेरा भैया अब गाँड़ मार भी नहीं रहा था, सुपाड़ा मोटा ऐसा अड़सा था, ना आगे हो सकता था न पीछे,...




मुश्किल से सुबकते हुए मेरे मुंह से धीरे से निकला,

" भइआ गोड़ पड़ रही हूँ तोहार, अब कभी झगड़ा नहीं करूंगीं, नहीं चिढ़ाऊंगी, बस एक बार, बस जरा सा निकाल लो, जल रहा है अंदर,"

और फिर सुबकना शुरू,... मुझे क्या मालूम था की असली दर्द तो अभी बाकी है, लेकिन माँ और भैया दोनों को मालुम था अभी तो ट्र्रेलर भी नहीं चला था ठीक से,...

माँ ने चिढ़ाते मुझे, मुस्करा के भैया को कस के आँख मार के इशारा किया और बोला,

" हे बहनचोद, सुन नहीं रहा है तेरी दुलारी छिनार बहन का कह रही है,.. निकालने के लिए,... "


सुपाड़ा, घुसने में जितना दर्द हुआ था उससे कम, निकलने में नहीं,... गाँड़ की मसल्स ने कस के उसे दबोच लिया था जैसे कभी छोड़ेंगी नहीं,... और साथ में माँ ने फिर बोला,

" अबे, तेरी बहन की फुद्दी मारुं,... स्साले तेरी छिनार बहना ने पूरा निकालने के लिए थोड़े ही बोला है, अरे थोड़ा सा निकाल के पूरा ठेलो, बाकी किसके लिए बचा रखा है , इस छिनार के कोई छोटी बहन भी तो नहीं है। "




और भैया ने मेरी कमर एक बार फिर कस के दबोचा, माँ की टांगों ने मेरी पीठ को दबोचा और अब की पहले से भी ज्यादा जोर लगा के , बस थोड़ा सा बाहर खिंच के हचक के पेला, ...

एक धक्का,

दो धक्का,


तीसरा धक्का

और चौथे धक्के में गाँड का छल्ला पार,...

उईईईईई ओह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ नहीं , उफ्फफ्फ्फ़ उईईईईई मैं चीखती रही चिल्लाती रही, भाई पेलता रहा, धकेलता रहा, ठेलता रहा,

माँ दबोचे रही, ...

फिर वो रुका गया जैसे सांस लेने के लिए थमा हो, माँ ने भी पकड़ धीमी कर दी, आधे से ज्यादा ही घुस गया था, छह इंच से थोड़ा ज्यादा ही,...




मैं रोते सुबक़ते धीरे धीरे चुप होने लगी, ... और माँ मेरे गाल चूम के चुप कराया,..

" अब काहें रो रही है, घोंट तो लिया, अरे ये दर्द आज नहीं तो कल होना ही था,... वो तेरा भाई बुद्धू है, अरे तेरा भाई ऐसे सब लौंडे हो न तो गौने की रात में भी दुल्हन कुँवारी रह जाएँ , जब भी फटेगी दर्द होगा , यही तो मज़ा है अब सिर्फ मजा लेना है,... "

और गुदगुदी लगाने लगीं।

मैं हलके से हंसी, और बोली,... नहीं मुझे ये दर्द वाला मज़ा नहीं लेना है।

तो ये वाला ये वाला लेगी ,

और नीचे से हाथ डाल कर मेरे उभार कस के दबा दिया,




शाम को ही मैं देख चुकी थी माँ जित्ता मस्त मसलती थी आँख के आगे नशा जाता था, ... और वही हुआ ,

और माँ की देखा देखी भैया ने भी दूसरा पकड़ लिया और दूसरे हाथ से पहले तो मेरी गुलाबो सहलाने लगा, और कुछ देर में ही एक झटके में दो ऊँगली एक साथ अंदर पेल दिया मेरी बुर के,... और अंदर भी ऊँगली फैला के,...

एकदम मोटे लंड की साइज की, इस तिहरे हमले का असर हुआ की गाँड़ में घुसे मोटे डंडे को भूल के मैं सिसकने लगी ,
Ab to fat gyi.... Ab chahe ro ya chilla.....



Sahi Baat Hai agar Dard ki parwah ki jaye to ladki bina chude hi rah jaye 😘😘😘😘
 
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