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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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सिखाने के साथ-साथ सहलाते हुए भी...
गीतवा की माँ अपने बच्चो को सिखाते हुए
क्या depiction है.... बहुत खूब...
गीतवा के भैया बहनचो. के बाद मादर…. बनते हुए
लेकिन ये कहानी में अभी तक आया नहीं...
गीतवा की नानी , गीतवा की माँ और मामा के साथ
eagerly waiting...गितवा की नानी का तो पता नहीं
लेकिन गितवा की माँ, भाई और माँ का अच्छा फेमली फोटोग्राफ हो सकता है,
हम साथ साथ
और बहुत जल्द
और ये पिक तो कहानी के शीर्ष पे
माँ को अपने सारे बच्चे प्यारे होते हैं...एक आदर्श माँ दोनों बच्चों का ध्यान रखती है
जीजा तो जीजा..भाग ४३
इन्सेस्ट कथा- माँ के किस्से, मायके के
" तो तीन बार ट्रिपलिंग हुयी आपकी, ", गीता ने मुस्कराते हुए पूछा,...
और माँ ने खीझ के उसके गाल मींड़ते हुए बोला,
" जब तीन तीन चढ़ेंगे न एक साथ तेरे ऊपर तो पता चलेगा, अभी तो मेरा बेटा अकेले तेरी गाँड़ फाड़ देता है। और एक बार नहीं तीन बार, और मेरी कमीनी मौसेरी बहनें हर बार , मेरे बिल साफ़ कर देती ही जिससे उनके मर्दों का सूखी, बुर, गाँड़ में दरेरता रगड़ता घुसे। ढाई तीन घण्टे तक लगातार मूसल चले तीन तीन। "
" अरे उसके बाद तो आपकी छुट्टी हो गयी होगी न फिर काहें कह रही हैं की ससुराल से ज्यादा मायके में रगड़ाई हुयी होली में,... "
गीता फिर से बोली।
"अरे मेरी तीन तीन मौसियां है , मझली वाले के तीन दामाद , जिन्होंने ये रगड़ाई की , उसके बड़ी मौसी के भी दो और छोटी मौसी के भी दो ,... मैं चचेरी मौसेरी ममेरी सब बहनों में सबसे छोटी हूँ, तो सबकी छोटी साली और सबको मैंने यही बोल के टाला था , शादी के बाद,... तो फिर उन तीनों जीजा के जाने के बाद , खाने के बाद, बड़ी मौसी वाले दोनों जीजू और शाम को थोड़ा लेट, छोटी मौसी वाली मेरी दोनों बहने और उनके मर्द,... उन लोगो ने भी साथ साथ ही नंबर लगाया , इसलिए मुंह तो बचता था लेकिन बुर और गाँड़ दोनों का तो कबाड़ा हो गया और आज तक मैंने ऐसा मरद नहीं देखा है जो गाँड़ मारने के बाद लंड सीधे गाँड़ से निकाल के मुंह में न डालता हो , ... सीधे से नहीं तो जबरदस्ती,... फिर भाभियाँ कौन किस मरद से कम और दो सहेलियों की शादी हो गयी थी उनके भी मरद ससुराल आये थे,... "
माँ ने गीता से हाल बयान किया
माँ बेटी एक दूसरे की नज़रों की जुबान समझती थी. माँ समझ गयी इस तरह जल्दी जल्दी बता देने में बेटी को रस नहीं मिला, वो माँ के होली के किस्से खुल के विस्तार से सुनना चाहती थी,... माँ ने खींच के उसे गले से लगा लिया, चल अपनी छिनार मौसियों और भँड़वे मौसा लोगों का किस्सा सुनने का बड़ा मन कर रहा है न तो चल बताती हूँ,...
तीन साढ़े तीन घण्टे तक जो उनके तीनो जीजा ने तीनों छेदों की रगड़ाई की थी उससे उनकी रग रग दुःख रही थी, तीन बार बुर चोदी गयी, तीन बार गाँड़ मारी गयी, और तीन बार मलाई मुंह के रस्ते पेट में गई,... पहले तो वो सोचती थीं की आखिर जीजू में कितनी ताकत एक बार झड़ने के बाद कुछ टाइम तो लगेगा टाइट होने में लेकिन उनकी छिनार बहने, ... लगता है असली शिलाजीत खिला के लायी थीं , प्लानिंग छिनारों ने पूरी की थी,...
और माँ ने अपने मायके में गितवा के मौसा लोग कैसे चढ़े सविस्तार बताना शुरू किया, ... कुछ इसलिए की जवानी की चौखट पे खड़ी लड़की है कुछ सीखेगी ही,
"पहली बार गाँड़ मारने के बाद बड़े जीजा तो सीधे गांड से निकला लिथड़ा चुपड़ा लंड लेके जबतक वो सम्हले उनके मुंह में ठेल दिया और कस के गाल दबा के , नाक दबोच के ,... फिर कोई रास्ता बचता क्या उस गाँड़ से निकले लंड को चूसने चाटने के अलावा,...
और एक बहन, सबसे छोटी रीनू, उनकी समौरिया बस जैसे कोई बोरे का टुकड़ा हो, ... एकदम सैंड पेपर की तरह सीधे पहले उसकी गाँड़ में दो तीन ऊँगली डाल के घुसेड़ दिया बत्ती बना के लम्बी सी और ऐसी ही एक बत्ती बुरिया में और उसे चिढ़ा भी रही थी,...
"खूब गटकी हो मलाई न जीजू लोगों की , अरे साफ़ इसलिए कर दे रही हूँ की तुझे याद रहे की मझले जीजा की मलाई बुरिया में कैसे लगती थी और मेरे मर्द की गाँड़ में , वरना पुराना स्वाद ही रह जाएगा न ,... अरे थैंक यू तो बोल दे मेरी छिनार बहना,..."
और रीनू के मर्द को सबसे बड़ी वाली बहन ने कैच कर लिया ,
बुर का मजा ले लिए न अब गाँड़ में अपनी ताकत दिखाना भंडुए ,... लेकिन पहले जरा तेरा चूस चास के
और मंझली ने दूसरे जीजा को , ... बस पांच मिनट में जबतक बुर गाँड़ की मलाई पोंछ के रीनू ने सुखा दिया , तब तक बाकी दोनों बहनो ने चूस चूस के मेरे दोनों जीजा को टनाटन कर दिया ,
पहली बार मैं छोटे वाले के खूंटे पे चढ़ी थी तो अगली बार मंझले के खूंटे पे और गाँड़ मारी रीनू के मर्द ने,...
हाँ अगली बार दस मिनट का इंटरवल मिला लेकिन तेरी स्साली छिनार मौसिया,...
सब एक एक चीज प्लान कर के आयी थीं, गाँड़ और बुर दोनों की हालत तो खराब थी ही लेकिन सबसे ज्यादा मुंह की , घंटे भर से चियारे चियारे, अरे ऐसा नहीं था की पहले मैंने लंड नहीं चूसा था, ... लेकिन पांच मिनट , दस मिनट बाद उसके बाद मरद मेन कार्यक्रम पे आ जाता था और तोहरे बाऊ, जब पांच दिन वाली छुट्टी में , लेकिन बीच बीच में निकाल के उनका तो मुट्ठ भी मार लेती थी और हलक तक ढकेलना जरूरी नहीं था, ...
गाल थक गया तो जीभ से चाट चूट के , थोड़ा आराम मिल जाए तो फिर अंदर, लेकिन यहां तो जीजू सब सर पकड़ के ऐसे जबरन हलक तक पेले थे पूरे आधे घंटे,... और अगवाड़े पिछवाड़े तो आराम मिल भी गया था जब रीनू स्साली मेरी कमीनी बहना मेरी बुर गाँड़ सुखाती, लेकिन मुंह में तो,.... जो जीजू गाँड़ मार रहे होते वो झड़ना शुरू होते ही मुंह में ठेल देते,...
माँ एक पल के लिए रुकीं फिर उन्होंने अपनी शादी के बाद की मायके की होली का किस्सा जारी रखा,...
तो दूसरे राउंड के बाद मैंने अपने मुंह की ओर इशारा करके दिखाया ,
मैं कहना चाहती थी की मेरा मुंह दर्द कर रहा है तो बड़ी वाली तेरी मौसी बोली
" अरे पियास लगी है ,अभी बड़े और मंझले जीजू की मलाई पी पी के साली जी की प्यास नहीं बुझी "
मेरी तो बोली नहीं निकल रही थी, उधर रीनू तेरी सबसे छोटी मौसी पहले से तैयार खड़ी थी जैसे, बस उसने एक हाथ लम्बा गिलास, ठंडाई सीधे अपने ही हाथ से मेरे मुंह में लगा दिया। जब मैं आधा गटक गयी, थोड़ी जान में जान आयी तब समझ में आया डबल नहीं ट्रिपल भांग पड़ी थी,... लेकिन तबतक मंझली भी रीनू के साथ और दोनों ने जबरन पूरी की पूरी, ... तीन भांग की बड़ी बड़ी गोलियां मेरे पेट के अंदर,... जो दस पंद्रह मिनट के अंदर अपना असर दिखा देती
और तेरी बड़ी मौसी ने मुझे धक्का देके जमीन पे गिरा दिया बोलीं , निहुरे निहुरे बेचारी की पीठ भी थक गयी होगी चल मेरी प्यारी बहना थोड़ा आराम कर ले,... और सच में कच्चा आँगन, जमीन पे पीठ लिटा के लेटना बड़ा अच्छा लग रहा था,...
और अब वो मेरे पीछे पड़ गयीं , " हे स्साली जीजू लोगों के साथ तो बहुत मस्ती की जरा हम बहने भी तो अपनी छोटी बहन से प्यार दुलार कर लें , " और अपनी छोटी दोनों बहनों को आँख मार के इशारा किया,...
और खुद मेरे दोनों जोबन के पीछे पड़ गयी, सहलाते मसलते अपने मरद मेरे बड़े जीजू की ओर इशारा कर के उन्हें उकसा रही थीं , है न मेरे जोबना मस्त , तुम सब अगवाड़े पिछवाड़े के चक्कर में इसको तो भूल ही गए, चल तेरी ओर से मैं ही ,...
क्या मस्त सहला रही थीं , मैं इतनी थकी मजे से में आँखे बंद हो रही थीं,... तबतक मेरी मंझली बहन मेरी जाँघों के बीच पहले तो अपनी हथेली से मसल रगड़ के , ... फिर सीधे मुंह लगा के कस कस के मेरी चूत चूसने लगी,
अच्छा तो बहुत लग रहा था लेकिन मैं नहीं चाहती थी की सब जीजू लोगों के सामने ,... वैसे हर साल गर्मी की छुट्टी में जब मेरी मौसेरी बहने आती थी तो ये सब तो रोज बिना नागा होता था और जाड़े में रजाई में सेंध लगा के, .. लेकिन आज
मैंने मना किया तो बड़ी दी ने मुझे नहीं हड़काया लेकिन जैसा हर बार वो करतीं थी किसी न किसी छोटी बहन को मुंह बंद करने के काम पे लगा देती थीं तो आज रीनू सबसे छोटी वाली को ,... और वो अपनी चूत फैला के सीधे मेरे मुंह पे और मुंह सील , पर उसका तो मुंह खुला था वो लगी गरियाने,...
" स्साली नखड़ा मत चोद अभी हम लोगो के मर्द का तो इतना मस्त चूस रही थी और बहन के नाम पे गाँड़ फट रही है,... और गाँड़ फड़वाने का शौक है तो आज वो भी पूरा कर देतीं हम तेरी गाँड़ में पूरी मुट्ठी पेल के,... लेकिन अभी मेरे मरद को तेरी गाँड़ फाड़नी है इसलिए छोड़ दे रही हूँ,...
हिसाब-किताब में तो गितवा पक्की है...साली एक, जीजा तीन - --- किस्सा गितवा की माँ का
आज रीनू सबसे छोटी वाली ,... और वो अपनी चूत फैला के सीधे मेरे मुंह पे और मुंह सील , पर उसका तो मुंह खुला था वो लगी गरियाने,...
" स्साली नखड़ा मत चोद अभी हम लोगो के मर्द का तो इतना मस्त चूस रही थी और बहन के नाम पे गाँड़ फट रही है,... और गाँड़ फड़वाने का शौक है तो आज वो भी पूरा कर देतीं हम तेरी गाँड़ में पूरी मुट्ठी पेल के,... लेकिन अभी मेरे मरद को तेरी गाँड़ फाड़नी है इसलिए छोड़ दे रही हूँ,..."
तबतक मेरे बड़े जीजू मेरी मदद को आए, रीनू को हड़काते बोले , ... तुम तीनो मिल के उस बेचारी के पीछे पड़ी हो, खुद तो खा पी रही हो,...
चल रीनू खिला दे , इसे तेरे जीजू लोगों आज बड़े मोहाये हैं अपनी छोटी साली के ऊपर खिला दो उसे कुछ,...और एक साथ दो दो गुझिया मेरे मुंह में रीनू ने ठूंस दी , मैं नहीं खाना चाहती थी क्योंकि मैं जानती थी इसमें भी डबल भांग कम से कम ,
पर तेरी रीनू मौसी ने एक बार फिर से अपनी चूत से मुंह सील कर दिया।
लेकिन मैं मान गई मैं तेरी छोटी मौसी को एकदम मेरे टक्कर की, एक साथ दो दो जीजू,....
बड़े जीजू का मुंह में लेकर चूस रही थी , और मंझले का मुठिया रही थी ,... रीनू के मर्द ने अपनी बड़ी साली के मुंह में लंड ठूंस रखा था
और तेरी मंझली मौसी कस के मेरी रसमलाई चूस रही थी साथ में ऊँगली भी कर रही थी कभी क्लिट रगड़ देती मैं दो बार झड़ने के करीब पहुँच गयी तब उसने छोड़ा मुझे
और तीनो जीजू भी टनटनाये और अबकी जब बड़े जीजू अपना कुतबमीनार तान के लेटे तो मैं खुद उनके ऊपर चढ़ गयी , और रीनू के मर्द ने गाँड़ पे नंबर लगाया,...
खा पी के और साली से चुसवा चुसवा के तीनो के औजार अबकी तो और,... अबकी घंटे भर करीब रगड़ाई हुयी, खाते पीते ढाई बज गया और तीन बजे तेरे मौसा लोग गए. पहली होली में तो तेरे भइया के चक्कर में मैं अपनी ससुराल में बच गयी थी , सौरी ( प्रसूत का कमरा ) पड़ी थी. लेकिन अगली होली में अपने मायके में ही सूद समेत रगड़ी गयी। खाना खा के मैंने सोचा था थोड़ा टांग फैलाउंगी,... लेकिन फिर मेरी बड़ी मौसी वाली बहनें और जीजू ,...
लेकिन गीता ने बीच में ही पतंग काट दी, चिढ़ाते हुए बोली, ' क्या माँ, अभी अभी तो आप मेरे तीन मौसा संग तीनो छेद का मज़ा ले चुकी थीं,... तो वहां तो मेरे मेरे दो ही मौसा थे,... "
माँ खिलखिलायीं, मन ही मन सोचने लगी ये लड़की इस उमर में ही मौसा तक का भी हिसाब रखती है, मेरा भी नंबर डकायेगी,... लेकिन उसे हड़काते बोलीं,
" अरे स्साली तू जानती नहीं तेरी मौसियां कितनी कमीनी हैं, पैदायशी छिनार, खानदानी रंडी,... "
पर गीता का दिमाग तो कहीं और चल रहा था , और बचपन से ही उसकी जिद्द मशहूर थी, जो चाहती थी माँ से करवा के ही रहती थी तो फिर उसने वही रिकार्ड फिर शुरू कर दिया
" माँ तू भी न, तू तो मेरी मौसियों से भी दस हाथ आगे है,... उनसे भी बढ़ के छिनार,... एकदम छटी छिनार,... अरे एक बात कह रही हूँ , मेरे भैया से एक बार चुदवा लो, अपने भइया से महीनों चुदवाया ,शादी के बाद भी पहले भी, मेर किसी मौसा को नहीं छोड़ा , फूफा , चाचा,... लेकिन मेरे भाई की बात आते ही तेरी गाँड़ फट जाती है, छिनरपना करने लगती है,... अरे एक बार बेटी बेटे की बात मान कर के ,... कौन कह रही हूँ रोज रोज,... बस एक बार मेरी बात रख ले ,
माँ ने हँसते हुए गीता को गले लगा लिया और चूम के बोली,...
" अच्छा चल स्साली छिनार, तू उस बहनचोद को मादरचोद बनाने पे तुली है तो,... "
खुश होके माँ की हामी सुन के गीता ने चुम्मी का जवाब चुम्मी से देते हुए माँ के मुंह में अपनी जीभ डाल दी और माँ उसे चूसने लगी और साथ साथ बेटी की कच्ची अमिया को कस कस के दबाने मसलने लगी,... कुछ देर तक ऊपर झापर से फिर कपडे के अंदर हाथ हाथ डाल के और जैसे ही उन्होंने बेटी के गीता के छोटे छोटे निपल रगड़ने शुरू किये, वो पिघलने लगी,...
पर अभी वो माँ के मायके के किस्से सुनने चाहती थी, अब माँ खुल ही रही थीं तो अच्छी तरह से खुल जाएँ,... कितने दिन बाद उसने माँ को इतना खुश देखा था,... तो बात वो वापस ट्रैक पे ले आयी,...
" तो माँ मैं इस लिए कह रही थी की आप ने एक साथ मेरे तीन तीन मौसा लोगों को तो वो दो ही थे और आये कब, ... " गीता ने पूछा और माँ चालू हो गयी।
" अरे कब की छोडो, .. तेरे वो तीनों मौसा लोग गाँव से बाहर भी नहीं निकले होंगे,... मैं बस दरवाजा बंद कर के , पलंग पे लेटी थी की सांकल खटकने लगी। मैं समझी कोई गाँव की भौजाई होंगी,... लेकिन दरवाजा खोला तो बड़ी मौसी वाली,... तेरी दोनों मौसियां , और दोनों मौसा जी , फटफटिया पे,... और तेरी तरह मैं भी सोचती थी की चल ये सब तो दो ही हैं अगवाड़े पिछवाड़े साथ साथ , डेढ़ दो घण्टे में पिचका दूंगी दो दो बार पिचकारी तेरे मौसा लोगो की,... लेकिन तेरो छोटी मौसी बचपन की कमीनी,... बोलने लगी की मुन्ना का नेग बुआ को तो दिया होगा,...
क्या पलट के जवाब दिया है गितवा की माँ ने...दोनों मौसियां ,
दोनों मौसा जी ,
दरवाजा खोला तो बड़ी मौसी वाली,...
तेरी दोनों मौसियां , और दोनों मौसा जी , फटफटिया पे,... और तेरी तरह मैं भी सोचती थी की चल ये सब तो दो ही हैं अगवाड़े पिछवाड़े साथ साथ , डेढ़ दो घण्टे में पिचका दूंगी दो दो बार पिचकारी तेरे मौसा लोगो की,... लेकिन तेरो छोटी मौसी बचपन की कमीनी,...
बोलने लगी की मुन्ना का नेग बुआ को तो दिया होगा,...
गीता को रोकना मुश्किल था बहुत बार माँ ने समझाया था बीच में नहीं बोलते, बात नहीं काटते , पर बच्चे तो बच्चे, ..ऐसे समझदार हो जाएं तो बड़े न हो जाएँ तो गीता बोल बैठी ,
" बुआ को क्या नेग दिया था आपने भैया का होने का "
माँ खिलखिला रही थीं, ... किसी तरह हंसी रोक के बोलीं,
" तू न बेटी तो पता नहीं किस की है , लेकिन रंग ढंग पे बिलकुल अपने बुआ पे गयी है, झटपटिया, मिनट भर भी इन्तजार नहीं,... है तो इसी गाँव की बिटिया न उन्ही की तरह सब की सब छिनार,... अरे एक नेग की जगह दो मांग लिए, पहला तो तुझी को उन्होंने माँगा था,... ' भौजी अगली बार भतीजी चाहिए, पक्का आपकी एकलौती ननद हूँ ना नहीं सुनूंगी,... "
लेकिन एक नेग में गीता को जरा भी मज़ा नहीं आया , और ये बात तो सही थी की बुआ से उसकी एकदम पक्की वाली दोस्ती थी, मज़ाक भी शुरू से एकदम खुल के करती थीं , भौजाइयां मात। उसने झट से पूछ लिया, और दूसरा,...
" वो, वही जो मेरी तीसरी होली में, ससुराल की होली में,... उन्होंने कबुलवाया था,... की तेरी बुआ जब शादी के बाद पहली होली में अपने मायके आएँगी न तो बस उनके सामने ही एकदम खुल्ल्म खुला, इसी आंगन में उनके मरद के साथ,... और मैंने हंस के मान लिया, अरे नन्दोई का तो सलहज पे हक होता है वो भी होली में तो,... तो ये था दूसरा नेग लेकिन तू न असली बात से , तेरी मौसी लोगो वाली बात "
" हाँ बोलिये पक्का अब नहीं बोलूंगी बीच में " गीता कान पकड़ते बोली, और माँ चालू हो गयी,
" तेरी छोटी मौसी बोली , अपनी ननद को नेग दे दिया और बहनों को भूल गयी तो आज पहले होली में हम दोनों बहने तेरी मुट्ठी करेंगी और एक साथ तेरी बुर में भी और गांड में भी वो भी बिना चूड़ी कंगन उतारे और पूरे कोहनी तक वरना एक शर्त मान ले
गीता का मन तो बहुत था पूछने का छोटी मौसी ने क्या ऑप्शन दिया था लेकिन वो चुप रही पर माँ ने खुद ही भेद खोल दिया,
" तेरी छोटी मौसी, सौ रंडी मरी तो पेट में आई होगी, ... बोली,...
' मेरी छोटकी बहिनिया,... गाँड़ में मुट्ठी बचाना है तो हम दोनों के बड़े जीजू को,... चोदेगे भीं और गांड भी मारेंगे तो है ही , स्साली , छोटी स्साली होके अब तक बिन चुदे बची थी,... लेकिन आज उस के पहले बड़े जीजू को तुझे झाड़ना है, लेकिन न मुंह में लेना है न बुर में न गाँड़ में न हाथ में पकड़ना है न कांख में,... और जब ये झड़े न तो एक भी बूँद जमीन पे नहीं गिरना चाहिए,...और तेरी देह के अंदर भी नहीं जाना चाहिए "
मैं एकदम चकरा गयी,
एक तो पहले होली की मस्ती अबकी मैंने भी जिज्जा लोगों को अच्छी तरह से भांग पिला के टुन्न कर दिया था , पाजामा फाड़ के छत पे, ... और तेरे दोनों मौसा लोग तो मेरे जुबना के दीवाने, उसी में उरझे, दोनों हाथों में रंग लगा लगा के दस कोट तो कम से कम , ... दायां वाला तेरे बड़े मौसा के कब्जे में और बायां वाला छोटे मौसा रगड़ रहे थे,...
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था मैं उन दोनों की माँ बहिन गरिया रही थी अपने मोटे मोटे चूतड़ दोनों के खूंटे पे रगड़ रही थी और दोनों के टनटना रहा थे, मस्ती से मेरी भी गीली हो रही थी, मन तो मेरा कर रहा था की गप्प से घोंट लूँ,...
लेकिन ये शर्त सुन के मेरा दिमाग चकरा गया,
और दिमाग तो गीता का भी चकरा गया अब उससे रहा नहीं गया,...
"लेकिन माँ ये कैसे देह के अंदर भी नहीं झड़ें और जमीन पे नहीं गिरे और फिर बिना अगवाड़े , पिछवाड़े मुंह में लिए,... " उसके मुंह से निकल गया,
" वही तो " माँ बोलीं,
फिर मुस्करा के कहा लेकिन रसता निकाला तेरी नानी ने अब साफ़ साफ़ बोल तो सकती नहीं थी तो इशारा कर दिया,...
मुझसे बोलीं, "पाहुन लोग तो जितना हमारी समधिन के साथ नहीं होली खेले होंगे उतना रंग तो अपने साली के जोबन पे लगा दिए लगता है माई, मौसी , बुआ , चाची सब को बिसाती के दुकान पे रख के, रंग खरीद के लाये थे,... "
बस मेरी चमकी, मेरे जोबन पे लगा रंग,... और हाथ से खूंटा पकड़ने को मन किया था बाकी, तो बस मैंने हाथ से धक्का देके उसी कच्चे आंगन में तो तेरे बड़े मौसा को गिराया , और साथ में स्साली अपनी उस कमीनी बहिनिया से बोली,
" चल अगर मैं हार गयी तो माना तू कमीनी गदहा चोदी, मेरी गाँड़ मार लेना , लेकिन अगर मैं जीत गयी न तो मुझे क्या मिलेगा "
वो जानती थी की इत्ती टेढ़ी शर्त मेरे बस की बात नहीं है , तो सीना तान के बोली,
" अरे यार तू हम सब आठ मौसेरी मौसरी बहनों में सबसे छोटी है , चल जो भी तू कहेगी,... "
बड़े जीजू का टनटनाया तो पहले से था , बस मैंने दोनों चूँची के बीच उसे दबोच लिया , मेरे दोनों हाथ मेरी दोनों चूँचियों पे थे और साल भर में ही ससुराल में दबवा मिजवा के सब नयी दुल्हनों की तरह मेरी भी ३४ से बढ़के ३६ की हो गई थी, और एक कड़क, कड़ी कड़ी,... बस उन्ही दोनों चूँचियों से तेरे मौसा का लंड पकड़ के रगड़ना शुरू कर दिया,...
और अपनी शर्त भी सुना दी,
" तो कमीनी सुन अगर मैंने जीजू का जैसे कहा है ऐसे झाड़ दिया न तो साल भर चाहूँ तब दोनों जीजू के साथ जितनी बार चाहूँ उतनी बार तुम दोनों कमिनियों के सामने , ... "
मेरी बात पूरी होने के पहले तेरे दोनों मौसा एक साथ बोले, ... " अरे इस स्साली के साथ तो साल भर नहीं जिंदगी भर,... हम दोनों हारने के के लिए तैयार हैं "
मैं उनसे भी तेज बोली , मुझे भी मंजूर है।
बस यही तो मैं चाहती थी, बस मैंने दोनों मोटी मोटी चूँचियों के बीच पकड़ के कस कस के रगड़ना शुरू कर दिया और तेरे बड़े मौसा के कान में फुसफुसा के बोली,
" जीजू बस आपके हाथ में जरा आप भी साथ दो न तो ये दोनों जोबन जिंदगी भर के लिए ये स्साली आपके नाम लिख दूंगी,... बस जितना तेज मैं चूँची रगड़ रही थी , उतने ही तेज वो धक्के मार रहे थे,... चूँची से लंड चोदने की कला होती भी नहीं है सबके पास,...
बेचारी तेरी दोनों मौसियां चुप , तेरी नानी ही बोली ,
" अरे जीजा का तो साली पे हक़ होता है, और साली का बहन के पहले अपने जीजू पे और सबसे छोटी साली का तो सबसे ज्यादा,... और साली को चोदने के पहले अगर कोई जीजा पूछे तो फिर तो जीजा साली का रिश्ता ही नहीं, जब मन करे तब,... "
गीता को नहीं बिस्वास हुआ बोली , " नानी को बुरा नहीं लग रहा था और ऊपर से वो मौसा के साथ थीं ,... "
गीता की माँ हँसते हुए बोली,
" तू अपनी नानी को जानती नहीं, मुझे भी बाद में पता चला सब प्लानिंग तो उन्ही की थी. जब मेरी मायके में होली में आने की तारीख तय हुयी थी तभी से उन्होंने मेरी सब मौसेरी बहनों को, उनके मरदों को,... दो दो बार,... और गाँव की भौजाइयों को भी मन कर दिया था की वो लोग शाम को या होली के अगले दिन , तेरे भाई को एक साल का था,... तेरे मामा के साथ , एक दो दिन पहले सहर भेज दिया था , कोई टीका होता है साल भर होने पे लगता है वो लगवाने, और बोल दिया था होली के दो चार दिन बाद ही आने को,... तो होली के दिन घर में सिर्फ मैं और तेरी नानी ही थीं। “
और फिर वापस गीता के मौसा लोगों के साथ उस होली के किस्से पे आ गयीं,
" तो बस तेरी छोटी मौसी का मुंह देखने लायक था,... और तेरे बड़े मौसा , औजार भी मस्त,... "
गीता ने तो अब एक ही देखा था, बस उसके मुंह से वही निकला,
" माँ क्या मेरे भैया से भी बड़ा, ... मोटा, ... "
माँ ने जोर से डांटा, गुस्से में बेटी का कान भी उमेठ दिया, फिर दुलार से बोलीं,
" स्साली तू भी न , क्या नाम ले लिया, बीच में। अरे मैंने इत्ते देखे हैं, ... एक से एक , फिर कुछ रुक के गर्व से बोलीं,... लेकिन मेरे बेटे जैसा कोई नहीं है,... न लम्बाई, न मोटाई,... आस पास भी नहीं,... "
" तो तो ले क्यों नहीं लेती अंदर छिनार, मेरे भैया का,... बुर तो छनछना रही होगी, और सामने स्साली नौटंकी , तुझे न चुदवाया तेरे बेटे से तो तेरी बेटी नहीं "
गितवा ने मन ही मन सोचा लेकिन चुप रही
और माँ ने होली वाली बात आगे बढ़ाई,...
" वैसे तो २० मिनट से पहले नहीं होता गाँव में , लेकिन लगता था तेरे मौसा को पहली बार चूँची चोदन का सुख मिल रहा था और जो मैं अरज कर रही थी और तेरी छोटी मौसी के हारने से जो तेरे मौसा लोगों का जिंदगी भर का फायदा होने वाला था,..बस वो कुछ ज्यादा ही गरमाये थे,.... और मैं अब रगड़ भी नहीं रही तो वो खुद ही मेरी दोनों बड़ी बड़ी चूँची पकड़ के , क्या मस्त धक्के मार रहे थे, मुझे भी खूब मजा आ रहा था और मेरे हाथ फ्री हो गए तो मैं बाकी बदमाशियां,... तेरी मौसी ने खूंटा हाथ से छूने पे रोक लगायी,... बाकी चीज़ थोड़ी , बस मैं चालू हो गयी , तेरे मौसा की हालत खराब , बस पंद्रह मिनट में,... "
और माँ उस पल की याद करके खिलखिलाने लगीं।
लेकिन गितवा माँ से सीखने का ये मौका गंवाना नहीं चाहती थी,... उसने पूछ ही लिया , माँ बता न बाकी क्या किया की मौसा जी की ऐसी की तैसी हो गयी,...
" अरे सब लोग जो सोचते हैं मरद खाली लंड पकड़ने से गर्माता है आधी बात जानते हैं , जैसे औरतों के देह में सोलह जगहे होती हैं गरम करने की चूत और चूँची के अलावा भी वैसे ही मर्द भी, हाँ थोड़ देख के टटोल के अंदाज लग जाता है किस मरद को काम बाण कहाँ लगेगा, ... तो बस तेरे मौसा का पिछवाड़ा,...
मैं उनके चूतड़ हलके हल्के सहला रही थी,... कभी पेल्हड़ और गांड के बीच वाली जगह ऊँगली से रगड़ती तो कभी पिछवाड़े के छेद के चारो ओर ऊँगली से हलके हलके दबाती और ध्यान से उनकी आँखों को देख रही थी, क्या छूने से वो ज्यादा मस्त हो रहे हैं , बस हाँ और जोर से नहीं , बस हलके हलके जैसे कोई पंख से छू रहा हो हो और जो ज्यादा गर्माते तो नाख़ून से, ... और मर्दों के निपल भी ,... लेकिन जैसे मैं लेटी थी वहां हाथ नहीं पहुँचते ही इसलिए खाली पिछवाड़े ,... "
माँ एक पल के लिए चुप हो गयीं फिर उन्होंने उस राउंड का आखिरी हिस्सा भी बता दिया,...
" मुझे डर था की कहीं झड़ते समय मारे मस्ती के वो जमीन पे एक बूद गयी आज मेरी गाँड़ के चिथड़े हो जाएंगे ,... लेकिन तेरे बड़े मौसा बहुत समझदार,... ये बात उन्होंने भी सुनी थी,... तो सम्हाल के क्या कोई पिचकारी मारेगा सारी की सारी मलाई सिर्फ मेरी दोनों चूँचियों पे गिरायी, ... और जो दूसरी बार झटके से निकलती है वो निपल के ऊपर,... और निपल तो पूरा जैसे आइसक्रीम से ढंक गया हो ,
बाकी वाली कहीं सरक के नीचे न चली जाए तो उन्होंने अपने हाथ से ही मेरी दोनों चूँचियों पे फैला दिया और कहा लाल, बैंगनी , काही रंग तो बहुत कोट लगाया था स्साली तेरे जोबन लेकिन असली रंग तो अब चढ़ा है,... और चूँकि मैं शर्त जीत गयी थी, मारे ख़ुशी के मैंने अपनी चूँची उनके मुंह में पेल दी और वो चूसुर चुसूर चूसने चाटने लगे,...
गीता खूब खिलखिलाई और बोली माँ आप भी न मौसा जी को उन्ही की मलाई खिला दी,...
" अरे यही तो असली मजा है बुर बजबजाती रहे और तब मरद चाटे,... अरे तू छिनार, तेरे मायके में,.. मेरी ससुराल में कितनी तो अपने बहनोइयों से , यारों से चुदवाती हैं और मरद के लिए मलाई कुप्पी में ले के आतीं हैं और ऊपर चढ़ के उसके जबरदस्ती सपड़ सपड़ चटवाती हैं,... "
अब माँ खिलखिलाने लगीं।
गीता समझ गयी, हमला उसके गाँव पे था और वो क्यों चुप रहती , झट से जवाब दिया,
"तो आपकी देवरानियां जेठानियाँ होंगी ऐसे, "
माँ हंसने लगीं और उसे दुबका के बोली,... " नहीं नहीं सब इस गाँव की लड़कियां हैं तेरी बुआ लगेंगी, तेरी बहने ,... मेरी ननदें,... नन्दोईयों को, तेरे बहनोई को मलाई खिलाती हैं। "
गीता मान गयी माँ को, सूद के साथ लौटा दिया था उन्होंने। लेकिन वो भी जानना चाहती थी उसके बाद क्या हुआ,...
" माँ मान गयी आपको ,... तो शूली पे चढ़ने से बच गयी आप, बड़े मौसा को तो निपटा दिया अपने इत्ती कस के तो उनकी तो थोड़ी देर के लिए छुट्टी,... " गीता ने बात आगे बढ़वाई, और माँ ने गतांक से आगे बताना शुरू किया,...
" अरे यही तो असली खेल है , भले एक साथ तीन चार लौंडे हो , लेकिन सबको लगे लड़की तो बस उन्ही को देख के मस्त हो रही है उन्ही से चुदवाने के लिए गरमा रही है, असली खेल तो मन का है , तन का खेल तो मिनटों का होता है , सटाया, घुसाया , डाला रगड़ा फ़ुस्स ,... असली तो मरद गरमाते हैं सोच सोच के , तो जब तेरे छोटे मौसा मेरे ऊपर चढ़े थे और मैं नीचे से चूतड़ उठा उठा के उनका साथ दे रही थी , उन्हें एड लगा रही थी ,... मेरी आँखे तेरे बड़े मौसा को देख के मुस्करा रही थीं , चिढ़ा रही थीं , होंठ गोल कर के चूसने का इशारा कर रही थी,... तो तेरे छोटे मौसा ने आठ दस मिनट हचक के मुझे चोदा होगा , और तेरे बड़े मौसा गरमा रहे थे , बस ऊँगली के इशारे से मैंने उन्हें पास बुलाया,माँ की होली की मस्ती - मायके में
" माँ मान गयी आपको ,... तो शूली पे चढ़ने से बच गयी आप, बड़े मौसा को तो निपटा दिया अपने इत्ती कस के तो उनकी तो थोड़ी देर के लिए छुट्टी,... " गीता ने बात आगे बढ़वाई, और माँ ने गतांक से आगे बताना शुरू किया,...
" बात तो तेरी सही है लेकिन मैं जिस तरह से तेरे बड़े मौसा का खूंटा अपनी चूँची में रगड़ रही थी न , तो देख देख के छोटे मौसा का फनफना गया एकदम हालत खराब थी बेचारे की ,.. और तेरी दोनों मौसियां , खानदानी छिनार, पांच दिन से अपने मर्दों को उपवास करा रही थीं मेरा भोग लगवाने को,... तो बस वहीँ कच्चे मिट्टी वाले आंगन में लिटा के, ..दोनों टाँगे उठा के ,... एक धक्के में पूरा खूंटा पेल दिया, मेरी तो चीख निकल गयी, क्या धक्का मारा तरह सीधे बच्चेदानी में लगा और दोनों चूँची पकड़ के हुमच हुमच के चोदने लगे, ...
और ऊपर से तेरी नानी अपने दामाद का साथ दे रही थीं बोल रही थीं,...
" अरे बरस दिन का त्यौहार होली और आज के दिन जो जीजा साली को उसके आंगन में पटक के न पेले,... आज लग रहा है यह आँगन में जीजा साली की होली हो रही है , लाल पियर रंग तो सब लगा लेते हैं साली जीजा क होली तो सफ़ेद रंग क ही निक लगती है,... आज देखाय दे आपन ताकत,... अरे हमार समधन क ताल पोखर ना हो जहां तोहरी ससुरारी के कुल मरद डुबकी लगाते हैं , हमार एक;एकलौती बिटिया और तोहार सबसे छोट साली हो,... "
बस माँ की ललकार सुन के मैं भी कस कस के नीचे से चूतड़ उठा उठा के धक्के मारने लगी दोनों पैरों को उनके कमर पे लपेट लिया, हाथ से पीठ को दबोच लिया और मेरे नाख़ून उनके कंधे पे गड़ने लगे, मेरे जुबना के तो मेरे सब जीजा कुंवारेपन से दीवाने थे बस अपनी दोनों चूँची तेरे मौसा के सीने पे रगड़ने लगी ,..
जब चोदते समय मरद को लगे चुदवाने वाली को मज़ा आ रहा है वो भी साथ दे रही है तो बस वो दूने जोश से चोदता है और दुबारा भी उसका मन करेगा , वरना अक्सर एक बार लौंडे जिस लड़की पे चढ़ जाते हैं , फिर दूसरी के चक्कर में पड़ जाते हैं। "
माँ की बात गीता सुन भी रही थी, सीख भी रही थी समझ भी रही थी, ... और गाँठ भी बाँध रही थी। लेकिन कहानी भी वो बढ़वाना चाहती थी , माँ पहली बार इस तरह खुल के अपने मायके के किस्से सुना रही थीं, ... तो उसने पूछ लिया,... और माँ बड़े मौसा,...
" अरे यही तो असली खेल है , भले एक साथ तीन चार लौंडे हो , लेकिन सबको लगे लड़की तो बस उन्ही को देख के मस्त हो रही है उन्ही से चुदवाने के लिए गरमा रही है, असली खेल तो मन का है , तन का खेल तो मिनटों का होता है , सटाया, घुसाया , डाला रगड़ा फ़ुस्स ,... असली तो मरद गरमाते हैं सोच सोच के , तो जब तेरे छोटे मौसा मेरे ऊपर चढ़े थे और मैं नीचे से चूतड़ उठा उठा के उनका साथ दे रही थी , उन्हें एड लगा रही थी ,... मेरी आँखे तेरे बड़े मौसा को देख के मुस्करा रही थीं , चिढ़ा रही थीं , होंठ गोल कर के चूसने का इशारा कर रही थी,... तो तेरे छोटे मौसा ने आठ दस मिनट हचक के मुझे चोदा होगा , और तेरे बड़े मौसा गरमा रहे थे , बस ऊँगली के इशारे से मैंने उन्हें पास बुलाया,
" और " गीता भी खूब गरमा रही थी , थूक गटकते हुए बोली।
" और थोड़ी देर तक तो उन्हें मुठियाती रही , अभी आधा सो रहा था ,..
लेकिन साली के हाथ की गरमी किस स्साले का नहीं टनटना जाता बस दो तीन मिनट में , और फिर मैंने मुंह में , पूरा नहीं सिर्फ सुपाड़ा जैसी स्कूल वाली लड़कियाँ नहीं लॉलीपॉप मुंह में लेकर चूसती है मजे ले ले कर एकदम वैसे ही ,...
बस दो चार मिनट और उनका एकदम खड़ा हो गया था,...
बस मैंने तेरे छोटे मौसा को एक मिनट के लिए उठने का इशारा किया,... और वो अब मेरे नीचे मैं उनके ऊपर चढ़ी ,
पंद्रह मिनट से चोद रहे यही पूरी रफ़्तार से वो , तो वो भी थोड़ा चेंज, ... और बड़े मौसा तेरे कोहबर से ही मेरी कच्ची अमिया के साथ साथ पिछवाड़े के ,.. कोहबर में मैं उनकी गोद में चढ़ के बैठी थी,... और अपने छोटे छोटे चूतड़ ,... और तेरी दोनों मौसियां बस उन सबो ने मेरे पिछवाड़े ,... फिर एक साथ दोनों छेदो का मजा,.. मजा मुझे भी आ रहा था , तेरे बड़े मौसा एक बार झड़ चुके थे तो दूसरी बार तो उन्हें आधा घंटा लगना ही था।
लेकिन गितवा जानती है तेरे बड़े मौसा गाँड़ बड़ी मस्त मारते हैं,... अरे यार चूत तो कोई स्साला चोद लेगा, असली मर्दानगी मर्द की गाँड़ मारने में ही पता चलती है,...
गीता के मुँह से निकलते निकलते रह गया ,... " माँ एक बार मेरे भैया से गाँड़ मरावेगी न तो सब अपने भाई, जीजा देवर नन्दोई को भूल जाओगी "
लेकिन माँ ने जो अगली बात कही तो वो चुप नहीं रह पायी, माँ ने बोला,...
" तेरे मौसा इत्ते मस्त ढंग से गाँड़ मार रहे थे खूब ताकत लगा लगा के,... मैं भी उन का साथ देने लगी, असली मजा मजा देने में है जब गाँड़ मारने वाले को लगे की मरवाने वाली भी मजा ले रही है तो वो दूनी ताकत से मारता है और तब आता है गाँड़ मरवाई का असली मजा , "
ये बात गीता को समझ में नहीं आई की गाँड़ मरवाने वाली कैसे मज़ा दे सकती है , उसे मालूम था की उसके भाई को पिछवाड़े बहुत मजा आता है अगर वो भी कुछ सीख लेती तो , और उसने माँ से पूछ लिया,...
" गाँड़ मरवाने वाली कैसे मरद को मजा दे सकती है,... " गितवा ने धीरे से माँ से पूछा।
" अरे पगली, ये सब सीखना तो बहुत जरूरी है वो भी तेरी उमर में,... देख गाँड़ में मरद जब ठेलता तो उसे बहुत मज़ा मिलता है क्योंकि खूब कसा कसा, एकदम रगड़ के दरेरते हुए घुसता है दूसरे सिर्फ एक बार नहीं दुबारा जब गाँड़ का छल्ला पार होता है तो फिर उसे मज़ा है क्योंकि नीचे दबी लौंडिया तड़पती है, मचलती है और एक बार फिर खूब कसा कसा,... जबत पहले सुपाड़ा रगड़ता है फिर पूरा लंड,... लेकिन जब एक बार अंदर घुस गया तो पूरा जड़ तक , तो ,...
माँ चुप हो गयी , और गीता एकदम ध्यान से सुन रही थी , और माँ ने समझा के बताना शुरू किया,...
देख मान ले लंड एकदम जड़ तक गाँड़ में घुस गया है , पूरा ठोंक दिया है ,... तो अब तेरा काम शुरू होता है, बस हलके उस मोटू को अपने अंदर भींच, कस के पूरी ताकत से सिकोड़, जैसे कुछ तेरी गाँड़ से निकलने वाला है और तू उसे बस सिकोड़ के रोक रही है,... फिर थोड़ी देर बाद खूब धीमे धीमे उसे छोड़, बस दस बीस बार करेगी तो मरद पागल हो जाएगा,...
अरे तुझे चूत के लिए सिखाया था न मूत रोकने के लिए जैसे चूत सिकोड़ते हैं उसी तरह चूत को हरदम टाइट रखने के लिए बस वही काम गाँड़ में भी ,... पक्की हो जाएगी तू।
.. और फिर धक्का मारते हुए अगर रुक जाये थोड़ी देर तक उसी तरह से सिकोड़ और ढीला छोड़ के फिर खुद हलके हलके धक्का मार,...
मर्द को जब लगता है न लड़की को उसका लंड पसंद आ रहा है तो उससे ज्यादा ख़ुशी की बात कुछ नहीं होती बस वो और ताकत से मजे ले ले के मारता है , और तेरे बड़े मौसा तो मुझे पता था की नंबरी लौण्डेबाज स्कूल के जमाने के , कोई चिकना उनके स्कूल का बचता नहीं था, या तो सीधे से नेकर सरका दे या वो जबरदस्ती , गन्ने बाजरे के खेत में ले जाके निहुरा के ,
गितवा मुस्करा रही थी , ... मालूम तो उसे भी था ये सब लड़के भी आपस में,... लेकिन उसे अजीब नहीं लगता था जब हम लड़कियां आपस में , सब सहेलियां,... तो लड़के भी ,.. तो क्या हुआ, ...पर माँ के मुंह से ये सब खुल्लम खुल्ला सुनना,.. उसे बहुत अच्छा लग रहा था,... पर बात बनाते हुए वो बोली ,
"तो बड़े मौसा जी ने तो बड़ी देर तक"
" एकदम, जैसा मैं कह रही थी की वो पिछवाड़े के शौक़ीन और फिर अभी तो झड़े थे और मुझे उनसे गाँड़ मरवाने में बहुत मज़ा आ रहा था ,
खूब लम्बे लम्बे धक्के माते थे फिर तेरे छोटे मौसा जब पंद्रह मिनट चोद चुके थे तब उन्होंने गाँड़ मारनी शुरू की, ... तो दस मिनट के बाद में तो छोटे मौसा ने करीब २५ मिनट चोद के पानी छोड़ दिया, पर मैं नीचे लेटे तेरे मौसा जी के ऊपर से उठी नहीं , दो
चार मिनट ऐसे ही , फिर बड़े मौसा जी ने ही मेरे कान में कुछ समझाया और खुद ही मुझे उठा के जमीन पे ही पीठ के बल लिटा के गाँड़ मारना शुरू कर दिया ,... उसके मजे अलग है , आप मारने वाले को देख सकते हैं , चुम्मा चाटी , चूँची दबाने के साथ साथ वो चूस भी रहे थे , आधे घंटे से ज्यादा ही मेरी गाँड़ मारी और फिर कटोरी भर मलाई,... सब की सब पिछवाड़े,... "
माँ अब चुप हो गयी थी और सेकेण्ड राउंड का किस्सा उसने एक लाइन में समेट दिया, ... खाने पीने के बाद मैं ही शूली पे चढ़ी , तेरे बड़े मौसा के और छोटे वाले पिछवाड़े ,... पांच बजे के करीब वो लोग गए। कुछ देर तक माँ चुप रही लेकिन गीता ने बात छेड़ दी , और आपकी छोटी मौसी वाली दोनों मेरी मौसियां वो कब आयीं,... ?