रंगीले के साथ-साथ गीले करने वाले भी...inke kisse hi itne rangeele hai
asal me inhone kya-2 kiya hoga ye sochkar hi kadak ho raha hai maamla
maa aur mausi ki baate sach me majedaar hai
रंगीले के साथ-साथ गीले करने वाले भी...inke kisse hi itne rangeele hai
asal me inhone kya-2 kiya hoga ye sochkar hi kadak ho raha hai maamla
maa aur mausi ki baate sach me majedaar hai
यादों के झरोखों से क्या किस्सा निकाल के लाई हैं...भौजी
माँ अब चुप हो गयी थी और सेकेण्ड राउंड का किस्सा उसने एक लाइन में समेट दिया, ... खाने पीने के बाद मैं ही शूली पे चढ़ी , तेरे बड़े मौसा के और छोटे वाले पिछवाड़े ,... पांच बजे के करीब वो लोग गए। कुछ देर तक माँ चुप रही लेकिन गीता ने बात छेड़ दी ,
"और आपकी छोटी मौसी वाली दोनों मेरी मौसियां वो कब आयीं,... ?
" तू भी न एक एक बात पूछ के ही दम लेगी "
माँ मुस्कराईं, फिर हंस के बोलीं की लेकिन तुझे एक बात समझा देती हूँ,... सबसे बड़ी दुश्मन कोइ होती है तो वो भौजाइयां,.... नंबरी कमीनी, होली में तो और पगला जाती हैं, आधी के मरद पंजाब, दुबई छनछनाई रहती हैं तो सब मरदो की बहनों के ऊपर,... और तेरे इस गाँव की. तेरे मायके की भौजाइयां तो नंबरी नहीं दस नंबरी कमीनी हैं,... हाँ जब तक ननद कुँवारी है, मतलब उसकी फटी नहीं है तब तक तो सिर्फ ऊपर झाँपर से,
गीता ने माँ की बात काट दी। कोई भी उसके गाँव को कुछ बोलता है तो वो कटखनी बिल्ली की तरह चाहे वो माँ ही क्यों न हों, झपट के बोली,
" अरे माँ ये नहीं कहती की हमारी भौजाई सब कितनी सीधी हैं, ननद के ऊँगली कर कर के तो नहीं जब तक कुँवारी,... "
अब बात काटने की पारी गीता की माँ की थी, हंस के बोली
" अरे स्साली खाली भाईचोद होने से अकल नहीं आती, अरे तेरी भौजाइयां इस लिए छोड़ती है की जानती हैं की हमारी ससुरार और तोहरे मायके की माटी -पानी का असर है, की यहाँ की बियाई कोई बिटिया बिना चोदवाये गवने नहीं जाती। तो घी कहाँ गिरेगा, खिचड़ी में ही न,... अरे कउनो इस गाँव का लड़का ही चोद के फाड़ेगा, उन की ननद को,... तो बस अपने देवर के फायदे के लिए,... और मरद चोदेगा तो और जोर से चोकरेगी और भौजाइयों को चिढ़ाने का मौका भी मिल जाएगा, बस इसी लिए, बिन चुदी को बक्श देती हैं। अबकी होली में पता चलेगा , जब तोहरी भौजाइयों को पता चल जाएगा की उनकी इस ननदिया की फट गई, जितना हमारे बेटवा के पेलने पे पिराया होगा न उससे दस गुना रगड़ रगड़ के,... "
प्यार से माँ ने गीता के गाल पे चिकोटी काट ली , और गीता भी समझगयी माँ , माँ हैं उनसे जीता नहीं जा सकता है , लेकिन चिढ़ाने का हक तो था ही तो बात बदलते हुए हंस के बोली,
"अरे आपकी भौजाई ने क्या किया आपके साथ ये बताना आप गोल कर गयीं और मेरी भौजाइयों को गरियाने लगीं। पहले अपनी भौजाई का हाल बताइये , फिर बात तो आप अपने जीजू की कर रही थीं ये भौजाई कहाँ से आगयी बीच में।"
माँ मुस्करायीं एक बार फिर वो उस मायके में हुयी जीजा और भाभियों के साथ की होली की यादों में खो गयी थी , और एक बार फिर उन्होंने शुरू किया,
" तेरी वो दोनों मौसियां, मेरी सबसे छोटी मौसी की दोनों बेटियां मुझसे ६-७ महीने ही बड़ी रही होंगी, ... दोनों जुड़वा और दोनों की शादी भी एक साथ एक मंडप में हुयी थी।
दोनों मेरी पक्की सहेलियां लेकिन उन लोगों के आते आते शाम बस होने ही वाली थी तो पानी वाली होली तो नहीं हुई लेकिन भांग वाली ठंडाई, मिर्च वाले दहीबड़े , और भांग पड़ी गुझिया सब चली ही, और सूखी होली में दोनों ने मेरी चोली में हाथ डाला और शैतान बहनों ने चोली के बंध खोल दिए , की कहीं फट न जाये, और दोनों जोबन उन दोनों के मर्दों के हवाले और अबीर गुलाल लगा लगा के दोनों ने खूब मसला रगड़ा, पर मैं कौन कम थी मैंने पजामे का नाडा भी खोल दिया बल्कि तोड़ दिया,
लेकिन तभी पड़ोस की भौजी आ गयीं, बस मेरे बड़े जीजा से दुआ सलाम की उन्होंने अपने बड़े बड़े जोबन रगड़ के ,... और जीजा लोगों से कानफुसी भी और मुझे चिढ़ा के बोलने लगी,
"अब होगी असली होली , स्साली का अगवाड़ा पिछवाड़ा एक साथ, दो दो जिज्जा होने का फायदा "
लेकिन मैं कौन कमजोर ननद थी मैंने भी तुरंत जवाब दिया,
" अरे नहीं भौजी आपके नन्दोई साली सलहज में फरक नहीं करते , मैं पीछे थोड़े हटने वाली हूँ पर दो जीजू एक साली एक सलहज, बस एक साली के साथ एक जीजू और ननदोई सलहज के साथ,... बड़े बड़े मस्त ऐसे चूतड़ वाली सलहज, नन्दोई को देख के और मजे मजे से मटका रही हों और बच जाए तो बड़ी नाइंसाफी होगी, ..
मेरे बड़े जीजू केसाथ भौजी बतिया रही थीं , वो रुक के बोलीं,
" छिनार चल बताती हूँ , पहले ननद भौजाई का हिसाब हो जाए , फिर नन्दोई जीजा का भी,... "
और जब तक मैं सम्ह्लू, भौजी ने टंगड़ी मार के मुझे उस कच्चे मिटटी के आंगन में गिरा दिया और वो मेरे ऊपर , कपडे हम दोनों के दूर,... और फिर 69 चालू , उन्होंने मेरे शहद के छत्ते में मुंह मारा और मैंने उनकी प्रेम गली में सेंध लगाई,...
मेरे दोनों होंठों के बीच भौजी के निचले होंठ मैं कस कस के चूस रही थी चाट रही थी, जीभ अंदर डाल के पेल रही थी लेकिन साथ साथ दोनों हाथों से भौजी के बड़े बड़े चूतड़ दिखा के फैला के बीच का छेद दिखा के जीजू लोगों को ललचा रही थी और बीच में उन्हें ललकार भी रही थी सलहज के मस्त पिछवाड़े पे हमला करने के लिए बड़े जीजू तो पास में ही थे , मैंने उन्हें खींच के उनकी सलहज के पास , ... और खुद फैला के छेद, अपने हाथ और पैर से भौजी को कस के जकड़ लिया था
बस भौजी के नन्दोई ने पिछवाड़े मूसल ठोंक दिया,...
और मैं न क्या कहते हैं एकदम सामने वाले सीट पे, भौजी की चूत पे ननद का कब्ज़ा और गाँड़ पर नन्दोई का, क्या हचक के जीजू पेल रहे थे पांच दस धक्कों में मूसल पूरा अंदर था ,... जीजू ने पेला तो अपनी सलहज की गाँड़ में सूखा था लेकिन एक बार उनकी सलहज के पिछवाड़े घुस गया फिर तो ,... अंदर तो मक्खन ही मक्खन भरा था,... और उसका असर भी मुझे दिख रहा था जब जीजू का मोटा मूसल बाहर आता तो लिथड़ा चुपड़ा ,... और फिर तो उनकी कमर का जोर और अंदर की चिकनाई सटासट, सटासट,...
बीच बीच में मैं भी जीजू के रसगुल्ले को जीभ निकल के चाट लेती तो उनका जोश दूना हो जाता ,
और भौजी अब बेचारी क्या करतीं खूंटा तो गाँड़ में घुस ही गया था , बस मुझे गरिया रही थीं जीभ की जगह तीन तीन उंगलिया मेरी बुर में पेल के हचक के चोद रही थीं,... अंगूठे से मेरी क्लिट रगड़ रही थीं
तो मैं भी जवाब में उनकी क्लिट मुंह में लेके चूसने लगती और भौजी गिंगिनाने लगती।
पांच छह मिनट हचक के गाँड़ मारने के बाद , मेरी समझ में नहीं आया, जीजू का तीन चौथाई लंड अंदर और थोड़ा सा करीब दो इंच बाहर और उसे पकड़ के गोल गोल मथानी की तरह भौजी की गाँड़ में घुमा रहे थे और भौजी भी उनका साथ दे रही थीं,... खूब तेजी से गोल गोल ,
और भौजी ने ऊँगली से मेरी बुर चोदने की रफ्तार बढ़ा दी थी
छह सात मिनट तक वो मथानी चलती रही तभी अचानक भौजी ने कस के मेरी क्लिट काट ली और नाख़ून मेरी बुर पे गड़ा दिए,... मैं जोर से चीख पड़ी और उसी समय उनके नन्दोई ने अपनी सलहज की गाँड़ से मथा, अच्छा ख़ासा लिथड़ा चुपड़ा मोटा मूसल निकाल के मेरे मुंह में पेल दिया, ...
मैं हाथ पैर फेंक रही थी, हटाने की उन्हें कोशिश कर भौजी ने अपना पूरा वजन मेरी देह पर डाल रखा था और उनकी पकड़ सँड़सी से भी मजबूत थी , और जीजू ने भी पूरी ताकत लगा दी थी थोड़ी देर में आधे से ज्यादा लंड, उनकी सलहज की गाँड़ से निकला मेरे मुंह एक अंदर था और तब मैं समझी ननदोई सलहज की मिली जुली , लगी बुझी थी और जान बुझ के भौजी ने 69 किया और अपने नन्दोई को गांड में लिया,...
जब वो समझ गयी की मैं अब कुछ नहीं कर सकती तो उठीं और मुझे चिढ़ाने लगीं
" अरे चल तेरे पिछवाड़े का स्वाद तो बहुत नन्दोई लोगो ने चिखाया होगा अब ज़रा अपनी भौजाई के पिछवाड़े का भी स्वाद ले ले,.. अरे चटखारे ले ले के चाट,... सब तेरी भौजी का ,... "
जीजू कस के ठेले हुए थे और भौजी ने साफ़ साफ़ बोल दिया कस के मेरे निपल मलते
" ननद रानी, जबतक ये मेरी गाँड़ से निकला मेरे नन्दोई का खूंटा चाट चूट के साफ कर के नहीं,... तब तक न नन्दोई निकालनेगे न मैं तेरे ये निपल छोडूंगी
मैं समझ गयी अब कोई बचत नहीं है और चार पांच मिनट में अच्छी तरह से चाट के ,... लेकिन जैसे जीजू ने निकाला मेरे मुंह से तुरंत उनकी सलहज अपना पिछवाड़ा फैला के खोल के सीधे मेरे मुंह के ऊपर और नाक कस के दबा दिया , ...
" ननद रानी अभी यही तो मेरे नन्दोई के खूंटे पर से इतना स्वाद ले ले के चाट रही थी, चल मुंह खोल जैसे लड्डू खाने के लिए खोलते हैं खूब बड़ा सा , हाँ हां और थोड़ा और बड़ा , ... बस मुंह बंद करने की सोचना भी मत वरना तेरी नाक, और एक बार फिर से हचक के मेरे मुंह पे ,...
और जीजू ने ,... झड़े तो वो थे नहीं ,... अब सीधे मेरी गाँड़ में खूंटा गाँड़ दिया और लगे हचक के मेरी गाँड़ मारने ,... मेरे मुंह के ऊपर उनकी सलहज चढ़ी और पिछवाड़े सलहज के नन्दोई ,... अब अपने छोटे नन्दोई का भौजी ने मुंह में ले लिया,... पहले बड़े जीजू गाँड़ में मेरी झड़े और छोटे वाले जैसे ही भौजी के मुंह में झड़ना शुरू किये भौजी ने जैसे कोई होज पकड़ के , सीधे मेरे चेहरे पे चूँची पे बाल पे सब मलाई जीजू की,...
अब माँ ने थोड़ा सा ब्रेक लिया और बोलीं इस लिए मैं कह रही थी की ननदों के लिए सबसे बड़ा खतरा भौजियां होती हैं ,..देवर , जीजू नन्दोई क्या करेंगे अगवाड़े पिछवाड़े का मजा ले के ,... और मैं तुझसे अभी से बोल रही हूँ अबकी इस होली में तेरी,... तेरी भौजाइयां तो मेरी गाँव वालियों से १०० गुना ज्यादा कमीनी हैं क्या करेंगी पता नहीं।
और जोड़ा,
'और खाली मेरे जीजू थोड़े ही थे मेरी सहेलियों के भी, जिनकी शादी हो गए थे उनके भी मर्द, तेरी नानी ने सब को बोल रखा था फिर भौजाइयां भी तो थीं आग लगाने वाली रात को खड़े होने की हालत नहीं थी , याद भी नहीं आ रहा था कितने मर्दों ने ,..आधी बाल्टी से कम बीर्य नहीं घोंटा होगा मेरे तीनों छेदो ने। '
गीता छुटकी को माँ की मायके की होली का किस्सा बता रही थी
लेकिन छुटकी तो कुछ और जानना चाहती थी, वो गीता के पीछे पड़ गयी,
" गीता दीदी, आप असली बात गोल कर रही हैं ये बताइए, भैया का माँ ने कब कैसे घोंटा,... और ये मत कहियेगा की भैया माँ के ऊपर नहीं चढ़ा। सीधे उसी बात पे आइये। "
लेकिन होली पर भैया नजर नहीं आया....Kya baat hai,kya mauj bana di Gita ke dono mausa ko.
Adbhut gazab super update .
typical Komal style.
धीरे-धीरे रे मना.. धीरे सब कुछ होय...Gita didi sab kuchh batayegi , fikar mat karo.
Gazab super duper update
forums compulsion...Xforum pr story padhan or comment krna mushkil ho gya hai. Page apne aap redirect hota rehta hai, yeh msg krne me bhi kitne baar page refresh hua,.
गीता की नहीं गितवा की माँ की....Daad deni hogi geeta hai, bechari ki halat khrab hai
मैराथन में कभी धीरे तो कभी तेज...Geeta ki Maa kisi jiju ko mana nahi karti.or sab jiju lambi race ke ghode. Koi bhi jaldi se free nhi karta, sprint nahi marathon hota hai
चुदाई में गिनती होना भी नहीं चाहिए...Geeta ki Maa ne to record bana diya, koi Ginti nahi, kitne logon ne kue me dubki lagayi
Yes... it is very painful..ab aap kahani post karne vaali ka dukh dard samjh sakte hain , many time i wrote but mods/admin say that it is business decision. But if eyeballs come down, foot falls move away, it too will impact add revenue, the refuse to acknowledge and no importance of content writers is acknowledged. every time it is three attempt so i will have to save it somewhere otherwise long posts will vanish. Earlier i will do editing , add pic use font and then post but now i post first, so that at least main post is saved. After that two three times editing so like lost post 3-4 hours in posting itself.
But ours is not to reason why,...
सबका मिला जुला रूप....sorry ekdam galat.
speed sprint ki, distance marathon ka, takat shotput ki