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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
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ननद की सास, और सास का प्लान
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अभी सुन-सुन के सीख रही है...अरे गितवा की माँ के मौसियां तीन है , लेकिन मौसेरी बहनें सात तो कुल जीजा सात, सबसे छोटी साली गितवा की माँ तो होली का हाल थोड़ा बहुत तो और वो अगले पोस्ट में भी जारी रहेगा , गीता सुनेगी तो सीखेगी
नेग के मामले में ननद भौजाई का रिश्ता कुछ रंगीन हो जाता है...और क्या भतीजी के होने का नेग मिलेगा,...
दिल खोल के मांगों ननदी जो मांगो सो दूंगी
आप दोनों एक से बढ़ कर एक हैं...अरविंदवा पहले मातृ सेवा तो कर ले , ऐन मौके पे दोनों बिदक जाते हैं ये तो गितवा पीछे पड़ी है अब देखिये आगे क्या होता है
वो डाक्टर साहब कहती हैं न , रिश्तों में हसीन बद्लाव अब आएगा की नहीं ,...
हाँ.. चचेरी, ममेरी, मौसेरी, फुफेरी , रिश्ते में और पास पड़ोस के नाते कोई जीजा तो होगा हीं...vo to hai lekin gitvaa ki maa ki bhi kaun sagi bahane thi
phir jija to gaon ke rishte se saheli ke rishte se bas Jija hona chahaiye aur jijaj bhi to saali ke aage najar jhukaaye rakahte hain chehre se fisl ke sidhe K 2 pe padti hain aur tay kar lete hain
इस मामले में कोमल रानी लाजवाब हैं...कभी लॉगिन नहीं करता था, आपकी कहानी के लिये लॉगिन करना पड़ा....
आपकी कहानी के कुछ संवाद इतने अच्छे लगते हैं कि मैं अपने इंस्टाग्राम के इंसेस्ट पेज पर उनके प्रयोग इंसेस्ट पोस्ट के रूप में करने का मन होता है, शायद एक दो पोस्ट किया भी है। आशा है आपको बुरा ना लगे।
परंपरा तो निभानी पड़ती है....Yaar ye maa to khandani reet nibha rahi hai.... bhai se chudwa ke
घुमाने में हीं मजा है..Gajab update bhabhi ji......
Maamla Phir hasi me ghumaya Jaa rha hai
बहनचोद नहीं.. भाईचोद...Sahi hai... bahanchod banne ka riwaj maayke se layi hai maa
परंपरा.. रीत रिवाज.. खून का असर... माहौल का असर...एकदम और रीत रिवाज की अपनी मान्यताएं होती हैं , फिर खानदानी परम्परा, गलती से भी नहीं छोड़नी चाहिए,
बहुत पाप पड़ता है, रौरव नरक,...
और फिर माँ के खून का असर बेटी पर तो,.... और बेटी तो बस रिवाज निभा रही है,...
नियम का पालन होना चाहिए...एकदम सही कहा आपने
लेकिन नियति का लेखा,
गितवा की कोशिश
और फिर इन्सेस्ट कहानियों का नियम,... बहन के बाद,... वरना किस्से लिखने वाले बिरादरी से बाहर कर देते हैं,... जाके इरोटिका , थ्रिलर विलर लिखो इधर गलती से भी कदम मत रखना अगर माँ,...
तो बस आगे आप सुधी पाठक हैं, सब समझते हैं ,