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भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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Ur Raji waiting for part 45 dear Komal didiभाग ४४
रिश्तों में हसीन बदलाव उर्फ़ मेरे पास माँ है
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Ha ha komalji name mera he par ye raji bahot badi vali shetan he. Iski bas bato ka maza lo. Vese bhi raji daktrni he. Hatho me ek ke ingjetion hota he. Pata nahi kisko kisko ghopti raheti he.Are didi tum ko me aise thoda bol sakti hun.
Ye Shetan aur mera mazak to chalta rehta hai.Vese bahut pyari hai Shetan.
Bhala aap jesi gyanvardhak hasti ko koi kya sikha sakta hai.
Vese Raji ko achha laga apni Komal didi se baat karke.u
![]()
Dekha aapne bhi hath jod lie na. Vo badi khatrnak he
Ab ghar ki sikhlai he to chhed to sare khulenge. Or ghee to apni hi thali me gir raha he. Chup chap kha le.पिछवाड़े पर हमला
" अरे तुम लोग भी तो उसी की उमर की हो समझदार हो, अरे भाई उसका, है तगड़ा,... गितवा कुछ उसको चिढायी होगी, ललचायी होगी,... वो हलके मारा होगा तो जोर से लगा होगा और उससे भी ज्यादा जोर से चिल्लाती है वो,... बस निकल रही है वो, भाई बहन के बीच मैं नहीं नहीं बोलती, मैं इस लिए बाहर आ गयी,... उसे बोल दिया था जल्दी करे,... "
तब तक गीता की चीख दुबारा सुनाई पड़ी,... ( और ये मंत्र अपने बेटे के कान में दो देके आयी थीं की आज रोज से भी कस के, और हर धक्के पे चीख निकले तो आगे से लाज शरम भूल के जहाँ कहेगा वहां, जिसके सामने चाहेगा उसके सामने, पिछवाड़ा देने को तैयार रहेगी। )
बेटे ने वो फार्मूला इस्तेमाल किया जिसे थोड़ा बहुत तो चाची ने सिखाया था, लेकिन उसकी बारीकियां सिखायीं और अपने ऊपर ट्राई करा के परफेक्ट कराया उसकी माँ ने, ... और वो तरीका ऐसा था जो आज के पहले वो सिर्फ भोसंडी वालियों पर ट्राई करता था, पांच छह बच्चे निकाल चुकी उन भोंसड़ी वालियों के भोंसडे पर जिन्हे तीन चार ऊँगली एक साथ घोंटने पे पता नहीं चलता था। और जब इस ट्रिक से वो उन की भी चीखें निकलवा देता था, उन्हें उन की गौने की रात याद दिला देता था, जब वो रोती चीखती रहतीं थी और मरद चढ़ा रहता था , फाड़ता रहता था , खून खच्चर से चादर लाल हो जाती थी। उस दिन से भी ज्यादा मजा और दर्द होता था,...
लेकिन कल की बछेड़ी और वो भी उसके पिछवाड़े, जिसका फीता ही चार पांच दिन पहले कटा हो, दिन दहाड़े, चीख चीख के उसकी बहिनिया की बुरी हाल थी, लेकिन बछिया लाख उछले कूदे, सांड़ एक बार चढ़ गया तो बिना गाभिन किये नीचे नहीं उतरता, वही हालत उसकी थी।
ट्रिक बहुत सिम्पल थी, गाँड़ मारने के लिए कुतिया बना के उसने अपनी बहिनिया को निहुरा रखा था, फिर उसकी दोनों टांगों के बीच अपनी टाँगे डालके कैंची की फाल की तरह पूरी ताकत से फैला दिया, टांगों और जाँघों के साथ साथ बहिन की गाँड़ भी अच्छी तरह फैली थी, फिर उसका सांड़ की ताकत से मारा धक्का, जबरदस्त ताकत थी उसकी कमर में , जो लड़की औरत एक बार उसके नीचे लेटती थी, दुबारा खुद उसके आगे पीछे मरवाने के लिए टहलती। लेकिन उसकी बहिन की कसी खूब टाइट गांड में इत्ता फ़ैलाने के बाद भी, ( रसोई में कुछ और चिकनाई तो थी नहीं हाँ उसने भैंस का ताजा मक्खन अच्छी तरह अपने मूसल पे चुपड़ लिया , एक बार खाली घुसने की देर थी, दो चार धक्के के बाद, तो बहिनिया के गाँड़ का मक्खन लंड को वैसे ही चिकना कर देता).
और अब छह सात मिनट मरवाने के बाद उसके नीचे दबी कुचली छुटकी बहिनिया को भी गाँड़ में घुसे मोटे लंड का मज़ा मिलने लगा था, चीखें उतनी ही जोर जोर की सिसकियों में बदल गयी थीं , वो भी जैसा माँ ने सिखाया समझाया था, कभी अपनी गांड को सिकोड़ के लंड निचोड़ लेती तो कभी भैया के धक्के के जवाब में चूतड़ पीछे कर कर के धक्के मारती। वो भूल गयी थी, उसकी सहेलियां बाहर खड़ी हैं स्कूल का टाइम हो रहा है और वो सब देख भले न पाएं लेकिन कान पार कर के एक एक चीख सिसकी सुन रही थीं और इंटरवल तक पूरे स्कूल में ये बात फ़ैल जायेगी। और वो सब तो बाहर निकलते ही उसे चिढ़ाना शुरू कर देंगी।
उधर भैया ने वो माँ की सिखाई ट्रिक,... न उसने धक्के धीमे किये , न बहन की चूँचियो को रगड़ना नोचना खसोटना, ... हाँ धीमे से बहन की दोनों टांगों को जबरदस्ती फैलाये अपनी टांगों को बाहर निकाल लिया, खूंटा वैसे भी उसका जड़ तक घुसा था, एकदम चिपका। और फिर उतने ही धीरे धीरे अपनी दोनों टांगों से बहन की फैली टांगों को कसना शुरू कर दिया जैसे कोई कुशल घुड़सवार घोड़ी के ऊपर चढ़ के अपनी जाँघों से उसे दबोच लेता है और फिर घोड़ी लाख उछल कूद करे, उसकी पकड़ ढीली नहीं होती, जैसे खुली कैंची की फाल बंद हो जाए, बस उसी तरह उसकी टाँगे सिकुड़ती गयीं, उन में दबी फंसी उसकी बहन की टांगें सिकुड़ती गयी जब तक वो इतनी टाइट न हो गयी जितनी हफ्ते भर पहले अपने भैया से चुदने के पहले, उसकी बहन की कोरी अनचुदी चूत टाइट थी, सबसे छोटी वाली ऊँगली भी नहीं घुस सकती थी.
और उन सब के साथ बहन की पिछवाड़े की सुरंग भी, एकदम कसी, जब माँ ने उससे जबरदस्ती अपनी बहिनिया की गाँड़ फड़वायी थी, एकदम उसी तरह की . उस एकदम टाइट हुयी गांड से जब उसने धीरे धीरे सरका सरका के लंड उसने गाँड़ से बाहर खींचा तो बहिनिया की परपरायी, छरछरायी, लेकिन माँ ने सिखा सिखा कर, अब उसे गाँड़ मरवाने में भी उतना ही मजा मिलता था जितना चूत चुदवाने में, ....
और एक बार फिर से भैया ने बहिनिया को दोनों टांगों से कस के कस दिया, मोटा मूसल बाहर निकलने से जो जगह खाली हुयी थी, वो भी टाइट हो गयी ( सिर्फ मोटा सुपाड़ा उसने धंसा के रखा था ) , और अब उसने हचाक से पेला, जिस ताकत से वो एक धक्के में गाँव की कुंवारियों की झिल्ली फाड़ता था, उससे भी तेज जोर लगा के,
और गीता चीखी, जोर से चीखी, जितनी उसकी फटी थी उस समय जितना दर्द हुआ था वो कुछ नहीं था इसके आगे,... एकदम टाइट कसी दबी फंसी इसकी गाँड़ में छीलता फाड़ता मूसल घुस रहा था, लगा रहा था चमड़ी छिल रही है है, उचड़ रही है, पर भैया रुका नहीं,....
उईईई उईईईईई चीख सीधे स्कूल तक पहुँच रही थी, मास्टराइन से लेकर चपरासिंन तक सुन रही होंगीं, तो बीस फीट दूर पे खड़ी उसकी तीनों सहेलियां तो कान फाड़े सुन रही थीं , उसकी चीख सुन के सब ऐसी खुश की मुस्कराहट कान तक पहुँच रही थी , अब तो किसी से पूछने की भी जरूरत नहीं थी, अंदर उनकी सहेली के साथ क्या हो रहा था, पहले जो चुदने के नाम पर भड़कती थी, आज जम के चोदी जा रही थी, आने दो स्साली को बाहर,... और माँ भी मुस्करा रही थीं,... जैसे उन्हें भी मालूम हो अंदर बिटिया के साथ का हो रहा है,
पर एक लड़की से नहीं रहा गया वही जो चार पांच यारों को रोज निपटाती थी, माँ को सुनाती दूसरी सहेली से बोली,
"ई गितवा इतने जोर से काहें चीख रही है,... "
लेकिन माँ ने जवाब दिया खूब मुस्कराते हुए , " अरे समझती ना का हो तुम लोग, लड़की ऐसे कब चोकरती हैं,... अरे छिनरपना है, थोड़ा सा पिरायेगा , सात गाँव गोहार,... "
लेकिन भाई इत्ते से संतुष्ट नहीं था , बहन को पूरा मजा देना चाहती था। बस उसने गाँड़ में मूसल धकेलने के साथ बहिन की कसी बुर में भी एक साथ दो ऊँगली ठेल दी. गीता और जोर से चीखी, भैया थोड़ा थोड़ा सा निकाल दो,... कौन भाई निकालता है,... ऐसी स्कूल में पढ़ने वाली कमसिन बहिन की गांड में धंसा लंड बिना झड़े, तो उसने भी नहीं निकाला और बल्कि कचकचा के गाल काटते हुए उसके कान में फुसफुसाया,...
" बोल स्साली, का निकालना है , कहाँ से निकालना है , मैं का कर रहा हूँ , खूब जोर जोर से वरना अभी तो कुछ नहीं , ... और ये कह के उसकी छोटी छोटी बस आती हुयी चूँची के ऊपरी हिस्से में इत्ते कस के दांत गड़ाए की दूर से निशान दिखते,
और गीता ने जोर से बोला,
"भैया मेरी गाँड़ में से लंड निकाल लो बहुत पिरा रहा है , भले ही बुर चोद लो। "
" ये तो बोल मैं का कर रहा हूँ,... " भाई ने फिर धीरे बोल के उसे उकसाया ,
" ओह्ह भैया आज कैसे गाँड़ मार रहे हो , बहुत पिरा रही है ,... "
और भाई ने टांगों की पकड़ उसकी टांगों पर ढीली कर दी , दर्द कम हो गया , ... और गीताअब बिना इस बात की चिंता किये,... की बाहर सहेलियां कान पारे बैठीं होगी, उसकी चल रही चुदाई का हाल जानने के लिए, खुद रनिंग कमेंट्री कर रही थी,
" ओह्ह उफ़ भैया, अबे स्साले तेरा लंड कितना मोटा है, गदहे ऐसा एकदम, जरा हलके हलके गाँड़ मार, ओह्ह भैया हाँ ऐसे ही , रुक जाओ बस एक मिनट,... "
उसका भाई अरविन्द भी जान रहा था की आज उसकी बहिन और उसका नाम, बहन के स्कूल में फ़ैल जाएगा और इसलिए वो और हचक ह्च्चक के अपनी बहनिया को इस तरह पेल रहा था की आज दिन भर अपने स्कूल में वो सीधे न चल सके और उसके स्कूल की सब लड़कियों को बिन बोले पता चल जाए की गितवा की गाँड़ खूब मोटे लंड से हचक के मारी गयी है,
Sach me jabardast kya seen dala he. Saheliyo ke school jate bat chit sahanubhuti. Javardast dill me kai masti bhari seen or fantacy create karti he. Uske lie tow sabad kam he. Aap ne saral kavita ke jese samzaya he. Aap anokhe nirale he. Jese ek shapna dete ho.रनिंग कमेंट्री
लेकिन भाई इत्ते से संतुष्ट नहीं था , बहन को पूरा मजा देना चाहती था। बस उसने गाँड़ में मूसल धकेलने के साथ बहिन की कसी बुर में भी एक साथ दो ऊँगली ठेल दी. गीता और जोर से चीखी, भैया थोड़ा थोड़ा सा निकाल दो,... कौन भाई निकालता है,... ऐसी स्कूल में पढ़ने वाली कमसिन बहिन की गांड में धंसा लंड बिना झड़े, तो उसने भी नहीं निकाला और बल्कि कचकचा के गाल काटते हुए उसके कान में फुसफुसाया,...
" बोल स्साली, का निकालना है , कहाँ से निकालना है , मैं का कर रहा हूँ , खूब जोर जोर से वरना अभी तो कुछ नहीं , ... और ये कह के उसकी छोटी छोटी बस आती हुयी चूँची के ऊपरी हिस्से में इत्ते कस के दांत गड़ाए की दूर से निशान दिखते,
और गीता ने जोर से बोला,
"भैया मेरी गाँड़ में से लंड निकाल लो बहुत पिरा रहा है , भले ही बुर चोद लो। "
" ये तो बोल मैं का कर रहा हूँ,... " भाई ने फिर धीरे बोल के उसे उकसाया ,
" ओह्ह भैया आज कैसे गाँड़ मार रहे हो , बहुत पिरा रही है ,... "
और भाई ने टांगों की पकड़ उसकी टांगों पर ढीली कर दी , दर्द कम हो गया , ... और गीताअब बिना इस बात की चिंता किये,... की बाहर सहेलियां कान पारे बैठीं होगी, उसकी चल रही चुदाई का हाल जानने के लिए, खुद रनिंग कमेंट्री कर रही थी,
" ओह्ह उफ़ भैया, अबे स्साले तेरा लंड कितना मोटा है, गदहे ऐसा एकदम, जरा हलके हलके गाँड़ मार, ओह्ह भैया हाँ ऐसे ही , रुक जाओ बस एक मिनट,... "
उसका भाई अरविन्द भी जान रहा था की आज उसकी बहिन और उसका नाम, बहन के स्कूल में फ़ैल जाएगा और इसलिए वो और हचक ह्च्चक के अपनी बहनिया को इस तरह पेल रहा था की आज दिन भर अपने स्कूल में वो सीधे न चल सके और उसके स्कूल की सब लड़कियों को बिन बोले पता चल जाए की गितवा की गाँड़ खूब मोटे लंड से हचक के मारी गयी है,
पर उसका भाई अरविन्द, आज चुदने के बाद बहन पहली बार स्कूल जा रही थी तो चूत रानी को भी परसाद दिए बिना,... तो अपनी कभी दो तो कभी तीन उँगलियों से कस कस के चोद रहा था, और बहन उसके लिए भी सिसक रही थी. अरविन्द उसका भाई जानता था की उसकी बहिन की सारी सहेलियां उससे मरवाने के लिए मरती थीं, और सहेलियां ही क्यों, एक दो बार अपनी बहन के स्कूल में गया था, उसकी कसरती जवान देह देख के उसकी टीचरें भी उसे दिखा दिखा के अपनी चूचियां मसलती थीं.
गाँड़ में लग रहे धक्के खूब तूफानी थे, गीता कभी रोती बिसूरती तो कभी अपने भैया के धक्कों से सिसकती।
और कुछ देर बाद अरविन्द , गीता के भाई ने उसे रसोई के फर्श पे जमीन पे पीठ के बल लिटा दिया, लेकिन लंड अभी भी गाँड़ में धंसा था और तीन उँगलियाँ बुर में , कुछ देर में ही गीता झड़ने लगी और उसकी बदली आवाज सुन के बाहर खड़ी उसकी सहेलियां समझ गयीं सब खेली खायी थीं और अब आज उनकी सहेली भी उन्ही की गोल में ,... और उन सहेलियों के साथ गीता की माँ भी समझ गयी, अब खेल किनारे पे है, वो बोलीं,
" देखूं गितवा कहाँ इतना टाइम लगा रही है,... " और वो अंदर पहुँच गयीं,
उस समय तक गीता का भाई भी अपनी बहन की मोटी मोटी गाँड़ में कटोरी भर मलाई छोड़ रहा था , माँ उससे कुछ कहतीं उससे पहले वो समझ गया और बाकी बचा रस सीधे गाँड़ से निकाल के बहन के गोरे गोरे चेहरे पे, ... "
माँ यही तो चाहती थी आज बेटी की सब शरम लाज उसकी गाँड़ में घुस जायेगी, फिर वो खुल् के उनके बेटे से मरवायेगी।
उन्होंने खींच के दोनों को अलग किया और गीता को हड़काते हुए बोलीं,
" अरे तुझे स्कूल जाना है की नहीं , आज तो वैसे ही जल्दी छुट्टी हो जाएगी लौट के चुदवा लेना। कब से तेरी सहेलियां बाट देख रही हैं "
लेकिन गीता की निगाह अपनी चड्ढी पर थी जो नहीं मिल रही थी।
" माँ, चड्ढी नहीं दिख रही है , उसके बिना,... "
" उसके बिना क्या,... अरे स्कर्ट तो है तेरी , सब ढका छिपा है और फिर लड़कियों का स्कूल है सबकी स्कर्ट के नीचे वही बुर और गांड है , जल्दी जा , ज्यादा देर हो गई तो वो छिनार तेरी बड़ी मास्टराइन , मुर्गा बना देगी , सब तोपा ढँका बराबर हो जायेगा भाग छिनार जल्दी। "
माँ ने जोर से डांटा और पकड़ के खड़ा किया , गीता के पिछवाड़े जोर से चिलख मची थी जैसे किसी ने मोटी खपच्ची ठोंक दी हो और वो अभी तक घुसी हो।
किसी तरह दीवाल का सहारा लेकर वो खड़ी हुयी , एक हाथ दीवाल पे दूसरा माँ के कंधे पे,... किसी तरह आड़े तिरछे चलते , कहरते घर से बाहर निकली की उसे याद आया की उसके चेहरे पर तो उसके भाई की रबड़ी मलाई,
लेकिन माँ ने उसे भी साफ़ करने से मना कर दिया,
" अरे चल तेरी दोस्त ही तो हैं , वो सब की सब चुदवाती होंगी,... उनसे क्या और रास्ते में पोंछ लेना ,
पहुँचते ही एक सहेली ने उसे सहारा दिया दूसरे ने उसका बस्ता ले लिया, और तीसरी ने रास्ते में चेहरे पर से मलाई अपनी उँगलियों से साफ़ कर के अपनी बाकी सहेलियों को भी चिखाया ,
और स्कर्ट उठा के अगवाड़े पिछवाड़े का मौका मुआयना भी किया, दोनों एक साथ बोलीं
चल बिन्नो बहुत देर हो रही है। "
और स्कर्ट उठा के अगवाड़े पिछवाड़े का मौका मुआयना भी किया, दोनों एक साथ बोलीं
" तोर भयवा नम्बरी चोदू लगता है, स्साले ने तेरी गाँड़ फाड़ के रख दी,... "
तीसरकी बोली, गीता स्साली कमीनी रोज हम लोगों का किस्सा सुनती थी आज अपना सुनाओ और जरा भी कैंची लगाया न तो स्साली तेरी गाँड़ दुबारा फाड़ दूँगी।
ये वही थी जिसकी चूत उसकी भाभी ने इसी साल होली में भांग पिला के फड़वायी थी और शाम को भाभी के मायके के दो भाई लगने वालों ने भी मुंह लगा के खूब रस लिया और तब से कभी नागा नहीं होता। इस समय आधे दर्जन से ऊपर उसके यार थे और रोज चार पांच चढ़ते थे , इसी की भाभी ने गीता को समझाया चढ़ाया था की वो अपने सगे भाई अरविन्द के सामने टांग फैला दे, उससे मस्त मर्द उसे नहीं मिलेगा, झिल्ली फड़वाने के लिए और फिर घर की बात घर में।
घोंट तीनो चुकी थी और एक का नहीं कितनों का तो सबने पहला सवाल यही किया ' कितना बड़ा है तेरे भैया का '
Ohhhh to pahele ans tha. kisse ki kahani asli yaha he.भाग ४५
गीता चली स्कूल
गीता हंसने लगी फिर बोली माँ मेरे पीछे पड़ी थी की मैं शर्माती काहें हूँ की कहीं मेरी सहेलियों को न मालूम पड़ जाए की भैया मुझे चोदता है , ये तो ख़ुशी की बात ही बजाय तुझे इधर उधर लंड ढूंढने के घर में ही इत्ता मस्त लंड मिल गया तेरी सहेलियां जलेंगी , मालूम पड़ जाने दे ,...
तो छुटकी अपनी उत्सुकता रोक नहीं पायी , तो मालूम पड़गया आपकी सहेलियों को, कैसे, ... पूछ लिया उसने।
" और कैसे , मेरी माँ नंबरी और मेरा भैया भी दोनों की साठगांठ,... "गीता ने हाल खुलासा सुनाया
गीता का स्कूल उस घनघोर बारिश के बाद से ही बंद था, एक छत के गिरने का डर था, बाकी चू रहा था, लेकिन असली बात ये थी की बारिश में गाँव भर के गोरु डांगर, सब लोगों ने हांकर के उसी स्कूल में, और आधी लड़कियां तो धान की रोपनी में लग गयीं,... बारिश बंद हुए दो तीन दिन होगये, रोपनी का काम भी काफी हो गया था, तो अब स्कूल बहुत दिन बाद खुला था और सब लड़कियों की तरह गीता के मन में भी बहुत जोश और ख़ुशी थी, सबसे बड़ी बात की ज्यादातर लड़कियों की चिड़िया उड़ चुकी थीं, कितनो के चार पांच यार थे जिस दिन दो तीन अलग अलग लड़कों से नहीं चुदती थीं, उनका खाना नहीं पचता था, और सब आके गीता को जलाती थीं, गीता क्लास में सबसे सुंदर थी, खूब गोरी, चिकनी, नमकीन। जोबन सबसे २२। लेकिन तब भी उसकी टाँगे नहीं फैली थीं, और वो सब लड़कियां उसे चिढ़ाती थीं , ... और अब उसे लगता था की सब सही कहती थी, जो मज़ा चुदवाने में है वो किसी में नहीं,... और आज उन की बातों का मजा और रस ले ले के लेगी, और ये भी बता देगी की उसके भरतपुर के स्टेशन पर भी अब इंजन घुस गया था, ट्रेन चलने लगी थी। लेकिन वो लाख चिकोटी काटें, गुदगुदी वो भैया का नाम नहीं लेने वाले थी.
पर उनकी माँ उन्हें तो अपनी चढ़ती जवानी याद आ रही थी, तो बस,...
सुबह रसोई में तीनों, माँ, बेटी, बेटा,... बेटी स्कूल के लिए तैयार, टाइट सफ़ेद टॉप , नीली स्कर्ट, हाँ टॉप के लिए ब्रा का ढक्क्न उसने नहीं लगाया, भाई की जिद्द, पर गुलाबो को जरूर उसे चड्ढी से ढक रखा था, सहेलिया जरूर चेक करतीं तो कुछ तो तोप ढांक के,
लेकिन उस बिचारी की क्या मालूम, ... माँ की क्या इरादा है और उनका बेटा भी उस साजिश का हिस्सा है, बस माँ ने बहला फुसला के उसे निहुरा दिया, और भाई पहले से खूंटा खड़ा किये, झट से चढ़ गया, माँ ने आगे से कस के गीता को दबोच लिया था, गीता चिल्लाई अभी नहीं भैया, उसकी सहेलियां आने वाली होंगी, पर एक बार लंड घुसने के बाद झड़ने के पहले और उधर उसकी माँ ने और आग लगाई, अरे गितवा का मन है गाँड़ मराने का, तू बुर चोद रहा है न इसलिए , ... और गीता झट से चिल्लाई, नहीं नहीं भैया उधर नहीं, भले चोद लेकिन गाँड़ नहीं , ( अभी भी हचक के पिछवाड़ा मरवाने के बाद वो खड़ी नहीं हो पाती थी , स्कूल जाने के लिए चलने में तो उसकी,... जो बात सहेलियों से छिपाना चाहती थी वो एकदम )
माँ ने टॉप के बटन खोल दिए, ऊपर वाला बटन तोड़ भी दिया और दोनों जोबन बाहर साथ में अपने बेटे को इशारा किया अब वो कस कस के दबा रहा था , नाख़ून से नोच रहा था, दांत के निशान लगा रहा था,... साथ में पूरा मूसल हचक हचक के चोद रहा था।
लेकिन एक बार मोटा मूसल घुस जाने के बाद कोई भी लौंडिया बिन चुदवाये,और गितवा तो अपने भाई के मोटे लंड की दीवानी थी, अब जैसे भैया का मोटा लंड दरेरता, रगड़ता , चूत को फाड़ता घुस रहा था, वो जबरदस्त चुदवासी हो रही थी.और अब खुद जैसे माँ ने सिखाया था, कभी अपनी कसी चूत से भैया के लंड को कभी निचोड़ती, कभी भैया के धक्कों के जवाब में धक्के मारती, भाई कस कस के दोनों चूँची दबाता कभी गाल कचकच्चा के दांतों से काटता तो कभी चूँचियों पे निशान छोड़ता, गीता कभी चिल्लाती, कभी सिसकती, ... बिना इस बात की चिंता किये की बस उसकी सहेलियां आने वाली होंगी, वो स्कूल यूनिफार्म में है, कित्ते दिन बाद पहली बार स्कूल जा रही है,...
और तभी उसी सहेली की आवाज सुनायी पड़ी, उसकी आदत थी, उसके घर पहुँचने से पहले ही दूर से आवाज लगाती थी.
और वो कुछ बोल पाती उसके पहले माँ, भैया के पास आगयी , और चिढ़ाया भी हड़काया भी,... " अरे गोल छेद में डाल, बहनचोद ऐसी फाड़ गाँड़ उसकी तीन दिन तक हिल न पाए, चलना तो दूर,... सारे स्कूल में , पूरे गाँव में मालूम हो जाए की हचक हचक के गाँड़ मरवा के आ रही है, बहुत छिनरा कर रही थी न तुझे अपनी गाँड़ देने में. पेल पूरी ताकत लगा के, ... "
और माँ ने खुद अपनी बेटी की गाँड़ का छेद फैला के, अपने बेटे का लंड सटा दिया, और क्या हचक के धक्का मारा,बेटे ने माँ का दिल ठंडा हो गया, पहले धक्के में ही पूरा सुपाड़ा गाँड़ के अंदर।
तब तक बाहर से दूसरी सहेली की आवाज आयी गीता,
और उसी समय गीता इत्ती जोर से चीखी, की घर से बाहर क्या , उसके स्कूल तक उसकी चीख सुनाई दी होगी। जो वो चाहती थी न हो , उसकी सहेलियों को न मालूम पड़े, उसकी माँ चुद गयी। और माँ बोली चल तू मरवा आराम से , मैं जाके रोकती हूँ उन सबको वरना सब छिनार यहीं चल आएँगी और मेरे बेटे के पीछे पड़ जाएंगी।
माँ जैसे दरवाजे पे पहुंची एक सहेली ने टोक दिया, गीता तैयार हो गयी न,
हाँ, जरा अपने भैया के साथ , अरे बच्चे हैं, भाई बहन,... बस आ रही है , तुम लोगों को देर तो नहीं हो रही है ,... माँ बोली पर वो जानती थीं ये सब हरदम रस्ते में यारों के साथ नैन मटक्का करती हैं , स्कूल में भी कोई रोक टोक नहीं है, प्रार्थना के बाद सीधे क्लास में पहुँच जाती हैं , और दूसरी वही बोली
नहीं कोई जल्दी नहीं है , आज तो पहला दिन है आज तो वैसे सब मस्टराइन गप सड़ाका मारेंगी , पहले तो हम लोग वेट कर लेंगे, लेकिन गितवा चीखी थी,... कहि गिर वीर गयी क्या,
माँ ने आँख मारते हुए ऐसा बहाना बनाया की न समझने वाला भी समझ जाए,
" अरे तुम लोग भी तो उसी की उमर की हो समझदार हो, अरे भाई उसका, है तगड़ा,... गितवा कुछ उसको चिढायी होगी, ललचायी होगी,... वो हलके मारा होगा तो जोर से लगा होगा और उससे भी ज्यादा जोर से चिल्लाती है वो,... बस निकल रही है वो, भाई बहन के बीच मैं नहीं नहीं बोलती, मैं इस लिए बाहर आ गयी,... उसे बोल दिया था जल्दी करे,... "
Ye wards to sabse jyada jaan leva the. Kachi kali ka kya masti bhara seen banavaya he.रनिंग कमेंट्री
लेकिन भाई इत्ते से संतुष्ट नहीं था , बहन को पूरा मजा देना चाहती था। बस उसने गाँड़ में मूसल धकेलने के साथ बहिन की कसी बुर में भी एक साथ दो ऊँगली ठेल दी. गीता और जोर से चीखी, भैया थोड़ा थोड़ा सा निकाल दो,... कौन भाई निकालता है,... ऐसी स्कूल में पढ़ने वाली कमसिन बहिन की गांड में धंसा लंड बिना झड़े, तो उसने भी नहीं निकाला और बल्कि कचकचा के गाल काटते हुए उसके कान में फुसफुसाया,...
" बोल स्साली, का निकालना है , कहाँ से निकालना है , मैं का कर रहा हूँ , खूब जोर जोर से वरना अभी तो कुछ नहीं , ... और ये कह के उसकी छोटी छोटी बस आती हुयी चूँची के ऊपरी हिस्से में इत्ते कस के दांत गड़ाए की दूर से निशान दिखते,
और गीता ने जोर से बोला,
"भैया मेरी गाँड़ में से लंड निकाल लो बहुत पिरा रहा है , भले ही बुर चोद लो। "
" ये तो बोल मैं का कर रहा हूँ,... " भाई ने फिर धीरे बोल के उसे उकसाया ,
" ओह्ह भैया आज कैसे गाँड़ मार रहे हो , बहुत पिरा रही है ,... "
और भाई ने टांगों की पकड़ उसकी टांगों पर ढीली कर दी , दर्द कम हो गया , ... और गीताअब बिना इस बात की चिंता किये,... की बाहर सहेलियां कान पारे बैठीं होगी, उसकी चल रही चुदाई का हाल जानने के लिए, खुद रनिंग कमेंट्री कर रही थी,
" ओह्ह उफ़ भैया, अबे स्साले तेरा लंड कितना मोटा है, गदहे ऐसा एकदम, जरा हलके हलके गाँड़ मार, ओह्ह भैया हाँ ऐसे ही , रुक जाओ बस एक मिनट,... "
उसका भाई अरविन्द भी जान रहा था की आज उसकी बहिन और उसका नाम, बहन के स्कूल में फ़ैल जाएगा और इसलिए वो और हचक ह्च्चक के अपनी बहनिया को इस तरह पेल रहा था की आज दिन भर अपने स्कूल में वो सीधे न चल सके और उसके स्कूल की सब लड़कियों को बिन बोले पता चल जाए की गितवा की गाँड़ खूब मोटे लंड से हचक के मारी गयी है,
पर उसका भाई अरविन्द, आज चुदने के बाद बहन पहली बार स्कूल जा रही थी तो चूत रानी को भी परसाद दिए बिना,... तो अपनी कभी दो तो कभी तीन उँगलियों से कस कस के चोद रहा था, और बहन उसके लिए भी सिसक रही थी. अरविन्द उसका भाई जानता था की उसकी बहिन की सारी सहेलियां उससे मरवाने के लिए मरती थीं, और सहेलियां ही क्यों, एक दो बार अपनी बहन के स्कूल में गया था, उसकी कसरती जवान देह देख के उसकी टीचरें भी उसे दिखा दिखा के अपनी चूचियां मसलती थीं.
गाँड़ में लग रहे धक्के खूब तूफानी थे, गीता कभी रोती बिसूरती तो कभी अपने भैया के धक्कों से सिसकती।
और कुछ देर बाद अरविन्द , गीता के भाई ने उसे रसोई के फर्श पे जमीन पे पीठ के बल लिटा दिया, लेकिन लंड अभी भी गाँड़ में धंसा था और तीन उँगलियाँ बुर में , कुछ देर में ही गीता झड़ने लगी और उसकी बदली आवाज सुन के बाहर खड़ी उसकी सहेलियां समझ गयीं सब खेली खायी थीं और अब आज उनकी सहेली भी उन्ही की गोल में ,... और उन सहेलियों के साथ गीता की माँ भी समझ गयी, अब खेल किनारे पे है, वो बोलीं,
" देखूं गितवा कहाँ इतना टाइम लगा रही है,... " और वो अंदर पहुँच गयीं,
उस समय तक गीता का भाई भी अपनी बहन की मोटी मोटी गाँड़ में कटोरी भर मलाई छोड़ रहा था , माँ उससे कुछ कहतीं उससे पहले वो समझ गया और बाकी बचा रस सीधे गाँड़ से निकाल के बहन के गोरे गोरे चेहरे पे, ... "
माँ यही तो चाहती थी आज बेटी की सब शरम लाज उसकी गाँड़ में घुस जायेगी, फिर वो खुल् के उनके बेटे से मरवायेगी।
उन्होंने खींच के दोनों को अलग किया और गीता को हड़काते हुए बोलीं,
" अरे तुझे स्कूल जाना है की नहीं , आज तो वैसे ही जल्दी छुट्टी हो जाएगी लौट के चुदवा लेना। कब से तेरी सहेलियां बाट देख रही हैं "
लेकिन गीता की निगाह अपनी चड्ढी पर थी जो नहीं मिल रही थी।
" माँ, चड्ढी नहीं दिख रही है , उसके बिना,... "
" उसके बिना क्या,... अरे स्कर्ट तो है तेरी , सब ढका छिपा है और फिर लड़कियों का स्कूल है सबकी स्कर्ट के नीचे वही बुर और गांड है , जल्दी जा , ज्यादा देर हो गई तो वो छिनार तेरी बड़ी मास्टराइन , मुर्गा बना देगी , सब तोपा ढँका बराबर हो जायेगा भाग छिनार जल्दी। "
माँ ने जोर से डांटा और पकड़ के खड़ा किया , गीता के पिछवाड़े जोर से चिलख मची थी जैसे किसी ने मोटी खपच्ची ठोंक दी हो और वो अभी तक घुसी हो।
किसी तरह दीवाल का सहारा लेकर वो खड़ी हुयी , एक हाथ दीवाल पे दूसरा माँ के कंधे पे,... किसी तरह आड़े तिरछे चलते , कहरते घर से बाहर निकली की उसे याद आया की उसके चेहरे पर तो उसके भाई की रबड़ी मलाई,
लेकिन माँ ने उसे भी साफ़ करने से मना कर दिया,
" अरे चल तेरी दोस्त ही तो हैं , वो सब की सब चुदवाती होंगी,... उनसे क्या और रास्ते में पोंछ लेना ,
पहुँचते ही एक सहेली ने उसे सहारा दिया दूसरे ने उसका बस्ता ले लिया, और तीसरी ने रास्ते में चेहरे पर से मलाई अपनी उँगलियों से साफ़ कर के अपनी बाकी सहेलियों को भी चिखाया ,
और स्कर्ट उठा के अगवाड़े पिछवाड़े का मौका मुआयना भी किया, दोनों एक साथ बोलीं
चल बिन्नो बहुत देर हो रही है। "
और स्कर्ट उठा के अगवाड़े पिछवाड़े का मौका मुआयना भी किया, दोनों एक साथ बोलीं
" तोर भयवा नम्बरी चोदू लगता है, स्साले ने तेरी गाँड़ फाड़ के रख दी,... "
तीसरकी बोली, गीता स्साली कमीनी रोज हम लोगों का किस्सा सुनती थी आज अपना सुनाओ और जरा भी कैंची लगाया न तो स्साली तेरी गाँड़ दुबारा फाड़ दूँगी।
ये वही थी जिसकी चूत उसकी भाभी ने इसी साल होली में भांग पिला के फड़वायी थी और शाम को भाभी के मायके के दो भाई लगने वालों ने भी मुंह लगा के खूब रस लिया और तब से कभी नागा नहीं होता। इस समय आधे दर्जन से ऊपर उसके यार थे और रोज चार पांच चढ़ते थे , इसी की भाभी ने गीता को समझाया चढ़ाया था की वो अपने सगे भाई अरविन्द के सामने टांग फैला दे, उससे मस्त मर्द उसे नहीं मिलेगा, झिल्ली फड़वाने के लिए और फिर घर की बात घर में।
घोंट तीनो चुकी थी और एक का नहीं कितनों का तो सबने पहला सवाल यही किया ' कितना बड़ा है तेरे भैया का '