- 22,129
- 57,346
- 259
भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
please read, enjoy and comment. your support is requested
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
please read, enjoy and comment. your support is requested
Last edited:
nice, madak,erotic updateभाग ४७
रोपनी
" तो फिर तो पूरे गाँव में आप के बारे में,... " छुटकी ने मुस्कराते हुए पूछा।
pic upload site
" जितना न मेरे और अरविन्द भैया में जोड़ के गरमी है, उसके दूने से भी ज्यादा माँ गरमाई रहती थीं, और उन को लगता था, भाई अगर बहन को नहीं चोदेगा तो कौन चोदेगा, ओहमें कौन सरमाने , छुपाने क बात है, फिर गाँव जवार में तो सब कुछ,... और वो तो खुदे, गौना के पहले अपने एकलौते सगे भाई से गाभिन हो के आयी थीं, चुदवाने क बात तो छोडो,... तो वही,... हमसे ज्यादा तो वही,... " खिलखिलाती हुयी गीता ने छुटकी से कहा
"तो माँ ने क्या किया,... " छुटकी जानने को बेताब थी,...
" अरे माँ ने नहीं,शुरुआत तो हमीं किये, लेकिन माँ उसको और,... बचपन से हमारी आदत थी, जो काम भइया करता वो करने की जिद मैं भी करती, आखिर ढाई तीन साल की छुटाई बड़ाई,... उसके लिए साइकिल आयी तो मैं भी उसी की तरह कैंची चला के,...
तो रोज सुबह,... भैया रोपनी पे चला जाता था मुंह अँधेरे सब रोपनी वालियों को काम पे लगाने, कितनी आयीं नहीं आयीं , कौन से खेत में आज होना, फुलवा क माई ले आती थी रोपनी वालियों को बटोर के,... तो मैं भी जिद करने लगी की मैं भी जाउंगी भैया के साथ,...
pic upload site
तो माँ ने मना नहीं किया बल्कि बोलीं की तू फुलवा की माई को नहीं जानती तुझे भी रोपनी पे लगा देगी,... लेकिन अच्छा है न खेती बाड़ी का काम भी,... "
"तो ",छुटकी से रहा नहीं गया फास्ट फारवर्ड करने के लिए वो बोली,...
" बस अगले दिन मैं भी सुबह मुंह अँधेरे, सूरज अभी निकला भी नहीं था चाँद ठीक से डूबा भी नहीं था, हाँ,... माँ ने मुझे पहनने के लिए अपनी एक बड़ी पुरानी घिसी साड़ी दी, की पानी मैं घुसना पडेगा , कीचड़ माटी लगेगी,... और ब्लाउज तो मेरे सिल ही गए थे,... तो बस साड़ी ब्लाउज पहन के, हाँ और गाँव में कोई औरत चड्ढी बनियान नहीं पहनती तो मैंने भी नहीं माँ की एक साडी और जो मेरा बलाउज दर्जिन भौजी ने सिया था वही पहन के निकल पड़ी, अरविन्द भैया के साथ, भैया ने भी बस बनियान और शॉर्ट्स "
pic upload site
उसके बाद गीता ने रोपनी का हाल बयान किया
रोपनी में १५-२० औरतें, लड़कियां रही होंगी,... आधी तो करीब मेरी समौरिया, .. कुछ दो चार साल बड़ी, तो दो चार मुझसे भी एक दो साल छोटी,... मेरी समौरिया में आधी की शादी हो गयी थी, पर गौना किसी का नहीं गया था, बाकी में ज्यादा तो गाँव के रिश्ते से भौजाई ही लगती थीं, और दो चार फुलवा की माई की उमर की होंगी,...
फुलवा क माई, देह खूब भरी भरी, कड़ी कसी पिंडलियाँ, ब्लाउज से छलकते जोबन, ३८ + ही रहे होंगे, और सबसे रसीले उसके कटे तरबूज की तरह दोनों कसर मसर चूतड़, ... हाँ देख के लगता था ताकत बहुत होगी उसकी कलाई में और पूरी देह में भी, एकदम कड़ी उमर किसी ओर से ३२-३४ से ज्यादा नहीं लगती थी, फुलवा के साथ चलती थी तो उसकी बड़ी बहिन लगती थी. मज़ाक, छेड़ने में तो ग्वालिन भौजी से भी दो हाथ आगे,...
pic upload site
सब गाँव की लड़कियां औरतें तो सब की सब गीता की जानी पहचानी,... सिवाय एक के,...
और वो एकदम मस्त माल लग रही थी, टनाटन, और खूब गर्मायी भी, कच्ची और कोरी,...
साफ़ था ये माल उसके गाँव का नहीं था, फुलवा के साथ ही खड़ी थी,... रोपनी के लिए , उमर में गीता से एक दो साल कम ही होगी, हंसती तो गाल में गड्ढे पड़ते,... आँखे खूब बड़ी बड़ी, गोरी,... उभार बस कच्चे टिकोरे, ... और सब लड़कियां ख़ास तौर से चमेलिया, फुलवा की छोटी बेटी, गाँव की बाकी लड़कियां और औरतें,... खुल के मज़ाक करतीं उसे छेड़तीं,...
pic upload site
फुलवा की माँ काम बाँट रही थी जब गीता उसका भाई अरविन्द वहां पहुंचे,... और गीता को देख सबसे ज्यादा फुलवा खुश, और बाकी जो भौजाई लगती थीं , उन्होंने गीता को छेड़ना, चिढ़ाना शुरू कर दिया,...
लेकिन उसके भाई की निगाह तो उसी मस्त माल के कच्चे टिकोरों पे टिकी,
अरविंद ने ही सिर्फ एक छोटा सा शार्ट और बनियान खुले बांह की पहन रखी थी, उसकी बाँहों की एक एक मसल्स, सब मछलियां छलक रही थीं,... खुली जाँघों की मांसपेशियां भी उसकी ताकत बखान कर रही थीं, लेकिन उस की मन हालत उस कच्ची कली को देख के , उसका खड़ा मस्ताया खूंटा जो शार्ट को फाड़ रहा था , बता रहा था,... पूरे बित्ते भर का तन्नाया, रात में तीन बार अरविन्दअपनी सगी छोटी बहन और एक बार माँ को चोद के भी थका नहीं था , और कसे माल को देख के फिर फनफनाने लगा था।
और सब रोपनी वालियों की आँख कभी उस खूंटे पे तो कभी नए माल पे,...
pic upload site
फुलवा अरविन्द भैया के साथ मिल के रोपनी क काम बाँट रही थी लेकिन उसके पहिले उस नए माल के बारे में अरविन्द भैया को बता दिया,...
" अरे ये मस्त माल, फुलवा क सगी ननद है छोटी, अरे कौन दूर गाँव है , आयी पांच दस दिन के के लिए, तो मैं इसको भी रोपनी के लिए ले आयी,... "
जैसे ही फुलवा की माँ अरविन्द भैया के साथ थोड़ा सा दूसरी ओर मुड़ी, फुलवा की ननद, फुलवा की छुटकी बहिनिया, चमेलिया को चिढ़ाने लगी,... ( रिश्ता भी ननद भौजाई का था )
" अरे तोहार बहिनिया क पेट हमार भैया पहले दिन फुलाय दिए, अइसन ताकत है हमरे भैया में, हमरे गाँव क लड़कों में, ... पहली बार में फाड़ेंगे भी गाभिन भी कर देंगे,... तोहार दिदिया, गौना के दस दिन में उलटी करने लगीं , खटट्टा मांगने लगी,... "
गीता ने चमेलिया की ओर देखा और वो भी उसे देख के मुस्करा दी , यानी उसको भी मालूम था की फुलवा का पेट फुलवाने वाला असल में कौन था,... पहले धक्के में रात में अमराई में,... गीता का भाई अरविन्द,... जवाब चमेलिया ने ही दिया,
" चला जब हमारे गाँव क लड़का चढ़िये न तोहरे ऊपर तो अपने भैया के भुलाय जाओगी। "
pic upload site
गीता क्यों छोड़ती उसे आखिर गाँव के रिश्ते से फुलवा की ननद उसकी भी तो ननद लगेगी,... वो भी छेड़ते बोली,... "
" तो का तू अपने भैया से फड़वाय के आयी आयी हो ? अरे एक बार जब हमरे भैया चढ़ के हुमचीहें कस कस के,... न जब लौट के अपने गाँव क लड़कियों को बोलोगी न तो सब की सब यहाँ टांग उठाने आ जाएंगी,... "
लेकिन तब तक फुलवा अरविन्द को ले के आ गयी और अरविन्द को दिखाते बोली,
" अरे वो सामने जो गन्ने का खेत के पिछवाड़े गढ़ई है न वहां वाली रोपनी, के लिए अपने साथ ले जा के दिखाया दा,... आज वहां तोहरे साथ ,... तो फिर कल से हम लोगन के साथ,... गाँव क मेहमान है, तो तनी अच्छे से रोपनी,... "
pic upload site
गीता के समझ में नहीं आया वहां कहाँ धान और और रोपनी, वो तो गन्ने के सबसे घने , और गन्ना इतना ऊंचा था की हाथी छिप जाए,... जहाँ ये धान का खेत ख़तम होता था वहीँ , सामने ही,..
लेकिन वो चुप रही, .. और अरविंद फुलवा की ननद को लेकर गन्ने की खेत की ओर मुड़ा भी नहीं था की फुलवा की माई ने गीता की ओर रुख किया और अपनी एक देवरानी को बुलाया,...
" हे चम्मो बो, तानी आवा,... नयको को आज ज़रा रोपनी ठीक से सिखावल जाए। "
कोयराने की चम्मो बो, गाँव के रिश्ते से भौजी ही लगती थीं, चार साल पहले गौना में उतरी थीं, लेकिन सब भौजाइयों में सबसे तेज, ननदों की रगड़ाई करने में, ... और अरविन्द को दिखाते हुए उन्होंने,...
असल में रोपनी में तो सब औरतें, लड़कियां साड़ी घुटने से ऊपर जाँघों तक, खींच के बांधती थी, की रोपनी के लिए झुकने पे धान के खेत के पानी और कीचड़ से साड़ी गंदी न हो जाए, फिर निहुर के चूतड़ उठा उठा के,... दोनों हाथ से सम्हाल सम्हाल के , मुलायम हाथों से,..
तो चम्मो बो और फुलवा की माई ने उसके भाई, अरविन्द के सामने ही, गीता को जबरन निहुरा के,... उसकी साड़ी उठायी तो,... एकदम पूरी कमर तक,... बुर गाँड़ सब साफ़ साफ़ दिख रहा था और दोनों में से छलकती उसकी भैया की मलाई भी, खूब गाढ़ी गाढ़ी,... और दोनों ने मिल के, साड़ी कमर से ही लपेट के ऐसे कस के खोंस के बाँध दी, की गीता के बस का भी नहीं था कुछ तोपना ढांकना,
उसके गोरे गोरे गोल छोटे छोटे चूतड़ एकदम खुले,
और रोपनी बिना गाने के हो और भौजी हों और ननद गरियाई न जाए,.. चम्मो बो ने टेर दिया फिर सब औरतों ने एक सुर में तेज आवाज में अगल बगल के खेत में भी आवाज जा रही थी,...
करिया करिया भेंडवा के भूवर भूवर बार रे, करिया करिया भेंडवा के भूवर भूवर बार रे,
कहाँ गया भेंडवा अंधरिया हो रात रे, कहाँ गया भेंडवा अंधरिया हो रात रे,
जाइला तो जाइला हम अरविंदवा क बहिनिया के पास रे,... जाइला तो जाइला हम गितवा के पास रे,...
उहे अरविंदवा क बहिनिया चोदनो के,... गितवा चोदनो के लागल चोदवास रे, लागल चोदवास रे।
जाइला तो जाइला गितवा चोदनो के पास रे,... उहै भाई चोदनो के लागल चोदवास रे।
Gr8 update.रोपनी की मस्ती
जैसे मजा भैया के लंड से बुरिया में आता था वैसा ही फुलवा क माई क ऊँगली से आ रहा था, ऐसे मस्त चोद रही थी वो, .. और एक साथ दोनों बिल में ऊँगली हो रही थी ,
किसी रोपनी करती जवान लड़की जो गीता के बगल में ही थी , उसके भाई,अरविंदवा का नाम लेके उसे छेड़ा तो एक खेली खायी बड़ी उमर की औरत बोल पड़ी,
" अरे जउन ताकत बहन चोदने से लंड में आती है, वो भी सगी, वो कउनो चीज से नहीं आ सकती,... अरे महीने भर का कहते हैं , उ शिलाजीत, ... असली वाला, ... खाये, सांडे क तेल लगाए उतनी ताकत तो एक बार बहिनिया चोदने से आ जाती है,... "
सब लड़कियां खिलखिलाने लगीं तो उन्होंने लड़कियों को हड़काया,
" अरे तो सब काहें मुंह बंद कर के , खी खी खी खाली,... कुछ गाना वाना गाओ,... "
और एक नयी आयी भौजाई ने गाना छेड़ दिया गाली फिर गीता और उसके भैया को ले के,...
अरिया अरिया रईया बुआवे, बीचवा बोवावे चौरइया जी,
अरे सगवा खोटन गयी अरविंदवा क बहिनी, सगवा खोटनं गयी गितवा छिनरी
अरे बुरिया में घुस गईल लकडिया जी, अरे भोंसडे में घुस गइल लकडिया जी
अरे दौड़ा दौड़ा अरविन्द भैया, -अपने मुंहवा से खींचा, अरे हमरी बुरिया से खींचा लकडिया जी।
अरे एक पग गयली दूसर पग गेलीन, अरे गितवा क गंडियो में घुस घयल लकडिया जी
अरे दौड़ा दौड़ा अरविन्द भैया गंडिया से खींचा लकडिया
और तभी जोर की चीख आयी गन्ने के खेत से,...
उईईईईई ओफ़्फ़्फ़्फ़ नहीं , जान गयी,... उईईई
उईईईईई नहीं नहीं , और फिर रोने कराहने की आवाज और फिर चीखने की, ...
अब फटी है , फुलवा की ननदिया की ,जिंदगी भर ये गाँव याद रखेगी , फुलवा की माई बोली।
pic upload site
और गीता को हड़काया
तू अपना काम कर , तेरा भाई अपना काम कर रहा है ,...
फुलवा की माई का बायां हाथ तो गितवा की चूत की रगड़ाई में जुटा था,लेकिन दाएं हाथ से वो गीता का हाथ पकड़ के उसे रोपनी करना सिखा रही थी, और गीता के कान भले ही गन्ने के खेत से निकलती चीखों से चिपके थे, पर,... अब उसने भी धीरे धीरे रोपनी करना सीख लिया था,... लेकिन उसकी हालत ख़राब कर रही थी, फुलवा की माई की दोनों मोटी मोटी उँगलियाँ,... जैसे उसके भैया का मोटा तगड़ा लंड जब उसकी बुर में घुसता था,.... दरेरता, रगड़ता, घिसटता, फाड़ता,... तो उसकी चीख और सिसकी साथ साथ निकलती, दर्द और मजे दोनों का अहसास होता और बिलकुल उसी तरह,
pic upload site
लेकिन फुलवा की माई की उँगलियों में एक बात थी, उन्हें ( या फुलवा की माई को ,) बुर के अंदर का पूरा भूगोल मालूम था , उस प्रेम गली का, कभी वो ऊँगली करती करती, उसे मोड़ लेती थी और उँगलियों की टिप से बुर की अंदरूनी दीवाल को करोदती,रगड़ती और वहां छिपे हजारो तंत्रिकाएं झंकृत हो उठतीं, जैसे बरसों से पड़े सितार को किसी कुशल वादिका की उँगलियों ने छेड़ दिया हो. और साथ साथ उँगलियाँ मुड़ने से एक ओर तो ऊँगली की टिप कहर ढ़ातीं, और दूसरी ओर की गीता की बुर की दीवाल पे फुलवा की माई की उँगलियों के नकल रगड़ते कस कस के, मजे से बस जान नहीं निकलती और वो बस झड़ने के कगार पे आ जाती तो फुलवा की माई उँगलियों को सीधा करके बस जस का तस छोड़ देती एकदम अच्छे बच्चो की तरह,...
हाँ अगर रोपनी में जरा भी ढील हुयी तो वो कैंची की दोनों फाल की तरह, दोनों उँगलियाँ पूरी ताकत से फैला देती और बस गीता अपना पूरा ध्यान, रोपनी पे,
गीता ऐसी नयी बछेड़ियों को 'सब सिखाने पढ़ाने में' फुलवा की माई असली मास्टराइन थी.
लेकिन अब गीता रोपनी मन लगा के कर रही थी, मस्ती से बाकी रोपनी वालियों की बात के चिढ़ाने के गालियों के जो सब की सब, उसको और उसके भाई अरविन्द को लगा के थीं एक से एक गन्दी गालियां एकदम खुली खुली,... और अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर उँगलियाँ घचर घचर, अगवाड़े फुलवा की माई के खेले हुए हाथ और पिछवाड़े कोयराने वाली नयकी भौजी, चम्मो बो, जिनसे सब ननदें पनाह मांगती थीं, ...
दो तीन बार फुलवा की माई उसे झड़ने के कगार पे ले गयी, जैसे उसका भाई ले जा के रुक जाता था, ... पर अचानक चौथी बार वो नहीं रुकी और दोनों उँगलियों के साथ अंगूठा भी क्लिट पे मैदान में आगया और गितवा झड़ने लगी, पूरी देह गिनगीना रही थी काँप रही थी और नयकी भौजी ने दोनों ऊँगली से गाँड़ मारने की रफ्तार भी बढ़ा दी, और साथ में बाकी लड़कियों को ललकारा,
" हे छुटकी सब, अरे ये नयकी रोपनी वाली क अंचरा ना खुलल अब तक, खाली अपने भाई से चुसवाये मलवायेगी, का कुल जांगर तू सब अपने अपने भाई से चोदवाये में, ..."
pic upload site
गीता को समझ में नहीं आया पर दो तीन लड़कियां,
एक तो वो समझ गयी चमेलिया थी, फुलवा की छुटकी बहिनिया, उससे भी उमर में बारी और दो तीन और उसी की समौरिया, सब छांप ली अंचरा हटा, ब्लाउज खुला नहीं , सब बटन टूट टाट के धान के खेत में और दुनो जोबना बाहर,...
चमेलिया ने धान के खेत में से ढेर सारा कीचड़ निकाल के उसकी एक छोटी छोटी चूँची पे लपेट दिया और लगी रगड़ने मसलने, क्या कोई लौंडा चूँची मसलेगा,...
pic upload site
गीता सोच रही थी उसके भाई ने ही तो इसकी भी झिल्ली फाड़ी थी,... चमेलिया गीता के निपल को पकड़ के कस कस के उमेठ रही थी , और बाकी दोनों लड़कियां, चमेलिया की ही पट्टी की, दूसरे जोबन में कीचड़ मर्दन कर रही थीं,
लेकिन अब तक गितवा भी बाकी रोपनी वालियों के ही रंग में रंग गयी थी, उसने भी थोड़ा सा कीचड़ निकाल के चमेलिया के चूतड़ पे लपेटते उसे चिढ़ाया,...
'हमरे भाई क चोदी,...'
" ठीक कह रही हो, हम दोनों एक ही लंड के चोदे हैं " खिलखिलाती हुयी चमेलिया ने अब कीचड़ गितवा के चूतड़ पे लपेटते हुए जवाब दिया,...
pic upload site
और फुलवा की माई की दोनों उँगलियों की रफ्तार एकदम तूफ़ान मेल की तरह , और गितवा फिर झड़ने लगी, फिर दुबारा, तिबारा, झड़ के थेथर हो गयी,
गालियां और तेज और खुली , सब की सब गितवा क नाम ले ले के,... फिर सब लड़कियां उसके पीछे पड़ गयी और उससे दस बार जोर जोर से कबुलवाया, ...
हाँ उसका भाई अरविंदवा उसे चोदता है , दिन रात चोदता है, गाँड़ भी मारता है, ... वो भाई चोद है , ...
और उसके बाद जब भौजाइयां पीछे पड़ गयीं तो सब कुछ गीता से ही कहलवाया,
उससे उसके भाई अरविन्द को एक से गन्दी गाली दिलवाई, बहनचोद , मादरचोद से लेकर,...
और सब पूछ डाला , केतना बड़ा लंड है, गाँड़ मरवाने के बाद लंड उसका चूसती है की नहीं,... उसके लंड पे खुद चढ़के गाँड़ मरवाई हो की नहीं,... और हाँ नहीं में जवाब नहीं , सब पूरा खोल के डिटेल में और जोर जोर से जिससे खाली वो सब रोपनी वाली नहीं , अगल बगल के खेत में भी जो रोपनी कर रही थीं वो सब भी अच्छी तरह सुन लें ,...
pic upload site
उसकी गाँड़ मारती, नयकी भौजी चिढ़ाते बोलीं,...
" अरे यह गाँव क हमार कुल ननदें, भाई चोद हैं, सब भौजाई के आने के पहले ही अपने भैया को अपनी बुरिया क स्वाद चखा चखा के तैयार कर देती हैं , सब सब मर्द नम्बरी बहनचोद "
लेकिन ननदें कौन चुप रहने वाली थीं , एक बियाहिता अभी अभी गौने के बाद ससुराल से लौटी ननद सावन मनाने मायके आयी, चिढ़ाते बोली,...
" अरे तो भौजी लोगन को खुस होना चाहिए,की सीखा पढ़ा, खेला खेलाया मिला,... वरना निहुराय के कहीं अगवाड़े की बजाय पिछवाड़े पेल देता, महतारी बुरिया में चपाचप कडुवा तेल लगाय के बिटिया को चोदवाये के लिए भेजी थी और यहाँ दमाद सूखी सूखी गाँड़ मार लिया,... "
फिर तो ननदों की इतनी जोर की हंसी गूंजी,... और उसमें सबसे तेज गीता की हंसी थी, एक और कुँवारी ननद बोली,...
" अरे भौजी, तबे तो,... यहाँ के मरद एतने जोरदार है की सब भौजाई लोगन क महतारी दान दहेज़ दे के , ...चुदवाने के लिए आपन आपन बिटिया यहां भेजती हैं ,... "
pic upload site
इस मस्ती के बीच रोपनी भी चल रही थी हाँ गन्ने के खेत से आने वाली चीखें अब थोड़ी देर पहले बंद हो गयी थीं और वहां से कभी कभी रुक के सिसकियाँ बस आतीं।
डेढ़ दो घण्टे से ऊपर हो गया था, भैया को फुलवा की बारी ननदिया को गन्ने के खेत में ले गए,...
जब रोपनी शुरू हुयी थी, बस आसमान में ललाई छानी शुरू भी नहीं हुयी थी ठीक से,... और अब सूरज निकल तो आया था, लेकिन बादल अभी भी लुका छिपी खेल रहे थे, सावन भादो की धूप छाँह का खेल, और काले काले घने बादल जब आसमान में घिर जाते तो दिन में रात होने सा लगता,... और कभी धूप धकिया के नीचे खेत में रोपनी करने वालियों की मस्ती देखने, झाँकने लगती और कभी उन की शैतानियों से शरमा के बादलों के पीछे मुंह छिपा लेती,...
Thanks so much first like ( aur abhi tak akeli) First comment and ekdam dil se Thanks againnice, madak,erotic update
“”भाग ४७
रोपनी
" तो फिर तो पूरे गाँव में आप के बारे में,... " छुटकी ने मुस्कराते हुए पूछा।
pic upload site
" जितना न मेरे और अरविन्द भैया में जोड़ के गरमी है, उसके दूने से भी ज्यादा माँ गरमाई रहती थीं, और उन को लगता था, भाई अगर बहन को नहीं चोदेगा तो कौन चोदेगा, ओहमें कौन सरमाने , छुपाने क बात है, फिर गाँव जवार में तो सब कुछ,... और वो तो खुदे, गौना के पहले अपने एकलौते सगे भाई से गाभिन हो के आयी थीं, चुदवाने क बात तो छोडो,... तो वही,... हमसे ज्यादा तो वही,... " खिलखिलाती हुयी गीता ने छुटकी से कहा
"तो माँ ने क्या किया,... " छुटकी जानने को बेताब थी,...
" अरे माँ ने नहीं,शुरुआत तो हमीं किये, लेकिन माँ उसको और,... बचपन से हमारी आदत थी, जो काम भइया करता वो करने की जिद मैं भी करती, आखिर ढाई तीन साल की छुटाई बड़ाई,... उसके लिए साइकिल आयी तो मैं भी उसी की तरह कैंची चला के,...
तो रोज सुबह,... भैया रोपनी पे चला जाता था मुंह अँधेरे सब रोपनी वालियों को काम पे लगाने, कितनी आयीं नहीं आयीं , कौन से खेत में आज होना, फुलवा क माई ले आती थी रोपनी वालियों को बटोर के,... तो मैं भी जिद करने लगी की मैं भी जाउंगी भैया के साथ,...
pic upload site
तो माँ ने मना नहीं किया बल्कि बोलीं की तू फुलवा की माई को नहीं जानती तुझे भी रोपनी पे लगा देगी,... लेकिन अच्छा है न खेती बाड़ी का काम भी,... "
"तो ",छुटकी से रहा नहीं गया फास्ट फारवर्ड करने के लिए वो बोली,...
" बस अगले दिन मैं भी सुबह मुंह अँधेरे, सूरज अभी निकला भी नहीं था चाँद ठीक से डूबा भी नहीं था, हाँ,... माँ ने मुझे पहनने के लिए अपनी एक बड़ी पुरानी घिसी साड़ी दी, की पानी मैं घुसना पडेगा , कीचड़ माटी लगेगी,... और ब्लाउज तो मेरे सिल ही गए थे,... तो बस साड़ी ब्लाउज पहन के, हाँ और गाँव में कोई औरत चड्ढी बनियान नहीं पहनती तो मैंने भी नहीं माँ की एक साडी और जो मेरा बलाउज दर्जिन भौजी ने सिया था वही पहन के निकल पड़ी, अरविन्द भैया के साथ, भैया ने भी बस बनियान और शॉर्ट्स "
pic upload site
उसके बाद गीता ने रोपनी का हाल बयान किया
रोपनी में १५-२० औरतें, लड़कियां रही होंगी,... आधी तो करीब मेरी समौरिया, .. कुछ दो चार साल बड़ी, तो दो चार मुझसे भी एक दो साल छोटी,... मेरी समौरिया में आधी की शादी हो गयी थी, पर गौना किसी का नहीं गया था, बाकी में ज्यादा तो गाँव के रिश्ते से भौजाई ही लगती थीं, और दो चार फुलवा की माई की उमर की होंगी,...
फुलवा क माई, देह खूब भरी भरी, कड़ी कसी पिंडलियाँ, ब्लाउज से छलकते जोबन, ३८ + ही रहे होंगे, और सबसे रसीले उसके कटे तरबूज की तरह दोनों कसर मसर चूतड़, ... हाँ देख के लगता था ताकत बहुत होगी उसकी कलाई में और पूरी देह में भी, एकदम कड़ी उमर किसी ओर से ३२-३४ से ज्यादा नहीं लगती थी, फुलवा के साथ चलती थी तो उसकी बड़ी बहिन लगती थी. मज़ाक, छेड़ने में तो ग्वालिन भौजी से भी दो हाथ आगे,...
pic upload site
सब गाँव की लड़कियां औरतें तो सब की सब गीता की जानी पहचानी,... सिवाय एक के,...
और वो एकदम मस्त माल लग रही थी, टनाटन, और खूब गर्मायी भी, कच्ची और कोरी,...
साफ़ था ये माल उसके गाँव का नहीं था, फुलवा के साथ ही खड़ी थी,... रोपनी के लिए , उमर में गीता से एक दो साल कम ही होगी, हंसती तो गाल में गड्ढे पड़ते,... आँखे खूब बड़ी बड़ी, गोरी,... उभार बस कच्चे टिकोरे, ... और सब लड़कियां ख़ास तौर से चमेलिया, फुलवा की छोटी बेटी, गाँव की बाकी लड़कियां और औरतें,... खुल के मज़ाक करतीं उसे छेड़तीं,...
pic upload site
फुलवा की माँ काम बाँट रही थी जब गीता उसका भाई अरविन्द वहां पहुंचे,... और गीता को देख सबसे ज्यादा फुलवा खुश, और बाकी जो भौजाई लगती थीं , उन्होंने गीता को छेड़ना, चिढ़ाना शुरू कर दिया,...
लेकिन उसके भाई की निगाह तो उसी मस्त माल के कच्चे टिकोरों पे टिकी,
अरविंद ने ही सिर्फ एक छोटा सा शार्ट और बनियान खुले बांह की पहन रखी थी, उसकी बाँहों की एक एक मसल्स, सब मछलियां छलक रही थीं,... खुली जाँघों की मांसपेशियां भी उसकी ताकत बखान कर रही थीं, लेकिन उस की मन हालत उस कच्ची कली को देख के , उसका खड़ा मस्ताया खूंटा जो शार्ट को फाड़ रहा था , बता रहा था,... पूरे बित्ते भर का तन्नाया, रात में तीन बार अरविन्दअपनी सगी छोटी बहन और एक बार माँ को चोद के भी थका नहीं था , और कसे माल को देख के फिर फनफनाने लगा था।
और सब रोपनी वालियों की आँख कभी उस खूंटे पे तो कभी नए माल पे,...
pic upload site
फुलवा अरविन्द भैया के साथ मिल के रोपनी क काम बाँट रही थी लेकिन उसके पहिले उस नए माल के बारे में अरविन्द भैया को बता दिया,...
" अरे ये मस्त माल, फुलवा क सगी ननद है छोटी, अरे कौन दूर गाँव है , आयी पांच दस दिन के के लिए, तो मैं इसको भी रोपनी के लिए ले आयी,... "
जैसे ही फुलवा की माँ अरविन्द भैया के साथ थोड़ा सा दूसरी ओर मुड़ी, फुलवा की ननद, फुलवा की छुटकी बहिनिया, चमेलिया को चिढ़ाने लगी,... ( रिश्ता भी ननद भौजाई का था )
" अरे तोहार बहिनिया क पेट हमार भैया पहले दिन फुलाय दिए, अइसन ताकत है हमरे भैया में, हमरे गाँव क लड़कों में, ... पहली बार में फाड़ेंगे भी गाभिन भी कर देंगे,... तोहार दिदिया, गौना के दस दिन में उलटी करने लगीं , खटट्टा मांगने लगी,... "
गीता ने चमेलिया की ओर देखा और वो भी उसे देख के मुस्करा दी , यानी उसको भी मालूम था की फुलवा का पेट फुलवाने वाला असल में कौन था,... पहले धक्के में रात में अमराई में,... गीता का भाई अरविन्द,... जवाब चमेलिया ने ही दिया,
" चला जब हमारे गाँव क लड़का चढ़िये न तोहरे ऊपर तो अपने भैया के भुलाय जाओगी। "
pic upload site
गीता क्यों छोड़ती उसे आखिर गाँव के रिश्ते से फुलवा की ननद उसकी भी तो ननद लगेगी,... वो भी छेड़ते बोली,... "
" तो का तू अपने भैया से फड़वाय के आयी आयी हो ? अरे एक बार जब हमरे भैया चढ़ के हुमचीहें कस कस के,... न जब लौट के अपने गाँव क लड़कियों को बोलोगी न तो सब की सब यहाँ टांग उठाने आ जाएंगी,... "
लेकिन तब तक फुलवा अरविन्द को ले के आ गयी और अरविन्द को दिखाते बोली,
" अरे वो सामने जो गन्ने का खेत के पिछवाड़े गढ़ई है न वहां वाली रोपनी, के लिए अपने साथ ले जा के दिखाया दा,... आज वहां तोहरे साथ ,... तो फिर कल से हम लोगन के साथ,... गाँव क मेहमान है, तो तनी अच्छे से रोपनी,... "
pic upload site
गीता के समझ में नहीं आया वहां कहाँ धान और और रोपनी, वो तो गन्ने के सबसे घने , और गन्ना इतना ऊंचा था की हाथी छिप जाए,... जहाँ ये धान का खेत ख़तम होता था वहीँ , सामने ही,..
लेकिन वो चुप रही, .. और अरविंद फुलवा की ननद को लेकर गन्ने की खेत की ओर मुड़ा भी नहीं था की फुलवा की माई ने गीता की ओर रुख किया और अपनी एक देवरानी को बुलाया,...
" हे चम्मो बो, तानी आवा,... नयको को आज ज़रा रोपनी ठीक से सिखावल जाए। "
कोयराने की चम्मो बो, गाँव के रिश्ते से भौजी ही लगती थीं, चार साल पहले गौना में उतरी थीं, लेकिन सब भौजाइयों में सबसे तेज, ननदों की रगड़ाई करने में, ... और अरविन्द को दिखाते हुए उन्होंने,...
असल में रोपनी में तो सब औरतें, लड़कियां साड़ी घुटने से ऊपर जाँघों तक, खींच के बांधती थी, की रोपनी के लिए झुकने पे धान के खेत के पानी और कीचड़ से साड़ी गंदी न हो जाए, फिर निहुर के चूतड़ उठा उठा के,... दोनों हाथ से सम्हाल सम्हाल के , मुलायम हाथों से,..
तो चम्मो बो और फुलवा की माई ने उसके भाई, अरविन्द के सामने ही, गीता को जबरन निहुरा के,... उसकी साड़ी उठायी तो,... एकदम पूरी कमर तक,... बुर गाँड़ सब साफ़ साफ़ दिख रहा था और दोनों में से छलकती उसकी भैया की मलाई भी, खूब गाढ़ी गाढ़ी,... और दोनों ने मिल के, साड़ी कमर से ही लपेट के ऐसे कस के खोंस के बाँध दी, की गीता के बस का भी नहीं था कुछ तोपना ढांकना,
उसके गोरे गोरे गोल छोटे छोटे चूतड़ एकदम खुले,
और रोपनी बिना गाने के हो और भौजी हों और ननद गरियाई न जाए,.. चम्मो बो ने टेर दिया फिर सब औरतों ने एक सुर में तेज आवाज में अगल बगल के खेत में भी आवाज जा रही थी,...
करिया करिया भेंडवा के भूवर भूवर बार रे, करिया करिया भेंडवा के भूवर भूवर बार रे,
कहाँ गया भेंडवा अंधरिया हो रात रे, कहाँ गया भेंडवा अंधरिया हो रात रे,
जाइला तो जाइला हम अरविंदवा क बहिनिया के पास रे,... जाइला तो जाइला हम गितवा के पास रे,...
उहे अरविंदवा क बहिनिया चोदनो के,... गितवा चोदनो के लागल चोदवास रे, लागल चोदवास रे।
जाइला तो जाइला गितवा चोदनो के पास रे,... उहै भाई चोदनो के लागल चोदवास रे।
“”भाग ४७
रोपनी
" तो फिर तो पूरे गाँव में आप के बारे में,... " छुटकी ने मुस्कराते हुए पूछा।
pic upload site
" जितना न मेरे और अरविन्द भैया में जोड़ के गरमी है, उसके दूने से भी ज्यादा माँ गरमाई रहती थीं, और उन को लगता था, भाई अगर बहन को नहीं चोदेगा तो कौन चोदेगा, ओहमें कौन सरमाने , छुपाने क बात है, फिर गाँव जवार में तो सब कुछ,... और वो तो खुदे, गौना के पहले अपने एकलौते सगे भाई से गाभिन हो के आयी थीं, चुदवाने क बात तो छोडो,... तो वही,... हमसे ज्यादा तो वही,... " खिलखिलाती हुयी गीता ने छुटकी से कहा
"तो माँ ने क्या किया,... " छुटकी जानने को बेताब थी,...
" अरे माँ ने नहीं,शुरुआत तो हमीं किये, लेकिन माँ उसको और,... बचपन से हमारी आदत थी, जो काम भइया करता वो करने की जिद मैं भी करती, आखिर ढाई तीन साल की छुटाई बड़ाई,... उसके लिए साइकिल आयी तो मैं भी उसी की तरह कैंची चला के,...
तो रोज सुबह,... भैया रोपनी पे चला जाता था मुंह अँधेरे सब रोपनी वालियों को काम पे लगाने, कितनी आयीं नहीं आयीं , कौन से खेत में आज होना, फुलवा क माई ले आती थी रोपनी वालियों को बटोर के,... तो मैं भी जिद करने लगी की मैं भी जाउंगी भैया के साथ,...
pic upload site
तो माँ ने मना नहीं किया बल्कि बोलीं की तू फुलवा की माई को नहीं जानती तुझे भी रोपनी पे लगा देगी,... लेकिन अच्छा है न खेती बाड़ी का काम भी,... "
"तो ",छुटकी से रहा नहीं गया फास्ट फारवर्ड करने के लिए वो बोली,...
" बस अगले दिन मैं भी सुबह मुंह अँधेरे, सूरज अभी निकला भी नहीं था चाँद ठीक से डूबा भी नहीं था, हाँ,... माँ ने मुझे पहनने के लिए अपनी एक बड़ी पुरानी घिसी साड़ी दी, की पानी मैं घुसना पडेगा , कीचड़ माटी लगेगी,... और ब्लाउज तो मेरे सिल ही गए थे,... तो बस साड़ी ब्लाउज पहन के, हाँ और गाँव में कोई औरत चड्ढी बनियान नहीं पहनती तो मैंने भी नहीं माँ की एक साडी और जो मेरा बलाउज दर्जिन भौजी ने सिया था वही पहन के निकल पड़ी, अरविन्द भैया के साथ, भैया ने भी बस बनियान और शॉर्ट्स "
pic upload site
उसके बाद गीता ने रोपनी का हाल बयान किया
रोपनी में १५-२० औरतें, लड़कियां रही होंगी,... आधी तो करीब मेरी समौरिया, .. कुछ दो चार साल बड़ी, तो दो चार मुझसे भी एक दो साल छोटी,... मेरी समौरिया में आधी की शादी हो गयी थी, पर गौना किसी का नहीं गया था, बाकी में ज्यादा तो गाँव के रिश्ते से भौजाई ही लगती थीं, और दो चार फुलवा की माई की उमर की होंगी,...
फुलवा क माई, देह खूब भरी भरी, कड़ी कसी पिंडलियाँ, ब्लाउज से छलकते जोबन, ३८ + ही रहे होंगे, और सबसे रसीले उसके कटे तरबूज की तरह दोनों कसर मसर चूतड़, ... हाँ देख के लगता था ताकत बहुत होगी उसकी कलाई में और पूरी देह में भी, एकदम कड़ी उमर किसी ओर से ३२-३४ से ज्यादा नहीं लगती थी, फुलवा के साथ चलती थी तो उसकी बड़ी बहिन लगती थी. मज़ाक, छेड़ने में तो ग्वालिन भौजी से भी दो हाथ आगे,...
pic upload site
सब गाँव की लड़कियां औरतें तो सब की सब गीता की जानी पहचानी,... सिवाय एक के,...
और वो एकदम मस्त माल लग रही थी, टनाटन, और खूब गर्मायी भी, कच्ची और कोरी,...
साफ़ था ये माल उसके गाँव का नहीं था, फुलवा के साथ ही खड़ी थी,... रोपनी के लिए , उमर में गीता से एक दो साल कम ही होगी, हंसती तो गाल में गड्ढे पड़ते,... आँखे खूब बड़ी बड़ी, गोरी,... उभार बस कच्चे टिकोरे, ... और सब लड़कियां ख़ास तौर से चमेलिया, फुलवा की छोटी बेटी, गाँव की बाकी लड़कियां और औरतें,... खुल के मज़ाक करतीं उसे छेड़तीं,...
pic upload site
फुलवा की माँ काम बाँट रही थी जब गीता उसका भाई अरविन्द वहां पहुंचे,... और गीता को देख सबसे ज्यादा फुलवा खुश, और बाकी जो भौजाई लगती थीं , उन्होंने गीता को छेड़ना, चिढ़ाना शुरू कर दिया,...
लेकिन उसके भाई की निगाह तो उसी मस्त माल के कच्चे टिकोरों पे टिकी,
अरविंद ने ही सिर्फ एक छोटा सा शार्ट और बनियान खुले बांह की पहन रखी थी, उसकी बाँहों की एक एक मसल्स, सब मछलियां छलक रही थीं,... खुली जाँघों की मांसपेशियां भी उसकी ताकत बखान कर रही थीं, लेकिन उस की मन हालत उस कच्ची कली को देख के , उसका खड़ा मस्ताया खूंटा जो शार्ट को फाड़ रहा था , बता रहा था,... पूरे बित्ते भर का तन्नाया, रात में तीन बार अरविन्दअपनी सगी छोटी बहन और एक बार माँ को चोद के भी थका नहीं था , और कसे माल को देख के फिर फनफनाने लगा था।
और सब रोपनी वालियों की आँख कभी उस खूंटे पे तो कभी नए माल पे,...
pic upload site
फुलवा अरविन्द भैया के साथ मिल के रोपनी क काम बाँट रही थी लेकिन उसके पहिले उस नए माल के बारे में अरविन्द भैया को बता दिया,...
" अरे ये मस्त माल, फुलवा क सगी ननद है छोटी, अरे कौन दूर गाँव है , आयी पांच दस दिन के के लिए, तो मैं इसको भी रोपनी के लिए ले आयी,... "
जैसे ही फुलवा की माँ अरविन्द भैया के साथ थोड़ा सा दूसरी ओर मुड़ी, फुलवा की ननद, फुलवा की छुटकी बहिनिया, चमेलिया को चिढ़ाने लगी,... ( रिश्ता भी ननद भौजाई का था )
" अरे तोहार बहिनिया क पेट हमार भैया पहले दिन फुलाय दिए, अइसन ताकत है हमरे भैया में, हमरे गाँव क लड़कों में, ... पहली बार में फाड़ेंगे भी गाभिन भी कर देंगे,... तोहार दिदिया, गौना के दस दिन में उलटी करने लगीं , खटट्टा मांगने लगी,... "
गीता ने चमेलिया की ओर देखा और वो भी उसे देख के मुस्करा दी , यानी उसको भी मालूम था की फुलवा का पेट फुलवाने वाला असल में कौन था,... पहले धक्के में रात में अमराई में,... गीता का भाई अरविन्द,... जवाब चमेलिया ने ही दिया,
" चला जब हमारे गाँव क लड़का चढ़िये न तोहरे ऊपर तो अपने भैया के भुलाय जाओगी। "
pic upload site
गीता क्यों छोड़ती उसे आखिर गाँव के रिश्ते से फुलवा की ननद उसकी भी तो ननद लगेगी,... वो भी छेड़ते बोली,... "
" तो का तू अपने भैया से फड़वाय के आयी आयी हो ? अरे एक बार जब हमरे भैया चढ़ के हुमचीहें कस कस के,... न जब लौट के अपने गाँव क लड़कियों को बोलोगी न तो सब की सब यहाँ टांग उठाने आ जाएंगी,... "
लेकिन तब तक फुलवा अरविन्द को ले के आ गयी और अरविन्द को दिखाते बोली,
" अरे वो सामने जो गन्ने का खेत के पिछवाड़े गढ़ई है न वहां वाली रोपनी, के लिए अपने साथ ले जा के दिखाया दा,... आज वहां तोहरे साथ ,... तो फिर कल से हम लोगन के साथ,... गाँव क मेहमान है, तो तनी अच्छे से रोपनी,... "
pic upload site
गीता के समझ में नहीं आया वहां कहाँ धान और और रोपनी, वो तो गन्ने के सबसे घने , और गन्ना इतना ऊंचा था की हाथी छिप जाए,... जहाँ ये धान का खेत ख़तम होता था वहीँ , सामने ही,..
लेकिन वो चुप रही, .. और अरविंद फुलवा की ननद को लेकर गन्ने की खेत की ओर मुड़ा भी नहीं था की फुलवा की माई ने गीता की ओर रुख किया और अपनी एक देवरानी को बुलाया,...
" हे चम्मो बो, तानी आवा,... नयको को आज ज़रा रोपनी ठीक से सिखावल जाए। "
कोयराने की चम्मो बो, गाँव के रिश्ते से भौजी ही लगती थीं, चार साल पहले गौना में उतरी थीं, लेकिन सब भौजाइयों में सबसे तेज, ननदों की रगड़ाई करने में, ... और अरविन्द को दिखाते हुए उन्होंने,...
असल में रोपनी में तो सब औरतें, लड़कियां साड़ी घुटने से ऊपर जाँघों तक, खींच के बांधती थी, की रोपनी के लिए झुकने पे धान के खेत के पानी और कीचड़ से साड़ी गंदी न हो जाए, फिर निहुर के चूतड़ उठा उठा के,... दोनों हाथ से सम्हाल सम्हाल के , मुलायम हाथों से,..
तो चम्मो बो और फुलवा की माई ने उसके भाई, अरविन्द के सामने ही, गीता को जबरन निहुरा के,... उसकी साड़ी उठायी तो,... एकदम पूरी कमर तक,... बुर गाँड़ सब साफ़ साफ़ दिख रहा था और दोनों में से छलकती उसकी भैया की मलाई भी, खूब गाढ़ी गाढ़ी,... और दोनों ने मिल के, साड़ी कमर से ही लपेट के ऐसे कस के खोंस के बाँध दी, की गीता के बस का भी नहीं था कुछ तोपना ढांकना,
उसके गोरे गोरे गोल छोटे छोटे चूतड़ एकदम खुले,
और रोपनी बिना गाने के हो और भौजी हों और ननद गरियाई न जाए,.. चम्मो बो ने टेर दिया फिर सब औरतों ने एक सुर में तेज आवाज में अगल बगल के खेत में भी आवाज जा रही थी,...
करिया करिया भेंडवा के भूवर भूवर बार रे, करिया करिया भेंडवा के भूवर भूवर बार रे,
कहाँ गया भेंडवा अंधरिया हो रात रे, कहाँ गया भेंडवा अंधरिया हो रात रे,
जाइला तो जाइला हम अरविंदवा क बहिनिया के पास रे,... जाइला तो जाइला हम गितवा के पास रे,...
उहे अरविंदवा क बहिनिया चोदनो के,... गितवा चोदनो के लागल चोदवास रे, लागल चोदवास रे।
जाइला तो जाइला गितवा चोदनो के पास रे,... उहै भाई चोदनो के लागल चोदवास रे।