“”भाग ४७
रोपनी
" तो फिर तो पूरे गाँव में आप के बारे में,... " छुटकी ने मुस्कराते हुए पूछा।
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" जितना न मेरे और अरविन्द भैया में जोड़ के गरमी है, उसके दूने से भी ज्यादा माँ गरमाई रहती थीं, और उन को लगता था, भाई अगर बहन को नहीं चोदेगा तो कौन चोदेगा, ओहमें कौन सरमाने , छुपाने क बात है, फिर गाँव जवार में तो सब कुछ,... और वो तो खुदे, गौना के पहले अपने एकलौते सगे भाई से गाभिन हो के आयी थीं, चुदवाने क बात तो छोडो,... तो वही,... हमसे ज्यादा तो वही,... " खिलखिलाती हुयी गीता ने छुटकी से कहा
"तो माँ ने क्या किया,... " छुटकी जानने को बेताब थी,...
" अरे माँ ने नहीं,शुरुआत तो हमीं किये, लेकिन माँ उसको और,... बचपन से हमारी आदत थी, जो काम भइया करता वो करने की जिद मैं भी करती, आखिर ढाई तीन साल की छुटाई बड़ाई,... उसके लिए साइकिल आयी तो मैं भी उसी की तरह कैंची चला के,...
तो रोज सुबह,... भैया रोपनी पे चला जाता था मुंह अँधेरे सब रोपनी वालियों को काम पे लगाने, कितनी आयीं नहीं आयीं , कौन से खेत में आज होना, फुलवा क माई ले आती थी रोपनी वालियों को बटोर के,... तो मैं भी जिद करने लगी की मैं भी जाउंगी भैया के साथ,...
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तो माँ ने मना नहीं किया बल्कि बोलीं की तू फुलवा की माई को नहीं जानती तुझे भी रोपनी पे लगा देगी,... लेकिन अच्छा है न खेती बाड़ी का काम भी,... "
"तो ",छुटकी से रहा नहीं गया फास्ट फारवर्ड करने के लिए वो बोली,...
" बस अगले दिन मैं भी सुबह मुंह अँधेरे, सूरज अभी निकला भी नहीं था चाँद ठीक से डूबा भी नहीं था, हाँ,... माँ ने मुझे पहनने के लिए अपनी एक बड़ी पुरानी घिसी साड़ी दी, की पानी मैं घुसना पडेगा , कीचड़ माटी लगेगी,... और ब्लाउज तो मेरे सिल ही गए थे,... तो बस साड़ी ब्लाउज पहन के, हाँ और गाँव में कोई औरत चड्ढी बनियान नहीं पहनती तो मैंने भी नहीं माँ की एक साडी और जो मेरा बलाउज दर्जिन भौजी ने सिया था वही पहन के निकल पड़ी, अरविन्द भैया के साथ, भैया ने भी बस बनियान और शॉर्ट्स "
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उसके बाद गीता ने रोपनी का हाल बयान किया
रोपनी में १५-२० औरतें, लड़कियां रही होंगी,... आधी तो करीब मेरी समौरिया, .. कुछ दो चार साल बड़ी, तो दो चार मुझसे भी एक दो साल छोटी,... मेरी समौरिया में आधी की शादी हो गयी थी, पर गौना किसी का नहीं गया था, बाकी में ज्यादा तो गाँव के रिश्ते से भौजाई ही लगती थीं, और दो चार फुलवा की माई की उमर की होंगी,...
फुलवा क माई, देह खूब भरी भरी, कड़ी कसी पिंडलियाँ, ब्लाउज से छलकते जोबन, ३८ + ही रहे होंगे, और सबसे रसीले उसके कटे तरबूज की तरह दोनों कसर मसर चूतड़, ... हाँ देख के लगता था ताकत बहुत होगी उसकी कलाई में और पूरी देह में भी, एकदम कड़ी उमर किसी ओर से ३२-३४ से ज्यादा नहीं लगती थी, फुलवा के साथ चलती थी तो उसकी बड़ी बहिन लगती थी. मज़ाक, छेड़ने में तो ग्वालिन भौजी से भी दो हाथ आगे,...
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सब गाँव की लड़कियां औरतें तो सब की सब गीता की जानी पहचानी,... सिवाय एक के,...
और वो एकदम मस्त माल लग रही थी, टनाटन, और खूब गर्मायी भी, कच्ची और कोरी,...
साफ़ था ये माल उसके गाँव का नहीं था, फुलवा के साथ ही खड़ी थी,... रोपनी के लिए , उमर में गीता से एक दो साल कम ही होगी, हंसती तो गाल में गड्ढे पड़ते,... आँखे खूब बड़ी बड़ी, गोरी,... उभार बस कच्चे टिकोरे, ... और सब लड़कियां ख़ास तौर से चमेलिया, फुलवा की छोटी बेटी, गाँव की बाकी लड़कियां और औरतें,... खुल के मज़ाक करतीं उसे छेड़तीं,...
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फुलवा की माँ काम बाँट रही थी जब गीता उसका भाई अरविन्द वहां पहुंचे,... और गीता को देख सबसे ज्यादा फुलवा खुश, और बाकी जो भौजाई लगती थीं , उन्होंने गीता को छेड़ना, चिढ़ाना शुरू कर दिया,...
लेकिन उसके भाई की निगाह तो उसी मस्त माल के कच्चे टिकोरों पे टिकी,
अरविंद ने ही सिर्फ एक छोटा सा शार्ट और बनियान खुले बांह की पहन रखी थी, उसकी बाँहों की एक एक मसल्स, सब मछलियां छलक रही थीं,... खुली जाँघों की मांसपेशियां भी उसकी ताकत बखान कर रही थीं, लेकिन उस की मन हालत उस कच्ची कली को देख के , उसका खड़ा मस्ताया खूंटा जो शार्ट को फाड़ रहा था , बता रहा था,... पूरे बित्ते भर का तन्नाया, रात में तीन बार अरविन्दअपनी सगी छोटी बहन और एक बार माँ को चोद के भी थका नहीं था , और कसे माल को देख के फिर फनफनाने लगा था।
और सब रोपनी वालियों की आँख कभी उस खूंटे पे तो कभी नए माल पे,...
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फुलवा अरविन्द भैया के साथ मिल के रोपनी क काम बाँट रही थी लेकिन उसके पहिले उस नए माल के बारे में अरविन्द भैया को बता दिया,...
" अरे ये मस्त माल, फुलवा क सगी ननद है छोटी, अरे कौन दूर गाँव है , आयी पांच दस दिन के के लिए, तो मैं इसको भी रोपनी के लिए ले आयी,... "
जैसे ही फुलवा की माँ अरविन्द भैया के साथ थोड़ा सा दूसरी ओर मुड़ी, फुलवा की ननद, फुलवा की छुटकी बहिनिया, चमेलिया को चिढ़ाने लगी,... ( रिश्ता भी ननद भौजाई का था )
" अरे तोहार बहिनिया क पेट हमार भैया पहले दिन फुलाय दिए, अइसन ताकत है हमरे भैया में, हमरे गाँव क लड़कों में, ... पहली बार में फाड़ेंगे भी गाभिन भी कर देंगे,... तोहार दिदिया, गौना के दस दिन में उलटी करने लगीं , खटट्टा मांगने लगी,... "
गीता ने चमेलिया की ओर देखा और वो भी उसे देख के मुस्करा दी , यानी उसको भी मालूम था की फुलवा का पेट फुलवाने वाला असल में कौन था,... पहले धक्के में रात में अमराई में,... गीता का भाई अरविन्द,... जवाब चमेलिया ने ही दिया,
" चला जब हमारे गाँव क लड़का चढ़िये न तोहरे ऊपर तो अपने भैया के भुलाय जाओगी। "
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गीता क्यों छोड़ती उसे आखिर गाँव के रिश्ते से फुलवा की ननद उसकी भी तो ननद लगेगी,... वो भी छेड़ते बोली,... "
" तो का तू अपने भैया से फड़वाय के आयी आयी हो ? अरे एक बार जब हमरे भैया चढ़ के हुमचीहें कस कस के,... न जब लौट के अपने गाँव क लड़कियों को बोलोगी न तो सब की सब यहाँ टांग उठाने आ जाएंगी,... "
लेकिन तब तक फुलवा अरविन्द को ले के आ गयी और अरविन्द को दिखाते बोली,
" अरे वो सामने जो गन्ने का खेत के पिछवाड़े गढ़ई है न वहां वाली रोपनी, के लिए अपने साथ ले जा के दिखाया दा,... आज वहां तोहरे साथ ,... तो फिर कल से हम लोगन के साथ,... गाँव क मेहमान है, तो तनी अच्छे से रोपनी,... "
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गीता के समझ में नहीं आया वहां कहाँ धान और और रोपनी, वो तो गन्ने के सबसे घने , और गन्ना इतना ऊंचा था की हाथी छिप जाए,... जहाँ ये धान का खेत ख़तम होता था वहीँ , सामने ही,..
लेकिन वो चुप रही, .. और अरविंद फुलवा की ननद को लेकर गन्ने की खेत की ओर मुड़ा भी नहीं था की फुलवा की माई ने गीता की ओर रुख किया और अपनी एक देवरानी को बुलाया,...
" हे चम्मो बो, तानी आवा,... नयको को आज ज़रा रोपनी ठीक से सिखावल जाए। "
कोयराने की चम्मो बो, गाँव के रिश्ते से भौजी ही लगती थीं, चार साल पहले गौना में उतरी थीं, लेकिन सब भौजाइयों में सबसे तेज, ननदों की रगड़ाई करने में, ... और अरविन्द को दिखाते हुए उन्होंने,...
असल में रोपनी में तो सब औरतें, लड़कियां साड़ी घुटने से ऊपर जाँघों तक, खींच के बांधती थी, की रोपनी के लिए झुकने पे धान के खेत के पानी और कीचड़ से साड़ी गंदी न हो जाए, फिर निहुर के चूतड़ उठा उठा के,... दोनों हाथ से सम्हाल सम्हाल के , मुलायम हाथों से,..
तो चम्मो बो और फुलवा की माई ने उसके भाई, अरविन्द के सामने ही, गीता को जबरन निहुरा के,... उसकी साड़ी उठायी तो,... एकदम पूरी कमर तक,... बुर गाँड़ सब साफ़ साफ़ दिख रहा था और दोनों में से छलकती उसकी भैया की मलाई भी, खूब गाढ़ी गाढ़ी,... और दोनों ने मिल के, साड़ी कमर से ही लपेट के ऐसे कस के खोंस के बाँध दी, की गीता के बस का भी नहीं था कुछ तोपना ढांकना,
उसके गोरे गोरे गोल छोटे छोटे चूतड़ एकदम खुले,
और रोपनी बिना गाने के हो और भौजी हों और ननद गरियाई न जाए,.. चम्मो बो ने टेर दिया फिर सब औरतों ने एक सुर में तेज आवाज में अगल बगल के खेत में भी आवाज जा रही थी,...
करिया करिया भेंडवा के भूवर भूवर बार रे, करिया करिया भेंडवा के भूवर भूवर बार रे,
कहाँ गया भेंडवा अंधरिया हो रात रे, कहाँ गया भेंडवा अंधरिया हो रात रे,
जाइला तो जाइला हम अरविंदवा क बहिनिया के पास रे,... जाइला तो जाइला हम गितवा के पास रे,...
उहे अरविंदवा क बहिनिया चोदनो के,... गितवा चोदनो के लागल चोदवास रे, लागल चोदवास रे।
जाइला तो जाइला गितवा चोदनो के पास रे,... उहै भाई चोदनो के लागल चोदवास रे।
" अरे वो सामने जो गन्ने का खेत के पिछवाड़े गढ़ई है न वहां वाली रोपनी, के लिए अपने साथ ले जा के दिखाया दा,... आज वहां तोहरे साथ ,... तो फिर कल से हम लोगन के साथ,... गाँव क मेहमान है, तो तनी अच्छे से रोपनी,... "
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उफ़फ़ क्या सीन बनाया है अरविंद के लिये