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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९८

अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, मजे ले, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
Last edited:

komaalrani

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Update ka intjar he.
Kal JKG men Update aur uske baad Sunday ko yahan by the way aap JKG men aage regualr padh ke comment jarror dete rahiyegaa
 

Shetan

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Kal JKG men Update aur uske baad Sunday ko yahan by the way aap JKG men aage regualr padh ke comment jarror dete rahiyegaa
Kal JKG meri bhi subah se se sham tak chalegi. Update pe review to aate rahenge. Hame bas yaha chhutki kisse sunati rahena. Banaras kab lonch hogi????
 

arushi_dayal

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"प्यास क्या हें बस एक शादीशुदा औरत जानती हें खासकर जिसके पति सतुस्टी नहीं दे पाता."

इस लाइन में आपने औरतों की सारी व्यथा कथा कह दी.

और पति के संतुष्ट न कर पाने की वजहें कई होती हैं. कई बार शादी के कुछ दिन बाद देह संबंधो का नयापन खतम हो जाना और उसका रूटीन हो जाना, और धीरे धीरे देह संबंध बस कभी कभी हो जाता है. कई बार कुछ दिनों के बाद काम या बाकी किसी शौक में पुरुष को किक मिलने लगता है पर ज्यादातर बार जो आपने कहा वही होता है,... कमज़ोर पति पत्नी को बिस्तर पे संतुष्ट नहीं करपाते है। लेकिन इसके साथ खासतौर पर ग्रामीण या कस्बाई क्षेत्र में माइग्रेशन के कारण पुरुष अक्सर बाहर रहते हैं, उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में अधिकतर जिलों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से कहीं ज्यादा है और पुरुष बंबई से पंजाब तक या दुबई और कतर कमाने के लिए जाते हैं फिर साल दो साल में एक बार,... और आपने एक अन्य पोस्ट में बहुत सही कहा था की काम की गर्मी प्रौढ़ा महिलाओं में विवाहिताओं में अधिक होती है। कुंवारियों में तो यह उत्सुकता वश या वर्जित फल चखने की चाह होती है पर विवाहिता तो काम रस का आनंद ले चुकी होती है और उसके बाद जो वो सुख नहीं मिलता तो उसकी देह में मन में उस बड़वानल का जलना स्वाभाविक है।

और समाजशास्त्रीयो के अनुसार परिवार में दो तरह के रिश्ते होते हैं, जोकिंग रिलेशनशिप या मजाक के रिश्ते और एवायडेंस रिलेशनशिप या वर्जित संबंध। देवर भाभी और जीजा साली इस मजाक के रिश्ते में आते हैं। देवर भाभी के रिश्ते की एक अन्थ्रोपोलिजकल हिस्ट्री है , वो है पाली एंड्री या बहुपति परम्परा जहाँ एक महिला सभी भाइयों की पत्नी होती थी जिसका कारण महिलाओं की कमी होने के साथ सम्पति का बटवारा न होना भी शायद रहा हो। देवर -भाभी संबंध भी वहीँ से उपजा है. फिर भाभी को काम का अनुभव होता है देवर अभी उत्सुक होता है उसका मन करता है और अगर जैसे मैंने ऊपर कहा की पति बाहर गया, कमजोर है या अपनी पत्नी पर ध्यान नहीं दे रहा तो देवर भाभी में आकर्षण होना स्व्भविक है , फिर मज़ाक का रिश्ता होने से देवर को छेड़ने का भाभी को हक भी होता है।

इसलिए देवर भाभी का संबध हो जाता है।

ससुर का रिश्ता एवायडेंस रिलेशनशिप या वर्जित संबंध में आता है और जेठ का भी इसलिए उनसे पर्दा होता है। लेकिन व्यवाहरिक पक्ष यह है की कई बार घर का स्वामी वही होता है क्योंकि जमीन घर सब जगह उसी की चलती है , और स्त्री कई बार सेक्स के साथ पावर के लिए भी आकर्षित हो सकती है लेकिन यह अपवाद स्वरूप है और क्योंकि ससुर या जेठ का काम जो उससे छोटी है उसके संरक्षण में है उसकी रक्षा करना है , इसलिए वो इन्सेस्ट में भी गिना जता है अपर देवर भाभी या जीजा साली संबंध इन्सेस्ट की कैटगरी में नहीं आता।


लेकिन जो बात आप कविता में कह देती हैं वो मैं गद्य में कभी नहीं कह सकती , एक बार फिर आपका आभार इस थ्रेड पर पोस्ट करने के लिए.
कोमल जी..जिस तरह से आपने पूरी बात का विश्लेषण किया है वह वास्तव में काबिले तारीफ है। मैं आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ। नई पीढ़ी के जोड़ों के बीच बेवफाई करने के कई कारण हैं
हमारे दैनिक जीवन पर सोशल मीडिया के इतने अधिक प्रभाव के साथ बेडरूम में साथी से अपेक्षाएं बढ़ रही हैं जो कभी-कभी उचित नहीं होती हैं। दंपति बदलाव चाहते हैं और बेडरूम में नई चीजों को आजमाना चाहते हैं जो आपके साथी को स्वीकार्य नहीं हो सकता है और इसलिए आप नए अवसरों को खोजने की कोशिश करते हैं। शहरी और मेट्रो शहरों में ऑफिस जाने वाली महिलाओं की बढ़ती संख्या के साथ, यह स्पष्ट है कि आप किसी के प्रति आकर्षित हो जाते हैं और बह जाते हैं। आजकल ऑफिस ट्रिप के चलते काफी औरते अपने बॉस के साथ हमबिस्तर होजाती हें। इसके कई कारण होते हें, घर की दुरी, पति कानामर्द होना या बस प्रमोशन और बोनोस के लिए।
साथ ही आपने कहा कि जिन विवाहित महिलाओं का पति नौकरी पर बाहर होता है और साल में एक या दो बार आता है, उनमें यौन इच्छाओं को वश में रखना बहुत मुश्किल होता है।आजकल की औरते अपनी प्यास को दबाके नहीं बैठती। खास कर गाओ की औरते जो पति की गैर मजूदगी मे घर मे ही किसी के साथहमबिस्तर होजाती हें।और जब पति दूर हो और घर पर जेठ या ससुर जैसे बड़े के अलावा कोई न हो..मुझे लगता है कि जब तक उन्हें यौन संतुष्टि मिल रही है, तब तक उनके साथ अंतरंग होने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है
शरीर में यौन ज़रूरतें और भूख अच्छे और बुरे का मूल्यांकन नहीं करती है
 

komaalrani

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komaalrani

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कोमल जी..जिस तरह से आपने पूरी बात का विश्लेषण किया है वह वास्तव में काबिले तारीफ है। मैं आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ। नई पीढ़ी के जोड़ों के बीच बेवफाई करने के कई कारण हैं
हमारे दैनिक जीवन पर सोशल मीडिया के इतने अधिक प्रभाव के साथ बेडरूम में साथी से अपेक्षाएं बढ़ रही हैं जो कभी-कभी उचित नहीं होती हैं। दंपति बदलाव चाहते हैं और बेडरूम में नई चीजों को आजमाना चाहते हैं जो आपके साथी को स्वीकार्य नहीं हो सकता है और इसलिए आप नए अवसरों को खोजने की कोशिश करते हैं। शहरी और मेट्रो शहरों में ऑफिस जाने वाली महिलाओं की बढ़ती संख्या के साथ, यह स्पष्ट है कि आप किसी के प्रति आकर्षित हो जाते हैं और बह जाते हैं। आजकल ऑफिस ट्रिप के चलते काफी औरते अपने बॉस के साथ हमबिस्तर होजाती हें। इसके कई कारण होते हें, घर की दुरी, पति कानामर्द होना या बस प्रमोशन और बोनोस के लिए।
साथ ही आपने कहा कि जिन विवाहित महिलाओं का पति नौकरी पर बाहर होता है और साल में एक या दो बार आता है, उनमें यौन इच्छाओं को वश में रखना बहुत मुश्किल होता है।आजकल की औरते अपनी प्यास को दबाके नहीं बैठती। खास कर गाओ की औरते जो पति की गैर मजूदगी मे घर मे ही किसी के साथहमबिस्तर होजाती हें।और जब पति दूर हो और घर पर जेठ या ससुर जैसे बड़े के अलावा कोई न हो..मुझे लगता है कि जब तक उन्हें यौन संतुष्टि मिल रही है, तब तक उनके साथ अंतरंग होने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है
शरीर में यौन ज़रूरतें और भूख अच्छे और बुरे का मूल्यांकन नहीं करती है
एकदम सही कहा आपने


न मैंने न मेरी कहानियां इसी लिए जजमेंटल नहीं होतीं।

जैसे शहरों में कैजुअल सेक्स, वन नाइट स्टैंड कभी पार्टी में किसी के साथ

उसी तरह गाँव में भी

और नैतिकता पर अगर तोलना हो है तो उस इंसान की ईमानदारी, निष्ठा कमिटमेंट और सबसे बढ़ के वो कितना केयरिंग है रिलेशनशिप में कितना इन्वेस्ट करता है कितनी उसे वैल्यू देता है ये ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है
 

Sister_Lover

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भैया तेरी लाडली अब हो गई है सयानी

मेरी चुत से भी रोज बहता है अब पानी

मेरी चुत में भी अब चींटियाँ रेंगती हैं

जब कभी अब तेरा लौड़ा देखती है

हर रात बिस्तर पे जब तुम्हे सोचती हूं

अपने भरकते बदन को मैं खुद नोचती हूं

हर रात चुदने का कुलबुलता है कीड़ा

नहीं अब सही जा रही है ये पीड़ा

काम की अग्नि में ये बदन जल रहा है

तुझसे चुदने की का ख्वाब पल रहा है

मेरी चुत की तुम खुजली मिटा दो

जड़ तक तुम अपना लौड़ा घुसा दो

मेरे दर्द की तुम न परवाह करना

मेरी चीखो पे ने तुम कान धरना

बड़ी खूबसूरत बनेगी अपनी जोड़ी

जब तुम कहो बन जाओगी घोड़ी

जैसे कहोगे के चुदवाउंगी तुमसे

हर छेद में लौड़ा घुसवाओंगी तुमसे

शर्म ओ हया की सब दिवारे गिरा दे

खुल के मजा दे और खुल के मजा ले

बरस जाओ तुम अब यू मेरे अंदर

प्यासी नदिया को मिल जाए समंदर

बरसों की प्यास अब यूं न भुजेगी

जब तक तेरी बहना तुमसे न चुदेगी

D07-E2-D39-99-F1-4099-A9-D6-08304-CA1284-C
आरुषि जी ❤️❤️❤️
 

Sister_Lover

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एक कविता मेरी ओर से भी लीजिये कोमल जी, पिछली होली पर भांग के नशे में धुत होकर कुछ बोल फूट पड़े थे....


खेल रही थी आंगन में सखियों संग जब होली
देखा भैया वापस आये छोड़कर अपनी टोली

विदा किया सखियों को, पहुंची भैया के पास
उनका खूंटा खड़ा देखकर जगी थी मन में आस

रंग लेकर पूछा भैया ने मुझसे कब लगवायेगी
मेरी पिचकारी लेकर बुर में, बहना क्या चुदवायेगी!

इठलाती, शर्माती मैं झूल गई उनकी बाँहों में
चूमकर लबों को फिर देखा उनकी आँखों में

"भैया हूँ पर बनकर सैंया सील मैं तेरी तोड़ूंगा
बहुत तड़पा हूँ बहना मेरी, आज रगड़कर चोदूंगा"

करके नंगी मुझको भैया ने चोदा बनकर साजन
"चोदो भैया, जोर से चोदो" से गूंजा सारा आंगन
 

motaalund

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Wah maja aa gaya. Fulva ab bhi kahani me bani hui he. Maza aa gaya. Chhutki gitva ki kahani sun ne badi betab he. Maza aa gaya
फुलवा ने आके फूल खिला दिए...
और जब जब आती है.. तब तब एक नई जान फूंक देती है..
 

motaalund

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Bade khatrnak exp diya he.
फुलवा की माँ और चम्मो बो, कोयराने वाली भौजी ने मिल के गीता को रोपनी सिखा दिया था, कैसे कोमल कोमल नवजात शिशु की तरह के धान के पौधों को अपने मुलायम हाथों से हलके हलके,... अभी बहुत सम्हाल के धीमे धीमे वो कर रही थी, पर दिमाग उसका अभी भी अपने भाई पे लगा था, ...


Kya sabad istmal kiye he.

अरे अभी कहाँ, ... अभी तो ई गितवा के खसम का मोटा सुपाड़ा घुसा होगा,... अभी तो पहली चीख है " ज्यादा समझदार फुलवा की माँ बोली ,
धान के पौधों का वो नरम अहसास ... शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता....
 
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