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भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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आपकी प्रतिभा नयी ऊंचाई छू रही हैFew more lines as continuation…
तुम्हें देख कर तो ये कब से खड़ा है
हाथ में लेके देखो ये कितना बड़ा है
वाकाई में लौड़ा गजब है तुम्हारा
मेरा चुत का ये कर देगा कबाड़ा
इश्क़ के लिए जज्बो में शिद्दत रखो
मुझसे चुदने के लिए हिम्मत रखो
हिम्मत की कमी नहीं लेकिन थोड़ी शर्म है
हम दोनों के रिश्ते का अभी थोड़ा भ्रम है
कपड़े तो उतार दिये अब क्यो कतरा रही हो
अपने देवर से चुदने में क्यो इतना शर्मा रही हो
मैं तो बिस्तर पे पड़ी हूं पास तुम कब आओगे
बातो से ही चोद दोगे या लौड़ा से भी मिलवाओगे
मार मार के चुत मैं तेरी पूरी आज सुजा दूँगा
याद रखना भैया से भी दुगुना मैं मज़ा दूँगा
मन्नत के धागे बांधो या बांधो मुरादों की पर्ची,
मैं फुद्दी तुम्हें तभी दूंगी जब होगी मेरी मर्जी।
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पाठक मित्रों से अनुरोध है की देवर भाभी के रिश्ते पर आरुषी जी की पंक्तियों को जरूर पढ़ें यह एकदम नया प्रयोग है और बहुत ही हॉट हैमैंने निम्नलिखित पंक्तियों में अपने विचार व्यक्त करने का प्रयास किया है। पहली दो पंक्तियाँ भाभी की हैं और अगली दो पंक्तियाँ देवर की हैं। कृपया पढ़ें और इस प्रयास पर अपने विचार व्यक्त करें:
देवर जी ऐसे क्यों रोज़ मुझे ताकते हो
हर रात मेरे कमरे में क्यों झाँकते हो
आफताब से बढ़कर है तुम्हारी सूरत
लगता है तुम कोई अजंता की मूरत
बातो में तुमसे मन नहीं जीत सकती
लेकिन करो ना तुम मुझसे ऐसी मस्ती
देखा है मैंने तुमको ऊंगली करते
मेरे नाम लेके रातो को झरते
नहीं तुम्हारे भैया से अब कोई आस
भुजा नहीं पाते अब वो मेरी प्यास
तेरे महकते बदन को बाहों में भर लूँ
आओ तुम्हें झुका कर में प्यार कर लूं
बात तो करते हो बहुत भारी भारी
लगती नहीं मुझे ठीक नीयत तुम्हारी
है तेरी आँखों का सुरूर इतना
बता मेरे दिल का कसूर कितना
कुसूर इतना है कि तू मदहोश हो बैठा
जोश ही जोश में तू अपने होश खो बैठा
तेरे जिस्म का जिस को मिल जाए नजारा
होश में फिर वो कैसे रह पाए बेचारा
दिन रात कपड़ो में मेरे क्या ढूंढ़ते हो
बता जरा मेरी पैंटी को क्यों सुंघते हो
तुम्हारे बदन की उसमें खुशबू है आती
मेरी सांसो में वो हर रोज है महकाती
सच्चा नहीं तेरा धोखा है प्यार
चढ़ा है तुझे सिर्फ वासना का बुखार
प्यास तेरी बड़ी है प्यास मेरी भी बड़ी
आ मेरे पहलू में दूर मुझसे क्यों खड़ी
नहीं चाहिए मुझे कोई झूठ वादे
खुल के बता क्या है तेरे इरादे
ओ मेरी प्रियतमा ओ मेरी सुहासिनी
चाटना चाहता हूं मैं तेरे बुर की चाशनी
उम्मीद के घोड़े तुम न सरपट भगाओ
जरा पेंट खोलो और लौड़ा दिखाओ
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प्यास क्या हें बस एक शादीशुदा औरत जानती हें खासकर जिसके पति सतुस्टी नहीं दे पाता. अक्सर कमज़ोर पति पत्नी को बिस्तर पे संतुष्ट नहीं करपाते है। ऐसी अवस्था में पत्नी की विकल्प या तो वह अपनी उभलती ज्वालामुखीको काबू में रखे या उस ज्वाला को निभानेवाला कोई ढूंढे। महिलाए काफी हद तक उसको काबू में रखने की कोशिश करती हे लेकिन वहज्वाला विस्फोट हो ही जाता है और उस ज्वाला की ताप उस मर्द को मिलता है जो नजदीक होता है चाहे वह अक्सर कमज़ोर पति पत्नी को बिस्तर पे संतुष्ट नहीं करपाते है। ऐसी अवस्था में पत्नी की विकल्प या तो वह अपनी उभलती ज्वालामुखीको काबू में रखे या उस ज्वाला को निभानेवाला कोई ढूंढे। महिलाए काफी हद तक उसको काबू में रखने की कोशिश करती हे लेकिन जब ज्वाला में विसफोट हो जाता है और उस ज्वाला की ताप उस मर्द को मिलता है जो नजदीक होता है चाहे वह ससुर हो या देवरमैं पलके बिछा के आपके एक एक शब्द का इन्तजार करुँगी और मेरे साथ मेरे सभी मित्र पाठक भी बाट तकते हैं आपकी हर एक पोस्ट का और ऊपर से आप जो चित्र पोस्ट करती हैं वो भी अद्भुत है।
इन्सेस्ट के क्षेत्र में तो बस मैंने अभी घुटनों के बल चलना शुरू किया और आपकी कविताओं का सहारा लेकर कुछ बेबी स्टेप्स ले रही हूँ,
देवर भाभी तो बहुत ही रसिक रिश्ता है आप जरूर इस दिशा में भी लिखें
देवर को तो द्वितीयो वर भी कहा गया है।
आपका कितना भी आभार व्यक्त करूँ कम होगा
La jaeab amezing.Few more lines as continuation…
तुम्हें देख कर तो ये कब से खड़ा है
हाथ में लेके देखो ये कितना बड़ा है
वाकाई में लौड़ा गजब है तुम्हारा
मेरा चुत का ये कर देगा कबाड़ा
इश्क़ के लिए जज्बो में शिद्दत रखो
मुझसे चुदने के लिए हिम्मत रखो
हिम्मत की कमी नहीं लेकिन थोड़ी शर्म है
हम दोनों के रिश्ते का अभी थोड़ा भ्रम है
कपड़े तो उतार दिये अब क्यो कतरा रही हो
अपने देवर से चुदने में क्यो इतना शर्मा रही हो
मैं तो बिस्तर पे पड़ी हूं पास तुम कब आओगे
बातो से ही चोद दोगे या लौड़ा से भी मिलवाओगे
मार मार के चुत मैं तेरी पूरी आज सुजा दूँगा
याद रखना भैया से भी दुगुना मैं मज़ा दूँगा
मन्नत के धागे बांधो या बांधो मुरादों की पर्ची,
मैं फुद्दी तुम्हें तभी दूंगी जब होगी मेरी मर्जी।
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Congratulations for more than 1000 Likes.प्यास क्या हें बस एक शादीशुदा औरत जानती हें खासकर जिसके पति सतुस्टी नहीं दे पाता. अक्सर कमज़ोर पति पत्नी को बिस्तर पे संतुष्ट नहीं करपाते है। ऐसी अवस्था में पत्नी की विकल्प या तो वह अपनी उभलती ज्वालामुखीको काबू में रखे या उस ज्वाला को निभानेवाला कोई ढूंढे। महिलाए काफी हद तक उसको काबू में रखने की कोशिश करती हे लेकिन वहज्वाला विस्फोट हो ही जाता है और उस ज्वाला की ताप उस मर्द को मिलता है जो नजदीक होता है चाहे वह अक्सर कमज़ोर पति पत्नी को बिस्तर पे संतुष्ट नहीं करपाते है। ऐसी अवस्था में पत्नी की विकल्प या तो वह अपनी उभलती ज्वालामुखीको काबू में रखे या उस ज्वाला को निभानेवाला कोई ढूंढे। महिलाए काफी हद तक उसको काबू में रखने की कोशिश करती हे लेकिन जब ज्वाला में विसफोट हो जाता है और उस ज्वाला की ताप उस मर्द को मिलता है जो नजदीक होता है चाहे वह ससुर हो या देवर
"प्यास क्या हें बस एक शादीशुदा औरत जानती हें खासकर जिसके पति सतुस्टी नहीं दे पाता."प्यास क्या हें बस एक शादीशुदा औरत जानती हें खासकर जिसके पति सतुस्टी नहीं दे पाता. अक्सर कमज़ोर पति पत्नी को बिस्तर पे संतुष्ट नहीं करपाते है। ऐसी अवस्था में पत्नी की विकल्प या तो वह अपनी उभलती ज्वालामुखीको काबू में रखे या उस ज्वाला को निभानेवाला कोई ढूंढे। महिलाए काफी हद तक उसको काबू में रखने की कोशिश करती हे लेकिन वहज्वाला विस्फोट हो ही जाता है और उस ज्वाला की ताप उस मर्द को मिलता है जो नजदीक होता है चाहे वह अक्सर कमज़ोर पति पत्नी को बिस्तर पे संतुष्ट नहीं करपाते है। ऐसी अवस्था में पत्नी की विकल्प या तो वह अपनी उभलती ज्वालामुखीको काबू में रखे या उस ज्वाला को निभानेवाला कोई ढूंढे। महिलाए काफी हद तक उसको काबू में रखने की कोशिश करती हे लेकिन जब ज्वाला में विसफोट हो जाता है और उस ज्वाला की ताप उस मर्द को मिलता है जो नजदीक होता है चाहे वह ससुर हो या देवर
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बड़ी बड़ी चूंचियां हैं मेरी और बुर है बिना बाल की
पेलो देवर जी कसके आपकी भाभी हूं कमाल की
ऐसी भाभी हों तो उनकी बात न मानने से पाप लगेगा और वैसे भी देवर छोटा होता है बचपन से बड़े की बात मानना उसे सिखाया जाता है।![]()
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