No ... its a wrong conclusion....No comments …looks like it has not gone well with readers
fantastic lines with logically written poem...
No ... its a wrong conclusion....No comments …looks like it has not gone well with readers
अपने अपने हिस्से का प्यार दोनों तलाशते हैं...अद्भुत
पहली बार संवाद का प्रयोग कविता में
यह कविता नहीं पूरी पटकथा है भाभी और देवर के बीच का संवाद
कहते हैं जो बात गद्य नहीं कह पाता वह कविता कह देती है और इस रिश्ते पर न जाने कितनी कहानियां लिखी गयी होंगीं लेकिन सबका निचोड़ आपने इन लाइनों में रख दिया,... भाभी की आग जो पति कभी जीवन की आपाधापी के कारण नहीं बुझा पाता तो कभी सेक्स से उसकी रूचि ख़तम हो जाती है तो कभी नौकरी के लिए वो 'बिदेशिया' हो जाता है और महानगरों में धक्के खाता घूमता रहता है
और भाभी, घर पर अकेले कभी राह तकती है तो कभी देवर को देखती है जो ललचाता भी है डरता भी है थोड़ा बुद्धू भी है पहल भी करने से हिचकता है
और देवर मन तो उसका बहुत करता है पर कहे कैसे
सब उहापोह मन की बात आपने दोनों के देवर के और भाभी के होंठों पर ला दी , बहुत ही बढिया
आप लेखिका हीं पाठक और प्रशंसिका भी बहुत अच्छी हैं....nahi nahi aisa kuch nahi hai kayi baar reaction slow hota hai lekin hota jaror hai. Mere thread paar aate kam hain lekin aate hain log aur main khud kabhi hafte men ek do din internet ki duniya se apne ko door kar leti hun to bas ye sanyog maatra tha,... aapki rahcana adbhut hai Devar bhabhi ke is rasik rishte men aapne aur ras ghol diya
And each gem glittering with colourful light....Please do continue. one request, next two parts of this story will be about mother-son-daughter so can you pen a few lines and sure as soon as story again moves to Devar Bhabhi i am going to use all the lines
your every poem is studded with the gems
और शारीरिक जरूरतों को भी पूरा के सके...सही कोमल जी। जब पति बिस्तर पर पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाता है तो किसी दूसरे व्यक्ति के प्रति आकर्षित होना आवश्यकता ही नहीं बल्कि स्वाभाविक है। सेक्स बुनियादी जरूरत है। किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति आकर्षित होना जो आपके निकट है, दो उद्देश्यों की पूर्ति करता है.. गोपनीयता और साथ ही उपलब्धता। जब भी आपको समय और अवसर मिले आप अंतरंग हो सकते हैं।
तभी भाभी भी निमंत्रण भरी नजरों से देखते हुए देवर को रिझा रही है...Few more lines as continuation…
तुम्हें देख कर तो ये कब से खड़ा है
हाथ में लेके देखो ये कितना बड़ा है
वाकाई में लौड़ा गजब है तुम्हारा
मेरा चुत का ये कर देगा कबाड़ा
इश्क़ के लिए जज्बो में शिद्दत रखो
मुझसे चुदने के लिए हिम्मत रखो
हिम्मत की कमी नहीं लेकिन थोड़ी शर्म है
हम दोनों के रिश्ते का अभी थोड़ा भ्रम है
कपड़े तो उतार दिये अब क्यो कतरा रही हो
अपने देवर से चुदने में क्यो इतना शर्मा रही हो
मैं तो बिस्तर पे पड़ी हूं पास तुम कब आओगे
बातो से ही चोद दोगे या लौड़ा से भी मिलवाओगे
मार मार के चुत मैं तेरी पूरी आज सुजा दूँगा
याद रखना भैया से भी दुगुना मैं मज़ा दूँगा
मन्नत के धागे बांधो या बांधो मुरादों की पर्ची,
मैं फुद्दी तुम्हें तभी दूंगी जब होगी मेरी मर्जी।
और हर बार एक नया कसक पैदा कर देती है....आपकी प्रतिभा नयी ऊंचाई छू रही है
जैसे सौंदर्य नित प्रति दिन नवीन होता है, चन्द्रमा की सोलह कलाएं होती हैं एकदम उसी तरह,
पहली बार मैंने देखा की एक लम्बी कविता जिसमें इस रसीले रिश्ते के सारे आयाम और वो भी क्रम से धीरे धीरे, कैसे कैसे नैन लड़े दोनों ने एक दूसरे की मन की तन की जरूरत समझी और अगले भाग में बात कैसे आगे बढ़ी , सीधे मुद्दे पे आयी
कहानी की तरह की कविता
जैसे खंड काव्य होते हैं , और इरोटिका में इस तरह की कविता मैं पहली बार देख रही हूँ
इस प्रयास का जितना स्वागत किया जाए वो कम है
एक तो देवर भाभी का रिश्ता और फिर सारे आयाम
जबरदस्त
आरुषि जी की प्रतिभा अनूठी व अद्भुत है....पाठक मित्रों से अनुरोध है की देवर भाभी के रिश्ते पर आरुषी जी की पंक्तियों को जरूर पढ़ें यह एकदम नया प्रयोग है और बहुत ही हॉट है
महिला सबको साथ ले के चलना चाहती है...प्यास क्या हें बस एक शादीशुदा औरत जानती हें खासकर जिसके पति सतुस्टी नहीं दे पाता. अक्सर कमज़ोर पति पत्नी को बिस्तर पे संतुष्ट नहीं करपाते है। ऐसी अवस्था में पत्नी की विकल्प या तो वह अपनी उभलती ज्वालामुखीको काबू में रखे या उस ज्वाला को निभानेवाला कोई ढूंढे। महिलाए काफी हद तक उसको काबू में रखने की कोशिश करती हे लेकिन वहज्वाला विस्फोट हो ही जाता है और उस ज्वाला की ताप उस मर्द को मिलता है जो नजदीक होता है चाहे वह अक्सर कमज़ोर पति पत्नी को बिस्तर पे संतुष्ट नहीं करपाते है। ऐसी अवस्था में पत्नी की विकल्प या तो वह अपनी उभलती ज्वालामुखीको काबू में रखे या उस ज्वाला को निभानेवाला कोई ढूंढे। महिलाए काफी हद तक उसको काबू में रखने की कोशिश करती हे लेकिन जब ज्वाला में विसफोट हो जाता है और उस ज्वाला की ताप उस मर्द को मिलता है जो नजदीक होता है चाहे वह ससुर हो या देवर