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sab aap asar hai aap is thread par aayin aur kavita ko kitana badhava milaBahut badiya. Maja aa gaya
sab aap asar hai aap is thread par aayin aur kavita ko kitana badhava milaBahut badiya. Maja aa gaya
aap aa gaye to update bhi aa jaayega kal pakkaऔर हमें अपडेट का...
एक कविता मेरी ओर से भी लीजिये कोमल जी, पिछली होली पर भांग के नशे में धुत होकर कुछ बोल फूट पड़े थे....
खेल रही थी आंगन में सखियों संग जब होली
देखा भैया वापस आये छोड़कर अपनी टोली
विदा किया सखियों को, पहुंची भैया के पास
उनका खूंटा खड़ा देखकर जगी थी मन में आस
रंग लेकर पूछा भैया ने मुझसे कब लगवायेगी
मेरी पिचकारी लेकर बुर में, बहना क्या चुदवायेगी!
इठलाती, शर्माती मैं झूल गई उनकी बाँहों में
चूमकर लबों को फिर देखा उनकी आँखों में
"भैया हूँ पर बनकर सैंया सील मैं तेरी तोड़ूंगा
बहुत तड़पा हूँ बहना मेरी, आज रगड़कर चोदूंगा"
करके नंगी मुझको भैया ने चोदा बनकर साजन
"चोदो भैया, जोर से चोदो" से गूंजा सारा आंगन
ऐसे वर्णन जो न जाने कहाँ-कहाँ से उपजते हैं...
ये भी शिलाजीत या वियाग्रा से कम नहीं..
aap bhi naअरे सौ मस्तराम भी बराबरी नहीं कर सकते....
thanks so muchहर तरह की मानवीय भावनाएं... तर्कसंगत अभिव्यक्ति... हाजिरजवाब संवाद.... ये खूबी है कोमल रानी की...
and that was the only story which brought tears to many eyes, including the endThe story depicts the current context in which India was passing through in detailed and subtle manner.
The treatment is so touchy that at many times you may feel that you are a part of it and feel the feel of protagonist (especially Ritu).
ekdam sahi baat kahi aapne jabrdastमामा के साथ पापा भी.. आखिर दहेज़ में जो साथ लाई थी...
just taking baby steps, a debutant aap bhi naaAnd कोमल रानी portrayal is completely different and detailed.