"प्यास क्या हें बस एक शादीशुदा औरत जानती हें खासकर जिसके पति सतुस्टी नहीं दे पाता."
इस लाइन में आपने औरतों की सारी व्यथा कथा कह दी.
और पति के संतुष्ट न कर पाने की वजहें कई होती हैं. कई बार शादी के कुछ दिन बाद देह संबंधो का नयापन खतम हो जाना और उसका रूटीन हो जाना, और धीरे धीरे देह संबंध बस कभी कभी हो जाता है. कई बार कुछ दिनों के बाद काम या बाकी किसी शौक में पुरुष को किक मिलने लगता है पर ज्यादातर बार जो आपने कहा वही होता है,... कमज़ोर पति पत्नी को बिस्तर पे संतुष्ट नहीं करपाते है। लेकिन इसके साथ खासतौर पर ग्रामीण या कस्बाई क्षेत्र में माइग्रेशन के कारण पुरुष अक्सर बाहर रहते हैं, उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में अधिकतर जिलों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से कहीं ज्यादा है और पुरुष बंबई से पंजाब तक या दुबई और कतर कमाने के लिए जाते हैं फिर साल दो साल में एक बार,... और आपने एक अन्य पोस्ट में बहुत सही कहा था की काम की गर्मी प्रौढ़ा महिलाओं में विवाहिताओं में अधिक होती है। कुंवारियों में तो यह उत्सुकता वश या वर्जित फल चखने की चाह होती है पर विवाहिता तो काम रस का आनंद ले चुकी होती है और उसके बाद जो वो सुख नहीं मिलता तो उसकी देह में मन में उस बड़वानल का जलना स्वाभाविक है।
और समाजशास्त्रीयो के अनुसार परिवार में दो तरह के रिश्ते होते हैं, जोकिंग रिलेशनशिप या मजाक के रिश्ते और एवायडेंस रिलेशनशिप या वर्जित संबंध। देवर भाभी और जीजा साली इस मजाक के रिश्ते में आते हैं। देवर भाभी के रिश्ते की एक अन्थ्रोपोलिजकल हिस्ट्री है , वो है पाली एंड्री या बहुपति परम्परा जहाँ एक महिला सभी भाइयों की पत्नी होती थी जिसका कारण महिलाओं की कमी होने के साथ सम्पति का बटवारा न होना भी शायद रहा हो। देवर -भाभी संबंध भी वहीँ से उपजा है. फिर भाभी को काम का अनुभव होता है देवर अभी उत्सुक होता है उसका मन करता है और अगर जैसे मैंने ऊपर कहा की पति बाहर गया, कमजोर है या अपनी पत्नी पर ध्यान नहीं दे रहा तो देवर भाभी में आकर्षण होना स्व्भविक है , फिर मज़ाक का रिश्ता होने से देवर को छेड़ने का भाभी को हक भी होता है।
इसलिए देवर भाभी का संबध हो जाता है।
ससुर का रिश्ता एवायडेंस रिलेशनशिप या वर्जित संबंध में आता है और जेठ का भी इसलिए उनसे पर्दा होता है। लेकिन व्यवाहरिक पक्ष यह है की कई बार घर का स्वामी वही होता है क्योंकि जमीन घर सब जगह उसी की चलती है , और स्त्री कई बार सेक्स के साथ पावर के लिए भी आकर्षित हो सकती है लेकिन यह अपवाद स्वरूप है और क्योंकि ससुर या जेठ का काम जो उससे छोटी है उसके संरक्षण में है उसकी रक्षा करना है , इसलिए वो इन्सेस्ट में भी गिना जता है अपर देवर भाभी या जीजा साली संबंध इन्सेस्ट की कैटगरी में नहीं आता।
लेकिन जो बात आप कविता में कह देती हैं वो मैं गद्य में कभी नहीं कह सकती , एक बार फिर आपका आभार इस थ्रेड पर पोस्ट करने के लिए.