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भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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और अपना वर तो चाहे रात में एक बार ही ले... देवर तो कम से कम दो बार लेगा। आगे से भी और पीछे से भी. देवर यानी दो बारबहुत ही अच्छी कविता है
और चित्र भी सुन्दर हैं ,... तभी तो देवर को द्वितीयो वर कहते हैं
पति न हो तो,... देवर तो है न![]()
और असल बात तो कोमल जी ये है औरत देने पे आए तो आदमी लेते लेते चाहे थक जाए लेकिन औरत देते देते कभी नहीं थकेगीऔर अपना वर तो चाहे रात में एक बार ही ले... देवर तो कम से कम दो बार लेगा। आगे से भी और पीछे से भी. देवर यानी दो बार![]()
और अगर औरत लेने पर आये आदमी की, तो भी यही बात सही हैऔर असल बात तो कोमल जी ये है औरत देने पे आए तो आदमी लेते लेते चाहे थक जाए लेकिन औरत देते देते कभी नहीं थकेगी
pichali posts ka page number likh diya hai page 439 peSoon matlab aaj hi na![]()
बहुत गरम arushi_dayalThanks all for your love and support. I just try to post some messages and thoughts for entertainment. Never knew that will get such huge response and appreciation. Once again thanks to all and i assure that i will keep posting such naughty and kinky messages and pics
बड़ी बड़ी चूंचियां हैं मेरी और बुर है बिना बाल की
पेलो देवर जी कसके आपकी भाभी हूं कमाल की
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बहुत मस्ट क्रीम ताज़ा माल
बिलकुल गीतवा तो बिदा होते समय भी पूरा लोड ले के जाएगी भैया ने शादी का जोड़ा भी उठा के अपना माल डाला होगा पूरागितवा भी अपनी माँ की तरह भाई से रोपनी करवा कर .. दहेज में साथ ले जाएगी...
बहुत मस्ट pics हैं Shetan ji
“”भाग ४९ -
मस्ती - माँ, अरविन्द और गीता की
छुटकी भी हंसी में शामिल हो गयी और गीता ने बात पूरी की
" और ये रोपनी वालियां तार मात इनके आगे, शाम के पहले तक गाँव छोड़ अगल बगल के गाँव में सब को मालूम हो गया था ,ये घर घर जाती है और घर की औरतें जो बेचारी घर से बाहर मुश्किल से निकल पाती हैं इन्ही से कुछ किस्से,.... और कुँवारी लड़की अपने भाई से फंसी, फिर तो,...मिर्च मसाला लगा लगा के ,.. और ये रोपनी वालियां खाली मेरे गाँव की तो थी नहीं तो सब अपने गाँव में और जिस गाँव में रोपनी करने गयीं वहां भी , तो चार पांच दिन में गाँव तो छोड़,... आसपास के दस गाँव जवार में, बजार में, सब जगह,... मेरे और भैया के , .. लेकिन एक तरह से अच्छा ही हुआ , भइया की भी झिझक धीरे धीरे खुल गयी"
लेकिन छुटकी का दिमाग कहीं और चल रहा रहा था उसे दीदी की सास और नैना की बात आ रही थी की कैसे सास चिढ़ा रही थी नैना को की इस गाँव की कुल लड़कियां भाई चोद होती है और नैना ने भी माना और की गीता और उसका भाई तो एकदम मर्द औरत की तरह रहते हैं,...
गीता चुप हो गयी थी तो छुटकी ने एक नया प्रसंग छेड़ दिया, छुटकी ने एक बार फिर बात मोड़ दी, दी फिर कभी भैया का माँ के साथ, किसी रात को,...
गितवा खिलखिला के हंसी
" तू भी न पगली कभी एक बार मेरे अरविन्द का खूंटा पकड़ेगी न,... देख के लोग दीवाने हो जाते हैं माँ ने तो अगवाड़े पिछवाड़े दोनों घोंटा था, और रात में बोल रही है तू, रात दिन दोनों टाइम, बल्कि उन दोनों के चक्कर में मैं मैं भी पिसती थी। "
"लेकिन आप तो स्कूल जाती होंगीं " छुटकी ने एक टेढ़ा सवाल पूछ लिया।
गितवा ने खुश होके उसे गले से लगा लिया, और गाल चूमते हुए बोली,... " स्साली छिनार तुझे सब जानना है " फिर आराम से बताना शुरू किया।
" तुझे बताया तो था की स्कूल जाने से पहले माँ पीछे पड़ के,... अगवाड़े पिछवाड़े दोनों छेदो में भैया मलाई भर देता था, एकदम ऊपर तक बजबजाती थी,
मेरी स्साली कमीनी सहेलियां भी पहले से आके, कान पार के मेरी चीखें सुनती थीं, ... और स्कूल पहुँचने के पहले और स्कूल में भी जैसे किसी कुप्पी में क्रीम भरी हो, ऊँगली कर के मेरी बिल में अंदर तक डाल के, घुमा घुमा के अरविन्द भैया की मलाई निकाल के, खुद भी चाटती थीं दूसरी लड़कियों को भी चटाती थीं और कभी कभी अपने होंठों में लगी मलाई से मेरे होंठों पे चुम्मा भी ले लेती थीं , मैं कुछ बोलती तो सब मिल के ,डांटतीं, गरियाती
"..स्साली अकेले अकेले मजा ले रही है, और हम ज़रा सा मलाई चाट रहे हैं तो छिनार की फट रही है , घर जाके भैया से बोल देना फिर से खिला देंगे , लाज लगे तो हम सब बोल देंगे की भैया गीता की मलाई हम सब ने चाट ली, आप फिर से खिला दो बेचारी बहुत भूखी है "
गीता कुछ देर रुक के मुस्कराती रही, फिर बोली,..
" लेकिन होता वही था,... जैसे मैं स्कूल से लौटती भैया जैसे तैयार बैठा हो मलाई खिलाने के लिए , और माँ और उसको उकसाती थीं। "
मतलब, छुटकी बोली, ...उसे तो हाल खुलासा सुनना था। और गीता ने सुनाया भी, स्कूल से आते ही बस्ता उठा के कहीं वो फेंक देती थी और सीधे भैया के पास, और वो भी बिना उसकी स्कर्ट टॉप खोले, सीधे उसके मुंह में अपना खूंटा पकड़ा देता था,... और कुछ देर में माँ भी आ जाती थीं, वो शिकायत की नजर से देखती ( बोल तो सकती नहीं थी अरविन्द ने उसके मुंह में खूंटा अंदर तक पेल रखा होता था, ... "
और माँ अलग बदमाशी पे उतर आतीं
" अरे तो क्या हुआ , तेरा एकलौता सगा भाई है, ... चाट ले चूस प्यार से , अच्छा कपडे,.. चल मैं उतार देती हूँ , मैं हूँ न , ... "
और माँ पहले स्कर्ट चड्ढी निकाल के बिल पे हाथ लगातीं ,...
" देखूं सुबह की मलाई कुछ अगवाड़े पिछवाड़े बची है की नहीं ? स्साली तेरी कमीनी सहेलियां सब चाट गयीं लगता है. एकदम सूखी है मेरे दुलारी बेटी की बुर , चल मैं जरा प्यार से चाट वाट के तू चूसती रह मेरे बेटे का मोटा लंड ,... "
और भैया कस के अपने दोनों हाथ से मेरे सर को अपने मूसल पे दबा देता, माँ की शह मिलने के बाद उसे कौन रोकने वाला था,..
मैं भी सपड़ सपड़ मोटा मूसल मुंह में लेके, थूक से लग के गीला भी हो जाता,...
और साथ में माँ पहले अपने हाथों से मेरी चिकनी चमेली सहलातीं फिर सीधे उनके होंठ, बस हलके हलके होंठों से सहलाती कभी जीभ निकाल के मेरी दोनों फांको पे फिराती, साथ में उनकी साड़ी ब्लाउज भी सरक के नीचे।
माँ की जीभ बहुत ही दुष्ट थी, मेरी कितनी सहेलियों, भौजाइयों की जीभ वहां का स्वाद ले चुकी थी, लेकिन जो अगन माँ की जीभ लगाती थी ,... लेकिन माँ थी बड़ी बदमाश, उसे अगन लगाने की ही जल्दी रहती थी,... बुझाने की एकदम नहीं,... थोड़ी ही देर में भैया का मोटा लंड चूसते चूसते जब माँ की जीभ के असर से मैं झड़ने के कगार पर पहुँच गयी थी,...
उसने जीभ हटा दी,... मैंने मुड़ के देखा,...
माँ मुस्करा रही थी और अब उसकी हथेली उसके अपने भोंसडे पे,
जहाँ से मैं और भैया निकले थे, हलके हलके सहला रही थी, कभी मुझे दिखा के अपनी दोनों फांकों को फैला देती जैसे कह रही लेना है क्या इस रसमलाई का मजा,... खूब गीली हो गयी थी, चाशनी छलछला रही थी, ...
और माँ ने मुझे आँख मार दी,... ( वो तो बाद में मैं समझी की इशारा अरविन्द के लिए था उनके बेटे के लिए की उनकी बेटी की जरा जम के,...
और जब तक समझती समझती, ...
मेरा भाई अरविन्द मेरी दोनों खुली जाँघों के बीच, माँ का थूक और मेरे चूत रस से सनी मेरे गुलाबो को,... और अब वो कस कस के चूस रहा था, लेकिन वो बदमाश उसे तो खाली चोदना आता था, तो बस जीभ अपनी अरविन्द ने मेरी दोनों कसी कसी गुलाबी फांके फैला के उसके बीच कभी अंदर कभी बाहर, मैं मजे से उछल रही थी, मन बस यही कह रहा था ये स्साला मादरचोद बहन चोद अपना लंड पेल दे अपनी बहन की चूत में,..
. लेकिन माँ बेटे को तो बेटी को तड़पाने में ज्यादा मजा आ रहा था, मैं चूतड़ उछाल रही थी माँ को भैया को गरिया रही थी,...दोनों माँ बेटे को एक से एक गन्दी गन्दी गारियाँ जो रोपनी में सीख के आयी थी
“”भाग ४९ -
मस्ती - माँ, अरविन्द और गीता की
छुटकी भी हंसी में शामिल हो गयी और गीता ने बात पूरी की
" और ये रोपनी वालियां तार मात इनके आगे, शाम के पहले तक गाँव छोड़ अगल बगल के गाँव में सब को मालूम हो गया था ,ये घर घर जाती है और घर की औरतें जो बेचारी घर से बाहर मुश्किल से निकल पाती हैं इन्ही से कुछ किस्से,.... और कुँवारी लड़की अपने भाई से फंसी, फिर तो,...मिर्च मसाला लगा लगा के ,.. और ये रोपनी वालियां खाली मेरे गाँव की तो थी नहीं तो सब अपने गाँव में और जिस गाँव में रोपनी करने गयीं वहां भी , तो चार पांच दिन में गाँव तो छोड़,... आसपास के दस गाँव जवार में, बजार में, सब जगह,... मेरे और भैया के , .. लेकिन एक तरह से अच्छा ही हुआ , भइया की भी झिझक धीरे धीरे खुल गयी"
लेकिन छुटकी का दिमाग कहीं और चल रहा रहा था उसे दीदी की सास और नैना की बात आ रही थी की कैसे सास चिढ़ा रही थी नैना को की इस गाँव की कुल लड़कियां भाई चोद होती है और नैना ने भी माना और की गीता और उसका भाई तो एकदम मर्द औरत की तरह रहते हैं,...
गीता चुप हो गयी थी तो छुटकी ने एक नया प्रसंग छेड़ दिया, छुटकी ने एक बार फिर बात मोड़ दी, दी फिर कभी भैया का माँ के साथ, किसी रात को,...
गितवा खिलखिला के हंसी
" तू भी न पगली कभी एक बार मेरे अरविन्द का खूंटा पकड़ेगी न,... देख के लोग दीवाने हो जाते हैं माँ ने तो अगवाड़े पिछवाड़े दोनों घोंटा था, और रात में बोल रही है तू, रात दिन दोनों टाइम, बल्कि उन दोनों के चक्कर में मैं मैं भी पिसती थी। "
"लेकिन आप तो स्कूल जाती होंगीं " छुटकी ने एक टेढ़ा सवाल पूछ लिया।
गितवा ने खुश होके उसे गले से लगा लिया, और गाल चूमते हुए बोली,... " स्साली छिनार तुझे सब जानना है " फिर आराम से बताना शुरू किया।
" तुझे बताया तो था की स्कूल जाने से पहले माँ पीछे पड़ के,... अगवाड़े पिछवाड़े दोनों छेदो में भैया मलाई भर देता था, एकदम ऊपर तक बजबजाती थी,
मेरी स्साली कमीनी सहेलियां भी पहले से आके, कान पार के मेरी चीखें सुनती थीं, ... और स्कूल पहुँचने के पहले और स्कूल में भी जैसे किसी कुप्पी में क्रीम भरी हो, ऊँगली कर के मेरी बिल में अंदर तक डाल के, घुमा घुमा के अरविन्द भैया की मलाई निकाल के, खुद भी चाटती थीं दूसरी लड़कियों को भी चटाती थीं और कभी कभी अपने होंठों में लगी मलाई से मेरे होंठों पे चुम्मा भी ले लेती थीं , मैं कुछ बोलती तो सब मिल के ,डांटतीं, गरियाती
"..स्साली अकेले अकेले मजा ले रही है, और हम ज़रा सा मलाई चाट रहे हैं तो छिनार की फट रही है , घर जाके भैया से बोल देना फिर से खिला देंगे , लाज लगे तो हम सब बोल देंगे की भैया गीता की मलाई हम सब ने चाट ली, आप फिर से खिला दो बेचारी बहुत भूखी है "
गीता कुछ देर रुक के मुस्कराती रही, फिर बोली,..
" लेकिन होता वही था,... जैसे मैं स्कूल से लौटती भैया जैसे तैयार बैठा हो मलाई खिलाने के लिए , और माँ और उसको उकसाती थीं। "
मतलब, छुटकी बोली, ...उसे तो हाल खुलासा सुनना था। और गीता ने सुनाया भी, स्कूल से आते ही बस्ता उठा के कहीं वो फेंक देती थी और सीधे भैया के पास, और वो भी बिना उसकी स्कर्ट टॉप खोले, सीधे उसके मुंह में अपना खूंटा पकड़ा देता था,... और कुछ देर में माँ भी आ जाती थीं, वो शिकायत की नजर से देखती ( बोल तो सकती नहीं थी अरविन्द ने उसके मुंह में खूंटा अंदर तक पेल रखा होता था, ... "
और माँ अलग बदमाशी पे उतर आतीं
" अरे तो क्या हुआ , तेरा एकलौता सगा भाई है, ... चाट ले चूस प्यार से , अच्छा कपडे,.. चल मैं उतार देती हूँ , मैं हूँ न , ... "
और माँ पहले स्कर्ट चड्ढी निकाल के बिल पे हाथ लगातीं ,...
" देखूं सुबह की मलाई कुछ अगवाड़े पिछवाड़े बची है की नहीं ? स्साली तेरी कमीनी सहेलियां सब चाट गयीं लगता है. एकदम सूखी है मेरे दुलारी बेटी की बुर , चल मैं जरा प्यार से चाट वाट के तू चूसती रह मेरे बेटे का मोटा लंड ,... "
और भैया कस के अपने दोनों हाथ से मेरे सर को अपने मूसल पे दबा देता, माँ की शह मिलने के बाद उसे कौन रोकने वाला था,..
मैं भी सपड़ सपड़ मोटा मूसल मुंह में लेके, थूक से लग के गीला भी हो जाता,...
और साथ में माँ पहले अपने हाथों से मेरी चिकनी चमेली सहलातीं फिर सीधे उनके होंठ, बस हलके हलके होंठों से सहलाती कभी जीभ निकाल के मेरी दोनों फांको पे फिराती, साथ में उनकी साड़ी ब्लाउज भी सरक के नीचे।
माँ की जीभ बहुत ही दुष्ट थी, मेरी कितनी सहेलियों, भौजाइयों की जीभ वहां का स्वाद ले चुकी थी, लेकिन जो अगन माँ की जीभ लगाती थी ,... लेकिन माँ थी बड़ी बदमाश, उसे अगन लगाने की ही जल्दी रहती थी,... बुझाने की एकदम नहीं,... थोड़ी ही देर में भैया का मोटा लंड चूसते चूसते जब माँ की जीभ के असर से मैं झड़ने के कगार पर पहुँच गयी थी,...
उसने जीभ हटा दी,... मैंने मुड़ के देखा,...
माँ मुस्करा रही थी और अब उसकी हथेली उसके अपने भोंसडे पे,
जहाँ से मैं और भैया निकले थे, हलके हलके सहला रही थी, कभी मुझे दिखा के अपनी दोनों फांकों को फैला देती जैसे कह रही लेना है क्या इस रसमलाई का मजा,... खूब गीली हो गयी थी, चाशनी छलछला रही थी, ...
और माँ ने मुझे आँख मार दी,... ( वो तो बाद में मैं समझी की इशारा अरविन्द के लिए था उनके बेटे के लिए की उनकी बेटी की जरा जम के,...
और जब तक समझती समझती, ...
मेरा भाई अरविन्द मेरी दोनों खुली जाँघों के बीच, माँ का थूक और मेरे चूत रस से सनी मेरे गुलाबो को,... और अब वो कस कस के चूस रहा था, लेकिन वो बदमाश उसे तो खाली चोदना आता था, तो बस जीभ अपनी अरविन्द ने मेरी दोनों कसी कसी गुलाबी फांके फैला के उसके बीच कभी अंदर कभी बाहर, मैं मजे से उछल रही थी, मन बस यही कह रहा था ये स्साला मादरचोद बहन चोद अपना लंड पेल दे अपनी बहन की चूत में,..
. लेकिन माँ बेटे को तो बेटी को तड़पाने में ज्यादा मजा आ रहा था, मैं चूतड़ उछाल रही थी माँ को भैया को गरिया रही थी,...दोनों माँ बेटे को एक से एक गन्दी गन्दी गारियाँ जो रोपनी में सीख के आयी थी