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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९८

अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, मजे ले, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
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motaalund

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Guilty as charged, accepted aage se jyada dhyaan rakhungi but i am really thrilled to have friends like you who are there for me ALWAYS
कोई नहीं... हर बॉल पर सिक्स हो कोई जरुरी नहीं.. कभी कभी चौका भी कैच बचा देता है...
 

motaalund

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बहुत ही सुन्दर कविता

आपने माँ बेटी और बेटे का सारा किस्सा, प्यार दुलार कैसे कुछ लाइनों में खींच के रख दिया ये बस आपके ही बस की बात थी और पिक्स तो दुर्लभ हैं

आपकी तारीफ़ के लिए शब्द नहीं बचे, शब्दातीत

Very Good High Quality GIF
Well Done Ok GIF
लयबद्ध होकर एक अलग हीं करतल ध्वनि फैला देती है..
 

motaalund

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Wo to apki baat thik hai komalji. But pet pooja kahi bhi kabhi bhi. Yeh bhi apka mantra hai, arvind or uski maa ko akele me bhi samay milna chahiye, bina geeta ke. Baki apki marji
हाँ.. जैसे गीता स्कूल से लौटी न हो (एक्स्ट्रा क्लास)..
और माँ बेटे का प्रेम प्रसंग...
बल्कि एकदम खुलकर...
एक दूसरे को पुराने प्रसंगों की याद दिला कर छेड़ते हुए...
 
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motaalund

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आप सब मित्रों के सहयोग से इस कथा यात्रा ने ५० भाग पूरे किये, एक अर्ध शतक,... जो कहानी के शुरू में थोड़ा कठिन लग रहा था लेकिन आप सब मित्रों का सहयोग, हिम्मत बढ़ाना,....


और इस के साथ मैं पिछले २० भागों का नाम और उनकी पृष्ठ संख्या शेयर कर रही हूँ, ... इस यात्रा के मील के पत्थर की तरह ( घटते हुए क्रम में )

इन्सेस्ट की विधा में मैंने बस बेबी स्टेप लेना शुरू ही किया है पर आप सबकी हौसला अफजाई,...

एक बार फिर से आभार



1.
भाग ५० माँ का नाइट स्कूल पृष्ठ ४३५

2. भाग ४९ मस्ती -माँ, अरविन्द और गीता की पृष्ठ ४२०

3. भाग ४८ - रोपनी -फुलवा की ननद पृष्ठ 394

4. भाग ४७ रोपनी पृष्ठ ३७५

5. भाग ४६ तीन सहेलियां खड़ी खड़ी, किस्से सुनाएँ घड़ी घड़ी पृष्ठ ३६३

6. भाग ४५ गीता चली स्कूल पृष्ठ ३४८

7. भाग ४४ रिश्तों में हसीन बदलाव उर्फ़ मेरे पास माँ है पृष्ठ ३४१

8. भाग ४३ इन्सेस्ट कथा- माँ के किस्से, मायके के पृष्ठ ३२९

9. भाग ४२ इन्सेस्ट कथा माँ के किस्से, पृष्ठ ३१७

10. भाग ४१ इन्सेस्ट कथा - मामला वल्दियत का उर्फ़ किस्से माँ के पृष्ठ ३०३

11. भाग ४० इन्सेस्ट गाथा - गोलकुंडा पर चढ़ाई -भाई की पृष्ठ २८६

12. भाग ३९ - माँ, बेटा, बेटी और बरसात की रात पृष्ठ २७१

13. भाग ३८ मेरे पास माँ है पृष्ठ २६०

14. भाग ३७ - इन्सेस्ट कथा - और माँ आ गयीं पृष्ठ २५०

15. भाग ३६ -इन्सेस्ट किस्सा- मस्ती भैया बहिनी उर्फ़ गीता -अरविन्द की पृष्ठ २३६

16. भाग ३५ फुलवा पृष्ठ २२५

17. भाग ३४ इन्सेस्ट कथा - चाची ने चांदनी रात में,... पष्ठ २१४

18. भाग ३३ अरविन्द और गीता की इन्सेस्ट गाथा सांझ भई घर आये पृष्ठ २००

19. भाग ३२ - इन्सेस्ट गाथा अरविन्द और गीता, पृष्ठ १७८

20. भाग ३१ इन्सेस्ट कथा उर्फ़ किस्सा भैया और बहिनी का पृष्ठ १६५

:thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you:🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏:thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you:
अर्द्धशतक की हार्दिक बधाइयाँ....
 

motaalund

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आपकी काव्य प्रतिभा की जितनी तारीफ़ की जाए कम होगी।
सचमुच बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं...
 
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motaalund

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Thanks so much for gracing the thread with your presence and best wishes, will be looking ahead for your views. Discerning readers like you are adornment for any story, thanks again.


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
You deserve it.
 
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motaalund

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निम्नलिखित कुछ पंक्तियों में देवर की नवविवाहित सेक्सी भाभी को देखकर उनके मन में उठे विचार है। मैं उम्मीद करती हूं कि मेरे पाठक इन पंक्तियों को पढ़ेंगे और अपने विचार व्यक्त करेंगे..

जब भाभी नीचे झुकती है
देवर की सांसे रुकती है
चुचो की घाटी आए नज़र
जिस पे मेरी जाए नजर ठहर

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चेहरे पर शरारत दिखती है
जब अपनी आंखें मिलती है
जब खुले बाल लहराते हैं
मेरे दिल पे छुरिया चलाते है

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जब हाथों में कंगन बजते हैं
मेरे सोये अरमान मचलते है
एक बार मुझे मिल जाए कभी
मैं पूरे कर लूंगा अरमान सभी
फूलों की सेज सजाऊंगा
भाभी को उसपर लिटाउंगा
जी भर के उनको निहारूंगा
जब इक इक वस्त्र उतआरूंगा

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कितनी सुंदर कितनी प्यारी
बिन बालो की चुत तुम्हारी
अधखुली सी इसकी फाँके
गुलाबी इसमें छेद है झाँके
इस्पे चमके ओस सी बूंदे
जिसको चुमू मैं आंखें मुंदे

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मेरे होंटो पे इसे सजा दो
मेरे लबो की प्यास भुजा दो

फुलो के कोमल बिस्तर पे एक दूजे को एहसास करे हम
इक दूजे में समा जाए हम आओ खुल के सहवास करे हम

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देवर भाभी की ये कविता...
अपने आप में परिपूर्ण है...
 
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motaalund

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बहुत ही अच्छी कविता है

और चित्र भी सुन्दर हैं ,... तभी तो देवर को द्वितीयो वर कहते हैं

पति न हो तो,... देवर तो है न :superb::superb::superb::superb:
वर्जित फल का आनंद हीं कुछ और है...
 
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