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भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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बीच बीच में अलग अलग ग्रुप बनते रहेंगे...Bechari geeta to akele pad gayi, dono ke bich me. Halat kharab krdi. Bahut mast komal ji
आगाज तो सही है...Complete story ka intejar hai
सुबह सवेरे.. खिली हुई चूत पर ओस(वीर्य) की बूंदे ..Bahut khoob
जवानी के पौधे को जितना सींचो..कितना प्यारा है अरविंद भैया
चोदे बहना और चोदे है मैया
दिन में मां और रात को बहना
इसकी किस्मत का क्या कहना
मां और बहना मिलकर बांटें
लौडा चुसे और अंडे चाटे
बहन की करे है रोज़ स्वारी
मां की गाण्ड भी लगती प्यारी
गितवा की अब नित खिल राही जवानी
जब से लगा उसे अरविंदवा का पानी
जी भर के गीतवा जवानी लूटावे
अरविंद भी अच्छे से चप्पू चलावे
रात भर चुद चुद के गीतवा की बदली चाल
अम्मा के नाइट स्कूल का हो गया कमाल
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केवल भाई बहन नहीं...ekdm adbhut pyaar hai Bhai Behan ka
देखन में छोटे लगे.. घाव करे गंभीर...arushi ji ka koyi jaavaab nahi vo do chaar lines men vo baat kah deti hain to poori stories men log nahi kh pate
गाँव घर में बहुत सारे काम होते हैं..Geeta ke school jaane ke baad arvind or geeta ki Maa masti kyun nhi krte, bada ajeeb hai
लक्ष्य को बेधता हुआ तीर...Bahut hi Ghamasan yudh chal rahai hai, jisme harne wale ko maja ata hai
हाँ... आपकी ये विशेषता का जिक्र मैं हमेशा करता हूँ कि डायलोग के साथ चुदाई का सीन लिखने में आपकी बराबरी कोई नहीं कर सकता ..Komal ji , thoda samvad ki kami reh gayi is is scene me. Maa bete ne ek shabd nhi bola or raaat bhar maje kiye. Thoda conversation hona chahiye usse ese lgta hai jese story ankhon ke samne chal rhi hai, baki to aapka koi jawab nahi
नहीं. नहीं... आप भूली नहीं है...मैंने शायद कहीं लिखा था या हो सकता है लिखना भूल गयी
बात साफ़ साफ़ थी गाँव में सुबह का टाइम बड़ा इम्पोर्टेन्ट होता है, गीता के स्कूल जाने के साथ साथ अरविन्द को कभी खेत तो कभी बाजार हाट तो कभी किसी काम से, सब काम शाम होने के पहले निबटाने होने होते थे फिर दोपहर का खाना घर आके तो सुबह वो बिजी रहता
माँ भी घर की साफ़ सफाई, खाना बनाना, फिर ग्वालिन भौजी आ जातीं उनसे गांव भर की हाल चाल.
फिर बाहर निकल के जानवरों की हाल चाल
तो असली कारण यही था और एक बात और माँ शायद चाहती थी की उनका बेटा सब जांगर बचा के रखे उनकी बेटी के लिए।
and thanks for reading so closely and your minute observations, i am thrilled and grateful to get readers like you.
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