• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

Well-Known Member
22,347
58,299
259
  • Like
Reactions: motaalund

komaalrani

Well-Known Member
22,347
58,299
259
वो सब सीन कहानी को लंबा कर देगी..
और जो पाठक चाहते हैं... वो सामने है...
कहानी कुछ चुनी हुयी घटनाओं को एक फ्रेम में एक चौखटे में रखती हैं जैसे हम कोई नाटक या फिल्म देखते हैं और हर पात्र कहानी के कथ्य को आगे बढ़ाते हैं उसे एक दिशा देते हैं या एक रिचनेस लाते हैं, और बहुत से पात्र जो शायद हो सकते हैं तो भी नहीं होते, तो मेरी कहानी में भी एक लम्बी कहानी में जो मूल कथ्य या उससे जुडी हुयी छोटी छोटी उप कथाएं ( लम्बी कहानियों में जैसे फागुन के दिन चार या जोरू का गुलाम या मोहे रंग दे में ) वही चरित्र मैं जोड़ना चाहती हूँ जिनके साथ मैं न्याय कर पाऊं, जो भले ही थोड़ी देर के लिए आएं पर वह एक कटआउट या पोस्टकार्ड थिन कैरेक्टर न लगे

और वैसे भी मैं मूल रूप से स्त्री प्रधान कहनियां लिखती हूँ और वैसे परिवेश में जहाँ ज्यादातर कहानियां पुरुष परिप्रेक्ष्य में लिखी जा रही हों यह कुछ गड़बड़ मुझे नहीं लगता की एक दो कहानी महिलाओं के प्वाइंट आफ व्यू से हैं हालाकिं कुछ पाठक असहज हो सकता है महसूस करते हों

मैंने फागुन के दिन चार को पुरुष नैरेटर के द्वारा लिखने की कोशिश की पर मेरी कलम पर मेरा ज्यादा जोर नहीं चलता और उस कहानी में भी स्त्री पात्र कहानी में भारी पड़े, चाहे रीत हो या बाकी,...

और जहाँ तक इस कहानी का सवाल है बस मैं यही कहूंगी की कहानी के साथ बने रहिये अगले कुछ भागों के बाद अगर फिर से यह सवाल उठेगा तो मैं जरूर चर्चा करुँगी
 

komaalrani

Well-Known Member
22,347
58,299
259
और क्या खूब लिखा है....
:thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you:
 

komaalrani

Well-Known Member
22,347
58,299
259
नीचे मिट्टी, ऊपर आसमान,

और बीच में घमासान..
भैया बहिनी का अरमान...
क्या बात कही है आपने एकदम से आरुषि जी की याद आ गयी, बहुत खूब:superb::superb::superb::superb::superb::superb::superb:
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
22,347
58,299
259
अरे ये तो पूरे बेइज्जती है..
नाक कट जाएगी...
अगर फुलवा की ननद बिना गांड़ मरवाए वापस चली गई तो...
फिर तो फुलवा को हीं गा गा के सुनाएगी कि तोहरे गाँव के मर्द कौनो काम के नहीं...
लड़की तो नखड़ा करबे करेगी...
ये तो लड़का बहला फुसला के .. पटक के .. गांड़ का गुड़गाँव बना दे...
आपकी भावनाएं गितवा और चमेलिया से एकदम मिलती हैं

बस कल का इंतजार करिये देखिये क्या होता है, फुलवा की ननद के साथ

गाँव की इज्जत का सवाल है।
 

Random2022

Active Member
553
1,331
123
कहानी कुछ चुनी हुयी घटनाओं को एक फ्रेम में एक चौखटे में रखती हैं जैसे हम कोई नाटक या फिल्म देखते हैं और हर पात्र कहानी के कथ्य को आगे बढ़ाते हैं उसे एक दिशा देते हैं या एक रिचनेस लाते हैं, और बहुत से पात्र जो शायद हो सकते हैं तो भी नहीं होते, तो मेरी कहानी में भी एक लम्बी कहानी में जो मूल कथ्य या उससे जुडी हुयी छोटी छोटी उप कथाएं ( लम्बी कहानियों में जैसे फागुन के दिन चार या जोरू का गुलाम या मोहे रंग दे में ) वही चरित्र मैं जोड़ना चाहती हूँ जिनके साथ मैं न्याय कर पाऊं, जो भले ही थोड़ी देर के लिए आएं पर वह एक कटआउट या पोस्टकार्ड थिन कैरेक्टर न लगे

और वैसे भी मैं मूल रूप से स्त्री प्रधान कहनियां लिखती हूँ और वैसे परिवेश में जहाँ ज्यादातर कहानियां पुरुष परिप्रेक्ष्य में लिखी जा रही हों यह कुछ गड़बड़ मुझे नहीं लगता की एक दो कहानी महिलाओं के प्वाइंट आफ व्यू से हैं हालाकिं कुछ पाठक असहज हो सकता है महसूस करते हों

मैंने फागुन के दिन चार को पुरुष नैरेटर के द्वारा लिखने की कोशिश की पर मेरी कलम पर मेरा ज्यादा जोर नहीं चलता और उस कहानी में भी स्त्री पात्र कहानी में भारी पड़े, चाहे रीत हो या बाकी,...

और जहाँ तक इस कहानी का सवाल है बस मैं यही कहूंगी की कहानी के साथ बने रहिये अगले कुछ भागों के बाद अगर फिर से यह सवाल उठेगा तो मैं जरूर चर्चा करुँगी
Kahani to Apke perspective se hi sunni hai, male character ke perspective se wo maja nhi ata. Me to bus isiliye bol raha hai taki bus family ke baare me pta chal. Ki pitaji / sasur ji kahin ghar se baahar gaye hai ya alag rehte hai ya bhagwan ke pass chale gaye, bus isse jyda or kuch nahi, apki story sabse jyada to isliye achhi lagti gai kyun female side padhne ko milta hai
 

Sister_Lover

New Member
54
111
48
लगा धक्का लगा छक्का आम के पेड़ के नीचे



large image hosting

और उसेक बाद बस कहर बरपा हो गया,... अरविन्द ने अपनी बहन की दोनों गुलाबी रेशमी मखमल सी मुलायम फांको को फैला के अपना सुपाड़ा सेट किया और मार दिया करारा धक्का,

उईईईईई उईईई ओह्ह उफ्फफ्फ्फ़ उईईई ,.. गीता की जोरदार चीख निकली, ...

पर गीता ने कस के पेड़ को दोनों हाथों से पकड़ के रखा था , अपनी पूरी ताकत से गीता अपनी जाँघों को, टांगों को फैलाये थी और अपने अंदर घुसता, रगड़ता, दरेरता अपने भैया अरविन्द का मोटा सुपाड़ा महसूस कर रही थी,... चूत चरपरा रही थी , पहले भी भैया ने घर में उसे दीवाल के सहारे खड़े कर के उसकी ली थी, कई बार दिन में भी,... लेकिन इस तरह बाहर खुले में एक पेड़ के नीचे खड़े खड़े,... अपनी ओर से वो पूरी कोशिश कर रही थी पर दर्द तो हो ही रहा था ,




दो चार धक्को में सुपाड़ा पूरा पैबस्त हो गया,... और अब अरविन्द रुक गया, उसने अब सारा ध्यान अपनी छोटी बहन के छोटे छोटे जोबन की ओर दिया जिसके बारे में सोच सोच के ही उसका न जाने कितने दिनों से खड़ा हो जाता था,... कभी हलके से कभी जोर साथ में कभी गाल चूमता कभी होंठ काटता,
धीरे धीरे गीता भी अपने बुर में घुसे भाई के सुपाड़े का मजा लेने लगी चीखें अब सिसकियों में बदलने लगीं,

बिना दोनों जोबन छोड़े बल्कि उन्हें ही पकड़ के खूब जबरदस्त धक्के , भैया ने अपनी छुटकी बहिनिया की कसी चूत में मारने शुरू किये , और हर धक्के के साथ बहन का पेट उसकी देह पेड़ की छाल से कस के रगड़ जाती और वो बुरी तरह से अपने भैया और उस पेड़ के बीचपिस जाती ,

लेकिन कुछ देर में उसे भी मजा आने लगा , वो भी चूतड़ पीछे कर के धक्के का जवाब धक्के से देने लगी,... कभी अपनी चूत में अरविन्द का लंड वो निचोड़ देती, दबोच देती,



सच में जितना मजा अरविन्द को अपनी सगी बहन को चोदने में आ रहा था गीता से भी बारी कुंआरी कच्ची कलियाँ,... उतना किसी के साथ नहीं आया भले ही चाची की उम्र की भोंसड़ी वालियां हो या गीता से भी बारी कुंआरी कच्ची कलियाँ ,


सगी छोटी बहन को चोदने की बात ही और होती है, वो भी खुले आम,... फुलवा की माँ उसे सही समझाती थी,...


थोड़ी ही देर में गीता झड़ने के कगार पर पहुँच गयी पर अरविन्द उसका भाई नहीं रुका , वो पेलता ही रहा पूरी ताकत से,... और रुका भी तो एक ऊँगली से बहन की क्लिट रगड़ने लगा और बहन फिर गरमा गयी और अबकी गीता ने अपनी एक टांग उठा के पेड़ के सहारे,.. और अब चूत और अच्छी तरह खुल गयी थी,... लंड और खुल के जा रहा था , हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे

गीता जब दूसरी बार झड़ी तो भैया भी उसके अंदर देर तक मलाई छोड़ता रहा,...




कौन बहनचोद बहन को एक बार चोदने के बाद छोड़ता है , अरविन्द ने भी नहीं छोड़ा,



हाँ कुछ रुक के और बाग़ में जमीन पे लिटा के,..
कौन बहनचोद बहन को एक बार चोदने के बाद छोड़ता है..... 😍😍 जब तक लंड में जान है चोदता ही रहेगा और बहन को चोदते वक्त तो 'एक्सट्रा पॉवर' आ जाती है।
 

komaalrani

Well-Known Member
22,347
58,299
259
कौन बहनचोद बहन को एक बार चोदने के बाद छोड़ता है..... 😍😍 जब तक लंड में जान है चोदता ही रहेगा और बहन को चोदते वक्त तो 'एक्सट्रा पॉवर' आ जाती है।
एकदम और ऐसे कमेंट मिलते रहें तो लिखने का उत्साह दूना हो जाता है।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 

komaalrani

Well-Known Member
22,347
58,299
259
जोरू का गुलाम भाग १८३

रसगुल्ले और छन्दा का फंदा

update posted.


please read, like and comment
 
Top